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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[उक्ति]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[उक्ति]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[?? चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[उक्ति]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[उक्ति]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[उक्ति]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[उक्ति]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[उक्ति]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
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* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
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*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
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*[[सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति]]
*[[सुभाषित सहस्र]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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210.212.158.130
हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
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*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति )]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
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* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
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* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
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* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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+ slovak language
हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
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* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]]
*[[फिल्मी]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]]
[[महात्मा गाँधी]] [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] [[प्रेमचंद]] [[स्वामी विवेकानन्द]]
*[[फिल्मी]]
[[शोले]] [[पाकीजा]] [[जंजीर]] [[कुली]] [[मर्द]] [[डॉन]] [[दीवार]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]]
[[महात्मा गाँधी]] [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] [[प्रेमचंद]] [[स्वामी विवेकानन्द]] [[लाल बहादुर शास्त्री]]
*[[फिल्मी]]
[[शोले]] [[पाकीजा]] [[जंजीर]] [[कुली]] [[मर्द]] [[डॉन]] [[दीवार]]
कुछ उदाहरण
* [[सांच को आंच नहीं]]
* [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]]
* [[एक सुनार की सौ लोहार की]]
* [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]]
* [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]]
* [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]]
* [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]]
* [[लकीर का फकीर]]
* [[कूप मण्डूक]]
* [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]]
* [[मुख में राम बगल में छुरी]]
* [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]]
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]]
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
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<br>
*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
<br>
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कुछ उदाहरण
* सांच को आंच नहीं
* सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
* एक सुनार की सौ लोहार की
* उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
* नाच न आये आंगन टेढ़ा
* घर की मुर्गी दाल बराबर
* न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
* लकीर का फकीर
* कूप मण्डूक
* हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या
* मुख में राम बगल में छुरी
* आँख का अंधा नाम नयनसुख
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[[sk:Hlavná stránka]]
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]]
<br>
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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कुछ उदाहरण
* सांच को आंच नहीं
* सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
* एक सुनार की सौ लोहार की
* उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
* नाच न आये आंगन टेढ़ा
* घर की मुर्गी दाल बराबर
* न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
* लकीर का फकीर
* कूप मण्डूक
* हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या
* मुख में राम बगल में छुरी
* आँख का अंधा नाम नयनसुख
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]]
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
<br>
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कुछ उदाहरण
* सांच को आंच नहीं
* सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
* एक सुनार की सौ लोहार की
* उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
* नाच न आये आंगन टेढ़ा
* घर की मुर्गी दाल बराबर
* न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
* लकीर का फकीर
* कूप मण्डूक
* हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या
* मुख में राम बगल में छुरी
* आँख का अंधा नाम नयनसुख
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]]
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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कुछ उदाहरण
* सांच को आंच नहीं
* सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
* एक सुनार की सौ लोहार की
* उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
* नाच न आये आंगन टेढ़ा
* घर की मुर्गी दाल बराबर
* न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
* लकीर का फकीर
* कूप मण्डूक
* हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या
* मुख में राम बगल में छुरी
* आँख का अंधा नाम नयनसुख
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]]
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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कुछ उदाहरण
* सांच को आंच नहीं
* सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
* एक सुनार की सौ लोहार की
* उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
* नाच न आये आंगन टेढ़ा
* घर की मुर्गी दाल बराबर
* न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
* लकीर का फकीर
* कूप मण्डूक
* हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या
* मुख में राम बगल में छुरी
* आँख का अंधा नाम नयनसुख
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किवंदती]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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कुछ उदाहरण
* सांच को आंच नहीं
* सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
* एक सुनार की सौ लोहार की
* उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
* नाच न आये आंगन टेढ़ा
* घर की मुर्गी दाल बराबर
* न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
* लकीर का फकीर
* कूप मण्डूक
* हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या
* मुख में राम बगल में छुरी
* आँख का अंधा नाम नयनसुख
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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कुछ उदाहरण
* सांच को आंच नहीं
* सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
* एक सुनार की सौ लोहार की
* उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
* नाच न आये आंगन टेढ़ा
* घर की मुर्गी दाल बराबर
* न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
* लकीर का फकीर
* कूप मण्डूक
* हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या
* मुख में राम बगल में छुरी
* आँख का अंधा नाम नयनसुख
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २]
*[[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित]]
*[[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन]]
*[[हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन]]
*[[ आचार्य रजनीश के वचन]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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कुछ उदाहरण
* सांच को आंच नहीं
* सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
* एक सुनार की सौ लोहार की
* उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
* नाच न आये आंगन टेढ़ा
* घर की मुर्गी दाल बराबर
* न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
* लकीर का फकीर
* कूप मण्डूक
* हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या
* मुख में राम बगल में छुरी
* आँख का अंधा नाम नयनसुख
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
* [[महात्मा बुद्ध के वचन]]
* [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]]
* [[गुरु नानक के वचन]]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २]
* [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]]
* [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ आचार्य रजनीश के वचन ]]
* [[ नीति के वचन ]]
* [[ घाघ की कहावतें ]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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कुछ उदाहरण
* सांच को आंच नहीं
* सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
* एक सुनार की सौ लोहार की
* उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
* नाच न आये आंगन टेढ़ा
* घर की मुर्गी दाल बराबर
* न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
* लकीर का फकीर
* कूप मण्डूक
* हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या
* मुख में राम बगल में छुरी
* आँख का अंधा नाम नयनसुख
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
* [[महात्मा बुद्ध के वचन]]
* [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]]
* [[गुरु नानक के वचन]]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २]
* [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]]
* [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ आचार्य रजनीश के वचन ]]
* [[ नीति के वचन ]]
* [[ घाघ की कहावतें ]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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137.138.173.150
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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<br>
*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
* [[महात्मा बुद्ध के वचन]]
* [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]]
* [[गुरु नानक के वचन]]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २]
* [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]]
* [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ आचार्य रजनीश के वचन ]]
* [[ नीति के वचन ]]
* [[ घाघ की कहावतें ]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
* [[महात्मा बुद्ध के वचन]]
* [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]]
* [[गुरु नानक के वचन]]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २]
* [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]]
* [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ आचार्य रजनीश के वचन ]]
* [[ नीति के वचन ]]
* [[ घाघ की कहावतें ]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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* [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]]
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
* [[महात्मा बुद्ध के वचन]]
* [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]]
* [[गुरु नानक के वचन]]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २]
* [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]]
* [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ आचार्य रजनीश के वचन ]]
* [[ नीति के वचन ]]
* [[ घाघ की कहावतें ]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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* [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]]
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
* [[महात्मा बुद्ध के वचन]]
* [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]]
* [[गुरु नानक के वचन]]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २]
* [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]]
* [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ आचार्य रजनीश के वचन ]]
* [[ नीति के वचन ]]
* [[ घाघ की कहावतें ]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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* [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]]
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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श्याम
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रहीम
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[रहीम]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
* [[महात्मा बुद्ध के वचन]]
* [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]]
* [[गुरु नानक के वचन]]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २]
* [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]]
* [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ आचार्य रजनीश के वचन ]]
* [[ नीति के वचन ]]
* [[ घाघ की कहावतें ]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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* [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]]
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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2006-12-07T09:33:25Z
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[रहीम]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
* [[महात्मा बुद्ध के वचन]]
* [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]]
* [[गुरु नानक के वचन]]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २]
* [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]]
* [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ आचार्य रजनीश के वचन ]]
* [[ नीति के वचन ]]
* [[ घाघ की कहावतें ]]
* [[गायत्री मंत्र पर महापुरुषों के विचार]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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* [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]]
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==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
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4241
2006-12-15T04:23:12Z
137.138.179.176
/* विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ */
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'''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं।
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*[[कहावत]]
*[[मुहावरा]]
*[[लोकोक्ति]]
*[[किंवदन्ति]]
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*[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह
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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[रहीम]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]]
* [[महात्मा बुद्ध के वचन]]
* [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]]
* [[गुरु नानक के वचन]]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १]
* [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २]
* [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]]
* [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]]
* [[ आचार्य रजनीश के वचन ]]
* [[ नीति के वचन ]]
* [[ घाघ की कहावतें ]]
* [[गायत्री मंत्र पर महापुरुषों के विचार]]
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*[[फिल्मी]]
[[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]]
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* [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]]
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== बाहरी सम्पर्क-सूत्र ( लिंक ) ==
* [http://hi.wikipedia.org/wiki/Hindi_Computing_Resources_on_the_Internet हिन्दी संगणन(कम्प्यूटिंग) के उपकरण और उपयोग विधियाँ] : यहाँ कम्प्यूटर पर हिन्दी का प्रयोग करने से सम्बन्धित सभी उपकरणों (जैसे - सम्पादित्र, वर्ड-प्रोसेसर, फान्ट-परिवर्तक, हिन्दी शब्दकोश आदि) के नाम, पते और संक्षिप्त जानकारी दी गयी है। विकिपेडिया पर होने के नाते कोई भी इसमे नयी सूचना जोड़ सकता है, जिससे यह अद्यतन(अप-टू-डेट) बनी रहेगी। <Br/><Br/>
* [http://hi.wikipedia.org/wiki/Web_Hindi_Resources अन्तर्जाल पर हिन्दी की विविध सामग्री और उसका पता] : यह भी विकिपेडिया पर है। यहाँ अंतर्जाल पर स्थित हिन्दी की वेबसाइटों का विविध श्रेणियों ( जैसे- समाचार पत्र, पत्रिकायें, साहित्य आदि) में वर्गीकरण करके उनका नाम, पता और संक्षिप्त विवरण दिया गया है। उद्देश्य यह है कि किसी भी हिन्दी-प्रेमी को एक ही स्थान पर आसानी से अपने काम की सामग्री मिल जाय। <Br/><Br/>
==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ==
<br>
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[[sa:]] [[en:]]
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3
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MediaWiki:Monobook.css
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/* edit this file to customize the monobook skin for the entire site */
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/* edit this file to customize the monobook skin for the entire site */
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/* edit this file to customize the monobook skin for the entire site */
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MediaWiki default
/* CSS placed here will affect users of the Monobook skin */
MediaWiki:Monobook.js
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2004-12-17T06:55:28Z
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/* tooltips and access keys */
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926
2004-12-17T07:37:40Z
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1842
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3349
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2005-11-29T00:53:37Z
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3551
2005-11-29T21:05:28Z
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3573
2005-12-02T02:19:00Z
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3622
2005-12-02T03:56:03Z
MediaWiki default
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3867
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
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4061
2006-08-31T18:37:00Z
MediaWiki default
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MediaWiki default
विकिपीडिया के बारे में
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MediaWiki default
विकिपीडिया के बारे में
3746
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MediaWiki default
{{SITENAME}} के बारे में
MediaWiki:Accesskey-compareselectedversions
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v
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v
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The Password for '$1' has been sent to $2.
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2004-12-17T06:55:28Z
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MediaWiki default
Added to watchlist
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2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Added to watchlist
MediaWiki:Addedwatchtext
20
sysop
24
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The page "$1" has been added to your [[Special:Watchlist|watchlist]].
Future changes to this page and its associated Talk page will be listed there,
and the page will appear '''bolded''' in the [[Special:Recentchanges|list of recent changes]] to
make it easier to pick out.
<p>If you want to remove the page from your watchlist later, click "Stop watching" in the sidebar.
940
2004-12-17T07:37:41Z
MediaWiki default
The page "$1" has been added to your [[Special:Watchlist|watchlist]].
Future changes to this page and its associated Talk page will be listed there,
and the page will appear '''bolded''' in the [[Special:Recentchanges|list of recent changes]] to
make it easier to pick out.
<p>If you want to remove the page from your watchlist later, click "Stop watching" in the sidebar.
1856
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
The page "$1" has been added to your [[Special:Watchlist|watchlist]].
Future changes to this page and its associated Talk page will be listed there,
and the page will appear '''bolded''' in the [[Special:Recentchanges|list of recent changes]] to
make it easier to pick out.
<p>If you want to remove the page from your watchlist later, click "Stop watching" in the sidebar.
3351
2005-08-19T23:15:17Z
MediaWiki default
The page "$1" has been added to your [[Special:Watchlist|watchlist]].
Future changes to this page and its associated Talk page will be listed there,
and the page will appear '''bolded''' in the [[Special:Recentchanges|list of recent changes]] to
make it easier to pick out.
<p>If you want to remove the page from your watchlist later, click "Unwatch" in the sidebar.
3871
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
The page "[[:$1]]" has been added to your [[Special:Watchlist|watchlist]].
Future changes to this page and its associated Talk page will be listed there,
and the page will appear '''bolded''' in the [[Special:Recentchanges|list of recent changes]] to
make it easier to pick out.
If you want to remove the page from your watchlist later, click "Unwatch" in the sidebar.
MediaWiki:Addgroup
21
sysop
25
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Add Group
941
2004-12-17T07:37:41Z
MediaWiki default
Add Group
1857
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Add Group
MediaWiki:Addsection
22
sysop
26
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
+
942
2004-12-17T07:37:41Z
MediaWiki default
+
1858
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
+
MediaWiki:Administrators
23
sysop
27
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:प्रबन्धक
943
2004-12-17T07:37:41Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:प्रबन्धक
1859
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:प्रबन्धक
3747
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
{{ns:project}}:प्रबन्धक
MediaWiki:Affirmation
24
sysop
28
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
I affirm that the copyright holder of this file
agrees to license it under the terms of the $1.
944
2004-12-17T07:37:41Z
MediaWiki default
I affirm that the copyright holder of this file
agrees to license it under the terms of the $1.
1860
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
I affirm that the copyright holder of this file
agrees to license it under the terms of the $1.
MediaWiki:All
25
sysop
29
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
all
945
2004-12-17T07:37:41Z
MediaWiki default
all
1861
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
all
MediaWiki:Allarticles
26
sysop
30
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
All articles
946
2004-12-17T07:37:41Z
MediaWiki default
All articles
1862
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
All articles
MediaWiki:Alllogstext
27
sysop
31
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Combined display of upload, deletion, protection, blocking, and sysop logs.
You can narrow down the view by selecting a log type, the user name, or the affected page.
947
2004-12-17T07:37:41Z
MediaWiki default
Combined display of upload, deletion, protection, blocking, and sysop logs.
You can narrow down the view by selecting a log type, the user name, or the affected page.
1863
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Combined display of upload, deletion, protection, blocking, and sysop logs.
You can narrow down the view by selecting a log type, the user name, or the affected page.
MediaWiki:Allmessages
28
sysop
32
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
All system messages
948
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
All system messages
1864
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
All system messages
3258
2005-07-29T10:41:30Z
MediaWiki default
System messages
MediaWiki:AllmessagesnotsupportedDB
29
sysop
33
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Special:AllMessages not supported because wgUseDatabaseMessages is off.
949
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
Special:AllMessages not supported because wgUseDatabaseMessages is off.
1865
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Special:AllMessages not supported because wgUseDatabaseMessages is off.
3872
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
'''Special:Allmessages''' cannot be used because '''$wgUseDatabaseMessages''' is switched off.
MediaWiki:AllmessagesnotsupportedUI
30
sysop
34
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your current interface language <b>$1</b> is not supported by Special:AllMessages at this site.
950
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
Your current interface language <b>$1</b> is not supported by Special:AllMessages at this site.
1866
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Your current interface language <b>$1</b> is not supported by Special:AllMessages at this site.
3750
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
Your current interface language <b>$1</b> is not supported by Special:AllMessages at this site.
3873
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Your current interface language <b>$1</b> is not supported by Special:Allmessages at this site.
MediaWiki:Allmessagestext
31
sysop
35
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This is a list of all system messages available in the MediaWiki: namespace.
951
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
This is a list of all system messages available in the MediaWiki: namespace.
1867
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
This is a list of all system messages available in the MediaWiki: namespace.
3259
2005-07-29T10:41:30Z
MediaWiki default
This is a list of system messages available in the MediaWiki: namespace.
3874
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
This is a list of system messages available in the MediaWiki namespace.
MediaWiki:Allpages
32
sysop
36
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
All pages
952
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
All pages
1868
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
All pages
MediaWiki:Allpagesformtext1
33
sysop
37
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Display pages starting at: $1
953
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
Display pages starting at: $1
1869
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Display pages starting at: $1
MediaWiki:Allpagesformtext2
34
sysop
38
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Choose namespace: $1 $2
954
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
Choose namespace: $1 $2
1870
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Choose namespace: $1 $2
MediaWiki:Allpagesnamespace
35
sysop
39
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
All pages ($1 namespace)
955
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
All pages ($1 namespace)
1871
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
All pages ($1 namespace)
MediaWiki:Allpagesnext
36
sysop
40
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Next
956
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
Next
1872
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Next
MediaWiki:Allpagesprev
37
sysop
41
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Previous
957
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
Previous
1873
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Previous
MediaWiki:Allpagessubmit
38
sysop
42
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Go
958
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
Go
1874
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Go
MediaWiki:Alphaindexline
39
sysop
43
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1 to $2
959
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
$1 to $2
1875
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
$1 to $2
MediaWiki:Alreadyloggedin
40
sysop
44
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<font color=red><b>User $1, you are already logged in!</b></font><br />
960
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
<font color=red><b>User $1, you are already logged in!</b></font><br />
1876
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
<font color=red><b>User $1, you are already logged in!</b></font><br />
3352
2005-08-19T23:15:17Z
MediaWiki default
<strong>User $1, you are already logged in!</strong><br />
3388
2005-09-05T09:24:34Z
MediaWiki default
<strong>User $1, you are already logged in!</strong><br />
3450
2005-11-09T22:25:53Z
MediaWiki default
<strong>User $1, you are already logged in!</strong><br />
3527
2005-11-29T00:53:37Z
MediaWiki default
<strong>User $1, you are already logged in!</strong><br />
3552
2005-11-29T21:05:28Z
MediaWiki default
<strong>User $1, you are already logged in!</strong><br />
3575
2005-12-02T02:19:01Z
MediaWiki default
<strong>User $1, you are already logged in!</strong><br />
3623
2005-12-02T03:56:03Z
MediaWiki default
<strong>User $1, you are already logged in!</strong><br />
MediaWiki:Alreadyrolled
41
sysop
45
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Cannot rollback last edit of [[$1]]
by [[User:$2|$2]] ([[User talk:$2|Talk]]); someone else has edited or rolled back the page already.
Last edit was by [[User:$3|$3]] ([[User talk:$3|Talk]]).
961
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
Cannot rollback last edit of [[$1]]
by [[User:$2|$2]] ([[User talk:$2|Talk]]); someone else has edited or rolled back the page already.
Last edit was by [[User:$3|$3]] ([[User talk:$3|Talk]]).
1877
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Cannot rollback last edit of [[$1]]
by [[User:$2|$2]] ([[User talk:$2|Talk]]); someone else has edited or rolled back the page already.
Last edit was by [[User:$3|$3]] ([[User talk:$3|Talk]]).
3751
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
Cannot rollback last edit of [[$1]]
by [[User:$2|$2]] ([[User talk:$2|Talk]]); someone else has edited or rolled back the page already.
Last edit was by [[User:$3|$3]] ([[User talk:$3|Talk]]).
MediaWiki:Ancientpages
42
sysop
46
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Oldest pages
962
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
Oldest pages
1878
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Oldest pages
MediaWiki:And
43
sysop
47
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
and
963
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
and
1879
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
and
MediaWiki:Anontalk
44
sysop
48
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Talk for this IP
964
2004-12-17T07:37:42Z
MediaWiki default
Talk for this IP
1880
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Talk for this IP
MediaWiki:Anontalkpagetext
45
sysop
49
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
----''This is the discussion page for an anonymous user who has not created an account yet or who does not use it. We therefore have to use the numerical [[IP address]] to identify him/her. Such an IP address can be shared by several users. If you are an anonymous user and feel that irrelevant comments have been directed at you, please [[Special:Userlogin|create an account or log in]] to avoid future confusion with other anonymous users.''
965
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
----''This is the discussion page for an anonymous user who has not created an account yet or who does not use it. We therefore have to use the numerical [[IP address]] to identify him/her. Such an IP address can be shared by several users. If you are an anonymous user and feel that irrelevant comments have been directed at you, please [[Special:Userlogin|create an account or log in]] to avoid future confusion with other anonymous users.''
1881
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
----''This is the discussion page for an anonymous user who has not created an account yet or who does not use it. We therefore have to use the numerical [[IP address]] to identify him/her. Such an IP address can be shared by several users. If you are an anonymous user and feel that irrelevant comments have been directed at you, please [[Special:Userlogin|create an account or log in]] to avoid future confusion with other anonymous users.''
3754
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
----''This is the discussion page for an anonymous user who has not created an account yet or who does not use it. We therefore have to use the numerical [[IP address]] to identify him/her. Such an IP address can be shared by several users. If you are an anonymous user and feel that irrelevant comments have been directed at you, please [[Special:Userlogin|create an account or log in]] to avoid future confusion with other anonymous users.''
3876
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
----''This is the discussion page for an anonymous user who has not created an account yet or who does not use it. We therefore have to use the numerical IP address to identify him/her. Such an IP address can be shared by several users. If you are an anonymous user and feel that irrelevant comments have been directed at you, please [[Special:Userlogin|create an account or log in]] to avoid future confusion with other anonymous users.''
MediaWiki:Anonymous
46
sysop
50
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Anonymous user(s) of Wikiquote
966
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
Anonymous user(s) of Wikiquote
1882
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Anonymous user(s) of Wikiquote
3260
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Anonymous user(s) of {{SITENAME}}
MediaWiki:Apr
47
sysop
51
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
अप्रैल
967
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
अप्रैल
1883
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
अप्रैल
MediaWiki:April
48
sysop
52
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
अप्रैल
968
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
अप्रैल
1884
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
अप्रैल
MediaWiki:Article
49
sysop
53
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Content page
969
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
Content page
1885
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Content page
MediaWiki:Articleexists
50
sysop
54
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
A page of that name already exists, or the
name you have chosen is not valid.
Please choose another name.
970
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
A page of that name already exists, or the
name you have chosen is not valid.
Please choose another name.
1886
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
A page of that name already exists, or the
name you have chosen is not valid.
Please choose another name.
MediaWiki:Articlenamespace
51
sysop
55
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(articles)
971
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
(articles)
1887
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
(articles)
MediaWiki:Articlepage
52
sysop
56
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
लेख देखें
972
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
लेख देखें
1888
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
लेख देखें
MediaWiki:Asksql
53
sysop
57
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
SQL query
973
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
SQL query
1889
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
SQL query
MediaWiki:Asksqlpheading
54
sysop
58
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
asksql level
974
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
asksql level
1890
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
asksql level
MediaWiki:Asksqltext
55
sysop
59
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Use the form below to make a direct query of the
database.
Use single quotes ('like this') to delimit string literals.
This can often add considerable load to the server, so please use
this function sparingly.
975
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
Use the form below to make a direct query of the
database.
Use single quotes ('like this') to delimit string literals.
This can often add considerable load to the server, so please use
this function sparingly.
1891
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Use the form below to make a direct query of the
database.
Use single quotes ('like this') to delimit string literals.
This can often add considerable load to the server, so please use
this function sparingly.
MediaWiki:Aug
56
sysop
60
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
अगस्त
976
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
अगस्त
1892
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
अगस्त
MediaWiki:August
57
sysop
61
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
अगस्त
977
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
अगस्त
1893
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
अगस्त
MediaWiki:Autoblocker
58
sysop
62
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Autoblocked because you share an IP address with "$1". Reason "$2".
978
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
Autoblocked because you share an IP address with "$1". Reason "$2".
1894
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Autoblocked because you share an IP address with "$1". Reason "$2".
3261
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Autoblocked because your IP address has been recently used by "[[User:$1|$1]]". The reason given for $1's block is: "'''$2'''"
MediaWiki:Badarticleerror
59
sysop
63
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This action cannot be performed on this page.
979
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
This action cannot be performed on this page.
1895
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
This action cannot be performed on this page.
MediaWiki:Badfilename
60
sysop
64
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Image name has been changed to "$1".
980
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
Image name has been changed to "$1".
1896
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Image name has been changed to "$1".
3262
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
File name has been changed to "$1".
MediaWiki:Badfiletype
61
sysop
65
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
".$1" is not a recommended image file format.
981
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
".$1" is not a recommended image file format.
1897
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
".$1" is not a recommended image file format.
MediaWiki:Badipaddress
62
sysop
66
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Invalid IP address
982
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
Invalid IP address
1898
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Invalid IP address
MediaWiki:Badquery
63
sysop
67
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Badly formed search query
983
2004-12-17T07:37:43Z
MediaWiki default
Badly formed search query
1899
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Badly formed search query
MediaWiki:Badquerytext
64
sysop
68
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
We could not process your query.
This is probably because you have attempted to search for a
word fewer than three letters long, which is not yet supported.
It could also be that you have mistyped the expression, for
example "fish and and scales".
Please try another query.
984
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
We could not process your query.
This is probably because you have attempted to search for a
word fewer than three letters long, which is not yet supported.
It could also be that you have mistyped the expression, for
example "fish and and scales".
Please try another query.
1900
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
We could not process your query.
This is probably because you have attempted to search for a
word fewer than three letters long, which is not yet supported.
It could also be that you have mistyped the expression, for
example "fish and and scales".
Please try another query.
MediaWiki:Badretype
65
sysop
69
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The passwords you entered do not match.
985
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
The passwords you entered do not match.
1901
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
The passwords you entered do not match.
MediaWiki:Badtitle
66
sysop
70
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Bad title
986
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
Bad title
1902
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Bad title
MediaWiki:Badtitletext
67
sysop
71
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The requested page title was invalid, empty, or
an incorrectly linked inter-language or inter-wiki title.
987
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
The requested page title was invalid, empty, or
an incorrectly linked inter-language or inter-wiki title.
1903
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
The requested page title was invalid, empty, or
an incorrectly linked inter-language or inter-wiki title.
3389
2005-09-05T09:24:35Z
MediaWiki default
The requested page title was invalid, empty, or an incorrectly linked inter-language or inter-wiki title.
3755
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
The requested page title was invalid, empty, or an incorrectly linked inter-language or inter-wiki title. It may contain one more characters which cannot be used in titles.
MediaWiki:Blanknamespace
68
sysop
72
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(Main)
988
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
(Main)
1904
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
(Main)
MediaWiki:Block compress delete
69
sysop
73
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Can't delete this article because it contains block-compressed revisions.
This is a temporary situation which the developers are well aware of, and should be fixed within a month or two.
Please mark the article for deletion and wait for a developer to fix our buggy software.
989
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
Can't delete this article because it contains block-compressed revisions.
This is a temporary situation which the developers are well aware of, and should be fixed within a month or two.
Please mark the article for deletion and wait for a developer to fix our buggy software.
1905
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Can't delete this article because it contains block-compressed revisions.
This is a temporary situation which the developers are well aware of, and should be fixed within a month or two.
Please mark the article for deletion and wait for a developer to fix our buggy software.
MediaWiki:Blockedtext
70
sysop
74
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your user name or IP address has been blocked by $1.
The reason given is this:<br />''$2''<p>You may contact $1 or one of the other
[[Project:Administrators|administrators]] to discuss the block.
Note that you may not use the "email this user" feature unless you have a valid email address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]].
Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make.
990
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
Your user name or IP address has been blocked by $1.
The reason given is this:<br />''$2''<p>You may contact $1 or one of the other
[[Project:Administrators|administrators]] to discuss the block.
Note that you may not use the "email this user" feature unless you have a valid email address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]].
Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make.
1906
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Your user name or IP address has been blocked by $1.
The reason given is this:<br />''$2''<p>You may contact $1 or one of the other
[[Project:Administrators|administrators]] to discuss the block.
Note that you may not use the "email this user" feature unless you have a valid email address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]].
Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make.
3576
2005-12-02T02:19:01Z
MediaWiki default
Your user name or IP address has been blocked by $1.
The reason given is this:<br />''$2''<p>You may contact $1 or one of the other
[[Project:Administrators|administrators]] to discuss the block.
Note that you may not use the "e-mail this user" feature unless you have a valid e-mail address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]].
Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make.
3624
2005-12-02T03:56:03Z
MediaWiki default
Your user name or IP address has been blocked by $1.
The reason given is this:<br />''$2''<p>You may contact $1 or one of the other
[[Project:Administrators|administrators]] to discuss the block.
Note that you may not use the "e-mail this user" feature unless you have a valid e-mail address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]].
Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make.
3880
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Your user name or IP address has been blocked by $1.
The reason given is this:<br />''$2''<br />You may contact $1 or one of the other
[[{{ns:project}}:Administrators|administrators]] to discuss the block.
Note that you may not use the "e-mail this user" feature unless you have a valid e-mail address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]].
Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make.
4071
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
<big>'''Your user name or IP address has been blocked.'''</big>
The block was made by $1. The reason given is ''$2''.
You can contact $1 or another [[{{ns:project}}:Administrators|administrator]] to discuss the block.
You cannot use the 'email this user' feature unless a valid email address is specified in your
[[Special:Preferences|account preferences]]. Your current IP address is $3. Please include this in any queries.
MediaWiki:Blockedtitle
71
sysop
75
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
User is blocked
991
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
User is blocked
1907
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
User is blocked
MediaWiki:Blockip
72
sysop
76
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Block user
992
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
Block user
1908
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Block user
MediaWiki:Blockipsuccesssub
73
sysop
77
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Block succeeded
993
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
Block succeeded
1909
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Block succeeded
MediaWiki:Blockipsuccesstext
74
sysop
78
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
"$1" has been blocked.
<br />See [[Special:Ipblocklist|IP block list]] to review blocks.
994
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
"$1" has been blocked.
<br />See [[Special:Ipblocklist|IP block list]] to review blocks.
1910
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
"$1" has been blocked.
<br />See [[Special:Ipblocklist|IP block list]] to review blocks.
3263
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
[[{{ns:Special}}:Contributions/$1|$1]] has been blocked.
<br />See[[{{ns:Special}}:Ipblocklist|IP block list]] to review blocks.
3756
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
[[{{ns:Special}}:Contributions/$1|$1]] has been blocked.
<br />See [[{{ns:Special}}:Ipblocklist|IP block list]] to review blocks.
MediaWiki:Blockiptext
75
sysop
79
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Use the form below to block write access
from a specific IP address or username.
This should be done only only to prevent vandalism, and in
accordance with [[Project:Policy|policy]].
Fill in a specific reason below (for example, citing particular
pages that were vandalized).
995
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
Use the form below to block write access
from a specific IP address or username.
This should be done only only to prevent vandalism, and in
accordance with [[Project:Policy|policy]].
Fill in a specific reason below (for example, citing particular
pages that were vandalized).
1911
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Use the form below to block write access
from a specific IP address or username.
This should be done only only to prevent vandalism, and in
accordance with [[Project:Policy|policy]].
Fill in a specific reason below (for example, citing particular
pages that were vandalized).
3881
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Use the form below to block write access
from a specific IP address or username.
This should be done only only to prevent vandalism, and in
accordance with [[{{ns:project}}:Policy|policy]].
Fill in a specific reason below (for example, citing particular
pages that were vandalized).
MediaWiki:Blocklink
76
sysop
80
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
block
996
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
block
1912
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
block
MediaWiki:Blocklistline
77
sysop
81
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1, $2 blocked $3 (expires $4)
997
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
$1, $2 blocked $3 (expires $4)
1913
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
$1, $2 blocked $3 (expires $4)
3353
2005-08-19T23:15:17Z
MediaWiki default
$1, $2 blocked $3 ($4)
MediaWiki:Blocklogentry
78
sysop
82
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
blocked "$1" with an expiry time of $2
998
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
blocked "$1" with an expiry time of $2
1914
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
blocked "$1" with an expiry time of $2
2787
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
blocked "[[$1]]" with an expiry time of $2
MediaWiki:Blocklogpage
79
sysop
83
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Block_log
999
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
Block_log
1915
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Block_log
3882
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Block log
MediaWiki:Blocklogtext
80
sysop
84
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This is a log of user blocking and unblocking actions. Automatically
blocked IP addresses are not listed. See the [[Special:Ipblocklist|IP block list]] for
the list of currently operational bans and blocks.
1000
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
This is a log of user blocking and unblocking actions. Automatically
blocked IP addresses are not listed. See the [[Special:Ipblocklist|IP block list]] for
the list of currently operational bans and blocks.
1916
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
This is a log of user blocking and unblocking actions. Automatically
blocked IP addresses are not listed. See the [[Special:Ipblocklist|IP block list]] for
the list of currently operational bans and blocks.
MediaWiki:Blockpheading
81
sysop
85
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
block level
1001
2004-12-17T07:37:44Z
MediaWiki default
block level
1917
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
block level
MediaWiki:Bold sample
82
sysop
86
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Bold text
1002
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Bold text
1918
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Bold text
MediaWiki:Bold tip
83
sysop
87
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Bold text
1003
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Bold text
1919
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Bold text
MediaWiki:Booksources
84
sysop
88
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Book sources
1004
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Book sources
1920
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Book sources
MediaWiki:Booksourcetext
85
sysop
89
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Below is a list of links to other sites that
sell new and used books, and may also have further information
about books you are looking for.
{{SITENAME}} is not affiliated with any of these businesses, and
this list should not be construed as an endorsement.
1005
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Below is a list of links to other sites that
sell new and used books, and may also have further information
about books you are looking for.
{{SITENAME}} is not affiliated with any of these businesses, and
this list should not be construed as an endorsement.
1921
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Below is a list of links to other sites that
sell new and used books, and may also have further information
about books you are looking for.
{{SITENAME}} is not affiliated with any of these businesses, and
this list should not be construed as an endorsement.
3264
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Below is a list of links to other sites that
sell new and used books, and may also have further information
about books you are looking for.
MediaWiki:Brokenredirects
86
sysop
90
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Broken Redirects
1006
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Broken Redirects
1922
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Broken Redirects
3757
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
Broken redirects
MediaWiki:Brokenredirectstext
87
sysop
91
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The following redirects link to a non-existing pages.
1007
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
The following redirects link to a non-existing pages.
1923
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
The following redirects link to a non-existing pages.
3758
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
The following redirects link to non-existent pages:
MediaWiki:Bugreports
88
sysop
92
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Bug reports
1008
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Bug reports
1924
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Bug reports
MediaWiki:Bugreportspage
89
sysop
93
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:Bug_reports
1009
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:Bug_reports
1925
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:Bug_reports
3759
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
Project:Bug_reports
MediaWiki:Bureaucratlog
90
sysop
94
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Bureaucrat_log
1010
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Bureaucrat_log
1926
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Bureaucrat_log
MediaWiki:Bureaucratlogentry
91
sysop
95
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Rights for user "$1" set "$2"
1011
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Rights for user "$1" set "$2"
1927
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Rights for user "$1" set "$2"
2788
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Changed group membership for $1 from $2 to $3
MediaWiki:Bureaucrattext
92
sysop
96
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The action you have requested can only be
performed by sysops with "bureaucrat" status.
1012
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
The action you have requested can only be
performed by sysops with "bureaucrat" status.
1928
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
The action you have requested can only be
performed by sysops with "bureaucrat" status.
MediaWiki:Bureaucrattitle
93
sysop
97
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Bureaucrat access required
1013
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Bureaucrat access required
1929
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Bureaucrat access required
MediaWiki:Bydate
94
sysop
98
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
by date
1014
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
by date
1930
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
by date
MediaWiki:Byname
95
sysop
99
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
by name
1015
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
by name
1931
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
by name
MediaWiki:Bysize
96
sysop
100
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
by size
1016
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
by size
1932
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
by size
MediaWiki:Cachederror
97
sysop
101
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The following is a cached copy of the requested page, and may not be up to date.
1017
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
The following is a cached copy of the requested page, and may not be up to date.
1933
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
The following is a cached copy of the requested page, and may not be up to date.
MediaWiki:Cancel
98
sysop
102
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Cancel
1018
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Cancel
1934
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Cancel
MediaWiki:Cannotdelete
99
sysop
103
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Could not delete the page or image specified. (It may have already been deleted by someone else.)
1019
2004-12-17T07:37:45Z
MediaWiki default
Could not delete the page or image specified. (It may have already been deleted by someone else.)
1935
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Could not delete the page or image specified. (It may have already been deleted by someone else.)
2789
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Could not delete the page or file specified. (It may have already been deleted by someone else.)
MediaWiki:Cantrollback
100
sysop
104
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Cannot revert edit; last contributor is only author of this page.
1020
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
Cannot revert edit; last contributor is only author of this page.
1936
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Cannot revert edit; last contributor is only author of this page.
MediaWiki:Categories
101
sysop
105
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Categories
1021
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Categories
1937
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Categories
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{{PLURAL:$1|Category|Categories}}
4161
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26
Categories
MediaWiki:Categoriespagetext
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The following categories exists in the wiki.
1022
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
The following categories exists in the wiki.
1938
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
The following categories exist in the wiki.
MediaWiki:Category
103
sysop
107
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category
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category
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category
MediaWiki:Category header
104
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Articles in category "$1"
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Articles in category "$1"
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Articles in category "$1"
MediaWiki:Categoryarticlecount
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There are $1 articles in this category.
1025
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There are $1 articles in this category.
1941
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
There are $1 articles in this category.
3886
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
There {{PLURAL:$1|is one article|are $1 articles}} in this category.
MediaWiki:Categoryarticlecount1
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There is $1 article in this category.
1026
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There is $1 article in this category.
1942
2005-06-25T11:06:31Z
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There is $1 article in this category.
MediaWiki:Changepassword
107
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Change password
1943
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MediaWiki default
Change password
MediaWiki:Changes
108
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2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
changes
1028
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
changes
1944
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
changes
MediaWiki:Clearyourcache
109
sysop
113
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
'''Note:''' After saving, you have to clear your browser cache to see the changes: '''Mozilla:''' click ''Reload'' (or ''Ctrl-R''), '''IE / Opera:''' ''Ctrl-F5'', '''Safari:''' ''Cmd-R'', '''Konqueror''' ''Ctrl-R''.
1029
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
'''Note:''' After saving, you have to clear your browser cache to see the changes: '''Mozilla:''' click ''Reload'' (or ''Ctrl-R''), '''IE / Opera:''' ''Ctrl-F5'', '''Safari:''' ''Cmd-R'', '''Konqueror''' ''Ctrl-R''.
1945
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
'''Note:''' After saving, you have to clear your browser cache to see the changes: '''Mozilla:''' click ''Reload'' (or ''Ctrl-R''), '''IE / Opera:''' ''Ctrl-F5'', '''Safari:''' ''Cmd-R'', '''Konqueror''' ''Ctrl-R''.
3354
2005-08-19T23:15:17Z
MediaWiki default
'''Note:''' After saving, you may have to bypass your browser's cache to see the changes. '''Mozilla / Firefox / Safari:''' hold down ''Shift'' while clicking ''Reload'', or press ''Ctrl-Shift-R'' (''Cmd-Shift-R'' on Apple Mac); '''IE:''' hold ''Ctrl'' while clicking ''Refresh'', or press ''Ctrl-F5''; '''Konqueror:''': simply click the ''Reload'' button, or press ''F5''; '''Opera''' users may need to completely clear their cache in ''Tools→Preferences''.
3889
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
'''Note:''' After saving, you may have to bypass your browser's cache to see the changes. '''Mozilla / Firefox / Safari:''' hold down ''Shift'' while clicking ''Reload'', or press ''Ctrl-Shift-R'' (''Cmd-Shift-R'' on Apple Mac); '''IE:''' hold ''Ctrl'' while clicking ''Refresh'', or press ''Ctrl-F5''; '''Konqueror:''': simply click the ''Reload'' button, or press ''F5''; '''Opera''' users may need to completely clear their cache in ''Tools→Preferences''.
MediaWiki:Columns
110
sysop
114
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Columns
1030
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
Columns
1946
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Columns
3452
2005-11-09T22:25:55Z
MediaWiki default
Columns:
MediaWiki:Compareselectedversions
111
sysop
115
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MediaWiki default
Compare selected versions
1031
2004-12-17T07:37:46Z
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Compare selected versions
1947
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Compare selected versions
MediaWiki:Confirm
112
sysop
116
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Confirm
1032
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
Confirm
1948
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Confirm
MediaWiki:Confirmcheck
113
sysop
117
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Yes, I really want to delete this.
1033
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
Yes, I really want to delete this.
1949
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Yes, I really want to delete this.
MediaWiki:Confirmdelete
114
sysop
118
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Confirm delete
1034
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
Confirm delete
1950
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Confirm delete
MediaWiki:Confirmdeletetext
115
sysop
119
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You are about to permanently delete a page
or image along with all of its history from the database.
Please confirm that you intend to do this, that you understand the
consequences, and that you are doing this in accordance with
[[Project:Policy]].
1035
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
You are about to permanently delete a page
or image along with all of its history from the database.
Please confirm that you intend to do this, that you understand the
consequences, and that you are doing this in accordance with
[[Project:Policy]].
1951
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
You are about to permanently delete a page
or image along with all of its history from the database.
Please confirm that you intend to do this, that you understand the
consequences, and that you are doing this in accordance with
[[Project:Policy]].
3890
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
You are about to permanently delete a page
or image along with all of its history from the database.
Please confirm that you intend to do this, that you understand the
consequences, and that you are doing this in accordance with
[[{{ns:project}}:Policy]].
MediaWiki:Confirmprotect
116
sysop
120
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Confirm protection
1036
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
Confirm protection
1952
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Confirm protection
MediaWiki:Confirmprotecttext
117
sysop
121
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Do you really want to protect this page?
1037
2004-12-17T07:37:46Z
MediaWiki default
Do you really want to protect this page?
1953
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Do you really want to protect this page?
MediaWiki:Confirmunprotect
118
sysop
122
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Confirm unprotection
1038
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
Confirm unprotection
1954
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Confirm unprotection
MediaWiki:Confirmunprotecttext
119
sysop
123
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Do you really want to unprotect this page?
1039
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
Do you really want to unprotect this page?
1955
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Do you really want to unprotect this page?
MediaWiki:Contextchars
120
sysop
124
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Characters of context per line
1040
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
Characters of context per line
1956
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Characters of context per line
2803
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Context per line
3456
2005-11-09T22:25:56Z
MediaWiki default
Context per line:
MediaWiki:Contextlines
121
sysop
125
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Lines to show per hit
1041
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
Lines to show per hit
1957
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Lines to show per hit
2804
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Lines per hit
3457
2005-11-09T22:25:56Z
MediaWiki default
Lines per hit:
MediaWiki:Contribslink
122
sysop
126
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
contribs
1042
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
contribs
1958
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
contribs
MediaWiki:Contribsub
123
sysop
127
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
For $1
1043
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
For $1
1959
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
For $1
MediaWiki:Contributions
124
sysop
128
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
User contributions
1044
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
User contributions
1960
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
User contributions
MediaWiki:Copyright
125
sysop
129
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Content is available under $1.
1045
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
Content is available under $1.
1961
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Content is available under $1.
MediaWiki:Copyrightpage
126
sysop
130
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Project:Copyrights
1046
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
Project:Copyrights
1962
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Project:Copyrights
MediaWiki:Copyrightpagename
127
sysop
131
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} copyright
1047
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} copyright
1963
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} copyright
MediaWiki:Copyrightwarning
128
sysop
132
2004-12-17T06:55:28Z
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1048
2004-12-17T07:37:47Z
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1964
2005-06-25T11:06:31Z
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3670
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133
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1049
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2005-06-25T11:06:31Z
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3671
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MediaWiki:Couldntremove
130
sysop
134
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Couldn't remove item '$1'...
1050
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
Couldn't remove item '$1'...
1966
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Couldn't remove item '$1'...
MediaWiki:Createaccount
131
sysop
135
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Create new account
1051
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
Create new account
1967
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Create new account
3578
2005-12-02T02:19:01Z
MediaWiki default
Create account
MediaWiki:Createaccountmail
132
sysop
136
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
by email
1052
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
by email
1968
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
by email
3579
2005-12-02T02:19:01Z
MediaWiki default
by e-mail
MediaWiki:Createaccountpheading
133
sysop
137
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
createaccount level
1053
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
createaccount level
1969
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
createaccount level
MediaWiki:Creditspage
134
sysop
138
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Page credits
1054
2004-12-17T07:37:47Z
MediaWiki default
Page credits
1970
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Page credits
MediaWiki:Cur
135
sysop
139
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
cur
1055
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
cur
1971
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
cur
MediaWiki:Currentevents
136
sysop
140
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Current events
1056
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
Current events
1972
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Current events
MediaWiki:Currentevents-url
137
sysop
141
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Current events
1057
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
Current events
1973
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Current events
MediaWiki:Currentrev
138
sysop
142
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Current revision
1058
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
Current revision
1974
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Current revision
MediaWiki:Currentrevisionlink
139
sysop
143
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
view current revision
1059
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
view current revision
1975
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
view current revision
3893
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Current revision
MediaWiki:Data
140
sysop
144
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Data
1060
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
Data
1976
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Data
MediaWiki:Databaseerror
141
sysop
145
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Database error
1061
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
Database error
1977
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Database error
MediaWiki:Dateformat
142
sysop
146
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Date format
1062
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
Date format
1978
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
Date format
MediaWiki:Dberrortext
143
sysop
147
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
This may indicate a bug in the software.
The last attempted database query was:
<blockquote><tt>$1</tt></blockquote>
from within function "<tt>$2</tt>".
MySQL returned error "<tt>$3: $4</tt>".
1063
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
This may indicate a bug in the software.
The last attempted database query was:
<blockquote><tt>$1</tt></blockquote>
from within function "<tt>$2</tt>".
MySQL returned error "<tt>$3: $4</tt>".
1979
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
This may indicate a bug in the software.
The last attempted database query was:
<blockquote><tt>$1</tt></blockquote>
from within function "<tt>$2</tt>".
MySQL returned error "<tt>$3: $4</tt>".
MediaWiki:Dberrortextcl
144
sysop
148
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
The last attempted database query was:
"$1"
from within function "$2".
MySQL returned error "$3: $4".
1064
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
The last attempted database query was:
"$1"
from within function "$2".
MySQL returned error "$3: $4".
1980
2005-06-25T11:06:31Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
The last attempted database query was:
"$1"
from within function "$2".
MySQL returned error "$3: $4".
3392
2005-09-05T09:24:35Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
The last attempted database query was:
"$1"
from within function "$2".
MySQL returned error "$3: $4"
3460
2005-11-09T22:25:57Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
The last attempted database query was:
"$1"
from within function "$2".
MySQL returned error "$3: $4"
3530
2005-11-29T00:53:38Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
The last attempted database query was:
"$1"
from within function "$2".
MySQL returned error "$3: $4"
3554
2005-11-29T21:05:29Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
The last attempted database query was:
"$1"
from within function "$2".
MySQL returned error "$3: $4"
3580
2005-12-02T02:19:01Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
The last attempted database query was:
"$1"
from within function "$2".
MySQL returned error "$3: $4"
3626
2005-12-02T03:56:03Z
MediaWiki default
A database query syntax error has occurred.
The last attempted database query was:
"$1"
from within function "$2".
MySQL returned error "$3: $4"
MediaWiki:Deadendpages
145
sysop
149
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Dead-end pages
1065
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
Dead-end pages
1981
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Dead-end pages
MediaWiki:Debug
146
sysop
150
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Debug
1066
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
Debug
1982
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Debug
MediaWiki:Dec
147
sysop
151
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
दिसम्बर
1067
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
दिसम्बर
1983
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
दिसम्बर
MediaWiki:December
148
sysop
152
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
दिसम्बर
1068
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
दिसम्बर
1984
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
दिसम्बर
MediaWiki:Default
149
sysop
153
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
default
1069
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
default
1985
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
default
MediaWiki:Defaultns
150
sysop
154
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Search in these namespaces by default:
1070
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
Search in these namespaces by default:
1986
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Search in these namespaces by default:
MediaWiki:Defemailsubject
151
sysop
155
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} e-mail
1071
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} e-mail
1987
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} e-mail
MediaWiki:Delete
152
sysop
156
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Delete
1072
2004-12-17T07:37:48Z
MediaWiki default
Delete
1988
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Delete
MediaWiki:Deletecomment
153
sysop
157
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Reason for deletion
1073
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
Reason for deletion
1989
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Reason for deletion
MediaWiki:Deletedarticle
154
sysop
158
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
deleted "$1"
1074
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
deleted "$1"
1990
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
deleted "$1"
2810
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
deleted "[[$1]]"
MediaWiki:Deletedrevision
155
sysop
159
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Deleted old revision $1.
1075
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
Deleted old revision $1.
1991
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Deleted old revision $1.
MediaWiki:Deletedtext
156
sysop
160
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
"$1" has been deleted.
See $2 for a record of recent deletions.
1076
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
"$1" has been deleted.
See $2 for a record of recent deletions.
1992
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
"$1" has been deleted.
See $2 for a record of recent deletions.
MediaWiki:Deleteimg
157
sysop
161
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
del
1077
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
del
1993
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
del
MediaWiki:Deleteimgcompletely
158
sysop
162
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Delete all revisions
1078
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
Delete all revisions
1994
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Delete all revisions
3268
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Delete all revisions of this file
MediaWiki:Deletepage
159
sysop
163
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Delete page
1079
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
Delete page
1995
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Delete page
MediaWiki:Deletepheading
160
sysop
164
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
delete level
1080
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
delete level
1996
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
delete level
MediaWiki:Deletesub
161
sysop
165
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(Deleting "$1")
1081
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
(Deleting "$1")
1997
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
(Deleting "$1")
MediaWiki:Deletethispage
162
sysop
166
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को हटायें
1082
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को हटायें
1998
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को हटायें
MediaWiki:Deletionlog
163
sysop
167
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
deletion log
1083
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
deletion log
1999
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
deletion log
MediaWiki:Dellogpage
164
sysop
168
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Deletion_log
1084
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
Deletion_log
2000
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Deletion_log
3894
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Deletion log
MediaWiki:Dellogpagetext
165
sysop
169
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Below is a list of the most recent deletions.
1085
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
Below is a list of the most recent deletions.
2001
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Below is a list of the most recent deletions.
MediaWiki:Developertext
166
sysop
170
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
आप जो करना चाहते हैं उसे केवल "developer" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें.
1086
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
आप जो करना चाहते हैं उसे केवल "developer" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें.
2002
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
आप जो करना चाहते हैं उसे केवल "developer" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें.
MediaWiki:Developertitle
167
sysop
171
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Developer आवश्यक है
1087
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
Developer आवश्यक है
2003
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Developer आवश्यक है
MediaWiki:Diff
168
sysop
172
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
diff
1088
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
diff
2004
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
diff
MediaWiki:Difference
169
sysop
173
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(Difference between revisions)
1089
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
(Difference between revisions)
2005
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
(Difference between revisions)
MediaWiki:Disambiguations
170
sysop
174
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Disambiguation pages
1090
2004-12-17T07:37:49Z
MediaWiki default
Disambiguation pages
2006
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Disambiguation pages
MediaWiki:Disambiguationspage
171
sysop
175
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Project:Links_to_disambiguating_pages
1091
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Project:Links_to_disambiguating_pages
2007
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Project:Links_to_disambiguating_pages
3269
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Template:disambig
MediaWiki:Disambiguationstext
172
sysop
176
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The following pages link to a <i>disambiguation page</i>. They should link to the appropriate topic instead.<br />A page is treated as dismbiguation if it is linked from $1.<br />Links from other namespaces are <i>not</i> listed here.
1092
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
The following pages link to a <i>disambiguation page</i>. They should link to the appropriate topic instead.<br />A page is treated as dismbiguation if it is linked from $1.<br />Links from other namespaces are <i>not</i> listed here.
2008
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The following pages link to a <i>disambiguation page</i>. They should link to the appropriate topic instead.<br />A page is treated as disambiguation if it is linked from $1.<br />Links from other namespaces are <i>not</i> listed here.
MediaWiki:Disclaimerpage
173
sysop
177
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Project:General_disclaimer
1093
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Project:General_disclaimer
2009
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Project:General_disclaimer
MediaWiki:Disclaimers
174
sysop
178
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Disclaimers
1094
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Disclaimers
2010
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Disclaimers
MediaWiki:Doubleredirects
175
sysop
179
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Double Redirects
1095
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Double Redirects
2011
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Double Redirects
3270
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Double redirects
MediaWiki:Doubleredirectstext
176
sysop
180
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<b>Attention:</b> This list may contain false positives. That usually means there is additional text with links below the first #REDIRECT.<br />
Each row contains links to the first and second redirect, as well as the first line of the second redirect text, usually giving the "real" target page, which the first redirect should point to.
1096
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
<b>Attention:</b> This list may contain false positives. That usually means there is additional text with links below the first #REDIRECT.<br />
Each row contains links to the first and second redirect, as well as the first line of the second redirect text, usually giving the "real" target page, which the first redirect should point to.
2012
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Each row contains links to the first and second redirect, as well as the first line of the second redirect text, usually giving the "real" target page, which the first redirect should point to.
MediaWiki:Edit
177
sysop
181
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Edit
1097
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Edit
2013
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Edit
3272
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Edit this page
3356
2005-08-19T23:15:18Z
MediaWiki default
Edit
MediaWiki:Editcomment
178
sysop
182
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The edit comment was: "<i>$1</i>".
1098
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
The edit comment was: "<i>$1</i>".
2014
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The edit comment was: "<i>$1</i>".
MediaWiki:Editconflict
179
sysop
183
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Edit conflict: $1
1099
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Edit conflict: $1
2015
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Edit conflict: $1
MediaWiki:Editcurrent
180
sysop
184
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Edit the current version of this page
1100
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Edit the current version of this page
2016
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Edit the current version of this page
MediaWiki:Editgroup
181
sysop
185
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Edit Group
1101
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Edit Group
2017
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Edit Group
MediaWiki:Edithelp
182
sysop
186
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Editing help
1102
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Editing help
2018
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Editing help
MediaWiki:Edithelppage
183
sysop
187
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:How_does_one_edit_a_page
1103
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:How_does_one_edit_a_page
2019
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:How_does_one_edit_a_page
3763
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
Help:Editing
MediaWiki:Editing
184
sysop
188
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Editing $1
1104
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Editing $1
2020
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Editing $1
MediaWiki:Editingcomment
185
sysop
189
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Editing $1 (comment)
1105
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Editing $1 (comment)
2021
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Editing $1 (comment)
MediaWiki:Editingold
186
sysop
190
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: You are editing an out-of-date
revision of this page.
If you save it, any changes made since this revision will be lost.</strong>
1106
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: You are editing an out-of-date
revision of this page.
If you save it, any changes made since this revision will be lost.</strong>
2022
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: You are editing an out-of-date
revision of this page.
If you save it, any changes made since this revision will be lost.</strong>
2816
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: You are editing an out-of-date
revision of this page.
If you save it, any changes made since this revision will be lost.</strong>
MediaWiki:Editingsection
187
sysop
191
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Editing $1 (section)
1107
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
Editing $1 (section)
2023
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Editing $1 (section)
MediaWiki:Editsection
188
sysop
192
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
edit
1108
2004-12-17T07:37:50Z
MediaWiki default
edit
2024
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
edit
MediaWiki:Editthispage
189
sysop
193
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को बदलें
1109
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को बदलें
2025
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को बदलें
MediaWiki:Editusergroup
190
sysop
194
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Edit User Groups
1110
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
Edit User Groups
2026
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Edit User Groups
MediaWiki:Emailflag
191
sysop
195
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Disable e-mail from other users
1111
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
Disable e-mail from other users
2027
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Disable e-mail from other users
MediaWiki:Emailforlost
192
sysop
196
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Fields marked with a star (*) are optional. Storing an email address enables people to contact you through the website without you having to reveal your
email address to them, and it can be used to send you a new password if you forget it.<br /><br />Your real name, if you choose to provide it, will be used for giving you attribution for your work.
1112
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
Fields marked with a star (*) are optional. Storing an email address enables people to contact you through the website without you having to reveal your
email address to them, and it can be used to send you a new password if you forget it.<br /><br />Your real name, if you choose to provide it, will be used for giving you attribution for your work.
2028
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Fields marked with a star (*) are optional. Storing an email address enables people to contact you through the website without you having to reveal your
email address to them, and it can be used to send you a new password if you forget it.<br /><br />Your real name, if you choose to provide it, will be used for giving you attribution for your work.
2820
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Fields marked with superscripts are optional. Storing an email address enables people to contact you through the website without you having to reveal your
email address to them, and it can be used to send you a new password if you forget it.<br /><br />Your real name, if you choose to provide it, will be used for giving you attribution for your work.
3584
2005-12-02T02:19:02Z
MediaWiki default
<div style='width:30em'>* Optional. An e-mail lets others contact you on this site without revealing your address, and lets us send you a new password if you forget it.<br /><br />Your real name will be used to give you attribution for your work.</div>
3672
2005-12-22T07:14:39Z
MediaWiki default
<div style="width:30em">* Optional. An e-mail lets others contact you on this site without revealing your address, and lets us send you a new password if you forget it.<br /><br />Your real name will be used to give you attribution for your work.</div>
MediaWiki:Emailfrom
193
sysop
197
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
From
1113
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
From
2029
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
From
MediaWiki:Emailmessage
194
sysop
198
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Message
1114
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
Message
2030
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Message
MediaWiki:Emailpage
195
sysop
199
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
E-mail user
1115
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
E-mail user
2031
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
E-mail user
MediaWiki:Emailpagetext
196
sysop
200
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
If this user has entered a valid e-mail address in
his or her user preferences, the form below will send a single message.
The e-mail address you entered in your user preferences will appear
as the "From" address of the mail, so the recipient will be able
to reply.
1116
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
If this user has entered a valid e-mail address in
his or her user preferences, the form below will send a single message.
The e-mail address you entered in your user preferences will appear
as the "From" address of the mail, so the recipient will be able
to reply.
2032
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
If this user has entered a valid e-mail address in
his or her user preferences, the form below will send a single message.
The e-mail address you entered in your user preferences will appear
as the "From" address of the mail, so the recipient will be able
to reply.
MediaWiki:Emailsend
197
sysop
201
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Send
1117
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
Send
2033
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Send
MediaWiki:Emailsent
198
sysop
202
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
E-mail sent
1118
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
E-mail sent
2034
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
E-mail sent
MediaWiki:Emailsenttext
199
sysop
203
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your e-mail message has been sent.
1119
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
Your e-mail message has been sent.
2035
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Your e-mail message has been sent.
MediaWiki:Emailsubject
200
sysop
204
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Subject
1120
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
Subject
2036
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Subject
MediaWiki:Emailto
201
sysop
205
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
To
1121
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
To
2037
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
To
MediaWiki:Emailuser
202
sysop
206
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
E-mail this user
1122
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
E-mail this user
2038
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
E-mail this user
MediaWiki:Emptyfile
203
sysop
207
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The file you uploaded seems to be empty. This might be due to a typo in the file name. Please check whether you really want to upload this file.
1123
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
The file you uploaded seems to be empty. This might be due to a typo in the file name. Please check whether you really want to upload this file.
2039
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The file you uploaded seems to be empty. This might be due to a typo in the file name. Please check whether you really want to upload this file.
MediaWiki:Enterlockreason
204
sysop
208
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Enter a reason for the lock, including an estimate
of when the lock will be released
1124
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
Enter a reason for the lock, including an estimate
of when the lock will be released
2040
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Enter a reason for the lock, including an estimate
of when the lock will be released
MediaWiki:Error
205
sysop
209
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Error
1125
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
Error
2041
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Error
MediaWiki:Errorpagetitle
206
sysop
210
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Error
1126
2004-12-17T07:37:51Z
MediaWiki default
Error
2042
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Error
MediaWiki:Exbeforeblank
207
sysop
211
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
content before blanking was:
1127
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
content before blanking was:
2043
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
content before blanking was:
2828
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
content before blanking was: '$1'
MediaWiki:Exblank
208
sysop
212
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
page was empty
1128
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
page was empty
2044
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
page was empty
MediaWiki:Excontent
209
sysop
213
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
content was:
1129
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
content was:
2045
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
content was:
2829
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
content was: '$1'
MediaWiki:Explainconflict
210
sysop
214
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Someone else has changed this page since you
started editing it.
The upper text area contains the page text as it currently exists.
Your changes are shown in the lower text area.
You will have to merge your changes into the existing text.
<b>Only</b> the text in the upper text area will be saved when you
press "Save page".
<p>
1130
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
Someone else has changed this page since you
started editing it.
The upper text area contains the page text as it currently exists.
Your changes are shown in the lower text area.
You will have to merge your changes into the existing text.
<b>Only</b> the text in the upper text area will be saved when you
press "Save page".
<p>
2046
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Someone else has changed this page since you
started editing it.
The upper text area contains the page text as it currently exists.
Your changes are shown in the lower text area.
You will have to merge your changes into the existing text.
<b>Only</b> the text in the upper text area will be saved when you
press "Save page".
<p>
3065
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Someone else has changed this page since you
started editing it.
The upper text area contains the page text as it currently exists.
Your changes are shown in the lower text area.
You will have to merge your changes into the existing text.
<b>Only</b> the text in the upper text area will be saved when you
press "Save page".<br />
3673
2005-12-22T07:14:40Z
MediaWiki default
Someone else has changed this page since you started editing it.
The upper text area contains the page text as it currently exists.
Your changes are shown in the lower text area.
You will have to merge your changes into the existing text.
<b>Only</b> the text in the upper text area will be saved when you
press "Save page".<br />
MediaWiki:Export
211
sysop
215
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Export pages
1131
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
Export pages
2047
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Export pages
MediaWiki:Exportcuronly
212
sysop
216
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Include only the current revision, not the full history
1132
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
Include only the current revision, not the full history
2048
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Include only the current revision, not the full history
MediaWiki:Exporttext
213
sysop
217
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You can export the text and editing history of a particular page or
set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another
wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the
current version.
To export article pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and
select whether you want the current version as well as all old versions, with the page
history lines, or just the current version with the info about the last edit.
In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/Train]] for the
article [[Train]].
1133
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
You can export the text and editing history of a particular page or
set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another
wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the
current version.
To export article pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and
select whether you want the current version as well as all old versions, with the page
history lines, or just the current version with the info about the last edit.
In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/Train]] for the
article [[Train]].
2049
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You can export the text and editing history of a particular page or
set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another
wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the
current version.
To export article pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and
select whether you want the current version as well as all old versions, with the page
history lines, or just the current version with the info about the last edit.
In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/Train]] for the
article [[Train]].
3465
2005-11-09T22:26:00Z
MediaWiki default
You can export the text and editing history of a particular page or
set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another
wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the
current version.
To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and
select whether you want the current version as well as all old versions, with the page
history lines, or just the current version with the info about the last edit.
In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}.
3534
2005-11-29T00:53:39Z
MediaWiki default
You can export the text and editing history of a particular page or
set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another
wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the
current version.
To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and
select whether you want the current version as well as all old versions, with the page
history lines, or just the current version with the info about the last edit.
In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}.
3555
2005-11-29T21:05:30Z
MediaWiki default
You can export the text and editing history of a particular page or
set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another
wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the
current version.
To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and
select whether you want the current version as well as all old versions, with the page
history lines, or just the current version with the info about the last edit.
In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}.
3586
2005-12-02T02:19:02Z
MediaWiki default
You can export the text and editing history of a particular page or
set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another
wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the
current version.
To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and
select whether you want the current version as well as all old versions, with the page
history lines, or just the current version with the info about the last edit.
In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}.
3628
2005-12-02T03:56:04Z
MediaWiki default
You can export the text and editing history of a particular page or
set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another
wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the
current version.
To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and
select whether you want the current version as well as all old versions, with the page
history lines, or just the current version with the info about the last edit.
In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}.
3827
2006-03-28T05:59:02Z
MediaWiki default
You can export the text and editing history of a particular page or
set of pages wrapped in some XML. This can be imported into another wiki using MediaWiki
via the Special:Import page.
To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and
select whether you want the current version as well as all old versions, with the page
history lines, or just the current version with the info about the last edit.
In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}.
3902
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
You can export the text and editing history of a particular page or
set of pages wrapped in some XML. This can be imported into another wiki using MediaWiki
via the Special:Import page.
To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and
select whether you want the current version as well as all old versions, with the page
history lines, or just the current version with the info about the last edit.
In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{int:mainpage}}]] for the page {{int:mainpage}}.
MediaWiki:Extlink sample
214
sysop
218
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
http://www.example.com link title
1134
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
http://www.example.com link title
2050
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
http://www.example.com link title
MediaWiki:Extlink tip
215
sysop
219
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
External link (remember http:// prefix)
1135
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
External link (remember http:// prefix)
2051
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
External link (remember http:// prefix)
MediaWiki:Faq
216
sysop
220
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
FAQ
1136
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
FAQ
2052
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
FAQ
MediaWiki:Faqpage
217
sysop
221
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:FAQ
1137
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:FAQ
2053
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:FAQ
3765
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
Project:FAQ
MediaWiki:Feb
218
sysop
222
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
फरवरी
1138
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
फरवरी
2054
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
फरवरी
MediaWiki:February
219
sysop
223
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
फरवरी
1139
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
फरवरी
2055
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
फरवरी
MediaWiki:Feedlinks
220
sysop
224
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Feed:
1140
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
Feed:
2056
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Feed:
MediaWiki:Filecopyerror
221
sysop
225
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Could not copy file "$1" to "$2".
1141
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
Could not copy file "$1" to "$2".
2057
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Could not copy file "$1" to "$2".
MediaWiki:Filedeleteerror
222
sysop
226
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Could not delete file "$1".
1142
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
Could not delete file "$1".
2058
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Could not delete file "$1".
MediaWiki:Filedesc
223
sysop
227
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Summary
1143
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
Summary
2059
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Summary
MediaWiki:Fileexists
224
sysop
228
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
A file with this name exists already, please check $1 if you are not sure if you want to change it.
1144
2004-12-17T07:37:52Z
MediaWiki default
A file with this name exists already, please check $1 if you are not sure if you want to change it.
2060
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
A file with this name exists already, please check $1 if you are not sure if you want to change it.
MediaWiki:Filemissing
225
sysop
229
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
File missing
1145
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
File missing
2061
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
File missing
MediaWiki:Filename
226
sysop
230
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Filename
1146
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
Filename
2062
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Filename
MediaWiki:Filenotfound
227
sysop
231
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Could not find file "$1".
1147
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
Could not find file "$1".
2063
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Could not find file "$1".
MediaWiki:Filerenameerror
228
sysop
232
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Could not rename file "$1" to "$2".
1148
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
Could not rename file "$1" to "$2".
2064
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Could not rename file "$1" to "$2".
MediaWiki:Filesource
229
sysop
233
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Source
1149
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
Source
2065
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Source
MediaWiki:Filestatus
230
sysop
234
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Copyright status
1150
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
Copyright status
2066
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Copyright status
MediaWiki:Fileuploaded
231
sysop
235
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
File $1 uploaded successfully.
Please follow this link: $2 to the description page and fill
in information about the file, such as where it came from, when it was
created and by whom, and anything else you may know about it. If this is an image, you can insert it like this: <tt><nowiki>[[Image:$1|thumb|Description]]</nowiki></tt>
1151
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
File $1 uploaded successfully.
Please follow this link: $2 to the description page and fill
in information about the file, such as where it came from, when it was
created and by whom, and anything else you may know about it. If this is an image, you can insert it like this: <tt><nowiki>[[Image:$1|thumb|Description]]</nowiki></tt>
2067
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
File $1 uploaded successfully.
Please follow this link: $2 to the description page and fill
in information about the file, such as where it came from, when it was
created and by whom, and anything else you may know about it. If this is an image, you can insert it like this: <tt><nowiki>[[Image:$1|thumb|Description]]</nowiki></tt>
MediaWiki:Formerror
232
sysop
236
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Error: could not submit form
1152
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
Error: could not submit form
2068
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Error: could not submit form
MediaWiki:Friday
233
sysop
237
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
शुक्रवार
1153
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
शुक्रवार
2069
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
शुक्रवार
MediaWiki:Geo
234
sysop
238
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
GEO coordinates
1154
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
GEO coordinates
2070
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
GEO coordinates
MediaWiki:Getimagelist
235
sysop
239
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
fetching image list
1155
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
fetching image list
2071
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
fetching image list
3069
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
fetching file list
MediaWiki:Go
236
sysop
240
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Go
1156
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
Go
2072
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Go
3766
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
जायें
MediaWiki:Googlesearch
237
sysop
241
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<!-- SiteSearch Google -->
<FORM method=GET action="http://www.google.com/search">
<TABLE bgcolor="#FFFFFF"><tr><td>
<A HREF="http://www.google.com/">
<IMG SRC="http://www.google.com/logos/Logo_40wht.gif"
border="0" ALT="Google"></A>
</td>
<td>
<INPUT TYPE=text name=q size=31 maxlength=255 value="$1">
<INPUT type=submit name=btnG VALUE="Google Search">
<font size=-1>
<input type=hidden name=domains value="{{SERVER}}"><br /><input type=radio name=sitesearch value=""> WWW <input type=radio name=sitesearch value="{{SERVER}}" checked> {{SERVER}} <br />
<input type='hidden' name='ie' value='$2'>
<input type='hidden' name='oe' value='$2'>
</font>
</td></tr></TABLE>
</FORM>
<!-- SiteSearch Google -->
1157
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
<!-- SiteSearch Google -->
<FORM method=GET action="http://www.google.com/search">
<TABLE bgcolor="#FFFFFF"><tr><td>
<A HREF="http://www.google.com/">
<IMG SRC="http://www.google.com/logos/Logo_40wht.gif"
border="0" ALT="Google"></A>
</td>
<td>
<INPUT TYPE=text name=q size=31 maxlength=255 value="$1">
<INPUT type=submit name=btnG VALUE="Google Search">
<font size=-1>
<input type=hidden name=domains value="{{SERVER}}"><br /><input type=radio name=sitesearch value=""> WWW <input type=radio name=sitesearch value="{{SERVER}}" checked> {{SERVER}} <br />
<input type='hidden' name='ie' value='$2'>
<input type='hidden' name='oe' value='$2'>
</font>
</td></tr></TABLE>
</FORM>
<!-- SiteSearch Google -->
2073
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
<div style="margin-left: 2em">
<!-- Google search -->
<div style="width:130px;float:left;text-align:center;position:relative;top:-8px"><a href="http://www.google.com/" style="padding:0;background-image:none"><img src="http://www.google.com/logos/Logo_40wht.gif" alt="Google" style="border:none" /></a></div>
<form method="get" action="http://www.google.com/search" style="margin-left:135px">
<div>
<input type="hidden" name="domains" value="{{SERVER}}" />
<input type="hidden" name="num" value="50" />
<input type="hidden" name="ie" value="$2" />
<input type="hidden" name="oe" value="$2" />
<input type="text" name="q" size="31" maxlength="255" value="$1" />
<input type="submit" name="btnG" value="Google Search" />
</div>
<div style="font-size:90%">
<input type="radio" name="sitesearch" id="gwiki" value="{{SERVER}}" checked="checked" /><label for="gwiki">{{SITENAME}}</label>
<input type="radio" name="sitesearch" id="gWWW" value="" /><label for="gWWW">WWW</label>
</div>
</form>
</div>
3070
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
<form method="get" action="http://www.google.com/search" id="googlesearch">
<input type="hidden" name="domains" value="{{SERVER}}" />
<input type="hidden" name="num" value="50" />
<input type="hidden" name="ie" value="$2" />
<input type="hidden" name="oe" value="$2" />
<input type="text" name="q" size="31" maxlength="255" value="$1" />
<input type="submit" name="btnG" value="$3" />
<div>
<input type="radio" name="sitesearch" id="gwiki" value="{{SERVER}}" checked="checked" /><label for="gwiki">{{SITENAME}}</label>
<input type="radio" name="sitesearch" id="gWWW" value="" /><label for="gWWW">WWW</label>
</div>
</form>
3284
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
<form method="get" action="http://www.google.com/search" id="googlesearch">
<input type="hidden" name="domains" value="{{SERVER}}" />
<input type="hidden" name="num" value="50" />
<input type="hidden" name="ie" value="$2" />
<input type="hidden" name="oe" value="$2" />
<input type="text" name="q" size="31" maxlength="255" value="$1" />
<input type="submit" name="btnG" value="$3" />
<div>
<input type="radio" name="sitesearch" id="gwiki" value="{{SERVER}}" checked="checked" /><label for="gwiki">{{SITENAME}}</label>
<input type="radio" name="sitesearch" id="gWWW" value="" /><label for="gWWW">WWW</label>
</div>
</form>
MediaWiki:Guesstimezone
238
sysop
242
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Fill in from browser
1158
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
Fill in from browser
2074
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Fill in from browser
MediaWiki:Headline sample
239
sysop
243
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Headline text
1159
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
Headline text
2075
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Headline text
MediaWiki:Headline tip
240
sysop
244
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Level 2 headline
1160
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
Level 2 headline
2076
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Level 2 headline
MediaWiki:Help
241
sysop
245
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
सहायता
1161
2004-12-17T07:37:53Z
MediaWiki default
सहायता
2077
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
सहायता
4172
2006-10-25T18:15:18Z
MediaWiki default
26
सहायता
MediaWiki:Helppage
242
sysop
246
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:सहायता
1162
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:सहायता
2078
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
विकिपीडिया:सहायता
3767
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
{{ns:project}}:सहायता
MediaWiki:Hide
243
sysop
247
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
hide
1163
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
hide
2079
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
hide
3286
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Hide
MediaWiki:Hidetoc
244
sysop
248
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
hide
1164
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
hide
2080
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
hide
MediaWiki:Hist
245
sysop
249
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
hist
1165
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
hist
2081
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
hist
MediaWiki:Histlegend
246
sysop
250
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Diff selection: mark the radio boxes of the versions to compare and hit enter or the button at the bottom.<br />
Legend: (cur) = difference with current version,
(last) = difference with preceding version, M = minor edit.
1166
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Diff selection: mark the radio boxes of the versions to compare and hit enter or the button at the bottom.<br />
Legend: (cur) = difference with current version,
(last) = difference with preceding version, M = minor edit.
2082
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Diff selection: mark the radio boxes of the versions to compare and hit enter or the button at the bottom.<br />
Legend: (cur) = difference with current version,
(last) = difference with preceding version, M = minor edit.
MediaWiki:History
247
sysop
251
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Older versions
1167
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Older versions
2083
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Older versions
3768
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
Page history
MediaWiki:History copyright
248
sysop
252
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
-
1168
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
-
2084
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
-
MediaWiki:History short
249
sysop
253
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
History
1169
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
History
2085
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
History
MediaWiki:Historywarning
250
sysop
254
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Warning: The page you are about to delete has a history:
1170
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Warning: The page you are about to delete has a history:
2086
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Warning: The page you are about to delete has a history:
3769
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
Warning: The page you are about to delete has a history:
MediaWiki:Hr tip
251
sysop
255
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Horizontal line (use sparingly)
1171
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Horizontal line (use sparingly)
2087
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Horizontal line (use sparingly)
MediaWiki:Ignorewarning
252
sysop
256
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Ignore warning and save file anyway.
1172
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Ignore warning and save file anyway.
2088
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Ignore warning and save file anyway.
MediaWiki:Illegalfilename
253
sysop
257
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The filename "$1" contains characters that are not allowed in page titles. Please rename the file and try uploading it again.
1173
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
The filename "$1" contains characters that are not allowed in page titles. Please rename the file and try uploading it again.
2089
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The filename "$1" contains characters that are not allowed in page titles. Please rename the file and try uploading it again.
MediaWiki:Ilshowmatch
254
sysop
258
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show all images with names matching
1174
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Show all images with names matching
2090
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Show all images with names matching
MediaWiki:Ilsubmit
255
sysop
259
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Search
1175
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Search
2091
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Search
MediaWiki:Image sample
256
sysop
260
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Example.jpg
1176
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Example.jpg
2092
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Example.jpg
MediaWiki:Image tip
257
sysop
261
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Embedded image
1177
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Embedded image
2093
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Embedded image
MediaWiki:Imagelinks
258
sysop
262
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Image links
1178
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Image links
2094
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Image links
3094
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Links
MediaWiki:Imagelist
259
sysop
263
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Image list
1179
2004-12-17T07:37:54Z
MediaWiki default
Image list
2095
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Image list
3095
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
File list
MediaWiki:Imagelisttext
260
sysop
264
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Below is a list of $1 images sorted $2.
1180
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Below is a list of $1 images sorted $2.
2096
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Below is a list of $1 images sorted $2.
3097
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Below is a list of $1 files sorted $2.
3923
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Below is a list of '''$1''' {{plural:$1|file|files}} sorted $2.
MediaWiki:Imagemaxsize
261
sysop
265
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Limit images on image description pages to:
1181
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Limit images on image description pages to:
2097
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Limit images on image description pages to:
3770
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
Limit images on image description pages to:
MediaWiki:Imagepage
262
sysop
266
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
चित्र पृष्ठ देखें
1182
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
चित्र पृष्ठ देखें
2098
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
चित्र पृष्ठ देखें
MediaWiki:Imagereverted
263
sysop
267
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Revert to earlier version was successful.
1183
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Revert to earlier version was successful.
2099
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Revert to earlier version was successful.
MediaWiki:Imgdelete
264
sysop
268
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
del
1184
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
del
2100
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
del
MediaWiki:Imgdesc
265
sysop
269
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
desc
1185
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
desc
2101
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
desc
MediaWiki:Imghistlegend
266
sysop
270
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Legend: (cur) = this is the current image, (del) = delete
this old version, (rev) = revert to this old version.
<br /><i>Click on date to see image uploaded on that date</i>.
1186
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Legend: (cur) = this is the current image, (del) = delete
this old version, (rev) = revert to this old version.
<br /><i>Click on date to see image uploaded on that date</i>.
2102
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Legend: (cur) = this is the current image, (del) = delete
this old version, (rev) = revert to this old version.
<br /><i>Click on date to see image uploaded on that date</i>.
3098
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Legend: (cur) = this is the current file, (del) = delete
this old version, (rev) = revert to this old version.
<br /><i>Click on date to see the file uploaded on that date</i>.
MediaWiki:Imghistory
267
sysop
271
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Image history
1187
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Image history
2103
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Image history
3099
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
History
3289
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
File history
MediaWiki:Imglegend
268
sysop
272
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Legend: (desc) = show/edit image description.
1188
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Legend: (desc) = show/edit image description.
2104
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Legend: (desc) = show/edit image description.
3290
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Legend: (desc) = show/edit file description.
MediaWiki:Import
269
sysop
273
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Import pages
1189
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Import pages
2105
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Import pages
MediaWiki:Importfailed
270
sysop
274
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Import failed: $1
1190
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Import failed: $1
2106
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Import failed: $1
MediaWiki:Importhistoryconflict
271
sysop
275
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Conflicting history revision exists (may have imported this page before)
1191
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Conflicting history revision exists (may have imported this page before)
2107
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Conflicting history revision exists (may have imported this page before)
MediaWiki:Importnotext
272
sysop
276
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Empty or no text
1192
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Empty or no text
2108
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Empty or no text
MediaWiki:Importsuccess
273
sysop
277
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Import succeeded!
1193
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Import succeeded!
2109
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Import succeeded!
MediaWiki:Importtext
274
sysop
278
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Please export the file from the source wiki using the Special:Export utility, save it to your disk and upload it here.
1194
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Please export the file from the source wiki using the Special:Export utility, save it to your disk and upload it here.
2110
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Please export the file from the source wiki using the Special:Export utility, save it to your disk and upload it here.
MediaWiki:Info short
275
sysop
279
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Information
1195
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Information
2111
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Information
MediaWiki:Infobox
276
sysop
280
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Click a button to get an example text
1196
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Click a button to get an example text
2112
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Click a button to get an example text
MediaWiki:Infobox alert
277
sysop
281
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Please enter the text you want to be formatted.\n It will be shown in the infobox for copy and pasting.\nExample:\n$1\nwill become:\n$2
1197
2004-12-17T07:37:55Z
MediaWiki default
Please enter the text you want to be formatted.\n It will be shown in the infobox for copy and pasting.\nExample:\n$1\nwill become:\n$2
2113
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Please enter the text you want to be formatted.\n It will be shown in the infobox for copy and pasting.\nExample:\n$1\nwill become:\n$2
MediaWiki:Infosubtitle
278
sysop
282
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Information for page
1198
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Information for page
2114
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Information for page
MediaWiki:Internalerror
279
sysop
283
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Internal error
1199
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Internal error
2115
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Internal error
MediaWiki:Intl
280
sysop
284
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Interlanguage links
1200
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Interlanguage links
2116
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Interlanguage links
MediaWiki:Ip range invalid
281
sysop
285
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Invalid IP range.
1201
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Invalid IP range.
2117
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Invalid IP range.
3674
2005-12-22T07:14:40Z
MediaWiki default
Invalid IP range.
MediaWiki:Ipaddress
282
sysop
286
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
IP Address/username
1202
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
IP Address/username
2118
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
IP Address/username
3105
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
IP Address
MediaWiki:Ipb expiry invalid
283
sysop
287
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Expiry time invalid.
1203
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Expiry time invalid.
2119
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Expiry time invalid.
MediaWiki:Ipbexpiry
284
sysop
288
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Expiry
1204
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Expiry
2120
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Expiry
MediaWiki:Ipblocklist
285
sysop
289
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
List of blocked IP addresses and usernames
1205
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
List of blocked IP addresses and usernames
2121
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
List of blocked IP addresses and usernames
MediaWiki:Ipbreason
286
sysop
290
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Reason
1206
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Reason
2122
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Reason
MediaWiki:Ipbsubmit
287
sysop
291
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Block this user
1207
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Block this user
2123
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Block this user
MediaWiki:Ipusubmit
288
sysop
292
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Unblock this address
1208
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Unblock this address
2124
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Unblock this address
MediaWiki:Ipusuccess
289
sysop
293
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
"$1" unblocked
1209
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
"$1" unblocked
2125
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
"$1" unblocked
3107
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
"[[$1]]" unblocked
MediaWiki:Isbn
290
sysop
294
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
ISBN
1210
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
ISBN
2126
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
ISBN
MediaWiki:Isredirect
291
sysop
295
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
redirect page
1211
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
redirect page
2127
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
redirect page
MediaWiki:Italic sample
292
sysop
296
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Italic text
1212
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Italic text
2128
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Italic text
MediaWiki:Italic tip
293
sysop
297
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Italic text
1213
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Italic text
2129
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Italic text
MediaWiki:Iteminvalidname
294
sysop
298
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Problem with item '$1', invalid name...
1214
2004-12-17T07:37:56Z
MediaWiki default
Problem with item '$1', invalid name...
2130
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Problem with item '$1', invalid name...
MediaWiki:Jan
295
sysop
299
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
जनवरी
1215
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
जनवरी
2131
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
जनवरी
MediaWiki:January
296
sysop
300
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
जनवरी
1216
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
जनवरी
2132
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
जनवरी
MediaWiki:Jul
297
sysop
301
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
जुलाई
1217
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
जुलाई
2133
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
जुलाई
MediaWiki:July
298
sysop
302
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
जुलाई
1218
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
जुलाई
2134
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
जुलाई
MediaWiki:Jun
299
sysop
303
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
जून
1219
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
जून
2135
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
जून
MediaWiki:June
300
sysop
304
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
जून
1220
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
जून
2136
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
जून
MediaWiki:Largefile
301
sysop
305
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
It is recommended that images not exceed 100k in size.
1221
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
It is recommended that images not exceed 100k in size.
2137
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
It is recommended that images not exceed 100k in size.
3108
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
It is recommended that images not exceed $1 bytes in size, this file is $2 bytes
3939
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
It is recommended that files do not exceed $1 bytes in size; this file is $2 bytes
MediaWiki:Last
302
sysop
306
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
last
1222
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
last
2138
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
last
MediaWiki:Lastmodified
303
sysop
307
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
अन्तिम परिवर्तन $1.
1223
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
अन्तिम परिवर्तन $1.
2139
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
अन्तिम परिवर्तन $1.
MediaWiki:Lastmodifiedby
304
sysop
308
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This page was last modified $1 by $2.
1224
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
This page was last modified $1 by $2.
2140
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
This page was last modified $1 by $2.
MediaWiki:Lineno
305
sysop
309
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Line $1:
1225
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
Line $1:
2141
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Line $1:
MediaWiki:Link sample
306
sysop
310
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Link title
1226
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
Link title
2142
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Link title
MediaWiki:Link tip
307
sysop
311
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Internal link
1227
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
Internal link
2143
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Internal link
MediaWiki:Linklistsub
308
sysop
312
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(List of links)
1228
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
(List of links)
2144
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
(List of links)
MediaWiki:Linkshere
309
sysop
313
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The following pages link to here:
1229
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
The following pages link to here:
2145
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The following pages link to here:
4103
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
The following pages link to '''[[:$1]]''':
MediaWiki:Linkstoimage
310
sysop
314
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The following pages link to this image:
1230
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
The following pages link to this image:
2146
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The following pages link to this image:
3109
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
The following pages link to this file:
MediaWiki:Linktrail
311
sysop
315
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
/^([a-z]+)(.*)$/sD
1231
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
/^([a-z]+)(.*)$/sD
2147
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
/^([a-z]+)(.*)$/sD
MediaWiki:Listadmins
312
sysop
316
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Admins list
1232
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
Admins list
2148
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Admins list
MediaWiki:Listform
313
sysop
317
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
list
1233
2004-12-17T07:37:57Z
MediaWiki default
list
2149
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
list
MediaWiki:Listingcontinuesabbrev
314
sysop
318
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
cont.
1234
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
cont.
2150
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
cont.
MediaWiki:Listusers
315
sysop
319
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
User list
1235
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
User list
2151
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
User list
MediaWiki:Loadhist
316
sysop
320
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Loading page history
1236
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
Loading page history
2152
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Loading page history
MediaWiki:Loadingrev
317
sysop
321
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
loading revision for diff
1237
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
loading revision for diff
2153
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
loading revision for diff
MediaWiki:Localtime
318
sysop
322
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Local time display
1238
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
Local time display
2154
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Local time display
3110
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Local time
MediaWiki:Lockbtn
319
sysop
323
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Lock database
1239
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
Lock database
2155
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Lock database
MediaWiki:Lockconfirm
320
sysop
324
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Yes, I really want to lock the database.
1240
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
Yes, I really want to lock the database.
2156
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Yes, I really want to lock the database.
MediaWiki:Lockdb
321
sysop
325
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Lock database
1241
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
Lock database
2157
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Lock database
MediaWiki:Lockdbsuccesssub
322
sysop
326
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Database lock succeeded
1242
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
Database lock succeeded
2158
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Database lock succeeded
MediaWiki:Lockdbsuccesstext
323
sysop
327
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The database has been locked.
<br />Remember to remove the lock after your maintenance is complete.
1243
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
The database has been locked.
<br />Remember to remove the lock after your maintenance is complete.
2159
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The database has been locked.
<br />Remember to remove the lock after your maintenance is complete.
4105
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
The database has been locked.
<br />Remember to [[Special:Unlockdb|remove the lock]] after your maintenance is complete.
MediaWiki:Lockdbtext
324
sysop
328
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Locking the database will suspend the ability of all
users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and
other things requiring changes in the database.
Please confirm that this is what you intend to do, and that you will
unlock the database when your maintenance is done.
1244
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
Locking the database will suspend the ability of all
users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and
other things requiring changes in the database.
Please confirm that this is what you intend to do, and that you will
unlock the database when your maintenance is done.
2160
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Locking the database will suspend the ability of all
users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and
other things requiring changes in the database.
Please confirm that this is what you intend to do, and that you will
unlock the database when your maintenance is done.
MediaWiki:Locknoconfirm
325
sysop
329
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You did not check the confirmation box.
1245
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
You did not check the confirmation box.
2161
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You did not check the confirmation box.
MediaWiki:Log
326
sysop
330
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Logs
1246
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
Logs
2162
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Logs
MediaWiki:Login
327
sysop
331
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Log in
1247
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
Log in
2163
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Log in
MediaWiki:Loginend
328
sysop
332
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
1248
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
2164
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
3590
2005-12-02T02:19:03Z
MediaWiki default
MediaWiki:Loginerror
329
sysop
333
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Login error
1249
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
Login error
2165
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Login error
MediaWiki:Loginpagetitle
330
sysop
334
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
User login
1250
2004-12-17T07:37:58Z
MediaWiki default
User login
2166
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
User login
MediaWiki:Loginproblem
331
sysop
335
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<b>There has been a problem with your login.</b><br />Try again!
1251
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
<b>There has been a problem with your login.</b><br />Try again!
2167
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
<b>There has been a problem with your login.</b><br />Try again!
MediaWiki:Loginprompt
332
sysop
336
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You must have cookies enabled to log in to {{SITENAME}}.
1252
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
You must have cookies enabled to log in to {{SITENAME}}.
2168
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You must have cookies enabled to log in to {{SITENAME}}.
MediaWiki:Loginreqtext
333
sysop
337
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You must [[special:Userlogin|login]] to view other pages.
1253
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
You must [[special:Userlogin|login]] to view other pages.
2169
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You must [[special:Userlogin|login]] to view other pages.
MediaWiki:Loginreqtitle
334
sysop
338
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Login Required
1254
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
Login Required
2170
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Login Required
MediaWiki:Loginsuccess
335
sysop
339
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You are now logged in to {{SITENAME}} as "$1".
1255
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
You are now logged in to {{SITENAME}} as "$1".
2171
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You are now logged in to {{SITENAME}} as "$1".
3591
2005-12-02T02:19:03Z
MediaWiki default
'''You are now logged in to {{SITENAME}} as "$1".'''
MediaWiki:Loginsuccesstitle
336
sysop
340
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Login successful
1256
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
Login successful
2172
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Login successful
MediaWiki:Logout
337
sysop
341
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Log out
1257
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
Log out
2173
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Log out
MediaWiki:Logouttext
338
sysop
342
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You are now logged out.
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache
1258
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
You are now logged out.
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache
2174
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You are now logged out.
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache
3111
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
You are now logged out.<br />
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache.
3295
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
You are now logged out.<br />
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache.
3361
2005-08-19T23:15:19Z
MediaWiki default
You are now logged out.<br />
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache.
3401
2005-09-05T09:24:36Z
MediaWiki default
You are now logged out.<br />
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache.
3473
2005-11-09T22:26:00Z
MediaWiki default
You are now logged out.<br />
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache.
3535
2005-11-29T00:53:39Z
MediaWiki default
You are now logged out.<br />
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache.
3556
2005-11-29T21:05:30Z
MediaWiki default
You are now logged out.<br />
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache.
3592
2005-12-02T02:19:03Z
MediaWiki default
<strong>You are now logged out.</strong><br />
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache.
3629
2005-12-02T03:56:04Z
MediaWiki default
<strong>You are now logged out.</strong><br />
You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in
again as the same or as a different user. Note that some pages may
continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear
your browser cache.
MediaWiki:Logouttitle
339
sysop
343
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
User logout
1259
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
User logout
2175
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
User logout
MediaWiki:Lonelypages
340
sysop
344
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Orphaned pages
1260
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
Orphaned pages
2176
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Orphaned pages
MediaWiki:Longpages
341
sysop
345
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Long pages
1261
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
Long pages
2177
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Long pages
MediaWiki:Longpagewarning
342
sysop
346
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
WARNING: This page is $1 kilobytes long; some
browsers may have problems editing pages approaching or longer than 32kb.
Please consider breaking the page into smaller sections.
1262
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
WARNING: This page is $1 kilobytes long; some
browsers may have problems editing pages approaching or longer than 32kb.
Please consider breaking the page into smaller sections.
2178
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
WARNING: This page is $1 kilobytes long; some
browsers may have problems editing pages approaching or longer than 32kb.
Please consider breaking the page into smaller sections.
3112
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: This page is $1 kilobytes long; some
browsers may have problems editing pages approaching or longer than 32kb.
Please consider breaking the page into smaller sections.</strong>
MediaWiki:Mailerror
343
sysop
347
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Error sending mail: $1
1263
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
Error sending mail: $1
2179
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Error sending mail: $1
MediaWiki:Mailmypassword
344
sysop
348
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Mail me a new password
1264
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
Mail me a new password
2180
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Mail me a new password
3593
2005-12-02T02:19:03Z
MediaWiki default
E-mail password
MediaWiki:Mailnologin
345
sysop
349
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
No send address
1265
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
No send address
2181
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
No send address
MediaWiki:Mailnologintext
346
sysop
350
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin">logged in</a>
and have a valid e-mail address in your <a href="{{localurl:Special:Preferences}}">preferences</a>
to send e-mail to other users.
1266
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin">logged in</a>
and have a valid e-mail address in your <a href="{{localurl:Special:Preferences}}">preferences</a>
to send e-mail to other users.
2182
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin">logged in</a>
and have a valid e-mail address in your <a href="{{localurl:Special:Preferences}}">preferences</a>
to send e-mail to other users.
3113
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
You must be [[Special:Userlogin|logged in]]
and have a valid e-mail address in your [[Special:Preferences|preferences]]
to send e-mail to other users.
MediaWiki:Mainpage
347
sysop
351
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
मुख्य पृष्ठ
1267
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
मुख्य पृष्ठ
2183
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
मुख्य पृष्ठ
MediaWiki:Mainpagedocfooter
348
sysop
352
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Please see [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_i18n documentation on customizing the interface]
and the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for usage and configuration help.
1268
2004-12-17T07:37:59Z
MediaWiki default
Please see [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_i18n documentation on customizing the interface]
and the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for usage and configuration help.
2184
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Please see [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_i18n documentation on customizing the interface]
and the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for usage and configuration help.
3402
2005-09-05T09:24:36Z
MediaWiki default
Please see [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_i18n documentation on customizing the interface] and the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for usage and configuration help.
3773
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
Consult the [http://www.mediawiki.org/wiki/Help:Configuration_settings configuration settings list] and the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for information on customising and using the wiki software.
3829
2006-03-28T05:59:03Z
MediaWiki default
Consult the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for information on using the wiki software.
== Getting started ==
* [http://www.mediawiki.org/wiki/Help:Configuration_settings Configuration settings list]
* [http://www.mediawiki.org/wiki/Help:FAQ MediaWiki FAQ]
* [http://mail.wikipedia.org/mailman/listinfo/mediawiki-announce MediaWiki release mailing list]
3944
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Consult the [http://meta.wikimedia.org/wiki/Help:Contents User's Guide] for information on using the wiki software.
== Getting started ==
* [http://www.mediawiki.org/wiki/Help:Configuration_settings Configuration settings list]
* [http://www.mediawiki.org/wiki/Help:FAQ MediaWiki FAQ]
* [http://mail.wikimedia.org/mailman/listinfo/mediawiki-announce MediaWiki release mailing list]
MediaWiki:Mainpagetext
349
sysop
353
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Wiki software successfully installed.
1269
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
Wiki software successfully installed.
2185
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Wiki software successfully installed.
3774
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
'''MediaWiki has been successfully installed.'''
3830
2006-03-28T05:59:03Z
MediaWiki default
<big>'''MediaWiki has been successfully installed.'''</big>
MediaWiki:Maintenance
350
sysop
354
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Maintenance page
1270
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
Maintenance page
2186
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Maintenance page
MediaWiki:Maintenancebacklink
351
sysop
355
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Back to Maintenance Page
1271
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
Back to Maintenance Page
2187
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Back to Maintenance Page
MediaWiki:Maintnancepagetext
352
sysop
356
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This page includes several handy tools for everyday maintenance. Some of these functions tend to stress the database, so please do not hit reload after every item you fixed ;-)
1272
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
This page includes several handy tools for everyday maintenance. Some of these functions tend to stress the database, so please do not hit reload after every item you fixed ;-)
2188
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
This page includes several handy tools for everyday maintenance. Some of these functions tend to stress the database, so please do not hit reload after every item you fixed ;-)
MediaWiki:Makesysop
353
sysop
357
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Make a user into a sysop
1273
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
Make a user into a sysop
2189
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Make a user into a sysop
MediaWiki:Makesysopfail
354
sysop
358
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<b>User "$1" could not be made into a sysop. (Did you enter the name correctly?)</b>
1274
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
<b>User "$1" could not be made into a sysop. (Did you enter the name correctly?)</b>
2190
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
<b>User "$1" could not be made into a sysop. (Did you enter the name correctly?)</b>
MediaWiki:Makesysopname
355
sysop
359
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Name of the user:
1275
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
Name of the user:
2191
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Name of the user:
MediaWiki:Makesysopok
356
sysop
360
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<b>User "$1" is now a sysop</b>
1276
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
<b>User "$1" is now a sysop</b>
2192
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
<b>User "$1" is now a sysop</b>
MediaWiki:Makesysopsubmit
357
sysop
361
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Make this user into a sysop
1277
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
Make this user into a sysop
2193
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Make this user into a sysop
MediaWiki:Makesysoptext
358
sysop
362
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This form is used by bureaucrats to turn ordinary users into administrators.
Type the name of the user in the box and press the button to make the user an administrator
1278
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
This form is used by bureaucrats to turn ordinary users into administrators.
Type the name of the user in the box and press the button to make the user an administrator
2194
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
This form is used by bureaucrats to turn ordinary users into administrators.
Type the name of the user in the box and press the button to make the user an administrator
MediaWiki:Makesysoptitle
359
sysop
363
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Make a user into a sysop
1279
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
Make a user into a sysop
2195
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Make a user into a sysop
MediaWiki:Mar
360
sysop
364
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
मार्च
1280
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
मार्च
2196
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
मार्च
MediaWiki:March
361
sysop
365
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
मार्च
1281
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
मार्च
2197
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
मार्च
MediaWiki:Markaspatrolleddiff
362
sysop
366
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Mark as patrolled
1282
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
Mark as patrolled
2198
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Mark as patrolled
MediaWiki:Markaspatrolledlink
363
sysop
367
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<div class='patrollink'>[$1]</div>
1283
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
<div class='patrollink'>[$1]</div>
2199
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
<div class='patrollink'>[$1]</div>
3114
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
[$1]
MediaWiki:Markaspatrolledtext
364
sysop
368
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Mark this article as patrolled
1284
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
Mark this article as patrolled
2200
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Mark this article as patrolled
MediaWiki:Markedaspatrolled
365
sysop
369
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Marked as patrolled
1285
2004-12-17T07:38:00Z
MediaWiki default
Marked as patrolled
2201
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Marked as patrolled
MediaWiki:Markedaspatrolledtext
366
sysop
370
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The selected revision has been marked as patrolled.
1286
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
The selected revision has been marked as patrolled.
2202
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The selected revision has been marked as patrolled.
MediaWiki:Matchtotals
367
sysop
371
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The query "$1" matched $2 page titles
and the text of $3 pages.
1287
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
The query "$1" matched $2 page titles
and the text of $3 pages.
2203
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The query "$1" matched $2 page titles
and the text of $3 pages.
MediaWiki:Math
368
sysop
372
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Rendering math
1288
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
Rendering math
2204
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Rendering math
3115
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Math
MediaWiki:Math bad output
369
sysop
373
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Can't write to or create math output directory
1289
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
Can't write to or create math output directory
2205
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Can't write to or create math output directory
MediaWiki:Math bad tmpdir
370
sysop
374
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Can't write to or create math temp directory
1290
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
Can't write to or create math temp directory
2206
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Can't write to or create math temp directory
MediaWiki:Math failure
371
sysop
375
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Failed to parse
1291
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
Failed to parse
2207
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Failed to parse
MediaWiki:Math image error
372
sysop
376
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
PNG conversion failed; check for correct installation of latex, dvips, gs, and convert
1292
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
PNG conversion failed; check for correct installation of latex, dvips, gs, and convert
2208
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
PNG conversion failed; check for correct installation of latex, dvips, gs, and convert
MediaWiki:Math lexing error
373
sysop
377
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
lexing error
1293
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
lexing error
2209
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
lexing error
MediaWiki:Math notexvc
374
sysop
378
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Missing texvc executable; please see math/README to configure.
1294
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
Missing texvc executable; please see math/README to configure.
2210
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Missing texvc executable; please see math/README to configure.
MediaWiki:Math sample
375
sysop
379
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Insert formula here
1295
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
Insert formula here
2211
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Insert formula here
MediaWiki:Math syntax error
376
sysop
380
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
syntax error
1296
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
syntax error
2212
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
syntax error
MediaWiki:Math tip
377
sysop
381
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Mathematical formula (LaTeX)
1297
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
Mathematical formula (LaTeX)
2213
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Mathematical formula (LaTeX)
MediaWiki:Math unknown error
378
sysop
382
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
unknown error
1298
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
unknown error
2214
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
unknown error
MediaWiki:Math unknown function
379
sysop
383
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
unknown function
1299
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
unknown function
2215
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
unknown function
3777
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
unknown function
MediaWiki:May
380
sysop
384
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
मई
1300
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
मई
2216
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
मई
MediaWiki:May long
381
sysop
385
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
मई
1301
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
मई
2217
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
मई
MediaWiki:Media sample
382
sysop
386
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Example.mp3
1302
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
Example.mp3
2218
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Example.mp3
3116
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Example.ogg
MediaWiki:Media tip
383
sysop
387
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Media file link
1303
2004-12-17T07:38:01Z
MediaWiki default
Media file link
2219
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Media file link
MediaWiki:Minlength
384
sysop
388
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Image names must be at least three letters.
1304
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
Image names must be at least three letters.
2220
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Image names must be at least three letters.
3296
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
File names must be at least three letters.
MediaWiki:Minoredit
385
sysop
389
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This is a minor edit
1305
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
This is a minor edit
2221
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
This is a minor edit
3120
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
This is a minor edit.
3297
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
This is a minor edit
MediaWiki:Minoreditletter
386
sysop
390
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
m
1306
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
m
2222
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
m
MediaWiki:Mispeelings
387
sysop
391
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Pages with misspellings
1307
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
Pages with misspellings
2223
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Pages with misspellings
MediaWiki:Mispeelingspage
388
sysop
392
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
List of common misspellings
1308
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
List of common misspellings
2224
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
List of common misspellings
MediaWiki:Mispeelingstext
389
sysop
393
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The following pages contain a common misspelling, which are listed on $1. The correct spelling might be given (like this).
1309
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
The following pages contain a common misspelling, which are listed on $1. The correct spelling might be given (like this).
2225
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The following pages contain a common misspelling, which are listed on $1. The correct spelling might be given (like this).
MediaWiki:Missingarticle
390
sysop
394
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The database did not find the text of a page
that it should have found, named "$1".
<p>This is usually caused by following an outdated diff or history link to a
page that has been deleted.
<p>If this is not the case, you may have found a bug in the software.
Please report this to an administrator, making note of the URL.
1310
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
The database did not find the text of a page
that it should have found, named "$1".
<p>This is usually caused by following an outdated diff or history link to a
page that has been deleted.
<p>If this is not the case, you may have found a bug in the software.
Please report this to an administrator, making note of the URL.
2226
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The database did not find the text of a page
that it should have found, named "$1".
<p>This is usually caused by following an outdated diff or history link to a
page that has been deleted.
<p>If this is not the case, you may have found a bug in the software.
Please report this to an administrator, making note of the URL.
3298
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
The database did not find the text of a page
that it should have found, named "$1".
This is usually caused by following an outdated diff or history link to a
page that has been deleted.
If this is not the case, you may have found a bug in the software.
Please report this to an administrator, making note of the URL.
3403
2005-09-05T09:24:36Z
MediaWiki default
The database did not find the text of a page that it should have found, named "$1".
This is usually caused by following an outdated diff or history link to a
page that has been deleted.
If this is not the case, you may have found a bug in the software.
Please report this to an administrator, making note of the URL.
MediaWiki:Missingimage
391
sysop
395
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<b>Missing image</b><br /><i>$1</i>
1311
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
<b>Missing image</b><br /><i>$1</i>
2227
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
<b>Missing image</b><br /><i>$1</i>
3677
2005-12-22T07:14:41Z
MediaWiki default
<b>Missing image</b><br /><i>$1</i>
MediaWiki:Missinglanguagelinks
392
sysop
396
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Missing Language Links
1312
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
Missing Language Links
2228
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Missing Language Links
MediaWiki:Missinglanguagelinksbutton
393
sysop
397
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Find missing language links for
1313
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
Find missing language links for
2229
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Find missing language links for
MediaWiki:Missinglanguagelinkstext
394
sysop
398
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
These pages do <i>not</i> link to their counterpart in $1. Redirects and subpages are <i>not</i> shown.
1314
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
These pages do <i>not</i> link to their counterpart in $1. Redirects and subpages are <i>not</i> shown.
2230
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
These pages do <i>not</i> link to their counterpart in $1. Redirects and subpages are <i>not</i> shown.
MediaWiki:Monday
395
sysop
399
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
सोमवार
1315
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
सोमवार
2231
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
सोमवार
MediaWiki:Moredotdotdot
396
sysop
400
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
More...
1316
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
More...
2232
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
More...
MediaWiki:Move
397
sysop
401
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Move
1317
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
Move
2233
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Move
MediaWiki:Movearticle
398
sysop
402
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Move page
1318
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
Move page
2234
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Move page
MediaWiki:Movedto
399
sysop
403
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
moved to
1319
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
moved to
2235
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
moved to
MediaWiki:Movenologin
400
sysop
404
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Not logged in
1320
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
Not logged in
2236
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Not logged in
MediaWiki:Movenologintext
401
sysop
405
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You must be a registered user and <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to move a page.
1321
2004-12-17T07:38:02Z
MediaWiki default
You must be a registered user and <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to move a page.
2237
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You must be a registered user and <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to move a page.
3123
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
You must be a registered user and [[Special:Userlogin|logged in]]
to move a page.
MediaWiki:Movepage
402
sysop
406
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Move page
1322
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
Move page
2238
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Move page
MediaWiki:Movepagebtn
403
sysop
407
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Move page
1323
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
Move page
2239
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Move page
MediaWiki:Movepagetalktext
404
sysop
408
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The associated talk page, if any, will be automatically moved along with it '''unless:'''
*You are moving the page across namespaces,
*A non-empty talk page already exists under the new name, or
*You uncheck the box below.
In those cases, you will have to move or merge the page manually if desired.
1324
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
The associated talk page, if any, will be automatically moved along with it '''unless:'''
*You are moving the page across namespaces,
*A non-empty talk page already exists under the new name, or
*You uncheck the box below.
In those cases, you will have to move or merge the page manually if desired.
2240
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The associated talk page, if any, will be automatically moved along with it '''unless:'''
*You are moving the page across namespaces,
*A non-empty talk page already exists under the new name, or
*You uncheck the box below.
In those cases, you will have to move or merge the page manually if desired.
3947
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
The associated talk page will be automatically moved along with it '''unless:'''
*A non-empty talk page already exists under the new name, or
*You uncheck the box below.
In those cases, you will have to move or merge the page manually if desired.
MediaWiki:Movepagetext
405
sysop
409
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Using the form below will rename a page, moving all
of its history to the new name.
The old title will become a redirect page to the new title.
Links to the old page title will not be changed; be sure to
[[Special:Maintenance|check]] for double or broken redirects.
You are responsible for making sure that links continue to
point where they are supposed to go.
Note that the page will '''not''' be moved if there is already
a page at the new title, unless it is empty or a redirect and has no
past edit history. This means that you can rename a page back to where
it was just renamed from if you make a mistake, and you cannot overwrite
an existing page.
<b>WARNING!</b>
This can be a drastic and unexpected change for a popular page;
please be sure you understand the consequences of this before
proceeding.
1325
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
Using the form below will rename a page, moving all
of its history to the new name.
The old title will become a redirect page to the new title.
Links to the old page title will not be changed; be sure to
[[Special:Maintenance|check]] for double or broken redirects.
You are responsible for making sure that links continue to
point where they are supposed to go.
Note that the page will '''not''' be moved if there is already
a page at the new title, unless it is empty or a redirect and has no
past edit history. This means that you can rename a page back to where
it was just renamed from if you make a mistake, and you cannot overwrite
an existing page.
<b>WARNING!</b>
This can be a drastic and unexpected change for a popular page;
please be sure you understand the consequences of this before
proceeding.
2241
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Using the form below will rename a page, moving all
of its history to the new name.
The old title will become a redirect page to the new title.
Links to the old page title will not be changed; be sure to
[[Special:Maintenance|check]] for double or broken redirects.
You are responsible for making sure that links continue to
point where they are supposed to go.
Note that the page will '''not''' be moved if there is already
a page at the new title, unless it is empty or a redirect and has no
past edit history. This means that you can rename a page back to where
it was just renamed from if you make a mistake, and you cannot overwrite
an existing page.
<b>WARNING!</b>
This can be a drastic and unexpected change for a popular page;
please be sure you understand the consequences of this before
proceeding.
3124
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Using the form below will rename a page, moving all
of its history to the new name.
The old title will become a redirect page to the new title.
Links to the old page title will not be changed; be sure to
check for double or broken redirects.
You are responsible for making sure that links continue to
point where they are supposed to go.
Note that the page will '''not''' be moved if there is already
a page at the new title, unless it is empty or a redirect and has no
past edit history. This means that you can rename a page back to where
it was just renamed from if you make a mistake, and you cannot overwrite
an existing page.
<b>WARNING!</b>
This can be a drastic and unexpected change for a popular page;
please be sure you understand the consequences of this before
proceeding.
MediaWiki:Movetalk
406
sysop
410
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Move "talk" page as well, if applicable.
1326
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
Move "talk" page as well, if applicable.
2242
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Move "talk" page as well, if applicable.
3833
2006-03-28T05:59:03Z
MediaWiki default
Move associated talk page
MediaWiki:Movethispage
407
sysop
411
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Move this page
1327
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
Move this page
2243
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Move this page
MediaWiki:Mw math html
408
sysop
412
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
HTML if possible or else PNG
1328
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
HTML if possible or else PNG
2244
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
HTML if possible or else PNG
MediaWiki:Mw math mathml
409
sysop
413
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
MathML if possible (experimental)
1329
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
MathML if possible (experimental)
2245
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
MathML if possible (experimental)
MediaWiki:Mw math modern
410
sysop
414
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Recommended for modern browsers
1330
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
Recommended for modern browsers
2246
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Recommended for modern browsers
MediaWiki:Mw math png
411
sysop
415
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Always render PNG
1331
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
Always render PNG
2247
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Always render PNG
MediaWiki:Mw math simple
412
sysop
416
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
HTML if very simple or else PNG
1332
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
HTML if very simple or else PNG
2248
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
HTML if very simple or else PNG
MediaWiki:Mw math source
413
sysop
417
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Leave it as TeX (for text browsers)
1333
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
Leave it as TeX (for text browsers)
2249
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Leave it as TeX (for text browsers)
MediaWiki:Mycontris
414
sysop
418
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
My contributions
1334
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
My contributions
2250
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
My contributions
MediaWiki:Mypage
415
sysop
419
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
मेरा पृष्ठ
1335
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
मेरा पृष्ठ
2251
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
मेरा पृष्ठ
MediaWiki:Mytalk
416
sysop
420
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
मेरी बातें
1336
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
मेरी बातें
2252
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
मेरी बातें
MediaWiki:Navigation
417
sysop
421
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Navigation
1337
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
Navigation
2253
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Navigation
MediaWiki:Nbytes
418
sysop
422
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1 bytes
1338
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
$1 bytes
2254
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
$1 bytes
3948
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 {{PLURAL:$1|byte|bytes}}
MediaWiki:Nchanges
419
sysop
423
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1 changes
1339
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
$1 changes
2255
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
$1 changes
MediaWiki:Newarticle
420
sysop
424
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(New)
1340
2004-12-17T07:38:03Z
MediaWiki default
(New)
2256
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
(New)
MediaWiki:Newarticletext
421
sysop
425
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You've followed a link to a page that doesn't exist yet.
To create the page, start typing in the box below
(see the [[Project:Help|help page]] for more info).
If you are here by mistake, just click your browser's '''back''' button.
1341
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
You've followed a link to a page that doesn't exist yet.
To create the page, start typing in the box below
(see the [[Project:Help|help page]] for more info).
If you are here by mistake, just click your browser's '''back''' button.
2257
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You've followed a link to a page that doesn't exist yet.
To create the page, start typing in the box below
(see the [[Project:Help|help page]] for more info).
If you are here by mistake, just click your browser's '''back''' button.
3950
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
You've followed a link to a page that doesn't exist yet.
To create the page, start typing in the box below
(see the [[{{ns:help}}:Contents|help page]] for more info).
If you are here by mistake, just click your browser's '''back''' button.
MediaWiki:Newbies
422
sysop
426
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
newbies
1342
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
newbies
2258
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
newbies
MediaWiki:Newimages
423
sysop
427
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
New images gallery
1343
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
New images gallery
2259
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
New images gallery
3299
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Gallery of new files
MediaWiki:Newmessages
424
sysop
428
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
आपके लिये $1 हैं.
1344
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
आपके लिये $1 हैं.
2260
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
आपके लिये $1 हैं.
MediaWiki:Newmessageslink
425
sysop
429
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
नये सन्देश
1345
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
नये सन्देश
2261
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
नये सन्देश
3778
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
new messages
MediaWiki:Newpage
426
sysop
430
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
नया पृष्ठ
1346
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
नया पृष्ठ
2262
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
नया पृष्ठ
4193
2006-10-25T18:15:27Z
MediaWiki default
26
नया पृष्ठ
MediaWiki:Newpageletter
427
sysop
431
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
N
1347
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
N
2263
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
N
MediaWiki:Newpages
428
sysop
432
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
New pages
1348
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
New pages
2264
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
New pages
MediaWiki:Newpassword
429
sysop
433
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
New password
1349
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
New password
2265
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
New password
3482
2005-11-09T22:26:00Z
MediaWiki default
New password:
MediaWiki:Newtitle
430
sysop
434
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
To new title
1350
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
To new title
2266
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
To new title
MediaWiki:Newusersonly
431
sysop
435
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(new users only)
1351
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
(new users only)
2267
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
(new users only)
MediaWiki:Newwindow
432
sysop
436
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(opens in new window)
1352
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
(opens in new window)
2268
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
(opens in new window)
MediaWiki:Next
433
sysop
437
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
next
1353
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
next
2269
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
next
MediaWiki:Nextdiff
434
sysop
438
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Go to next diff →
1354
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
Go to next diff →
2270
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Go to next diff →
3127
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Next diff →
3300
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Next diff →
3364
2005-08-19T23:15:19Z
MediaWiki default
Next diff →
MediaWiki:Nextn
435
sysop
439
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
next $1
1355
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
next $1
2271
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
next $1
MediaWiki:Nextpage
436
sysop
440
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Next page ($1)
1356
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
Next page ($1)
2272
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Next page ($1)
MediaWiki:Nextrevision
437
sysop
441
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Newer revision→
1357
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
Newer revision→
2273
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Newer revision→
3365
2005-08-19T23:15:19Z
MediaWiki default
Newer revision→
MediaWiki:Nlinks
438
sysop
442
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1 links
1358
2004-12-17T07:38:04Z
MediaWiki default
$1 links
2274
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
$1 links
3951
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 {{PLURAL:$1|link|links}}
MediaWiki:Noaffirmation
439
sysop
443
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You must affirm that your upload does not violate any copyrights.
1359
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
You must affirm that your upload does not violate any copyrights.
2275
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You must affirm that your upload does not violate any copyrights.
MediaWiki:Noarticletext
440
sysop
444
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(There is currently no text in this page)
1360
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
(There is currently no text in this page)
2276
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
(There is currently no text in this page)
3483
2005-11-09T22:26:00Z
MediaWiki default
There is currently no text in this page, you can [[{{ns:special}}:Search/{{PAGENAME}}|search for this page title]] in other pages or [{{fullurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|action=edit}} edit this page].
3953
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
There is currently no text in this page, you can [[{{ns:special}}:Search/{{PAGENAME}}|search for this page title]] in other pages or [{{fullurl:{{FULLPAGENAME}}|action=edit}} edit this page].
MediaWiki:Noblockreason
441
sysop
445
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You must supply a reason for the block.
1361
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
You must supply a reason for the block.
2277
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
You must supply a reason for the block.
MediaWiki:Noconnect
442
sysop
446
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Sorry! The wiki is experiencing some technical difficulties, and cannot contact the database server. <br />
$1
1362
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
Sorry! The wiki is experiencing some technical difficulties, and cannot contact the database server. <br />
$1
2278
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Sorry! The wiki is experiencing some technical difficulties, and cannot contact the database server. <br />
$1
MediaWiki:Nocontribs
443
sysop
447
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
No changes were found matching these criteria.
1363
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
No changes were found matching these criteria.
2279
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
No changes were found matching these criteria.
MediaWiki:Nocookieslogin
444
sysop
448
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them and try again.
1364
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them and try again.
2280
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them and try again.
MediaWiki:Nocookiesnew
445
sysop
449
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The user account was created, but you are not logged in. {{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them, then log in with your new username and password.
1365
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
The user account was created, but you are not logged in. {{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them, then log in with your new username and password.
2281
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
The user account was created, but you are not logged in. {{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them, then log in with your new username and password.
MediaWiki:Nocreativecommons
446
sysop
450
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Creative Commons RDF metadata disabled for this server.
1366
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
Creative Commons RDF metadata disabled for this server.
2282
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Creative Commons RDF metadata disabled for this server.
MediaWiki:Nocredits
447
sysop
451
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There is no credits info available for this page.
1367
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
There is no credits info available for this page.
2283
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
There is no credits info available for this page.
MediaWiki:Nodb
448
sysop
452
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Could not select database $1
1368
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
Could not select database $1
2284
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Could not select database $1
MediaWiki:Nodublincore
449
sysop
453
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Dublin Core RDF metadata disabled for this server.
1369
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
Dublin Core RDF metadata disabled for this server.
2285
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Dublin Core RDF metadata disabled for this server.
MediaWiki:Noemail
450
sysop
454
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There is no e-mail address recorded for user "$1".
1370
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
There is no e-mail address recorded for user "$1".
2286
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
There is no e-mail address recorded for user "$1".
MediaWiki:Noemailtext
451
sysop
455
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This user has not specified a valid e-mail address,
or has chosen not to receive e-mail from other users.
1371
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
This user has not specified a valid e-mail address,
or has chosen not to receive e-mail from other users.
2287
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
This user has not specified a valid e-mail address,
or has chosen not to receive e-mail from other users.
MediaWiki:Noemailtitle
452
sysop
456
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
No e-mail address
1372
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
No e-mail address
2288
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
No e-mail address
MediaWiki:Nogomatch
453
sysop
457
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
No page with this exact title exists, trying full text search.
1373
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
No page with this exact title exists, trying full text search.
2289
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
No page with this exact title exists, trying full text search.
3129
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
No page with [[$1|this exact title]] exists, trying full text search.
3780
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
'''There is no page titled "$1".''' You can [[$1|create this page]].
MediaWiki:Nohistory
454
sysop
458
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There is no edit history for this page.
1374
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
There is no edit history for this page.
2290
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
There is no edit history for this page.
MediaWiki:Noimages
455
sysop
459
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Nothing to see.
1375
2004-12-17T07:38:05Z
MediaWiki default
Nothing to see.
2291
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
Nothing to see.
MediaWiki:Nolinkshere
456
sysop
460
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
No pages link to here.
1376
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
No pages link to here.
2292
2005-06-25T11:06:32Z
MediaWiki default
No pages link to here.
4112
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
No pages link to '''[[:$1]]'''.
MediaWiki:Nolinkstoimage
457
sysop
461
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There are no pages that link to this image.
1377
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
There are no pages that link to this image.
2293
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
There are no pages that link to this image.
3131
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
There are no pages that link to this file.
MediaWiki:Noname
458
sysop
462
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You have not specified a valid user name.
1378
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
You have not specified a valid user name.
2294
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You have not specified a valid user name.
MediaWiki:Nonefound
459
sysop
463
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
'''Note''': unsuccessful searches are
often caused by searching for common words like "have" and "from",
which are not indexed, or by specifying more than one search term (only pages
containing all of the search terms will appear in the result).
1379
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
'''Note''': unsuccessful searches are
often caused by searching for common words like "have" and "from",
which are not indexed, or by specifying more than one search term (only pages
containing all of the search terms will appear in the result).
2295
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
'''Note''': unsuccessful searches are
often caused by searching for common words like "have" and "from",
which are not indexed, or by specifying more than one search term (only pages
containing all of the search terms will appear in the result).
4113
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
'''Note''': Unsuccessful searches are
often caused by searching for common words like "have" and "from",
which are not indexed, or by specifying more than one search term (only pages
containing all of the search terms will appear in the result).
MediaWiki:Nonunicodebrowser
460
sysop
464
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: Your browser is not unicode compliant, please change it before editing an article.</strong>
1380
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: Your browser is not unicode compliant, please change it before editing an article.</strong>
2296
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: Your browser is not unicode compliant, please change it before editing an article.</strong>
3302
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: Your browser is not unicode compliant. A workaround is in place to allow you to safely edit articles: non-ASCII characters will appear in the edit box as hexadecimal codes.</strong>
MediaWiki:Nospecialpagetext
461
sysop
465
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
आपने ऐसा विशेष पृष्ठ मांगा है जो विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में नहीं है.
1381
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
आपने ऐसा विशेष पृष्ठ मांगा है जो विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में नहीं है.
2297
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
आपने ऐसा विशेष पृष्ठ मांगा है जो विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में नहीं है.
3781
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
आपने ऐसा विशेष पृष्ठ मांगा है जो {{SITENAME}} सौफ़्टवेयर में नहीं है.
MediaWiki:Nosuchaction
462
sysop
466
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
ऐसा कोई कार्य नहीं है
1382
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
ऐसा कोई कार्य नहीं है
2298
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
ऐसा कोई कार्य नहीं है
MediaWiki:Nosuchactiontext
463
sysop
467
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में इस URL द्वारा निर्धारित कोई क्रिया नही है
1383
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में इस URL द्वारा निर्धारित कोई क्रिया नही है
2299
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में इस URL द्वारा निर्धारित कोई क्रिया नही है
3782
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} सौफ़्टवेयर में इस URL द्वारा निर्धारित कोई क्रिया नही है
MediaWiki:Nosuchspecialpage
464
sysop
468
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
ऐसा कोई विशेष पृष्ठ नहीं है
1384
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
ऐसा कोई विशेष पृष्ठ नहीं है
2300
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
ऐसा कोई विशेष पृष्ठ नहीं है
MediaWiki:Nosuchuser
465
sysop
469
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There is no user by the name "$1".
Check your spelling, or use the form below to create a new user account.
1385
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
There is no user by the name "$1".
Check your spelling, or use the form below to create a new user account.
2301
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
There is no user by the name "$1".
Check your spelling, or use the form below to create a new user account.
3598
2005-12-02T02:19:03Z
MediaWiki default
There is no user by the name "$1". Check your spelling, or create a new account.
MediaWiki:Nosuchusershort
466
sysop
470
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There is no user by the name "$1". Check your spelling.
1386
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
There is no user by the name "$1". Check your spelling.
2302
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
There is no user by the name "$1". Check your spelling.
MediaWiki:Notacceptable
467
sysop
471
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The wiki server can't provide data in a format your client can read.
1387
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
The wiki server can't provide data in a format your client can read.
2303
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The wiki server can't provide data in a format your client can read.
MediaWiki:Notanarticle
468
sysop
472
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Not a content page
1388
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
Not a content page
2304
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Not a content page
MediaWiki:Notargettext
469
sysop
473
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You have not specified a target page or user
to perform this function on.
1389
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
You have not specified a target page or user
to perform this function on.
2305
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You have not specified a target page or user
to perform this function on.
MediaWiki:Notargettitle
470
sysop
474
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
No target
1390
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
No target
2306
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
No target
MediaWiki:Note
471
sysop
475
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<strong>Note:</strong>
1391
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
<strong>Note:</strong>
2307
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<strong>Note:</strong>
3783
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
<strong>Note:</strong>
MediaWiki:Notextmatches
472
sysop
476
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
No page text matches
1392
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
No page text matches
2308
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
No page text matches
MediaWiki:Notitlematches
473
sysop
477
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
No page title matches
1393
2004-12-17T07:38:06Z
MediaWiki default
No page title matches
2309
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
No page title matches
MediaWiki:Notloggedin
474
sysop
478
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Not logged in
1394
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Not logged in
2310
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Not logged in
MediaWiki:Nov
475
sysop
479
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
नवम्बर
1395
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
नवम्बर
2311
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
नवम्बर
MediaWiki:November
476
sysop
480
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
नवम्बर
1396
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
नवम्बर
2312
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
नवम्बर
MediaWiki:Nowatchlist
477
sysop
481
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You have no items on your watchlist.
1397
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
You have no items on your watchlist.
2313
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You have no items on your watchlist.
MediaWiki:Nowiki sample
478
sysop
482
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Insert non-formatted text here
1398
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Insert non-formatted text here
2314
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Insert non-formatted text here
MediaWiki:Nowiki tip
479
sysop
483
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Ignore wiki formatting
1399
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Ignore wiki formatting
2315
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Ignore wiki formatting
MediaWiki:Nstab-category
480
sysop
484
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Category
1400
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Category
2316
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Category
MediaWiki:Nstab-help
481
sysop
485
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Help
1401
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Help
2317
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Help
4195
2006-10-25T18:15:28Z
MediaWiki default
26
Help page
MediaWiki:Nstab-image
482
sysop
486
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Image
1402
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Image
2318
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Image
3132
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
File
MediaWiki:Nstab-main
483
sysop
487
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Article
1403
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Article
2319
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Article
MediaWiki:Nstab-media
484
sysop
488
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Media
1404
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Media
2320
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Media
3303
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Media page
MediaWiki:Nstab-mediawiki
485
sysop
489
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Message
1405
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Message
2321
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Message
MediaWiki:Nstab-special
486
sysop
490
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Special
1406
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Special
2322
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Special
MediaWiki:Nstab-template
487
sysop
491
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Template
1407
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Template
2323
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Template
MediaWiki:Nstab-user
488
sysop
492
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
User page
1408
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
User page
2324
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
User page
MediaWiki:Nstab-wp
489
sysop
493
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
About
1409
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
About
2325
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
About
3304
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Project page
MediaWiki:Numauthors
490
sysop
494
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Number of distinct authors (article): $1
1410
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Number of distinct authors (article): $1
2326
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Number of distinct authors (article): $1
MediaWiki:Numedits
491
sysop
495
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Number of edits (article): $1
1411
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Number of edits (article): $1
2327
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Number of edits (article): $1
MediaWiki:Numtalkauthors
492
sysop
496
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Number of distinct authors (discussion page): $1
1412
2004-12-17T07:38:07Z
MediaWiki default
Number of distinct authors (discussion page): $1
2328
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Number of distinct authors (discussion page): $1
MediaWiki:Numtalkedits
493
sysop
497
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Number of edits (discussion page): $1
1413
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
Number of edits (discussion page): $1
2329
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Number of edits (discussion page): $1
MediaWiki:Numwatchers
494
sysop
498
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Number of watchers: $1
1414
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
Number of watchers: $1
2330
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Number of watchers: $1
MediaWiki:Nviews
495
sysop
499
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1 views
1415
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
$1 views
2331
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
$1 views
3959
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 {{PLURAL:$1|view|views}}
MediaWiki:Oct
496
sysop
500
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
अक्टूबर
1416
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
अक्टूबर
2332
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
अक्टूबर
MediaWiki:October
497
sysop
501
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
अक्टूबर
1417
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
अक्टूबर
2333
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
अक्टूबर
MediaWiki:Ok
498
sysop
502
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
OK
1418
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
OK
2334
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
OK
MediaWiki:Oldpassword
499
sysop
503
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Old password
1419
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
Old password
2335
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Old password
3487
2005-11-09T22:26:00Z
MediaWiki default
Old password:
MediaWiki:Orig
500
sysop
504
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
orig
1420
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
orig
2336
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
orig
MediaWiki:Orphans
501
sysop
505
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Orphaned pages
1421
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
Orphaned pages
2337
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Orphaned pages
MediaWiki:Othercontribs
502
sysop
506
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Based on work by $1.
1422
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
Based on work by $1.
2338
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Based on work by $1.
MediaWiki:Otherlanguages
503
sysop
507
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
अन्य भाषायें
1423
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
अन्य भाषायें
2339
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
अन्य भाषायें
MediaWiki:Others
504
sysop
508
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
others
1424
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
others
2340
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
others
MediaWiki:Pagemovedsub
505
sysop
509
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Move succeeded
1425
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
Move succeeded
2341
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Move succeeded
MediaWiki:Pagemovedtext
506
sysop
510
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Page "[[$1]]" moved to "[[$2]]".
1426
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
Page "[[$1]]" moved to "[[$2]]".
2342
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Page "[[$1]]" moved to "[[$2]]".
MediaWiki:Pagetitle
507
sysop
511
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1 - {{SITENAME}}
1427
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
$1 - {{SITENAME}}
2343
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
$1 - {{SITENAME}}
MediaWiki:Passwordremindertext
508
sysop
512
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Someone (probably you, from IP address $1)
requested that we send you a new {{SITENAME}} login password.
The password for user "$2" is now "$3".
You should log in and change your password now.
1428
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
Someone (probably you, from IP address $1)
requested that we send you a new {{SITENAME}} login password.
The password for user "$2" is now "$3".
You should log in and change your password now.
2344
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Someone (probably you, from IP address $1)
requested that we send you a new {{SITENAME}} login password.
The password for user "$2" is now "$3".
You should log in and change your password now.
3407
2005-09-05T09:24:36Z
MediaWiki default
Someone (probably you, from IP address $1)
requested that we send you a new {{SITENAME}} login password for {{SERVERNAME}}.
The password for user "$2" is now "$3".
You should log in and change your password now.
If someone else made this request or if you have remembered your password and
you no longer wish to change it, you may ignore this message and continue using
your old password.
3961
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Someone (probably you, from IP address $1)
requested that we send you a new password for {{SITENAME}} ($4).
The password for user "$2" is now "$3".
You should log in and change your password now.
If someone else made this request or if you have remembered your password and
you no longer wish to change it, you may ignore this message and continue using
your old password.
MediaWiki:Passwordremindertitle
509
sysop
513
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Password reminder from {{SITENAME}}
1429
2004-12-17T07:38:08Z
MediaWiki default
Password reminder from {{SITENAME}}
2345
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Password reminder from {{SITENAME}}
MediaWiki:Passwordsent
510
sysop
514
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
A new password has been sent to the e-mail address
registered for "$1".
Please log in again after you receive it.
1430
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
A new password has been sent to the e-mail address
registered for "$1".
Please log in again after you receive it.
2346
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
A new password has been sent to the e-mail address
registered for "$1".
Please log in again after you receive it.
MediaWiki:Perfcached
511
sysop
515
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The following data is cached and may not be completely up to date:
1431
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
The following data is cached and may not be completely up to date:
2347
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The following data is cached and may not be completely up to date:
3962
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
The following data is cached and may not be up to date.
MediaWiki:Perfdisabled
512
sysop
516
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Sorry! This feature has been temporarily disabled
because it slows the database down to the point that no one can use
the wiki.
1432
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Sorry! This feature has been temporarily disabled
because it slows the database down to the point that no one can use
the wiki.
2348
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Sorry! This feature has been temporarily disabled
because it slows the database down to the point that no one can use
the wiki.
3408
2005-09-05T09:24:36Z
MediaWiki default
Sorry! This feature has been temporarily disabled because it slows the database down to the point that no one can use the wiki.
MediaWiki:Perfdisabledsub
513
sysop
517
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Here's a saved copy from $1:
1433
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Here's a saved copy from $1:
2349
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Here's a saved copy from $1:
3409
2005-09-05T09:24:36Z
MediaWiki default
Here is a saved copy from $1:
MediaWiki:Personaltools
514
sysop
518
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Personal tools
1434
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Personal tools
2350
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Personal tools
MediaWiki:Popularpages
515
sysop
519
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Popular pages
1435
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Popular pages
2351
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Popular pages
MediaWiki:Portal
516
sysop
520
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Community portal
1436
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Community portal
2352
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Community portal
MediaWiki:Portal-url
517
sysop
521
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Project:Community Portal
1437
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Project:Community Portal
2353
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Project:Community Portal
MediaWiki:Postcomment
518
sysop
522
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Post a comment
1438
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Post a comment
2354
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Post a comment
MediaWiki:Poweredby
519
sysop
523
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} is powered by [http://www.mediawiki.org/ MediaWiki], an open source wiki engine.
1439
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} is powered by [http://www.mediawiki.org/ MediaWiki], an open source wiki engine.
2355
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} is powered by [http://www.mediawiki.org/ MediaWiki], an open source wiki engine.
MediaWiki:Powersearch
520
sysop
524
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Search
1440
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Search
2356
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Search
MediaWiki:Powersearchtext
521
sysop
525
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Search in namespaces :<br />
$1<br />
$2 List redirects Search for $3 $9
1441
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Search in namespaces :<br />
$1<br />
$2 List redirects Search for $3 $9
2357
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Search in namespaces :<br />
$1<br />
$2 List redirects Search for $3 $9
3964
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Search in namespaces:<br />$1<br />$2 List redirects<br />Search for $3 $9
MediaWiki:Preferences
522
sysop
526
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Preferences
1442
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Preferences
2358
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Preferences
MediaWiki:Prefs-help-userdata
523
sysop
527
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
* <strong>Real name</strong> (optional): if you choose to provide it this will be used for giving you attribution for your work.<br />
* <strong>Email</strong> (optional): Enables people to contact you through the website without you having to reveal your
email address to them, and it can be used to send you a new password if you forget it.
1443
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
* <strong>Real name</strong> (optional): if you choose to provide it this will be used for giving you attribution for your work.<br />
* <strong>Email</strong> (optional): Enables people to contact you through the website without you having to reveal your
email address to them, and it can be used to send you a new password if you forget it.
2359
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
* <strong>Real name</strong> (optional): if you choose to provide it this will be used for giving you attribution for your work.<br />
* <strong>Email</strong> (optional): Enables people to contact you through the website without you having to reveal your
email address to them, and it can be used to send you a new password if you forget it.
MediaWiki:Prefs-misc
524
sysop
528
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Misc settings
1444
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Misc settings
2360
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Misc settings
3139
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Misc
MediaWiki:Prefs-personal
525
sysop
529
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
User data
1445
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
User data
2361
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
User data
3488
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
User profile
MediaWiki:Prefs-rc
526
sysop
530
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Recent changes and stub display
1446
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
Recent changes and stub display
2362
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Recent changes and stub display
3140
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Recent changes & stubs
3489
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Recent changes
MediaWiki:Prefslogintext
527
sysop
531
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You are logged in as "$1".
Your internal ID number is $2.
See [[Project:User preferences help]] for help deciphering the options.
1447
2004-12-17T07:38:09Z
MediaWiki default
You are logged in as "$1".
Your internal ID number is $2.
See [[Project:User preferences help]] for help deciphering the options.
2363
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You are logged in as "$1".
Your internal ID number is $2.
See [[Project:User preferences help]] for help deciphering the options.
MediaWiki:Prefsnologin
528
sysop
532
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Not logged in
1448
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
Not logged in
2364
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Not logged in
MediaWiki:Prefsnologintext
529
sysop
533
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to set user preferences.
1449
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to set user preferences.
2365
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to set user preferences.
3141
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
You must be [[Special:Userlogin|logged in]]
to set user preferences.
3307
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
You must be [[Special:Userlogin|logged in]] to set user preferences.
MediaWiki:Prefsreset
530
sysop
534
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Preferences have been reset from storage.
1450
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
Preferences have been reset from storage.
2366
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Preferences have been reset from storage.
MediaWiki:Preview
531
sysop
535
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Preview
1451
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
Preview
2367
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Preview
MediaWiki:Previewconflict
532
sysop
536
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This preview reflects the text in the upper
text editing area as it will appear if you choose to save.
1452
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
This preview reflects the text in the upper
text editing area as it will appear if you choose to save.
2368
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
This preview reflects the text in the upper
text editing area as it will appear if you choose to save.
3969
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
This preview reflects the text in the upper text editing area as it will appear if you choose to save.
MediaWiki:Previewnote
533
sysop
537
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Remember that this is only a preview, and has not yet been saved!
1453
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
Remember that this is only a preview, and has not yet been saved!
2369
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Remember that this is only a preview, and has not yet been saved!
3490
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
<strong>This is only a preview; changes have not yet been saved!</strong>
MediaWiki:Previousdiff
534
sysop
538
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
← Go to previous diff
1454
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
← Go to previous diff
2370
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
← Go to previous diff
3142
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
← Previous diff
3308
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
← Previous diff
3366
2005-08-19T23:15:20Z
MediaWiki default
← Previous diff
MediaWiki:Previousrevision
535
sysop
539
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
←Older revision
1455
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
←Older revision
2371
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
←Older revision
3367
2005-08-19T23:15:20Z
MediaWiki default
←Older revision
MediaWiki:Prevn
536
sysop
540
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
previous $1
1456
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
previous $1
2372
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
previous $1
MediaWiki:Printableversion
537
sysop
541
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Printable version
1457
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
Printable version
2373
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Printable version
MediaWiki:Printsubtitle
538
sysop
542
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(From http://www.wikipedia.org)
1458
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
(From http://www.wikipedia.org)
2374
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
(From http://www.wikipedia.org)
3144
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
(From {{SERVER}})
MediaWiki:Protect
539
sysop
543
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Protect
1459
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
Protect
2375
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Protect
MediaWiki:Protectcomment
540
sysop
544
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Reason for protecting
1460
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
Reason for protecting
2376
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Reason for protecting
MediaWiki:Protectedarticle
541
sysop
545
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
protected $1
1461
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
protected $1
2377
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
protected $1
3145
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
protected "[[$1]]"
MediaWiki:Protectedpage
542
sysop
546
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
सुरक्षित पृष्ठ
1462
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
सुरक्षित पृष्ठ
2378
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
सुरक्षित पृष्ठ
MediaWiki:Protectedpagewarning
543
sysop
547
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
WARNING: This page has been locked so that only
users with sysop privileges can edit it. Be sure you are following the
<a href='/w/index.php/Project:Protected_page_guidelines'>protected page
guidelines</a>.
1463
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
WARNING: This page has been locked so that only
users with sysop privileges can edit it. Be sure you are following the
<a href='/w/index.php/Project:Protected_page_guidelines'>protected page
guidelines</a>.
2379
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
WARNING: This page has been locked so that only
users with sysop privileges can edit it. Be sure you are following the
<a href='/w/index.php/Project:Protected_page_guidelines'>protected page
guidelines</a>.
3146
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: This page has been locked so that only users with sysop privileges can edit it. Be sure you are following the [[Project:Protected_page_guidelines|protected page guidelines]].</strong>
3973
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: This page has been locked so that only users with sysop privileges can edit it.</strong>
MediaWiki:Protectedtext
544
sysop
548
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This page has been locked to prevent editing; there are
a number of reasons why this may be so, please see
[[Project:Protected page]].
You can view and copy the source of this page:
1464
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
This page has been locked to prevent editing; there are
a number of reasons why this may be so, please see
[[Project:Protected page]].
You can view and copy the source of this page:
2380
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
This page has been locked to prevent editing; there are
a number of reasons why this may be so, please see
[[Project:Protected page]].
You can view and copy the source of this page:
3974
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
This page has been locked to prevent editing.
You can view and copy the source of this page:
MediaWiki:Protectlogpage
545
sysop
549
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Protection_log
1465
2004-12-17T07:38:10Z
MediaWiki default
Protection_log
2381
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Protection_log
3975
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Protection log
MediaWiki:Protectlogtext
546
sysop
550
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Below is a list of page locks/unlocks.
See [[Project:Protected page]] for more information.
1466
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Below is a list of page locks/unlocks.
See [[Project:Protected page]] for more information.
2382
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Below is a list of page locks/unlocks.
See [[Project:Protected page]] for more information.
3976
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Below is a list of page locks and unlocks.
MediaWiki:Protectmoveonly
547
sysop
551
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Protect from moves only
1467
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Protect from moves only
2383
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Protect from moves only
MediaWiki:Protectpage
548
sysop
552
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Protect page
1468
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Protect page
2384
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Protect page
MediaWiki:Protectreason
549
sysop
553
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(give a reason)
1469
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
(give a reason)
2385
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
(give a reason)
MediaWiki:Protectsub
550
sysop
554
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(Protecting "$1")
1470
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
(Protecting "$1")
2386
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
(Protecting "$1")
MediaWiki:Protectthispage
551
sysop
555
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को सुरक्षित करें
1471
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को सुरक्षित करें
2387
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को सुरक्षित करें
MediaWiki:Proxyblocker
552
sysop
556
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Proxy blocker
1472
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Proxy blocker
2388
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Proxy blocker
MediaWiki:Proxyblockreason
553
sysop
557
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your IP address has been blocked because it is an open proxy. Please contact your Internet service provider or tech support and inform them of this serious security problem.
1473
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Your IP address has been blocked because it is an open proxy. Please contact your Internet service provider or tech support and inform them of this serious security problem.
2389
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Your IP address has been blocked because it is an open proxy. Please contact your Internet service provider or tech support and inform them of this serious security problem.
MediaWiki:Proxyblocksuccess
554
sysop
558
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Done.
1474
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Done.
2390
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Done.
3687
2005-12-22T07:14:41Z
MediaWiki default
Done.
MediaWiki:Pubmedurl
555
sysop
559
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
http://www.ncbi.nlm.nih.gov/entrez/query.fcgi?cmd=Retrieve&db=pubmed&dopt=Abstract&list_uids=$1
1475
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
http://www.ncbi.nlm.nih.gov/entrez/query.fcgi?cmd=Retrieve&db=pubmed&dopt=Abstract&list_uids=$1
2391
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
http://www.ncbi.nlm.nih.gov/entrez/query.fcgi?cmd=Retrieve&db=pubmed&dopt=Abstract&list_uids=$1
MediaWiki:Qbbrowse
556
sysop
560
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Browse
1476
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Browse
2392
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Browse
MediaWiki:Qbedit
557
sysop
561
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Edit
1477
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Edit
2393
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Edit
MediaWiki:Qbfind
558
sysop
562
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Find
1478
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Find
2394
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Find
MediaWiki:Qbmyoptions
559
sysop
563
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
My options
1479
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
My options
2395
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
My options
3786
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
My pages
MediaWiki:Qbpageinfo
560
sysop
564
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Page info
1480
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Page info
2396
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Page info
3787
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Context
MediaWiki:Qbpageoptions
561
sysop
565
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Page options
1481
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Page options
2397
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Page options
3788
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
This page
MediaWiki:Qbsettings
562
sysop
566
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Quickbar settings
1482
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
Quickbar settings
2398
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Quickbar
MediaWiki:Qbsettingsnote
563
sysop
567
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This preference only works in the 'Standard' and the 'CologneBlue' skin.
1483
2004-12-17T07:38:11Z
MediaWiki default
This preference only works in the 'Standard' and the 'CologneBlue' skin.
2399
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
This preference only works in the 'Standard' and the 'CologneBlue' skin.
MediaWiki:Qbspecialpages
564
sysop
568
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Special pages
1484
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Special pages
2400
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Special pages
MediaWiki:Querybtn
565
sysop
569
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Submit query
1485
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Submit query
2401
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Submit query
MediaWiki:Querysuccessful
566
sysop
570
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Query successful
1486
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Query successful
2402
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Query successful
MediaWiki:Randompage
567
sysop
571
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Random page
1487
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Random page
2403
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Random page
MediaWiki:Randompage-url
568
sysop
572
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Special:Randompage
1488
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Special:Randompage
2404
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Special:Randompage
3147
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Special:Random
MediaWiki:Range block disabled
569
sysop
573
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The sysop ability to create range blocks is disabled.
1489
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
The sysop ability to create range blocks is disabled.
2405
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The sysop ability to create range blocks is disabled.
MediaWiki:Rchide
570
sysop
574
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
in $4 form; $1 minor edits; $2 secondary namespaces; $3 multiple edits.
1490
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
in $4 form; $1 minor edits; $2 secondary namespaces; $3 multiple edits.
2406
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
in $4 form; $1 minor edits; $2 secondary namespaces; $3 multiple edits.
MediaWiki:Rclinks
571
sysop
575
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show last $1 changes in last $2 days<br />$3
1491
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Show last $1 changes in last $2 days<br />$3
2407
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show last $1 changes in last $2 days<br />$3
MediaWiki:Rclistfrom
572
sysop
576
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show new changes starting from $1
1492
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Show new changes starting from $1
2408
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show new changes starting from $1
MediaWiki:Rcliu
573
sysop
577
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
; $1 edits from logged in users
1493
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
; $1 edits from logged in users
2409
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
; $1 edits from logged in users
MediaWiki:Rcloaderr
574
sysop
578
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Loading recent changes
1494
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Loading recent changes
2410
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Loading recent changes
MediaWiki:Rclsub
575
sysop
579
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(to pages linked from "$1")
1495
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
(to pages linked from "$1")
2411
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
(to pages linked from "$1")
MediaWiki:Rcnote
576
sysop
580
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Below are the last <strong>$1</strong> changes in last <strong>$2</strong> days.
1496
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Below are the last <strong>$1</strong> changes in last <strong>$2</strong> days.
2412
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Below are the last <strong>$1</strong> changes in last <strong>$2</strong> days.
3978
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Below are the last <strong>$1</strong> changes in the last <strong>$2</strong> days, as of $3.
MediaWiki:Rcnotefrom
577
sysop
581
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Below are the changes since <b>$2</b> (up to <b>$1</b> shown).
1497
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Below are the changes since <b>$2</b> (up to <b>$1</b> shown).
2413
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Below are the changes since <b>$2</b> (up to <b>$1</b> shown).
MediaWiki:Rcpatroldisabled
578
sysop
582
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Recent Changes Patrol disabled
1498
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Recent Changes Patrol disabled
2414
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Recent Changes Patrol disabled
MediaWiki:Rcpatroldisabledtext
579
sysop
583
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The Recent Changes Patrol feature is currently disabled.
1499
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
The Recent Changes Patrol feature is currently disabled.
2415
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The Recent Changes Patrol feature is currently disabled.
MediaWiki:Readonly
580
sysop
584
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Database locked
1500
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
Database locked
2416
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Database locked
MediaWiki:Readonlytext
581
sysop
585
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The database is currently locked to new
entries and other modifications, probably for routine database maintenance,
after which it will be back to normal.
The administrator who locked it offered this explanation:
<p>$1
1501
2004-12-17T07:38:12Z
MediaWiki default
The database is currently locked to new
entries and other modifications, probably for routine database maintenance,
after which it will be back to normal.
The administrator who locked it offered this explanation:
<p>$1
2417
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The database is currently locked to new
entries and other modifications, probably for routine database maintenance,
after which it will be back to normal.
The administrator who locked it offered this explanation:
<p>$1
3309
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
The database is currently locked to new
entries and other modifications, probably for routine database maintenance,
after which it will be back to normal.
The administrator who locked it offered this explanation:
$1
3412
2005-09-05T09:24:36Z
MediaWiki default
The database is currently locked to new entries and other modifications, probably for routine database maintenance, after which it will be back to normal.
The administrator who locked it offered this explanation: $1
MediaWiki:Readonlywarning
582
sysop
586
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
WARNING: The database has been locked for maintenance,
so you will not be able to save your edits right now. You may wish to cut-n-paste
the text into a text file and save it for later.
1502
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
WARNING: The database has been locked for maintenance,
so you will not be able to save your edits right now. You may wish to cut-n-paste
the text into a text file and save it for later.
2418
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
WARNING: The database has been locked for maintenance,
so you will not be able to save your edits right now. You may wish to cut-n-paste
the text into a text file and save it for later.
3148
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
<strong>WARNING: The database has been locked for maintenance,
so you will not be able to save your edits right now. You may wish to cut-n-paste
the text into a text file and save it for later.</strong>
MediaWiki:Recentchanges
583
sysop
587
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Recent changes
1503
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Recent changes
2419
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Recent changes
MediaWiki:Recentchanges-url
584
sysop
588
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Special:Recentchanges
1504
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Special:Recentchanges
2420
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Special:Recentchanges
MediaWiki:Recentchangescount
585
sysop
589
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Number of titles in recent changes
1505
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Number of titles in recent changes
2421
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
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3150
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Titles in recent changes
3491
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Titles in recent changes:
MediaWiki:Recentchangeslinked
586
sysop
590
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Related changes
1506
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Related changes
2422
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Related changes
MediaWiki:Recentchangestext
587
sysop
591
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Track the most recent changes to the wiki on this page.
1507
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Track the most recent changes to the wiki on this page.
2423
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Track the most recent changes to the wiki on this page.
MediaWiki:Redirectedfrom
588
sysop
592
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
($1 से भेजा गया)
1508
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
($1 से भेजा गया)
2424
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
($1 से भेजा गया)
MediaWiki:Remembermypassword
589
sysop
593
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Remember my password across sessions.
1509
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Remember my password across sessions.
2425
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Remember my password across sessions.
3310
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
Remember me
4200
2006-10-25T18:15:30Z
MediaWiki default
26
Remember my login on this computer
MediaWiki:Removechecked
590
sysop
594
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Remove checked items from watchlist
1510
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Remove checked items from watchlist
2426
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Remove checked items from watchlist
MediaWiki:Removedwatch
591
sysop
595
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Removed from watchlist
1511
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Removed from watchlist
2427
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Removed from watchlist
MediaWiki:Removedwatchtext
592
sysop
596
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The page "$1" has been removed from your watchlist.
1512
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
The page "$1" has been removed from your watchlist.
2428
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The page "$1" has been removed from your watchlist.
3985
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
The page "[[:$1]]" has been removed from your watchlist.
MediaWiki:Removingchecked
593
sysop
597
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Removing requested items from watchlist...
1513
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Removing requested items from watchlist...
2429
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Removing requested items from watchlist...
MediaWiki:Resetprefs
594
sysop
598
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Reset preferences
1514
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Reset preferences
2430
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Reset preferences
3152
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Reset
MediaWiki:Restorelink
595
sysop
599
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1 deleted edits
1515
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
$1 deleted edits
2431
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
$1 deleted edits
3986
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
{{PLURAL:$1|one deleted edit|$1 deleted edits}}
MediaWiki:Resultsperpage
596
sysop
600
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Hits to show per page
1516
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Hits to show per page
2432
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Hits to show per page
3154
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Hits per page
3494
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Hits per page:
MediaWiki:Retrievedfrom
597
sysop
601
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
"$1" से लिया गया
1517
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
"$1" से लिया गया
2433
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
"$1" से लिया गया
MediaWiki:Returnto
598
sysop
602
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
लौटें $1.
1518
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
लौटें $1.
2434
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
लौटें $1.
MediaWiki:Retypenew
599
sysop
603
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Retype new password
1519
2004-12-17T07:38:13Z
MediaWiki default
Retype new password
2435
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Retype new password
3155
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Again
3311
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
Retype new password
3495
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Retype new password:
MediaWiki:Reupload
600
sysop
604
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Re-upload
1520
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Re-upload
2436
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Re-upload
MediaWiki:Reuploaddesc
601
sysop
605
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Return to the upload form.
1521
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Return to the upload form.
2437
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Return to the upload form.
MediaWiki:Reverted
602
sysop
606
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Reverted to earlier revision
1522
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Reverted to earlier revision
2438
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Reverted to earlier revision
MediaWiki:Revertimg
603
sysop
607
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
rev
1523
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
rev
2439
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
rev
MediaWiki:Revertpage
604
sysop
608
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Reverted edit of $2, changed back to last version by $1
1524
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Reverted edit of $2, changed back to last version by $1
2440
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Reverted edit of $2, changed back to last version by $1
3987
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Reverted edits by [[Special:Contributions/$2|$2]] ([[User_talk:$2|Talk]]); changed back to last version by [[User:$1|$1]]
MediaWiki:Revhistory
605
sysop
609
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Revision history
1525
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Revision history
2441
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Revision history
MediaWiki:Revisionasof
606
sysop
610
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Revision as of $1
1526
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Revision as of $1
2442
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Revision as of $1
MediaWiki:Revisionasofwithlink
607
sysop
611
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Revision as of $1; $2<br />$3 | $4
1527
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Revision as of $1; $2<br />$3 | $4
2443
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Revision as of $1; $2<br />$3 | $4
MediaWiki:Revnotfound
608
sysop
612
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Revision not found
1528
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Revision not found
2444
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Revision not found
MediaWiki:Revnotfoundtext
609
sysop
613
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The old revision of the page you asked for could not be found.
Please check the URL you used to access this page.
1529
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
The old revision of the page you asked for could not be found.
Please check the URL you used to access this page.
2445
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The old revision of the page you asked for could not be found.
Please check the URL you used to access this page.
3688
2005-12-22T07:14:41Z
MediaWiki default
The old revision of the page you asked for could not be found.
Please check the URL you used to access this page.
MediaWiki:Rfcurl
610
sysop
614
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
http://www.faqs.org/rfcs/rfc$1.html
1530
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
http://www.faqs.org/rfcs/rfc$1.html
2446
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
http://www.faqs.org/rfcs/rfc$1.html
3312
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
http://www.ietf.org/rfc/rfc$1.txt
MediaWiki:Rights
611
sysop
615
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Rights:
1531
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Rights:
2447
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Rights:
MediaWiki:Rollback
612
sysop
616
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Roll back edits
1532
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Roll back edits
2448
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Roll back edits
MediaWiki:Rollback short
613
sysop
617
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Rollback
1533
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Rollback
2449
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Rollback
MediaWiki:Rollbackfailed
614
sysop
618
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Rollback failed
1534
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Rollback failed
2450
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Rollback failed
MediaWiki:Rollbacklink
615
sysop
619
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
rollback
1535
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
rollback
2451
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
rollback
MediaWiki:Rows
616
sysop
620
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Rows
1536
2004-12-17T07:38:14Z
MediaWiki default
Rows
2452
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Rows
3496
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Rows:
MediaWiki:Saturday
617
sysop
621
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
शनिवार
1537
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
शनिवार
2453
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
शनिवार
MediaWiki:Savearticle
618
sysop
622
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Save page
1538
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
Save page
2454
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Save page
MediaWiki:Savedprefs
619
sysop
623
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your preferences have been saved.
1539
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
Your preferences have been saved.
2455
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Your preferences have been saved.
MediaWiki:Savefile
620
sysop
624
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Save file
1540
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
Save file
2456
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Save file
MediaWiki:Savegroup
621
sysop
625
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Save Group
1541
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
Save Group
2457
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Save Group
MediaWiki:Saveprefs
622
sysop
626
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Save preferences
1542
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
Save preferences
2458
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Save preferences
3157
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Save
MediaWiki:Saveusergroups
623
sysop
627
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Save User Groups
1543
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
Save User Groups
2459
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Save User Groups
MediaWiki:Search
624
sysop
628
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
खोज
1544
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
खोज
2460
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
खोज
4203
2006-10-25T18:15:31Z
MediaWiki default
26
खोज
MediaWiki:Searchdisabled
625
sysop
629
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<p style="margin: 1.5em 2em 1em">{{SITENAME}} search is disabled for performance reasons. You can search via Google in the meantime.
<span style="font-size: 89%; display: block; margin-left: .2em">Note that their indexes of {{SITENAME}} content may be out of date.</span></p>
1545
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
<p style="margin: 1.5em 2em 1em">{{SITENAME}} search is disabled for performance reasons. You can search via Google in the meantime.
<span style="font-size: 89%; display: block; margin-left: .2em">Note that their indexes of {{SITENAME}} content may be out of date.</span></p>
2461
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<p style="margin: 1.5em 2em 1em">{{SITENAME}} search is disabled for performance reasons. You can search via Google in the meantime.
<span style="font-size: 89%; display: block; margin-left: .2em">Note that their indexes of {{SITENAME}} content may be out of date.</span></p>
3158
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} search is disabled. You can search via Google in the meantime. Note that their indexes of {{SITENAME}} content may be out of date.
MediaWiki:Searchquery
626
sysop
630
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
For query "$1"
1546
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
For query "$1"
2462
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
For query "$1"
MediaWiki:Searchresults
627
sysop
631
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Search results
1547
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
Search results
2463
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Search results
MediaWiki:Searchresultshead
628
sysop
632
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Search result settings
1548
2004-12-17T07:38:15Z
MediaWiki default
Search result settings
2464
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Search result settings
3159
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Search
MediaWiki:Searchresulttext
629
sysop
633
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
For more information about searching {{SITENAME}}, see [[Project:Searching|Searching {{SITENAME}}]].
1549
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
For more information about searching {{SITENAME}}, see [[Project:Searching|Searching {{SITENAME}}]].
2465
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
For more information about searching {{SITENAME}}, see [[Project:Searching|Searching {{SITENAME}}]].
3991
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
For more information about searching {{SITENAME}}, see [[{{ns:project}}:Searching|Searching {{SITENAME}}]].
MediaWiki:Sectionlink
630
sysop
634
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
→
1550
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
→
2466
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
→
3369
2005-08-19T23:15:20Z
MediaWiki default
→
MediaWiki:Selectnewerversionfordiff
631
sysop
635
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Select a newer version for comparison
1551
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
Select a newer version for comparison
2467
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Select a newer version for comparison
MediaWiki:Selectolderversionfordiff
632
sysop
636
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Select an older version for comparison
1552
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
Select an older version for comparison
2468
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Select an older version for comparison
MediaWiki:Selectonly
633
sysop
637
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Only read-only queries are allowed.
1553
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
Only read-only queries are allowed.
2469
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Only read-only queries are allowed.
MediaWiki:Selflinks
634
sysop
638
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Pages with Self Links
1554
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
Pages with Self Links
2470
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Pages with Self Links
3793
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Self-linking pages
MediaWiki:Selflinkstext
635
sysop
639
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The following pages contain a link to themselves, which they should not.
1555
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
The following pages contain a link to themselves, which they should not.
2471
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The following pages contain a link to themselves, which they should not.
3794
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
The following pages link to themselves:
MediaWiki:Sep
636
sysop
640
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
सितम्बर
1556
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
सितम्बर
2472
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
सितम्बर
MediaWiki:September
637
sysop
641
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
सितम्बर
1557
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
सितम्बर
2473
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
सितम्बर
MediaWiki:Seriousxhtmlerrors
638
sysop
642
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There were serious xhtml markup errors detected by tidy.
1558
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
There were serious xhtml markup errors detected by tidy.
2474
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
There were serious xhtml markup errors detected by tidy.
MediaWiki:Servertime
639
sysop
643
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Server time is now
1559
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
Server time is now
2475
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Server time is now
3161
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Server time
MediaWiki:Set rights fail
640
sysop
644
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<b>User rights for "$1" could not be set. (Did you enter the name correctly?)</b>
1560
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
<b>User rights for "$1" could not be set. (Did you enter the name correctly?)</b>
2476
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<b>User rights for "$1" could not be set. (Did you enter the name correctly?)</b>
MediaWiki:Set user rights
641
sysop
645
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Set user rights
1561
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
Set user rights
2477
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Set user rights
MediaWiki:Setbureaucratflag
642
sysop
646
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Set bureaucrat flag
1562
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
Set bureaucrat flag
2478
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Set bureaucrat flag
MediaWiki:Sharedupload
643
sysop
647
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This file is a shared upload and may be used by other projects.
1563
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
This file is a shared upload and may be used by other projects.
2479
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
This is a file from the [[Commons:Main Page|Wikimedia Commons]]. Please
see its '''[[Commons:Image:{{PAGENAME}}|description page]]''' there.
3163
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
This file is a shared upload and may be used by other projects.
MediaWiki:Shortpages
644
sysop
648
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Short pages
1564
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
Short pages
2480
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Short pages
MediaWiki:Show
645
sysop
649
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
show
1565
2004-12-17T07:38:16Z
MediaWiki default
show
2481
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
show
3416
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
Show
MediaWiki:Showbigimage
646
sysop
650
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Download high resolution version ($1x$2, $3 KB)
1566
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Download high resolution version ($1x$2, $3 KB)
2482
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Download high resolution version ($1x$2, $3 KB)
MediaWiki:Showhideminor
647
sysop
651
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1 minor edits | $2 bots | $3 logged in users | $4 patrolled edits
1567
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
$1 minor edits | $2 bots | $3 logged in users | $4 patrolled edits
2483
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
$1 minor edits | $2 bots | $3 logged in users | $4 patrolled edits
3797
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
$1 minor edits | $2 bots | $3 logged in users | $4 patrolled edits
MediaWiki:Showingresults
648
sysop
652
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Showing below up to <b>$1</b> results starting with #<b>$2</b>.
1568
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Showing below up to <b>$1</b> results starting with #<b>$2</b>.
2484
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Showing below up to <b>$1</b> results starting with #<b>$2</b>.
MediaWiki:Showingresultsnum
649
sysop
653
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Showing below <b>$3</b> results starting with #<b>$2</b>.
1569
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Showing below <b>$3</b> results starting with #<b>$2</b>.
2485
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Showing below <b>$3</b> results starting with #<b>$2</b>.
MediaWiki:Showlast
650
sysop
654
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show last $1 images sorted $2.
1570
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Show last $1 images sorted $2.
2486
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show last $1 images sorted $2.
3166
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Show last $1 files sorted $2.
MediaWiki:Showpreview
651
sysop
655
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show preview
1571
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Show preview
2487
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show preview
MediaWiki:Showtoc
652
sysop
656
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
show
1572
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
show
2488
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
show
MediaWiki:Sig tip
653
sysop
657
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your signature with timestamp
1573
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Your signature with timestamp
2489
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Your signature with timestamp
MediaWiki:Siteadminpheading
654
sysop
658
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
siteadmin level
1574
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
siteadmin level
2490
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
siteadmin level
MediaWiki:Sitenotice
655
sysop
659
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
1575
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
2491
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
-
MediaWiki:Sitesettings
656
sysop
660
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Site Settings
1576
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Site Settings
2492
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Site Settings
MediaWiki:Sitesettings-caching
657
sysop
661
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Page caching
1577
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Page caching
2493
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Page caching
MediaWiki:Sitesettings-cookies
658
sysop
662
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Cookies
1578
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Cookies
2494
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Cookies
MediaWiki:Sitesettings-debugging
659
sysop
663
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Debugging
1579
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Debugging
2495
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Debugging
MediaWiki:Sitesettings-features
660
sysop
664
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Features
1580
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Features
2496
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Features
MediaWiki:Sitesettings-images
661
sysop
665
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Images
1581
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Images
2497
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Images
MediaWiki:Sitesettings-memcached
662
sysop
666
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Memcache Daemon
1582
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Memcache Daemon
2498
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Memcache Daemon
MediaWiki:Sitesettings-performance
663
sysop
667
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Performance
1583
2004-12-17T07:38:17Z
MediaWiki default
Performance
2499
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Performance
MediaWiki:Sitesettings-permissions
664
sysop
668
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Permissions
1584
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Permissions
2500
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Permissions
MediaWiki:Sitesettings-permissions-banning
665
sysop
669
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
User banning
1585
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
User banning
2501
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
User banning
MediaWiki:Sitesettings-permissions-miser
666
sysop
670
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Performance settings
1586
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Performance settings
2502
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Performance settings
MediaWiki:Sitesettings-permissions-readonly
667
sysop
671
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Maintenance mode: Disable write access
1587
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Maintenance mode: Disable write access
2503
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Maintenance mode: Disable write access
MediaWiki:Sitesettings-permissions-whitelist
668
sysop
672
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Whitelist mode
1588
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Whitelist mode
2504
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Whitelist mode
MediaWiki:Sitesettings-wgAllowExternalImages
669
sysop
673
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Allow to include external images into articles
1589
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Allow to include external images into articles
2505
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Allow to include external images into articles
MediaWiki:Sitesettings-wgDefaultBlockExpiry
670
sysop
674
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
By default, blocks expire after:
1590
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
By default, blocks expire after:
2506
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
By default, blocks expire after:
MediaWiki:Sitesettings-wgDisableQueryPages
671
sysop
675
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
When in miser mode, disable all query pages, not only "expensive" ones
1591
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
When in miser mode, disable all query pages, not only "expensive" ones
2507
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
When in miser mode, disable all query pages, not only "expensive" ones
MediaWiki:Sitesettings-wgHitcounterUpdateFreq
672
sysop
676
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Hit counter update frequency
1592
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Hit counter update frequency
2508
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Hit counter update frequency
MediaWiki:Sitesettings-wgMiserMode
673
sysop
677
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Enable miser mode, which disables most "expensive" features
1593
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Enable miser mode, which disables most "expensive" features
2509
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Enable miser mode, which disables most "expensive" features
MediaWiki:Sitesettings-wgReadOnly
674
sysop
678
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Readonly mode
1594
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Readonly mode
2510
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Readonly mode
MediaWiki:Sitesettings-wgReadOnlyFile
675
sysop
679
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Readonly message file
1595
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Readonly message file
2511
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Readonly message file
MediaWiki:Sitesettings-wgShowIPinHeader
676
sysop
680
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show IP in header (for non-logged in users)
1596
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Show IP in header (for non-logged in users)
2512
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show IP in header (for non-logged in users)
MediaWiki:Sitesettings-wgSysopRangeBans
677
sysop
681
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Sysops may block IP-ranges
1597
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Sysops may block IP-ranges
2513
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Sysops may block IP-ranges
MediaWiki:Sitesettings-wgSysopUserBans
678
sysop
682
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Sysops may block logged-in users
1598
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Sysops may block logged-in users
2514
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Sysops may block logged-in users
MediaWiki:Sitesettings-wgUseCategoryBrowser
679
sysop
683
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Enable experimental dmoz-like category browsing. Outputs things like: Encyclopedia > Music > Style of Music > Jazz
1599
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Enable experimental dmoz-like category browsing. Outputs things like: Encyclopedia > Music > Style of Music > Jazz
2515
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Enable experimental dmoz-like category browsing. Outputs things like: Encyclopedia > Music > Style of Music > Jazz
MediaWiki:Sitesettings-wgUseCategoryMagic
680
sysop
684
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Enable categories
1600
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Enable categories
2516
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Enable categories
MediaWiki:Sitesettings-wgUseDatabaseMessages
681
sysop
685
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Use database messages for user interface labels
1601
2004-12-17T07:38:18Z
MediaWiki default
Use database messages for user interface labels
2517
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Use database messages for user interface labels
MediaWiki:Sitesettings-wgUseWatchlistCache
682
sysop
686
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Generate a watchlist once every hour or so
1602
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Generate a watchlist once every hour or so
2518
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Generate a watchlist once every hour or so
MediaWiki:Sitesettings-wgWLCacheTimeout
683
sysop
687
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The hour or so mentioned above (in seconds):
1603
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
The hour or so mentioned above (in seconds):
2519
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The hour or so mentioned above (in seconds):
MediaWiki:Sitesettings-wgWhitelistAccount-developer
684
sysop
688
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Developers may create accounts for users
1604
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Developers may create accounts for users
2520
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Developers may create accounts for users
MediaWiki:Sitesettings-wgWhitelistAccount-sysop
685
sysop
689
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Sysops may create accounts for users
1605
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Sysops may create accounts for users
2521
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Sysops may create accounts for users
MediaWiki:Sitesettings-wgWhitelistAccount-user
686
sysop
690
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Users may create accounts themself
1606
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Users may create accounts themself
2522
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Users may create accounts themself
MediaWiki:Sitesettings-wgWhitelistEdit
687
sysop
691
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Users must be logged in to edit
1607
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Users must be logged in to edit
2523
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Users must be logged in to edit
MediaWiki:Sitesettings-wgWhitelistRead
688
sysop
692
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Anonymous users may only read these pages:
1608
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Anonymous users may only read these pages:
2524
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Anonymous users may only read these pages:
MediaWiki:Sitestats
689
sysop
693
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Site statistics
1609
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Site statistics
2525
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Site statistics
3319
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} statistics
MediaWiki:Sitestatstext
690
sysop
694
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There are '''$1''' total pages in the database.
This includes "talk" pages, pages about {{SITENAME}}, minimal "stub"
pages, redirects, and others that probably don't qualify as content pages.
Excluding those, there are '''$2''' pages that are probably legitimate
content pages.
There have been a total of '''$3''' page views, and '''$4''' page edits
since the wiki was setup.
That comes to '''$5''' average edits per page, and '''$6''' views per edit.
1610
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
There are '''$1''' total pages in the database.
This includes "talk" pages, pages about {{SITENAME}}, minimal "stub"
pages, redirects, and others that probably don't qualify as content pages.
Excluding those, there are '''$2''' pages that are probably legitimate
content pages.
There have been a total of '''$3''' page views, and '''$4''' page edits
since the wiki was setup.
That comes to '''$5''' average edits per page, and '''$6''' views per edit.
2526
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
There are '''$1''' total pages in the database.
This includes "talk" pages, pages about {{SITENAME}}, minimal "stub"
pages, redirects, and others that probably don't qualify as content pages.
Excluding those, there are '''$2''' pages that are probably legitimate
content pages.
There have been a total of '''$3''' page views, and '''$4''' page edits
since the wiki was setup.
That comes to '''$5''' average edits per page, and '''$6''' views per edit.
3799
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
There are '''$1''' total pages in the database.
This includes "talk" pages, pages about {{SITENAME}}, minimal "stub"
pages, redirects, and others that probably don't qualify as content pages.
Excluding those, there are '''$2''' pages that are probably legitimate
content pages.
There have been a total of '''$3''' page views, and '''$4''' page edits
since the wiki was setup.
That comes to '''$5''' average edits per page, and '''$6''' views per edit.
The [http://meta.wikimedia.org/wiki/Help:Job_queue job queue] length is '''$7'''.
3852
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
There are '''$1''' total pages in the database.
This includes "talk" pages, pages about {{SITENAME}}, minimal "stub"
pages, redirects, and others that probably don't qualify as content pages.
Excluding those, there are '''$2''' pages that are probably legitimate
content pages.
'''$8''' files have been uploaded.
There have been a total of '''$3''' page views, and '''$4''' page edits
since the wiki was setup.
That comes to '''$5''' average edits per page, and '''$6''' views per edit.
The [http://meta.wikimedia.org/wiki/Help:Job_queue job queue] length is '''$7'''.
MediaWiki:Sitesubtitle
691
sysop
695
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
निःशुल्क ज्ञान संग्रह
1611
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
निःशुल्क ज्ञान संग्रह
2527
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
निःशुल्क ज्ञान संग्रह
3689
2005-12-22T07:14:42Z
MediaWiki default
MediaWiki:Sitesupport
692
sysop
696
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
-
1612
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
-
2528
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
-
3168
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Donations
MediaWiki:Sitesupport-url
693
sysop
697
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Project:Site support
1613
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Project:Site support
2529
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Project:Site support
MediaWiki:Sitetitle
694
sysop
698
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
विकिपीडिया
1614
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
विकिपीडिया
2530
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
विकिपीडिया
3800
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
{{SITENAME}}
MediaWiki:Siteuser
695
sysop
699
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Wikiquote user $1
1615
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Wikiquote user $1
2531
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Wikiquote user $1
3320
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} user $1
MediaWiki:Siteusers
696
sysop
700
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Wikiquote user(s) $1
1616
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Wikiquote user(s) $1
2532
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Wikiquote user(s) $1
3321
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} user(s) $1
MediaWiki:Skin
697
sysop
701
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Skin
1617
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
Skin
2533
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Skin
MediaWiki:Spamprotectionmatch
698
sysop
702
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The following text is what triggered our spam filter: $1
1618
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
The following text is what triggered our spam filter: $1
2534
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The following text is what triggered our spam filter: $1
MediaWiki:Spamprotectiontext
699
sysop
703
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The page you wanted to save was blocked by the spam filter. This is probably caused by a link to an external site.
1619
2004-12-17T07:38:19Z
MediaWiki default
The page you wanted to save was blocked by the spam filter. This is probably caused by a link to an external site.
2535
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The page you wanted to save was blocked by the spam filter. This is probably caused by a link to an external site.
MediaWiki:Spamprotectiontitle
700
sysop
704
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Spam protection filter
1620
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Spam protection filter
2536
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Spam protection filter
MediaWiki:Special version postfix
701
sysop
705
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
1621
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
2537
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
MediaWiki:Special version prefix
702
sysop
706
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
1622
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
2538
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
MediaWiki:Specialpage
703
sysop
707
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Special Page
1623
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Special Page
2539
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Special Page
MediaWiki:Specialpages
704
sysop
708
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Special pages
1624
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Special pages
2540
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Special pages
MediaWiki:Spheading
705
sysop
709
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Special pages for all users
1625
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Special pages for all users
2541
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Special pages for all users
MediaWiki:Sqlislogged
706
sysop
710
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Please note that all queries are logged.
1626
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Please note that all queries are logged.
2542
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Please note that all queries are logged.
MediaWiki:Sqlquery
707
sysop
711
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Enter query
1627
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Enter query
2543
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Enter query
MediaWiki:Statistics
708
sysop
712
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Statistics
1628
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Statistics
2544
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Statistics
MediaWiki:Storedversion
709
sysop
713
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Stored version
1629
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Stored version
2545
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Stored version
MediaWiki:Stubthreshold
710
sysop
714
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Threshold for stub display
1630
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Threshold for stub display
2546
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Threshold for stub display
3499
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Threshold for stub display:
MediaWiki:Subcategories
711
sysop
715
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Subcategories
1631
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Subcategories
2547
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Subcategories
MediaWiki:Subcategorycount
712
sysop
716
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There are $1 subcategories to this category.
1632
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
There are $1 subcategories to this category.
2548
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
There are $1 subcategories to this category.
3999
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
There {{PLURAL:$1|is one subcategory|are $1 subcategories}} to this category.
MediaWiki:Subcategorycount1
713
sysop
717
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There is $1 subcategory to this category.
1633
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
There is $1 subcategory to this category.
2549
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
There is $1 subcategory to this category.
MediaWiki:Subject
714
sysop
718
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Subject/headline
1634
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Subject/headline
2550
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Subject/headline
MediaWiki:Subjectpage
715
sysop
719
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
विषय देखें
1635
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
विषय देखें
2551
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
विषय देखें
MediaWiki:Successfulupload
716
sysop
720
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Successful upload
1636
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Successful upload
2552
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Successful upload
MediaWiki:Summary
717
sysop
721
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Summary
1637
2004-12-17T07:38:20Z
MediaWiki default
Summary
2553
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Summary
MediaWiki:Sunday
718
sysop
722
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
रविवार
1638
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
रविवार
2554
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
रविवार
MediaWiki:Sysoptext
719
sysop
723
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
आप जो करना चाहते हैं उसे केवल "sysop" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें.
1639
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
आप जो करना चाहते हैं उसे केवल "sysop" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें.
2555
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
आप जो करना चाहते हैं उसे केवल "sysop" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें.
MediaWiki:Sysoptitle
720
sysop
724
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
sysop आवश्यक है
1640
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
sysop आवश्यक है
2556
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
sysop आवश्यक है
MediaWiki:Tableform
721
sysop
725
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
table
1641
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
table
2557
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
table
MediaWiki:Tagline
722
sysop
726
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
From Wikipedia, the free encyclopedia.
1642
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
From Wikipedia, the free encyclopedia.
2558
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
From Wikipedia, the free encyclopedia.
3806
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
From {{SITENAME}}
MediaWiki:Talk
723
sysop
727
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Discussion
1643
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
Discussion
2559
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Discussion
MediaWiki:Talkexists
724
sysop
728
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The page itself was moved successfully, but the
talk page could not be moved because one already exists at the new
title. Please merge them manually.
1644
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
The page itself was moved successfully, but the
talk page could not be moved because one already exists at the new
title. Please merge them manually.
2560
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The page itself was moved successfully, but the
talk page could not be moved because one already exists at the new
title. Please merge them manually.
3323
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
'''The page itself was moved successfully, but the
talk page could not be moved because one already exists at the new
title. Please merge them manually.'''
3853
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
'''The page itself was moved successfully, but the talk page could not be moved because one already exists at the new title. Please merge them manually.'''
MediaWiki:Talkpage
725
sysop
729
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ के बारे में बात करें
1645
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ के बारे में बात करें
2561
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ के बारे में बात करें
MediaWiki:Talkpagemoved
726
sysop
730
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The corresponding talk page was also moved.
1646
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
The corresponding talk page was also moved.
2562
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The corresponding talk page was also moved.
MediaWiki:Talkpagenotmoved
727
sysop
731
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The corresponding talk page was <strong>not</strong> moved.
1647
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
The corresponding talk page was <strong>not</strong> moved.
2563
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The corresponding talk page was <strong>not</strong> moved.
MediaWiki:Talkpagetext
728
sysop
732
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<!-- MediaWiki:talkpagetext -->
1648
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
<!-- MediaWiki:talkpagetext -->
2564
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<!-- MediaWiki:talkpagetext -->
MediaWiki:Templatesused
729
sysop
733
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Templates used on this page:
1649
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
Templates used on this page:
2565
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Templates used on this page:
MediaWiki:Textboxsize
730
sysop
734
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Editing
1650
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
Editing
2566
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Editing
MediaWiki:Textmatches
731
sysop
735
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Page text matches
1651
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
Page text matches
2567
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Page text matches
MediaWiki:Thisisdeleted
732
sysop
736
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
View or restore $1?
1652
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
View or restore $1?
2568
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
View or restore $1?
MediaWiki:Thumbnail-more
733
sysop
737
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MediaWiki default
Enlarge
1653
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
Enlarge
2569
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Enlarge
MediaWiki:Thursday
734
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738
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MediaWiki default
गुरुवार
1654
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
गुरुवार
2570
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
गुरुवार
MediaWiki:Timezonelegend
735
sysop
739
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Time zone
1655
2004-12-17T07:38:21Z
MediaWiki default
Time zone
2571
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Time zone
MediaWiki:Timezoneoffset
736
sysop
740
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Offset
1656
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Offset
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2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Offset
3171
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Offset¹
MediaWiki:Timezonetext
737
sysop
741
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Enter number of hours your local time differs
from server time (UTC).
1657
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Enter number of hours your local time differs
from server time (UTC).
2573
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Enter number of hours your local time differs
from server time (UTC).
3172
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
The number of hours your local time differs from server time (UTC).
MediaWiki:Titlematches
738
sysop
742
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Article title matches
1658
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Article title matches
2574
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Article title matches
MediaWiki:Toc
739
sysop
743
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Table of contents
1659
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Table of contents
2575
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Table of contents
3324
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
Contents
MediaWiki:Tog-editondblclick
740
sysop
744
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Edit pages on double click (JavaScript)
1660
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Edit pages on double click (JavaScript)
2576
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Edit pages on double click (JavaScript)
MediaWiki:Tog-editsection
741
sysop
745
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Enable section editing via [edit] links
1661
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Enable section editing via [edit] links
2577
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Enable section editing via [edit] links
MediaWiki:Tog-editsectiononrightclick
742
sysop
746
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Enable section editing by right clicking<br /> on section titles (JavaScript)
1662
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Enable section editing by right clicking<br /> on section titles (JavaScript)
2578
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Enable section editing by right clicking<br /> on section titles (JavaScript)
MediaWiki:Tog-editwidth
743
sysop
747
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Edit box has full width
1663
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Edit box has full width
2579
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Edit box has full width
MediaWiki:Tog-hideminor
744
sysop
748
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Hide minor edits in recent changes
1664
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Hide minor edits in recent changes
2580
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Hide minor edits in recent changes
MediaWiki:Tog-highlightbroken
745
sysop
749
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Format broken links <a href="" class="new">like this</a> (alternative: like this<a href="" class="internal">?</a>).
1665
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Format broken links <a href="" class="new">like this</a> (alternative: like this<a href="" class="internal">?</a>).
2581
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Format broken links <a href="" class="new">like this</a> (alternative: like this<a href="" class="internal">?</a>).
MediaWiki:Tog-hover
746
sysop
750
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show hoverbox over wiki links
1666
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Show hoverbox over wiki links
2582
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show hoverbox over wiki links
MediaWiki:Tog-justify
747
sysop
751
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Justify paragraphs
1667
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Justify paragraphs
2583
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Justify paragraphs
MediaWiki:Tog-minordefault
748
sysop
752
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Mark all edits minor by default
1668
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Mark all edits minor by default
2584
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Mark all edits minor by default
MediaWiki:Tog-nocache
749
sysop
753
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Disable page caching
1669
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Disable page caching
2585
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Disable page caching
MediaWiki:Tog-nolangconversion
750
sysop
754
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
disable language conversion
2586
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
disable language conversion
4208
2006-10-25T18:15:34Z
MediaWiki default
26
Disable variants conversion
MediaWiki:Tog-numberheadings
751
sysop
755
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Auto-number headings
1670
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Auto-number headings
2587
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Auto-number headings
MediaWiki:Tog-previewonfirst
752
sysop
756
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show preview on first edit
1671
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Show preview on first edit
2588
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show preview on first edit
MediaWiki:Tog-previewontop
753
sysop
757
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show preview before edit box and not after it
1672
2004-12-17T07:38:22Z
MediaWiki default
Show preview before edit box and not after it
2589
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show preview before edit box and not after it
3179
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Show preview before edit box
MediaWiki:Tog-rememberpassword
754
sysop
758
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Remember password across sessions
1673
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Remember password across sessions
2590
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Remember password across sessions
3180
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Remember across sessions
4209
2006-10-25T18:15:34Z
MediaWiki default
26
Remember my login on this computer
MediaWiki:Tog-showtoc
755
sysop
759
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show table of contents<br />(for pages with more than 3 headings)
1674
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Show table of contents<br />(for pages with more than 3 headings)
2591
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show table of contents<br />(for pages with more than 3 headings)
3325
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
Show table of contents (for pages with more than 3 headings)
MediaWiki:Tog-showtoolbar
756
sysop
760
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show edit toolbar
1675
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Show edit toolbar
2592
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show edit toolbar
3182
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Show edit toolbar (JavaScript)
MediaWiki:Tog-underline
757
sysop
761
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Underline links
1676
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Underline links
2593
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Underline links
3505
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Underline links:
MediaWiki:Tog-usenewrc
758
sysop
762
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Enhanced recent changes (not for all browsers)
1677
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Enhanced recent changes (not for all browsers)
2594
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Enhanced recent changes (not for all browsers)
3183
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Enhanced recent changes (JavaScript)
MediaWiki:Tog-watchdefault
759
sysop
763
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Add pages you edit to your watchlist
1678
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Add pages you edit to your watchlist
2595
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Add pages you edit to your watchlist
3857
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Add pages I edit to my watchlist
MediaWiki:Toolbox
760
sysop
764
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Toolbox
1679
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Toolbox
2596
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Toolbox
MediaWiki:Tooltip-compareselectedversions
761
sysop
765
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
See the differences between the two selected versions of this page. [alt-v]
1680
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
See the differences between the two selected versions of this page. [alt-v]
2597
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
See the differences between the two selected versions of this page. [alt-v]
MediaWiki:Tooltip-minoredit
762
sysop
766
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Mark this as a minor edit [alt-i]
1681
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Mark this as a minor edit [alt-i]
2598
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Mark this as a minor edit [alt-i]
MediaWiki:Tooltip-preview
763
sysop
767
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Preview your changes, please use this before saving! [alt-p]
1682
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Preview your changes, please use this before saving! [alt-p]
2599
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Preview your changes, please use this before saving! [alt-p]
MediaWiki:Tooltip-save
764
sysop
768
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Save your changes [alt-s]
1683
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Save your changes [alt-s]
2600
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Save your changes [alt-s]
MediaWiki:Tooltip-search
765
sysop
769
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Search this wiki [alt-f]
1684
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Search this wiki [alt-f]
2601
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Search this wiki [alt-f]
3326
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
Search {{SITENAME}} [alt-f]
MediaWiki:Tuesday
766
sysop
770
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
मंगलवार
1685
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
मंगलवार
2602
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
मंगलवार
MediaWiki:Uclinks
767
sysop
771
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
View the last $1 changes; view the last $2 days.
1686
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
View the last $1 changes; view the last $2 days.
2603
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
View the last $1 changes; view the last $2 days.
MediaWiki:Ucnote
768
sysop
772
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Below are this user's last <b>$1</b> changes in the last <b>$2</b> days.
1687
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Below are this user's last <b>$1</b> changes in the last <b>$2</b> days.
2604
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Below are this user's last <b>$1</b> changes in the last <b>$2</b> days.
MediaWiki:Uctop
769
sysop
773
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(top)
1688
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
(top)
2605
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
(top)
MediaWiki:Unblockip
770
sysop
774
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Unblock user
1689
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Unblock user
2606
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Unblock user
MediaWiki:Unblockiptext
771
sysop
775
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Use the form below to restore write access
to a previously blocked IP address or username.
1690
2004-12-17T07:38:23Z
MediaWiki default
Use the form below to restore write access
to a previously blocked IP address or username.
2607
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Use the form below to restore write access
to a previously blocked IP address or username.
MediaWiki:Unblocklink
772
sysop
776
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
unblock
1691
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
unblock
2608
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
unblock
MediaWiki:Unblocklogentry
773
sysop
777
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
unblocked "$1"
1692
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
unblocked "$1"
2609
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
unblocked "$1"
3334
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
unblocked $1
MediaWiki:Uncategorizedcategories
774
sysop
778
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Uncategorized categories
1693
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
Uncategorized categories
2610
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Uncategorized categories
MediaWiki:Uncategorizedpages
775
sysop
779
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Uncategorized pages
1694
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
Uncategorized pages
2611
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Uncategorized pages
MediaWiki:Undelete
776
sysop
780
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Restore deleted page
1695
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
Restore deleted page
2612
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Restore deleted page
3424
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
View deleted pages
MediaWiki:Undelete short
777
sysop
781
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Undelete $1 edits
1696
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
Undelete $1 edits
2613
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Undelete $1 edits
4008
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Undelete {{PLURAL:$1|one edit|$1 edits}}
MediaWiki:Undeletearticle
778
sysop
782
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Restore deleted page
1697
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
Restore deleted page
2614
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Restore deleted page
MediaWiki:Undeletebtn
779
sysop
783
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Restore!
1698
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
Restore!
2615
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Restore!
4009
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Restore
MediaWiki:Undeletedarticle
780
sysop
784
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
restored "$1"
1699
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
restored "$1"
2616
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
restored "$1"
3186
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
restored "[[$1]]"
MediaWiki:Undeletedrevisions
781
sysop
785
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1 revisions restored
1700
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
$1 revisions restored
2617
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
$1 revisions restored
MediaWiki:Undeletedtext
782
sysop
786
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
[[$1]] has been successfully restored.
See [[Special:Log/delete]] for a record of recent deletions and restorations.
1701
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
[[$1]] has been successfully restored.
See [[Special:Log/delete]] for a record of recent deletions and restorations.
2618
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
[[$1]] has been successfully restored.
See [[Special:Log/delete]] for a record of recent deletions and restorations.
3510
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
[[:$1|$1]] has been successfully restored.
See [[Special:Log/delete]] for a record of recent deletions and restorations.
MediaWiki:Undeletehistory
783
sysop
787
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
If you restore the page, all revisions will be restored to the history.
If a new page with the same name has been created since the deletion, the restored
revisions will appear in the prior history, and the current revision of the live page
will not be automatically replaced.
1702
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
If you restore the page, all revisions will be restored to the history.
If a new page with the same name has been created since the deletion, the restored
revisions will appear in the prior history, and the current revision of the live page
will not be automatically replaced.
2619
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
If you restore the page, all revisions will be restored to the history.
If a new page with the same name has been created since the deletion, the restored
revisions will appear in the prior history, and the current revision of the live page
will not be automatically replaced.
MediaWiki:Undeletepage
784
sysop
788
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
View and restore deleted pages
1703
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
View and restore deleted pages
2620
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
View and restore deleted pages
MediaWiki:Undeletepagetext
785
sysop
789
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The following pages have been deleted but are still in the archive and
can be restored. The archive may be periodically cleaned out.
1704
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
The following pages have been deleted but are still in the archive and
can be restored. The archive may be periodically cleaned out.
2621
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The following pages have been deleted but are still in the archive and
can be restored. The archive may be periodically cleaned out.
MediaWiki:Undeleterevision
786
sysop
790
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Deleted revision as of $1
1705
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
Deleted revision as of $1
2622
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Deleted revision as of $1
MediaWiki:Undeleterevisions
787
sysop
791
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
$1 revisions archived
1706
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
$1 revisions archived
2623
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
$1 revisions archived
MediaWiki:Unexpected
788
sysop
792
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Unexpected value: "$1"="$2".
1707
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
Unexpected value: "$1"="$2".
2624
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Unexpected value: "$1"="$2".
MediaWiki:Unlockbtn
789
sysop
793
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Unlock database
1708
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
Unlock database
2625
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Unlock database
MediaWiki:Unlockconfirm
790
sysop
794
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Yes, I really want to unlock the database.
1709
2004-12-17T07:38:24Z
MediaWiki default
Yes, I really want to unlock the database.
2626
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Yes, I really want to unlock the database.
MediaWiki:Unlockdb
791
sysop
795
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Unlock database
1710
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Unlock database
2627
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Unlock database
MediaWiki:Unlockdbsuccesssub
792
sysop
796
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Database lock removed
1711
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Database lock removed
2628
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Database lock removed
MediaWiki:Unlockdbsuccesstext
793
sysop
797
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The database has been unlocked.
1712
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
The database has been unlocked.
2629
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The database has been unlocked.
MediaWiki:Unlockdbtext
794
sysop
798
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Unlocking the database will restore the ability of all
users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and
other things requiring changes in the database.
Please confirm that this is what you intend to do.
1713
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Unlocking the database will restore the ability of all
users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and
other things requiring changes in the database.
Please confirm that this is what you intend to do.
2630
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Unlocking the database will restore the ability of all
users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and
other things requiring changes in the database.
Please confirm that this is what you intend to do.
MediaWiki:Unprotect
795
sysop
799
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Unprotect
1714
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Unprotect
2631
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Unprotect
3338
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
unprotect
MediaWiki:Unprotectcomment
796
sysop
800
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Reason for unprotecting
1715
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Reason for unprotecting
2632
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Reason for unprotecting
MediaWiki:Unprotectedarticle
797
sysop
801
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
unprotected $1
1716
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
unprotected $1
2633
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
unprotected $1
3187
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
unprotected "[[$1]]"
MediaWiki:Unprotectsub
798
sysop
802
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(Unprotecting "$1")
1717
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
(Unprotecting "$1")
2634
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
(Unprotecting "$1")
MediaWiki:Unprotectthispage
799
sysop
803
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को असुरक्षित करें
1718
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को असुरक्षित करें
2635
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
इस पृष्ठ को असुरक्षित करें
MediaWiki:Unusedimages
800
sysop
804
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Unused images
1719
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Unused images
2636
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Unused images
3188
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Unused files
MediaWiki:Unusedimagestext
801
sysop
805
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<p>Please note that other web sites may link to an image with
a direct URL, and so may still be listed here despite being
in active use.
1720
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
<p>Please note that other web sites may link to an image with
a direct URL, and so may still be listed here despite being
in active use.
2637
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<p>Please note that other web sites may link to an image with
a direct URL, and so may still be listed here despite being
in active use.</p>
MediaWiki:Unwatch
802
sysop
806
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Unwatch
1721
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Unwatch
2638
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Unwatch
MediaWiki:Unwatchthispage
803
sysop
807
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Stop watching
1722
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Stop watching
2639
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Stop watching
MediaWiki:Updated
804
sysop
808
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(Updated)
1723
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
(Updated)
2640
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
(Updated)
MediaWiki:Upload
805
sysop
809
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Upload file
1724
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Upload file
2641
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Upload file
MediaWiki:Uploadbtn
806
sysop
810
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Upload file
1725
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Upload file
2642
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Upload file
MediaWiki:Uploadcorrupt
807
sysop
811
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The file is corrupt or has an incorrect extension. Please check the file and upload again.
1726
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
The file is corrupt or has an incorrect extension. Please check the file and upload again.
2643
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The file is corrupt or has an incorrect extension. Please check the file and upload again.
MediaWiki:Uploaddisabled
808
sysop
812
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Sorry, uploading is disabled.
1727
2004-12-17T07:38:25Z
MediaWiki default
Sorry, uploading is disabled.
2644
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Sorry, uploading is disabled.
3810
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Uploads disabled
MediaWiki:Uploadedfiles
809
sysop
813
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Uploaded files
1728
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
Uploaded files
2645
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Uploaded files
MediaWiki:Uploadedimage
810
sysop
814
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
uploaded "$1"
1729
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
uploaded "$1"
2646
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
uploaded "$1"
3190
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
uploaded "[[$1]]"
MediaWiki:Uploaderror
811
sysop
815
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Upload error
1730
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
Upload error
2647
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Upload error
MediaWiki:Uploadfile
812
sysop
816
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Upload images, sounds, documents etc.
1731
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
Upload images, sounds, documents etc.
2648
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Upload images, sounds, documents etc.
MediaWiki:Uploadlink
813
sysop
817
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Upload images
1732
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
Upload images
2649
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Upload images
MediaWiki:Uploadlog
814
sysop
818
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
upload log
1733
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
upload log
2650
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
upload log
MediaWiki:Uploadlogpage
815
sysop
819
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Upload_log
1734
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
Upload_log
2651
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Upload_log
4019
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Upload log
MediaWiki:Uploadlogpagetext
816
sysop
820
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Below is a list of the most recent file uploads.
1735
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
Below is a list of the most recent file uploads.
2652
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Below is a list of the most recent file uploads.
MediaWiki:Uploadnologin
817
sysop
821
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Not logged in
1736
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
Not logged in
2653
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Not logged in
MediaWiki:Uploadnologintext
818
sysop
822
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to upload files.
1737
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to upload files.
2654
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to upload files.
3192
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
You must be [[Special:Userlogin|logged in]]
to upload files.
MediaWiki:Uploadtext
819
sysop
823
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
'''STOP!''' Before you upload here,
make sure to read and follow the [[Project:Image use policy|image use policy]].
To view or search previously uploaded images,
go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded images]].
Uploads and deletions are logged on the
[[Project:Upload log|upload log]].
Use the form below to upload new image files for use in
illustrating your pages.
On most browsers, you will see a "Browse..." button, which will
bring up your operating system's standard file open dialog.
Choosing a file will fill the name of that file into the text
field next to the button.
You must also check the box affirming that you are not
violating any copyrights by uploading the file.
Press the "Upload" button to finish the upload.
This may take some time if you have a slow internet connection.
The preferred formats are JPEG for photographic images, PNG
for drawings and other iconic images, and OGG for sounds.
Please name your files descriptively to avoid confusion.
To include the image in a page, use a link in the form
'''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''' or
'''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or
'''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for sounds.
Please note that as with wiki pages, others may edit or
delete your uploads if they think it serves the project, and
you may be blocked from uploading if you abuse the system.
1738
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
'''STOP!''' Before you upload here,
make sure to read and follow the [[Project:Image use policy|image use policy]].
To view or search previously uploaded images,
go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded images]].
Uploads and deletions are logged on the
[[Project:Upload log|upload log]].
Use the form below to upload new image files for use in
illustrating your pages.
On most browsers, you will see a "Browse..." button, which will
bring up your operating system's standard file open dialog.
Choosing a file will fill the name of that file into the text
field next to the button.
You must also check the box affirming that you are not
violating any copyrights by uploading the file.
Press the "Upload" button to finish the upload.
This may take some time if you have a slow internet connection.
The preferred formats are JPEG for photographic images, PNG
for drawings and other iconic images, and OGG for sounds.
Please name your files descriptively to avoid confusion.
To include the image in a page, use a link in the form
'''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''' or
'''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or
'''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for sounds.
Please note that as with wiki pages, others may edit or
delete your uploads if they think it serves the project, and
you may be blocked from uploading if you abuse the system.
2655
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
'''STOP!''' Before you upload here,
make sure to read and follow the [[Project:Image use policy|image use policy]].
To view or search previously uploaded images,
go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded images]].
Uploads and deletions are logged on the
[[Project:Upload log|upload log]].
Use the form below to upload new image files for use in
illustrating your pages.
On most browsers, you will see a "Browse..." button, which will
bring up your operating system's standard file open dialog.
Choosing a file will fill the name of that file into the text
field next to the button.
You must also check the box affirming that you are not
violating any copyrights by uploading the file.
Press the "Upload" button to finish the upload.
This may take some time if you have a slow internet connection.
The preferred formats are JPEG for photographic images, PNG
for drawings and other iconic images, and OGG for sounds.
Please name your files descriptively to avoid confusion.
To include the image in a page, use a link in the form
'''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''' or
'''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or
'''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for sounds.
Please note that as with wiki pages, others may edit or
delete your uploads if they think it serves the project, and
you may be blocked from uploading if you abuse the system.
3194
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Use the form below to upload new files,
to view or search previously uploaded images
go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]],
uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log|project log]].
You must also check the box affirming that you are not
violating any copyrights by uploading the file.
Press the "Upload" button to finish the upload.
To include the image in a page, use a link in the form
'''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''',
'''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or
'''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file.
3341
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
Use the form below to upload new files,
to view or search previously uploaded images
go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]],
uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log|project log]].
You must also check the box affirming that you are not
violating any copyrights by uploading the file.
Press the "Upload" button to finish the upload.
To include the image in a page, use a link in the form
'''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''',
'''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or
'''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file.
3376
2005-08-19T23:15:21Z
MediaWiki default
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3427
2005-09-05T09:24:37Z
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3512
2005-11-09T22:26:01Z
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3547
2005-11-29T00:53:42Z
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3566
2005-11-29T21:05:32Z
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3612
2005-12-02T02:19:04Z
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3637
2005-12-02T03:56:06Z
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3693
2005-12-22T07:14:42Z
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4021
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
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MediaWiki:Uploadwarning
820
sysop
824
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Upload warning
1739
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
Upload warning
2656
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Upload warning
MediaWiki:Usenewcategorypage
821
sysop
825
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
1
Set first character to "0" to disable the new category page layout.
1740
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
1
Set first character to "0" to disable the new category page layout.
2657
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
1
Set first character to "0" to disable the new category page layout.
MediaWiki:User rights set
822
sysop
826
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<b>User rights for "$1" updated</b>
1741
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
<b>User rights for "$1" updated</b>
2658
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<b>User rights for "$1" updated</b>
MediaWiki:Usercssjsyoucanpreview
823
sysop
827
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<strong>Tip:</strong> Use the 'Show preview' button to test your new CSS/JS before saving.
1742
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
<strong>Tip:</strong> Use the 'Show preview' button to test your new CSS/JS before saving.
2659
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<strong>Tip:</strong> Use the 'Show preview' button to test your new CSS/JS before saving.
MediaWiki:Usercsspreview
824
sysop
828
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
'''Remember that you are only previewing your user CSS, it has not yet been saved!'''
1743
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
'''Remember that you are only previewing your user CSS, it has not yet been saved!'''
2660
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
'''Remember that you are only previewing your user CSS, it has not yet been saved!'''
MediaWiki:Userexists
825
sysop
829
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The user name you entered is already in use. Please choose a different name.
1744
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
The user name you entered is already in use. Please choose a different name.
2661
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The user name you entered is already in use. Please choose a different name.
3613
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
Username entered already in use. Please choose a different name.
MediaWiki:Userjspreview
826
sysop
830
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
'''Remember that you are only testing/previewing your user JavaScript, it has not yet been saved!'''
1745
2004-12-17T07:38:26Z
MediaWiki default
'''Remember that you are only testing/previewing your user JavaScript, it has not yet been saved!'''
2662
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
'''Remember that you are only testing/previewing your user JavaScript, it has not yet been saved!'''
MediaWiki:Userlevels
827
sysop
831
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
User levels management
1746
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
User levels management
2663
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
User levels management
MediaWiki:Userlevels-addgroup
828
sysop
832
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Add group
1747
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Add group
2664
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Add group
MediaWiki:Userlevels-editgroup
829
sysop
833
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Edit group
1748
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Edit group
2665
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Edit group
MediaWiki:Userlevels-editgroup-description
830
sysop
834
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Group description (max 255 characters):<br />
1749
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Group description (max 255 characters):<br />
2666
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Group description (max 255 characters):<br />
MediaWiki:Userlevels-editgroup-name
831
sysop
835
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Group name:
1750
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Group name:
2667
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Group name:
MediaWiki:Userlevels-editusergroup
832
sysop
836
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Edit user groups
1751
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Edit user groups
2668
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Edit user groups
MediaWiki:Userlevels-group-edit
833
sysop
837
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Existent groups:
1752
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Existent groups:
2669
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Existent groups:
MediaWiki:Userlevels-groupsavailable
834
sysop
838
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Available groups:
1753
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Available groups:
2670
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Available groups:
MediaWiki:Userlevels-groupshelp
835
sysop
839
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Select groups you want the user to be removed from or added to.
Unselected groups will not be changed. You can unselect a group by using CTRL + Left Click
1754
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Select groups you want the user to be removed from or added to.
Unselected groups will not be changed. You can unselect a group by using CTRL + Left Click
2671
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Select groups you want the user to be removed from or added to.
Unselected groups will not be changed. You can unselect a group by using CTRL + Left Click
MediaWiki:Userlevels-groupsmember
836
sysop
840
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Member of:
1755
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Member of:
2672
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Member of:
MediaWiki:Userlevels-lookup-group
837
sysop
841
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Manage group rights
1756
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Manage group rights
2673
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Manage group rights
MediaWiki:Userlevels-lookup-user
838
sysop
842
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Manage user groups
1757
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Manage user groups
2674
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Manage user groups
MediaWiki:Userlevels-user-editname
839
sysop
843
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Enter a username:
1758
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Enter a username:
2675
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Enter a username:
MediaWiki:Userlogin
840
sysop
844
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Create an account or log in
1759
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Create an account or log in
2676
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Create an account or log in
3614
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
Log in / create account
MediaWiki:Userlogout
841
sysop
845
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Log out
1760
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Log out
2677
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Log out
MediaWiki:Usermailererror
842
sysop
846
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Mail object returned error:
1761
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
Mail object returned error:
2678
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Mail object returned error:
3813
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Mail object returned error:
MediaWiki:Userpage
843
sysop
847
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
सदस्य पृष्ठ देखें
1762
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
सदस्य पृष्ठ देखें
2679
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
सदस्य पृष्ठ देखें
MediaWiki:Userrightspheading
844
sysop
848
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
userrights level
1763
2004-12-17T07:38:27Z
MediaWiki default
userrights level
2680
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
userrights level
MediaWiki:Userstats
845
sysop
849
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
User statistics
1764
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
User statistics
2681
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
User statistics
MediaWiki:Userstatstext
846
sysop
850
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
There are '''$1''' registered users.
'''$2''' of these are administrators (see $3).
1765
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
There are '''$1''' registered users.
'''$2''' of these are administrators (see $3).
2682
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
There are '''$1''' registered users.
'''$2''' of these are administrators (see $3).
3204
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
There are '''$1''' registered users, of which
'''$2''' (or '''$4%''') are administrators (see $3).
4136
2006-08-31T18:37:05Z
MediaWiki default
There are '''$1''' registered users, of which
'''$2''' (or '''$4%''') are $5.
MediaWiki:Val article lists
847
sysop
851
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
List of validated articles
1766
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
List of validated articles
2683
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
List of validated articles
MediaWiki:Val clear old
848
sysop
852
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Clear my other validation data for $1
1767
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
Clear my other validation data for $1
2684
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Clear my other validation data for $1
3206
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Clear my older validation data
MediaWiki:Val form note
849
sysop
853
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<b>Hint:</b> Merging your data means that for the article
revision you select, all options where you have specified <i>no opinion</i>
will be set to the value and comment of the most recent revision for which you
have expressed an opinion. For example, if you want to change a single option
for a newer revision, but also keep your other settings for this article in
this revision, just select which option you intend to <i>change</i>, and
merging will fill in the other options with your previous settings.
1768
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
<b>Hint:</b> Merging your data means that for the article
revision you select, all options where you have specified <i>no opinion</i>
will be set to the value and comment of the most recent revision for which you
have expressed an opinion. For example, if you want to change a single option
for a newer revision, but also keep your other settings for this article in
this revision, just select which option you intend to <i>change</i>, and
merging will fill in the other options with your previous settings.
2685
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<b>Hint:</b> Merging your data means that for the article
revision you select, all options where you have specified <i>no opinion</i>
will be set to the value and comment of the most recent revision for which you
have expressed an opinion. For example, if you want to change a single option
for a newer revision, but also keep your other settings for this article in
this revision, just select which option you intend to <i>change</i>, and
merging will fill in the other options with your previous settings.
3210
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
'''Hint:''' Merging your data means that for the article revision you select, all options where you have specified ''no opinion'' will be set to the value and comment of the most recent revision for which you have expressed an opinion. For example, if you want to change a single option for a newer revision, but also keep your other settings for this article in this revision, just select which option you intend to ''change'', and merging will fill in the other options with your previous settings.
MediaWiki:Val merge old
850
sysop
854
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Use my previous assessment where selected 'No opinion'
1769
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
Use my previous assessment where selected 'No opinion'
2686
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Use my previous assessment where selected 'No opinion'
MediaWiki:Val no anon validation
851
sysop
855
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You have to be logged in to validate an article.
1770
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
You have to be logged in to validate an article.
2687
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You have to be logged in to validate an article.
MediaWiki:Val noop
852
sysop
856
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
No opinion
1771
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
No opinion
2688
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
No opinion
MediaWiki:Val page validation statistics
853
sysop
857
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Page validation statistics for $1
1772
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
Page validation statistics for $1
2689
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Page validation statistics for $1
MediaWiki:Val percent
854
sysop
858
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by $4 users)
1773
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
<b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by $4 users)
2690
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by $4 users)
MediaWiki:Val percent single
855
sysop
859
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by one user)
1774
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
<b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by one user)
2691
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by one user)
MediaWiki:Val stat link text
856
sysop
860
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Validation statistics for this article
1775
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
Validation statistics for this article
2692
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Validation statistics for this article
MediaWiki:Val tab
857
sysop
861
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Validate
1776
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
Validate
2693
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Validate
MediaWiki:Val table header
858
sysop
862
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<tr><th>Class</th>$1<th colspan=4>Opinion</th>$1<th>Comment</th></tr>
1777
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
<tr><th>Class</th>$1<th colspan=4>Opinion</th>$1<th>Comment</th></tr>
2694
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<tr><th>Class</th>$1<th colspan=4>Opinion</th>$1<th>Comment</th></tr>
3429
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
<tr><th>Class</th>$1<th colspan="4">Opinion</th>$1<th>Comment</th></tr>\n
3696
2005-12-22T07:14:42Z
MediaWiki default
<tr><th>Class</th>$1<th colspan="4">Opinion</th>$1<th>Comment</th></tr>
MediaWiki:Val this is current version
859
sysop
863
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
this is the latest version
1778
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
this is the latest version
2695
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
this is the latest version
MediaWiki:Val total
860
sysop
864
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Total
1779
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
Total
2696
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Total
MediaWiki:Val user validations
861
sysop
865
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This user has validated $1 pages.
1780
2004-12-17T07:38:28Z
MediaWiki default
This user has validated $1 pages.
2697
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
This user has validated $1 pages.
MediaWiki:Val validate article namespace only
862
sysop
866
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Only articles can be validated. This page is <i>not</i> in the article namespace.
1781
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
Only articles can be validated. This page is <i>not</i> in the article namespace.
2698
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Only articles can be validated. This page is <i>not</i> in the article namespace.
MediaWiki:Val validate version
863
sysop
867
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Validate this version
1782
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
Validate this version
2699
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Validate this version
MediaWiki:Val validated
864
sysop
868
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Validation done.
1783
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
Validation done.
2700
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Validation done.
MediaWiki:Val version
865
sysop
869
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Version
1784
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
Version
2701
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Version
MediaWiki:Val version of
866
sysop
870
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Version of $1
1785
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
Version of $1
2702
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Version of $1
MediaWiki:Val view version
867
sysop
871
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
View this version
1786
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
View this version
2703
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
View this version
3228
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
View this revision
MediaWiki:Validate
868
sysop
872
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Validate page
1787
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
Validate page
2704
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Validate page
MediaWiki:Variantname-zh-cn
869
sysop
873
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
cn
1788
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
cn
2705
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
cn
MediaWiki:Variantname-zh-hk
870
sysop
874
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
hk
1789
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
hk
2706
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
hk
MediaWiki:Variantname-zh-sg
871
sysop
875
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
sg
1790
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
sg
2707
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
sg
MediaWiki:Variantname-zh-tw
872
sysop
876
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
tw
1791
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
tw
2708
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
tw
MediaWiki:Version
873
sysop
877
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Version
1792
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
Version
2709
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Version
MediaWiki:Viewcount
874
sysop
878
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
यह पृष्ठ $1 बार देखा गया है
1793
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
यह पृष्ठ $1 बार देखा गया है
2710
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
यह पृष्ठ $1 बार देखा गया है
MediaWiki:Viewprevnext
875
sysop
879
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
View ($1) ($2) ($3).
1794
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
View ($1) ($2) ($3).
2711
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
View ($1) ($2) ($3).
MediaWiki:Viewsource
876
sysop
880
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
View source
1795
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
View source
2712
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
View source
MediaWiki:Viewtalkpage
877
sysop
881
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
चर्चा देखें
1796
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
चर्चा देखें
2713
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
चर्चा देखें
MediaWiki:Wantedpages
878
sysop
882
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Wanted pages
1797
2004-12-17T07:38:29Z
MediaWiki default
Wanted pages
2714
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Wanted pages
MediaWiki:Watch
879
sysop
883
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Watch
1798
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
Watch
2715
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Watch
MediaWiki:Watchdetails
880
sysop
884
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
($1 pages watched not counting talk pages;
$2 total pages edited since cutoff;
$3...
<a href='$4'>show and edit complete list</a>.)
1799
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
($1 pages watched not counting talk pages;
$2 total pages edited since cutoff;
$3...
<a href='$4'>show and edit complete list</a>.)
2716
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
($1 pages watched not counting talk pages;
$2 total pages edited since cutoff;
$3...
<a href='$4'>show and edit complete list</a>.)
3237
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
* $1 pages watched not counting talk pages, $2 total pages edited in the specified period
* Query method: $3
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
3344
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
* $1 pages watched not counting talk pages
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
3378
2005-08-19T23:15:21Z
MediaWiki default
* $1 pages watched not counting talk pages
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
3432
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
* $1 pages watched not counting talk pages
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
3519
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
* $1 pages watched not counting talk pages
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
3550
2005-11-29T00:53:42Z
MediaWiki default
* $1 pages watched not counting talk pages
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
3569
2005-11-29T21:05:32Z
MediaWiki default
* $1 pages watched not counting talk pages
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
3617
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
* $1 pages watched not counting talk pages
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
3640
2005-12-02T03:56:06Z
MediaWiki default
* $1 pages watched not counting talk pages
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
4023
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
* $1 pages watched not counting talk pages
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
* [[Special:Watchlist/clear|Remove all pages]]
4223
2006-10-25T18:15:36Z
MediaWiki default
26
* {{PLURAL:$1|$1 page|$1 pages}} watched not counting talk pages
* [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]]
* [[Special:Watchlist/clear|Remove all pages]]
MediaWiki:Watcheditlist
881
sysop
885
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Here's an alphabetical list of your
watched pages. Check the boxes of pages you want to remove
from your watchlist and click the 'remove checked' button
at the bottom of the screen.
1800
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
Here's an alphabetical list of your
watched pages. Check the boxes of pages you want to remove
from your watchlist and click the 'remove checked' button
at the bottom of the screen.
2717
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Here's an alphabetical list of your
watched pages. Check the boxes of pages you want to remove
from your watchlist and click the 'remove checked' button
at the bottom of the screen.
3238
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Here's an alphabetical list of your
watched content pages. Check the boxes of pages you want to remove from your watchlist and click the 'remove checked' button
at the bottom of the screen (deleting a content page also deletes the accompanying talk page and vice versa).
MediaWiki:Watchlist
882
sysop
886
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
My watchlist
1801
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
My watchlist
2718
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
My watchlist
MediaWiki:Watchlistcontains
883
sysop
887
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your watchlist contains $1 pages.
1802
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
Your watchlist contains $1 pages.
2719
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Your watchlist contains $1 pages.
MediaWiki:Watchlistsub
884
sysop
888
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
(for user "$1")
1803
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
(for user "$1")
2720
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
(for user "$1")
MediaWiki:Watchmethod-list
885
sysop
889
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
checking watched pages for recent edits
1804
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
checking watched pages for recent edits
2721
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
checking watched pages for recent edits
MediaWiki:Watchmethod-recent
886
sysop
890
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
checking recent edits for watched pages
1805
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
checking recent edits for watched pages
2722
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
checking recent edits for watched pages
MediaWiki:Watchnochange
887
sysop
891
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
None of your watched items were edited in the time period displayed.
1806
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
None of your watched items were edited in the time period displayed.
2723
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
None of your watched items were edited in the time period displayed.
3345
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
None of your watched items was edited in the time period displayed.
MediaWiki:Watchnologin
888
sysop
892
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Not logged in
1807
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
Not logged in
2724
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Not logged in
MediaWiki:Watchnologintext
889
sysop
893
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to modify your watchlist.
1808
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to modify your watchlist.
2725
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a>
to modify your watchlist.
3241
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
You must be [[Special:Userlogin|logged in]]
to modify your watchlist.
3346
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
You must be [[Special:Userlogin|logged in]] to modify your watchlist.
MediaWiki:Watchthis
890
sysop
894
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Watch this page
1809
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
Watch this page
2726
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Watch this page
MediaWiki:Watchthispage
891
sysop
895
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Watch this page
1810
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
Watch this page
2727
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Watch this page
MediaWiki:Wednesday
892
sysop
896
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
बुधवार
1811
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
बुधवार
2728
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
बुधवार
MediaWiki:Welcomecreation
893
sysop
897
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
<h2>स्वागतम्, $1!</h2><p>आपका अकाउन्ट बना दिया गया है.
Don't forget to personalize your wikipedia preferences.
1812
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
<h2>स्वागतम्, $1!</h2><p>आपका अकाउन्ट बना दिया गया है.
Don't forget to personalize your wikipedia preferences.
2729
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
<h2>स्वागतम्, $1!</h2><p>आपका अकाउन्ट बना दिया गया है.
Don't forget to personalize your wikipedia preferences.
3814
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
<h2>स्वागतम्, $1!</h2><p>आपका अकाउन्ट बना दिया गया है.
Don't forget to personalize your {{SITENAME}} preferences.
MediaWiki:Whatlinkshere
894
sysop
898
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Pages that link here
1813
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
Pages that link here
2730
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Pages that link here
3815
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
What links here
MediaWiki:Whitelistacctext
895
sysop
899
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
To be allowed to create accounts in this Wiki you have to [[Special:Userlogin|log]] in and have the appropriate permissions.
1814
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
To be allowed to create accounts in this Wiki you have to [[Special:Userlogin|log]] in and have the appropriate permissions.
2731
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
To be allowed to create accounts in this Wiki you have to [[Special:Userlogin|log]] in and have the appropriate permissions.
MediaWiki:Whitelistacctitle
896
sysop
900
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You are not allowed to create an account
1815
2004-12-17T07:38:30Z
MediaWiki default
You are not allowed to create an account
2732
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You are not allowed to create an account
MediaWiki:Whitelistedittext
897
sysop
901
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You have to [[Special:Userlogin|login]] to edit pages.
1816
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
You have to [[Special:Userlogin|login]] to edit pages.
2733
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You have to [[Special:Userlogin|login]] to edit pages.
4030
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
You have to $1 to edit pages.
MediaWiki:Whitelistedittitle
898
sysop
902
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Login required to edit
1817
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
Login required to edit
2734
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Login required to edit
MediaWiki:Whitelistreadtext
899
sysop
903
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
You have to [[Special:Userlogin|login]] to read pages.
1818
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
You have to [[Special:Userlogin|login]] to read pages.
2735
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
You have to [[Special:Userlogin|login]] to read pages.
MediaWiki:Whitelistreadtitle
900
sysop
904
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Login required to read
1819
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
Login required to read
2736
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Login required to read
MediaWiki:Wikipediapage
901
sysop
905
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
मेटा पृष्ठ देखें
1820
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
मेटा पृष्ठ देखें
2737
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
मेटा पृष्ठ देखें
MediaWiki:Wikititlesuffix
902
sysop
906
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
विकिपीडिया
1821
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
विकिपीडिया
2738
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
विकिपीडिया
MediaWiki:Wlnote
903
sysop
907
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Below are the last $1 changes in the last <b>$2</b> hours.
1822
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
Below are the last $1 changes in the last <b>$2</b> hours.
2739
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Below are the last $1 changes in the last <b>$2</b> hours.
MediaWiki:Wlsaved
904
sysop
908
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
This is a saved version of your watchlist.
1823
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
This is a saved version of your watchlist.
2740
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
This is a saved version of your watchlist.
MediaWiki:Wlshowlast
905
sysop
909
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Show last $1 hours $2 days $3
1824
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
Show last $1 hours $2 days $3
2741
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Show last $1 hours $2 days $3
MediaWiki:Wrong wfQuery params
906
sysop
910
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Incorrect parameters to wfQuery()<br />
Function: $1<br />
Query: $2
1825
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
Incorrect parameters to wfQuery()<br />
Function: $1<br />
Query: $2
2742
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Incorrect parameters to wfQuery()<br />
Function: $1<br />
Query: $2
3434
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
Incorrect parameters to wfQuery()<br />
Function: $1<br />
Query: $2
MediaWiki:Wrongpassword
907
sysop
911
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
The password you entered is incorrect. Please try again.
1826
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
The password you entered is incorrect. Please try again.
2743
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
The password you entered is incorrect. Please try again.
3247
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
The password you entered is incorrect (or missing). Please try again.
3619
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
Incorrect password entered. Please try again.
MediaWiki:Yourdiff
908
sysop
912
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Differences
1827
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
Differences
2744
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Differences
MediaWiki:Youremail
909
sysop
913
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your email*
1828
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
Your email*
2745
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Your email*
3249
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Email²
3347
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
Email *
3621
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
E-mail *
4229
2006-10-25T18:15:36Z
MediaWiki default
26
E-mail *:
MediaWiki:Yourlanguage
910
sysop
914
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Interface language
1829
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
Interface language
2746
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Interface language
3250
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Language
3521
2005-11-09T22:26:02Z
MediaWiki default
Language:
MediaWiki:Yourname
911
sysop
915
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
आपका नाम
1830
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
आपका नाम
2747
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
आपका नाम
MediaWiki:Yournick
912
sysop
916
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your nickname (for signatures)
1831
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
Your nickname (for signatures)
2748
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Your nickname (for signatures)
3251
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Nickname
3522
2005-11-09T22:26:02Z
MediaWiki default
Nickname:
MediaWiki:Yourpassword
913
sysop
917
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
आपका पासवर्ड
1832
2004-12-17T07:38:31Z
MediaWiki default
आपका पासवर्ड
2749
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
आपका पासवर्ड
4230
2006-10-25T18:15:36Z
MediaWiki default
26
आपका पासवर्ड
MediaWiki:Yourpasswordagain
914
sysop
918
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
पासवर्ड दुबारा लिखें
1833
2004-12-17T07:38:32Z
MediaWiki default
पासवर्ड दुबारा लिखें
2750
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
पासवर्ड दुबारा लिखें
MediaWiki:Yourrealname
915
sysop
919
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your real name*
1834
2004-12-17T07:38:32Z
MediaWiki default
Your real name*
2751
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Your real name*
3252
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Real name¹
3348
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
Real name *
4231
2006-10-25T18:15:36Z
MediaWiki default
26
Real name *:
MediaWiki:Yourtext
916
sysop
920
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Your text
1835
2004-12-17T07:38:32Z
MediaWiki default
Your text
2752
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Your text
MediaWiki:Yourvariant
917
sysop
921
2004-12-17T06:55:28Z
MediaWiki default
Language variant
1836
2004-12-17T07:38:32Z
MediaWiki default
Language variant
2753
2005-06-25T11:06:33Z
MediaWiki default
Language variant
3253
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Variant
लोकोक्ति
918
922
2005-02-06T00:43:44Z
144.92.165.148
प्रमुख लोकोक्तियाँ
*[[नो मनी नो फनफनी]]
2754
2005-02-06T00:47:33Z
144.92.165.148
लोकोक्तियाँ आम जनमानस द्वारा स्थानीय बोलियों में हर दिन की परिस्थितियों एवं संदर्भों से उपजे वैसे पद एवं वाक्य होते हैं जो किसी खास समूह, उम्र वर्ग या क्षेत्रीय दायरे में प्रयोग किया जाता है। इसमें स्थान विशेष के भूगोल, संस्कृति, भाषाओं का मिश्रण इत्यादि की झलक मिलती है।
कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ
*[[नो मनी नो फनफनी]]
*[[उपर से फीटफाट नीचे से मोकामाघाट]]
*[[सटक सीताराम]]
*[[लंबू लटक खटिया पटक]]
MediaWiki:Allmessagescurrent
919
sysop
2755
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
Current text
MediaWiki:Allmessagesdefault
920
sysop
2756
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
Default text
MediaWiki:Allmessagesname
921
sysop
2757
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
Name
MediaWiki:Bad image list
922
sysop
2758
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
MediaWiki:Laggedslavemode
923
sysop
2759
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
Warning: Page may not contain recent updates.
MediaWiki:Readonly lag
924
sysop
2760
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
The database has been automatically locked while the slave database servers catch up to the master
MediaWiki:Rightslogtext
925
sysop
2761
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
This is a log of changes to user rights.
MediaWiki:Sessionfailure
926
sysop
2762
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
There seems to be a problem with your login session;
this action has been canceled as a precaution against session hijacking.
Please hit "back" and reload the page you came from, then try again.
MediaWiki:Sorbs
927
sysop
2763
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
SORBS DNSBL
MediaWiki:Sorbs create account reason
928
sysop
2764
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
Your IP address is listed as an open proxy in the [http://www.sorbs.net SORBS] DNSBL. You cannot create an account
MediaWiki:Sorbsreason
929
sysop
2765
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
Your IP address is listed as an open proxy in the [http://www.sorbs.net SORBS] DNSBL.
MediaWiki:Speciallogtitlelabel
930
sysop
2766
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
Title:
3804
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Title:
MediaWiki:Specialloguserlabel
931
sysop
2767
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
User:
3805
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
User:
MediaWiki:Sqlhidden
932
sysop
2768
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
(SQL query hidden)
MediaWiki:Tog-fancysig
933
sysop
2769
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
Raw signatures (without automatic link)
MediaWiki:Tooltip-watch
934
sysop
2770
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
Add this page to your watchlist [alt-w]
MediaWiki:Undo
935
sysop
2771
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
undo
MediaWiki:Variantname-zh
936
sysop
2772
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
zh
MediaWiki:Zhconversiontable
937
sysop
2773
2005-06-25T11:06:29Z
MediaWiki default
-{}-
MediaWiki:Accesskey-diff
938
sysop
2776
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
d
3350
2005-08-19T23:15:17Z
MediaWiki default
v
MediaWiki:Addgrouplogentry
939
sysop
2777
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Added group $2
MediaWiki:Allinnamespace
940
sysop
2778
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
All pages ($1 namespace)
MediaWiki:Allnonarticles
941
sysop
2779
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
All non-articles
MediaWiki:Allnotinnamespace
942
sysop
2780
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
All pages (not in $1 namespace)
MediaWiki:Allpagesfrom
943
sysop
2781
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Display pages starting at:
MediaWiki:Already bureaucrat
944
sysop
2782
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
This user is already a bureaucrat
MediaWiki:Already steward
945
sysop
2783
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
This user is already a steward
MediaWiki:Already sysop
946
sysop
2784
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
This user is already an administrator
MediaWiki:Badaccess
947
sysop
2785
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Permission error
MediaWiki:Badaccesstext
948
sysop
2786
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
The action you have requested is limited
to users with the "$2" permission assigned.
See $1.
MediaWiki:Changed
949
sysop
2790
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
changed
MediaWiki:Changegrouplogentry
950
sysop
2791
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Changed group $2
MediaWiki:Confirmemail
951
sysop
2792
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Confirm E-mail address
MediaWiki:Confirmemail body
952
sysop
2793
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Someone, probably you from IP address $1, has registered an
account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}.
To confirm that this account really does belong to you and activate
e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser:
$3
If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code
will expire at $4.
3265
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Someone, probably you from IP address $1, has registered an
account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}.
To confirm that this account really does belong to you and activate
e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser:
$3
If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code
will expire at $4.
3355
2005-08-19T23:15:18Z
MediaWiki default
Someone, probably you from IP address $1, has registered an
account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}.
To confirm that this account really does belong to you and activate
e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser:
$3
If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code
will expire at $4.
3390
2005-09-05T09:24:35Z
MediaWiki default
Someone, probably you from IP address $1, has registered an
account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}.
To confirm that this account really does belong to you and activate
e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser:
$3
If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code
will expire at $4.
3455
2005-11-09T22:25:56Z
MediaWiki default
Someone, probably you from IP address $1, has registered an
account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}.
To confirm that this account really does belong to you and activate
e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser:
$3
If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code
will expire at $4.
3529
2005-11-29T00:53:38Z
MediaWiki default
Someone, probably you from IP address $1, has registered an
account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}.
To confirm that this account really does belong to you and activate
e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser:
$3
If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code
will expire at $4.
3553
2005-11-29T21:05:29Z
MediaWiki default
Someone, probably you from IP address $1, has registered an
account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}.
To confirm that this account really does belong to you and activate
e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser:
$3
If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code
will expire at $4.
3577
2005-12-02T02:19:01Z
MediaWiki default
Someone, probably you from IP address $1, has registered an
account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}.
To confirm that this account really does belong to you and activate
e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser:
$3
If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code
will expire at $4.
3625
2005-12-02T03:56:03Z
MediaWiki default
Someone, probably you from IP address $1, has registered an
account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}.
To confirm that this account really does belong to you and activate
e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser:
$3
If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code
will expire at $4.
MediaWiki:Confirmemail error
953
sysop
2794
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Something went wrong saving your confirmation.
MediaWiki:Confirmemail invalid
954
sysop
2795
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Invalid confirmation code. The code may have expired.
MediaWiki:Confirmemail loggedin
955
sysop
2796
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Your e-mail address has now been confirmed.
MediaWiki:Confirmemail send
956
sysop
2797
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Mail a confirmation code
MediaWiki:Confirmemail sendfailed
957
sysop
2798
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Could not send confirmation mail. Check address for invalid characters.
4162
2006-10-25T18:15:12Z
MediaWiki default
26
Could not send confirmation mail. Check address for invalid characters.
Mailer returned: $1
MediaWiki:Confirmemail sent
958
sysop
2799
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Confirmation e-mail sent.
MediaWiki:Confirmemail subject
959
sysop
2800
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} e-mail address confirmation
MediaWiki:Confirmemail success
960
sysop
2801
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Your e-mail address has been confirmed. You may now log in and enjoy the wiki.
MediaWiki:Confirmemail text
961
sysop
2802
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
This wiki requires that you validate your e-mail address
before using e-mail features. Activate the button below to send a confirmation
mail to your address. The mail will include a link containing a code; load the
link in your browser to confirm that your e-mail address is valid.
MediaWiki:Contributionsall
962
sysop
2805
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
all
MediaWiki:Created
963
sysop
2806
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
created
MediaWiki:Delete and move
964
sysop
2807
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Delete and move
MediaWiki:Delete and move reason
965
sysop
2808
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Deleted to make way for move
MediaWiki:Delete and move text
966
sysop
2809
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
==Deletion required==
The destination article "[[$1]]" already exists. Do you want to delete it to make way for the move?
MediaWiki:Deletedrev
967
sysop
2811
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
[deleted]
MediaWiki:Destfilename
968
sysop
2812
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Destination filename
MediaWiki:Eauthentsent
969
sysop
2813
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
A confirmation email has been sent to the nominated email address.
Before any other mail is sent to the account, you will have to follow the instructions in the email,
to confirm that the account is actually yours.
3271
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
A confirmation email has been sent to the nominated email address.
Before any other mail is sent to the account, you will have to follow the instructions in the email,
to confirm that the account is actually yours.
3581
2005-12-02T02:19:01Z
MediaWiki default
A confirmation e-mail has been sent to the nominated e-mail address.
Before any other mail is sent to the account, you will have to follow the instructions in the e-mail,
to confirm that the account is actually yours.
MediaWiki:Edit-externally
970
sysop
2814
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Edit this file using an external application
MediaWiki:Edit-externally-help
971
sysop
2815
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
See the [http://meta.wikimedia.org/wiki/Help:External_editors setup instructions] for more information.
MediaWiki:Email
972
sysop
2817
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Email
3582
2005-12-02T02:19:02Z
MediaWiki default
E-mail
MediaWiki:Emailauthenticated
973
sysop
2818
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Your email address was authenticated on $1.
3583
2005-12-02T02:19:02Z
MediaWiki default
Your e-mail address was authenticated on $1.
MediaWiki:Emailconfirmlink
974
sysop
2819
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Confirm your e-mail address
MediaWiki:Emailnotauthenticated
975
sysop
2821
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Your email address is <strong>not yet authenticated</strong>. No email
will be sent for any of the following features.
3273
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Your email address is <strong>not yet authenticated</strong>. No email
will be sent for any of the following features.
3585
2005-12-02T02:19:02Z
MediaWiki default
Your e-mail address is <strong>not yet authenticated</strong>. No e-mail
will be sent for any of the following features.
4168
2006-10-25T18:15:14Z
MediaWiki default
26
Your e-mail address is not yet authenticated. No e-mail
will be sent for any of the following features.
MediaWiki:Enotif body
976
sysop
2822
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Dear $WATCHINGUSERNAME,
the {{SITENAME}} page $PAGETITLE has been $CHANGEDORCREATED on $PAGEEDITDATE by $PAGEEDITOR,
see {{SERVER}}{{localurl:$PAGETITLE_RAWURL}} for the current version.
$NEWPAGE
Editor's summary: $PAGESUMMARY $PAGEMINOREDIT
Contact the editor:
mail {{SERVER}}{{localurl:Special:Emailuser|target=$PAGEEDITOR_RAWURL}}
wiki {{SERVER}}{{localurl:User:$PAGEEDITOR_RAWURL}}
There will be no other notifications in case of further changes unless you visit this page.
You could also reset the notification flags for all your watched pages on your watchlist.
Your friendly {{SITENAME}} notification system
--
To change your watchlist settings, visit
{{SERVER}}{{localurl:Special:Watchlist|edit=yes}}
Feedback and further assistance:
{{SERVER}}{{localurl:Help:Contents}}
3274
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Dear $WATCHINGUSERNAME,
the {{SITENAME}} page $PAGETITLE has been $CHANGEDORCREATED on $PAGEEDITDATE by $PAGEEDITOR, see $PAGETITLE_URL for the current version.
$NEWPAGE
Editor's summary: $PAGESUMMARY $PAGEMINOREDIT
Contact the editor:
mail: $PAGEEDITOR_EMAIL
wiki: $PAGEEDITOR_WIKI
There will be no other notifications in case of further changes unless you visit this page. You could also reset the notification flags for all your watched pages on your watchlist.
Your friendly {{SITENAME}} notification system
--
To change your watchlist settings, visit
{{SERVER}}{{localurl:Special:Watchlist/edit}}
Feedback and further assistance:
{{SERVER}}{{localurl:Help:Contents}}
3898
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Dear $WATCHINGUSERNAME,
the {{SITENAME}} page $PAGETITLE has been $CHANGEDORCREATED on $PAGEEDITDATE by $PAGEEDITOR, see $PAGETITLE_URL for the current version.
$NEWPAGE
Editor's summary: $PAGESUMMARY $PAGEMINOREDIT
Contact the editor:
mail: $PAGEEDITOR_EMAIL
wiki: $PAGEEDITOR_WIKI
There will be no other notifications in case of further changes unless you visit this page. You could also reset the notification flags for all your watched pages on your watchlist.
Your friendly {{SITENAME}} notification system
--
To change your watchlist settings, visit
{{fullurl:{{ns:special}}:Watchlist/edit}}
Feedback and further assistance:
{{fullurl:{{ns:help}}:Contents}}
MediaWiki:Enotif lastvisited
977
sysop
2823
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
See {{SERVER}}{{localurl:$PAGETITLE_RAWURL|diff=0&oldid=$OLDID}} for all changes since your last visit.
3275
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
See $1 for all changes since your last visit.
MediaWiki:Enotif mailer
978
sysop
2824
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} Notification Mailer
MediaWiki:Enotif newpagetext
979
sysop
2825
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
This is a new page.
MediaWiki:Enotif reset
980
sysop
2826
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Mark all pages visited
MediaWiki:Enotif subject
981
sysop
2827
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
{{SITENAME}} page $PAGETITLE has been $CHANGEDORCREATED by $PAGEEDITOR
MediaWiki:Excontentauthor
982
sysop
2830
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
content was: '$1' (and the only contributor was '$2')
4169
2006-10-25T18:15:14Z
MediaWiki default
26
content was: '$1' (and the only contributor was '[[Special:Contributions/$2|$2]]')
MediaWiki:Exif-aperturevalue
983
sysop
2831
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Aperture
MediaWiki:Exif-artist
984
sysop
2832
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Author
MediaWiki:Exif-bitspersample
985
sysop
2833
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Bits per component
MediaWiki:Exif-brightnessvalue
986
sysop
2834
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Brightness
MediaWiki:Exif-cfapattern
987
sysop
2835
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
CFA pattern
MediaWiki:Exif-colorspace
988
sysop
2836
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Color space
MediaWiki:Exif-colorspace-1
989
sysop
2837
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
sRGB
MediaWiki:Exif-colorspace-ffff.h
990
sysop
2838
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
FFFF.H
MediaWiki:Exif-componentsconfiguration
991
sysop
2839
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Meaning of each component
MediaWiki:Exif-componentsconfiguration-0
992
sysop
2840
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
does not exist
MediaWiki:Exif-componentsconfiguration-1
993
sysop
2841
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Y
MediaWiki:Exif-componentsconfiguration-2
994
sysop
2842
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Cb
MediaWiki:Exif-componentsconfiguration-3
995
sysop
2843
2005-06-26T17:40:25Z
MediaWiki default
Cr
MediaWiki:Exif-componentsconfiguration-4
996
sysop
2844
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
R
MediaWiki:Exif-componentsconfiguration-5
997
sysop
2845
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
G
MediaWiki:Exif-componentsconfiguration-6
998
sysop
2846
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
B
MediaWiki:Exif-compressedbitsperpixel
999
sysop
2847
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Image compression mode
MediaWiki:Exif-compression
1000
sysop
2848
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Compression scheme
MediaWiki:Exif-compression-1
1001
sysop
2849
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Uncompressed
MediaWiki:Exif-compression-6
1002
sysop
2850
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
JPEG
MediaWiki:Exif-contrast
1003
sysop
2851
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Contrast
MediaWiki:Exif-contrast-0
1004
sysop
2852
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Normal
MediaWiki:Exif-contrast-1
1005
sysop
2853
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Soft
MediaWiki:Exif-contrast-2
1006
sysop
2854
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Hard
MediaWiki:Exif-copyright
1007
sysop
2855
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Copyright holder
MediaWiki:Exif-customrendered
1008
sysop
2856
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Custom image processing
MediaWiki:Exif-customrendered-0
1009
sysop
2857
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Normal process
MediaWiki:Exif-customrendered-1
1010
sysop
2858
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Custom process
MediaWiki:Exif-datetime
1011
sysop
2859
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
File change date and time
MediaWiki:Exif-datetimedigitized
1012
sysop
2860
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Date and time of digitizing
MediaWiki:Exif-datetimeoriginal
1013
sysop
2861
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Date and time of data generation
MediaWiki:Exif-devicesettingdescription
1014
sysop
2862
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Device settings description
MediaWiki:Exif-digitalzoomratio
1015
sysop
2863
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Digital zoom ratio
MediaWiki:Exif-exifversion
1016
sysop
2864
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Exif version
MediaWiki:Exif-exposurebiasvalue
1017
sysop
2865
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Exposure bias
MediaWiki:Exif-exposureindex
1018
sysop
2866
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Exposure index
MediaWiki:Exif-exposuremode
1019
sysop
2867
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Exposure mode
MediaWiki:Exif-exposuremode-0
1020
sysop
2868
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Auto exposure
MediaWiki:Exif-exposuremode-1
1021
sysop
2869
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Manual exposure
MediaWiki:Exif-exposuremode-2
1022
sysop
2870
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Auto bracket
MediaWiki:Exif-exposureprogram
1023
sysop
2871
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Exposure Program
MediaWiki:Exif-exposureprogram-0
1024
sysop
2872
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Not defined
MediaWiki:Exif-exposureprogram-1
1025
sysop
2873
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Manual
MediaWiki:Exif-exposureprogram-2
1026
sysop
2874
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Normal program
MediaWiki:Exif-exposureprogram-3
1027
sysop
2875
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Aperture priority
MediaWiki:Exif-exposureprogram-4
1028
sysop
2876
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Shutter priority
MediaWiki:Exif-exposureprogram-5
1029
sysop
2877
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Creative program (biased toward depth of field)
MediaWiki:Exif-exposureprogram-6
1030
sysop
2878
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Action program (biased toward fast shutter speed)
MediaWiki:Exif-exposureprogram-7
1031
sysop
2879
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Portrait mode (for closeup photos with the background out of focus)
MediaWiki:Exif-exposureprogram-8
1032
sysop
2880
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Landscape mode (for landscape photos with the background in focus)
MediaWiki:Exif-exposuretime
1033
sysop
2881
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Exposure time
MediaWiki:Exif-filesource
1034
sysop
2882
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
File source
MediaWiki:Exif-filesource-3
1035
sysop
2883
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
DSC
MediaWiki:Exif-flash
1036
sysop
2884
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Flash
MediaWiki:Exif-flashenergy
1037
sysop
2885
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Flash energy
MediaWiki:Exif-flashpixversion
1038
sysop
2886
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Supported Flashpix version
MediaWiki:Exif-fnumber
1039
sysop
2887
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
F Number
MediaWiki:Exif-focallength
1040
sysop
2888
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Lens focal length
MediaWiki:Exif-focallengthin35mmfilm
1041
sysop
2889
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Focal length in 35 mm film
MediaWiki:Exif-focalplaneresolutionunit
1042
sysop
2890
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Focal plane resolution unit
MediaWiki:Exif-focalplanexresolution
1043
sysop
2891
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Focal plane X resolution
MediaWiki:Exif-focalplaneyresolution
1044
sysop
2892
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Focal plane Y resolution
MediaWiki:Exif-gaincontrol
1045
sysop
2893
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Scene control
MediaWiki:Exif-gaincontrol-0
1046
sysop
2894
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
None
MediaWiki:Exif-gaincontrol-1
1047
sysop
2895
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Low gain up
MediaWiki:Exif-gaincontrol-2
1048
sysop
2896
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
High gain up
MediaWiki:Exif-gaincontrol-3
1049
sysop
2897
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Low gain down
MediaWiki:Exif-gaincontrol-4
1050
sysop
2898
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
High gain down
MediaWiki:Exif-gpsaltitude
1051
sysop
2899
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Altitude
MediaWiki:Exif-gpsaltituderef
1052
sysop
2900
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Altitude reference
MediaWiki:Exif-gpsareainformation
1053
sysop
2901
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Name of GPS area
MediaWiki:Exif-gpsdatestamp
1054
sysop
2902
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
GPS date
MediaWiki:Exif-gpsdestbearing
1055
sysop
2903
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Bearing of destination
MediaWiki:Exif-gpsdestbearingref
1056
sysop
2904
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Reference for bearing of destination
MediaWiki:Exif-gpsdestdistance
1057
sysop
2905
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Distance to destination
MediaWiki:Exif-gpsdestdistanceref
1058
sysop
2906
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Reference for distance to destination
MediaWiki:Exif-gpsdestlatitude
1059
sysop
2907
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Latitude destination
MediaWiki:Exif-gpsdestlatituderef
1060
sysop
2908
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Reference for latitude of destination
MediaWiki:Exif-gpsdestlongitude
1061
sysop
2909
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Longitude of destination
MediaWiki:Exif-gpsdestlongituderef
1062
sysop
2910
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Reference for longitude of destination
MediaWiki:Exif-gpsdifferential
1063
sysop
2911
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
GPS differential correction
MediaWiki:Exif-gpsdirection-m
1064
sysop
2912
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Magnetic direction
MediaWiki:Exif-gpsdirection-t
1065
sysop
2913
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
True direction
MediaWiki:Exif-gpsdop
1066
sysop
2914
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Measurement precision
MediaWiki:Exif-gpsimgdirection
1067
sysop
2915
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Direction of image
MediaWiki:Exif-gpsimgdirectionref
1068
sysop
2916
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Reference for direction of image
MediaWiki:Exif-gpslatitude
1069
sysop
2917
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Latitude
MediaWiki:Exif-gpslatitude-n
1070
sysop
2918
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
North latitude
MediaWiki:Exif-gpslatitude-s
1071
sysop
2919
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
South latitude
MediaWiki:Exif-gpslatituderef
1072
sysop
2920
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
North or South Latitude
MediaWiki:Exif-gpslongitude
1073
sysop
2921
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Longitude
MediaWiki:Exif-gpslongitude-e
1074
sysop
2922
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
East longitude
MediaWiki:Exif-gpslongitude-w
1075
sysop
2923
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
West longitude
MediaWiki:Exif-gpslongituderef
1076
sysop
2924
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
East or West Longitude
MediaWiki:Exif-gpsmapdatum
1077
sysop
2925
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Geodetic survey data used
MediaWiki:Exif-gpsmeasuremode
1078
sysop
2926
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Measurement mode
MediaWiki:Exif-gpsmeasuremode-2
1079
sysop
2927
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
2-dimensional measurement
MediaWiki:Exif-gpsmeasuremode-3
1080
sysop
2928
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
3-dimensional measurement
MediaWiki:Exif-gpsprocessingmethod
1081
sysop
2929
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Name of GPS processing method
MediaWiki:Exif-gpssatellites
1082
sysop
2930
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Satellites used for measurement
MediaWiki:Exif-gpsspeed
1083
sysop
2931
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Speed of GPS receiver
MediaWiki:Exif-gpsspeed-k
1084
sysop
2932
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Kilometres per hour
MediaWiki:Exif-gpsspeed-m
1085
sysop
2933
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Miles per hour
MediaWiki:Exif-gpsspeed-n
1086
sysop
2934
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Knots
MediaWiki:Exif-gpsspeedref
1087
sysop
2935
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Speed unit
MediaWiki:Exif-gpsstatus
1088
sysop
2936
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Receiver status
MediaWiki:Exif-gpsstatus-a
1089
sysop
2937
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Measurement in progress
MediaWiki:Exif-gpsstatus-v
1090
sysop
2938
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Measurement interoperability
MediaWiki:Exif-gpstimestamp
1091
sysop
2939
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
GPS time (atomic clock)
MediaWiki:Exif-gpstrack
1092
sysop
2940
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Direction of movement
MediaWiki:Exif-gpstrackref
1093
sysop
2941
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Reference for direction of movement
MediaWiki:Exif-gpsversionid
1094
sysop
2942
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
GPS tag version
MediaWiki:Exif-imagedescription
1095
sysop
2943
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Image title
MediaWiki:Exif-imagelength
1096
sysop
2944
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Height
MediaWiki:Exif-imageuniqueid
1097
sysop
2945
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Unique image ID
MediaWiki:Exif-imagewidth
1098
sysop
2946
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Width
MediaWiki:Exif-isospeedratings
1099
sysop
2947
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
ISO speed rating
MediaWiki:Exif-jpeginterchangeformat
1100
sysop
2948
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Offset to JPEG SOI
MediaWiki:Exif-jpeginterchangeformatlength
1101
sysop
2949
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Bytes of JPEG data
MediaWiki:Exif-lightsource
1102
sysop
2950
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Light source
MediaWiki:Exif-lightsource-0
1103
sysop
2951
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Unknown
MediaWiki:Exif-lightsource-1
1104
sysop
2952
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Daylight
MediaWiki:Exif-lightsource-10
1105
sysop
2953
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Clody weather
3463
2005-11-09T22:25:58Z
MediaWiki default
Cloudy weather
MediaWiki:Exif-lightsource-11
1106
sysop
2954
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Shade
MediaWiki:Exif-lightsource-12
1107
sysop
2955
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Daylight fluorescent (D 5700 – 7100K)
MediaWiki:Exif-lightsource-13
1108
sysop
2956
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Day white fluorescent (N 4600 – 5400K)
MediaWiki:Exif-lightsource-14
1109
sysop
2957
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Cool white fluorescent (W 3900 – 4500K)
MediaWiki:Exif-lightsource-15
1110
sysop
2958
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
White fluorescent (WW 3200 – 3700K)
MediaWiki:Exif-lightsource-17
1111
sysop
2959
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Standard light A
MediaWiki:Exif-lightsource-18
1112
sysop
2960
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Standard light B
MediaWiki:Exif-lightsource-19
1113
sysop
2961
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Standard light C
MediaWiki:Exif-lightsource-2
1114
sysop
2962
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Fluorescent
MediaWiki:Exif-lightsource-20
1115
sysop
2963
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
D55
MediaWiki:Exif-lightsource-21
1116
sysop
2964
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
D65
MediaWiki:Exif-lightsource-22
1117
sysop
2965
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
D75
MediaWiki:Exif-lightsource-23
1118
sysop
2966
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
D50
MediaWiki:Exif-lightsource-24
1119
sysop
2967
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
ISO studio tungsten
MediaWiki:Exif-lightsource-255
1120
sysop
2968
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Other light source
MediaWiki:Exif-lightsource-3
1121
sysop
2969
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Tungsten (incandescent light)
MediaWiki:Exif-lightsource-4
1122
sysop
2970
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Flash
MediaWiki:Exif-lightsource-9
1123
sysop
2971
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Fine weather
MediaWiki:Exif-make
1124
sysop
2972
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Camera manufacturer
MediaWiki:Exif-make-value
1125
sysop
2973
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
$1
MediaWiki:Exif-makernote
1126
sysop
2974
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Manufacturer notes
MediaWiki:Exif-maxaperturevalue
1127
sysop
2975
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Maximum land aperture
MediaWiki:Exif-meteringmode
1128
sysop
2976
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Metering mode
MediaWiki:Exif-meteringmode-0
1129
sysop
2977
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Unknown
MediaWiki:Exif-meteringmode-1
1130
sysop
2978
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Average
MediaWiki:Exif-meteringmode-2
1131
sysop
2979
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
CenterWeightedAverage
MediaWiki:Exif-meteringmode-255
1132
sysop
2980
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Other
MediaWiki:Exif-meteringmode-3
1133
sysop
2981
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Spot
MediaWiki:Exif-meteringmode-4
1134
sysop
2982
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
MultiSpot
MediaWiki:Exif-meteringmode-5
1135
sysop
2983
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Pattern
MediaWiki:Exif-meteringmode-6
1136
sysop
2984
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Partial
MediaWiki:Exif-model
1137
sysop
2985
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Camera model
MediaWiki:Exif-model-value
1138
sysop
2986
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
$1
MediaWiki:Exif-oecf
1139
sysop
2987
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Optoelectronic conversion factor
MediaWiki:Exif-orientation
1140
sysop
2988
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Orientation
MediaWiki:Exif-orientation-1
1141
sysop
2989
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Normal
MediaWiki:Exif-orientation-2
1142
sysop
2990
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Flipped horizontally
MediaWiki:Exif-orientation-3
1143
sysop
2991
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Rotated 180°
MediaWiki:Exif-orientation-4
1144
sysop
2992
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Flipped vertically
MediaWiki:Exif-orientation-5
1145
sysop
2993
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Rotated 90° CCW and flipped vertically
MediaWiki:Exif-orientation-6
1146
sysop
2994
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Roatated 90° CW
3277
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Rotated 90° CW
MediaWiki:Exif-orientation-7
1147
sysop
2995
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Roateted 90° CW and flipped vertically
3278
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Rotated 90° CW and flipped vertically
MediaWiki:Exif-orientation-8
1148
sysop
2996
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Rotated 90° CCW
MediaWiki:Exif-photometricinterpretation
1149
sysop
2997
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Pixel composition
MediaWiki:Exif-photometricinterpretation-1
1150
sysop
2998
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
RGB
MediaWiki:Exif-photometricinterpretation-6
1151
sysop
2999
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
YCbCr
MediaWiki:Exif-pixelxdimension
1152
sysop
3000
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Valind image height
3899
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Valid image height
MediaWiki:Exif-pixelydimension
1153
sysop
3001
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Valid image width
MediaWiki:Exif-planarconfiguration
1154
sysop
3002
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Data arrangement
MediaWiki:Exif-planarconfiguration-1
1155
sysop
3003
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
chunky format
MediaWiki:Exif-planarconfiguration-2
1156
sysop
3004
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
planar format
MediaWiki:Exif-primarychromaticities
1157
sysop
3005
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Chromaticities of primarities
MediaWiki:Exif-referenceblackwhite
1158
sysop
3006
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Pair of black and white reference values
MediaWiki:Exif-relatedsoundfile
1159
sysop
3007
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Related audio file
MediaWiki:Exif-resolutionunit
1160
sysop
3008
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Unit of X and Y resolution
MediaWiki:Exif-resolutionunit-2
1161
sysop
3009
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
inches
MediaWiki:Exif-resolutionunit-3
1162
sysop
3010
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
centimetres
MediaWiki:Exif-rowsperstrip
1163
sysop
3011
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Number of rows per strip
MediaWiki:Exif-samplesperpixel
1164
sysop
3012
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Number of components
MediaWiki:Exif-saturation
1165
sysop
3013
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Saturation
MediaWiki:Exif-saturation-0
1166
sysop
3014
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Normal
MediaWiki:Exif-saturation-1
1167
sysop
3015
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Low saturation
MediaWiki:Exif-saturation-2
1168
sysop
3016
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
High saturation
MediaWiki:Exif-scenecapturetype
1169
sysop
3017
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Scene capture type
MediaWiki:Exif-scenecapturetype-0
1170
sysop
3018
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Standard
MediaWiki:Exif-scenecapturetype-1
1171
sysop
3019
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Landscape
MediaWiki:Exif-scenecapturetype-2
1172
sysop
3020
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Portrait
MediaWiki:Exif-scenecapturetype-3
1173
sysop
3021
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Night scene
MediaWiki:Exif-scenetype
1174
sysop
3022
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Scene type
MediaWiki:Exif-scenetype-1
1175
sysop
3023
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
A directly photographed image
MediaWiki:Exif-sensingmethod
1176
sysop
3024
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Sensing method
MediaWiki:Exif-sensingmethod-1
1177
sysop
3025
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Undefined
MediaWiki:Exif-sensingmethod-2
1178
sysop
3026
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
One-chip color area sensor
MediaWiki:Exif-sensingmethod-3
1179
sysop
3027
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Two-chip color area sensor
MediaWiki:Exif-sensingmethod-4
1180
sysop
3028
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Three-chip color area sensor
MediaWiki:Exif-sensingmethod-5
1181
sysop
3029
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Color sequential area sensor
MediaWiki:Exif-sensingmethod-7
1182
sysop
3030
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Trilinear sensor
MediaWiki:Exif-sensingmethod-8
1183
sysop
3031
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Color sequential linear sensor
MediaWiki:Exif-sharpness
1184
sysop
3032
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Sharpness
MediaWiki:Exif-sharpness-0
1185
sysop
3033
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Normal
MediaWiki:Exif-sharpness-1
1186
sysop
3034
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Soft
MediaWiki:Exif-sharpness-2
1187
sysop
3035
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Hard
MediaWiki:Exif-shutterspeedvalue
1188
sysop
3036
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Shutter speed
MediaWiki:Exif-software
1189
sysop
3037
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Software used
MediaWiki:Exif-software-value
1190
sysop
3038
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
$1
MediaWiki:Exif-spatialfrequencyresponse
1191
sysop
3039
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Spatial frequency response
MediaWiki:Exif-spectralsensitivity
1192
sysop
3040
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Spectral sensitivity
MediaWiki:Exif-stripbytecounts
1193
sysop
3041
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Bytes per compressed strip
MediaWiki:Exif-stripoffsets
1194
sysop
3042
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Image data location
MediaWiki:Exif-subjectarea
1195
sysop
3043
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Subject area
MediaWiki:Exif-subjectdistance
1196
sysop
3044
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Subject distance
MediaWiki:Exif-subjectdistancerange
1197
sysop
3045
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Subject distance range
MediaWiki:Exif-subjectdistancerange-0
1198
sysop
3046
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Unknown
MediaWiki:Exif-subjectdistancerange-1
1199
sysop
3047
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Macro
MediaWiki:Exif-subjectdistancerange-2
1200
sysop
3048
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Close view
MediaWiki:Exif-subjectdistancerange-3
1201
sysop
3049
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Distant view
MediaWiki:Exif-subjectlocation
1202
sysop
3050
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Subject location
MediaWiki:Exif-subsectime
1203
sysop
3051
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
DateTime subseconds
MediaWiki:Exif-subsectimedigitized
1204
sysop
3052
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
DateTimeDigitized subseconds
MediaWiki:Exif-subsectimeoriginal
1205
sysop
3053
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
DateTimeOriginal subseconds
MediaWiki:Exif-transferfunction
1206
sysop
3054
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Transfer function
MediaWiki:Exif-usercomment
1207
sysop
3055
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
User comments
MediaWiki:Exif-whitebalance
1208
sysop
3056
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
White Balance
MediaWiki:Exif-whitebalance-0
1209
sysop
3057
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Auto white balance
MediaWiki:Exif-whitebalance-1
1210
sysop
3058
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Manual white balance
MediaWiki:Exif-whitepoint
1211
sysop
3059
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
White point chromaticity
MediaWiki:Exif-xresolution
1212
sysop
3060
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Image resolution in width direction
3280
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Horizontal resolution
MediaWiki:Exif-ycbcrcoefficients
1213
sysop
3061
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Color space transformation matrix coefficients
MediaWiki:Exif-ycbcrpositioning
1214
sysop
3062
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Y and C positioning
MediaWiki:Exif-ycbcrsubsampling
1215
sysop
3063
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Subsampling ratio of Y to C
MediaWiki:Exif-yresolution
1216
sysop
3064
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Image resolution in height direction
3283
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Vertical resolution
MediaWiki:Externaldberror
1217
sysop
3066
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
There was either an external authentication database error or you are not allowed to update your external account.
MediaWiki:Fileinfo
1218
sysop
3067
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
$1KB, MIME type: <code>$2</code>
MediaWiki:Files
1219
sysop
3068
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Files
MediaWiki:Group-admin-desc
1220
sysop
3071
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Trusted users able to block users and delete articles
MediaWiki:Group-admin-name
1221
sysop
3072
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Administrator
MediaWiki:Group-anon-desc
1222
sysop
3073
2005-06-26T17:40:26Z
MediaWiki default
Anonymous users
MediaWiki:Group-anon-name
1223
sysop
3074
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Anonymous
MediaWiki:Group-bureaucrat-desc
1224
sysop
3075
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
The bureaucrat group is able to make sysops
MediaWiki:Group-bureaucrat-name
1225
sysop
3076
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Bureaucrat
MediaWiki:Group-loggedin-desc
1226
sysop
3077
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
General logged in users
MediaWiki:Group-loggedin-name
1227
sysop
3078
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
User
MediaWiki:Group-steward-desc
1228
sysop
3079
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Full access
MediaWiki:Group-steward-name
1229
sysop
3080
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Steward
MediaWiki:Grouprightspheading
1230
sysop
3081
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
grouprights level
MediaWiki:Groups
1231
sysop
3082
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
User groups
MediaWiki:Groups-addgroup
1232
sysop
3083
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Add group
MediaWiki:Groups-already-exists
1233
sysop
3084
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
A group of that name already exists
MediaWiki:Groups-editgroup
1234
sysop
3085
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Edit group
MediaWiki:Groups-editgroup-description
1235
sysop
3086
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Group description (max 255 characters):<br />
MediaWiki:Groups-editgroup-name
1236
sysop
3087
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Group name:
MediaWiki:Groups-editgroup-preamble
1237
sysop
3088
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
If the name or description starts with a colon, the
remainder will be treated as a message name, and hence the text will be localised
using the MediaWiki namespace
3285
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
If the name or description starts with a colon, the
remainder will be treated as a message name, and hence the text will be localised
using the MediaWiki namespace
MediaWiki:Groups-existing
1238
sysop
3089
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Existing groups
MediaWiki:Groups-group-edit
1239
sysop
3090
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Existing groups:
MediaWiki:Groups-lookup-group
1240
sysop
3091
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Manage group rights
MediaWiki:Groups-noname
1241
sysop
3092
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Please specify a valid group name
MediaWiki:Groups-tableheader
1242
sysop
3093
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
ID || Name || Description || Rights
MediaWiki:Imagelistall
1243
sysop
3096
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
all
MediaWiki:Immobile namespace
1244
sysop
3100
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Destination title is of a special type; cannot move pages into that namespace.
4174
2006-10-25T18:15:21Z
MediaWiki default
26
Source or destination title is of a special type; cannot move pages from and into that namespace.
MediaWiki:Importinterwiki
1245
sysop
3101
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Transwiki import
MediaWiki:Importnosources
1246
sysop
3102
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
No transwiki import sources have been defined and direct history uploads are disabled.
MediaWiki:Invalidemailaddress
1247
sysop
3103
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
The email address cannot be accepted as it appears to have an invalid
format. Please enter a well-formatted address or empty that field.
3291
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
The email address cannot be accepted as it appears to have an invalid
format. Please enter a well-formatted address or empty that field.
3589
2005-12-02T02:19:02Z
MediaWiki default
The e-mail address cannot be accepted as it appears to have an invalid
format. Please enter a well-formatted address or empty that field.
MediaWiki:Invert
1248
sysop
3104
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Invert selection
MediaWiki:Ipadressorusername
1249
sysop
3106
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
IP Address or username
MediaWiki:Mediawarning
1250
sysop
3117
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
'''Warning''': This file may contain malicious code, by executing it your system may be compromised.
<hr>
3945
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
'''Warning''': This file may contain malicious code, by executing it your system may be compromised.<hr />
MediaWiki:Metadata
1251
sysop
3118
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Metadata
MediaWiki:Metadata page
1252
sysop
3119
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Wikipedia:Metadata
MediaWiki:Movelogpage
1253
sysop
3121
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Move log
MediaWiki:Movelogpagetext
1254
sysop
3122
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Below is a list of page moved.
MediaWiki:Movereason
1255
sysop
3125
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Reason
MediaWiki:Namespace
1256
sysop
3126
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Namespace:
MediaWiki:Noemailprefs
1257
sysop
3128
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
<strong>No email address has been specified</strong>, the following
features will not work.
3301
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
<strong>No email address has been specified</strong>, the following
features will not work.
3485
2005-11-09T22:26:00Z
MediaWiki default
<strong>Specify an email address for these features to work.</strong>
3595
2005-12-02T02:19:03Z
MediaWiki default
<strong>Specify an e-mail address for these features to work.</strong>
3954
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Specify an e-mail address for these features to work.
MediaWiki:Noimage
1258
sysop
3130
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
No file by this name exists, you can [$1 upload it]
3404
2005-09-05T09:24:36Z
MediaWiki default
No file by this name exists, you can $1.
MediaWiki:Number of watching users RCview
1259
sysop
3133
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
[$1]
MediaWiki:Number of watching users pageview
1260
sysop
3134
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
[$1 watching user/s]
MediaWiki:Passwordtooshort
1261
sysop
3135
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Your password is too short. It must have at least $1 characters.
MediaWiki:Prefs-help-email
1262
sysop
3136
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
² Email (optional): Enables others to contact you through your user or user_talk page without the need of revealing your identity.
3305
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
* Email (optional): Enables others to contact you through your user or user_talk page without the need of revealing your identity.
3599
2005-12-02T02:19:03Z
MediaWiki default
* E-mail (optional): Enables others to contact you through your user or user_talk page without the need of revealing your identity.
3965
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
* E-mail (optional): Enables others to contact you through your user or user_talk page without needing to reveal your identity.
MediaWiki:Prefs-help-email-enotif
1263
sysop
3137
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
This address is also used to send you email notifications if you enabled the options.
3600
2005-12-02T02:19:03Z
MediaWiki default
This address is also used to send you e-mail notifications if you enabled the options.
MediaWiki:Prefs-help-realname
1264
sysop
3138
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
¹ Real name (optional): if you choose to provide it this will be used for giving you attribution for your work.
3306
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
* Real name (optional): if you choose to provide it this will be used for giving you attribution for your work.
MediaWiki:Print
1265
sysop
3143
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Print
MediaWiki:Recentchangesall
1266
sysop
3149
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
all
MediaWiki:Renamegrouplogentry
1267
sysop
3151
2005-06-26T17:40:27Z
MediaWiki default
Renamed group $2 to $3
MediaWiki:Restrictedpheading
1268
sysop
3153
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Restricted special pages
MediaWiki:Revertmove
1269
sysop
3156
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
revert
MediaWiki:Selfmove
1270
sysop
3160
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Source and destination titles are the same; can't move a page over itself.
MediaWiki:Setstewardflag
1271
sysop
3162
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Set steward flag
MediaWiki:Shareduploadwiki
1272
sysop
3164
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Please see the [$1 file description page] for further information.
3414
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
Please see the $1 for further information.
MediaWiki:Showdiff
1273
sysop
3165
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Show changes
MediaWiki:Sidebar
1274
sysop
3167
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
* navigation
** mainpage|mainpage
** portal-url|portal
** currentevents-url|currentevents
** recentchanges-url|recentchanges
** randompage-url|randompage
** helppage|help
** sitesupport-url|sitesupport
3318
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
* navigation
** mainpage|mainpage
** portal-url|portal
** currentevents-url|currentevents
** recentchanges-url|recentchanges
** randompage-url|randompage
** helppage|help
** sitesupport-url|sitesupport
3370
2005-08-19T23:15:20Z
MediaWiki default
* navigation
** mainpage|mainpage
** portal-url|portal
** currentevents-url|currentevents
** recentchanges-url|recentchanges
** randompage-url|randompage
** helppage|help
** sitesupport-url|sitesupport
3418
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
* navigation
** mainpage|mainpage
** portal-url|portal
** currentevents-url|currentevents
** recentchanges-url|recentchanges
** randompage-url|randompage
** helppage|help
** sitesupport-url|sitesupport
3498
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
* navigation
** mainpage|mainpage
** portal-url|portal
** currentevents-url|currentevents
** recentchanges-url|recentchanges
** randompage-url|randompage
** helppage|help
** sitesupport-url|sitesupport
3541
2005-11-29T00:53:41Z
MediaWiki default
* navigation
** mainpage|mainpage
** portal-url|portal
** currentevents-url|currentevents
** recentchanges-url|recentchanges
** randompage-url|randompage
** helppage|help
** sitesupport-url|sitesupport
3560
2005-11-29T21:05:32Z
MediaWiki default
* navigation
** mainpage|mainpage
** portal-url|portal
** currentevents-url|currentevents
** recentchanges-url|recentchanges
** randompage-url|randompage
** helppage|help
** sitesupport-url|sitesupport
3601
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
* navigation
** mainpage|mainpage
** portal-url|portal
** currentevents-url|currentevents
** recentchanges-url|recentchanges
** randompage-url|randompage
** helppage|help
** sitesupport-url|sitesupport
3631
2005-12-02T03:56:05Z
MediaWiki default
* navigation
** mainpage|mainpage
** portal-url|portal
** currentevents-url|currentevents
** recentchanges-url|recentchanges
** randompage-url|randompage
** helppage|help
** sitesupport-url|sitesupport
MediaWiki:Sourcefilename
1275
sysop
3169
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Source filename
MediaWiki:Thumbsize
1276
sysop
3170
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Thumbnail size :
3371
2005-08-19T23:15:20Z
MediaWiki default
Thumbnail size:
3419
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
Thumbnail size:
3500
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Thumbnail size:
3542
2005-11-29T00:53:41Z
MediaWiki default
Thumbnail size:
3561
2005-11-29T21:05:32Z
MediaWiki default
Thumbnail size:
3603
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
Thumbnail size:
3632
2005-12-02T03:56:05Z
MediaWiki default
Thumbnail size:
3690
2005-12-22T07:14:42Z
MediaWiki default
Thumbnail size:
3708
2006-01-01T13:00:12Z
MediaWiki default
Thumbnail size:
MediaWiki:Tog-enotifminoredits
1277
sysop
3173
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Send me an email also for minor edits of pages
3501
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Email me also for minor edits of pages
3604
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
E-mail me also for minor edits of pages
MediaWiki:Tog-enotifrevealaddr
1278
sysop
3174
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Reveal my email address in notification mails
3605
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
Reveal my e-mail address in notification mails
MediaWiki:Tog-enotifusertalkpages
1279
sysop
3175
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Send me an email when my user talk page is changed
3502
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Email me when my user talk page is changed
3606
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
E-mail me when my user talk page is changed
MediaWiki:Tog-enotifwatchlistpages
1280
sysop
3176
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Send me an email on page changes
3503
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Email me on page changes
3607
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
E-mail me on page changes
4000
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
E-mail me when a page I'm watching is changed
MediaWiki:Tog-externaldiff
1281
sysop
3177
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Use external diff by default
MediaWiki:Tog-externaleditor
1282
sysop
3178
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Use external editor by default
MediaWiki:Tog-shownumberswatching
1283
sysop
3181
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Show the number of watching users
MediaWiki:Tooltip-diff
1284
sysop
3184
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Show which changes you made to the text. [alt-d]
4004
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Show which changes you made to the text. [alt-v]
MediaWiki:Undelete short1
1285
sysop
3185
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Undelete one edit
MediaWiki:Upload directory read only
1286
sysop
3189
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
The upload directory ($1) is not writable by the webserver.
MediaWiki:Uploadnewversion
1287
sysop
3191
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
[$1 Upload a new version of this file]
MediaWiki:Uploadscripted
1288
sysop
3193
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
This file contains HTML or script code that my be erroneously be interpreted by a web browser.
3858
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
This file contains HTML or script code that may be erroneously be interpreted by a web browser.
MediaWiki:Uploadvirus
1289
sysop
3195
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
The file contains a virus! Details: $1
MediaWiki:Userrights
1290
sysop
3196
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
User rights management
MediaWiki:Userrights-editusergroup
1291
sysop
3197
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Edit user groups
MediaWiki:Userrights-groupsavailable
1292
sysop
3198
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Available groups:
MediaWiki:Userrights-groupshelp
1293
sysop
3199
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Select groups you want the user to be removed from or added to.
Unselected groups will not be changed. You can deselect a group with CTRL + Left Click
MediaWiki:Userrights-groupsmember
1294
sysop
3200
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Member of:
MediaWiki:Userrights-logcomment
1295
sysop
3201
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Changed group membership from $1 to $2
MediaWiki:Userrights-lookup-user
1296
sysop
3202
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Manage user groups
MediaWiki:Userrights-user-editname
1297
sysop
3203
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Enter a username:
3342
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
Enter a username:
3377
2005-08-19T23:15:21Z
MediaWiki default
Enter a username:
3428
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
Enter a username:
3514
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
Enter a username:
3549
2005-11-29T00:53:42Z
MediaWiki default
Enter a username:
3568
2005-11-29T21:05:32Z
MediaWiki default
Enter a username:
3616
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
Enter a username:
3639
2005-12-02T03:56:06Z
MediaWiki default
Enter a username:
3695
2005-12-22T07:14:42Z
MediaWiki default
Enter a username:
3711
2006-01-01T13:00:13Z
MediaWiki default
Enter a username:
MediaWiki:Val add
1298
sysop
3205
2005-06-26T17:40:28Z
MediaWiki default
Add
MediaWiki:Val del
1299
sysop
3207
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Delete
MediaWiki:Val details th
1300
sysop
3208
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
<sub>User</sub> \ <sup>Topic</sup>
MediaWiki:Val details th user
1301
sysop
3209
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
User $1
MediaWiki:Val iamsure
1302
sysop
3211
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Check this box if you really mean it!
MediaWiki:Val list header
1303
sysop
3212
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
<th>#</th><th>Topic</th><th>Range</th><th>Action</th>
MediaWiki:Val my stats title
1304
sysop
3213
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
My validation overview
MediaWiki:Val no
1305
sysop
3214
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
No
MediaWiki:Val of
1306
sysop
3215
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
$1 of $2
MediaWiki:Val rev for
1307
sysop
3216
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Revisions for $1
MediaWiki:Val rev stats link
1308
sysop
3217
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
See the validation statistics for "$1" <a href="$2">here</a>
MediaWiki:Val revision
1309
sysop
3218
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Revision
MediaWiki:Val revision changes ok
1310
sysop
3219
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Your ratings have been stored!
MediaWiki:Val revision number
1311
sysop
3220
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Revision #$1
MediaWiki:Val revision of
1312
sysop
3221
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Revision of $1
MediaWiki:Val revision stats link
1313
sysop
3222
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
details
MediaWiki:Val show my ratings
1314
sysop
3223
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Show my validations
MediaWiki:Val time
1315
sysop
3224
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Time
MediaWiki:Val topic desc page
1316
sysop
3225
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Project:Validation topics
MediaWiki:Val user stats title
1317
sysop
3226
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Validation overview of user $1
MediaWiki:Val validation of
1318
sysop
3227
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Validation of "$1"
MediaWiki:Val votepage intro
1319
sysop
3229
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Change this text <a href="{{SERVER}}{{localurl:MediaWiki:Val_votepage_intro}}">here</a>!
MediaWiki:Val warning
1320
sysop
3230
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
<b>Never, <i>ever</i>, change something here without <i>explicit</i> community consensus!</b>
MediaWiki:Val yes
1321
sysop
3231
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Yes
MediaWiki:Variantname-is
1322
sysop
3232
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
is
MediaWiki:Variantname-iz
1323
sysop
3233
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
iz
MediaWiki:Versionrequired
1324
sysop
3234
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Version $1 of MediaWiki required
MediaWiki:Versionrequiredtext
1325
sysop
3235
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Version $1 of MediaWiki is required to use this page. See [[Special:Version]]
MediaWiki:Views
1326
sysop
3236
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Views
MediaWiki:Watchlistall1
1327
sysop
3239
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
all
MediaWiki:Watchlistall2
1328
sysop
3240
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
all
MediaWiki:Wlheader-enotif
1329
sysop
3242
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
* Email notification is enabled.
3618
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
* E-mail notification is enabled.
MediaWiki:Wlheader-showupdated
1330
sysop
3243
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
* Pages which have been changed since you last visited them are shown in '''bold'''
MediaWiki:Wlhide
1331
sysop
3244
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Hide
MediaWiki:Wlhideshowown
1332
sysop
3245
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
$1 my edits.
4034
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
$1 my edits
MediaWiki:Wlshow
1333
sysop
3246
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Show
MediaWiki:Yourdomainname
1334
sysop
3248
2005-06-26T17:40:29Z
MediaWiki default
Your domain
MediaWiki:Contribs-showhideminor
1335
sysop
3266
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
$1 minor edits
MediaWiki:Createarticle
1336
sysop
3267
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
Create article
MediaWiki:Exif-focalplaneresolutionunit-2
1337
sysop
3276
2005-07-29T10:41:31Z
MediaWiki default
inches
MediaWiki:Exif-subjectdistance-value
1338
sysop
3279
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
$1 metres
MediaWiki:Exif-xyresolution-c
1339
sysop
3281
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
$1 dpc
MediaWiki:Exif-xyresolution-i
1340
sysop
3282
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
$1 dpi
MediaWiki:Histfirst
1341
sysop
3287
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Earliest
MediaWiki:Histlast
1342
sysop
3288
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Latest
MediaWiki:Ipboptions
1343
sysop
3292
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
2 hours:2 hours,1 day:1 day,3 days:3 days,1 week:1 week,2 weeks:2 weeks,1 month:1 month,3 months:3 months,6 months:6 months,1 year:1 year,infinite:infinite
MediaWiki:Ipbother
1344
sysop
3293
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
Other time
MediaWiki:Ipbotheroption
1345
sysop
3294
2005-07-29T10:41:32Z
MediaWiki default
other
MediaWiki:Scarytranscludedisabled
1346
sysop
3313
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
[Interwiki transcluding is disabled]
MediaWiki:Scarytranscludefailed
1347
sysop
3314
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
[Template fetch failed for $1; sorry]
MediaWiki:Scarytranscludetoolong
1348
sysop
3315
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
[URL is too long; sorry]
MediaWiki:Searchfulltext
1349
sysop
3316
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
Search full text
MediaWiki:Shareddescriptionfollows
1350
sysop
3317
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
-
MediaWiki:Skinpreview
1351
sysop
3322
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
(Preview)
MediaWiki:Trackback
1352
sysop
3327
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]
3372
2005-08-19T23:15:20Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]
3421
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]
3506
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]
3543
2005-11-29T00:53:41Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]
3562
2005-11-29T21:05:32Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]
3608
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]
3633
2005-12-02T03:56:06Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]
MediaWiki:Trackbackbox
1353
sysop
3328
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
<div id='mw_trackbacks'>
Trackbacks for this article:<br/>
$1
</div>
3373
2005-08-19T23:15:20Z
MediaWiki default
<div id='mw_trackbacks'>
Trackbacks for this article:<br />
$1
</div>
3422
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
<div id='mw_trackbacks'>
Trackbacks for this article:<br />
$1
</div>
3507
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
<div id='mw_trackbacks'>
Trackbacks for this article:<br />
$1
</div>
3544
2005-11-29T00:53:42Z
MediaWiki default
<div id='mw_trackbacks'>
Trackbacks for this article:<br />
$1
</div>
3563
2005-11-29T21:05:32Z
MediaWiki default
<div id='mw_trackbacks'>
Trackbacks for this article:<br />
$1
</div>
3609
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
<div id='mw_trackbacks'>
Trackbacks for this article:<br />
$1
</div>
3634
2005-12-02T03:56:06Z
MediaWiki default
<div id='mw_trackbacks'>
Trackbacks for this article:<br />
$1
</div>
3691
2005-12-22T07:14:42Z
MediaWiki default
<div id="mw_trackbacks">
Trackbacks for this article:<br />
$1
</div>
MediaWiki:Trackbackdeleteok
1354
sysop
3329
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
The trackback was successfully deleted.
MediaWiki:Trackbackexcerpt
1355
sysop
3330
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]: <nowiki>$3</nowiki>
3374
2005-08-19T23:15:20Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]: <nowiki>$3</nowiki>
3423
2005-09-05T09:24:37Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]: <nowiki>$3</nowiki>
3508
2005-11-09T22:26:01Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]: <nowiki>$3</nowiki>
3545
2005-11-29T00:53:42Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]: <nowiki>$3</nowiki>
3564
2005-11-29T21:05:32Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]: <nowiki>$3</nowiki>
3610
2005-12-02T02:19:04Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]: <nowiki>$3</nowiki>
3635
2005-12-02T03:56:06Z
MediaWiki default
; $4$5 : [$2 $1]: <nowiki>$3</nowiki>
MediaWiki:Trackbacklink
1356
sysop
3331
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
Trackback
MediaWiki:Trackbackremove
1357
sysop
3332
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
([$1 Delete])
MediaWiki:Tryexact
1358
sysop
3333
2005-07-29T10:41:33Z
MediaWiki default
Try exact match
MediaWiki:Underline-always
1359
sysop
3335
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
Always
MediaWiki:Underline-default
1360
sysop
3336
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
Browser default
MediaWiki:Underline-never
1361
sysop
3337
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
Never
MediaWiki:Unusedcategories
1362
sysop
3339
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
Unused categories
MediaWiki:Unusedcategoriestext
1363
sysop
3340
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
The following category pages exist although no other article or category make use of them.
MediaWiki:Val rev stats
1364
sysop
3343
2005-07-29T10:41:34Z
MediaWiki default
See the validation statistics for "$1" <a href="$2">here</a>
MediaWiki:Expiringblock
1365
sysop
3357
2005-08-19T23:15:18Z
MediaWiki default
expires $1
MediaWiki:Infiniteblock
1366
sysop
3358
2005-08-19T23:15:19Z
MediaWiki default
infinite
MediaWiki:Ipblocklistempty
1367
sysop
3359
2005-08-19T23:15:19Z
MediaWiki default
The blocklist is empty.
MediaWiki:Linkprefix
1368
sysop
3360
2005-08-19T23:15:19Z
MediaWiki default
/^(.*?)([a-zA-Z\x80-\xff]+)$/sD
MediaWiki:Mostlinked
1369
sysop
3362
2005-08-19T23:15:19Z
MediaWiki default
Most linked to pages
MediaWiki:Namespacesall
1370
sysop
3363
2005-08-19T23:15:19Z
MediaWiki default
all
MediaWiki:Restorelink1
1371
sysop
3368
2005-08-19T23:15:20Z
MediaWiki default
one deleted edit
MediaWiki:Unit-pixel
1372
sysop
3375
2005-08-19T23:15:21Z
MediaWiki default
px
उक्ति
1373
3379
2005-08-28T13:12:21Z
210.212.158.130
आधुनिक विषय
गणित
यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।
तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥
— वेदांग ज्योतिष
( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )
बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।
यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥
— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ
( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )
ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।
— गैलिलियो
गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।
— प्रो. हाल
काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।
— गरफंकल , १९९७
गणित एक भाषा है ।
— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री
लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।
यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।
विज्ञान
विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।
— विल्ल डुरान्ट
विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।
विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।
हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।
— रिचर्ड फ़ेनिमैन
तकनीकी
पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।
-आर्थर सी. क्लार्क
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।
— एस डीकैम्प
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।
— जेम्स के. फिंक
वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।
— थियोडोर वान कार्मन
मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।
— सुश्री जैकब
इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।
जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।
— लार्ड केल्विन
आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।
तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।
भाषा / स्वभाषा
निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।
बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥
— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।
— बेन्जामिन होर्फ
आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।
..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।
— जार्ज ओर्वेल
जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।
— गोथे
साहित्य
साहित्य समाज् का दर्पण होता है ।
साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।
( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )
— भर्तृहरि
संगति / सत्संगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार /नेटवर्किंग / संघ
संघे शक्तिः ( एकता में शति है )
हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।
समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥
हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।
— महाभारत
यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।
पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥
जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे के कारण कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।
— पंचतंत्र
को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? , गुणियों का साथ )
— भर्तृहरि
सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है )
संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )
— पंचतंत्र
दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।
— कियोसाकी
मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।
शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।
पारस परस कुधातु सुहाई ॥
— गोस्वामी तुलसीदास
गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )
— गोस्वामी तुलसीदास
बिना सहकार , नहीं उद्धार ।
उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।
( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )
संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन
दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।
आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है ।
कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।
उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।
बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।
— गोथे
व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।
— डिजरायली
साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न
साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )
इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।
जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।
बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।
बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।
— आर. जी. इंगरसोल
जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।
- द्रोणाचार्य
यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।
- वल्लभभाई पटेल
वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।
- डब्ल्यू.एच.आडेन
शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।
- किर्केगार्द
भय, अभय , निर्भय
तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।
आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥
भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।
— पंचतंत्र
जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।
- पंचतंत्र
‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।
- बर्ट्रेंड रसेल
मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।
- अथर्ववेद
‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।
- स्वामी विवेकानंद
दोष / गलती
गलती करने में कोई गलती नहीं है ।
गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।
— एल्बर्ट हब्बार्ड
गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।
बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।
— ग्लेडस्टन
मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।
— राबर्ट कियोसाकी
सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।
— आस्कर वाइल्ड
गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।
— सिसरो
अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।
— अलेक्जेन्डर पोप
दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।
— प्लूटार्क
सफलता, असफलता
जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।
— हक्सले
जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।
— हर्मन मेलविल
असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।
— नैपोलियन हिल
सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।
असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।
— हेनरी फ़ोर्ड
दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।
- थामस इलियट
दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।
- इमर्सन
- हरिशंकर परसाई
सुख-दुःख , व्याधि , दया
संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।
- खलील जिब्रान
संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।
- मृच्छकटिक
व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।
- चाणक्यसूत्राणि-२२३
विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।
- रावणार्जुनीयम्-५।८
मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।
- बर्नार्ड शॉ
मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।
- पुरुषोत्तमदास टंडन
मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।
- सर विंस्टन चर्चिल
तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।
-लहरीदशक
रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥
— रहीम
चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।
— गेटे
प्रशंसा / प्रोत्साहन
मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।
–चार्ल्स श्वेव
आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।
— सेनेका
मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।
— विलियम जेम्स
अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।
— फ्रंकलिन
चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।
मान, अपमान, सम्मान
धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।
- माघकाव्य
इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।
- कल्विन कूलिज
धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /
दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।
— भर्तृहरि
हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना (धन) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )
— महाकवि माघ
सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )
- भर्तृहरि
संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।
— शुक्राचार्य
आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )
— चाणक्य
मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।
— पंचतंत्र
अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )
— चाणक्य
जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।
— गो. तुलसीदास
धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी
गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।
— डेनियल
व्यापार
तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।
राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।
— कार्डेल हल्ल
व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।
इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।
— थामस फुलर
आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।
कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।
— द डेविल्स डिक्शनरी
अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।
विकास
सामाजिक नवोन्मेष ( social innovation )
राजनीति
निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।
— दसकुमारचरित
यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।
— हेनरी एडम
विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।
— सर अर्नेस्ट वेम
मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।
— हेनरी एडम
लोकतन्त्र
लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।
— अब्राहम लिंकन
लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।
— हेनरी एमर्शन फास्डिक
शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।
— लार्ड बिवरेज
अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।
बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।
- महात्मा गांधी
विधान / नियम /कानून
न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।
( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )
— महाभारत
अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।
— थामस फुलर
थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।
— लुइस दी उलोआ
संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।
लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।
सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।
— इमर्शन
न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।
स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥
( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।
स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )
विज्ञापन
मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।
- हरिशंकर परसाई
समय
आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।
स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥
करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।
वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।
समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।
— बेन्जामिन फ्रैंकलिन
किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।
क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।
( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )
काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।
पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥
— कबीरदास
अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।
हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।
दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )
अवसर / मौका / सुतार
बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर ।
धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।
— डगलस मैकआर्थर
संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।
आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।
— विन्स्टन चर्चिल
अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।
— अलबर्ट आइन्स्टाइन
हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।
— ली लोकोक्का
रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर ।
जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥
न इतराइये , देर लगती है क्या |
जमाने को करवट बदलते हुए ||
इतिहास
उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।
— इमर्सन
इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।
इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।
जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।
— जार्ज सन्तायन
ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।
— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में
इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।
–सी डैरो
संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।
— एच जी वेल्स
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।
— एस डीकैम्प
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।
— जेम्स के. फिंक
भोजन और स्वस्थ्य
शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता
वीरभोग्या वसुन्धरा ।
( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है )
कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।
को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥
— पंचतंत्र
जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?
विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ?
खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।
खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ?
कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |
कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।|
यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥
( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता )
नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।
विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥
(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है )
जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।
- मृच्छकटिक
आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।
— जोनाथन स्विफ्ट
आत्मविश्वास / निर्भीकता
आत्मविस्वास , वीरता का सार है ।
— एमर्सन
आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।
— एमर्शन
आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।
— डेल कार्नेगी
हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।
— रीता माई ब्राउन
मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।
–एन्ड्री मौरोइस
प्रश्न
वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।
भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।
— एरिक हाफर
प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।
सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।
मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।
— स्टीनमेज
जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।
सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।
सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था
संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।
ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।
एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।
ज्ञान प्रबन्धन (KM)
लिखना / नोट करना
परिवर्तन
क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )
— शिशुपाल वध
आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।
परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।
— बर्नार्ड रसेल
हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।
— महात्मा गाँधी
परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है ; आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है ; और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।
— राजा ह्विटनी जूनियर
नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।
— मकियावेली
नेतृत्व / प्रबन्धन
अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं ।
मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।
पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥
जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं ।
नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।
— मैरी पार्कर फोलेट
नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।
— मैक्सवेल
अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।
— एल्बर्ट हब्बार्ड
अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।
विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा
पालन-पोषण / पैरेन्टिग
किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।
— बिनोवा भावे
कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन
अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।
— लेस ब्राउन
केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।
व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।
— श्रीराम शर्मा आचार्य
कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।
— नैपोलियन
कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
मौन
मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।
— बेकन
आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।
— एमर्शन
मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।
— कार्लाइल
मौनं स्वीकार लक्षणम् ।
( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )
उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / आइडिया
उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।
( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )
— पंचतन्त्र
विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।
— सर फिलिप सिडनी
लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।
विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।
— डब्ल्यू. ओ. डगलस
किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।
कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म
ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।
आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।
— हितोपदेश
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।
कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं, मनोरथ मात्र से नहीं।
— हितोपदेश
जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )
सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।
— गो. तुलसीदास
जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।
— नार्मन कजिन
आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।
- सैली बर्जर
जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।
— गोथे
छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।
प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )
— रघुवंश महाकाव्यम्
पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।
यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥
- - वाल्मीकि रामायण
शुभारम्भ, आधा खतम ।
हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।
— चीनी कहावत
सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।
— इमर्सन
सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।
— एडिशन
यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।
एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।
— सैमुएल स्माइल
उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।
— जान फ़्लीचर
मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।
— लाक
जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।
— पीटर एफ़ ड्रूकर
उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह
स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ?
- विवेकानंद
मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।
— श्रीराम शर्मा आचार्य
बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।
— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
— इमर्सन
रचनाशीलता / सृजनशीलता / क्रीएटिविटी /
विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /
जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।
(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )
— पंचतंत्र
स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।
(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है )
काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |
अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।|
( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृह्त्यागी । )
अनभ्यासेन विषम विद्या ।
( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )
सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।
सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥
ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।
–डेविड बोम (१९१७-१९९२)
सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।
— थोरो
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
— इमर्सन
वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )
विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )
खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।
- - फ़ोर्ब्स
अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।
— आइन्स्टीन
कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।
संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।
गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।
— जार्ज बर्नार्ड शा
दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —
जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन
पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।
— जान लाक
एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।
- जिग जिग्लर
शब्द विचारों के वाहक हैं ।
शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।
दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।
— जेम्स देवर
अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।
— कार्ल पापर
सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की
कोशिश करनी चाहिये ।
— थामस ह. हक्सले
शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।
— केथराल
शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।
— बर्क
अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।
— डिजरायली
पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान /
झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।
सुख दुख या संसार में सब काहू को होय ।
ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥
आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।
विवेक
विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।
— ब्रूचे
विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।
— मान्तेन
तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।
साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥
भविष्य / भविष्य वाणी
आशा / निराशा
चिन्ता / तनाव / अवसाद
चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।
— चैनिंग
विकास
कैरीअर
आत्म-निर्भरता
जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान् विजय अवश्य मिलती है।
- भरत पारिजात ८।३४
भारत
भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।
— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार
हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।
— मार्क ट्वेन
यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।
— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला
भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।
— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत
यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥
कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।
शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥
— मुहम्मद इकबाल
संस्कृत
भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।
( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )
इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।
— सर विलियम जोन्स
सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।
–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्
कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।
— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )
यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।
— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )
हिन्दी
देवनागरी
हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।
-— आचार्य विनबा भावे
देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।
-— सर विलियम जोन्स
मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।
— जान क्राइस्ट
उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।
-— खुशवन्त सिंह
महात्मा गाँधी
आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।
— हो ची मिन्ह
उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।
— यू थान्ट
.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।
— अर्नाल्ड विग
जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।
–हैली सेलेसी
मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।
— महा आत्मा , दलाई लामा
लीप-फ़्रागिंग
इन्टरनेट
सेल फोन
ज्ञान-अर्थ-व्यवस्था
मानसिक परिपक्वता / इमोशनल इन्टेलिजेन्स
( अक्रोध , धैर्य , सन्तोष , चिन्ता , तॄष्णा , लालच , क्षमा , हँसी , विनोद , )
धैर्य / धीरज
धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।
— डिजरायली
हास्य-व्यंग्य सुभाषित
हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।
(क्योंकि) मैं तो सारे संसार् को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥
कमला कमलं शेते, हरः शेते हिमालये ।
क्षीराब्धौ च हरिः शेते, मन्ये मत्कुणशंकया ॥
लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।
विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥
अन्य / विविध
योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।
वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।
अलंकरोति इति अलंकारः ।
सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।
( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है )
संतोषं परमं सुखम् ।
बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही ।
शठे शाठ्यं समाचरेत् ।
( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )
एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय ।
रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥
उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।
यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।
भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।
( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )
— भर्तृहरि
चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।
— लैब्रेटर
हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।
— बेन्जामिन
हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।
— अनोन
कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥
— तुलसी
3383
2005-08-28T13:28:31Z
210.212.158.130
== आधुनिक विषय ==
'''गणित'''
यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।
तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥
— वेदांग ज्योतिष
( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )
बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।
यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥
— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ
( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )
ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।
— गैलिलियो
गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।
— प्रो. हाल
काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।
— गरफंकल , १९९७
गणित एक भाषा है ।
— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री
लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।
यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।
'''विज्ञान'''
विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।
— विल्ल डुरान्ट
विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।
विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।
हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।
— रिचर्ड फ़ेनिमैन
'''तकनीकी'''
पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।
-आर्थर सी. क्लार्क
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।
— एस डीकैम्प
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।
— जेम्स के. फिंक
वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।
— थियोडोर वान कार्मन
मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।
— सुश्री जैकब
इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।
जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।
— लार्ड केल्विन
आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।
तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।
'''भाषा / स्वभाषा'''
निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।
बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥
— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।
— बेन्जामिन होर्फ
आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।
..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।
— जार्ज ओर्वेल
जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।
— गोथे
'''साहित्य'''
साहित्य समाज् का दर्पण होता है ।
साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।
( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )
— भर्तृहरि
संगति / सत्संगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार /नेटवर्किंग / संघ
संघे शक्तिः ( एकता में शति है )
हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।
समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥
हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।
— महाभारत
यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।
पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥
जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे के कारण कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।
— पंचतंत्र
को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? , गुणियों का साथ )
— भर्तृहरि
सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है )
संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )
— पंचतंत्र
दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।
— कियोसाकी
मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।
शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।
पारस परस कुधातु सुहाई ॥
— गोस्वामी तुलसीदास
गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )
— गोस्वामी तुलसीदास
बिना सहकार , नहीं उद्धार ।
उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।
( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )
संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन
दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।
आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है ।
कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।
उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।
बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।
— गोथे
व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।
— डिजरायली
साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न
साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )
इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।
जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।
बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।
बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।
— आर. जी. इंगरसोल
जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।
- द्रोणाचार्य
यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।
- वल्लभभाई पटेल
वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।
- डब्ल्यू.एच.आडेन
शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।
- किर्केगार्द
भय, अभय , निर्भय
तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।
आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥
भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।
— पंचतंत्र
जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।
- पंचतंत्र
‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।
- बर्ट्रेंड रसेल
मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।
- अथर्ववेद
‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।
- स्वामी विवेकानंद
दोष / गलती
गलती करने में कोई गलती नहीं है ।
गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।
— एल्बर्ट हब्बार्ड
गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।
बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।
— ग्लेडस्टन
मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।
— राबर्ट कियोसाकी
सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।
— आस्कर वाइल्ड
गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।
— सिसरो
अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।
— अलेक्जेन्डर पोप
दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।
— प्लूटार्क
सफलता, असफलता
जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।
— हक्सले
जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।
— हर्मन मेलविल
असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।
— नैपोलियन हिल
सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।
असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।
— हेनरी फ़ोर्ड
दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।
- थामस इलियट
दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।
- इमर्सन
- हरिशंकर परसाई
सुख-दुःख , व्याधि , दया
संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।
- खलील जिब्रान
संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।
- मृच्छकटिक
व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।
- चाणक्यसूत्राणि-२२३
विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।
- रावणार्जुनीयम्-५।८
मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।
- बर्नार्ड शॉ
मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।
- पुरुषोत्तमदास टंडन
मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।
- सर विंस्टन चर्चिल
तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।
-लहरीदशक
रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥
— रहीम
चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।
— गेटे
प्रशंसा / प्रोत्साहन
मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।
–चार्ल्स श्वेव
आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।
— सेनेका
मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।
— विलियम जेम्स
अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।
— फ्रंकलिन
चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।
मान, अपमान, सम्मान
धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।
- माघकाव्य
इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।
- कल्विन कूलिज
धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /
दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।
— भर्तृहरि
हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना (धन) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )
— महाकवि माघ
सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )
- भर्तृहरि
संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।
— शुक्राचार्य
आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )
— चाणक्य
मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।
— पंचतंत्र
अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )
— चाणक्य
जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।
— गो. तुलसीदास
धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी
गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।
— डेनियल
व्यापार
तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।
राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।
— कार्डेल हल्ल
व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।
इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।
— थामस फुलर
आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।
कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।
— द डेविल्स डिक्शनरी
अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।
विकास
सामाजिक नवोन्मेष ( social innovation )
राजनीति
निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।
— दसकुमारचरित
यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।
— हेनरी एडम
विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।
— सर अर्नेस्ट वेम
मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।
— हेनरी एडम
लोकतन्त्र
लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।
— अब्राहम लिंकन
लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।
— हेनरी एमर्शन फास्डिक
शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।
— लार्ड बिवरेज
अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।
बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।
- महात्मा गांधी
विधान / नियम /कानून
न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।
( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )
— महाभारत
अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।
— थामस फुलर
थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।
— लुइस दी उलोआ
संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।
लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।
सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।
— इमर्शन
न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।
स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥
( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।
स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )
विज्ञापन
मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।
- हरिशंकर परसाई
समय
आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।
स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥
करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।
वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।
समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।
— बेन्जामिन फ्रैंकलिन
किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।
क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।
( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )
काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।
पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥
— कबीरदास
अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।
हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।
दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )
अवसर / मौका / सुतार
बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर ।
धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।
— डगलस मैकआर्थर
संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।
आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।
— विन्स्टन चर्चिल
अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।
— अलबर्ट आइन्स्टाइन
हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।
— ली लोकोक्का
रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर ।
जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥
न इतराइये , देर लगती है क्या |
जमाने को करवट बदलते हुए ||
इतिहास
उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।
— इमर्सन
इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।
इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।
जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।
— जार्ज सन्तायन
ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।
— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में
इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।
–सी डैरो
संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।
— एच जी वेल्स
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।
— एस डीकैम्प
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।
— जेम्स के. फिंक
भोजन और स्वस्थ्य
शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता
वीरभोग्या वसुन्धरा ।
( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है )
कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।
को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥
— पंचतंत्र
जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?
विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ?
खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।
खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ?
कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |
कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।|
यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥
( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता )
नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।
विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥
(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है )
जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।
- मृच्छकटिक
आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।
— जोनाथन स्विफ्ट
आत्मविश्वास / निर्भीकता
आत्मविस्वास , वीरता का सार है ।
— एमर्सन
आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।
— एमर्शन
आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।
— डेल कार्नेगी
हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।
— रीता माई ब्राउन
मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।
–एन्ड्री मौरोइस
प्रश्न
वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।
भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।
— एरिक हाफर
प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।
सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।
मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।
— स्टीनमेज
जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।
सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।
सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था
संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।
ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।
एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।
ज्ञान प्रबन्धन (KM)
लिखना / नोट करना
परिवर्तन
क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )
— शिशुपाल वध
आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।
परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।
— बर्नार्ड रसेल
हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।
— महात्मा गाँधी
परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है ; आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है ; और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।
— राजा ह्विटनी जूनियर
नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।
— मकियावेली
नेतृत्व / प्रबन्धन
अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं ।
मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।
पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥
जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं ।
नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।
— मैरी पार्कर फोलेट
नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।
— मैक्सवेल
अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।
— एल्बर्ट हब्बार्ड
अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।
विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा
पालन-पोषण / पैरेन्टिग
किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।
— बिनोवा भावे
कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन
अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।
— लेस ब्राउन
केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।
व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।
— श्रीराम शर्मा आचार्य
कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।
— नैपोलियन
कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
मौन
मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।
— बेकन
आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।
— एमर्शन
मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।
— कार्लाइल
मौनं स्वीकार लक्षणम् ।
( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )
उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / आइडिया
उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।
( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )
— पंचतन्त्र
विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।
— सर फिलिप सिडनी
लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।
विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।
— डब्ल्यू. ओ. डगलस
किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।
कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म
ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।
आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।
— हितोपदेश
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।
कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं, मनोरथ मात्र से नहीं।
— हितोपदेश
जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )
सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।
— गो. तुलसीदास
जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।
— नार्मन कजिन
आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।
- सैली बर्जर
जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।
— गोथे
छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।
प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )
— रघुवंश महाकाव्यम्
पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।
यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥
- - वाल्मीकि रामायण
शुभारम्भ, आधा खतम ।
हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।
— चीनी कहावत
सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।
— इमर्सन
सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।
— एडिशन
यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।
एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।
— सैमुएल स्माइल
उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।
— जान फ़्लीचर
मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।
— लाक
जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।
— पीटर एफ़ ड्रूकर
उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह
स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ?
- विवेकानंद
मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।
— श्रीराम शर्मा आचार्य
बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।
— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
— इमर्सन
रचनाशीलता / सृजनशीलता / क्रीएटिविटी /
विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /
जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।
(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )
— पंचतंत्र
स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।
(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है )
काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |
अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।|
( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृह्त्यागी । )
अनभ्यासेन विषम विद्या ।
( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )
सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।
सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥
ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।
–डेविड बोम (१९१७-१९९२)
सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।
— थोरो
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
— इमर्सन
वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )
विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )
खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।
- - फ़ोर्ब्स
अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।
— आइन्स्टीन
कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।
संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।
गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।
— जार्ज बर्नार्ड शा
दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —
जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन
पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।
— जान लाक
एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।
- जिग जिग्लर
शब्द विचारों के वाहक हैं ।
शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।
दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।
— जेम्स देवर
अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।
— कार्ल पापर
सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की
कोशिश करनी चाहिये ।
— थामस ह. हक्सले
शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।
— केथराल
शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।
— बर्क
अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।
— डिजरायली
पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान /
झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।
सुख दुख या संसार में सब काहू को होय ।
ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥
आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।
विवेक
विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।
— ब्रूचे
विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।
— मान्तेन
तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।
साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥
भविष्य / भविष्य वाणी
आशा / निराशा
चिन्ता / तनाव / अवसाद
चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।
— चैनिंग
विकास
कैरीअर
आत्म-निर्भरता
जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान् विजय अवश्य मिलती है।
- भरत पारिजात ८।३४
भारत
भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।
— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार
हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।
— मार्क ट्वेन
यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।
— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला
भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।
— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत
यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥
कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।
शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥
— मुहम्मद इकबाल
संस्कृत
भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।
( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )
इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।
— सर विलियम जोन्स
सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।
–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्
कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।
— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )
यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।
— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )
हिन्दी
देवनागरी
हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।
-— आचार्य विनबा भावे
देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।
-— सर विलियम जोन्स
मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।
— जान क्राइस्ट
उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।
-— खुशवन्त सिंह
महात्मा गाँधी
आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।
— हो ची मिन्ह
उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।
— यू थान्ट
.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।
— अर्नाल्ड विग
जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।
–हैली सेलेसी
मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।
— महा आत्मा , दलाई लामा
लीप-फ़्रागिंग
इन्टरनेट
सेल फोन
ज्ञान-अर्थ-व्यवस्था
मानसिक परिपक्वता / इमोशनल इन्टेलिजेन्स
( अक्रोध , धैर्य , सन्तोष , चिन्ता , तॄष्णा , लालच , क्षमा , हँसी , विनोद , )
धैर्य / धीरज
धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।
— डिजरायली
हास्य-व्यंग्य सुभाषित
हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।
(क्योंकि) मैं तो सारे संसार् को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥
कमला कमलं शेते, हरः शेते हिमालये ।
क्षीराब्धौ च हरिः शेते, मन्ये मत्कुणशंकया ॥
लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।
विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥
अन्य / विविध
योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।
वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।
अलंकरोति इति अलंकारः ।
सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।
( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है )
संतोषं परमं सुखम् ।
बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही ।
शठे शाठ्यं समाचरेत् ।
( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )
एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय ।
रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥
उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।
यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।
भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।
( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )
— भर्तृहरि
चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।
— लैब्रेटर
हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।
— बेन्जामिन
हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।
— अनोन
कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥
— तुलसी
3384
2005-08-28T13:30:41Z
210.212.158.130
== आधुनिक विषय ==
'''गणित'''
यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।
तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥
— वेदांग ज्योतिष
( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )
बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।
यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥
— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ
( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )
ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।
— गैलिलियो
गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।
— प्रो. हाल
काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।
— गरफंकल , १९९७
गणित एक भाषा है ।
— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री
लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।
यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।
'''विज्ञान'''
विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।
— विल्ल डुरान्ट
विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।
विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।
हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।
— रिचर्ड फ़ेनिमैन
'''तकनीकी'''
पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।
-आर्थर सी. क्लार्क
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।
— एस डीकैम्प
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।
— जेम्स के. फिंक
वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।
— थियोडोर वान कार्मन
मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।
— सुश्री जैकब
इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।
जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।
— लार्ड केल्विन
आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।
तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।
'''भाषा / स्वभाषा'''
निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।
बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥
— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।
— बेन्जामिन होर्फ
आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।
..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।
— जार्ज ओर्वेल
जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।
— गोथे
'''साहित्य'''
साहित्य समाज् का दर्पण होता है ।
साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।
( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )
— भर्तृहरि
संगति / सत्संगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार /नेटवर्किंग / संघ
संघे शक्तिः ( एकता में शति है )
हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।
समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥
हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।
— महाभारत
यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।
पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥
जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे के कारण कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।
— पंचतंत्र
को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? , गुणियों का साथ )
— भर्तृहरि
सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है )
संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )
— पंचतंत्र
दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।
— कियोसाकी
मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।
शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।
पारस परस कुधातु सुहाई ॥
— गोस्वामी तुलसीदास
गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )
— गोस्वामी तुलसीदास
बिना सहकार , नहीं उद्धार ।
उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।
( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )
'''संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन'''
दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।
आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है ।
कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।
उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।
बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।
— गोथे
व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।
— डिजरायली
'''साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न'''
साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )
इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।
जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।
बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।
बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।
— आर. जी. इंगरसोल
जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।
- द्रोणाचार्य
यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।
- वल्लभभाई पटेल
वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।
- डब्ल्यू.एच.आडेन
शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।
- किर्केगार्द
भय, अभय , निर्भय
तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।
आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥
भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।
— पंचतंत्र
जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।
- पंचतंत्र
‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।
- बर्ट्रेंड रसेल
मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।
- अथर्ववेद
‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।
- स्वामी विवेकानंद
दोष / गलती
गलती करने में कोई गलती नहीं है ।
गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।
— एल्बर्ट हब्बार्ड
गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।
बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।
— ग्लेडस्टन
मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।
— राबर्ट कियोसाकी
सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।
— आस्कर वाइल्ड
गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।
— सिसरो
अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।
— अलेक्जेन्डर पोप
दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।
— प्लूटार्क
सफलता, असफलता
जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।
— हक्सले
जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।
— हर्मन मेलविल
असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।
— नैपोलियन हिल
सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।
असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।
— हेनरी फ़ोर्ड
दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।
- थामस इलियट
दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।
- इमर्सन
- हरिशंकर परसाई
सुख-दुःख , व्याधि , दया
संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।
- खलील जिब्रान
संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।
- मृच्छकटिक
व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।
- चाणक्यसूत्राणि-२२३
विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।
- रावणार्जुनीयम्-५।८
मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।
- बर्नार्ड शॉ
मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।
- पुरुषोत्तमदास टंडन
मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।
- सर विंस्टन चर्चिल
तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।
-लहरीदशक
रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥
— रहीम
चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।
— गेटे
प्रशंसा / प्रोत्साहन
मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।
–चार्ल्स श्वेव
आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।
— सेनेका
मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।
— विलियम जेम्स
अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।
— फ्रंकलिन
चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।
मान, अपमान, सम्मान
धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।
- माघकाव्य
इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।
- कल्विन कूलिज
धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /
दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।
— भर्तृहरि
हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना (धन) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )
— महाकवि माघ
सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )
- भर्तृहरि
संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।
— शुक्राचार्य
आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )
— चाणक्य
मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।
— पंचतंत्र
अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )
— चाणक्य
जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।
— गो. तुलसीदास
धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी
गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।
— डेनियल
व्यापार
तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।
राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।
— कार्डेल हल्ल
व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।
इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।
— थामस फुलर
आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।
कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।
— द डेविल्स डिक्शनरी
अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।
विकास
सामाजिक नवोन्मेष ( social innovation )
राजनीति
निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।
— दसकुमारचरित
यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।
— हेनरी एडम
विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।
— सर अर्नेस्ट वेम
मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।
— हेनरी एडम
लोकतन्त्र
लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।
— अब्राहम लिंकन
लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।
— हेनरी एमर्शन फास्डिक
शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।
— लार्ड बिवरेज
अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।
बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।
- महात्मा गांधी
विधान / नियम /कानून
न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।
( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )
— महाभारत
अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।
— थामस फुलर
थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।
— लुइस दी उलोआ
संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।
लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।
सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।
— इमर्शन
न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।
स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥
( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।
स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )
विज्ञापन
मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।
- हरिशंकर परसाई
समय
आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।
स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥
करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।
वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।
समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।
— बेन्जामिन फ्रैंकलिन
किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।
क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।
( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )
काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।
पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥
— कबीरदास
अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।
हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।
दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )
अवसर / मौका / सुतार
बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर ।
धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।
— डगलस मैकआर्थर
संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।
आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।
— विन्स्टन चर्चिल
अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।
— अलबर्ट आइन्स्टाइन
हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।
— ली लोकोक्का
रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर ।
जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥
न इतराइये , देर लगती है क्या |
जमाने को करवट बदलते हुए ||
इतिहास
उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।
— इमर्सन
इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।
इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।
जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।
— जार्ज सन्तायन
ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।
— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में
इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।
–सी डैरो
संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।
— एच जी वेल्स
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।
— एस डीकैम्प
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।
— जेम्स के. फिंक
भोजन और स्वस्थ्य
शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता
वीरभोग्या वसुन्धरा ।
( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है )
कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।
को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥
— पंचतंत्र
जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?
विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ?
खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।
खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ?
कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |
कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।|
यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥
( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता )
नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।
विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥
(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है )
जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।
- मृच्छकटिक
आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।
— जोनाथन स्विफ्ट
आत्मविश्वास / निर्भीकता
आत्मविस्वास , वीरता का सार है ।
— एमर्सन
आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।
— एमर्शन
आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।
— डेल कार्नेगी
हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।
— रीता माई ब्राउन
मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।
–एन्ड्री मौरोइस
प्रश्न
वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।
भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।
— एरिक हाफर
प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।
सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।
मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।
— स्टीनमेज
जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।
सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।
सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था
संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।
ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।
एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।
ज्ञान प्रबन्धन (KM)
लिखना / नोट करना
परिवर्तन
क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )
— शिशुपाल वध
आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।
परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।
— बर्नार्ड रसेल
हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।
— महात्मा गाँधी
परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है ; आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है ; और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।
— राजा ह्विटनी जूनियर
नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।
— मकियावेली
नेतृत्व / प्रबन्धन
अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं ।
मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।
पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥
जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं ।
नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।
— मैरी पार्कर फोलेट
नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।
— मैक्सवेल
अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।
— एल्बर्ट हब्बार्ड
अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।
विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा
पालन-पोषण / पैरेन्टिग
किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।
— बिनोवा भावे
कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन
अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।
— लेस ब्राउन
केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।
व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।
— श्रीराम शर्मा आचार्य
कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।
— नैपोलियन
कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
मौन
मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।
— बेकन
आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।
— एमर्शन
मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।
— कार्लाइल
मौनं स्वीकार लक्षणम् ।
( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )
उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / आइडिया
उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।
( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )
— पंचतन्त्र
विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।
— सर फिलिप सिडनी
लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।
विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।
— डब्ल्यू. ओ. डगलस
किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।
कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म
ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।
आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।
— हितोपदेश
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।
कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं, मनोरथ मात्र से नहीं।
— हितोपदेश
जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )
सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।
— गो. तुलसीदास
जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।
— नार्मन कजिन
आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।
- सैली बर्जर
जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।
— गोथे
छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।
प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )
— रघुवंश महाकाव्यम्
पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।
यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥
- - वाल्मीकि रामायण
शुभारम्भ, आधा खतम ।
हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।
— चीनी कहावत
सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।
— इमर्सन
सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।
— एडिशन
यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।
एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।
— सैमुएल स्माइल
उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।
— जान फ़्लीचर
मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।
— लाक
जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।
— पीटर एफ़ ड्रूकर
उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह
स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ?
- विवेकानंद
मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।
— श्रीराम शर्मा आचार्य
बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।
— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
— इमर्सन
रचनाशीलता / सृजनशीलता / क्रीएटिविटी /
विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /
जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।
(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )
— पंचतंत्र
स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।
(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है )
काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |
अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।|
( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृह्त्यागी । )
अनभ्यासेन विषम विद्या ।
( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )
सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।
सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥
ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।
–डेविड बोम (१९१७-१९९२)
सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।
— थोरो
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
— इमर्सन
वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )
विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )
खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।
- - फ़ोर्ब्स
अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।
— आइन्स्टीन
कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।
संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।
गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।
— जार्ज बर्नार्ड शा
दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —
जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन
पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।
— जान लाक
एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।
- जिग जिग्लर
शब्द विचारों के वाहक हैं ।
शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।
दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।
— जेम्स देवर
अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।
— कार्ल पापर
सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की
कोशिश करनी चाहिये ।
— थामस ह. हक्सले
शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।
— केथराल
शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।
— बर्क
अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।
— डिजरायली
पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान /
झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।
सुख दुख या संसार में सब काहू को होय ।
ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥
आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।
विवेक
विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।
— ब्रूचे
विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।
— मान्तेन
तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।
साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥
भविष्य / भविष्य वाणी
आशा / निराशा
चिन्ता / तनाव / अवसाद
चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।
— चैनिंग
विकास
कैरीअर
आत्म-निर्भरता
जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान् विजय अवश्य मिलती है।
- भरत पारिजात ८।३४
भारत
भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।
— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार
हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।
— मार्क ट्वेन
यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।
— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला
भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।
— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत
यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥
कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।
शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥
— मुहम्मद इकबाल
संस्कृत
भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।
( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )
इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।
— सर विलियम जोन्स
सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।
–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्
कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।
— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )
यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।
— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )
हिन्दी
देवनागरी
हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।
-— आचार्य विनबा भावे
देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।
-— सर विलियम जोन्स
मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।
— जान क्राइस्ट
उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।
-— खुशवन्त सिंह
महात्मा गाँधी
आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।
— हो ची मिन्ह
उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।
— यू थान्ट
.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।
— अर्नाल्ड विग
जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।
–हैली सेलेसी
मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।
— महा आत्मा , दलाई लामा
लीप-फ़्रागिंग
इन्टरनेट
सेल फोन
ज्ञान-अर्थ-व्यवस्था
मानसिक परिपक्वता / इमोशनल इन्टेलिजेन्स
( अक्रोध , धैर्य , सन्तोष , चिन्ता , तॄष्णा , लालच , क्षमा , हँसी , विनोद , )
धैर्य / धीरज
धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।
— डिजरायली
हास्य-व्यंग्य सुभाषित
हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।
(क्योंकि) मैं तो सारे संसार् को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥
कमला कमलं शेते, हरः शेते हिमालये ।
क्षीराब्धौ च हरिः शेते, मन्ये मत्कुणशंकया ॥
लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।
विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥
अन्य / विविध
योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।
वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।
अलंकरोति इति अलंकारः ।
सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।
( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है )
संतोषं परमं सुखम् ।
बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही ।
शठे शाठ्यं समाचरेत् ।
( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )
एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय ।
रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥
उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।
यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।
भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।
( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )
— भर्तृहरि
चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।
— लैब्रेटर
हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।
— बेन्जामिन
हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।
— अनोन
कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥
— तुलसी
सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति
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2005-09-02T12:42:30Z
210.212.158.130
== सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल वचन ==
पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।
— संस्कृत सुभाषित
विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।
— मैथ्यू अर्नाल्ड
संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।
— चाणक्य
सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।
— गोथे
मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।
— इमर्सन
किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।
— सर विंस्टन चर्चिल
बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है।
— आईजक दिसराली
— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।
सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।
— राबर्ट हेमिल्टन
== गणित ==
यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।
तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥
— वेदांग ज्योतिष
( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )
बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।
यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥
— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ
( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )
ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।
— गैलिलियो
गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।
— प्रो. हाल
काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।
— गरफंकल , १९९७
गणित एक भाषा है ।
— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री
लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।
यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।
== विज्ञान ==
विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।
— विल्ल डुरान्ट
विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।
विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।
हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।
— रिचर्ड फ़ेनिमैन
== तकनीकी ==
पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।
-आर्थर सी. क्लार्क
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।
— एस डीकैम्प
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।
— जेम्स के. फिंक
वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।
— थियोडोर वान कार्मन
मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।
— सुश्री जैकब
इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।
जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।
— लार्ड केल्विन
आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।
तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।
== कम्प्यूटर / इन्टरनेट ==
इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है.
-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)
कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.
-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस
कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं.
— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल
== कला ==
कला एक प्रकार का एक नशा है,जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।
- फ्रायड
== भाषा / स्वभाषा ==
निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।
बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥
— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।
— बेन्जामिन होर्फ
आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।
..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।
— जार्ज ओर्वेल
जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।
— गोथे
शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है.
-– लिली टॉमलिन
== साहित्य ==
साहित्य समाज् का दर्पण होता है ।
साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।
( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )
— भर्तृहरि
== संगति / सत्संगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार /नेटवर्किंग / संघ ==
संघे शक्तिः ( एकता में शति है )
हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।
समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥
हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।
— महाभारत
यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।
पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥
जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे के कारण कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।
— पंचतंत्र
को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? , गुणियों का साथ )
— भर्तृहरि
सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है )
संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )
— पंचतंत्र
दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।
— कियोसाकी
मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।
शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।
पारस परस कुधातु सुहाई ॥
— गोस्वामी तुलसीदास
गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )
— गोस्वामी तुलसीदास
बिना सहकार , नहीं उद्धार ।
उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।
( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )
नहीं संगठित सज्जन लोग ।
रहे इसी से संकट भोग ॥
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।
— रैन्डाल्फ
== संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन ==
दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।
आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है ।
कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।
उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।
बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।
— गोथे
व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।
— डिजरायली
== साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न ==
साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )
इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।
जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।
बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।
बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।
— आर. जी. इंगरसोल
जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।
- द्रोणाचार्य
यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।
- वल्लभभाई पटेल
वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।
- डब्ल्यू.एच.आडेन
शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।
- किर्केगार्द
किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |
-– एरमा बॉम्बेक
हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.
== भय, अभय , निर्भय ==
तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।
आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥
भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।
— पंचतंत्र
जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।
- पंचतंत्र
‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।
- बर्ट्रेंड रसेल
मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।
- अथर्ववेद
‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।
- स्वामी विवेकानंद
आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |
-– नेपोलियन
डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |
-– एमर्सन
दोष / गलती / त्रुटि
गलती करने में कोई गलती नहीं है ।
गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।
— एल्बर्ट हब्बार्ड
गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।
बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।
— ग्लेडस्टन
मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।
— राबर्ट कियोसाकी
सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।
— आस्कर वाइल्ड
गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।
— सिसरो
अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।
— अलेक्जेन्डर पोप
दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।
— प्लूटार्क
त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |
-– सिगमंड फ्रायड
गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नही गया।
सफलता, असफलता
असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया
गया ।
— श्रीरामशर्मा आचार्य
जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।
— हक्सले
जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।
— हर्मन मेलविल
असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।
— नैपोलियन हिल
सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।
असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।
— हेनरी फ़ोर्ड
दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।
- थामस इलियट
दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।
- इमर्सन
- हरिशंकर परसाई
किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।
जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं , दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं ।
— जान मैकनरो
असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।
— बेवेरली सिल्स
सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.
-– किन हबार्ड
मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला.
-– जोनाथन विंटर्स
सुख-दुःख , व्याधि , दया
संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।
- खलील जिब्रान
संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।
- मृच्छकटिक
व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।
- चाणक्यसूत्राणि-२२३
विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।
- रावणार्जुनीयम्-५।८
मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।
- बर्नार्ड शॉ
मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।
- पुरुषोत्तमदास टंडन
मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।
- सर विंस्टन चर्चिल
तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।
-लहरीदशक
रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥
— रहीम
चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।
— गेटे
प्रशंसा / प्रोत्साहन
मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।
–चार्ल्स श्वेव
आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।
— सेनेका
मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।
— विलियम जेम्स
अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।
— फ्रंकलिन
चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।
मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा
-– विलियम ऑर्थर वार्ड
हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |
-– नॉर्मन विंसेंट पील
मान, अपमान, सम्मान
धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।
- माघकाव्य
इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।
- कल्विन कूलिज
अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |
-– रहीम
अभिमान / घमण्ड / गर्व
धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /
दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।
— भर्तृहरि
हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना (धन) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )
— महाकवि माघ
सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )
- भर्तृहरि
संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।
— शुक्राचार्य
आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )
— चाणक्य
मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।
— पंचतंत्र
अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )
— चाणक्य
जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।
— गो. तुलसीदास
क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।
( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये ।
रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.
-– चेस्टर फ़ील्ड
धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी
गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।
— डेनियल
गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.
-– एनॉन
पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।
व्यापार
तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।
राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।
— कार्डेल हल्ल
व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।
इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।
— थामस फुलर
आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।
कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।
— द डेविल्स डिक्शनरी
अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।
विकास / प्रगति
बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है।
— रोनाल्ड रीगन
अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.
राजनीति
निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।
— दसकुमारचरित
यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।
— हेनरी एडम
विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।
— सर अर्नेस्ट वेम
मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।
— हेनरी एडम
राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो.
-– ओटो वान बिस्मार्क
सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी.
-– एरिक फ्रॉम
लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र
लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।
— अब्राहम लिंकन
लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।
— हेनरी एमर्शन फास्डिक
शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।
— लार्ड बिवरेज
अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।
बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।
- महात्मा गांधी
जैसी जनता , वैसा राजा ।
प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।
बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।
— महात्मा गांधी
नियम / कानून / विधान
न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।
( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )
— महाभारत
अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।
— थामस फुलर
थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।
— लुइस दी उलोआ
संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।
लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।
सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।
— इमर्शन
न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।
स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥
( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।
स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )
कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।
— फिदेल कास्त्रो
विज्ञापन
मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।
- हरिशंकर परसाई
समय
आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।
स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥
करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।
वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।
समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।
— बेन्जामिन फ्रैंकलिन
किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।
क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।
( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )
काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।
पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥
— कबीरदास
अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।
हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।
दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )
समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है.
-– एनॉन
अवसर / मौका / सुतार / सुयोग
जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर ।
धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।
— डगलस मैकआर्थर
संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।
आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।
— विन्स्टन चर्चिल
अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।
— अलबर्ट आइन्स्टाइन
हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।
— ली लोकोक्का
रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर ।
जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥
न इतराइये , देर लगती है क्या |
जमाने को करवट बदलते हुए ||
कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है |
-– गोस्वामी तुलसीदास
इतिहास
उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।
— इमर्सन
इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।
इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।
इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।
— नेपोलियन बोनापार्ट
जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।
— जार्ज सन्तायन
ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।
— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में
इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।
–सी डैरो
संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।
— एच जी वेल्स
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।
— एस डीकैम्प
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।
— जेम्स के. फिंक
इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।
शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता
वीरभोग्या वसुन्धरा ।
( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है )
कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।
को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥
— पंचतंत्र
जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?
विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ?
खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।
खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ?
कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |
कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।|
यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥
( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता )
नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।
विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥
(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है )
जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।
- मृच्छकटिक
आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।
— जोनाथन स्विफ्ट
युद्ध / शान्ति
सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।
— पं. जवाहरलाल नेहरू
सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।
( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।
— दुर्योधन , महाभारत में
प्रागेव विग्रहो न विधिः ।
पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।
— पंचतन्त्र
यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।
— अब्राहम लिंकन
शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।
— डा॰राजेन्द्र प्रसाद
आत्मविश्वास / निर्भीकता
आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।
— एमर्सन
आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।
— एमर्शन
आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।
— डेल कार्नेगी
हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।
— रीता माई ब्राउन
मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।
–एन्ड्री मौरोइस
प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य
वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।
भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।
— एरिक हाफर
प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।
सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।
मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।
— स्टीनमेज
जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।
सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।
मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |
-– रुडयार्ड किपलिंग
सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था
संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।
ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।
एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।
ज्ञान प्रबन्धन (KM)
लिखना / नोट करना
परिवर्तन
क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )
— शिशुपाल वध
आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।
परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।
— बर्नार्ड रसेल
हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।
— महात्मा गाँधी
परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है ; आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है ; और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।
— राजा ह्विटनी जूनियर
नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।
— मकियावेली
यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।
— कुर्त लेविन
आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।
— पीटर ड्रकर
नेतृत्व / प्रबन्धन
अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं ।
मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।
पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥
जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं ।
नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।
— मैरी पार्कर फोलेट
नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।
— मैक्सवेल
अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।
— एल्बर्ट हब्बार्ड
अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।
मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.
-– वुडरो विलसन
निर्णय
जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था.
विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा
पालन-पोषण / पैरेन्टिग
किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।
— बिनोवा भावे
बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.
कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन
अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।
— लेस ब्राउन
केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।
व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।
— श्रीराम शर्मा आचार्य
कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।
— नैपोलियन
कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।
( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )
ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।
— श्री माँ
एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।
— स्टीफन जेविग
तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।
— अलबर्ट आइन्सटीन
मौन
मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।
— बेकन
मौनं सर्वार्थसाधनम् ।
— पंचतन्त्र
( मौन सारे काम बना देता है )
आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।
— एमर्शन
मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।
— कार्लाइल
मौनं स्वीकार लक्षणम् ।
( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )
कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |
-– ओविड
उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया
मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।
- पं श्री राम शर्मा आचार्य
उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।
( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )
— पंचतन्त्र
विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।
— सर फिलिप सिडनी
लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।
विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।
— डब्ल्यू. ओ. डगलस
किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।
विचारों की गति ही सौन्दर्य है।
— जे बी कृष्णमूर्ति
ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |
-– हेनरी फ़ोर्ड
जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |
-– जॉन बेज
चिन्तन / मनन
कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म
ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।
आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।
— हितोपदेश
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।
नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं। सोये हुए शेर के मुख में मृग प्रवेश नहीं करते ।
— हितोपदेश
जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )
सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।
— गो. तुलसीदास
जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।
— नार्मन कजिन
आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।
- सैली बर्जर
जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।
— गोथे
छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।
प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )
— रघुवंश महाकाव्यम्
पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।
यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥
- - वाल्मीकि रामायण
शुभारम्भ, आधा खतम ।
हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।
— चीनी कहावत
सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।
— इमर्सन
सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।
— एडिशन
यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।
एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।
— सैमुएल स्माइल
उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।
— जान फ़्लीचर
मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।
— लाक
जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।
— पीटर एफ़ ड्रूकर
अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।
— थामस कार्लाइल
ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.
जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |
– वेदव्यास
उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह
संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
परिश्रम
मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली
कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |
-– स्टीवन राइट
आराम हराम है.
चींटी से परिश्रम करना सीखें |
— अज्ञात
चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )
रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी /
खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे करना , श्रृजन है ।
स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और फिर उस काम को मत करो ।
— जोल वेल्डन
वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड) करने की कोशिश करता है ।
रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए हैं।
— मार्क ट्वेन
विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /
जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।
(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )
— पंचतंत्र
स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।
(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है )
काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |
अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।|
( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृह्त्यागी । )
अनभ्यासेन विषम विद्या ।
( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )
सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।
सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥
ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।
–डेविड बोम (१९१७-१९९२)
सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।
— थोरो
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
— इमर्सन
वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )
विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )
खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।
- - फ़ोर्ब्स
अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।
— आइन्स्टीन
कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।
संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।
गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।
— जार्ज बर्नार्ड शा
दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —
जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन
पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।
— जान लाक
एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।
- जिग जिग्लर
शब्द विचारों के वाहक हैं ।
शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।
दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।
— जेम्स देवर
अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।
— कार्ल पापर
सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की
कोशिश करनी चाहिये ।
— थामस ह. हक्सले
शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।
— केथराल
शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।
— बर्क
अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।
— डिजरायली
ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।
— थामस फुलर
स्कूल को बन्द कर दो ।
— इवान इलिच
प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान /
झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।
( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है । )
सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।
ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥
आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।
( जो सारे प्राणियों को अपने समान देखता है , वही पण्डित है । )
सज्जन / दुर्जन / खल / साधु
बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है |
– शेख सादी
विवेक
विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।
— ब्रूचे
विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।
— मान्तेन
तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।
साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥
ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।
भविष्य / भविष्य वाणी
अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।
द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो विनश्यति ॥
— पंचतन्त्र
भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का विनाश हो जाता है ।
भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है ।
— डा. शाकली
किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।
— जान राइस
आशा / निराशा
अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.
खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो |
– शेख सादी
सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल
हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.
चिन्ता / तनाव / अवसाद
चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।
— चैनिंग
विकास
कैरीअर
आत्म-निर्भरता
जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती है।
- भरत पारिजात ८।३४
भारत
भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।
— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार
हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।
— मार्क ट्वेन
यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।
— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला
भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।
— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत
यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥
कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।
शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥
— मुहम्मद इकबाल
संस्कृत
भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।
( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )
इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।
— सर विलियम जोन्स
सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।
–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्
कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।
— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )
यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।
— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )
हिन्दी
देवनागरी
हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।
-— आचार्य विनबा भावे
देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।
-— सर विलियम जोन्स
मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।
— जान क्राइस्ट
उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।
-— खुशवन्त सिंह
महात्मा गाँधी
आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।
— हो ची मिन्ह
उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।
— यू थान्ट
.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।
— अर्नाल्ड विग
जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।
–हैली सेलेसी
मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।
— महा आत्मा , दलाई लामा
ज्ञान-अर्थ-व्यवस्था
मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल इन्टेलिजेन्स
( अक्रोध , धैर्य , सन्तोष , चिन्ता , तॄष्णा , लालच , क्षमा , हँसी , विनोद , )
क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।
विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं नन्दनं वनम ॥
क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )
चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।
मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।
हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये ।
— मार्टिन लुथर किंग
अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।
हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.
सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते |
-– सल्वाडोर डाली
सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।
जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |
-– सुकरात
जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार सोचकर.
-– जेफरसन
यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.
-– डोरोथी पार्कर
जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.
-– हेनरी वान डायक
जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के
वशीभूत नहीं होते |
– महाभारत
हँसी
जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |
-– टैगोर
धैर्य / धीरज
धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।
— डिजरायली
सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।
- पं श्री राम शर्मा आचार्य
हास्य-व्यंग्य सुभाषित
हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।
(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥
कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।
क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये मत्कुणशंकया ॥
लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।
विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥
टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी कॉमेडी भर देगी ?
-– डिक कैवेट
मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |
-– वूडी एलन
प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत का दर्द |
-– मे वेस्ट
चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |
-– चार्ल्स द गाल
जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.
पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है.
इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |
-– वूडी एलन
अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों |
-– जेरोम के जेरोम
किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.
-– एनन
ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला देता.
-– हेनरी डेविड थोरे
यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.
-– पाल गेटी
विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |
-– हेनरी किसिंजर
भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती
मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.
— एडले स्टीवेंसन
यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.
यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं तो बागवानी में लग जाएँ.
-– आर्थर स्मिथ
अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.
-– बालज़ाक
बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता.
ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी की थी.
-– बारबरा स्ट्रीसेंड
बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो ?
जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता है।
धर्म
धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।
धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , दसकं धर्म लक्षणम ॥
— मनु
( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )
श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।
आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥
— महाभारत
( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । )
धर्मो रक्षति रक्षितः ।
( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय । )
धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।
— डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
सदाचार
सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।
अहिंसा , हिंसा, शांति
याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।
सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।
- मार्टिन सूथर किंग जूनियर
‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।
- महात्मा गांधी
आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।
- वेडेल फिलिप्स
क्षमा / बदला
सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.
दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है ।
अतिथि
मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।
— बेंजामिन फ्रैंकलिन
अतिथि देवो भव ।
( अतिथि को देवता समझो । )
सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का स्वागत करो ।
संस्कृति
लज्जा
परोपकार
परहित सरसि धरम नहि भाई ।
— गो. तुलसीदास
अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।
परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥
अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।
परोपकाराय सतां विभूतयः ।
( सज्जनों का धन परोपकार के लिये होता है । )
जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया ।
सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥
— चकबस्त
समाज के हित में अपना हित है ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
गुण / अवगुण
आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता है।
- आर्यान्योक्तिशतक
आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।
- भगवान महावीर
कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।
- पंडितराज जगन्नाथ
कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए।
- दर्पदलनम् १।२९
गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।
- वासवदत्ता
घमंड करना जाहिलों का काम है।
- शेख सादी
तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता।
- ओशो
मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते हैं।
- साहित्यदर्पण
यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |
-– शेख़ सादी
सत्य / सच्चाई / इमानदारी / असत्य
असतो मा सदगमय ।।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥
मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।
अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।।
मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।
सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।
प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥
सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये ।
प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥
सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है।
- जार्ज बर्नार्ड शॉ
सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।
जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।
— वेद व्यास
सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.
मानव जीवन
येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।
ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥
जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।
— भर्तृहरि
मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु , मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।
— रवीन्द्र नाथ टैगोर
आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , अंधकारमय बना लेते हैं।
— रवीन्द्र नाथ टैगोर
क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी) |
-– चार्ली चेपलिन
आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |
-– मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस
हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों की तरह पैडल मारते हुए |
-– जेकब एम ब्रॉदे
जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |
-– रॉल्फ वाल्डो इमर्सन
अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत |
-– हेनरी एडम्स
दृढ़ निश्चय ही विजय है
जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़. जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.
-– जे पी डोनलेवी
दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है.
प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं.
हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.
- - शेक्सपीयर
लक्ष्य / उद्देश्य
यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |
सन्तान
पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।
मृतजात
माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।
सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये बको यथा ॥
जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है ।
(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला ।
दो बच्चों से खिलता उपवन ।
हँसते-हँसते कटता जीवन ।।
स्वाधीनता / स्वतन्त्रता / पराधीनता
पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।
— गोस्वामी तुलसीदास
आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।
आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।
— जार्ज बर्नाड शॉ
स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ?
- विवेकानंद
मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।
— श्रीराम शर्मा आचार्य
बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।
— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
— इमर्सन
शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना ।
— स्काट फिट्जेराल्ड
आत्मदीपो भवः ।
( अपना दीपक स्वयं बनो । )
— गौतम बुद्ध
इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच !
आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / हाइपोक्रिसी
चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।
- सर्वपल्ली राधाकृष्णन
हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।
- विनोबा
भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी, राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं।
- स्वामी रामदेव
पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की साज़िश की थी।
- अनीता प्रताप
बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।
- नीतिशास्त्र
भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।
- रत्वान रोमेन खिमेनेस
पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।
—- गोस्वामी तुलसीदास
ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो.
जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |
-– नवाजो
जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए |
-– कनफ़्यूशियस
पुस्तकें
सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है |
— डबल्यू एच ऑदेन
पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.
किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |
-– रे ब्रेडबरी
पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.
स्वाध्याय
अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है.
गुरू
उपयोग, दुर्उपयोग
जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।
- आर्यान्योक्तिशतक
अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते।
- जानसन
मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।
- अरुंधती राय
संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता है।
सूक्तिमुक्तावली-७०
भाग्य
चरित्र
व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।
— चैनिंग
प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |
– अलफ़ॉसो कार
त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।
( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )
ईश्वर
ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |
– रविदास
मीठी बोली
तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर ।
वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥
ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय ।
औरन् को शीतल लगे, आपहुँ शीतल् होय ॥
— कबीरदास
प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥
( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? )
नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |
-– तिरूवल्लुवर
उदारता
अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥
यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।
उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।
सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥
सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।
सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥
यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं
– हैरी एस. ट्रूमेन
श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |
-– काउन्ट रदरफ़र्ड
आकांक्षा, चाह
भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?
- गाथासप्तशती
कर्तव्य, आभार
जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।
- महाभारत
कर्म, अकर्म, भाग्य
जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सुगंध कहां फैल सकती है?
- शिवशुकीय
अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।
- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३
जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।
- गेटे
दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।
- जे.बी. एस. हॉल्डेन
यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।
- लुकमान
सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ?
- रामतीर्थ
कला, भाषा, विद्वता
मेरी भाषा की सीमा, मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।
- लुडविग विटगेंस्टाइन
मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।
- शेख सादी
श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्दऔर अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।
- शिशुपाल वध
चरित्र
कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।
- नीतिवाक्यामृत-३।१२
छल-कपट, निष्कपटता
पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है।
- लिन यूतांग
झूट का कभी पीछा मत करो। उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा।
- लीमैन बीकर
जीवन, आयु
मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।
- बर्ट्रेंड रसेल
हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है।
(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर) काव्यादर्श
जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते।
- महाभारत
बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।
- अष्टावक्र
दिखावा
आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते हैं।
-फ्रांत्स काफ्का
धैर्य, स्वभाव, तन्मयता
अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं।
- वक्रमुख
गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।
- महात्मा गांधी
चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।
- बैंजामिन फ्रैंकलिन
जो कोई गुस्से को प्रकट करने की ताकत रखते हुए भी उसे दबाता है, उसे अल्लाह सभी प्राणियों के सामने कयामत के दिन बुलाएगा और बहुत नेमतें देगा।
- मुहम्मद पैगम्बर
दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है।
बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।
- शम्स-ए-तबरेज़
सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।
- हितोपदेश
पाप, पुण्य, पवित्रता
जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।
- फुलर
शहीद के खून से ज्यादा पवित्र विद्वान आदमी के रक्त की स्याही होती है।
-मोहम्मद साहब
मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।
- हितोपदेश
- बर्नार्ड इगेस्किलन
इच्छा / कामना / मनोरथ
मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |
– वेदव्यास
प्रेम, आंसू
उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है।
- तिरुवल्लुवर
जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।
- उत्तररामचरित
पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है।
- लार्ड बायरन
सात सागरों के जल की अपेक्षा मानव-नेत्रों से कहीं अधिक आंसू बह चुके हैं।
- गौतम बुद्ध
प्रगति
भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।
- जवाहरलाल नेहरू
सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?
- डा. राधाकृष्णन
परिवर्तन
चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती। बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता।
- रवीन्द्रनाथ ठाकुर
दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।
- माल्कम एक्स
पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
- स्वामी विवेकानंद
भय, निर्भय, घृणा
जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।
- पंचतंत्र
‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।
- बर्ट्रेंड रसेल
मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।
- अथर्ववेद
‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।
- स्वामी विवेकानंद
मान, अपमान, सम्मान
धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।
- माघकाव्य
इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।
- कल्विन कूलिज
रहस्य, समस्या
जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक अभियान है।
- ओशो
मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।
- हरिशंकर परसाई
विनय, सुशीलता, सत्कार,अनादर
कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है। क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।
- मृच्छकटिक
जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।
- वासवदत्ता
जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।
- प्रास्ताविकविलास
विवेक, ज्ञान, अज्ञान
जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही नहीं।
- शेख सादी
ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।
- बर्नारड शा
निराशा मूर्खता का परिणाम है।
- डिज़रायली
यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।
- नीतसार
सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़ होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।
- कालिदास
शक्ति , अधिकार
जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।
- मृच्छकटिक
आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते। - जोनाथन स्विफ्ट
शिक्षा , परामर्श , पुस्तक
संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।
- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है।
- सांख्य दर्शन
बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।
- स्वामी रामदेव
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता?
- विवेकानंद
सामान्य बुद्धि
चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।
- प्रेमचन्द
स्वास्थ्य
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )
आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।
— महर्षि चरक
मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।
- महात्मा गांधी
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )
आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।
— महर्षि चरक
को रुक् , को रुक् , को रुक् ?
हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।
( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ?
हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )
स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है।
— मार्क ट्वेन
ऋतु
वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।
- सामवेद
नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार कौशल
हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.
तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.
मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |
-– इंदिरा गांधी
कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.
ब्लाग, ब्लागर, ब्लागिंग ( हास्य सुभाषित )
( रचयिता - श्री अनूप शुक्ला )
१.ब्लाग दिमाग की कब्ज़ और गैस से तात्कालिक मुक्ति का मुफीद उपाय है।
२.ब्लाग पर टिप्पणी सुहागन के माथे पर बिंदी के समान होती है।
३.टिप्पणी विहीन ब्लाग विधवा की मांग की तरह सूना दिखता है।
४.अगर आप इस भ्रम का शिकार हैं कि दुनिया का खाना आपका ब्लाग पढ़े बिना हजम नहीं होगा तो आप अपना अगली सांस लेने के पहले ब्लाग लिखना बंद कर दें। दिमाग खराब होने से बचाने का इसके अलावा कोई उपाय नहीं है।
५.अनावश्यक टिप्पणियों से बचने के लिये किये गये सारे उपाय उस सुरक्षा गार्ड को तैनात करने के समान हैं जो शोहदों से किसी सुंदरी की रक्षा करने के लिये तैनात किये जाते हैं तथा बाद में सुरक्षा गार्ड सुंदरी को उसके आशिकों तक से नहीं मिलने देता।
६.जब आप अपने किसी विचार को बेवकूफी की बात समझकर लिखने से बचते हैं तो अगली पोस्ट तभी लिख पायेंगे जब आप उससे बड़ी बेवकूफी की बात को लिखने की हिम्मत जुटा सकेंगे।
७.किसी पोस्ट पर आत्मविश्वासपूर्वक सटीक टिप्पणी करने का एकमात्र उपाय है कि आप टिप्पणी करने के तुरंत बाद उस पोस्ट को पढ़ना शुरु कर दें। पहले पढ़कर टिप्पणी करने में पढ़ने के साथ आपका आत्मविश्वास कम होता जायेगा।
८.अगर आपके ब्लाग पर लोग टिप्पणियां नहीं करते हैं तो यह मानने में कोई बुराई नहीं है कि जनता की समझ का स्तर अभी आपकी समझ के स्तर तक नहीं पहुंचा है। अक्सर समझ के स्तर को उठने या गिरने में लगने वाला समय स्तर के अंतर के समानुपाती होता है।
९.जब आप किसी लंबी पोस्ट को बाद में इत्मिनान से पढ़ने के लिये सोचते हैं तो उस पोस्ट की हालत उस अखबार जैसी ही होती है जिसे आप कोई अच्छा लेख पढ़ने के लिये रद्दी के अखबारों से अलग रख लेते हैं लेकिन समय के साथ वह अखबार भी रद्दी के अखबारों में मिलकर ही बिक जाता है-अनपढ़ा।
१०.जब आप कोई टिप्पणी करते समय उसे बेवकूफी की बात मानकर ‘करूं न करूं’ की दुविधा जनक हालत में ‘सरल आवर्त गति’ (Simple Hormonic Motion) कर रहेहोते हैं उसी समयावधि में हजारों उससे ज्यादा बेवकूफी की टिप्पणियां दुनिया की तमाम पोस्टों पर चस्पाँ हो जाती हैं।
११.अगर आपके ब्लाग जलवा पूरी दुनिया में फैला हुआ है तथा कोई आपकी आलोचना करने वाला नहीं है तो यह तय है कि या तो आपने अपने जीवनसाथी को अपना लिखा पढ़ाया नहीं या फिर जीवनसाथी को सुरक्षा कारणों से पढ़ने-लिखने से परहेज है।
१२. अगर आप अपने जीवन साथी से तंग आ चुके हैं तथा उससे निपटने का कोई उपाय आपको समझ में नहीं आ रहा तो आप तुरंत ब्लाग लिखना शुरु कर दीजिये।
१३.नियमित,हरफनमौला तथा बहुत धाकड़ लिखने वाले ब्लाग पढ़ने के बाद अक्सर यह लगता है कि ‘लिंक लथपथ’ यह ब्लाग पढ़ने से अच्छा है कि कोई अखबार पढ़ते हुये कोई बहुत तेज चैनेल क्यों न देखा जाये।
१४.’कामा-फुलस्टाप’,’शीन-काफ’ तक का लिहाज रखकर लिखने वाला ‘परफेक्शनिस्ट ब्लागर’ गूगल की शरण में पहुंचा वह ब्लागर होता हैं जिसने अपना लिखना तबतक के लिये स्थगित कर रखा होता है जब तक कि ‘कामा-फुलस्टाप’ ,’शीन-काफ’ को ‘यूनीकोड’ में बदलने वाला कोई ‘साफ्टवेयर’ नहीं मिल जाता।
१५.अनजान टिप्पणियां अक्सर खुदा के नूर की तरह होती हैं जो आपको तब भी राह दिखाती हैं जबकि आप चारो तरफ से प्रशंसा के कुहासे में घिरे होते हैं।
१६. अगर आप अपने ब्लाग पर हिट बढ़ाने के लिये बहुत ही ज्यादा परेशान हैं तो तमाम लटके-झटकों का सहारा छोड़कर किसी चैट रूम में जाकर उम्र,लिंग,स्थान की बजाय अपने ब्लाग का लिंक देना शुरु कर दें।
१७.अगर आप अपना ब्लाग बिना किसी अपराध बोध के बंद करना चाहते हैं तो किसी स्वनाम धन्य लेखक को अपने साथ जोड़ लें।
१८. अच्छा लिखने वाले की तारीफ करते रहना आपकी सेहत के लिये भी जरूरी है। तारीफ के अभाव में वह अपना ब्लाग बंद करके अलग पत्रिका निकालने लगता है। तब आप उसकी न तारीफ कर सकते हैं न बुराई।
१९.ऊटपटांग लिखने वाले का अस्तित्व आपके बेहतरीन लिखने का खुशनुमा अहसास बनाये रखने के निहायत जरूरी है। घटिया लिखने वाला वह नींव की ईंट है जिसपर आपका बढ़िया लिखने के अहसास का कगूंरा टिका होता है।
२०. बहुत लिखने वाले ‘ब्लागलती’ को जब कुछ समझ में नहीं आता तो वह एक नया ब्लाग बना लेता है,जब कुछ-कुछ समझ में आता है तो टेम्पलेट बदल लेता है तथा जब सबकुछ समझ में आ जाता है तो पोस्ट लिख देता है। यह बात दीगर है कि पाठक यह समझ नहीं पाता कि इसने यह किसलिये लिखा!
२१. जब आपका कोई नियमित प्रशंसक,पाठक आपकी पोस्ट पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करता तो निश्चित मानिये कि वो आपकी तारीफ में दो लाइन लिखने की बजाय बीस लाइन की पोस्ट लिखने में जुटा है। उन बीस लाइनों में आपकी तारीफ में केवल लिंक दिया जाता है जो कि अक्सर गलती संख्या ४०४(HTML ERROR-404) का संकेत देता है।
इन्डोपेडिया से साभार
अङ्गुलिप्रवेशात् बाहुप्रवेश:.
अति तृष्णा विनाशाय.
अति सर्वत्र वर्जयेत् ।
अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्.
अतिभक्ति चोरलक्षणम्.
अल्पविद्या भयङ्करी.
कुपुत्रेण कुलं नष्टम्.
ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्.
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.
मधुरेण समापयेत्.
मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.
यौवने मर्कटी सुन्दरी.
रत्नं सनागच्छेतु काञ्चनेन.
शठे शाठ्यं समाचरेत् ।
सत्यं शिवं सुन्दरम्.
सा विद्या या विमुक्तये.
अन्य / विविध
योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।
वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।
अलंकरोति इति अलंकारः ।
सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।
( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है )
संतोषं परमं सुखम् ।
बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही ।
शठे शाठ्यं समाचरेत् ।
( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )
एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय ।
रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥
उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।
यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।
भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।
( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )
— भर्तृहरि
चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।
— लैब्रेटर
हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।
— बेन्जामिन
हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।
— अनोन
कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥
— तुलसीदास
स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे ।
— अलबर्ट हबर्ड
अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं।
— महात्मा गाँधी
विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।
— प्रेमचंद
अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।
— प्रेमचंद
मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।
— महात्मा गाँधी
परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता ।
बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.
एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.
अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |
-– थियोडॉर रूज़वेल्ट
आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता |
-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया.
काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.
वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.
हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.
तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं
-– माले
सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |
-– माओरी
खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |
-– इतालवी सूक्ति
यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।
-– हैरी एस ट्रुमेन
जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ.
— एलेक्जेंडर स्मिथ
अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली.
कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा |
-– अलबर्ट हब्बार्ड
कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.
-– रॉबर्ट ग्रेव्स
बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है.
तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी ?
— रविंद्रनाथ टैगोर
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श्री आशीष श्रीवास्तव द्वारा संकलित सूक्तियाँ
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१.मनुष्य के लिये निराशा के समान दुसरा पाप नही है,मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समुल हटाकर आशावादी बनना चाहिये ।- हितोपदेश
२.जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जीकर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के सवालो की भांति उसे हल नही किया जा सकता. वह सवाल नही- एक चुनौती है, एक अभियान है। -ओशो
३.शोक मनाने के लिए नैतिक साहस चाहिये और आनंद मनाने के लिये धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनो मे जमीन आसमान का अंतर है। पहला गर्विला साहस है, दुसरा विनीत साहस। -किर्केगार्द
४.चापलूसी का जहरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नही पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाये। -प्रेमचंद
५.गाली सह लेने के असली मायने हैं गाली देने वाले के वश मे न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना. यह नही कि जैसा वह कहे, वैसा कहना। -महात्मा गांधी.
६.जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब है तो इसका मतलब है कि मामला कहीं गडबड है । -महात्मा गांधी
७.निराशा मुर्खता का परिणाम है। - डिजरायली
८.सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है। -जार्ज बर्नाड शा
९.जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ । - अरबी कहावत
१०.सबसे अधिक आंनद इस भावना मे है कि हमने मानवता की प्रगति मे कुछ योगदान दिया है । भले ही वह कितना ही कम, यहां तक कि बिल्कुल तुच्छ क्यो ना हो । - डा. राधाकृष्णन
११.झूठे मोती की आब और ताब उसे सच्चा नहीं बना सकती।
१२.सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।
१३.ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं ।
१४.यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता।
१५.पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है । महाभारत -उद्योग पर्व
१७.दान देने में किसी प्रकार का भय या प्रतिफल की आकांक्षा की भावना हो तो वह दान नहीं है। -रिचर्ड रेनॉल्ड्स
१८. जिसके पास बुद्धि है, उसके पास बल है। बुद्धिहीन के पास बल कहां? -चाणक्य
१९.इस जन्म में परिश्रम से की गई कमाई का फल मिलता है और उस कमाई से दिए गए दान का फल अगले जन्म में मिलता है। -गुरुवाणी
२०.जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो
मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं। -सुधांशु महाराज
२१.विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। -गीता (अध्याय 2/62, 63)
२२.प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह
२३.जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद
२४.स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके। -आचार्य तुलसी
२५.कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक
२६.धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान बनाने का सामर्थय रखती है । -स्वामी विवेकांनंद
२७.एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये
रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय । -रहीम
२८.जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग
चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग । -रहीम
२९.रहीमन देखि बडेन को , लघु ना दिजिए डारी
जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारी । -रहीम
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श्री लक्ष्मी नारायण गुप्ता द्वारा संकलित हिन्दी सुभाषित
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१। पर उपदेश कुशल बहुतेरे। जे आचरहिं ते नर न घनेरे।।
—गोस्वामी तुलसीदास
२। गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।
जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि समान।।
—-सन्त कबीर
३। रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चिटकाय।
तोड़े से फिर ना जुड़ै, जुड़े गाँठ पड़ि जाय।।
—-रहीम
४। रहिमन याचकता भली जो थोरेहु दिन होय।
हित अनहित या जगत में जानि परै सब कोय।।
—-रहीम
५। कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।
उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।।
—-सन्त कबीर
६। सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।
सुखातयोयाति नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।
—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)
(सुख की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)
७। कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।
पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं सुजान।।
—-सन्त कबीर
८। का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।
—–गोस्वामी तुलसीदास
९। रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई काह करै तरवारि।।
—–रहीम
१०। अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।
दास मलूका कहि गये सब के दाता राम।।
—– सन्त मलूकदास
११। तुलसी बुरा न मानिये जो गँवार कहि जाय।
जैसे घर का नरदवा भला बुरा बहि जाय।।
——गोस्वामी तुलसीदास
१२। कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।
——गोस्वामी तुलसीदास
१३। परहित सरिस धर्म नहिं भाई। परपीरा सम नहिं अधमाई।।
——गोस्वामी तुलसीदास
१४। निजभाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल
——-भारतेन्दु हरिश्चंद्र
१५। सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति
——-गोस्वामी तुलसीदास
१६। भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन
आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।
मार करता है इन निर्बलों की तवाही
करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।
—-गौतम बुद्ध (धम्मपद ७) (मेरा अनुवाद)
१७। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)
( अपने को जन्म देनेवाली जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)
१८। काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय
एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागिहै।
—–अज्ञात
१९। होनवार बिरवान के होत चीकने पात।
—–अज्ञात
२०। जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।
—–गोस्वामी तुलसीदास
२१। करमगति टारे नाहिं रे टरी।
—–सन्त कबीर
२२। तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।
आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै जाय।।
—–गोस्वामी तुलसीदास
२३। नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा।।
—–गोस्वामी तुलसीदास
२४। जा दिसि बहै बयार, ताहि दिसि टटवा दीजै।
—–अज्ञात
२५। मूरख के मुख बम्ब हैं, निकसत बचन भुजंग।
ताकी ओषधि मौन है विष नहिं व्यापै अंग।।
—–(मुझे याद नहीं)
२६। बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।
घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।
——(मुझे याद नहीं)
२७। बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।
पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति दूर।।
——(मुझे याद नहीं)
२८। करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।
रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।।
——(मुझे याद नहीं)
२९। भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।
सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय मीच।।
——गोस्वामी तुलसीदास
३०। पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं, स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षः।
धाराधरो वर्षति नात्महेतवे, परोपकाराय सतां विभूतयः।।
——-अज्ञात
(नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं करते हैं। सन्तों का अस्तित्व केवल परोपकार के लिये होता है।)
३१। नेकी कर और दरिया में डाल।
—-किस्सा हातिमताई(?)
३२। नीम हकीम खतरे जान। खतरे मुल्ला दे ईमान।।
—-अज्ञात
३३। ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।
—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी)
३४। अरहर की दाल औ जड़हन का भात
गागल निंबुआ औ घिउ तात
सहरसखंड दहिउ जो होय
बाँके नयन परोसैं जोय
कहै घाघ तब सबही झूठा
उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा
—–घाघ
३५। झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय
लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय
लै के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै
रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै
कह गिरधर कविराय रहै वो मन में रूठा
बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद झूठा
—–गिरधर
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श्री जितेन्द्र चौधरी द्वारा संकलित सूक्तियाँ
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सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद
सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध। - सरदार पटेल
कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है। - सावरकर
तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि
संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास। - काका कालेलकर
जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है। -सत्यार्थप्रकाश
जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है-कहावत
सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है। - कथा सरित्सागर
चाहे गुरू पर हो या ईश्वर पर, श्रद्धा अवश्य ररवनी चाहिए। क्योंकि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं। -समर्थ रामदास
यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है। - इंदिरा गांधी
प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजाआें के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये। आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजाआें की प्रियता में ही राजा का हित है। - चाणक्य
द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प््रोम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। - विनोबा
साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है-परंतु एक नया वातावरण देना भी है। - डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन
लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है। - जयप्रकाश नारायण
बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये। - यशपाल
सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना। - डा शंकर दयाल शर्मा
जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है। - नारदभक्ति
धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं। - महाभारत
दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये। - रामायण
शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति। -स्वामी ज्ञानानन्द
धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है। -डा शंकरदयाल शर्मा
त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ
दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद
अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द
जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं। -स्वामी रामतीर्थ
जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय। -सम्पूर्णानंद
नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं। -संत तिरूवल्लुर
वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ
अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को। -महादेवी वर्मा
कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है। -सुदर्शन
हताश न होना ही सफलता का मूल है और यही परम सुख है। -वाल्मीकि
मित्रों का उपहास करना उनके पावन प्रेम को खण्डित करना है। -राम प्रताप त्रिपाठी
नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है। -संत तिस्र्वल्लुवर
जय उसी की होती है जो अपने को संकट में डालकर कार्य सम्पन्न करते हैं। जय कायरों की कभी नहीं होती। - जवाहरलाल नेहरू
कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। - डा रामकुमार वर्मा
जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो। -इंदिरा गांधी
तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की। -गुरू गोविन्द सिंह
मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है। -गौतम बुद्ध
स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक
सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकंात साधना में होता है -अनंत गोपाल शेवड़े
कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं। - श्री हर्ष
अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध
जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं। !-गौतम बुद्ध
अधिक अनुभव, अधिक सहनशीलता और अधिक अध्ययन यही विद्वत्ता के तीन महास्तंभ हैं। -अज्ञात
जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं। -रवीन्द्र
जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता। - माघ्र
मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर
प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर
कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है। - अज्ञात
हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है। - वाल्मीकि
अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। - प्रेमचंद
जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये - वेदव्यास
फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, सम्पत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा है। - तुलसीदास
प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं। - अज्ञात
कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं। -लोकमान्य तिलक
कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। - रामधारी सिंह दिनकर
विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है। - हितोपदेश
खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र
पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है। -गौतम बुद्ध
कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर
रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है -मुक्ता
जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है। -डा विक्रम साराभाई
मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है। -विनोबा
लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है। -मुक्ता
बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे। -हितोपदेश
मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता। - अज्ञात
आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता। - भर्तृहरि
क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है। -अज्ञात
चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र
आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं। इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। -पं रामप्रताप त्रिपाठी
मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता -चाणक्य
जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर
कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है। -रामधारी सिंह दिनकर
चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा
भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है। -अज्ञात
गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - सादी
जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता। - रामकृष्ण परमहंस
मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात
जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी
सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है। -कबीर
देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’
सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है। -स्वामी विवेकानंद
दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात
भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। -विवेकानंद
निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है। - रश्मिमाला
विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है। - अज्ञात
नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये। - रामकृष्ण परमहंस
जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती। - विनोबा
उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं। -चीनी कहावत
वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। -अज्ञात
जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है। -दीनानाथ दिनेश!
जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है। १-अथर्ववेद१
उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं। !-अज्ञात!
जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना। -सुभाषचंद्र बोस!
विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास। एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है। -अज्ञात
आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी
पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद
आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। -चाणक्य
एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। -अज्ञात
किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं। -अज्ञात
ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा। -विनोबा
विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है। -रवींद्रनाथ ठाकुर
कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं। -प्रेमचंद
अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते। -अज्ञात
जिस प्रकार थोड़ी सी वायु से आग भड़क उठती है, उसी प्रकार थोड़ी सी मेहनत से किस्मत चमक उठती है। -अज्ञात
अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं। -जवाहरलाल नेहरू
सच्चाई से जिसका मन भरा है, वह विद्वान न होने पर भी बहुत देश सेवा कर सकता है -पं मोतीलाल नेहरू
स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है। -विनोबा
जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। -मुक्ता
दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा
डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात
सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात
अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती। -अज्ञात
जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात
अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का। - कहावत
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श्री रवि श्रीवास्तव द्वारा संकलित सूक्तियाँ
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1. जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया, उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया – विनोबा
2. अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है – मुसोलिनी
3. पालने से लेकर कब्र तक ज्ञान प्राप्त करते रहो – पवित्र कुरान
4. इच्छा ही सब दुःखों का मूल है – बुद्ध
5. मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है – चाणक्य
6. आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है – पालशिरू
7. क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है – महात्मा गांधी
8. ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है – महात्मा गांधी
9. अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं – बुद्ध
10. नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है – सुकरात
11. गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है – शेक्सपीयर
12. समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं – अज्ञात्
13. जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है – कबीर
14. जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है – कन्फ्यूशियस
15. ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं – खलील जिब्रान
16. कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है – चाणक्य
17. दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है – गुरु नानक देव
18. ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा – गुरु नानक देव
19. जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द
20. जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.
21. भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है, सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं.
22. सोचना, कहना व करना सदा समान हो.
23. न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.
24. स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.
25. ते ते पाँव पसारियो जेती चादर होय.
26. महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.
27. बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.
28. क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.
29. नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.
30. धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.
31. दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं, वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.
32. नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.
33. बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.
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2005-09-02T13:18:06Z
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== सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल वचन ==
पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।
— संस्कृत सुभाषित
विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।
— मैथ्यू अर्नाल्ड
संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।
— चाणक्य
सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।
— गोथे
मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।
— इमर्सन
किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।
— सर विंस्टन चर्चिल
बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है।
— आईजक दिसराली
— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।
सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।
— राबर्ट हेमिल्टन
== गणित ==
यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।
तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥
— वेदांग ज्योतिष
( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )
बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।
यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥
— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ
( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )
ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।
— गैलिलियो
गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।
— प्रो. हाल
काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।
— गरफंकल , १९९७
गणित एक भाषा है ।
— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री
लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।
यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।
== विज्ञान ==
विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।
— विल्ल डुरान्ट
विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।
विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।
हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।
— रिचर्ड फ़ेनिमैन
== तकनीकी ==
पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।
-आर्थर सी. क्लार्क
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।
— एस डीकैम्प
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।
— जेम्स के. फिंक
वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।
— थियोडोर वान कार्मन
मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।
— सुश्री जैकब
इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।
जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।
— लार्ड केल्विन
आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।
तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।
== कम्प्यूटर / इन्टरनेट ==
इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है.
-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)
कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.
-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस
कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं.
— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल
== कला ==
कला एक प्रकार का एक नशा है,जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।
- फ्रायड
== भाषा / स्वभाषा ==
निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।
बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥
— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।
— बेन्जामिन होर्फ
आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।
..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।
— जार्ज ओर्वेल
जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।
— गोथे
शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है.
-– लिली टॉमलिन
== साहित्य ==
साहित्य समाज् का दर्पण होता है ।
साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।
( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )
— भर्तृहरि
== संगति / सत्संगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार /नेटवर्किंग / संघ ==
संघे शक्तिः ( एकता में शति है )
हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।
समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥
हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।
— महाभारत
यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।
पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥
जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे के कारण कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।
— पंचतंत्र
को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? , गुणियों का साथ )
— भर्तृहरि
सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है )
संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )
— पंचतंत्र
दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।
— कियोसाकी
मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।
शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।
पारस परस कुधातु सुहाई ॥
— गोस्वामी तुलसीदास
गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )
— गोस्वामी तुलसीदास
बिना सहकार , नहीं उद्धार ।
उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।
( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )
नहीं संगठित सज्जन लोग ।
रहे इसी से संकट भोग ॥
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।
— रैन्डाल्फ
== संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन ==
दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।
आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है ।
कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।
उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।
बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।
— गोथे
व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।
— डिजरायली
== साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न ==
साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )
इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।
जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।
बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।
बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।
— आर. जी. इंगरसोल
जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।
- द्रोणाचार्य
यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।
- वल्लभभाई पटेल
वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।
- डब्ल्यू.एच.आडेन
शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।
- किर्केगार्द
किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |
-– एरमा बॉम्बेक
हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.
== भय, अभय , निर्भय ==
तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।
आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥
भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।
— पंचतंत्र
जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।
- पंचतंत्र
‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।
- बर्ट्रेंड रसेल
मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।
- अथर्ववेद
‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।
- स्वामी विवेकानंद
आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |
-– नेपोलियन
डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |
-– एमर्सन
दोष / गलती / त्रुटि
गलती करने में कोई गलती नहीं है ।
गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।
— एल्बर्ट हब्बार्ड
गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।
बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।
— ग्लेडस्टन
मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।
— राबर्ट कियोसाकी
सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।
— आस्कर वाइल्ड
गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।
— सिसरो
अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।
— अलेक्जेन्डर पोप
दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।
— प्लूटार्क
त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |
-– सिगमंड फ्रायड
गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नही गया।
सफलता, असफलता
असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया
गया ।
— श्रीरामशर्मा आचार्य
जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।
— हक्सले
जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।
— हर्मन मेलविल
असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।
— नैपोलियन हिल
सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।
असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।
— हेनरी फ़ोर्ड
दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।
- थामस इलियट
दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।
- इमर्सन
- हरिशंकर परसाई
किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।
जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं , दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं ।
— जान मैकनरो
असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।
— बेवेरली सिल्स
सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.
-– किन हबार्ड
मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला.
-– जोनाथन विंटर्स
सुख-दुःख , व्याधि , दया
संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।
- खलील जिब्रान
संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।
- मृच्छकटिक
व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।
- चाणक्यसूत्राणि-२२३
विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।
- रावणार्जुनीयम्-५।८
मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।
- बर्नार्ड शॉ
मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।
- पुरुषोत्तमदास टंडन
मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।
- सर विंस्टन चर्चिल
तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।
-लहरीदशक
रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥
— रहीम
चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।
— गेटे
== प्रशंसा / प्रोत्साहन ==
मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।
–चार्ल्स श्वेव
आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।
— सेनेका
मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।
— विलियम जेम्स
अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।
— फ्रंकलिन
चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।
मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा
-– विलियम ऑर्थर वार्ड
हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |
-– नॉर्मन विंसेंट पील
मान, अपमान, सम्मान
धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।
- माघकाव्य
इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।
- कल्विन कूलिज
अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |
-– रहीम
अभिमान / घमण्ड / गर्व
== धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र / ==
दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।
— भर्तृहरि
हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना (धन) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )
— महाकवि माघ
सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )
- भर्तृहरि
संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।
— शुक्राचार्य
आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )
— चाणक्य
मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।
— पंचतंत्र
अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )
— चाणक्य
जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।
— गो. तुलसीदास
क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।
( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये ।
रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.
-– चेस्टर फ़ील्ड
== धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी ==
गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।
— डेनियल
गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.
-– एनॉन
पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।
== व्यापार ==
तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।
राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।
— कार्डेल हल्ल
व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।
इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।
— थामस फुलर
आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।
कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।
— द डेविल्स डिक्शनरी
अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।
विकास / प्रगति
बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है।
— रोनाल्ड रीगन
अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.
== राजनीति ==
निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।
— दसकुमारचरित
यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।
— हेनरी एडम
विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।
— सर अर्नेस्ट वेम
मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।
— हेनरी एडम
राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो.
-– ओटो वान बिस्मार्क
सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी.
-– एरिक फ्रॉम
लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र
लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।
— अब्राहम लिंकन
लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।
— हेनरी एमर्शन फास्डिक
शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।
— लार्ड बिवरेज
अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।
बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।
- महात्मा गांधी
जैसी जनता , वैसा राजा ।
प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।
बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।
— महात्मा गांधी
== नियम / कानून / विधान ==
न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।
( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )
— महाभारत
अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।
— थामस फुलर
थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।
— लुइस दी उलोआ
संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।
लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।
सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।
— इमर्शन
न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।
स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥
( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।
स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )
कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।
— फिदेल कास्त्रो
विज्ञापन
मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।
- हरिशंकर परसाई
== समय ==
आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।
स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥
करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।
वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।
समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।
— बेन्जामिन फ्रैंकलिन
किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।
क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।
( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )
काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।
पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥
— कबीरदास
अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।
हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।
दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )
समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है.
-– एनॉन
== अवसर / मौका / सुतार / सुयोग ==
जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर ।
धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।
— डगलस मैकआर्थर
संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।
आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।
— विन्स्टन चर्चिल
अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।
— अलबर्ट आइन्स्टाइन
हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।
— ली लोकोक्का
रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर ।
जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥
न इतराइये , देर लगती है क्या |
जमाने को करवट बदलते हुए ||
कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है |
-– गोस्वामी तुलसीदास
== इतिहास ==
उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।
— इमर्सन
इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।
इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।
इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।
— नेपोलियन बोनापार्ट
जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।
— जार्ज सन्तायन
ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।
— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में
इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।
–सी डैरो
संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।
— एच जी वेल्स
सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।
— एस डीकैम्प
इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।
— जेम्स के. फिंक
इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।
शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता
वीरभोग्या वसुन्धरा ।
( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है )
कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।
को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥
— पंचतंत्र
जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?
विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ?
खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।
खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ?
कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |
कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।|
यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥
( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता )
नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।
विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥
(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है )
जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।
- मृच्छकटिक
आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।
— जोनाथन स्विफ्ट
युद्ध / शान्ति
सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।
— पं. जवाहरलाल नेहरू
सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।
( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।
— दुर्योधन , महाभारत में
प्रागेव विग्रहो न विधिः ।
पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।
— पंचतन्त्र
यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।
— अब्राहम लिंकन
शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।
— डा॰राजेन्द्र प्रसाद
आत्मविश्वास / निर्भीकता
आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।
— एमर्सन
आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।
— एमर्शन
आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।
— डेल कार्नेगी
हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।
— रीता माई ब्राउन
मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।
–एन्ड्री मौरोइस
== प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य ==
वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।
भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।
— एरिक हाफर
प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।
सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।
मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।
— स्टीनमेज
जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।
सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।
मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |
-– रुडयार्ड किपलिंग
== सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था ==
संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।
ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।
एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।
ज्ञान प्रबन्धन (KM)
लिखना / नोट करना
== परिवर्तन ==
क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )
— शिशुपाल वध
आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।
परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।
— बर्नार्ड रसेल
हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।
— महात्मा गाँधी
परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है ; आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है ; और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।
— राजा ह्विटनी जूनियर
नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।
— मकियावेली
यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।
— कुर्त लेविन
आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।
— पीटर ड्रकर
== नेतृत्व / प्रबन्धन ==
अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं ।
मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।
पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥
जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं ।
नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।
— मैरी पार्कर फोलेट
नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।
— मैक्सवेल
अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।
— एल्बर्ट हब्बार्ड
अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।
मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.
-– वुडरो विलसन
निर्णय
जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था.
विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा
पालन-पोषण / पैरेन्टिग
किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।
— बिनोवा भावे
बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.
कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन
अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।
— लेस ब्राउन
केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।
व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।
— श्रीराम शर्मा आचार्य
कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।
— नैपोलियन
कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।
( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )
ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।
— श्री माँ
एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।
— स्टीफन जेविग
तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।
— अलबर्ट आइन्सटीन
मौन
मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।
— बेकन
मौनं सर्वार्थसाधनम् ।
— पंचतन्त्र
( मौन सारे काम बना देता है )
आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।
— एमर्शन
मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।
— कार्लाइल
मौनं स्वीकार लक्षणम् ।
( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )
कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |
-– ओविड
== उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया ==
मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।
- पं श्री राम शर्मा आचार्य
उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।
( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )
— पंचतन्त्र
विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।
— सर फिलिप सिडनी
लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।
विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।
— डब्ल्यू. ओ. डगलस
किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।
विचारों की गति ही सौन्दर्य है।
— जे बी कृष्णमूर्ति
ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |
-– हेनरी फ़ोर्ड
जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |
-– जॉन बेज
चिन्तन / मनन
== कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म ==
ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।
आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।
— हितोपदेश
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।
नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं। सोये हुए शेर के मुख में मृग प्रवेश नहीं करते ।
— हितोपदेश
जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )
सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।
— गो. तुलसीदास
जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।
— नार्मन कजिन
आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।
- सैली बर्जर
जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।
— गोथे
छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।
प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )
— रघुवंश महाकाव्यम्
पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।
यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥
- - वाल्मीकि रामायण
शुभारम्भ, आधा खतम ।
हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।
— चीनी कहावत
सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।
— इमर्सन
सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।
— एडिशन
यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।
एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।
— सैमुएल स्माइल
उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।
— जान फ़्लीचर
मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।
— लाक
जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।
— पीटर एफ़ ड्रूकर
अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।
— थामस कार्लाइल
ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.
जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |
– वेदव्यास
== उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह ==
संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
परिश्रम
मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली
कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |
-– स्टीवन राइट
आराम हराम है.
चींटी से परिश्रम करना सीखें |
— अज्ञात
चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )
रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी /
खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे करना , श्रृजन है ।
स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और फिर उस काम को मत करो ।
— जोल वेल्डन
वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड) करने की कोशिश करता है ।
रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए हैं।
— मार्क ट्वेन
== विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा / ==
जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।
(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )
— पंचतंत्र
स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।
(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है )
काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |
अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।|
( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृह्त्यागी । )
अनभ्यासेन विषम विद्या ।
( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )
सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।
सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥
ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।
–डेविड बोम (१९१७-१९९२)
सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।
— थोरो
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
— इमर्सन
वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )
विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )
खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।
- - फ़ोर्ब्स
अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।
— आइन्स्टीन
कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।
संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।
गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।
— जार्ज बर्नार्ड शा
दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —
जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन
पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।
— जान लाक
एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।
- जिग जिग्लर
शब्द विचारों के वाहक हैं ।
शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।
दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।
— जेम्स देवर
अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।
— कार्ल पापर
सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की
कोशिश करनी चाहिये ।
— थामस ह. हक्सले
शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।
— केथराल
शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।
— बर्क
अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।
— डिजरायली
ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।
— थामस फुलर
स्कूल को बन्द कर दो ।
— इवान इलिच
प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
== पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान / ==
झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।
( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है । )
सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।
ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥
आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।
( जो सारे प्राणियों को अपने समान देखता है , वही पण्डित है । )
सज्जन / दुर्जन / खल / साधु
बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है |
– शेख सादी
== विवेक ==
विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।
— ब्रूचे
विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।
— मान्तेन
तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।
साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥
ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।
भविष्य / भविष्य वाणी
अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।
द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो विनश्यति ॥
— पंचतन्त्र
भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का विनाश हो जाता है ।
भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है ।
— डा. शाकली
किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।
— जान राइस
आशा / निराशा
अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.
खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो |
– शेख सादी
सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल
हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.
चिन्ता / तनाव / अवसाद
चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।
— चैनिंग
विकास
कैरीअर
आत्म-निर्भरता
जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती है।
- भरत पारिजात ८।३४
== भारत ==
भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।
— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार
हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।
— मार्क ट्वेन
यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।
— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला
भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।
— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत
यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥
कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।
शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥
— मुहम्मद इकबाल
== संस्कृत ==
भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।
( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )
इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।
— सर विलियम जोन्स
सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।
–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्
कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।
— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )
यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।
— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )
हिन्दी
== देवनागरी ==
हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।
-— आचार्य विनबा भावे
देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।
-— सर विलियम जोन्स
मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।
— जान क्राइस्ट
उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।
-— खुशवन्त सिंह
== महात्मा गाँधी ==
आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।
— अलबर्ट आइन्स्टीन
मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।
— हो ची मिन्ह
उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।
— यू थान्ट
.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।
— अर्नाल्ड विग
जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।
–हैली सेलेसी
मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।
— महा आत्मा , दलाई लामा
ज्ञान-अर्थ-व्यवस्था
मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल इन्टेलिजेन्स
( अक्रोध , धैर्य , सन्तोष , चिन्ता , तॄष्णा , लालच , क्षमा , हँसी , विनोद , )
क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।
विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं नन्दनं वनम ॥
क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )
चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।
मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।
हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये ।
— मार्टिन लुथर किंग
अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।
हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.
सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते |
-– सल्वाडोर डाली
सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।
जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |
-– सुकरात
जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार सोचकर.
-– जेफरसन
यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.
-– डोरोथी पार्कर
जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.
-– हेनरी वान डायक
जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के
वशीभूत नहीं होते |
– महाभारत
हँसी
जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |
-– टैगोर
धैर्य / धीरज
धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।
— डिजरायली
सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।
- पं श्री राम शर्मा आचार्य
== हास्य-व्यंग्य सुभाषित ==
हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।
(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥
कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।
क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये मत्कुणशंकया ॥
लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।
विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥
टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी कॉमेडी भर देगी ?
-– डिक कैवेट
मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |
-– वूडी एलन
प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत का दर्द |
-– मे वेस्ट
चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |
-– चार्ल्स द गाल
जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.
पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है.
इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |
-– वूडी एलन
अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों |
-– जेरोम के जेरोम
किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.
-– एनन
ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला देता.
-– हेनरी डेविड थोरे
यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.
-– पाल गेटी
विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |
-– हेनरी किसिंजर
भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती
मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.
— एडले स्टीवेंसन
यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.
यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं तो बागवानी में लग जाएँ.
-– आर्थर स्मिथ
अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.
-– बालज़ाक
बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता.
ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी की थी.
-– बारबरा स्ट्रीसेंड
बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो ?
जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता है।
== धर्म ==
धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।
धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , दसकं धर्म लक्षणम ॥
— मनु
( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )
श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।
आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥
— महाभारत
( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । )
धर्मो रक्षति रक्षितः ।
( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय । )
धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।
— डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
सदाचार
सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।
अहिंसा , हिंसा, शांति
याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।
सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।
- मार्टिन सूथर किंग जूनियर
‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।
- महात्मा गांधी
आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।
- वेडेल फिलिप्स
क्षमा / बदला
सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.
दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है ।
अतिथि
मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।
— बेंजामिन फ्रैंकलिन
अतिथि देवो भव ।
( अतिथि को देवता समझो । )
सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का स्वागत करो ।
संस्कृति
लज्जा
== परोपकार ==
परहित सरसि धरम नहि भाई ।
— गो. तुलसीदास
अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।
परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥
अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।
परोपकाराय सतां विभूतयः ।
( सज्जनों का धन परोपकार के लिये होता है । )
जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया ।
सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥
— चकबस्त
समाज के हित में अपना हित है ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
== गुण / अवगुण ==
आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता है।
- आर्यान्योक्तिशतक
आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।
- भगवान महावीर
कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।
- पंडितराज जगन्नाथ
कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए।
- दर्पदलनम् १।२९
गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।
- वासवदत्ता
घमंड करना जाहिलों का काम है।
- शेख सादी
तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता।
- ओशो
मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते हैं।
- साहित्यदर्पण
यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |
-– शेख़ सादी
सत्य / सच्चाई / इमानदारी / असत्य
असतो मा सदगमय ।।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥
मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।
अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।।
मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।
सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।
प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥
सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये ।
प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥
सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है।
- जार्ज बर्नार्ड शॉ
सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।
जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।
— वेद व्यास
सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.
== मानव जीवन ==
येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।
ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥
जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।
— भर्तृहरि
मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु , मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।
— रवीन्द्र नाथ टैगोर
आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , अंधकारमय बना लेते हैं।
— रवीन्द्र नाथ टैगोर
क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी) |
-– चार्ली चेपलिन
आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |
-– मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस
हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों की तरह पैडल मारते हुए |
-– जेकब एम ब्रॉदे
जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |
-– रॉल्फ वाल्डो इमर्सन
अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत |
-– हेनरी एडम्स
दृढ़ निश्चय ही विजय है
जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़. जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.
-– जे पी डोनलेवी
दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है.
प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं.
हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.
- - शेक्सपीयर
लक्ष्य / उद्देश्य
यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |
सन्तान
पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।
मृतजात
माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।
सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये बको यथा ॥
जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है ।
(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला ।
दो बच्चों से खिलता उपवन ।
हँसते-हँसते कटता जीवन ।।
== स्वाधीनता / स्वतन्त्रता / पराधीनता ==
पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।
— गोस्वामी तुलसीदास
आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।
आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।
— जार्ज बर्नाड शॉ
== स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता ==
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ?
- विवेकानंद
मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।
— श्रीराम शर्मा आचार्य
बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।
— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
— इमर्सन
शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना ।
— स्काट फिट्जेराल्ड
आत्मदीपो भवः ।
( अपना दीपक स्वयं बनो । )
— गौतम बुद्ध
इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच !
आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / हाइपोक्रिसी
चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।
- सर्वपल्ली राधाकृष्णन
हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।
- विनोबा
भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी, राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं।
- स्वामी रामदेव
पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की साज़िश की थी।
- अनीता प्रताप
बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।
- नीतिशास्त्र
भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।
- रत्वान रोमेन खिमेनेस
पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।
—- गोस्वामी तुलसीदास
ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो.
जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |
-– नवाजो
जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए |
-– कनफ़्यूशियस
== पुस्तकें ==
सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है |
— डबल्यू एच ऑदेन
पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.
किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |
-– रे ब्रेडबरी
पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.
स्वाध्याय
अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है.
गुरू
उपयोग, दुर्उपयोग
जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।
- आर्यान्योक्तिशतक
अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते।
- जानसन
मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।
- अरुंधती राय
संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता है।
सूक्तिमुक्तावली-७०
भाग्य
चरित्र
व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।
— चैनिंग
प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |
– अलफ़ॉसो कार
त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।
( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )
ईश्वर
ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |
– रविदास
== मीठी बोली ==
तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर ।
वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥
ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय ।
औरन् को शीतल लगे, आपहुँ शीतल् होय ॥
— कबीरदास
प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥
( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? )
नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |
-– तिरूवल्लुवर
== उदारता ==
अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥
यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।
उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।
सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥
सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।
सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥
यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं
– हैरी एस. ट्रूमेन
श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |
-– काउन्ट रदरफ़र्ड
आकांक्षा, चाह
भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?
- गाथासप्तशती
कर्तव्य, आभार
जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।
- महाभारत
कर्म, अकर्म, भाग्य
जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सुगंध कहां फैल सकती है?
- शिवशुकीय
अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।
- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३
जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।
- गेटे
दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।
- जे.बी. एस. हॉल्डेन
यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।
- लुकमान
सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ?
- रामतीर्थ
कला, भाषा, विद्वता
मेरी भाषा की सीमा, मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।
- लुडविग विटगेंस्टाइन
मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।
- शेख सादी
श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्दऔर अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।
- शिशुपाल वध
चरित्र
कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।
- नीतिवाक्यामृत-३।१२
छल-कपट, निष्कपटता
पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है।
- लिन यूतांग
झूट का कभी पीछा मत करो। उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा।
- लीमैन बीकर
जीवन, आयु
मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।
- बर्ट्रेंड रसेल
हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है।
(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर) काव्यादर्श
जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते।
- महाभारत
बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।
- अष्टावक्र
दिखावा
आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते हैं।
-फ्रांत्स काफ्का
धैर्य, स्वभाव, तन्मयता
अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं।
- वक्रमुख
गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।
- महात्मा गांधी
चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।
- बैंजामिन फ्रैंकलिन
जो कोई गुस्से को प्रकट करने की ताकत रखते हुए भी उसे दबाता है, उसे अल्लाह सभी प्राणियों के सामने कयामत के दिन बुलाएगा और बहुत नेमतें देगा।
- मुहम्मद पैगम्बर
दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है।
बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।
- शम्स-ए-तबरेज़
सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।
- हितोपदेश
पाप, पुण्य, पवित्रता
जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।
- फुलर
शहीद के खून से ज्यादा पवित्र विद्वान आदमी के रक्त की स्याही होती है।
-मोहम्मद साहब
मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।
- हितोपदेश
- बर्नार्ड इगेस्किलन
इच्छा / कामना / मनोरथ
मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |
– वेदव्यास
प्रेम, आंसू
उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है।
- तिरुवल्लुवर
जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।
- उत्तररामचरित
पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है।
- लार्ड बायरन
सात सागरों के जल की अपेक्षा मानव-नेत्रों से कहीं अधिक आंसू बह चुके हैं।
- गौतम बुद्ध
प्रगति
भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।
- जवाहरलाल नेहरू
सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?
- डा. राधाकृष्णन
परिवर्तन
चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती। बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता।
- रवीन्द्रनाथ ठाकुर
दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।
- माल्कम एक्स
पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
- स्वामी विवेकानंद
भय, निर्भय, घृणा
जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।
- पंचतंत्र
‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।
- बर्ट्रेंड रसेल
मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।
- अथर्ववेद
‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।
- स्वामी विवेकानंद
मान, अपमान, सम्मान
धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।
- माघकाव्य
इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।
- कल्विन कूलिज
रहस्य, समस्या
जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक अभियान है।
- ओशो
मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।
- हरिशंकर परसाई
विनय, सुशीलता, सत्कार,अनादर
कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है। क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।
- मृच्छकटिक
जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।
- वासवदत्ता
जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।
- प्रास्ताविकविलास
विवेक, ज्ञान, अज्ञान
जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही नहीं।
- शेख सादी
ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।
- बर्नारड शा
निराशा मूर्खता का परिणाम है।
- डिज़रायली
यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।
- नीतसार
सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़ होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।
- कालिदास
शक्ति , अधिकार
जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।
- मृच्छकटिक
आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते। - जोनाथन स्विफ्ट
शिक्षा , परामर्श , पुस्तक
संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।
- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है।
- सांख्य दर्शन
बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।
- स्वामी रामदेव
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता?
- विवेकानंद
सामान्य बुद्धि
चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।
- प्रेमचन्द
== स्वास्थ्य ==
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )
आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।
— महर्षि चरक
मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य
जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।
- महात्मा गांधी
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )
आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।
— महर्षि चरक
को रुक् , को रुक् , को रुक् ?
हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।
( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ?
हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )
स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है।
— मार्क ट्वेन
ऋतु
वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।
- सामवेद
== नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार कौशल ==
हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.
तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.
मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |
-– इंदिरा गांधी
कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.
== ब्लाग, ब्लागर, ब्लागिंग ( हास्य सुभाषित ) ==
( रचयिता - श्री अनूप शुक्ला )
१.ब्लाग दिमाग की कब्ज़ और गैस से तात्कालिक मुक्ति का मुफीद उपाय है।
२.ब्लाग पर टिप्पणी सुहागन के माथे पर बिंदी के समान होती है।
३.टिप्पणी विहीन ब्लाग विधवा की मांग की तरह सूना दिखता है।
४.अगर आप इस भ्रम का शिकार हैं कि दुनिया का खाना आपका ब्लाग पढ़े बिना हजम नहीं होगा तो आप अपना अगली सांस लेने के पहले ब्लाग लिखना बंद कर दें। दिमाग खराब होने से बचाने का इसके अलावा कोई उपाय नहीं है।
५.अनावश्यक टिप्पणियों से बचने के लिये किये गये सारे उपाय उस सुरक्षा गार्ड को तैनात करने के समान हैं जो शोहदों से किसी सुंदरी की रक्षा करने के लिये तैनात किये जाते हैं तथा बाद में सुरक्षा गार्ड सुंदरी को उसके आशिकों तक से नहीं मिलने देता।
६.जब आप अपने किसी विचार को बेवकूफी की बात समझकर लिखने से बचते हैं तो अगली पोस्ट तभी लिख पायेंगे जब आप उससे बड़ी बेवकूफी की बात को लिखने की हिम्मत जुटा सकेंगे।
७.किसी पोस्ट पर आत्मविश्वासपूर्वक सटीक टिप्पणी करने का एकमात्र उपाय है कि आप टिप्पणी करने के तुरंत बाद उस पोस्ट को पढ़ना शुरु कर दें। पहले पढ़कर टिप्पणी करने में पढ़ने के साथ आपका आत्मविश्वास कम होता जायेगा।
८.अगर आपके ब्लाग पर लोग टिप्पणियां नहीं करते हैं तो यह मानने में कोई बुराई नहीं है कि जनता की समझ का स्तर अभी आपकी समझ के स्तर तक नहीं पहुंचा है। अक्सर समझ के स्तर को उठने या गिरने में लगने वाला समय स्तर के अंतर के समानुपाती होता है।
९.जब आप किसी लंबी पोस्ट को बाद में इत्मिनान से पढ़ने के लिये सोचते हैं तो उस पोस्ट की हालत उस अखबार जैसी ही होती है जिसे आप कोई अच्छा लेख पढ़ने के लिये रद्दी के अखबारों से अलग रख लेते हैं लेकिन समय के साथ वह अखबार भी रद्दी के अखबारों में मिलकर ही बिक जाता है-अनपढ़ा।
१०.जब आप कोई टिप्पणी करते समय उसे बेवकूफी की बात मानकर ‘करूं न करूं’ की दुविधा जनक हालत में ‘सरल आवर्त गति’ (Simple Hormonic Motion) कर रहेहोते हैं उसी समयावधि में हजारों उससे ज्यादा बेवकूफी की टिप्पणियां दुनिया की तमाम पोस्टों पर चस्पाँ हो जाती हैं।
११.अगर आपके ब्लाग जलवा पूरी दुनिया में फैला हुआ है तथा कोई आपकी आलोचना करने वाला नहीं है तो यह तय है कि या तो आपने अपने जीवनसाथी को अपना लिखा पढ़ाया नहीं या फिर जीवनसाथी को सुरक्षा कारणों से पढ़ने-लिखने से परहेज है।
१२. अगर आप अपने जीवन साथी से तंग आ चुके हैं तथा उससे निपटने का कोई उपाय आपको समझ में नहीं आ रहा तो आप तुरंत ब्लाग लिखना शुरु कर दीजिये।
१३.नियमित,हरफनमौला तथा बहुत धाकड़ लिखने वाले ब्लाग पढ़ने के बाद अक्सर यह लगता है कि ‘लिंक लथपथ’ यह ब्लाग पढ़ने से अच्छा है कि कोई अखबार पढ़ते हुये कोई बहुत तेज चैनेल क्यों न देखा जाये।
१४.’कामा-फुलस्टाप’,’शीन-काफ’ तक का लिहाज रखकर लिखने वाला ‘परफेक्शनिस्ट ब्लागर’ गूगल की शरण में पहुंचा वह ब्लागर होता हैं जिसने अपना लिखना तबतक के लिये स्थगित कर रखा होता है जब तक कि ‘कामा-फुलस्टाप’ ,’शीन-काफ’ को ‘यूनीकोड’ में बदलने वाला कोई ‘साफ्टवेयर’ नहीं मिल जाता।
१५.अनजान टिप्पणियां अक्सर खुदा के नूर की तरह होती हैं जो आपको तब भी राह दिखाती हैं जबकि आप चारो तरफ से प्रशंसा के कुहासे में घिरे होते हैं।
१६. अगर आप अपने ब्लाग पर हिट बढ़ाने के लिये बहुत ही ज्यादा परेशान हैं तो तमाम लटके-झटकों का सहारा छोड़कर किसी चैट रूम में जाकर उम्र,लिंग,स्थान की बजाय अपने ब्लाग का लिंक देना शुरु कर दें।
१७.अगर आप अपना ब्लाग बिना किसी अपराध बोध के बंद करना चाहते हैं तो किसी स्वनाम धन्य लेखक को अपने साथ जोड़ लें।
१८. अच्छा लिखने वाले की तारीफ करते रहना आपकी सेहत के लिये भी जरूरी है। तारीफ के अभाव में वह अपना ब्लाग बंद करके अलग पत्रिका निकालने लगता है। तब आप उसकी न तारीफ कर सकते हैं न बुराई।
१९.ऊटपटांग लिखने वाले का अस्तित्व आपके बेहतरीन लिखने का खुशनुमा अहसास बनाये रखने के निहायत जरूरी है। घटिया लिखने वाला वह नींव की ईंट है जिसपर आपका बढ़िया लिखने के अहसास का कगूंरा टिका होता है।
२०. बहुत लिखने वाले ‘ब्लागलती’ को जब कुछ समझ में नहीं आता तो वह एक नया ब्लाग बना लेता है,जब कुछ-कुछ समझ में आता है तो टेम्पलेट बदल लेता है तथा जब सबकुछ समझ में आ जाता है तो पोस्ट लिख देता है। यह बात दीगर है कि पाठक यह समझ नहीं पाता कि इसने यह किसलिये लिखा!
२१. जब आपका कोई नियमित प्रशंसक,पाठक आपकी पोस्ट पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करता तो निश्चित मानिये कि वो आपकी तारीफ में दो लाइन लिखने की बजाय बीस लाइन की पोस्ट लिखने में जुटा है। उन बीस लाइनों में आपकी तारीफ में केवल लिंक दिया जाता है जो कि अक्सर गलती संख्या ४०४(HTML ERROR-404) का संकेत देता है।
== इन्डोपेडिया से साभार ==
अङ्गुलिप्रवेशात् बाहुप्रवेश:.
अति तृष्णा विनाशाय.
अति सर्वत्र वर्जयेत् ।
अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्.
अतिभक्ति चोरलक्षणम्.
अल्पविद्या भयङ्करी.
कुपुत्रेण कुलं नष्टम्.
ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्.
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.
मधुरेण समापयेत्.
मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.
यौवने मर्कटी सुन्दरी.
रत्नं सनागच्छेतु काञ्चनेन.
शठे शाठ्यं समाचरेत् ।
सत्यं शिवं सुन्दरम्.
सा विद्या या विमुक्तये.
== अन्य / विविध ==
योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।
वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।
अलंकरोति इति अलंकारः ।
सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।
( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है )
संतोषं परमं सुखम् ।
बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही ।
शठे शाठ्यं समाचरेत् ।
( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )
एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय ।
रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥
उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।
यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।
भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।
( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )
— भर्तृहरि
चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।
— लैब्रेटर
हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।
— बेन्जामिन
हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।
— अनोन
कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥
— तुलसीदास
स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे ।
— अलबर्ट हबर्ड
अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं।
— महात्मा गाँधी
विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।
— प्रेमचंद
अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।
— प्रेमचंद
मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।
— महात्मा गाँधी
परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता ।
बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.
एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.
अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |
-– थियोडॉर रूज़वेल्ट
आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता |
-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया.
काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.
वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.
हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.
तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं
-– माले
सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |
-– माओरी
खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |
-– इतालवी सूक्ति
यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।
-– हैरी एस ट्रुमेन
जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ.
— एलेक्जेंडर स्मिथ
अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली.
कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा |
-– अलबर्ट हब्बार्ड
कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.
-– रॉबर्ट ग्रेव्स
बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है.
तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी ?
— रविंद्रनाथ टैगोर
== श्री आशीष श्रीवास्तव द्वारा संकलित सूक्तियाँ ==
१.मनुष्य के लिये निराशा के समान दुसरा पाप नही है,मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समुल हटाकर आशावादी बनना चाहिये ।- हितोपदेश
२.जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जीकर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के सवालो की भांति उसे हल नही किया जा सकता. वह सवाल नही- एक चुनौती है, एक अभियान है। -ओशो
३.शोक मनाने के लिए नैतिक साहस चाहिये और आनंद मनाने के लिये धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनो मे जमीन आसमान का अंतर है। पहला गर्विला साहस है, दुसरा विनीत साहस। -किर्केगार्द
४.चापलूसी का जहरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नही पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाये। -प्रेमचंद
५.गाली सह लेने के असली मायने हैं गाली देने वाले के वश मे न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना. यह नही कि जैसा वह कहे, वैसा कहना। -महात्मा गांधी.
६.जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब है तो इसका मतलब है कि मामला कहीं गडबड है । -महात्मा गांधी
७.निराशा मुर्खता का परिणाम है। - डिजरायली
८.सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है। -जार्ज बर्नाड शा
९.जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ । - अरबी कहावत
१०.सबसे अधिक आंनद इस भावना मे है कि हमने मानवता की प्रगति मे कुछ योगदान दिया है । भले ही वह कितना ही कम, यहां तक कि बिल्कुल तुच्छ क्यो ना हो । - डा. राधाकृष्णन
११.झूठे मोती की आब और ताब उसे सच्चा नहीं बना सकती।
१२.सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।
१३.ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं ।
१४.यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता।
१५.पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है । महाभारत -उद्योग पर्व
१७.दान देने में किसी प्रकार का भय या प्रतिफल की आकांक्षा की भावना हो तो वह दान नहीं है। -रिचर्ड रेनॉल्ड्स
१८. जिसके पास बुद्धि है, उसके पास बल है। बुद्धिहीन के पास बल कहां? -चाणक्य
१९.इस जन्म में परिश्रम से की गई कमाई का फल मिलता है और उस कमाई से दिए गए दान का फल अगले जन्म में मिलता है। -गुरुवाणी
२०.जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो
मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं। -सुधांशु महाराज
२१.विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। -गीता (अध्याय 2/62, 63)
२२.प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह
२३.जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद
२४.स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके। -आचार्य तुलसी
२५.कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक
२६.धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान बनाने का सामर्थय रखती है । -स्वामी विवेकांनंद
२७.एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये
रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय । -रहीम
२८.जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग
चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग । -रहीम
२९.रहीमन देखि बडेन को , लघु ना दिजिए डारी
जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारी । -रहीम
== श्री लक्ष्मी नारायण गुप्ता द्वारा संकलित हिन्दी सुभाषित ==
१। पर उपदेश कुशल बहुतेरे। जे आचरहिं ते नर न घनेरे।।
—गोस्वामी तुलसीदास
२। गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।
जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि समान।।
—-सन्त कबीर
३। रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चिटकाय।
तोड़े से फिर ना जुड़ै, जुड़े गाँठ पड़ि जाय।।
—-रहीम
४। रहिमन याचकता भली जो थोरेहु दिन होय।
हित अनहित या जगत में जानि परै सब कोय।।
—-रहीम
५। कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।
उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।।
—-सन्त कबीर
६। सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।
सुखातयोयाति नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।
—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)
(सुख की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)
७। कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।
पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं सुजान।।
—-सन्त कबीर
८। का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।
—–गोस्वामी तुलसीदास
९। रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई काह करै तरवारि।।
—–रहीम
१०। अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।
दास मलूका कहि गये सब के दाता राम।।
—– सन्त मलूकदास
११। तुलसी बुरा न मानिये जो गँवार कहि जाय।
जैसे घर का नरदवा भला बुरा बहि जाय।।
——गोस्वामी तुलसीदास
१२। कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।
——गोस्वामी तुलसीदास
१३। परहित सरिस धर्म नहिं भाई। परपीरा सम नहिं अधमाई।।
——गोस्वामी तुलसीदास
१४। निजभाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल
——-भारतेन्दु हरिश्चंद्र
१५। सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति
——-गोस्वामी तुलसीदास
१६। भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन
आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।
मार करता है इन निर्बलों की तवाही
करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।
—-गौतम बुद्ध (धम्मपद ७) (मेरा अनुवाद)
१७। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)
( अपने को जन्म देनेवाली जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)
१८। काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय
एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागिहै।
—–अज्ञात
१९। होनवार बिरवान के होत चीकने पात।
—–अज्ञात
२०। जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।
—–गोस्वामी तुलसीदास
२१। करमगति टारे नाहिं रे टरी।
—–सन्त कबीर
२२। तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।
आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै जाय।।
—–गोस्वामी तुलसीदास
२३। नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा।।
—–गोस्वामी तुलसीदास
२४। जा दिसि बहै बयार, ताहि दिसि टटवा दीजै।
—–अज्ञात
२५। मूरख के मुख बम्ब हैं, निकसत बचन भुजंग।
ताकी ओषधि मौन है विष नहिं व्यापै अंग।।
—–(मुझे याद नहीं)
२६। बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।
घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।
——(मुझे याद नहीं)
२७। बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।
पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति दूर।।
——(मुझे याद नहीं)
२८। करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।
रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।।
——(मुझे याद नहीं)
२९। भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।
सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय मीच।।
——गोस्वामी तुलसीदास
३०। पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं, स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षः।
धाराधरो वर्षति नात्महेतवे, परोपकाराय सतां विभूतयः।।
——-अज्ञात
(नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं करते हैं। सन्तों का अस्तित्व केवल परोपकार के लिये होता है।)
३१। नेकी कर और दरिया में डाल।
—-किस्सा हातिमताई(?)
३२। नीम हकीम खतरे जान। खतरे मुल्ला दे ईमान।।
—-अज्ञात
३३। ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।
—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी)
३४। अरहर की दाल औ जड़हन का भात
गागल निंबुआ औ घिउ तात
सहरसखंड दहिउ जो होय
बाँके नयन परोसैं जोय
कहै घाघ तब सबही झूठा
उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा
—–घाघ
३५। झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय
लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय
लै के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै
रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै
कह गिरधर कविराय रहै वो मन में रूठा
बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद झूठा
—–गिरधर
== श्री जितेन्द्र चौधरी द्वारा संकलित सूक्तियाँ ==
सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद
सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध। - सरदार पटेल
कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है। - सावरकर
तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि
संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास। - काका कालेलकर
जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है। -सत्यार्थप्रकाश
जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है-कहावत
सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है। - कथा सरित्सागर
चाहे गुरू पर हो या ईश्वर पर, श्रद्धा अवश्य ररवनी चाहिए। क्योंकि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं। -समर्थ रामदास
यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है। - इंदिरा गांधी
प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजाआें के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये। आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजाआें की प्रियता में ही राजा का हित है। - चाणक्य
द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प््रोम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। - विनोबा
साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है-परंतु एक नया वातावरण देना भी है। - डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन
लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है। - जयप्रकाश नारायण
बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये। - यशपाल
सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना। - डा शंकर दयाल शर्मा
जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है। - नारदभक्ति
धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं। - महाभारत
दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये। - रामायण
शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति। -स्वामी ज्ञानानन्द
धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है। -डा शंकरदयाल शर्मा
त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ
दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद
अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द
जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं। -स्वामी रामतीर्थ
जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय। -सम्पूर्णानंद
नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं। -संत तिरूवल्लुर
वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ
अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को। -महादेवी वर्मा
कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है। -सुदर्शन
हताश न होना ही सफलता का मूल है और यही परम सुख है। -वाल्मीकि
मित्रों का उपहास करना उनके पावन प्रेम को खण्डित करना है। -राम प्रताप त्रिपाठी
नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है। -संत तिस्र्वल्लुवर
जय उसी की होती है जो अपने को संकट में डालकर कार्य सम्पन्न करते हैं। जय कायरों की कभी नहीं होती। - जवाहरलाल नेहरू
कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। - डा रामकुमार वर्मा
जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो। -इंदिरा गांधी
तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की। -गुरू गोविन्द सिंह
मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है। -गौतम बुद्ध
स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक
सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकंात साधना में होता है -अनंत गोपाल शेवड़े
कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं। - श्री हर्ष
अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध
जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं। !-गौतम बुद्ध
अधिक अनुभव, अधिक सहनशीलता और अधिक अध्ययन यही विद्वत्ता के तीन महास्तंभ हैं। -अज्ञात
जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं। -रवीन्द्र
जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता। - माघ्र
मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर
प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर
कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है। - अज्ञात
हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है। - वाल्मीकि
अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। - प्रेमचंद
जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये - वेदव्यास
फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, सम्पत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा है। - तुलसीदास
प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं। - अज्ञात
कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं। -लोकमान्य तिलक
कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। - रामधारी सिंह दिनकर
विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है। - हितोपदेश
खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र
पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है। -गौतम बुद्ध
कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर
रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है -मुक्ता
जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है। -डा विक्रम साराभाई
मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है। -विनोबा
लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है। -मुक्ता
बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे। -हितोपदेश
मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता। - अज्ञात
आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता। - भर्तृहरि
क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है। -अज्ञात
चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र
आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं। इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। -पं रामप्रताप त्रिपाठी
मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता -चाणक्य
जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर
कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है। -रामधारी सिंह दिनकर
चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा
भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है। -अज्ञात
गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - सादी
जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता। - रामकृष्ण परमहंस
मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात
जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी
सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है। -कबीर
देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’
सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है। -स्वामी विवेकानंद
दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात
भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। -विवेकानंद
निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है। - रश्मिमाला
विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है। - अज्ञात
नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये। - रामकृष्ण परमहंस
जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती। - विनोबा
उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं। -चीनी कहावत
वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। -अज्ञात
जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है। -दीनानाथ दिनेश!
जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है। १-अथर्ववेद१
उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं। !-अज्ञात!
जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना। -सुभाषचंद्र बोस!
विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास। एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है। -अज्ञात
आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी
पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद
आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। -चाणक्य
एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। -अज्ञात
किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं। -अज्ञात
ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा। -विनोबा
विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है। -रवींद्रनाथ ठाकुर
कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं। -प्रेमचंद
अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते। -अज्ञात
जिस प्रकार थोड़ी सी वायु से आग भड़क उठती है, उसी प्रकार थोड़ी सी मेहनत से किस्मत चमक उठती है। -अज्ञात
अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं। -जवाहरलाल नेहरू
सच्चाई से जिसका मन भरा है, वह विद्वान न होने पर भी बहुत देश सेवा कर सकता है -पं मोतीलाल नेहरू
स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है। -विनोबा
जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। -मुक्ता
दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा
डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात
सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात
अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती। -अज्ञात
जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात
अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का। - कहावत
== श्री रवि श्रीवास्तव द्वारा संकलित सूक्तियाँ ==
1. जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया, उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया – विनोबा
2. अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है – मुसोलिनी
3. पालने से लेकर कब्र तक ज्ञान प्राप्त करते रहो – पवित्र कुरान
4. इच्छा ही सब दुःखों का मूल है – बुद्ध
5. मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है – चाणक्य
6. आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है – पालशिरू
7. क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है – महात्मा गांधी
8. ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है – महात्मा गांधी
9. अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं – बुद्ध
10. नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है – सुकरात
11. गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है – शेक्सपीयर
12. समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं – अज्ञात्
13. जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है – कबीर
14. जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है – कन्फ्यूशियस
15. ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं – खलील जिब्रान
16. कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है – चाणक्य
17. दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है – गुरु नानक देव
18. ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा – गुरु नानक देव
19. जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द
20. जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.
21. भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है, सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं.
22. सोचना, कहना व करना सदा समान हो.
23. न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.
24. स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.
25. ते ते पाँव पसारियो जेती चादर होय.
26. महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.
27. बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.
28. क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.
29. नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.
30. धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.
31. दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं, वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.
32. नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.
33. बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.
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सुभाषित सहस्र
1397
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2005-09-16T12:50:08Z
210.212.158.130
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल
वचन</FONT> </STRONG></P>
<P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के
टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P>
<P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू
अर्नाल्ड</P>
<P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों
का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P>
<P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको
अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे
हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P>
<P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन
चर्चिल</P>
<P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता
है।<BR>— आईजक दिसराली</P>
<P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P>
<P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P>
<P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं
मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि
का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर
है । )</P>
<P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् ,
गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से
क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है /
उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P>
<P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी
महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P>
<P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ;
एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो.
हाल</P>
<P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका
सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और
कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है
ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P>
<P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और
भौतिकशास्त्री</P>
<P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P>
<P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते
।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P>
<P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है
।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P>
<P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P>
<P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत
परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P>
<P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने
की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार
दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग /
टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P>
<P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता
।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह
संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P>
<P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री
जैकब</P>
<P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है
।</P>
<P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में
व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि
आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड
केल्विन</P>
<P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन
करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P>
<P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते
यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P>
<P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते
हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता
है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P>
<P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर
खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P>
<P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा
रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु
आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P>
<P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P>
<P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>-
फ्रायड </P>
<P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल
खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता
होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व
में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P>
<P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी
।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को
विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P>
<P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह
दिनकर </P>
<P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन
के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P>
<P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय
को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P>
<P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>—
गोथे </P>
<P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम
क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P>
<P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P>
<P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P>
<P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग
विटगेंस्टाइन</P>
<P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित
तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी
राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को
हीन बना देना ।</P>
<P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर
सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P>
<P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा
ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P>
<P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप
हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>-
शिशुपाल वध</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P>
<P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P>
<P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और
कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत
गोपाल शेवड़े </P>
<P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है
।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता /
सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P>
<P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P>
<P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च
विशिष्टितम् ॥</P>
<P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने
से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>—
महाभारत</P>
<P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता:
मुक्तबन्धना: ॥</P>
<P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से
कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P>
<P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की
तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P>
<P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों
का आदान-प्रदान करना ।</P>
<P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास
</P>
<P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>—
गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P>
<P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों
को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P>
<P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और
साथ-साथ काम करो )</P>
<P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>—
रैन्डाल्फ</P>
<P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै
लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P>
<P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत
भुजंग ।<BR>— रहीम</P>
<P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है।
सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P>
<P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी
दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P>
<P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P>
<P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का
इतिहास भी है । </P>
<P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें
विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी
क्षीण होता है ।</P>
<P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P>
<P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे
भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P>
<P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P>
<P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा
सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही
बदला है ।</P>
<P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है
।</P>
<P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु ,
सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P>
<P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>—
आर. जी. इंगरसोल</P>
<P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P>
<P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा
को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो
रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की
स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P>
<P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं,
मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P>
<P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो
अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>-
डब्ल्यू.एच.आडेन</P>
<P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट
की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में
आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>-
किर्केगार्द</P>
<P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-–
एरमा बॉम्बेक</P>
<P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे
अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P>
<P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो
क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P>
<P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की
नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P>
<P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि
॥<BR>— कबीर</P>
<P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P>
<P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य ,
प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P>
<P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना
शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम
लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं
होते।<BR>- पंचतंत्र</P>
<P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति
बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी
मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P>
<P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय
हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>-
अथर्ववेद</P>
<P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |<BR>-–
नेपोलियन</P>
<P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P>
<P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P>
<P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न
होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P>
<P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P>
<P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P>
<P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>—
ग्लेडस्टन</P>
<P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था
कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट
कियोसाकी</P>
<P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर
वाइल्ड</P>
<P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>—
सिसरो</P>
<P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों
में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>—
अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P>
<P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड
फ्रायड</P>
<P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे
कुछ किया ही नही गया।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P>
<P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P>
<P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं
निशान।।<BR>— रहीम</P>
<P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के
विद्या विष के समान है ( ?) )</P>
<P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही
होय ॥</P>
<P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती
है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में
नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P>
<P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>—
श्रीरामशर्मा आचार्य </P>
<P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है
।<BR>— हक्सले</P>
<P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P>
<P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>—
नैपोलियन हिल</P>
<P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P>
<P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>—
हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते
हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर
देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P>
<P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>-
हरिशंकर परसाई</P>
<P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P>
<P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं ,
दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते
हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P>
<P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़
देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P>
<P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने
अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P>
<P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़
चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P>
<P>हार का स्वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्कम फोर्बस</P>
<P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P>
<P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्ते होते हैं लेकिन व्यू सब जगह से एक सा
दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P>
<P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ
क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ
कम्पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P>
<P>सफलता के लिये कोई लिफ्ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P>
<P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर
बदल सकते हैं।</P>
<P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P>
<P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है ; असफला की सीढी है , हर किसी को
प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P>
<P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P>
<P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख
के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं।
अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण
मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P>
<P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं।
विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P>
<P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P>
<P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा
पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक
हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे
लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P>
<P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच
हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर
टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P>
<P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते
मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P>
<P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब
कोय ॥<BR>— रहीम</P>
<P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति
प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P>
<P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो
होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं
बैकुंठा<BR>—–घाघ</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P>
<P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं
अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर
रहे हैं , अहा ! क्या रूप है ? अहा ! क्या आवाज है ? )</P>
<P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा
सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P>
<P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे
प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P>
<P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>—
विलियम जेम्स</P>
<P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>—
फ्रंकलिन</P>
<P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P>
<P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं
आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे
प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P>
<P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो
जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-–
नॉर्मन विंसेंट पील</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P>
<P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी
स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P>
<P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए
सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त
होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P>
<P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P>
<P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने
के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P>
<P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले
को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो
शीश ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P>
<P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक
देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ
शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P>
<P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है,
उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है
)<BR>— महाकवि माघ</P>
<P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>-
भर्तृहरि</P>
<P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति
के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P>
<P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P>
<P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो.
तुलसीदास</P>
<P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके
धन का अर्जन करना चाहिये ।</P>
<P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P>
<P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल
कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P>
<P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में
कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P>
<P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम
तरीका है ।</P>
<P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है
।</P>
<P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P>
<P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है
उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P>
<P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी
काम पूरा किया जा सकता है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P>
<P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P>
<P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P>
<P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P>
<P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P>
<P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है ।
निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव
उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है
तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है
।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P>
<P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P>
<P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P>
<P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम)
मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P>
<P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में
समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P>
<P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P>
<P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री ,
इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P>
<P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि
“गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P>
<P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन
चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P>
<P>कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी
से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P>
<P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के
लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P>
<P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग
भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की
भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P>
<P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P>
<P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P>
<P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी
लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना
काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन
इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल
जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>-
जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया
है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा.
राधाकृष्णन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P>
<P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं
स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड
है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P>
<P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह
हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं ।
मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित
शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता
है ।<BR>— दसकुमारचरित</P>
<P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी
एडम</P>
<P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त
चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P>
<P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P>
<P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक
रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P>
<P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P>
<P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना
चाहिये ।<BR>— रामायण </P>
<P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना
चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का
हित है।<BR>— चाणक्य </P>
<P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P>
<P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र /
जनतन्त्र</FONT></STRONG></P>
<P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम
लिंकन</P>
<P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है
।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P>
<P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है ।
प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को
बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।</P>
<P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है
जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही
असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P>
<P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद
</P>
<P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना
संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P>
<P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो
सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P>
<P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी
उलोआ</P>
<P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या
चीज होती है , वह गदहा है ।</P>
<P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P>
<P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन
बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P>
<P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा ,
रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने
वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P>
<P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>—
फिदेल कास्त्रो</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है ,
देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है
, वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P>
<P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P>
<P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था
के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P>
<P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति
की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P>
<P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे
नमः ॥</P>
<P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह
( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P>
<P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है
।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P>
<P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर
चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P>
<P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं
तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P>
<P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और
कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P>
<P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब
॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की
हूक ॥</P>
<P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे
कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P>
<P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके
असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P>
<P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है
)</P>
<P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता
है.<BR>-– एनॉन</P>
<P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P>
<P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P>
<P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P>
<P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>—
विन्स्टन चर्चिल</P>
<P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P>
<P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य
समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P>
<P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P>
<P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P>
<P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P>
<P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P>
<P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली
प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और
शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P>
<P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि
पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P>
<P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा
है ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P>
<P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है
।</P>
<P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P>
<P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>—
जार्ज सन्तायन</P>
<P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से
सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P>
<P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी
डैरो</P>
<P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT>
</STRONG></P>
<P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P>
<P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः
परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या
है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया
है ? </P>
<P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता
तेरी रजा क्या है ?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों
।| </P>
<P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न
सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम
नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P>
<P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव
मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम
द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P>
<P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता
नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है
कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P>
<P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत
होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P>
<P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
</P>
<P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की
।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P>
<P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई
के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P>
<P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही
) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P>
<P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P>
<P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल
दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़
</P>
<P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं
की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P>
<P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल
कार्नेगी</P>
<P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P>
<P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज
की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P>
<P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा /
आश्चर्य</FONT></STRONG></P>
<P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह
प्रश्न पूछता है ।</P>
<P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी
दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले
प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक
स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P>
<P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P>
<P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P>
<P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह
प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P>
<P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह
जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P>
<P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता
है ।</P>
<P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो
मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-–
रुडयार्ड किपलिंग</P>
<P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और
क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>-
नीतसार</P>
<P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना
प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता /
सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P>
<P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका
उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से
बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P>
<P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक
नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P>
<P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P>
<P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P>
<P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स
मेडिसन</P>
<P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा ; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं
उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं
।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT>
</STRONG></P>
<P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>—
ममफोर्ड</P>
<P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है ,
लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P>
<P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P>
<P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P>
<P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं
।</P>
<P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी
से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P>
<P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही
रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P>
<P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P>
<P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति
राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P>
<P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>—
महात्मा गाँधी</P>
<P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक
लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है
<DL>
<DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती
है
<DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को
</DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर
<P></P>
<P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>—
मकियावेली</P>
<P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>—
कुर्त लेविन</P>
<P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर
ड्रकर</P>
<P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P>
<P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया
होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे
क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P>
<P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार
कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P>
<P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P>
<P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः
तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न
शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी
आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P>
<P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित
बिबेक ॥</P>
<P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के
योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P>
<P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P>
<P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P>
<P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना (
नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन
की कला है ।</P>
<P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब
भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P>
<P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P>
<P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी
निर्णय लिया था.</P>
<P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P>
<P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस
प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P>
<P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक
हाकिन्स</P>
<P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत
लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P>
<P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा /
पैराडाक्स</FONT></STRONG></P>
<P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा
होय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>चीटी ले शक्कर चली ,
हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P>
<P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P>
<P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत
से चलाये जाते हैं ।</P>
<P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं
।</P>
<P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स
डार्विन</P>
<P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान
सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P>
<P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना
।<BR>— डिजराइली</P>
<P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है ; और जिस व्यक्ति के पास
कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P>
<P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P>
<P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा ; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर
देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P>
<P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है
।</P>
<P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है
।</P>
<P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P>
<P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P>
<P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान /
मेडिटेशन</FONT></STRONG></P>
<P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस
ब्राउन</P>
<P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P>
<P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें
ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P>
<P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को
घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है ,
मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P>
<P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P>
<P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन
, कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P>
<P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता
है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P>
<P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की
स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P>
<P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर
की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों
देता ?<BR>- विवेकानंद</P>
<P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी
समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों
का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और
बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन
फ़्रैंकलिन</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा
, आचार्य</P>
<P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं
को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना
।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P>
<P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P>
<P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच !</P>
<P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग
स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़
होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल
चिन्तन</FONT></STRONG></P>
<P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार
॥<BR>— कबीर</P>
<P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया
खुदाय ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P>
<P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>—
बेकन</P>
<P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P>
<P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P>
<P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का
लक्षण है । )</P>
<P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P>
<P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै
अंग।।</P>
<P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला
है ।<BR>— गिब्बन</P>
<P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P>
<P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र /
उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P>
<P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा
सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं
।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P>
<P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P>
<P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P>
<P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P>
<P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P>
<P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया /
कर्म</FONT></STRONG></P>
<P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P>
<P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति
मुखे मृगाः ॥</P>
<P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख
में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार
है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P>
<P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच
मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P>
<P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न
अपने हाथ ॥</P>
<P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P>
<P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर
ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P>
<P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P>
<P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये ।
निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P>
<P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P>
<P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश
महाकाव्यम्</P>
<P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ
सिद्ध नही होता ।</P>
<P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न
सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P>
<P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P>
<P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P>
<P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है
।<BR>— एडिशन</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P>
<P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P>
<P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P>
<P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है
पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत
है।<BR>- गेटे</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है
।<BR>–विनोबा </P>
<P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर
</P>
<P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P>
<P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय
।<BR>–रहीम</P>
<P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ
करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P>
<P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस
कार्लाइल</P>
<P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो
सकता ।</P>
<P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>—
सैमुएल स्माइल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P>
<P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह
जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट
पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P>
<P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने
वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P>
<P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था –
“भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद
अली</P>
<P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P>
<P>आराम हराम है.</P>
<P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P>
<P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>-
बैंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P>
<P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं
जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ?<BR>- रामतीर्थ</P>
<P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में
सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी
/</FONT></STRONG></P>
<P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे
करना , श्रृजन है ।</P>
<P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और
फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P>
<P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड)
करने की कोशिश करता है । </P>
<P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई
भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को
ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी
ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में
ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए
हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि /
प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P>
<P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P>
<P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा
जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P>
<P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी
पंचलक्षण्म् ।| </P>
<P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा
ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P>
<P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P>
<P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो
विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड
बोम (१९१७-१९९२)</P>
<P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P>
<P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P>
<P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- -
फ़ोर्ब्स</P>
<P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि
है ।<BR>— आइन्स्टीन</P>
<P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P>
<P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P>
<P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है ।
वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P>
<P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते
में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड
शा</P>
<P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार
में नही लौटता । —</P>
<P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P>
<P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन
है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P>
<P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स
देवर</P>
<P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने
की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P>
<P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश
करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P>
<P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव
करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P>
<P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P>
<P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P>
<P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी
।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-–
विनोबा</P>
<P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं
है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार
की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह
सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम
रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी
रामदेव</P>
<P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते
हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P>
<P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह
जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे
जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत
</P>
<P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है
।<BR>— हितोपदेश </P>
<P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की
विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P>
<P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं
तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है
, बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो
सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी
जाता है )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान
/</FONT></STRONG></P>
<P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही
बुद्धिमान है । )</P>
<P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥</P>
<P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान
देखता है , वही पण्डित है । )</P>
<P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>-
बर्नारड शा</P>
<P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से
लाय ॥<BR>— रहीम </P>
<P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही
डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P>
<P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो।
-अज्ञात </P>
<P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि
अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट /
शठ</FONT></STRONG></P>
<P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका
मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P>
<P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P>
<P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते
हैं.</P>
<P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके
कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P>
<P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र
बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P>
<P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके
प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है,
वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै
के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर
कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद
झूठा<BR>—–गिरधर</P>
<P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय
मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत
॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P>
<P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति
बिपरीत ॥</P>
<P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु
दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P>
<P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P>
<P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक
है ।<BR>— ब्रूचे</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक
॥</P>
<P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P>
<P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं
उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही
नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो
विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति (
हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का
विनाश हो जाता है ।</P>
<P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है
।<BR>— डा. शाकली</P>
<P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान
राइस</P>
<P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै
जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P>
<P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG>
</P>
<P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P>
<P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ
नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P>
<P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के
लिये ॥</P>
<P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो
|<BR>– शेख सादी</P>
<P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P>
<P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी
निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन
</P>
<P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने
लगो।</P>
<P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्वाइन डी. आइसनहॉवर</P>
<P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्वाइश हो तो वो
दोनो चुनता है .<BR>— आस्कर वाइल्ड</P>
<P>दो आदमी एक ही वक्त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता
है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P>
<P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर
अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P>
<P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में
प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P>
<P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P>
<P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>–
कन्फ्यूशियस</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P>
<P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>—
चैनिंग</P>
<P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता
जीव समेत ॥</P>
<P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो
निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P>
<P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P>
<P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती
है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P>
<P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की
जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे
अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है ,
ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत
माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P>
<P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी
मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है ,
पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे
कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क
ट्वेन</P>
<P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर
मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है
।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P>
<P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस
शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन
के भूतपूर्व राजदूत</P>
<P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी ,
नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है
दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P>
<P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद्
मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P>
<P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित
भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते
हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P>
<P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां
सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P>
<P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ
रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P>
<P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो
चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P>
<P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह
ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक
सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P>
<P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध
में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी
है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P>
<P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>—
फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P>
<P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक
कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में
किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है
।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P>
<P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम
देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P>
<P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है
।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P>
<P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है
।<BR>— जान क्राइस्ट </P>
<P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-—
खुशवन्त सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P>
<P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से
बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P>
<P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>—
यू थान्ट</P>
<P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त
सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P>
<P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक
महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P>
<P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान
व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा
</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल
इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P>
<P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं
नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या
कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P>
<P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P>
<P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P>
<P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P>
<P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं
छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P>
<P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास
हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P>
<P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P>
<P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते
|<BR>-– सल्वाडोर डाली</P>
<P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P>
<P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से
(फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P>
<P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार
सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P>
<P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस
आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P>
<P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे
अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान
डायक</P>
<P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय
निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>–
महाभारत</P>
<P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P>
<P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>–
खलील जिब्रान</P>
<P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और
संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर
प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते
हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P>
<P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि
समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P>
<P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता )
है ।</P>
<P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि
गये कि सोय ॥</P>
<P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह
खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P>
<P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P>
<P>हे भगवान ! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक /
सुख / दुख</FONT></STRONG></P>
<P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के
लिये हँसी बनायी है ।</P>
<P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-–
टैगोर</P>
<P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P>
<P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति
नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख
की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख
से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P>
<P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब
कोय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्टपोंड कर दो, यह तो वो है जो
हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P>
<P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर
लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती
हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P>
<P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>—
अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P>
<P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P>
<P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा
आचार्य</P>
<P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P>
<P>हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ
।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P>
<P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये
मत्कुणशंकया ॥</P>
<P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में
रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P>
<P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला
होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की
पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी ? )</P>
<P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः
शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो )
विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक
है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P>
<P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी
कॉमेडी भर देगी ?<BR>-– डिक कैवेट</P>
<P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी
एलन</P>
<P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत
का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P>
<P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है
जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P>
<P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P>
<P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक
है.</P>
<P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं
और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P>
<P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के
झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P>
<P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट
चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P>
<P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला
देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P>
<P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को
10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P>
<P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी
किसिंजर</P>
<P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P>
<P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका
कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P>
<P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P>
<P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए
खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं
तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P>
<P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P>
<P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं
हो जाता.</P>
<P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का
प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी
की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P>
<P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो
कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो ?</P>
<P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता
है।</P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार
ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर
आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि
छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P>
<P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो ,
दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच (
स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न
करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P>
<P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि ,
परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस
पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये ।
)</P>
<P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय ।
)</P>
<P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली
राधाकृष्णन</P>
<P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान
बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P>
<P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों
को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P>
<P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं
।<BR>— महाभारत </P>
<P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी /
असत्य</FONT></STRONG></P>
<P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P>
<P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो
।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P>
<P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च
नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P>
<P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये
।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र
मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो
प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद
व्यास</P>
<P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P>
<P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई
महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P>
<P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>-
लीमैन बीकर</P>
<P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है
।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P>
<P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P>
<P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और
निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव
की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P>
<P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P>
<P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है
कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी
ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के
लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P>
<P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर
देती है ।<BR>–सुदर्शन </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P>
<P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है
और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P>
<P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>—
बेंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P>
<P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का
स्वागत करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P>
<P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>—
बोबी</P>
<P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर
दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P>
<P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे
, क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही
क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता
है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला
वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P>
<P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें
सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P>
<P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने
विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P>
<P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख
अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P>
<P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें
सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे
तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा,
क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक
सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P>
<P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों
में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते
हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P>
<P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़
सादी</P>
<P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P>
<P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P>
<P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P>
<P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया
जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>—
दीनानाथ दिनेश</P>
<P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की
पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P>
<P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P>
<P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है।
क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>-
मृच्छकटिक</P>
<P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की
अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>-
हितोपदेश</P>
<P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर
फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास /
वैराग्य</FONT></STRONG></P>
<P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो
संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P>
<P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P>
<P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का
मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही
अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता
है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का
है।<BR>- सांख्य दर्शन</P>
<P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार
करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम
बुद्ध (धम्मपद ७) </P>
<P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और
संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P>
<P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे
लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार /
प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P>
<P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय
परपीडनम् ॥</P>
<P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने
से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P>
<P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो
वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना
पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं
करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P>
<P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P>
<P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P>
<P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर
उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P>
<P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P>
<P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष
के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P>
<P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो
स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>-
उत्तररामचरित</P>
<P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण
अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P>
<P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ
पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित
होय ॥</P>
<P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P>
<P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी
लात ॥<BR>— रहीम</P>
<P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और
गुणवानो का बल क्षमा है ।</P>
<P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P>
<P><STRONG>सदाचार</STRONG></P>
<P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P>
<P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो
देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P>
<P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी
भवेत ॥</P>
<P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार
मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P>
<P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके
भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P>
<P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है
और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर
पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु ,
मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को ,
अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी)
|<BR>-– चार्ली चेपलिन</P>
<P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क
ऑरेलियस अन्तोनियस</P>
<P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों
की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P>
<P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ
वाल्डो इमर्सन</P>
<P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत
|<BR>-– हेनरी एडम्स</P>
<P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P>
<P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़.
जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों
चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास
होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P>
<P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं
हुआ है.</P>
<P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही
प्यासे होते जाते हैं.</P>
<P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- -
शेक्सपीयर</P>
<P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती
है |<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P>
<P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित
के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक
अभियान है।<BR>- ओशो </P>
<P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी
प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में
आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और
बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व
को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष
जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड
रसेल</P>
<P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है
कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी
चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि
जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर)
काव्यादर्श</P>
<P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति
दूर।।<BR>——रहीम</P>
<P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं
सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति
से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न
होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट
होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और
जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता
(अध्याय 2/62, 63)</P>
<P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और
दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह
नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P>
<P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं
हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P>
<P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ
उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P>
<P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत
रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P>
<P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध
</P>
<P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको
अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P>
<P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही
अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P>
<P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना
चाहिये ।<BR>— यशपाल </P>
<P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है
।<BR>— सावरकर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार
कौशल</FONT></STRONG></P>
<P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से
॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P>
<P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P>
<P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P>
<P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P>
<P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै
तरवारि।।<BR>—–रहीम</P>
<P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे
मीत ॥</P>
<P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P>
<P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या
परोस ॥</P>
<P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान
॥</P>
<P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय
॥</P>
<P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर
विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P>
<P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त
होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना
चाहिये । )</P>
<P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने
से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P>
<P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे
को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य
</P>
<P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P>
<P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं
।<BR>–रवीन्द्र </P>
<P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये
।<BR>— कुमार सम्भव</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P>
<P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P>
<P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P>
<P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में
रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P>
<P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण
ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P>
<P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह /
सपने देखना</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या
बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P>
<P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P>
<P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P>
<P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P>
<P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो
दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन
तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और
मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता
रहता है । ) </P>
<P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये
बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है
।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला
।</P>
<P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P>
<P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P>
<P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे
कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P>
<P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा
भावे</P>
<P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता /
पराधीनता</FONT></STRONG></P>
<P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P>
<P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P>
<P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P>
<P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से
तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>नरक क्या है ? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता /
हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P>
<P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो
सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P>
<P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P>
<P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद
अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P>
<P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता।
वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही
कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो
बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P>
<P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के
अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी,
राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज
को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P>
<P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं
कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर
सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की
साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P>
<P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच
कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P>
<P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते
हो.</P>
<P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P>
<P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी
का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P>
<P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P>
<P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और
पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P>
<P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है
|<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P>
<P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P>
<P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे
ब्रेडबरी</P>
<P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P>
<P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना
चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए
हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P>
<P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P>
<P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता
है.</P>
<P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की
।<BR>— जोसेफ एडिशन</P>
<P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं ; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>—
जोसेफ एडिशन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम
श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान
के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित
होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें
खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे
पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P>
<P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ
हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो
उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने
में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P>
<P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता
है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्मत</FONT></STRONG></P>
<P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P>
<P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा
आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>-
जे.बी. एस. हॉल्डेन</P>
<P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग
मेनडिनो</P>
<P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर
भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P>
<P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P>
<P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास
होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P>
<P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र
को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P>
<P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P>
<P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>—
विनोबा </P>
<P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>—
स्वामी विवेकाननद</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P>
<P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P>
<P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा
|<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के
नाथ ॥</P>
<P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता
राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश
वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P>
<P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P>
<P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>—
कबीरदास</P>
<P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल
शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने
का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी
वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? )</P>
<P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P>
<P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P>
<P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय
॥</P>
<P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P>
<P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्
॥</P>
<P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय
वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P>
<P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P>
<P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा
कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P>
<P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P>
<P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप
आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P>
<P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट
रदरफ़र्ड</P>
<P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर
देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P>
<P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व
चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य
अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा
गांधी</P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>को रुक् , को रुक् , को रुक् ?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन
स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम
खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P>
<P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी
हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस
वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का
चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P>
<P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P>
<P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P>
<P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P>
<P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P>
<P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ
पण्डित आधा छोड देता है ) </P>
<P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P>
<P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P>
<P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P>
<P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P>
<P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं
भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P>
<P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>—
बेन्जामिन</P>
<P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव
जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P>
<P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास
नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P>
<P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने
के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी
बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये
त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने
देता ।</P>
<P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P>
<P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P>
<P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-–
थियोडॉर रूज़वेल्ट</P>
<P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई
लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’
बनाया.</P>
<P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P>
<P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P>
<P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P>
<P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P>
<P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P>
<P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी
सूक्ति</P>
<P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस
ट्रुमेन</P>
<P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के
सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P>
<P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से
गुलाब की एक कली.</P>
<P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों
को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P>
<P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट
ग्रेव्स</P>
<P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा
क्या जा रहा है.</P>
<P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे
देखेंगी ?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P>
<P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी (
माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P>
<P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P>
<P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P>
<P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो
होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन,
कानपुर जिले के निवासी)</P>
<P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय
॥</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P>
<P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P>
<P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर
लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P>
<P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और
अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P>
<P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी
समदर्शी होते हैं ।</P>
<P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने
वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P>
<P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे
सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P>
<P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल
कर ॥<BR>— दाग</P>
<P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर
से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P>
<P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा
रामकुमार वर्मा </P>
<P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P>
<P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P>
<P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और
परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P>
<P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न
ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P>
<P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है
और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P>
<P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।
-महात्मा गांधी </P>
<P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती
है। - जयशंकर प्रसाद </P>
<P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते
हैं।<BR>–अज्ञात</P>
<P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात
</P>
<P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र
होते हैं। - सादी </P>
<P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन
अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद
करो। - अज्ञात </P>
<P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के
हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P>
<P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है।
यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P>
<P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं
चाहता है। -अज्ञात </P>
<P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास
रखता है। -रवीन्द्र </P>
<P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत
पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ
ठाकुर </P>
<P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते
हैं। -सत्यसांई बाबा </P>
<P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता
है। - प्रेमचंद </P>
<P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है
और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P>
<P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है ।
-मुक्ता </P>
<P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P>
<P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह
बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ
है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से
जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P>
<P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P>
<P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न
आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P>
<P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P>
<P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर
प्रसाद </P>
<P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में
खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं
-महर्षि अरविन्द </P>
<P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती
है। - विनोबा </P>
<P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन
और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P>
<P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को
प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री
अरविंद </P>
<P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी
स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P>
<P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि
</P>
<P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन
खिमेनेस</P>
<P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P>
<P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P>
<P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P>
<P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P>
<P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण
है , बल प्रयोग नहीं )</P>
<P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक
है । )</P>
<P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं
होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P>
<P>अङ्गुलिप्रवेशात् बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश
किया जता है । )</P>
<P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P>
<P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय
के चरती है । )</P>
<P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P>
<P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P>
<P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P>
<P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर
गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
<P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )
</P>
<P>सत्यं शिवं सुन्दरम्.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या
विचार को परखने की कसौटी ) )</P>
<P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P>
सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति )
1398
3438
2005-09-16T13:47:39Z
210.212.158.130
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल
वचन</FONT> </STRONG></P>
<P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के
टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P>
<P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू
अर्नाल्ड</P>
<P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों
का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P>
<P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको
अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे
हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P>
<P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन
चर्चिल</P>
<P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता
है।<BR>— आईजक दिसराली</P>
<P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P>
<P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P>
<P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं
मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि
का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर
है । )</P>
<P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् ,
गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से
क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है /
उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P>
<P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी
महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P>
<P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ;
एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो.
हाल</P>
<P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका
सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और
कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है
ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P>
<P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और
भौतिकशास्त्री</P>
<P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P>
<P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते
।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P>
<P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है
।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P>
<P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P>
<P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत
परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P>
<P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने
की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार
दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग /
टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P>
<P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता
।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह
संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P>
<P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री
जैकब</P>
<P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है
।</P>
<P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में
व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि
आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड
केल्विन</P>
<P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन
करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P>
<P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते
यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P>
<P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते
हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता
है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P>
<P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर
खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P>
<P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा
रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु
आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P>
<P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P>
<P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>-
फ्रायड </P>
<P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल
खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता
होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व
में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P>
<P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी
।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को
विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P>
<P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह
दिनकर </P>
<P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन
के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P>
<P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय
को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P>
<P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>—
गोथे </P>
<P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम
क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P>
<P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P>
<P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P>
<P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग
विटगेंस्टाइन</P>
<P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित
तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी
राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को
हीन बना देना ।</P>
<P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर
सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P>
<P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा
ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P>
<P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप
हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>-
शिशुपाल वध</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P>
<P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P>
<P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और
कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत
गोपाल शेवड़े </P>
<P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है
।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता /
सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P>
<P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P>
<P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च
विशिष्टितम् ॥</P>
<P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने
से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>—
महाभारत</P>
<P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता:
मुक्तबन्धना: ॥</P>
<P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से
कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P>
<P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की
तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P>
<P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों
का आदान-प्रदान करना ।</P>
<P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास
</P>
<P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>—
गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P>
<P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों
को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P>
<P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और
साथ-साथ काम करो )</P>
<P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>—
रैन्डाल्फ</P>
<P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै
लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P>
<P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत
भुजंग ।<BR>— रहीम</P>
<P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है।
सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P>
<P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी
दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P>
<P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P>
<P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का
इतिहास भी है । </P>
<P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें
विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी
क्षीण होता है ।</P>
<P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P>
<P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे
भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P>
<P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P>
<P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा
सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही
बदला है ।</P>
<P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है
।</P>
<P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु ,
सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P>
<P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>—
आर. जी. इंगरसोल</P>
<P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P>
<P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा
को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो
रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की
स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P>
<P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं,
मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P>
<P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो
अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>-
डब्ल्यू.एच.आडेन</P>
<P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट
की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में
आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>-
किर्केगार्द</P>
<P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-–
एरमा बॉम्बेक</P>
<P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे
अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P>
<P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो
क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P>
<P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की
नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P>
<P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि
॥<BR>— कबीर</P>
<P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P>
<P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य ,
प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P>
<P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना
शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम
लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं
होते।<BR>- पंचतंत्र</P>
<P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति
बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी
मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P>
<P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय
हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>-
अथर्ववेद</P>
<P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |<BR>-–
नेपोलियन</P>
<P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P>
<P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P>
<P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न
होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P>
<P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P>
<P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P>
<P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>—
ग्लेडस्टन</P>
<P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था
कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट
कियोसाकी</P>
<P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर
वाइल्ड</P>
<P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>—
सिसरो</P>
<P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों
में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>—
अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P>
<P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड
फ्रायड</P>
<P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे
कुछ किया ही नही गया।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P>
<P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P>
<P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं
निशान।।<BR>— रहीम</P>
<P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के
विद्या विष के समान है ( ?) )</P>
<P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही
होय ॥</P>
<P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती
है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में
नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P>
<P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>—
श्रीरामशर्मा आचार्य </P>
<P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है
।<BR>— हक्सले</P>
<P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P>
<P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>—
नैपोलियन हिल</P>
<P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P>
<P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>—
हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते
हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर
देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P>
<P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>-
हरिशंकर परसाई</P>
<P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P>
<P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं ,
दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते
हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P>
<P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़
देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P>
<P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने
अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P>
<P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़
चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P>
<P>हार का स्वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्कम फोर्बस</P>
<P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P>
<P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्ते होते हैं लेकिन व्यू सब जगह से एक सा
दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P>
<P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ
क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ
कम्पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P>
<P>सफलता के लिये कोई लिफ्ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P>
<P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर
बदल सकते हैं।</P>
<P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P>
<P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है ; असफला की सीढी है , हर किसी को
प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P>
<P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P>
<P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख
के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं।
अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण
मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P>
<P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं।
विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P>
<P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P>
<P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा
पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक
हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे
लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P>
<P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच
हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर
टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P>
<P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते
मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P>
<P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब
कोय ॥<BR>— रहीम</P>
<P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति
प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P>
<P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो
होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं
बैकुंठा<BR>—–घाघ</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P>
<P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं
अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर
रहे हैं , अहा ! क्या रूप है ? अहा ! क्या आवाज है ? )</P>
<P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा
सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P>
<P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे
प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P>
<P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>—
विलियम जेम्स</P>
<P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>—
फ्रंकलिन</P>
<P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P>
<P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं
आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे
प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P>
<P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो
जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-–
नॉर्मन विंसेंट पील</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P>
<P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी
स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P>
<P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए
सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त
होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P>
<P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P>
<P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने
के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P>
<P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले
को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो
शीश ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P>
<P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक
देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ
शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P>
<P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है,
उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है
)<BR>— महाकवि माघ</P>
<P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>-
भर्तृहरि</P>
<P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति
के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P>
<P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P>
<P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो.
तुलसीदास</P>
<P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके
धन का अर्जन करना चाहिये ।</P>
<P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P>
<P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल
कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P>
<P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में
कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P>
<P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम
तरीका है ।</P>
<P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है
।</P>
<P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P>
<P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है
उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P>
<P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी
काम पूरा किया जा सकता है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P>
<P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P>
<P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P>
<P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P>
<P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P>
<P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है ।
निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव
उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है
तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है
।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P>
<P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P>
<P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P>
<P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम)
मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P>
<P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में
समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P>
<P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P>
<P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री ,
इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P>
<P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि
“गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P>
<P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन
चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P>
<P>कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी
से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P>
<P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के
लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P>
<P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग
भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की
भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P>
<P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P>
<P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P>
<P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी
लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना
काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन
इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल
जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>-
जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया
है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा.
राधाकृष्णन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P>
<P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं
स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड
है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P>
<P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह
हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं ।
मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित
शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता
है ।<BR>— दसकुमारचरित</P>
<P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी
एडम</P>
<P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त
चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P>
<P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P>
<P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक
रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P>
<P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P>
<P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना
चाहिये ।<BR>— रामायण </P>
<P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना
चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का
हित है।<BR>— चाणक्य </P>
<P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P>
<P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र /
जनतन्त्र</FONT></STRONG></P>
<P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम
लिंकन</P>
<P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है
।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P>
<P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है ।
प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को
बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।</P>
<P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है
जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही
असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P>
<P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद
</P>
<P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना
संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P>
<P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो
सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P>
<P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी
उलोआ</P>
<P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या
चीज होती है , वह गदहा है ।</P>
<P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P>
<P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन
बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P>
<P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा ,
रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने
वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P>
<P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>—
फिदेल कास्त्रो</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है ,
देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है
, वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P>
<P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P>
<P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था
के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P>
<P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति
की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P>
<P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे
नमः ॥</P>
<P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह
( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P>
<P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है
।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P>
<P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर
चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P>
<P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं
तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P>
<P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और
कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P>
<P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब
॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की
हूक ॥</P>
<P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे
कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P>
<P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके
असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P>
<P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है
)</P>
<P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता
है.<BR>-– एनॉन</P>
<P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P>
<P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P>
<P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P>
<P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>—
विन्स्टन चर्चिल</P>
<P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P>
<P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य
समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P>
<P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P>
<P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P>
<P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P>
<P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P>
<P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली
प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और
शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P>
<P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि
पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P>
<P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा
है ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P>
<P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है
।</P>
<P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P>
<P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>—
जार्ज सन्तायन</P>
<P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से
सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P>
<P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी
डैरो</P>
<P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT>
</STRONG></P>
<P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P>
<P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः
परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या
है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया
है ? </P>
<P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता
तेरी रजा क्या है ?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों
।| </P>
<P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न
सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम
नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P>
<P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव
मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम
द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P>
<P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता
नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है
कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P>
<P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत
होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P>
<P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
</P>
<P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की
।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P>
<P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई
के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P>
<P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही
) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P>
<P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P>
<P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल
दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़
</P>
<P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं
की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P>
<P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल
कार्नेगी</P>
<P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P>
<P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज
की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P>
<P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा /
आश्चर्य</FONT></STRONG></P>
<P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह
प्रश्न पूछता है ।</P>
<P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी
दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले
प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक
स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P>
<P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P>
<P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P>
<P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह
प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P>
<P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह
जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P>
<P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता
है ।</P>
<P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो
मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-–
रुडयार्ड किपलिंग</P>
<P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और
क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>-
नीतसार</P>
<P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना
प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता /
सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P>
<P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका
उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से
बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P>
<P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक
नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P>
<P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P>
<P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P>
<P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स
मेडिसन</P>
<P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा ; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं
उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं
।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT>
</STRONG></P>
<P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>—
ममफोर्ड</P>
<P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है ,
लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P>
<P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P>
<P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P>
<P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं
।</P>
<P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी
से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P>
<P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही
रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P>
<P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P>
<P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति
राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P>
<P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>—
महात्मा गाँधी</P>
<P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक
लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है
<DL>
<DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती
है
<DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को
</DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर
<P></P>
<P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>—
मकियावेली</P>
<P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>—
कुर्त लेविन</P>
<P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर
ड्रकर</P>
<P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P>
<P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया
होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे
क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P>
<P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार
कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P>
<P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P>
<P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः
तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न
शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी
आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P>
<P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित
बिबेक ॥</P>
<P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के
योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P>
<P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P>
<P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P>
<P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना (
नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन
की कला है ।</P>
<P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब
भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P>
<P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P>
<P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी
निर्णय लिया था.</P>
<P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P>
<P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस
प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P>
<P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक
हाकिन्स</P>
<P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत
लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P>
<P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा /
पैराडाक्स</FONT></STRONG></P>
<P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा
होय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>चीटी ले शक्कर चली ,
हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P>
<P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P>
<P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत
से चलाये जाते हैं ।</P>
<P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं
।</P>
<P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स
डार्विन</P>
<P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान
सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P>
<P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना
।<BR>— डिजराइली</P>
<P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है ; और जिस व्यक्ति के पास
कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P>
<P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P>
<P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा ; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर
देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P>
<P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है
।</P>
<P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है
।</P>
<P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P>
<P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P>
<P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान /
मेडिटेशन</FONT></STRONG></P>
<P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस
ब्राउन</P>
<P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P>
<P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें
ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P>
<P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को
घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है ,
मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P>
<P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P>
<P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन
, कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P>
<P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता
है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P>
<P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की
स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P>
<P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर
की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों
देता ?<BR>- विवेकानंद</P>
<P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी
समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों
का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और
बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन
फ़्रैंकलिन</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा
, आचार्य</P>
<P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं
को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना
।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P>
<P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P>
<P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच !</P>
<P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग
स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़
होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल
चिन्तन</FONT></STRONG></P>
<P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार
॥<BR>— कबीर</P>
<P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया
खुदाय ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P>
<P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>—
बेकन</P>
<P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P>
<P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P>
<P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का
लक्षण है । )</P>
<P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P>
<P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै
अंग।।</P>
<P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला
है ।<BR>— गिब्बन</P>
<P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P>
<P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र /
उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P>
<P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा
सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं
।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P>
<P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P>
<P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P>
<P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P>
<P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P>
<P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया /
कर्म</FONT></STRONG></P>
<P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P>
<P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति
मुखे मृगाः ॥</P>
<P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख
में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार
है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P>
<P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच
मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P>
<P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न
अपने हाथ ॥</P>
<P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P>
<P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर
ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P>
<P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P>
<P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये ।
निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P>
<P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P>
<P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश
महाकाव्यम्</P>
<P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ
सिद्ध नही होता ।</P>
<P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न
सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P>
<P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P>
<P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P>
<P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है
।<BR>— एडिशन</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P>
<P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P>
<P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P>
<P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है
पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत
है।<BR>- गेटे</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है
।<BR>–विनोबा </P>
<P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर
</P>
<P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P>
<P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय
।<BR>–रहीम</P>
<P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ
करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P>
<P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस
कार्लाइल</P>
<P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो
सकता ।</P>
<P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>—
सैमुएल स्माइल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P>
<P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह
जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट
पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P>
<P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने
वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P>
<P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था –
“भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद
अली</P>
<P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P>
<P>आराम हराम है.</P>
<P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P>
<P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>-
बैंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P>
<P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं
जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ?<BR>- रामतीर्थ</P>
<P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में
सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी
/</FONT></STRONG></P>
<P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे
करना , श्रृजन है ।</P>
<P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और
फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P>
<P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड)
करने की कोशिश करता है । </P>
<P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई
भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को
ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी
ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में
ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए
हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि /
प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P>
<P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P>
<P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा
जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P>
<P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी
पंचलक्षण्म् ।| </P>
<P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा
ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P>
<P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P>
<P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो
विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड
बोम (१९१७-१९९२)</P>
<P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P>
<P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P>
<P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- -
फ़ोर्ब्स</P>
<P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि
है ।<BR>— आइन्स्टीन</P>
<P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P>
<P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P>
<P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है ।
वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P>
<P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते
में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड
शा</P>
<P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार
में नही लौटता । —</P>
<P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P>
<P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन
है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P>
<P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स
देवर</P>
<P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने
की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P>
<P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश
करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P>
<P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव
करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P>
<P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P>
<P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P>
<P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी
।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-–
विनोबा</P>
<P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं
है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार
की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह
सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम
रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी
रामदेव</P>
<P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते
हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P>
<P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह
जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे
जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत
</P>
<P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है
।<BR>— हितोपदेश </P>
<P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की
विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P>
<P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं
तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है
, बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो
सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी
जाता है )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान
/</FONT></STRONG></P>
<P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही
बुद्धिमान है । )</P>
<P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥</P>
<P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान
देखता है , वही पण्डित है । )</P>
<P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>-
बर्नारड शा</P>
<P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से
लाय ॥<BR>— रहीम </P>
<P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही
डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P>
<P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो।
-अज्ञात </P>
<P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि
अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट /
शठ</FONT></STRONG></P>
<P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका
मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P>
<P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P>
<P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते
हैं.</P>
<P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके
कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P>
<P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र
बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P>
<P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके
प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है,
वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै
के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर
कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद
झूठा<BR>—–गिरधर</P>
<P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय
मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत
॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P>
<P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति
बिपरीत ॥</P>
<P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु
दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P>
<P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P>
<P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक
है ।<BR>— ब्रूचे</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक
॥</P>
<P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P>
<P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं
उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही
नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो
विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति (
हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का
विनाश हो जाता है ।</P>
<P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है
।<BR>— डा. शाकली</P>
<P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान
राइस</P>
<P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै
जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P>
<P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG>
</P>
<P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P>
<P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ
नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P>
<P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के
लिये ॥</P>
<P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो
|<BR>– शेख सादी</P>
<P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P>
<P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी
निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन
</P>
<P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने
लगो।</P>
<P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्वाइन डी. आइसनहॉवर</P>
<P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्वाइश हो तो वो
दोनो चुनता है .<BR>— आस्कर वाइल्ड</P>
<P>दो आदमी एक ही वक्त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता
है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P>
<P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर
अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P>
<P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में
प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P>
<P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P>
<P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>–
कन्फ्यूशियस</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P>
<P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>—
चैनिंग</P>
<P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता
जीव समेत ॥</P>
<P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो
निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P>
<P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P>
<P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती
है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P>
<P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की
जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे
अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है ,
ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत
माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P>
<P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी
मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है ,
पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे
कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क
ट्वेन</P>
<P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर
मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है
।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P>
<P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस
शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन
के भूतपूर्व राजदूत</P>
<P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी ,
नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है
दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P>
<P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद्
मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P>
<P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित
भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते
हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P>
<P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां
सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P>
<P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ
रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P>
<P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो
चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P>
<P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह
ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक
सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P>
<P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध
में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी
है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P>
<P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>—
फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P>
<P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक
कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में
किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है
।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P>
<P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम
देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P>
<P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है
।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P>
<P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है
।<BR>— जान क्राइस्ट </P>
<P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-—
खुशवन्त सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P>
<P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से
बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P>
<P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>—
यू थान्ट</P>
<P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त
सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P>
<P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक
महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P>
<P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान
व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा
</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल
इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P>
<P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं
नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या
कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P>
<P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P>
<P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P>
<P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P>
<P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं
छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P>
<P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास
हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P>
<P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P>
<P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते
|<BR>-– सल्वाडोर डाली</P>
<P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P>
<P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से
(फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P>
<P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार
सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P>
<P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस
आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P>
<P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे
अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान
डायक</P>
<P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय
निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>–
महाभारत</P>
<P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P>
<P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>–
खलील जिब्रान</P>
<P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और
संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर
प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते
हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P>
<P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि
समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P>
<P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता )
है ।</P>
<P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि
गये कि सोय ॥</P>
<P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह
खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P>
<P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P>
<P>हे भगवान ! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक /
सुख / दुख</FONT></STRONG></P>
<P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के
लिये हँसी बनायी है ।</P>
<P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-–
टैगोर</P>
<P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P>
<P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति
नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख
की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख
से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P>
<P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब
कोय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्टपोंड कर दो, यह तो वो है जो
हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P>
<P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर
लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती
हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P>
<P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>—
अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P>
<P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P>
<P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा
आचार्य</P>
<P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P>
<P>हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ
।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P>
<P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये
मत्कुणशंकया ॥</P>
<P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में
रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P>
<P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला
होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की
पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी ? )</P>
<P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः
शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो )
विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक
है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P>
<P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी
कॉमेडी भर देगी ?<BR>-– डिक कैवेट</P>
<P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी
एलन</P>
<P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत
का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P>
<P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है
जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P>
<P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P>
<P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक
है.</P>
<P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं
और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P>
<P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के
झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P>
<P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट
चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P>
<P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला
देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P>
<P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को
10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P>
<P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी
किसिंजर</P>
<P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P>
<P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका
कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P>
<P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P>
<P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए
खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं
तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P>
<P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P>
<P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं
हो जाता.</P>
<P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का
प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी
की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P>
<P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो
कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो ?</P>
<P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता
है।</P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार
ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर
आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि
छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P>
<P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो ,
दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच (
स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न
करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P>
<P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि ,
परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस
पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये ।
)</P>
<P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय ।
)</P>
<P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली
राधाकृष्णन</P>
<P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान
बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P>
<P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों
को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P>
<P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं
।<BR>— महाभारत </P>
<P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी /
असत्य</FONT></STRONG></P>
<P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P>
<P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो
।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P>
<P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च
नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P>
<P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये
।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र
मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो
प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद
व्यास</P>
<P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P>
<P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई
महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P>
<P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>-
लीमैन बीकर</P>
<P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है
।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P>
<P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P>
<P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और
निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव
की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P>
<P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P>
<P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है
कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी
ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के
लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P>
<P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर
देती है ।<BR>–सुदर्शन </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P>
<P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है
और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P>
<P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>—
बेंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P>
<P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का
स्वागत करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P>
<P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>—
बोबी</P>
<P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर
दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P>
<P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे
, क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही
क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता
है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला
वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P>
<P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें
सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P>
<P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने
विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P>
<P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख
अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P>
<P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें
सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे
तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा,
क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक
सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P>
<P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों
में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते
हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P>
<P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़
सादी</P>
<P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P>
<P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P>
<P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P>
<P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया
जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>—
दीनानाथ दिनेश</P>
<P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की
पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P>
<P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P>
<P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है।
क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>-
मृच्छकटिक</P>
<P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की
अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>-
हितोपदेश</P>
<P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर
फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास /
वैराग्य</FONT></STRONG></P>
<P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो
संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P>
<P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P>
<P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का
मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही
अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता
है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का
है।<BR>- सांख्य दर्शन</P>
<P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार
करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम
बुद्ध (धम्मपद ७) </P>
<P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और
संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P>
<P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे
लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार /
प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P>
<P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय
परपीडनम् ॥</P>
<P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने
से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P>
<P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो
वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना
पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं
करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P>
<P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P>
<P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P>
<P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर
उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P>
<P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P>
<P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष
के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P>
<P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो
स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>-
उत्तररामचरित</P>
<P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण
अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P>
<P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ
पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित
होय ॥</P>
<P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P>
<P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी
लात ॥<BR>— रहीम</P>
<P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और
गुणवानो का बल क्षमा है ।</P>
<P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P>
<P><STRONG>सदाचार</STRONG></P>
<P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P>
<P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो
देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P>
<P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी
भवेत ॥</P>
<P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार
मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P>
<P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके
भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P>
<P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है
और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर
पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु ,
मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को ,
अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी)
|<BR>-– चार्ली चेपलिन</P>
<P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क
ऑरेलियस अन्तोनियस</P>
<P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों
की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P>
<P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ
वाल्डो इमर्सन</P>
<P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत
|<BR>-– हेनरी एडम्स</P>
<P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P>
<P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़.
जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों
चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास
होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P>
<P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं
हुआ है.</P>
<P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही
प्यासे होते जाते हैं.</P>
<P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- -
शेक्सपीयर</P>
<P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती
है |<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P>
<P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित
के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक
अभियान है।<BR>- ओशो </P>
<P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी
प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में
आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और
बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व
को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष
जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड
रसेल</P>
<P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है
कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी
चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि
जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर)
काव्यादर्श</P>
<P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति
दूर।।<BR>——रहीम</P>
<P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं
सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति
से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न
होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट
होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और
जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता
(अध्याय 2/62, 63)</P>
<P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और
दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह
नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P>
<P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं
हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P>
<P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ
उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P>
<P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत
रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P>
<P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध
</P>
<P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको
अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P>
<P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही
अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P>
<P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना
चाहिये ।<BR>— यशपाल </P>
<P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है
।<BR>— सावरकर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार
कौशल</FONT></STRONG></P>
<P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से
॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P>
<P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P>
<P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P>
<P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P>
<P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै
तरवारि।।<BR>—–रहीम</P>
<P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे
मीत ॥</P>
<P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P>
<P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या
परोस ॥</P>
<P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान
॥</P>
<P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय
॥</P>
<P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर
विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P>
<P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त
होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना
चाहिये । )</P>
<P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने
से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P>
<P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे
को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य
</P>
<P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P>
<P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं
।<BR>–रवीन्द्र </P>
<P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये
।<BR>— कुमार सम्भव</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P>
<P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P>
<P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P>
<P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में
रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P>
<P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण
ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P>
<P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह /
सपने देखना</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या
बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P>
<P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P>
<P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P>
<P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P>
<P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो
दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन
तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और
मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता
रहता है । ) </P>
<P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये
बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है
।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला
।</P>
<P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P>
<P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P>
<P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे
कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P>
<P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा
भावे</P>
<P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता /
पराधीनता</FONT></STRONG></P>
<P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P>
<P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P>
<P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P>
<P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से
तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>नरक क्या है ? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता /
हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P>
<P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो
सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P>
<P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P>
<P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद
अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P>
<P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता।
वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही
कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो
बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P>
<P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के
अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी,
राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज
को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P>
<P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं
कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर
सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की
साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P>
<P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच
कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P>
<P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते
हो.</P>
<P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P>
<P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी
का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P>
<P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P>
<P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और
पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P>
<P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है
|<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P>
<P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P>
<P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे
ब्रेडबरी</P>
<P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P>
<P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना
चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए
हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P>
<P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P>
<P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता
है.</P>
<P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की
।<BR>— जोसेफ एडिशन</P>
<P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं ; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>—
जोसेफ एडिशन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम
श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान
के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित
होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें
खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे
पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P>
<P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ
हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो
उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने
में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P>
<P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता
है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्मत</FONT></STRONG></P>
<P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P>
<P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा
आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>-
जे.बी. एस. हॉल्डेन</P>
<P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग
मेनडिनो</P>
<P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर
भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P>
<P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P>
<P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास
होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P>
<P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र
को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P>
<P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P>
<P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>—
विनोबा </P>
<P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>—
स्वामी विवेकाननद</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P>
<P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P>
<P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा
|<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के
नाथ ॥</P>
<P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता
राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश
वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P>
<P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P>
<P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>—
कबीरदास</P>
<P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल
शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने
का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी
वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? )</P>
<P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P>
<P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P>
<P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय
॥</P>
<P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P>
<P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्
॥</P>
<P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय
वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P>
<P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P>
<P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा
कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P>
<P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P>
<P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप
आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P>
<P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट
रदरफ़र्ड</P>
<P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर
देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P>
<P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व
चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य
अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा
गांधी</P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>को रुक् , को रुक् , को रुक् ?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन
स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम
खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P>
<P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी
हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस
वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का
चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P>
<P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P>
<P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P>
<P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P>
<P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P>
<P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ
पण्डित आधा छोड देता है ) </P>
<P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P>
<P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P>
<P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P>
<P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P>
<P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं
भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P>
<P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>—
बेन्जामिन</P>
<P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव
जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P>
<P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास
नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P>
<P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने
के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी
बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये
त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने
देता ।</P>
<P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P>
<P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P>
<P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-–
थियोडॉर रूज़वेल्ट</P>
<P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई
लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’
बनाया.</P>
<P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P>
<P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P>
<P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P>
<P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P>
<P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P>
<P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी
सूक्ति</P>
<P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस
ट्रुमेन</P>
<P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के
सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P>
<P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से
गुलाब की एक कली.</P>
<P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों
को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P>
<P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट
ग्रेव्स</P>
<P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा
क्या जा रहा है.</P>
<P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे
देखेंगी ?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P>
<P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी (
माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P>
<P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P>
<P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P>
<P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो
होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन,
कानपुर जिले के निवासी)</P>
<P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय
॥</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P>
<P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P>
<P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर
लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P>
<P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और
अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P>
<P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी
समदर्शी होते हैं ।</P>
<P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने
वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P>
<P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे
सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P>
<P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल
कर ॥<BR>— दाग</P>
<P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर
से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P>
<P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा
रामकुमार वर्मा </P>
<P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P>
<P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P>
<P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और
परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P>
<P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न
ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P>
<P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है
और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P>
<P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।
-महात्मा गांधी </P>
<P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती
है। - जयशंकर प्रसाद </P>
<P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते
हैं।<BR>–अज्ञात</P>
<P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात
</P>
<P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र
होते हैं। - सादी </P>
<P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन
अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद
करो। - अज्ञात </P>
<P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के
हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P>
<P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है।
यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P>
<P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं
चाहता है। -अज्ञात </P>
<P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास
रखता है। -रवीन्द्र </P>
<P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत
पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ
ठाकुर </P>
<P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते
हैं। -सत्यसांई बाबा </P>
<P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता
है। - प्रेमचंद </P>
<P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है
और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P>
<P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है ।
-मुक्ता </P>
<P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P>
<P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह
बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ
है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से
जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P>
<P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P>
<P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न
आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P>
<P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P>
<P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर
प्रसाद </P>
<P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में
खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं
-महर्षि अरविन्द </P>
<P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती
है। - विनोबा </P>
<P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन
और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P>
<P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को
प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री
अरविंद </P>
<P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी
स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P>
<P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि
</P>
<P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन
खिमेनेस</P>
<P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P>
<P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P>
<P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P>
<P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P>
<P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण
है , बल प्रयोग नहीं )</P>
<P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक
है । )</P>
<P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं
होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P>
<P>अङ्गुलिप्रवेशात् बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश
किया जता है । )</P>
<P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P>
<P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय
के चरती है । )</P>
<P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P>
<P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P>
<P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P>
<P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर
गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
<P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )
</P>
<P>सत्यं शिवं सुन्दरम्.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या
विचार को परखने की कसौटी ) )</P>
<P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P>
सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )
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2005-09-16T13:59:44Z
210.212.158.130
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल
वचन</FONT> </STRONG></P>
<P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के
टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P>
<P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू
अर्नाल्ड</P>
<P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों
का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P>
<P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको
अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे
हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P>
<P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन
चर्चिल</P>
<P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता
है।<BR>— आईजक दिसराली</P>
<P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P>
<P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P>
<P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं
मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि
का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर
है । )</P>
<P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् ,
गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से
क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है /
उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P>
<P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी
महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P>
<P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ;
एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो.
हाल</P>
<P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका
सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और
कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है
ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P>
<P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और
भौतिकशास्त्री</P>
<P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P>
<P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते
।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P>
<P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है
।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P>
<P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P>
<P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत
परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P>
<P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने
की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार
दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग /
टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P>
<P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता
।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह
संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P>
<P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री
जैकब</P>
<P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है
।</P>
<P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में
व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि
आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड
केल्विन</P>
<P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन
करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P>
<P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते
यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P>
<P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते
हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता
है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P>
<P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर
खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P>
<P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा
रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु
आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P>
<P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P>
<P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>-
फ्रायड </P>
<P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल
खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता
होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व
में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P>
<P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी
।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को
विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P>
<P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह
दिनकर </P>
<P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन
के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P>
<P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय
को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P>
<P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>—
गोथे </P>
<P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम
क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P>
<P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P>
<P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P>
<P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग
विटगेंस्टाइन</P>
<P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित
तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी
राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को
हीन बना देना ।</P>
<P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर
सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P>
<P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा
ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P>
<P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप
हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>-
शिशुपाल वध</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P>
<P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P>
<P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और
कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत
गोपाल शेवड़े </P>
<P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है
।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता /
सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P>
<P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P>
<P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च
विशिष्टितम् ॥</P>
<P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने
से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>—
महाभारत</P>
<P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता:
मुक्तबन्धना: ॥</P>
<P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से
कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P>
<P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की
तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P>
<P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों
का आदान-प्रदान करना ।</P>
<P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास
</P>
<P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>—
गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P>
<P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों
को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P>
<P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और
साथ-साथ काम करो )</P>
<P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>—
रैन्डाल्फ</P>
<P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै
लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P>
<P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत
भुजंग ।<BR>— रहीम</P>
<P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है।
सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P>
<P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी
दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P>
<P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P>
<P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का
इतिहास भी है । </P>
<P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें
विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी
क्षीण होता है ।</P>
<P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P>
<P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे
भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P>
<P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P>
<P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा
सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही
बदला है ।</P>
<P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है
।</P>
<P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु ,
सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P>
<P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>—
आर. जी. इंगरसोल</P>
<P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P>
<P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा
को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो
रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की
स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P>
<P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं,
मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P>
<P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो
अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>-
डब्ल्यू.एच.आडेन</P>
<P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट
की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में
आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>-
किर्केगार्द</P>
<P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-–
एरमा बॉम्बेक</P>
<P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे
अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P>
<P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो
क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P>
<P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की
नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P>
<P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि
॥<BR>— कबीर</P>
<P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P>
<P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य ,
प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P>
<P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना
शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम
लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं
होते।<BR>- पंचतंत्र</P>
<P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति
बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी
मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P>
<P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय
हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>-
अथर्ववेद</P>
<P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |<BR>-–
नेपोलियन</P>
<P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P>
<P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P>
<P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न
होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P>
<P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P>
<P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P>
<P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>—
ग्लेडस्टन</P>
<P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था
कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट
कियोसाकी</P>
<P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर
वाइल्ड</P>
<P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>—
सिसरो</P>
<P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों
में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>—
अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P>
<P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड
फ्रायड</P>
<P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे
कुछ किया ही नही गया।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P>
<P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P>
<P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं
निशान।।<BR>— रहीम</P>
<P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के
विद्या विष के समान है ( ?) )</P>
<P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही
होय ॥</P>
<P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती
है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में
नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P>
<P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>—
श्रीरामशर्मा आचार्य </P>
<P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है
।<BR>— हक्सले</P>
<P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P>
<P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>—
नैपोलियन हिल</P>
<P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P>
<P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>—
हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते
हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर
देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P>
<P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>-
हरिशंकर परसाई</P>
<P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P>
<P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं ,
दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते
हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P>
<P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़
देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P>
<P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने
अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P>
<P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़
चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P>
<P>हार का स्वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्कम फोर्बस</P>
<P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P>
<P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्ते होते हैं लेकिन व्यू सब जगह से एक सा
दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P>
<P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ
क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ
कम्पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P>
<P>सफलता के लिये कोई लिफ्ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P>
<P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर
बदल सकते हैं।</P>
<P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P>
<P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है ; असफला की सीढी है , हर किसी को
प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P>
<P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P>
<P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख
के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं।
अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण
मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P>
<P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं।
विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P>
<P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P>
<P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा
पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक
हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे
लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P>
<P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच
हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर
टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P>
<P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते
मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P>
<P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब
कोय ॥<BR>— रहीम</P>
<P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति
प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P>
<P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो
होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं
बैकुंठा<BR>—–घाघ</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P>
<P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं
अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर
रहे हैं , अहा ! क्या रूप है ? अहा ! क्या आवाज है ? )</P>
<P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा
सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P>
<P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे
प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P>
<P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>—
विलियम जेम्स</P>
<P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>—
फ्रंकलिन</P>
<P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P>
<P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं
आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे
प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P>
<P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो
जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-–
नॉर्मन विंसेंट पील</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P>
<P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी
स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P>
<P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए
सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त
होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P>
<P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P>
<P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने
के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P>
<P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले
को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो
शीश ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P>
<P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक
देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ
शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P>
<P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है,
उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है
)<BR>— महाकवि माघ</P>
<P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>-
भर्तृहरि</P>
<P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति
के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P>
<P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P>
<P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो.
तुलसीदास</P>
<P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके
धन का अर्जन करना चाहिये ।</P>
<P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P>
<P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल
कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P>
<P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में
कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P>
<P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम
तरीका है ।</P>
<P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है
।</P>
<P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P>
<P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है
उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P>
<P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी
काम पूरा किया जा सकता है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P>
<P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P>
<P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P>
<P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P>
<P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P>
<P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है ।
निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव
उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है
तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है
।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P>
<P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P>
<P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P>
<P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम)
मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P>
<P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में
समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P>
<P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P>
<P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री ,
इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P>
<P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि
“गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P>
<P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन
चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P>
<P>कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी
से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P>
<P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के
लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P>
<P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग
भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की
भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P>
<P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P>
<P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P>
<P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी
लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना
काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन
इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल
जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>-
जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया
है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा.
राधाकृष्णन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P>
<P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं
स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड
है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P>
<P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह
हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं ।
मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित
शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता
है ।<BR>— दसकुमारचरित</P>
<P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी
एडम</P>
<P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त
चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P>
<P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P>
<P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक
रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P>
<P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P>
<P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना
चाहिये ।<BR>— रामायण </P>
<P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना
चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का
हित है।<BR>— चाणक्य </P>
<P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P>
<P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र /
जनतन्त्र</FONT></STRONG></P>
<P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम
लिंकन</P>
<P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है
।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P>
<P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है ।
प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को
बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।</P>
<P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है
जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही
असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P>
<P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद
</P>
<P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना
संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P>
<P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो
सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P>
<P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी
उलोआ</P>
<P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या
चीज होती है , वह गदहा है ।</P>
<P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P>
<P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन
बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P>
<P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा ,
रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने
वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P>
<P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>—
फिदेल कास्त्रो</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है ,
देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है
, वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P>
<P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P>
<P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था
के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P>
<P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति
की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P>
<P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे
नमः ॥</P>
<P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह
( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P>
<P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है
।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P>
<P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर
चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P>
<P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं
तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P>
<P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और
कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P>
<P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब
॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की
हूक ॥</P>
<P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे
कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P>
<P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके
असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P>
<P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है
)</P>
<P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता
है.<BR>-– एनॉन</P>
<P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P>
<P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P>
<P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P>
<P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>—
विन्स्टन चर्चिल</P>
<P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P>
<P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य
समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P>
<P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P>
<P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P>
<P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P>
<P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P>
<P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली
प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और
शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P>
<P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि
पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P>
<P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा
है ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P>
<P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है
।</P>
<P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P>
<P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>—
जार्ज सन्तायन</P>
<P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से
सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P>
<P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी
डैरो</P>
<P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT>
</STRONG></P>
<P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P>
<P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः
परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या
है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया
है ? </P>
<P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता
तेरी रजा क्या है ?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों
।| </P>
<P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न
सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम
नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P>
<P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव
मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम
द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P>
<P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता
नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है
कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P>
<P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत
होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P>
<P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
</P>
<P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की
।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P>
<P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई
के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P>
<P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही
) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P>
<P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P>
<P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल
दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़
</P>
<P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं
की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P>
<P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल
कार्नेगी</P>
<P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P>
<P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज
की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P>
<P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा /
आश्चर्य</FONT></STRONG></P>
<P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह
प्रश्न पूछता है ।</P>
<P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी
दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले
प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक
स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P>
<P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P>
<P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P>
<P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह
प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P>
<P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह
जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P>
<P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता
है ।</P>
<P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो
मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-–
रुडयार्ड किपलिंग</P>
<P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और
क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>-
नीतसार</P>
<P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना
प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता /
सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P>
<P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका
उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से
बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P>
<P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक
नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P>
<P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P>
<P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P>
<P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स
मेडिसन</P>
<P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा ; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं
उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं
।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT>
</STRONG></P>
<P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>—
ममफोर्ड</P>
<P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है ,
लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P>
<P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P>
<P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P>
<P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं
।</P>
<P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी
से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P>
<P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही
रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P>
<P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P>
<P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति
राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P>
<P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>—
महात्मा गाँधी</P>
<P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक
लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है
<DL>
<DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती
है
<DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को
</DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर
<P></P>
<P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>—
मकियावेली</P>
<P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>—
कुर्त लेविन</P>
<P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर
ड्रकर</P>
<P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P>
<P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया
होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे
क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P>
<P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार
कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P>
<P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P>
<P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः
तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न
शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी
आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P>
<P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित
बिबेक ॥</P>
<P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के
योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P>
<P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P>
<P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P>
<P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना (
नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन
की कला है ।</P>
<P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब
भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P>
<P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P>
<P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी
निर्णय लिया था.</P>
<P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P>
<P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस
प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P>
<P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक
हाकिन्स</P>
<P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत
लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P>
<P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा /
पैराडाक्स</FONT></STRONG></P>
<P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा
होय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>चीटी ले शक्कर चली ,
हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P>
<P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P>
<P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत
से चलाये जाते हैं ।</P>
<P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं
।</P>
<P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स
डार्विन</P>
<P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान
सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P>
<P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना
।<BR>— डिजराइली</P>
<P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है ; और जिस व्यक्ति के पास
कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P>
<P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P>
<P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा ; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर
देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P>
<P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है
।</P>
<P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है
।</P>
<P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P>
<P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P>
<P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान /
मेडिटेशन</FONT></STRONG></P>
<P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस
ब्राउन</P>
<P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P>
<P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें
ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P>
<P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को
घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है ,
मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P>
<P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P>
<P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन
, कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P>
<P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता
है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P>
<P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की
स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P>
<P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर
की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों
देता ?<BR>- विवेकानंद</P>
<P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी
समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों
का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और
बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन
फ़्रैंकलिन</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा
, आचार्य</P>
<P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं
को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना
।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P>
<P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P>
<P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच !</P>
<P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग
स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़
होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल
चिन्तन</FONT></STRONG></P>
<P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार
॥<BR>— कबीर</P>
<P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया
खुदाय ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P>
<P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>—
बेकन</P>
<P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P>
<P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P>
<P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का
लक्षण है । )</P>
<P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P>
<P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै
अंग।।</P>
<P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला
है ।<BR>— गिब्बन</P>
<P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P>
<P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र /
उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P>
<P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा
सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं
।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P>
<P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P>
<P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P>
<P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P>
<P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P>
<P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया /
कर्म</FONT></STRONG></P>
<P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P>
<P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति
मुखे मृगाः ॥</P>
<P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख
में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार
है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P>
<P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच
मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P>
<P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न
अपने हाथ ॥</P>
<P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P>
<P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर
ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P>
<P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P>
<P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये ।
निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P>
<P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P>
<P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश
महाकाव्यम्</P>
<P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ
सिद्ध नही होता ।</P>
<P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न
सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P>
<P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P>
<P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P>
<P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है
।<BR>— एडिशन</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P>
<P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P>
<P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P>
<P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है
पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत
है।<BR>- गेटे</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है
।<BR>–विनोबा </P>
<P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर
</P>
<P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P>
<P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय
।<BR>–रहीम</P>
<P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ
करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P>
<P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस
कार्लाइल</P>
<P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो
सकता ।</P>
<P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>—
सैमुएल स्माइल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P>
<P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह
जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट
पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P>
<P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने
वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P>
<P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था –
“भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद
अली</P>
<P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P>
<P>आराम हराम है.</P>
<P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P>
<P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>-
बैंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P>
<P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं
जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ?<BR>- रामतीर्थ</P>
<P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में
सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी
/</FONT></STRONG></P>
<P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे
करना , श्रृजन है ।</P>
<P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और
फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P>
<P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड)
करने की कोशिश करता है । </P>
<P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई
भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को
ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी
ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में
ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए
हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि /
प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P>
<P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P>
<P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा
जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P>
<P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी
पंचलक्षण्म् ।| </P>
<P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा
ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P>
<P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P>
<P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो
विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड
बोम (१९१७-१९९२)</P>
<P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P>
<P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P>
<P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- -
फ़ोर्ब्स</P>
<P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि
है ।<BR>— आइन्स्टीन</P>
<P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P>
<P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P>
<P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है ।
वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P>
<P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते
में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड
शा</P>
<P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार
में नही लौटता । —</P>
<P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P>
<P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन
है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P>
<P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स
देवर</P>
<P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने
की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P>
<P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश
करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P>
<P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव
करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P>
<P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P>
<P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P>
<P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी
।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-–
विनोबा</P>
<P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं
है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार
की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह
सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम
रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी
रामदेव</P>
<P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते
हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P>
<P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह
जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे
जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत
</P>
<P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है
।<BR>— हितोपदेश </P>
<P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की
विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P>
<P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं
तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है
, बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो
सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी
जाता है )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान
/</FONT></STRONG></P>
<P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही
बुद्धिमान है । )</P>
<P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥</P>
<P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान
देखता है , वही पण्डित है । )</P>
<P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>-
बर्नारड शा</P>
<P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से
लाय ॥<BR>— रहीम </P>
<P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही
डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P>
<P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो।
-अज्ञात </P>
<P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि
अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट /
शठ</FONT></STRONG></P>
<P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका
मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P>
<P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P>
<P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते
हैं.</P>
<P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके
कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P>
<P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र
बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P>
<P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके
प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है,
वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै
के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर
कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद
झूठा<BR>—–गिरधर</P>
<P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय
मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत
॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P>
<P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति
बिपरीत ॥</P>
<P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु
दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P>
<P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P>
<P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक
है ।<BR>— ब्रूचे</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक
॥</P>
<P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P>
<P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं
उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही
नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो
विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति (
हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का
विनाश हो जाता है ।</P>
<P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है
।<BR>— डा. शाकली</P>
<P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान
राइस</P>
<P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै
जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P>
<P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P>
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<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG>
</P>
<P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P>
<P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ
नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P>
<P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के
लिये ॥</P>
<P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो
|<BR>– शेख सादी</P>
<P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P>
<P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी
निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन
</P>
<P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने
लगो।</P>
<P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्वाइन डी. आइसनहॉवर</P>
<P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्वाइश हो तो वो
दोनो चुनता है .<BR>— आस्कर वाइल्ड</P>
<P>दो आदमी एक ही वक्त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता
है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P>
<P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर
अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P>
<P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में
प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P>
<P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P>
<P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>–
कन्फ्यूशियस</P>
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<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P>
<P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>—
चैनिंग</P>
<P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता
जीव समेत ॥</P>
<P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो
निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P>
<P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P>
<P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती
है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P>
<P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की
जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे
अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है ,
ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत
माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P>
<P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी
मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है ,
पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे
कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क
ट्वेन</P>
<P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर
मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है
।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P>
<P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस
शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन
के भूतपूर्व राजदूत</P>
<P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी ,
नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है
दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P>
<P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद्
मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P>
<P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित
भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते
हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P>
<P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां
सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P>
<P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ
रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P>
<P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो
चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P>
<P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह
ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक
सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P>
<P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध
में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी
है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P>
<P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>—
फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P>
<P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक
कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में
किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है
।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P>
<P> </P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P>
<P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम
देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P>
<P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है
।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P>
<P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है
।<BR>— जान क्राइस्ट </P>
<P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-—
खुशवन्त सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P>
<P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से
बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P>
<P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>—
यू थान्ट</P>
<P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त
सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P>
<P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक
महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P>
<P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान
व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा
</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल
इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P>
<P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं
नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या
कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P>
<P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P>
<P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P>
<P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P>
<P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं
छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P>
<P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास
हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P>
<P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P>
<P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते
|<BR>-– सल्वाडोर डाली</P>
<P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P>
<P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से
(फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P>
<P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार
सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P>
<P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस
आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P>
<P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे
अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान
डायक</P>
<P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय
निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>–
महाभारत</P>
<P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P>
<P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>–
खलील जिब्रान</P>
<P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और
संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर
प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते
हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P>
<P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि
समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P>
<P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता )
है ।</P>
<P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि
गये कि सोय ॥</P>
<P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह
खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P>
<P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P>
<P>हे भगवान ! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक /
सुख / दुख</FONT></STRONG></P>
<P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के
लिये हँसी बनायी है ।</P>
<P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-–
टैगोर</P>
<P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P>
<P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति
नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख
की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख
से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P>
<P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब
कोय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्टपोंड कर दो, यह तो वो है जो
हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P>
<P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर
लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती
हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P>
<P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>—
अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P>
<P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P>
<P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा
आचार्य</P>
<P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P>
<P>हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ
।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P>
<P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये
मत्कुणशंकया ॥</P>
<P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में
रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P>
<P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला
होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की
पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी ? )</P>
<P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः
शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो )
विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक
है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P>
<P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी
कॉमेडी भर देगी ?<BR>-– डिक कैवेट</P>
<P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी
एलन</P>
<P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत
का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P>
<P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है
जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P>
<P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P>
<P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक
है.</P>
<P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं
और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P>
<P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के
झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P>
<P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट
चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P>
<P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला
देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P>
<P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को
10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P>
<P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी
किसिंजर</P>
<P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P>
<P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका
कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P>
<P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P>
<P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए
खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं
तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P>
<P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P>
<P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं
हो जाता.</P>
<P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का
प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी
की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P>
<P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो
कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो ?</P>
<P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता
है।</P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार
ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर
आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि
छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P>
<P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो ,
दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच (
स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न
करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P>
<P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि ,
परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस
पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये ।
)</P>
<P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय ।
)</P>
<P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली
राधाकृष्णन</P>
<P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान
बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P>
<P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों
को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P>
<P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं
।<BR>— महाभारत </P>
<P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी /
असत्य</FONT></STRONG></P>
<P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P>
<P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो
।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P>
<P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च
नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P>
<P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये
।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र
मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो
प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद
व्यास</P>
<P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P>
<P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई
महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P>
<P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>-
लीमैन बीकर</P>
<P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है
।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P>
<P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P>
<P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और
निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव
की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P>
<P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P>
<P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है
कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी
ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के
लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P>
<P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर
देती है ।<BR>–सुदर्शन </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P>
<P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है
और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P>
<P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>—
बेंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P>
<P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का
स्वागत करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P>
<P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>—
बोबी</P>
<P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर
दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P>
<P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे
, क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही
क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता
है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला
वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P>
<P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें
सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P>
<P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने
विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P>
<P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख
अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P>
<P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें
सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे
तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा,
क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक
सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P>
<P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों
में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते
हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P>
<P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़
सादी</P>
<P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P>
<P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P>
<P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P>
<P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया
जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>—
दीनानाथ दिनेश</P>
<P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की
पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P>
<P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P>
<P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है।
क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>-
मृच्छकटिक</P>
<P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की
अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>-
हितोपदेश</P>
<P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर
फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास /
वैराग्य</FONT></STRONG></P>
<P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो
संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P>
<P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P>
<P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का
मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही
अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता
है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का
है।<BR>- सांख्य दर्शन</P>
<P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार
करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम
बुद्ध (धम्मपद ७) </P>
<P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और
संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P>
<P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे
लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार /
प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P>
<P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय
परपीडनम् ॥</P>
<P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने
से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P>
<P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो
वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना
पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं
करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P>
<P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P>
<P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P>
<P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर
उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P>
<P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P>
<P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष
के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P>
<P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो
स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>-
उत्तररामचरित</P>
<P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण
अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P>
<P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ
पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित
होय ॥</P>
<P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P>
<P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी
लात ॥<BR>— रहीम</P>
<P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और
गुणवानो का बल क्षमा है ।</P>
<P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P>
<P><STRONG>सदाचार</STRONG></P>
<P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P>
<P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो
देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P>
<P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी
भवेत ॥</P>
<P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार
मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P>
<P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके
भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P>
<P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है
और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर
पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु ,
मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को ,
अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी)
|<BR>-– चार्ली चेपलिन</P>
<P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क
ऑरेलियस अन्तोनियस</P>
<P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों
की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P>
<P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ
वाल्डो इमर्सन</P>
<P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत
|<BR>-– हेनरी एडम्स</P>
<P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P>
<P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़.
जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों
चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास
होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P>
<P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं
हुआ है.</P>
<P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही
प्यासे होते जाते हैं.</P>
<P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- -
शेक्सपीयर</P>
<P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती
है |<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P>
<P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित
के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक
अभियान है।<BR>- ओशो </P>
<P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी
प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में
आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और
बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व
को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष
जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड
रसेल</P>
<P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है
कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी
चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि
जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर)
काव्यादर्श</P>
<P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति
दूर।।<BR>——रहीम</P>
<P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं
सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति
से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न
होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट
होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और
जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता
(अध्याय 2/62, 63)</P>
<P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और
दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह
नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P>
<P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं
हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P>
<P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ
उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P>
<P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत
रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P>
<P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध
</P>
<P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको
अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P>
<P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही
अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P>
<P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना
चाहिये ।<BR>— यशपाल </P>
<P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है
।<BR>— सावरकर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार
कौशल</FONT></STRONG></P>
<P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से
॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P>
<P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P>
<P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P>
<P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P>
<P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै
तरवारि।।<BR>—–रहीम</P>
<P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे
मीत ॥</P>
<P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P>
<P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या
परोस ॥</P>
<P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान
॥</P>
<P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय
॥</P>
<P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर
विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P>
<P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त
होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना
चाहिये । )</P>
<P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने
से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P>
<P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे
को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य
</P>
<P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P>
<P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं
।<BR>–रवीन्द्र </P>
<P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये
।<BR>— कुमार सम्भव</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P>
<P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P>
<P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P>
<P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में
रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P>
<P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण
ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P>
<P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह /
सपने देखना</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या
बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P>
<P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P>
<P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P>
<P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P>
<P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो
दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन
तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और
मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता
रहता है । ) </P>
<P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये
बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है
।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला
।</P>
<P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P>
<P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P>
<P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे
कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P>
<P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा
भावे</P>
<P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता /
पराधीनता</FONT></STRONG></P>
<P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P>
<P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P>
<P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P>
<P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से
तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>नरक क्या है ? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता /
हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P>
<P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो
सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P>
<P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P>
<P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद
अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P>
<P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता।
वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही
कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो
बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P>
<P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के
अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी,
राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज
को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P>
<P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं
कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर
सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की
साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P>
<P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच
कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P>
<P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते
हो.</P>
<P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P>
<P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी
का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P>
<P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P>
<P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और
पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P>
<P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है
|<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P>
<P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P>
<P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे
ब्रेडबरी</P>
<P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P>
<P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना
चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए
हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P>
<P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P>
<P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता
है.</P>
<P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की
।<BR>— जोसेफ एडिशन</P>
<P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं ; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>—
जोसेफ एडिशन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम
श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान
के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित
होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें
खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे
पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P>
<P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ
हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो
उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने
में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P>
<P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता
है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्मत</FONT></STRONG></P>
<P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P>
<P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा
आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>-
जे.बी. एस. हॉल्डेन</P>
<P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग
मेनडिनो</P>
<P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर
भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P>
<P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P>
<P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास
होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P>
<P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र
को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P>
<P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P>
<P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>—
विनोबा </P>
<P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>—
स्वामी विवेकाननद</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P>
<P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P>
<P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा
|<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के
नाथ ॥</P>
<P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता
राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश
वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P>
<P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P>
<P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>—
कबीरदास</P>
<P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल
शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने
का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी
वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? )</P>
<P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P>
<P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P>
<P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय
॥</P>
<P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P>
<P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्
॥</P>
<P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय
वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P>
<P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P>
<P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा
कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P>
<P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P>
<P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप
आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P>
<P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट
रदरफ़र्ड</P>
<P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर
देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P>
<P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व
चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य
अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा
गांधी</P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>को रुक् , को रुक् , को रुक् ?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन
स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम
खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P>
<P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी
हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस
वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का
चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P>
<P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P>
<P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P>
<P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P>
<P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P>
<P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ
पण्डित आधा छोड देता है ) </P>
<P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P>
<P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P>
<P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P>
<P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P>
<P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं
भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P>
<P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>—
बेन्जामिन</P>
<P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव
जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P>
<P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास
नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P>
<P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने
के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी
बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये
त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने
देता ।</P>
<P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P>
<P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P>
<P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-–
थियोडॉर रूज़वेल्ट</P>
<P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई
लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’
बनाया.</P>
<P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P>
<P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P>
<P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P>
<P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P>
<P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P>
<P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी
सूक्ति</P>
<P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस
ट्रुमेन</P>
<P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के
सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P>
<P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से
गुलाब की एक कली.</P>
<P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों
को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P>
<P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट
ग्रेव्स</P>
<P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा
क्या जा रहा है.</P>
<P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे
देखेंगी ?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P>
<P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी (
माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P>
<P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P>
<P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P>
<P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो
होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन,
कानपुर जिले के निवासी)</P>
<P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय
॥</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P>
<P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P>
<P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर
लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P>
<P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और
अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P>
<P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी
समदर्शी होते हैं ।</P>
<P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने
वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P>
<P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे
सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P>
<P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल
कर ॥<BR>— दाग</P>
<P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर
से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P>
<P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा
रामकुमार वर्मा </P>
<P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P>
<P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P>
<P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और
परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P>
<P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न
ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P>
<P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है
और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P>
<P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।
-महात्मा गांधी </P>
<P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती
है। - जयशंकर प्रसाद </P>
<P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते
हैं।<BR>–अज्ञात</P>
<P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात
</P>
<P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र
होते हैं। - सादी </P>
<P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन
अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद
करो। - अज्ञात </P>
<P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के
हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P>
<P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है।
यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P>
<P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं
चाहता है। -अज्ञात </P>
<P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास
रखता है। -रवीन्द्र </P>
<P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत
पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ
ठाकुर </P>
<P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते
हैं। -सत्यसांई बाबा </P>
<P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता
है। - प्रेमचंद </P>
<P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है
और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P>
<P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है ।
-मुक्ता </P>
<P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P>
<P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह
बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ
है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से
जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P>
<P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P>
<P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न
आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P>
<P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P>
<P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर
प्रसाद </P>
<P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में
खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं
-महर्षि अरविन्द </P>
<P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती
है। - विनोबा </P>
<P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन
और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P>
<P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को
प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री
अरविंद </P>
<P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी
स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P>
<P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि
</P>
<P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन
खिमेनेस</P>
<P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P>
<P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P>
<P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P>
<P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P>
<P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण
है , बल प्रयोग नहीं )</P>
<P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक
है । )</P>
<P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं
होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P>
<P>अङ्गुलिप्रवेशात् बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश
किया जता है । )</P>
<P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P>
<P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय
के चरती है । )</P>
<P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P>
<P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P>
<P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P>
<P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर
गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
<P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )
</P>
<P>सत्यं शिवं सुन्दरम्.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या
विचार को परखने की कसौटी ) )</P>
<P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P>
3441
2005-10-11T06:59:29Z
210.212.158.130
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल
वचन</FONT> </STRONG></P>
<P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के
टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P>
<P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू
अर्नाल्ड</P>
<P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों
का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P>
<P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको
अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे
हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P>
<P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन
चर्चिल</P>
<P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता
है।<BR>— आईजक दिसराली</P>
<P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P>
<P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P>
<P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं
मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि
का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर
है । )</P>
<P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् ,
गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से
क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है /
उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P>
<P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी
महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P>
<P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ;
एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो.
हाल</P>
<P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका
सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और
कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है
ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P>
<P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और
भौतिकशास्त्री</P>
<P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P>
<P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते
।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P>
<P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है
।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P>
<P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P>
<P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत
परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P>
<P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने
की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार
दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग /
टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P>
<P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता
।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह
संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P>
<P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री
जैकब</P>
<P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है
।</P>
<P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में
व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि
आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड
केल्विन</P>
<P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन
करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P>
<P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते
यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P>
<P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते
हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता
है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P>
<P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर
खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P>
<P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा
रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु
आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P>
<P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P>
<P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>-
फ्रायड </P>
<P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल
खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता
होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व
में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P>
<P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी
।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को
विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P>
<P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह
दिनकर </P>
<P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन
के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P>
<P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय
को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P>
<P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>—
गोथे </P>
<P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम
क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P>
<P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P>
<P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P>
<P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग
विटगेंस्टाइन</P>
<P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित
तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी
राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को
हीन बना देना ।</P>
<P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर
सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P>
<P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा
ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P>
<P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप
हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>-
शिशुपाल वध</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P>
<P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P>
<P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और
कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत
गोपाल शेवड़े </P>
<P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है
।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता /
सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P>
<P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P>
<P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च
विशिष्टितम् ॥</P>
<P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने
से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>—
महाभारत</P>
<P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता:
मुक्तबन्धना: ॥</P>
<P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से
कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P>
<P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की
तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P>
<P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों
का आदान-प्रदान करना ।</P>
<P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास
</P>
<P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>—
गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P>
<P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों
को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P>
<P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और
साथ-साथ काम करो )</P>
<P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>—
रैन्डाल्फ</P>
<P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै
लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P>
<P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत
भुजंग ।<BR>— रहीम</P>
<P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है।
सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P>
<P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी
दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P>
<P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P>
<P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का
इतिहास भी है । </P>
<P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें
विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी
क्षीण होता है ।</P>
<P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P>
<P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे
भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P>
<P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P>
<P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा
सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही
बदला है ।</P>
<P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है
।</P>
<P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु ,
सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P>
<P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>—
आर. जी. इंगरसोल</P>
<P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P>
<P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा
को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो
रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की
स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P>
<P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं,
मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P>
<P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो
अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>-
डब्ल्यू.एच.आडेन</P>
<P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट
की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में
आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>-
किर्केगार्द</P>
<P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-–
एरमा बॉम्बेक</P>
<P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे
अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P>
<P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो
क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P>
<P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की
नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P>
<P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि
॥<BR>— कबीर</P>
<P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P>
<P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य ,
प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P>
<P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना
शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम
लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं
होते।<BR>- पंचतंत्र</P>
<P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति
बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी
मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P>
<P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय
हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>-
अथर्ववेद</P>
<P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |<BR>-–
नेपोलियन</P>
<P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P>
<P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P>
<P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न
होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P>
<P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P>
<P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P>
<P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>—
ग्लेडस्टन</P>
<P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था
कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट
कियोसाकी</P>
<P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर
वाइल्ड</P>
<P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>—
सिसरो</P>
<P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों
में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>—
अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P>
<P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड
फ्रायड</P>
<P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे
कुछ किया ही नही गया।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P>
<P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P>
<P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं
निशान।।<BR>— रहीम</P>
<P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के
विद्या विष के समान है ( ?) )</P>
<P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही
होय ॥</P>
<P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती
है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में
नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P>
<P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>—
श्रीरामशर्मा आचार्य </P>
<P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है
।<BR>— हक्सले</P>
<P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P>
<P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>—
नैपोलियन हिल</P>
<P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P>
<P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>—
हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते
हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर
देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P>
<P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>-
हरिशंकर परसाई</P>
<P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P>
<P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं ,
दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते
हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P>
<P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़
देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P>
<P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने
अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P>
<P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़
चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P>
<P>हार का स्वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्कम फोर्बस</P>
<P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P>
<P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्ते होते हैं लेकिन व्यू सब जगह से एक सा
दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P>
<P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ
क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ
कम्पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P>
<P>सफलता के लिये कोई लिफ्ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P>
<P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर
बदल सकते हैं।</P>
<P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P>
<P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है ; असफला की सीढी है , हर किसी को
प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P>
<P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P>
<P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख
के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं।
अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण
मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P>
<P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं।
विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P>
<P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P>
<P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा
पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक
हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे
लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P>
<P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच
हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर
टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P>
<P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते
मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P>
<P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब
कोय ॥<BR>— रहीम</P>
<P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति
प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P>
<P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो
होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं
बैकुंठा<BR>—–घाघ</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P>
<P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं
अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर
रहे हैं , अहा ! क्या रूप है ? अहा ! क्या आवाज है ? )</P>
<P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा
सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P>
<P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे
प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P>
<P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>—
विलियम जेम्स</P>
<P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>—
फ्रंकलिन</P>
<P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P>
<P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं
आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे
प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P>
<P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो
जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-–
नॉर्मन विंसेंट पील</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P>
<P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी
स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P>
<P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए
सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त
होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P>
<P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P>
<P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने
के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P>
<P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले
को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो
शीश ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P>
<P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक
देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ
शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P>
<P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है,
उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है
)<BR>— महाकवि माघ</P>
<P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>-
भर्तृहरि</P>
<P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति
के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P>
<P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P>
<P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो.
तुलसीदास</P>
<P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके
धन का अर्जन करना चाहिये ।</P>
<P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P>
<P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल
कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P>
<P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में
कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P>
<P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम
तरीका है ।</P>
<P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है
।</P>
<P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P>
<P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है
उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P>
<P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी
काम पूरा किया जा सकता है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P>
<P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P>
<P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P>
<P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P>
<P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P>
<P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है ।
निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव
उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है
तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है
।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P>
<P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P>
<P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P>
<P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम)
मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P>
<P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में
समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P>
<P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P>
<P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री ,
इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P>
<P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि
“गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P>
<P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन
चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P>
<P>कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी
से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P>
<P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के
लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P>
<P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग
भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की
भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P>
<P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P>
<P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P>
<P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी
लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना
काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन
इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल
जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>-
जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया
है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा.
राधाकृष्णन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P>
<P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं
स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड
है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P>
<P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह
हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं ।
मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित
शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता
है ।<BR>— दसकुमारचरित</P>
<P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी
एडम</P>
<P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त
चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P>
<P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P>
<P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक
रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P>
<P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P>
<P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना
चाहिये ।<BR>— रामायण </P>
<P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना
चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का
हित है।<BR>— चाणक्य </P>
<P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P>
<P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र /
जनतन्त्र</FONT></STRONG></P>
<P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम
लिंकन</P>
<P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है
।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P>
<P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है ।
प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को
बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।</P>
<P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है
जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही
असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P>
<P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद
</P>
<P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना
संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P>
<P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो
सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P>
<P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी
उलोआ</P>
<P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या
चीज होती है , वह गदहा है ।</P>
<P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P>
<P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन
बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P>
<P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा ,
रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने
वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P>
<P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>—
फिदेल कास्त्रो</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है ,
देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है
, वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P>
<P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P>
<P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था
के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P>
<P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति
की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P>
<P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे
नमः ॥</P>
<P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह
( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P>
<P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है
।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P>
<P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर
चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P>
<P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं
तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P>
<P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और
कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P>
<P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब
॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की
हूक ॥</P>
<P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे
कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P>
<P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके
असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P>
<P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है
)</P>
<P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता
है.<BR>-– एनॉन</P>
<P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P>
<P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P>
<P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P>
<P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>—
विन्स्टन चर्चिल</P>
<P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P>
<P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य
समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P>
<P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P>
<P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P>
<P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P>
<P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P>
<P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली
प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और
शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P>
<P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि
पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P>
<P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा
है ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P>
<P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है
।</P>
<P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P>
<P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>—
जार्ज सन्तायन</P>
<P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से
सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P>
<P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी
डैरो</P>
<P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT>
</STRONG></P>
<P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P>
<P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः
परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या
है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया
है ? </P>
<P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता
तेरी रजा क्या है ?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों
।| </P>
<P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न
सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम
नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P>
<P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव
मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम
द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P>
<P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता
नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है
कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P>
<P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत
होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P>
<P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
</P>
<P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की
।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P>
<P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई
के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P>
<P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही
) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P>
<P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P>
<P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल
दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़
</P>
<P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं
की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P>
<P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल
कार्नेगी</P>
<P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P>
<P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज
की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P>
<P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा /
आश्चर्य</FONT></STRONG></P>
<P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह
प्रश्न पूछता है ।</P>
<P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी
दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले
प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक
स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P>
<P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P>
<P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P>
<P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह
प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P>
<P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह
जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P>
<P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता
है ।</P>
<P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो
मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-–
रुडयार्ड किपलिंग</P>
<P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और
क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>-
नीतसार</P>
<P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना
प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता /
सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P>
<P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका
उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से
बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P>
<P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक
नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P>
<P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P>
<P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P>
<P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स
मेडिसन</P>
<P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा ; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं
उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं
।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT>
</STRONG></P>
<P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>—
ममफोर्ड</P>
<P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है ,
लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P>
<P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P>
<P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P>
<P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं
।</P>
<P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी
से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P>
<P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही
रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P>
<P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P>
<P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति
राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P>
<P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>—
महात्मा गाँधी</P>
<P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक
लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है
<DL>
<DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती
है
<DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को
</DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर
<P></P>
<P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>—
मकियावेली</P>
<P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>—
कुर्त लेविन</P>
<P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर
ड्रकर</P>
<P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P>
<P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया
होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे
क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P>
<P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार
कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P>
<P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P>
<P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः
तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न
शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी
आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P>
<P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित
बिबेक ॥</P>
<P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के
योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P>
<P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P>
<P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P>
<P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना (
नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन
की कला है ।</P>
<P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब
भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P>
<P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P>
<P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी
निर्णय लिया था.</P>
<P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P>
<P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस
प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P>
<P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक
हाकिन्स</P>
<P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत
लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P>
<P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा /
पैराडाक्स</FONT></STRONG></P>
<P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा
होय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>चीटी ले शक्कर चली ,
हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P>
<P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P>
<P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत
से चलाये जाते हैं ।</P>
<P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं
।</P>
<P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स
डार्विन</P>
<P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान
सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P>
<P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना
।<BR>— डिजराइली</P>
<P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है ; और जिस व्यक्ति के पास
कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P>
<P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P>
<P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा ; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर
देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P>
<P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है
।</P>
<P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है
।</P>
<P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P>
<P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P>
<P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान /
मेडिटेशन</FONT></STRONG></P>
<P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस
ब्राउन</P>
<P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P>
<P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें
ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P>
<P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को
घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है ,
मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P>
<P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P>
<P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन
, कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P>
<P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता
है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P>
<P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की
स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P>
<P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर
की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों
देता ?<BR>- विवेकानंद</P>
<P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी
समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों
का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और
बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन
फ़्रैंकलिन</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा
, आचार्य</P>
<P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं
को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना
।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P>
<P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P>
<P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच !</P>
<P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग
स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़
होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल
चिन्तन</FONT></STRONG></P>
<P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार
॥<BR>— कबीर</P>
<P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया
खुदाय ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P>
<P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>—
बेकन</P>
<P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P>
<P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P>
<P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का
लक्षण है । )</P>
<P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P>
<P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै
अंग।।</P>
<P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला
है ।<BR>— गिब्बन</P>
<P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P>
<P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र /
उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P>
<P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा
सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं
।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P>
<P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P>
<P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P>
<P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P>
<P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P>
<P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया /
कर्म</FONT></STRONG></P>
<P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P>
<P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति
मुखे मृगाः ॥</P>
<P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख
में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार
है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P>
<P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच
मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P>
<P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न
अपने हाथ ॥</P>
<P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P>
<P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर
ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P>
<P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P>
<P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये ।
निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P>
<P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P>
<P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश
महाकाव्यम्</P>
<P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ
सिद्ध नही होता ।</P>
<P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न
सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P>
<P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P>
<P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P>
<P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है
।<BR>— एडिशन</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P>
<P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P>
<P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P>
<P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है
पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत
है।<BR>- गेटे</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है
।<BR>–विनोबा </P>
<P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर
</P>
<P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P>
<P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय
।<BR>–रहीम</P>
<P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ
करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P>
<P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस
कार्लाइल</P>
<P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो
सकता ।</P>
<P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>—
सैमुएल स्माइल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P>
<P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह
जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट
पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P>
<P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने
वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P>
<P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था –
“भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद
अली</P>
<P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P>
<P>आराम हराम है.</P>
<P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P>
<P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>-
बैंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P>
<P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं
जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ?<BR>- रामतीर्थ</P>
<P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में
सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी
/</FONT></STRONG></P>
<P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे
करना , श्रृजन है ।</P>
<P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और
फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P>
<P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड)
करने की कोशिश करता है । </P>
<P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई
भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को
ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी
ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में
ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए
हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि /
प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P>
<P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P>
<P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा
जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P>
<P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी
पंचलक्षण्म् ।| </P>
<P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा
ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P>
<P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P>
<P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो
विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड
बोम (१९१७-१९९२)</P>
<P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P>
<P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P>
<P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- -
फ़ोर्ब्स</P>
<P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि
है ।<BR>— आइन्स्टीन</P>
<P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P>
<P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P>
<P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है ।
वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P>
<P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते
में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड
शा</P>
<P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार
में नही लौटता । —</P>
<P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P>
<P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन
है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P>
<P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स
देवर</P>
<P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने
की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P>
<P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश
करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P>
<P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव
करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P>
<P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P>
<P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P>
<P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी
।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-–
विनोबा</P>
<P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं
है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार
की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह
सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम
रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी
रामदेव</P>
<P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते
हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P>
<P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह
जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे
जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत
</P>
<P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है
।<BR>— हितोपदेश </P>
<P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की
विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P>
<P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं
तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है
, बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो
सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी
जाता है )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान
/</FONT></STRONG></P>
<P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही
बुद्धिमान है । )</P>
<P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥</P>
<P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान
देखता है , वही पण्डित है । )</P>
<P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>-
बर्नारड शा</P>
<P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से
लाय ॥<BR>— रहीम </P>
<P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही
डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P>
<P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो।
-अज्ञात </P>
<P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि
अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट /
शठ</FONT></STRONG></P>
<P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका
मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P>
<P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P>
<P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते
हैं.</P>
<P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके
कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P>
<P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र
बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P>
<P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके
प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है,
वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै
के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर
कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद
झूठा<BR>—–गिरधर</P>
<P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय
मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत
॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P>
<P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति
बिपरीत ॥</P>
<P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु
दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P>
<P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P>
<P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक
है ।<BR>— ब्रूचे</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक
॥</P>
<P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P>
<P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं
उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही
नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो
विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति (
हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का
विनाश हो जाता है ।</P>
<P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है
।<BR>— डा. शाकली</P>
<P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान
राइस</P>
<P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै
जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P>
<P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG>
</P>
<P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P>
<P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ
नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P>
<P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के
लिये ॥</P>
<P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो
|<BR>– शेख सादी</P>
<P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P>
<P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी
निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन
</P>
<P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने
लगो।</P>
<P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्वाइन डी. आइसनहॉवर</P>
<P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्वाइश हो तो वो
दोनो चुनता है .<BR>— आस्कर वाइल्ड</P>
<P>दो आदमी एक ही वक्त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता
है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P>
<P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर
अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P>
<P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में
प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P>
<P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P>
<P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>–
कन्फ्यूशियस</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P>
<P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>—
चैनिंग</P>
<P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता
जीव समेत ॥</P>
<P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो
निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P>
<P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P>
<P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती
है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P>
<P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की
जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे
अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है ,
ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत
माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P>
<P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी
मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है ,
पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे
कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क
ट्वेन</P>
<P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर
मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है
।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P>
<P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस
शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन
के भूतपूर्व राजदूत</P>
<P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी ,
नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है
दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P>
<P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद्
मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P>
<P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित
भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते
हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P>
<P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां
सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P>
<P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ
रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P>
<P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो
चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P>
<P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह
ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक
सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P>
<P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध
में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी
है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P>
<P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>—
फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P>
<P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक
कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में
किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है
।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P>
<p>राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।<br> - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार </p>
<p>विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।<br> - वाल्टर चेनिंग</p>
<p>हिंदी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये।<br> - बेरिस कल्यएव।</p>
<p>एखन जतोगुलि भाषा भारते प्रचलित आछे ताहार मध्ये हिन्दी भाषा सर्वत्रइ प्रचलित।<br> - केशवचंद्र सेन।</p>
<p>इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।<br> - राहुल सांकृत्यायन।</p>
<p>यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है।<br> - शिवनंदन सहाय।</p>
<p>भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।<br> - शिवपूजन सहाय।</p>
<p>हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।<br> - देवव्रत शास्त्री।</p>
<p>संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।<br> - डॉ. फादर कामिल बुल्के।</p>
<p>अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिये ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता समझता है।<br> - महात्मा गाँधी।</p>
<p>संप्रति जितनी भाषाएं भारत में प्रचलित हैं उनमें से हिंदी भाषा प्राय: सर्वत्र व्यवहृत होती है।<br> - केशवचंद्र सेन।</p>
<p>मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती।<br> - मैथिलीशरण गुप्त।</p>
<p>क्रांतदर्शी होने के कारण ऋषि दयानंद ने देशोन्नति के लिये हिंदी भाषा को अपनाया था।<br> - विष्णुदेव पौद्दार।</p>
<p>मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।<br>- विनोबा भावे।</p>
<p>आज का आविष्कार कल का साहित्य है।<br> - माखनलाल चतुर्वेदी।</p>
<p>हिंदी विश्व की महान भाषा है।' - राहुल सांकृत्यायन।</p>
<p>सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिंदी महानतम स्थान रखती है।<br> - अमरनाथ झा।</p>
<p>भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हिंदी भाषा कुछ न कुछ सर्वत्र समझी जाती है।<br> - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार।</p>
<p>हिंदी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।<br> - महात्मा गांधी।</p>
<p>राष्ट्रभाषा की साधना कोरी भावुकता नहीं है।<br> - जगन्नाथप्रसाद मिश्र।</p>
<p>हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।<br> - स्वामी दयानंद।</p>
<p>हिन्दी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।<br>- धीरेन्द्र वर्मा।</p>
<p>हिंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी।<br>- पं. नेहरू।</p>
<p>हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने के हेतु हुए अनुष्ठान को मैं संस्कृति का राजसूय यज्ञ समझता हूँ। <br>- आचार्य क्षितिमोहन सेन।</p>
<p>संस्कृत के अपरिमित कोश से हिन्दी शब्दों की सब कठिनाइयाँ सरलता से हल कर लेगी।<br> - राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन।</p>
<P></P>
<P></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P>
<P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम
देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P>
<p>समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।<br> - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर</p>
<P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है
।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P>
<P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है
।<BR>— जान क्राइस्ट </P>
<P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-—
खुशवन्त सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P>
<P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से
बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P>
<P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>—
यू थान्ट</P>
<P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त
सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P>
<P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक
महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P>
<P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान
व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा
</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल
इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P>
<P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं
नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या
कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P>
<P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P>
<P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P>
<P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P>
<P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं
छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P>
<P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास
हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P>
<P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P>
<P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते
|<BR>-– सल्वाडोर डाली</P>
<P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P>
<P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से
(फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P>
<P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार
सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P>
<P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस
आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P>
<P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे
अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान
डायक</P>
<P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय
निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>–
महाभारत</P>
<P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P>
<P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>–
खलील जिब्रान</P>
<P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और
संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर
प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते
हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P>
<P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि
समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P>
<P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता )
है ।</P>
<P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि
गये कि सोय ॥</P>
<P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह
खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P>
<P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P>
<P>हे भगवान ! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक /
सुख / दुख</FONT></STRONG></P>
<P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के
लिये हँसी बनायी है ।</P>
<P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-–
टैगोर</P>
<P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P>
<P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति
नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख
की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख
से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P>
<P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब
कोय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्टपोंड कर दो, यह तो वो है जो
हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P>
<P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर
लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती
हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P>
<P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>—
अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P>
<P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P>
<P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा
आचार्य</P>
<P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P>
<P>हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ
।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P>
<P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये
मत्कुणशंकया ॥</P>
<P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में
रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P>
<P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला
होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की
पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी ? )</P>
<P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः
शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो )
विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक
है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P>
<P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी
कॉमेडी भर देगी ?<BR>-– डिक कैवेट</P>
<P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी
एलन</P>
<P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत
का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P>
<P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है
जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P>
<P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P>
<P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक
है.</P>
<P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं
और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P>
<P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के
झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P>
<P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट
चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P>
<P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला
देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P>
<P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को
10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P>
<P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी
किसिंजर</P>
<P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P>
<P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका
कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P>
<P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P>
<P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए
खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं
तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P>
<P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P>
<P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं
हो जाता.</P>
<P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का
प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी
की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P>
<P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो
कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो ?</P>
<P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता
है।</P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार
ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर
आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि
छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P>
<P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो ,
दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच (
स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न
करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P>
<P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि ,
परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस
पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये ।
)</P>
<P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय ।
)</P>
<P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली
राधाकृष्णन</P>
<P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान
बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P>
<P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों
को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P>
<P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं
।<BR>— महाभारत </P>
<P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी /
असत्य</FONT></STRONG></P>
<P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P>
<P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो
।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P>
<P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च
नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P>
<P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये
।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र
मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो
प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद
व्यास</P>
<P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P>
<P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई
महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P>
<P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>-
लीमैन बीकर</P>
<P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है
।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P>
<P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P>
<P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और
निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव
की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P>
<P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P>
<P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है
कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी
ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के
लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P>
<P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर
देती है ।<BR>–सुदर्शन </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P>
<P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है
और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P>
<P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>—
बेंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P>
<P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का
स्वागत करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P>
<P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>—
बोबी</P>
<P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर
दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P>
<P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे
, क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही
क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता
है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला
वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P>
<P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें
सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P>
<P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने
विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P>
<P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख
अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P>
<P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें
सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे
तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा,
क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक
सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P>
<P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों
में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते
हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P>
<P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़
सादी</P>
<P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P>
<P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P>
<P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P>
<P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया
जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>—
दीनानाथ दिनेश</P>
<P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की
पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P>
<P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P>
<P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है।
क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>-
मृच्छकटिक</P>
<P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की
अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>-
हितोपदेश</P>
<P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर
फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास /
वैराग्य</FONT></STRONG></P>
<P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो
संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P>
<P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P>
<P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का
मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही
अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता
है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का
है।<BR>- सांख्य दर्शन</P>
<P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार
करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम
बुद्ध (धम्मपद ७) </P>
<P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और
संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P>
<P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे
लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार /
प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P>
<P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय
परपीडनम् ॥</P>
<P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने
से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P>
<P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो
वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना
पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं
करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P>
<P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P>
<P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P>
<P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर
उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P>
<P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P>
<P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष
के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P>
<P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो
स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>-
उत्तररामचरित</P>
<P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण
अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P>
<P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ
पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित
होय ॥</P>
<P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P>
<P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी
लात ॥<BR>— रहीम</P>
<P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और
गुणवानो का बल क्षमा है ।</P>
<P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P>
<P><STRONG>सदाचार</STRONG></P>
<P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P>
<P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो
देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P>
<P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी
भवेत ॥</P>
<P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार
मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P>
<P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके
भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P>
<P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है
और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर
पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु ,
मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को ,
अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी)
|<BR>-– चार्ली चेपलिन</P>
<P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क
ऑरेलियस अन्तोनियस</P>
<P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों
की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P>
<P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ
वाल्डो इमर्सन</P>
<P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत
|<BR>-– हेनरी एडम्स</P>
<P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P>
<P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़.
जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों
चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास
होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P>
<P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं
हुआ है.</P>
<P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही
प्यासे होते जाते हैं.</P>
<P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- -
शेक्सपीयर</P>
<P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती
है |<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P>
<P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित
के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक
अभियान है।<BR>- ओशो </P>
<P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी
प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में
आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और
बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व
को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष
जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड
रसेल</P>
<P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है
कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी
चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि
जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर)
काव्यादर्श</P>
<P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति
दूर।।<BR>——रहीम</P>
<P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं
सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति
से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न
होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट
होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और
जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता
(अध्याय 2/62, 63)</P>
<P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और
दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह
नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P>
<P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं
हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P>
<P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ
उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P>
<P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत
रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P>
<P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध
</P>
<P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको
अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P>
<P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही
अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P>
<P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना
चाहिये ।<BR>— यशपाल </P>
<P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है
।<BR>— सावरकर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार
कौशल</FONT></STRONG></P>
<P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से
॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P>
<P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P>
<P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P>
<P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P>
<P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै
तरवारि।।<BR>—–रहीम</P>
<P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे
मीत ॥</P>
<P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P>
<P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या
परोस ॥</P>
<P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान
॥</P>
<P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय
॥</P>
<P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर
विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P>
<P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त
होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना
चाहिये । )</P>
<P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने
से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P>
<P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे
को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य
</P>
<P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P>
<P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं
।<BR>–रवीन्द्र </P>
<P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये
।<BR>— कुमार सम्भव</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P>
<P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P>
<P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P>
<P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में
रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P>
<P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण
ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P>
<P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह /
सपने देखना</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या
बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P>
<P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P>
<P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P>
<P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P>
<P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो
दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन
तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और
मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता
रहता है । ) </P>
<P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये
बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है
।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला
।</P>
<P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P>
<P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P>
<P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे
कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P>
<P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा
भावे</P>
<P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता /
पराधीनता</FONT></STRONG></P>
<P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P>
<P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P>
<P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P>
<P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से
तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>नरक क्या है ? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता /
हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P>
<P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो
सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P>
<P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P>
<P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद
अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P>
<P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता।
वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही
कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो
बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P>
<P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के
अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी,
राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज
को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P>
<P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं
कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर
सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की
साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P>
<P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच
कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P>
<P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते
हो.</P>
<P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P>
<P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी
का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P>
<P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P>
<P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और
पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P>
<P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है
|<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P>
<P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P>
<P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे
ब्रेडबरी</P>
<P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P>
<P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना
चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए
हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P>
<P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P>
<P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता
है.</P>
<P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की
।<BR>— जोसेफ एडिशन</P>
<P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं ; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>—
जोसेफ एडिशन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम
श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान
के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित
होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें
खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे
पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P>
<P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ
हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो
उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने
में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P>
<P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता
है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्मत</FONT></STRONG></P>
<P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P>
<P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा
आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>-
जे.बी. एस. हॉल्डेन</P>
<P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग
मेनडिनो</P>
<P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर
भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P>
<P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P>
<P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास
होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P>
<P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र
को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P>
<P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P>
<P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>—
विनोबा </P>
<P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>—
स्वामी विवेकाननद</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P>
<P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P>
<P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा
|<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के
नाथ ॥</P>
<P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता
राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश
वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P>
<P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P>
<P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>—
कबीरदास</P>
<P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल
शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने
का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी
वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? )</P>
<P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P>
<P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P>
<P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय
॥</P>
<P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P>
<P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्
॥</P>
<P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय
वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P>
<P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P>
<P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा
कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P>
<P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P>
<P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप
आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P>
<P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट
रदरफ़र्ड</P>
<P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर
देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P>
<P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व
चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य
अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा
गांधी</P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>को रुक् , को रुक् , को रुक् ?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन
स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम
खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P>
<P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी
हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस
वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का
चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P>
<P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P>
<P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P>
<P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P>
<P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P>
<P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ
पण्डित आधा छोड देता है ) </P>
<P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P>
<P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P>
<P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P>
<P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P>
<P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं
भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P>
<P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>—
बेन्जामिन</P>
<P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव
जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P>
<P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास
नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P>
<P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने
के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी
बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये
त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने
देता ।</P>
<P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P>
<P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P>
<P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-–
थियोडॉर रूज़वेल्ट</P>
<P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई
लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’
बनाया.</P>
<P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P>
<P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P>
<P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P>
<P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P>
<P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P>
<P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी
सूक्ति</P>
<P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस
ट्रुमेन</P>
<P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के
सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P>
<P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से
गुलाब की एक कली.</P>
<P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों
को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P>
<P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट
ग्रेव्स</P>
<P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा
क्या जा रहा है.</P>
<P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे
देखेंगी ?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P>
<P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी (
माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P>
<P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P>
<P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P>
<P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो
होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन,
कानपुर जिले के निवासी)</P>
<P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय
॥</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P>
<P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P>
<P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर
लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P>
<P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और
अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P>
<P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी
समदर्शी होते हैं ।</P>
<P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने
वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P>
<P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे
सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P>
<P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल
कर ॥<BR>— दाग</P>
<P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर
से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P>
<P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा
रामकुमार वर्मा </P>
<P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P>
<P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P>
<P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और
परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P>
<P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न
ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P>
<P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है
और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P>
<P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।
-महात्मा गांधी </P>
<P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती
है। - जयशंकर प्रसाद </P>
<P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते
हैं।<BR>–अज्ञात</P>
<P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात
</P>
<P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र
होते हैं। - सादी </P>
<P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन
अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद
करो। - अज्ञात </P>
<P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के
हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P>
<P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है।
यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P>
<P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं
चाहता है। -अज्ञात </P>
<P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास
रखता है। -रवीन्द्र </P>
<P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत
पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ
ठाकुर </P>
<P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते
हैं। -सत्यसांई बाबा </P>
<P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता
है। - प्रेमचंद </P>
<P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है
और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P>
<P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है ।
-मुक्ता </P>
<P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P>
<P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह
बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ
है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से
जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P>
<P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P>
<P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न
आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P>
<P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P>
<P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर
प्रसाद </P>
<P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में
खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं
-महर्षि अरविन्द </P>
<P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती
है। - विनोबा </P>
<P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन
और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P>
<P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को
प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री
अरविंद </P>
<P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी
स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P>
<P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि
</P>
<P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन
खिमेनेस</P>
<P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P>
<P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P>
<P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P>
<P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P>
<P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण
है , बल प्रयोग नहीं )</P>
<P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक
है । )</P>
<P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं
होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P>
<P>अङ्गुलिप्रवेशात् बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश
किया जता है । )</P>
<P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P>
<P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय
के चरती है । )</P>
<P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P>
<P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P>
<P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P>
<P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर
गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
<P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )
</P>
<P>सत्यं शिवं सुन्दरम्.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या
विचार को परखने की कसौटी ) )</P>
<P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P>
3442
2005-10-13T05:01:47Z
210.212.158.130
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल
वचन</FONT> </STRONG></P>
<P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के
टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P>
<P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू
अर्नाल्ड</P>
<P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों
का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P>
<P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको
अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे
हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P>
<P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन
चर्चिल</P>
<P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता
है।<BR>— आईजक दिसराली</P>
<P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P>
<P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P>
<P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं
मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि
का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर
है । )</P>
<P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् ,
गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से
क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है /
उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P>
<P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी
महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P>
<P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ;
एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो.
हाल</P>
<P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका
सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और
कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है
ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P>
<P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और
भौतिकशास्त्री</P>
<P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P>
<P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते
।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P>
<P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है
।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P>
<P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P>
<P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत
परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P>
<P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने
की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार
दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग /
टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P>
<P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता
।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह
संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P>
<P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री
जैकब</P>
<P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है
।</P>
<P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में
व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि
आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड
केल्विन</P>
<P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन
करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P>
<P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते
यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P>
<P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते
हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता
है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P>
<P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर
खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P>
<P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा
रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु
आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P>
<P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P>
<P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>-
फ्रायड </P>
<P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल
खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता
होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व
में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P>
<P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी
।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को
विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P>
<P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह
दिनकर </P>
<P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन
के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P>
<P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय
को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P>
<P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>—
गोथे </P>
<P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम
क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P>
<P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P>
<P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P>
<P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग
विटगेंस्टाइन</P>
<P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित
तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी
राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को
हीन बना देना ।</P>
<P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर
सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P>
<P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा
ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P>
<P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप
हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>-
शिशुपाल वध</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P>
<P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P>
<P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और
कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत
गोपाल शेवड़े </P>
<P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है
।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता /
सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P>
<P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P>
<P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च
विशिष्टितम् ॥</P>
<P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने
से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>—
महाभारत</P>
<P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता:
मुक्तबन्धना: ॥</P>
<P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से
कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P>
<P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की
तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P>
<P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों
का आदान-प्रदान करना ।</P>
<P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास
</P>
<P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>—
गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P>
<P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों
को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P>
<P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और
साथ-साथ काम करो )</P>
<P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>—
रैन्डाल्फ</P>
<P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै
लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P>
<P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत
भुजंग ।<BR>— रहीम</P>
<P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है।
सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P>
<P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी
दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P>
<P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P>
<P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का
इतिहास भी है । </P>
<P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें
विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी
क्षीण होता है ।</P>
<P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P>
<P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे
भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P>
<P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P>
<P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा
सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही
बदला है ।</P>
<P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है
।</P>
<P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु ,
सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P>
<P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>—
आर. जी. इंगरसोल</P>
<P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P>
<P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा
को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो
रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की
स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P>
<P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं,
मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P>
<P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो
अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>-
डब्ल्यू.एच.आडेन</P>
<P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट
की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में
आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>-
किर्केगार्द</P>
<P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-–
एरमा बॉम्बेक</P>
<P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे
अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P>
<P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो
क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P>
<P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की
नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P>
<P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि
॥<BR>— कबीर</P>
<P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P>
<P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य ,
प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P>
<P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना
शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम
लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं
होते।<BR>- पंचतंत्र</P>
<P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति
बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी
मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P>
<P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय
हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>-
अथर्ववेद</P>
<P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |<BR>-–
नेपोलियन</P>
<P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P>
<P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P>
<P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न
होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P>
<P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P>
<P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P>
<P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>—
ग्लेडस्टन</P>
<P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था
कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट
कियोसाकी</P>
<P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर
वाइल्ड</P>
<P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>—
सिसरो</P>
<P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों
में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>—
अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P>
<P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड
फ्रायड</P>
<P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे
कुछ किया ही नही गया।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P>
<P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P>
<P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं
निशान।।<BR>— रहीम</P>
<P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के
विद्या विष के समान है ( ?) )</P>
<P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही
होय ॥</P>
<P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती
है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में
नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P>
<P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>—
श्रीरामशर्मा आचार्य </P>
<P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है
।<BR>— हक्सले</P>
<P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P>
<P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>—
नैपोलियन हिल</P>
<P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P>
<P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>—
हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते
हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर
देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P>
<P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>-
हरिशंकर परसाई</P>
<P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P>
<P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं ,
दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते
हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P>
<P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़
देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P>
<P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने
अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P>
<P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़
चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P>
<P>हार का स्वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्कम फोर्बस</P>
<P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P>
<P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्ते होते हैं लेकिन व्यू सब जगह से एक सा
दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P>
<P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ
क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ
कम्पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P>
<P>सफलता के लिये कोई लिफ्ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P>
<P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर
बदल सकते हैं।</P>
<P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P>
<P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है ; असफला की सीढी है , हर किसी को
प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P>
<P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P>
<P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख
के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं।
अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण
मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P>
<P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं।
विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P>
<P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P>
<P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा
पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक
हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे
लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P>
<P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच
हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर
टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P>
<P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते
मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P>
<P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब
कोय ॥<BR>— रहीम</P>
<P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति
प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P>
<P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो
होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं
बैकुंठा<BR>—–घाघ</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P>
<P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं
अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर
रहे हैं , अहा ! क्या रूप है ? अहा ! क्या आवाज है ? )</P>
<P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा
सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P>
<P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे
प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P>
<P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>—
विलियम जेम्स</P>
<P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>—
फ्रंकलिन</P>
<P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P>
<P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं
आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे
प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P>
<P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो
जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-–
नॉर्मन विंसेंट पील</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P>
<P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी
स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P>
<P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए
सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त
होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P>
<P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P>
<P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने
के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P>
<P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले
को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो
शीश ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P>
<P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक
देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ
शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P>
<P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है,
उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है
)<BR>— महाकवि माघ</P>
<P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>-
भर्तृहरि</P>
<P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति
के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P>
<P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P>
<P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो.
तुलसीदास</P>
<P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके
धन का अर्जन करना चाहिये ।</P>
<P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P>
<P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल
कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P>
<P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में
कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P>
<P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम
तरीका है ।</P>
<P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है
।</P>
<P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P>
<P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है
उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P>
<P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी
काम पूरा किया जा सकता है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P>
<P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P>
<P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P>
<P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P>
<P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P>
<P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है ।
निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव
उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है
तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है
।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P>
<P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P>
<P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P>
<P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम)
मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P>
<P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में
समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P>
<P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P>
<P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री ,
इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P>
<P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि
“गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P>
<P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन
चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P>
<P>कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी
से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P>
<P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के
लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P>
<P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग
भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की
भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P>
<P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P>
<P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P>
<P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी
लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना
काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन
इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल
जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>-
जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया
है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा.
राधाकृष्णन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P>
<P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं
स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड
है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P>
<P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह
हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं ।
मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित
शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता
है ।<BR>— दसकुमारचरित</P>
<P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी
एडम</P>
<P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त
चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P>
<P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P>
<P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक
रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P>
<P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P>
<P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना
चाहिये ।<BR>— रामायण </P>
<P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना
चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का
हित है।<BR>— चाणक्य </P>
<P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P>
<P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र /
जनतन्त्र</FONT></STRONG></P>
<P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम
लिंकन</P>
<P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है
।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P>
<P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है ।
प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को
बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।</P>
<P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है
जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही
असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P>
<P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद
</P>
<P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना
संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P>
<P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो
सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P>
<P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी
उलोआ</P>
<P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या
चीज होती है , वह गदहा है ।</P>
<P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P>
<P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन
बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P>
<P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा ,
रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने
वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P>
<P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>—
फिदेल कास्त्रो</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है ,
देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है
, वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P>
<P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P>
<P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था
के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P>
<P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति
की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P>
<P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे
नमः ॥</P>
<P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह
( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P>
<P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है
।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P>
<P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर
चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P>
<P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं
तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P>
<P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और
कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P>
<P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब
॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की
हूक ॥</P>
<P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे
कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P>
<P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके
असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P>
<P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है
)</P>
<P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता
है.<BR>-– एनॉन</P>
<P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P>
<P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P>
<P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P>
<P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>—
विन्स्टन चर्चिल</P>
<P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P>
<P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य
समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P>
<P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P>
<P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P>
<P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P>
<P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P>
<P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली
प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और
शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P>
<P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि
पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P>
<P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा
है ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P>
<P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है
।</P>
<P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P>
<P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>—
जार्ज सन्तायन</P>
<P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से
सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P>
<P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी
डैरो</P>
<P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT>
</STRONG></P>
<P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P>
<P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः
परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या
है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया
है ? </P>
<P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता
तेरी रजा क्या है ?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों
।| </P>
<P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न
सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम
नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P>
<P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव
मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम
द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P>
<P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता
नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है
कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P>
<P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत
होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P>
<P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
</P>
<P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की
।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P>
<P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई
के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P>
<P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही
) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P>
<P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P>
<P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल
दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़
</P>
<P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं
की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P>
<P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल
कार्नेगी</P>
<P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P>
<P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज
की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P>
<P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा /
आश्चर्य</FONT></STRONG></P>
<P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह
प्रश्न पूछता है ।</P>
<P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी
दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले
प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक
स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P>
<P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P>
<P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P>
<P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह
प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P>
<P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह
जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P>
<P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता
है ।</P>
<P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो
मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-–
रुडयार्ड किपलिंग</P>
<P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और
क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>-
नीतसार</P>
<P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना
प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता /
सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P>
<P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका
उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से
बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P>
<P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक
नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P>
<P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P>
<P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P>
<P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स
मेडिसन</P>
<P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा ; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं
उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं
।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT>
</STRONG></P>
<P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>—
ममफोर्ड</P>
<P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है ,
लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P>
<P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P>
<P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P>
<P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं
।</P>
<P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी
से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P>
<P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही
रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P>
<P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P>
<P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति
राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P>
<P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>—
महात्मा गाँधी</P>
<P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक
लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है
<DL>
<DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती
है
<DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को
</DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर
<P></P>
<P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>—
मकियावेली</P>
<P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>—
कुर्त लेविन</P>
<P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर
ड्रकर</P>
<P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P>
<P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया
होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे
क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P>
<P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार
कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P>
<P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P>
<P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः
तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न
शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी
आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P>
<P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित
बिबेक ॥</P>
<P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के
योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P>
<P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P>
<P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P>
<P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना (
नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन
की कला है ।</P>
<P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब
भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P>
<P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P>
<P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी
निर्णय लिया था.</P>
<P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P>
<P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस
प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P>
<P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक
हाकिन्स</P>
<P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत
लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P>
<P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा /
पैराडाक्स</FONT></STRONG></P>
<P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा
होय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>चीटी ले शक्कर चली ,
हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P>
<P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P>
<P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत
से चलाये जाते हैं ।</P>
<P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं
।</P>
<P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स
डार्विन</P>
<P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान
सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P>
<P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना
।<BR>— डिजराइली</P>
<P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है ; और जिस व्यक्ति के पास
कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P>
<P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P>
<P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा ; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर
देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P>
<P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है
।</P>
<P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है
।</P>
<P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P>
<P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P>
<P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान /
मेडिटेशन</FONT></STRONG></P>
<P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस
ब्राउन</P>
<P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P>
<P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें
ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P>
<P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को
घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है ,
मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P>
<P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P>
<P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन
, कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P>
<P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता
है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P>
<P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की
स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P>
<P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर
की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों
देता ?<BR>- विवेकानंद</P>
<P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी
समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों
का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और
बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन
फ़्रैंकलिन</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा
, आचार्य</P>
<P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं
को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना
।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P>
<P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P>
<P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच !</P>
<P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग
स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़
होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल
चिन्तन</FONT></STRONG></P>
<P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार
॥<BR>— कबीर</P>
<P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया
खुदाय ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P>
<P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>—
बेकन</P>
<P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P>
<P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P>
<P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का
लक्षण है । )</P>
<P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P>
<P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै
अंग।।</P>
<P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला
है ।<BR>— गिब्बन</P>
<P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P>
<P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र /
उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P>
<P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा
सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं
।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P>
<P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P>
<P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P>
<P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P>
<P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P>
<P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया /
कर्म</FONT></STRONG></P>
<P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P>
<P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति
मुखे मृगाः ॥</P>
<P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख
में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार
है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P>
<P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच
मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P>
<P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न
अपने हाथ ॥</P>
<P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P>
<P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर
ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P>
<P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P>
<P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये ।
निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P>
<P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P>
<P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश
महाकाव्यम्</P>
<P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ
सिद्ध नही होता ।</P>
<P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न
सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P>
<P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P>
<P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P>
<P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है
।<BR>— एडिशन</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P>
<P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P>
<P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P>
<P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है
पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत
है।<BR>- गेटे</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है
।<BR>–विनोबा </P>
<P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर
</P>
<P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P>
<P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय
।<BR>–रहीम</P>
<P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ
करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P>
<P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस
कार्लाइल</P>
<P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो
सकता ।</P>
<P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>—
सैमुएल स्माइल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P>
<P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह
जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट
पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P>
<P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने
वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P>
<P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था –
“भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद
अली</P>
<P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P>
<P>आराम हराम है.</P>
<P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P>
<P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>-
बैंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P>
<P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं
जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ?<BR>- रामतीर्थ</P>
<P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में
सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी
/</FONT></STRONG></P>
<P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे
करना , श्रृजन है ।</P>
<P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और
फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P>
<P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड)
करने की कोशिश करता है । </P>
<P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई
भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को
ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी
ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में
ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए
हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि /
प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P>
<P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P>
<P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा
जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P>
<P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी
पंचलक्षण्म् ।| </P>
<P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा
ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P>
<P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P>
<P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो
विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड
बोम (१९१७-१९९२)</P>
<P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P>
<P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P>
<P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- -
फ़ोर्ब्स</P>
<P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि
है ।<BR>— आइन्स्टीन</P>
<P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P>
<P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P>
<P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है ।
वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P>
<P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते
में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड
शा</P>
<P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार
में नही लौटता । —</P>
<P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P>
<P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन
है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P>
<P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स
देवर</P>
<P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने
की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P>
<P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश
करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P>
<P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव
करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P>
<P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P>
<P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P>
<P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी
।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-–
विनोबा</P>
<P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं
है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार
की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह
सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम
रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी
रामदेव</P>
<P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते
हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P>
<P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह
जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे
जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत
</P>
<P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है
।<BR>— हितोपदेश </P>
<P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की
विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P>
<P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं
तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है
, बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो
सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी
जाता है )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान
/</FONT></STRONG></P>
<P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही
बुद्धिमान है । )</P>
<P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥</P>
<P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान
देखता है , वही पण्डित है । )</P>
<P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>-
बर्नारड शा</P>
<P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से
लाय ॥<BR>— रहीम </P>
<P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही
डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P>
<P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो।
-अज्ञात </P>
<P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि
अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट /
शठ</FONT></STRONG></P>
<P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका
मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P>
<P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P>
<P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते
हैं.</P>
<P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके
कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P>
<P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र
बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P>
<P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके
प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है,
वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै
के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर
कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद
झूठा<BR>—–गिरधर</P>
<P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय
मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत
॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P>
<P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति
बिपरीत ॥</P>
<P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु
दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P>
<P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P>
<P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक
है ।<BR>— ब्रूचे</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक
॥</P>
<P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P>
<P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं
उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही
नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो
विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति (
हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का
विनाश हो जाता है ।</P>
<P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है
।<BR>— डा. शाकली</P>
<P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान
राइस</P>
<P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै
जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P>
<P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG>
</P>
<P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P>
<P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ
नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P>
<P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के
लिये ॥</P>
<P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो
|<BR>– शेख सादी</P>
<P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P>
<P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी
निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन
</P>
<P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने
लगो।</P>
<P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्वाइन डी. आइसनहॉवर</P>
<P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्वाइश हो तो वो
दोनो चुनता है .<BR>— आस्कर वाइल्ड</P>
<P>दो आदमी एक ही वक्त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता
है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P>
<P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर
अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P>
<P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में
प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P>
<P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P>
<P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>–
कन्फ्यूशियस</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P>
<P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>—
चैनिंग</P>
<P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता
जीव समेत ॥</P>
<P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो
निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P>
<P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P>
<P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती
है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P>
<P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की
जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे
अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है ,
ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत
माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P>
<P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी
मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है ,
पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे
कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क
ट्वेन</P>
<P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर
मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है
।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P>
<P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस
शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन
के भूतपूर्व राजदूत</P>
<P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी ,
नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है
दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P>
<P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद्
मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P>
<P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित
भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते
हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P>
<P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां
सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P>
<P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ
रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P>
<P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो
चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P>
<P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह
ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक
सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P>
<P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध
में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी
है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P>
<P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>—
फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P>
<P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक
कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में
किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है
।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P>
<p>राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।<br> - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार </p>
<p>विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।<br> - वाल्टर चेनिंग</p>
<p>हिंदी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये।<br> - बेरिस कल्यएव।</p>
<p>एखन जतोगुलि भाषा भारते प्रचलित आछे ताहार मध्ये हिन्दी भाषा सर्वत्रइ प्रचलित।<br> - केशवचंद्र सेन।</p>
<p>इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।<br> - राहुल सांकृत्यायन।</p>
<p>यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है।<br> - शिवनंदन सहाय।</p>
<p>भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।<br> - शिवपूजन सहाय।</p>
<p>हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।<br> - देवव्रत शास्त्री।</p>
<p>संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।<br> - डॉ. फादर कामिल बुल्के।</p>
<p>अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिये ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता समझता है।<br> - महात्मा गाँधी।</p>
<p>संप्रति जितनी भाषाएं भारत में प्रचलित हैं उनमें से हिंदी भाषा प्राय: सर्वत्र व्यवहृत होती है।<br> - केशवचंद्र सेन।</p>
<p>मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती।<br> - मैथिलीशरण गुप्त।</p>
<p>क्रांतदर्शी होने के कारण ऋषि दयानंद ने देशोन्नति के लिये हिंदी भाषा को अपनाया था।<br> - विष्णुदेव पौद्दार।</p>
<p>मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।<br>- विनोबा भावे।</p>
<p>आज का आविष्कार कल का साहित्य है।<br> - माखनलाल चतुर्वेदी।</p>
<p>हिंदी विश्व की महान भाषा है।' - राहुल सांकृत्यायन।</p>
<p>सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिंदी महानतम स्थान रखती है।<br> - अमरनाथ झा।</p>
<p>भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हिंदी भाषा कुछ न कुछ सर्वत्र समझी जाती है।<br> - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार।</p>
<p>हिंदी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।<br> - महात्मा गांधी।</p>
<p>राष्ट्रभाषा की साधना कोरी भावुकता नहीं है।<br> - जगन्नाथप्रसाद मिश्र।</p>
<p>हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।<br> - स्वामी दयानंद।</p>
<p>हिन्दी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।<br>- धीरेन्द्र वर्मा।</p>
<p>हिंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी।<br>- पं. नेहरू।</p>
<p>हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने के हेतु हुए अनुष्ठान को मैं संस्कृति का राजसूय यज्ञ समझता हूँ। <br>- आचार्य क्षितिमोहन सेन।</p>
<p>संस्कृत के अपरिमित कोश से हिन्दी शब्दों की सब कठिनाइयाँ सरलता से हल कर लेगी।<br> - राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन।</p>
<P></P>
<P></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P>
<P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम
देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P>
<p>समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।<br> - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर</p>
<P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है
।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P>
<P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है
।<BR>— जान क्राइस्ट </P>
<P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-—
खुशवन्त सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P>
<P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से
बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P>
<P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>—
यू थान्ट</P>
<P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त
सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P>
<P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक
महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P>
<P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान
व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा
</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल
इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P>
<P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं
नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या
कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P>
<P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P>
<P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P>
<P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P>
<P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं
छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P>
<P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास
हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P>
<P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P>
<P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते
|<BR>-– सल्वाडोर डाली</P>
<P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P>
<P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से
(फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P>
<P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार
सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P>
<P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस
आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P>
<P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे
अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान
डायक</P>
<P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय
निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>–
महाभारत</P>
<P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P>
<P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>–
खलील जिब्रान</P>
<P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और
संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर
प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते
हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P>
<P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि
समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P>
<P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता )
है ।</P>
<P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि
गये कि सोय ॥</P>
<P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह
खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P>
<P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P>
<P>हे भगवान ! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक /
सुख / दुख</FONT></STRONG></P>
<P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के
लिये हँसी बनायी है ।</P>
<P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-–
टैगोर</P>
<P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P>
<P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति
नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख
की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख
से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P>
<P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब
कोय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्टपोंड कर दो, यह तो वो है जो
हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P>
<P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर
लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती
हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P>
<P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>—
अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P>
<P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P>
<P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा
आचार्य</P>
<P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P>
<P>हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ
।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P>
<P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये
मत्कुणशंकया ॥</P>
<P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में
रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P>
<P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला
होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की
पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी ? )</P>
<P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः
शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो )
विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक
है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P>
<P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी
कॉमेडी भर देगी ?<BR>-– डिक कैवेट</P>
<P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी
एलन</P>
<P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत
का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P>
<P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है
जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P>
<P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P>
<P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक
है.</P>
<P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं
और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P>
<P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के
झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P>
<P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट
चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P>
<P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला
देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P>
<P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को
10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P>
<P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी
किसिंजर</P>
<P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P>
<P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका
कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P>
<P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P>
<P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए
खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं
तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P>
<P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P>
<P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं
हो जाता.</P>
<P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का
प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी
की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P>
<P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो
कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो ?</P>
<P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता
है।</P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार
ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर
आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि
छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P>
<P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो ,
दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच (
स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न
करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P>
<P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि ,
परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस
पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये ।
)</P>
<P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय ।
)</P>
<P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली
राधाकृष्णन</P>
<P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान
बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P>
<P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों
को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P>
<P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं
।<BR>— महाभारत </P>
<P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी /
असत्य</FONT></STRONG></P>
<P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P>
<P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो
।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P>
<P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च
नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P>
<P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये
।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र
मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो
प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद
व्यास</P>
<P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P>
<P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई
महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P>
<P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>-
लीमैन बीकर</P>
<P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है
।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P>
<P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P>
<P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और
निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव
की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P>
<P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P>
<P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है
कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी
ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के
लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P>
<P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर
देती है ।<BR>–सुदर्शन </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P>
<P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है
और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P>
<P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>—
बेंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P>
<P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का
स्वागत करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P>
<P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>—
बोबी</P>
<P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर
दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P>
<P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे
, क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही
क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता
है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला
वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P>
<P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें
सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P>
<P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने
विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P>
<P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख
अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P>
<P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें
सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे
तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा,
क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक
सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P>
<P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों
में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते
हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P>
<P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़
सादी</P>
<P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P>
<P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P>
<P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P>
<P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया
जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>—
दीनानाथ दिनेश</P>
<P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की
पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P>
<P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P>
<P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है।
क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>-
मृच्छकटिक</P>
<P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की
अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>-
हितोपदेश</P>
<P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर
फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास /
वैराग्य</FONT></STRONG></P>
<P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो
संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P>
<P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P>
<P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का
मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही
अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता
है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का
है।<BR>- सांख्य दर्शन</P>
<P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार
करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम
बुद्ध (धम्मपद ७) </P>
<P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और
संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P>
<P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे
लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार /
प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P>
<P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय
परपीडनम् ॥</P>
<P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने
से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P>
<P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो
वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना
पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं
करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P>
<P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P>
<P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P>
<P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर
उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P>
<P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P>
<P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष
के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P>
<P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो
स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>-
उत्तररामचरित</P>
<P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण
अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P>
<P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ
पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित
होय ॥</P>
<P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P>
<P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी
लात ॥<BR>— रहीम</P>
<P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और
गुणवानो का बल क्षमा है ।</P>
<P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P>
<P><STRONG>सदाचार</STRONG></P>
<P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P>
<P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो
देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P>
<P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी
भवेत ॥</P>
<P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार
मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P>
<P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके
भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P>
<P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है
और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर
पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु ,
मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को ,
अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी)
|<BR>-– चार्ली चेपलिन</P>
<P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क
ऑरेलियस अन्तोनियस</P>
<P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों
की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P>
<P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ
वाल्डो इमर्सन</P>
<P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत
|<BR>-– हेनरी एडम्स</P>
<P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P>
<P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़.
जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों
चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास
होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P>
<P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं
हुआ है.</P>
<P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही
प्यासे होते जाते हैं.</P>
<P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- -
शेक्सपीयर</P>
<P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती
है |<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P>
<P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित
के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक
अभियान है।<BR>- ओशो </P>
<P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी
प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में
आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और
बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व
को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष
जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड
रसेल</P>
<P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है
कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी
चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि
जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर)
काव्यादर्श</P>
<P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति
दूर।।<BR>——रहीम</P>
<P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं
सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति
से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न
होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट
होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और
जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता
(अध्याय 2/62, 63)</P>
<P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और
दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह
नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P>
<P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं
हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P>
<P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ
उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P>
<P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत
रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P>
<P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध
</P>
<P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको
अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P>
<P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही
अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P>
<P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना
चाहिये ।<BR>— यशपाल </P>
<P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है
।<BR>— सावरकर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार
कौशल</FONT></STRONG></P>
<P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से
॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P>
<P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P>
<P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P>
<P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P>
<P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै
तरवारि।।<BR>—–रहीम</P>
<P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे
मीत ॥</P>
<P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P>
<P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या
परोस ॥</P>
<P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान
॥</P>
<P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय
॥</P>
<P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर
विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P>
<P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त
होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना
चाहिये । )</P>
<P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने
से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P>
<P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे
को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य
</P>
<P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P>
<P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं
।<BR>–रवीन्द्र </P>
<P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये
।<BR>— कुमार सम्भव</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P>
<P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P>
<P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P>
<P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में
रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P>
<P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण
ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P>
<P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह /
सपने देखना</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या
बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P>
<P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P>
<P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P>
<P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P>
<P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो
दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन
तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और
मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता
रहता है । ) </P>
<P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये
बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है
।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला
।</P>
<P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P>
<P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P>
<P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे
कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P>
<P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा
भावे</P>
<P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता /
पराधीनता</FONT></STRONG></P>
<P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P>
<P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P>
<P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P>
<P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से
तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>नरक क्या है ? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता /
हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P>
<P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो
सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P>
<P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P>
<P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद
अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P>
<P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता।
वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही
कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो
बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P>
<P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के
अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी,
राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज
को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P>
<P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं
कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर
सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की
साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P>
<P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच
कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P>
<P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते
हो.</P>
<P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P>
<P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी
का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P>
<P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P>
<P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और
पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P>
<P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है
|<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P>
<P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P>
<P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे
ब्रेडबरी</P>
<P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P>
<P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना
चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए
हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P>
<P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P>
<P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता
है.</P>
<P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की
।<BR>— जोसेफ एडिशन</P>
<P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं ; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>—
जोसेफ एडिशन</P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम
श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान
के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित
होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें
खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे
पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P>
<P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ
हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो
उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने
में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P>
<P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता
है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्मत</FONT></STRONG></P>
<P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P>
<P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा
आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>-
जे.बी. एस. हॉल्डेन</P>
<P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग
मेनडिनो</P>
<P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर
भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P>
<P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P>
<P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास
होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P>
<P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र
को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P>
<P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P>
<P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>—
विनोबा </P>
<P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>—
स्वामी विवेकाननद</P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P>
<P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P>
<P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा
|<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के
नाथ ॥</P>
<P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता
राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P>
<P> </P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश
वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P>
<P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P>
<P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>—
कबीरदास</P>
<P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल
शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने
का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी
वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? )</P>
<P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P>
<P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P>
<P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय
॥</P>
<P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P>
<P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्
॥</P>
<P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय
वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P>
<P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P>
<P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा
कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P>
<P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P>
<P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप
आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P>
<P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट
रदरफ़र्ड</P>
<P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर
देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P>
<P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व
चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य
अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा
गांधी</P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>को रुक् , को रुक् , को रुक् ?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन
स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम
खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P>
<P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी
हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस
वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का
चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P>
<P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P>
<P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P>
<P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P>
<P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P>
<P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ
पण्डित आधा छोड देता है ) </P>
<P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P>
<P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P>
<P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P>
<P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P>
<P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं
भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P>
<P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>—
बेन्जामिन</P>
<P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव
जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P>
<P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास
नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P>
<P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने
के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी
बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये
त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने
देता ।</P>
<P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P>
<P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P>
<P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-–
थियोडॉर रूज़वेल्ट</P>
<P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई
लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’
बनाया.</P>
<P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P>
<P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P>
<P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P>
<P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P>
<P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P>
<P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी
सूक्ति</P>
<P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस
ट्रुमेन</P>
<P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के
सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P>
<P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से
गुलाब की एक कली.</P>
<P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों
को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P>
<P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट
ग्रेव्स</P>
<P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा
क्या जा रहा है.</P>
<P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे
देखेंगी ?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P>
<P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी (
माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P>
<P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P>
<P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P>
<P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो
होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन,
कानपुर जिले के निवासी)</P>
<P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय
॥</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P>
<P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P>
<P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर
लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P>
<P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और
अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P>
<P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी
समदर्शी होते हैं ।</P>
<P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने
वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P>
<P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे
सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P>
<P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल
कर ॥<BR>— दाग</P>
<P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर
से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P>
<P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा
रामकुमार वर्मा </P>
<P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P>
<P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P>
<P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और
परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P>
<P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न
ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P>
<P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है
और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P>
<P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।
-महात्मा गांधी </P>
<P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती
है। - जयशंकर प्रसाद </P>
<P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते
हैं।<BR>–अज्ञात</P>
<P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात
</P>
<P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र
होते हैं। - सादी </P>
<P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन
अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद
करो। - अज्ञात </P>
<P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के
हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P>
<P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है।
यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P>
<P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं
चाहता है। -अज्ञात </P>
<P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास
रखता है। -रवीन्द्र </P>
<P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत
पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ
ठाकुर </P>
<P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते
हैं। -सत्यसांई बाबा </P>
<P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता
है। - प्रेमचंद </P>
<P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है
और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P>
<P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है ।
-मुक्ता </P>
<P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P>
<P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह
बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ
है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से
जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P>
<P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P>
<P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न
आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P>
<P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P>
<P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर
प्रसाद </P>
<P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में
खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं
-महर्षि अरविन्द </P>
<P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती
है। - विनोबा </P>
<P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन
और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P>
<P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को
प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री
अरविंद </P>
<P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी
स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P>
<P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि
</P>
<P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन
खिमेनेस</P>
<P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P>
<P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P>
<P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P>
<P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P>
<P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण
है , बल प्रयोग नहीं )</P>
<P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक
है । )</P>
<P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं
होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P>
<P>अङ्गुलिप्रवेशात् बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश
किया जता है । )</P>
<P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P>
<P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय
के चरती है । )</P>
<P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P>
<P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P>
<P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P>
<P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर
गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
<P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )
</P>
<P>सत्यं शिवं सुन्दरम्.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या
विचार को परखने की कसौटी ) )</P>
<P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P>
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2006-04-23T12:47:06Z
203.145.136.5
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल
वचन</FONT> </STRONG></P>
<P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के
टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P>
<P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू
अर्नाल्ड</P>
<P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों
का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P>
<P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको
अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे
हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P>
<P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन
चर्चिल</P>
<P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता
है।<BR>— आईजक दिसराली</P>
<P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P>
<P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P>
<P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं
मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि
का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर
है । )</P>
<P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् ,
गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से
क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है /
उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P>
<P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी
महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P>
<P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ;
एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो.
हाल</P>
<P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका
सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और
कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है
ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P>
<P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और
भौतिकशास्त्री</P>
<P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P>
<P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते
।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P>
<P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है
।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P>
<P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P>
<P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत
परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P>
<P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने
की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार
दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग /
टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P>
<P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता
।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह
संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P>
<P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री
जैकब</P>
<P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है
।</P>
<P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में
व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि
आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड
केल्विन</P>
<P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन
करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P>
<P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते
यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P>
<P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते
हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता
है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P>
<P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर
खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P>
<P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा
रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु
आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P>
<P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P>
<P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>-
फ्रायड </P>
<P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल
खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता
होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व
में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P>
<P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी
।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को
विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P>
<P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह
दिनकर </P>
<P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन
के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P>
<P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय
को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P>
<P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>—
गोथे </P>
<P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम
क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P>
<P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P>
<P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P>
<P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग
विटगेंस्टाइन</P>
<P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित
तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी
राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को
हीन बना देना ।</P>
<P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर
सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P>
<P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा
ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P>
<P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप
हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>-
शिशुपाल वध</P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P>
<P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P>
<P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और
कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत
गोपाल शेवड़े </P>
<P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है
।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता /
सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P>
<P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P>
<P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च
विशिष्टितम् ॥</P>
<P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने
से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>—
महाभारत</P>
<P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता:
मुक्तबन्धना: ॥</P>
<P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से
कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P>
<P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की
तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P>
<P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों
का आदान-प्रदान करना ।</P>
<P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास
</P>
<P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>—
गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P>
<P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों
को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P>
<P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और
साथ-साथ काम करो )</P>
<P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>—
रैन्डाल्फ</P>
<P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै
लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P>
<P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत
भुजंग ।<BR>— रहीम</P>
<P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है।
सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P>
<P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी
दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P>
<P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P>
<P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का
इतिहास भी है । </P>
<P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें
विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी
क्षीण होता है ।</P>
<P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P>
<P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे
भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P>
<P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
<P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P>
<P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा
सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही
बदला है ।</P>
<P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है
।</P>
<P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु ,
सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P>
<P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>—
आर. जी. इंगरसोल</P>
<P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P>
<P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा
को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो
रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की
स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P>
<P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं,
मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P>
<P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो
अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>-
डब्ल्यू.एच.आडेन</P>
<P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट
की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में
आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>-
किर्केगार्द</P>
<P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-–
एरमा बॉम्बेक</P>
<P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे
अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P>
<P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो
क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P>
<P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की
नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P>
<P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि
॥<BR>— कबीर</P>
<P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P>
<P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य ,
प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P>
<P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना
शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम
लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं
होते।<BR>- पंचतंत्र</P>
<P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति
बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी
मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P>
<P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय
हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>-
अथर्ववेद</P>
<P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |<BR>-–
नेपोलियन</P>
<P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P>
<P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P>
<P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न
होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P>
<P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P>
<P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P>
<P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>—
ग्लेडस्टन</P>
<P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था
कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट
कियोसाकी</P>
<P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर
वाइल्ड</P>
<P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>—
सिसरो</P>
<P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों
में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>—
अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P>
<P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड
फ्रायड</P>
<P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे
कुछ किया ही नही गया।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P>
<P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P>
<P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं
निशान।।<BR>— रहीम</P>
<P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के
विद्या विष के समान है ( ?) )</P>
<P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही
होय ॥</P>
<P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती
है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में
नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P>
<P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>—
श्रीरामशर्मा आचार्य </P>
<P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है
।<BR>— हक्सले</P>
<P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P>
<P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>—
नैपोलियन हिल</P>
<P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P>
<P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>—
हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते
हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर
देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P>
<P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>-
हरिशंकर परसाई</P>
<P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P>
<P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं ,
दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते
हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P>
<P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़
देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P>
<P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने
अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P>
<P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़
चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P>
<P>हार का स्वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्कम फोर्बस</P>
<P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P>
<P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्ते होते हैं लेकिन व्यू सब जगह से एक सा
दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P>
<P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ
क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ
कम्पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P>
<P>सफलता के लिये कोई लिफ्ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P>
<P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर
बदल सकते हैं।</P>
<P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P>
<P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है ; असफला की सीढी है , हर किसी को
प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P>
<P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P>
<P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख
के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं।
अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण
मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P>
<P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं।
विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P>
<P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P>
<P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा
पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक
हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे
लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P>
<P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच
हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर
टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P>
<P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते
मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P>
<P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब
कोय ॥<BR>— रहीम</P>
<P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति
प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P>
<P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो
होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं
बैकुंठा<BR>—–घाघ</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P>
<P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं
अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर
रहे हैं , अहा ! क्या रूप है ? अहा ! क्या आवाज है ? )</P>
<P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा
सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P>
<P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे
प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P>
<P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>—
विलियम जेम्स</P>
<P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>—
फ्रंकलिन</P>
<P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P>
<P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं
आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे
प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P>
<P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो
जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-–
नॉर्मन विंसेंट पील</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P>
<P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी
स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P>
<P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए
सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त
होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P>
<P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P>
<P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने
के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P>
<P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले
को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो
शीश ॥<BR>— कबीर</P>
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<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P>
<P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक
देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ
शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P>
<P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है,
उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है
)<BR>— महाकवि माघ</P>
<P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>-
भर्तृहरि</P>
<P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति
के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P>
<P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P>
<P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो.
तुलसीदास</P>
<P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके
धन का अर्जन करना चाहिये ।</P>
<P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P>
<P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल
कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P>
<P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में
कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P>
<P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम
तरीका है ।</P>
<P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है
।</P>
<P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P>
<P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है
उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P>
<P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी
काम पूरा किया जा सकता है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P>
<P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P>
<P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P>
<P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P>
<P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P>
<P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है ।
निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव
उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है
तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है
।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P>
<P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P>
<P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P>
<P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम)
मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P>
<P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में
समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P>
<P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P>
<P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री ,
इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P>
<P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि
“गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P>
<P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन
चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P>
<P>कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी
से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P>
<P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के
लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P>
<P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग
भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की
भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P>
<P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P>
<P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P>
<P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी
लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना
काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन
इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल
जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>-
जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया
है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा.
राधाकृष्णन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P>
<P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं
स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड
है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P>
<P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह
हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं ।
मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित
शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता
है ।<BR>— दसकुमारचरित</P>
<P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी
एडम</P>
<P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त
चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P>
<P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P>
<P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक
रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P>
<P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P>
<P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना
चाहिये ।<BR>— रामायण </P>
<P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना
चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का
हित है।<BR>— चाणक्य </P>
<P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P>
<P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र /
जनतन्त्र</FONT></STRONG></P>
<P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम
लिंकन</P>
<P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है
।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P>
<P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है ।
प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को
बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।</P>
<P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है
जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P>
<P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं
हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा
विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही
असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P>
<P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद
</P>
<P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना
संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P>
<P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो
सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P>
<P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी
उलोआ</P>
<P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या
चीज होती है , वह गदहा है ।</P>
<P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P>
<P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन
बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P>
<P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा ,
रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने
वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P>
<P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>—
फिदेल कास्त्रो</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है ,
देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है
, वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P>
<P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P>
<P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था
के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P>
<P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P>
<P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति
की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P>
<P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे
नमः ॥</P>
<P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह
( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P>
<P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है
।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P>
<P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर
चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P>
<P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं
तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P>
<P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और
कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P>
<P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब
॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की
हूक ॥</P>
<P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे
कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P>
<P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके
असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P>
<P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है
)</P>
<P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता
है.<BR>-– एनॉन</P>
<P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P>
<P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P>
<P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P>
<P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>—
विन्स्टन चर्चिल</P>
<P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P>
<P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य
समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P>
<P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P>
<P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P>
<P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P>
<P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P>
<P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली
प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और
शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P>
<P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि
पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P>
<P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा
है ।<BR>— इमर्सन</P>
<P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P>
<P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है
।</P>
<P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P>
<P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>—
जार्ज सन्तायन</P>
<P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से
सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P>
<P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी
डैरो</P>
<P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P>
<P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट
संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया
।<BR>— एस डीकैम्प</P>
<P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P>
<P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT>
</STRONG></P>
<P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P>
<P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः
परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P>
<P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या
है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया
है ? </P>
<P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता
तेरी रजा क्या है ?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों
।| </P>
<P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न
सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम
नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P>
<P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव
मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम
द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P>
<P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता
नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P>
<P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है
कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P>
<P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत
होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P>
<P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९
</P>
<P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की
।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P>
<P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P>
<P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई
के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P>
<P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही
) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P>
<P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P>
<P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल
दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़
</P>
<P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं
की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P>
<P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल
कार्नेगी</P>
<P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P>
<P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज
की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P>
<P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा /
आश्चर्य</FONT></STRONG></P>
<P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह
प्रश्न पूछता है ।</P>
<P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी
दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले
प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक
स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P>
<P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P>
<P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P>
<P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह
प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P>
<P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह
जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P>
<P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता
है ।</P>
<P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो
मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-–
रुडयार्ड किपलिंग</P>
<P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और
क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>-
नीतसार</P>
<P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना
प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता /
सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P>
<P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P>
<P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका
उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से
बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P>
<P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक
नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P>
<P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P>
<P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P>
<P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स
मेडिसन</P>
<P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा ; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं
उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं
।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT>
</STRONG></P>
<P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>—
ममफोर्ड</P>
<P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है ,
लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P>
<P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P>
<P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P>
<P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं
।</P>
<P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी
से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P>
<P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही
रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P>
<P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P>
<P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति
राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P>
<P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>—
महात्मा गाँधी</P>
<P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक
लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है
<DL>
<DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती
है
<DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को
</DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर
<P></P>
<P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>—
मकियावेली</P>
<P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>—
कुर्त लेविन</P>
<P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर
ड्रकर</P>
<P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P>
<P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया
होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे
क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P>
<P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार
कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P>
<P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P>
<P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः
तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न
शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी
आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P>
<P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित
बिबेक ॥</P>
<P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के
योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P>
<P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P>
<P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P>
<P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना (
नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P>
<P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन
की कला है ।</P>
<P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब
भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P>
<P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P>
<P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी
निर्णय लिया था.</P>
<P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P>
<P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस
प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P>
<P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक
हाकिन्स</P>
<P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत
लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P>
<P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा /
पैराडाक्स</FONT></STRONG></P>
<P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा
होय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>चीटी ले शक्कर चली ,
हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P>
<P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P>
<P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत
से चलाये जाते हैं ।</P>
<P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं
।</P>
<P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स
डार्विन</P>
<P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान
सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P>
<P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना
।<BR>— डिजराइली</P>
<P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है ; और जिस व्यक्ति के पास
कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P>
<P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P>
<P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा ; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर
देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P>
<P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है
।</P>
<P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है
।</P>
<P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P>
<P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P>
<P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान /
मेडिटेशन</FONT></STRONG></P>
<P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस
ब्राउन</P>
<P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P>
<P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें
ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P>
<P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को
घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है ,
मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P>
<P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P>
<P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन
, कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P>
<P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता
है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P>
<P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की
स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P>
<P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर
की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों
देता ?<BR>- विवेकानंद</P>
<P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी
समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों
का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P>
<P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और
बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन
फ़्रैंकलिन</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा
, आचार्य</P>
<P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं
को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना
।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P>
<P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P>
<P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच !</P>
<P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग
स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़
होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल
चिन्तन</FONT></STRONG></P>
<P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार
॥<BR>— कबीर</P>
<P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया
खुदाय ॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P>
<P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>—
बेकन</P>
<P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P>
<P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P>
<P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का
लक्षण है । )</P>
<P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P>
<P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै
अंग।।</P>
<P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला
है ।<BR>— गिब्बन</P>
<P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P>
<P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र /
उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P>
<P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा
सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P>
<P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं
।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P>
<P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P>
<P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P>
<P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P>
<P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P>
<P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P>
<P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया /
कर्म</FONT></STRONG></P>
<P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P>
<P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति
मुखे मृगाः ॥</P>
<P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख
में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P>
<P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार
है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P>
<P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच
मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P>
<P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न
अपने हाथ ॥</P>
<P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P>
<P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर
ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P>
<P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P>
<P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये ।
निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P>
<P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P>
<P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश
महाकाव्यम्</P>
<P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ
सिद्ध नही होता ।</P>
<P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न
सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P>
<P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P>
<P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P>
<P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है
।<BR>— एडिशन</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P>
<P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P>
<P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P>
<P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है
पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत
है।<BR>- गेटे</P>
<P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P>
<P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है
।<BR>–विनोबा </P>
<P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर
</P>
<P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P>
<P> </P>
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<P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P>
<P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय
।<BR>–रहीम</P>
<P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ
करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P>
<P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस
कार्लाइल</P>
<P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो
सकता ।</P>
<P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>—
सैमुएल स्माइल</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास /
प्रयत्न</FONT></STRONG></P>
<P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P>
<P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह
जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट
पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P>
<P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने
वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P>
<P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था –
“भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद
अली</P>
<P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P>
<P>आराम हराम है.</P>
<P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P>
<P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>-
बैंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P>
<P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं
जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ?<BR>- रामतीर्थ</P>
<P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में
सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी
/</FONT></STRONG></P>
<P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे
करना , श्रृजन है ।</P>
<P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और
फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P>
<P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड)
करने की कोशिश करता है । </P>
<P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई
भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को
ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी
ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में
ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए
हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि /
प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P>
<P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P>
<P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>—
पंचतंत्र</P>
<P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा
जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P>
<P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी
पंचलक्षण्म् ।| </P>
<P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा
ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P>
<P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P>
<P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो
विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P>
<P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड
बोम (१९१७-१९९२)</P>
<P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P>
<P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>—
इमर्सन</P>
<P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P>
<P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P>
<P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- -
फ़ोर्ब्स</P>
<P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि
है ।<BR>— आइन्स्टीन</P>
<P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P>
<P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P>
<P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है ।
वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P>
<P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते
में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड
शा</P>
<P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार
में नही लौटता । —</P>
<P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P>
<P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन
है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P>
<P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P>
<P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स
देवर</P>
<P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने
की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P>
<P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश
करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P>
<P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव
करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P>
<P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P>
<P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>—
डिजरायली</P>
<P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P>
<P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P>
<P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी
।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-–
विनोबा</P>
<P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं
है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार
की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह
सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम
रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी
रामदेव</P>
<P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते
हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P>
<P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह
जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे
जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत
</P>
<P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है
।<BR>— हितोपदेश </P>
<P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की
विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P>
<P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं
तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है
, बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो
सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी
जाता है )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान
/</FONT></STRONG></P>
<P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही
बुद्धिमान है । )</P>
<P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥</P>
<P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान
देखता है , वही पण्डित है । )</P>
<P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>-
बर्नारड शा</P>
<P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से
लाय ॥<BR>— रहीम </P>
<P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही
डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P>
<P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो।
-अज्ञात </P>
<P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि
अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट /
शठ</FONT></STRONG></P>
<P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>—
चाणक्य</P>
<P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका
मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P>
<P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P>
<P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते
हैं.</P>
<P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके
कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P>
<P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र
बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P>
<P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके
प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है,
वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै
के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर
कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद
झूठा<BR>—–गिरधर</P>
<P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय
मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत
॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P>
<P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति
बिपरीत ॥</P>
<P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु
दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P>
<P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P>
<P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक
है ।<BR>— ब्रूचे</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक
॥</P>
<P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P>
<P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं
उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही
नहीं।<BR>- शेख सादी</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो
विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति (
हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का
विनाश हो जाता है ।</P>
<P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है
।<BR>— डा. शाकली</P>
<P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान
राइस</P>
<P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै
जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P>
<P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG>
</P>
<P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P>
<P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ
नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P>
<P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के
लिये ॥</P>
<P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो
|<BR>– शेख सादी</P>
<P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P>
<P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी
निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन
</P>
<P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने
लगो।</P>
<P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्वाइन डी. आइसनहॉवर</P>
<P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्वाइश हो तो वो
दोनो चुनता है .<BR>— आस्कर वाइल्ड</P>
<P>दो आदमी एक ही वक्त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता
है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P>
<P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर
अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P>
<P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में
प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P>
<P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P>
<P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>–
कन्फ्यूशियस</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P>
<P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>—
चैनिंग</P>
<P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता
जीव समेत ॥</P>
<P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो
निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P>
<P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P>
<P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती
है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P>
<P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की
जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे
अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है ,
ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत
माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P>
<P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी
मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है ,
पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे
कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क
ट्वेन</P>
<P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर
मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है
।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P>
<P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस
शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन
के भूतपूर्व राजदूत</P>
<P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी ,
नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है
दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P>
<P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद्
मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P>
<P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित
भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते
हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P>
<P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां
सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P>
<P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ
रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P>
<P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो
चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P>
<P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह
ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक
सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P>
<P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध
में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी
है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P>
<P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>—
फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P>
<P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक
कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में
किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है
।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P>
<p>राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।<br> - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार </p>
<p>विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।<br> - वाल्टर चेनिंग</p>
<p>हिंदी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये।<br> - बेरिस कल्यएव।</p>
<p>एखन जतोगुलि भाषा भारते प्रचलित आछे ताहार मध्ये हिन्दी भाषा सर्वत्रइ प्रचलित।<br> - केशवचंद्र सेन।</p>
<p>इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।<br> - राहुल सांकृत्यायन।</p>
<p>यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है।<br> - शिवनंदन सहाय।</p>
<p>भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।<br> - शिवपूजन सहाय।</p>
<p>हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।<br> - देवव्रत शास्त्री।</p>
<p>संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।<br> - डॉ. फादर कामिल बुल्के।</p>
<p>अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिये ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता समझता है।<br> - महात्मा गाँधी।</p>
<p>संप्रति जितनी भाषाएं भारत में प्रचलित हैं उनमें से हिंदी भाषा प्राय: सर्वत्र व्यवहृत होती है।<br> - केशवचंद्र सेन।</p>
<p>मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती।<br> - मैथिलीशरण गुप्त।</p>
<p>क्रांतदर्शी होने के कारण ऋषि दयानंद ने देशोन्नति के लिये हिंदी भाषा को अपनाया था।<br> - विष्णुदेव पौद्दार।</p>
<p>मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।<br>- विनोबा भावे।</p>
<p>आज का आविष्कार कल का साहित्य है।<br> - माखनलाल चतुर्वेदी।</p>
<p>हिंदी विश्व की महान भाषा है।' - राहुल सांकृत्यायन।</p>
<p>सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिंदी महानतम स्थान रखती है।<br> - अमरनाथ झा।</p>
<p>भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हिंदी भाषा कुछ न कुछ सर्वत्र समझी जाती है।<br> - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार।</p>
<p>हिंदी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।<br> - महात्मा गांधी।</p>
<p>राष्ट्रभाषा की साधना कोरी भावुकता नहीं है।<br> - जगन्नाथप्रसाद मिश्र।</p>
<p>हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।<br> - स्वामी दयानंद।</p>
<p>हिन्दी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।<br>- धीरेन्द्र वर्मा।</p>
<p>हिंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी।<br>- पं. नेहरू।</p>
<p>हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने के हेतु हुए अनुष्ठान को मैं संस्कृति का राजसूय यज्ञ समझता हूँ। <br>- आचार्य क्षितिमोहन सेन।</p>
<p>संस्कृत के अपरिमित कोश से हिन्दी शब्दों की सब कठिनाइयाँ सरलता से हल कर लेगी।<br> - राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन।</p>
<P></P>
<P></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P>
<P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम
देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P>
<p>समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।<br> - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर</p>
<P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है
।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P>
<P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है
।<BR>— जान क्राइस्ट </P>
<P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-—
खुशवन्त सिंह </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P>
<P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से
बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P>
<P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P>
<P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>—
यू थान्ट</P>
<P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त
सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P>
<P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक
महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P>
<P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान
व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा
</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल
इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P>
<P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं
नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या
कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P>
<P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P>
<P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P>
<P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P>
<P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं
छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P>
<P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास
हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P>
<P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P>
<P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते
|<BR>-– सल्वाडोर डाली</P>
<P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P>
<P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से
(फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P>
<P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार
सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P>
<P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस
आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P>
<P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे
अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान
डायक</P>
<P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय
निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>–
महाभारत</P>
<P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P>
<P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>–
खलील जिब्रान</P>
<P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और
संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर
प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते
हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P>
<P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि
समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P>
<P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता )
है ।</P>
<P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि
गये कि सोय ॥</P>
<P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै
रोय ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह
खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P>
<P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P>
<P>हे भगवान ! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक /
सुख / दुख</FONT></STRONG></P>
<P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P>
<P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P>
<P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के
लिये हँसी बनायी है ।</P>
<P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-–
टैगोर</P>
<P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P>
<P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति
नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख
की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख
से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P>
<P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब
कोय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्टपोंड कर दो, यह तो वो है जो
हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P>
<P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर
लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती
हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P>
<P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>—
अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P>
<P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P>
<P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा
आचार्य</P>
<P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P>
<P>हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ
।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P>
<P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये
मत्कुणशंकया ॥</P>
<P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में
रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P>
<P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला
होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की
पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी ? )</P>
<P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः
शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो )
विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक
है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P>
<P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी
कॉमेडी भर देगी ?<BR>-– डिक कैवेट</P>
<P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी
एलन</P>
<P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत
का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P>
<P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है
जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P>
<P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P>
<P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक
है.</P>
<P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं
और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P>
<P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के
झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P>
<P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट
चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P>
<P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला
देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P>
<P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को
10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P>
<P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी
किसिंजर</P>
<P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P>
<P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका
कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P>
<P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P>
<P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए
खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं
तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P>
<P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P>
<P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं
हो जाता.</P>
<P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का
प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी
की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P>
<P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो
कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो ?</P>
<P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता
है।</P>
<P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह
साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर
टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P>
<P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार
ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर
आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि
छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P>
<P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो ,
दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच (
स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न
करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P>
<P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि ,
परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस
पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये ।
)</P>
<P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय ।
)</P>
<P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा ,
आचार्य</P>
<P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली
राधाकृष्णन</P>
<P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान
बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P>
<P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों
को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P>
<P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं
।<BR>— महाभारत </P>
<P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी /
असत्य</FONT></STRONG></P>
<P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P>
<P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो
।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P>
<P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च
नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P>
<P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये
।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥</P>
<P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र
मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो
प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद
व्यास</P>
<P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P>
<P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई
महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P>
<P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>-
लीमैन बीकर</P>
<P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है
।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P>
<P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P>
<P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और
निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव
की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P>
<P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P>
<P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P>
<P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है
कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी
ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के
लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P>
<P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर
देती है ।<BR>–सुदर्शन </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P>
<P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है
और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P>
<P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>—
बेंजामिन फ्रैंकलिन</P>
<P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P>
<P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का
स्वागत करो ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P>
<P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>—
बोबी</P>
<P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर
दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P>
<P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे
, क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही
क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता
है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला
वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P>
<P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें
सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P>
<P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने
विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P>
<P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख
अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P>
<P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P>
<P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें
सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे
तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा,
क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक
सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P>
<P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों
में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते
हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P>
<P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़
सादी</P>
<P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P>
<P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P>
<P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P>
<P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया
जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>—
दीनानाथ दिनेश</P>
<P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की
पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P>
<P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P>
<P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है।
क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>-
मृच्छकटिक</P>
<P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की
अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>-
हितोपदेश</P>
<P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर
फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास /
वैराग्य</FONT></STRONG></P>
<P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो
संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P>
<P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P>
<P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का
मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही
अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता
है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का
है।<BR>- सांख्य दर्शन</P>
<P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार
करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम
बुद्ध (धम्मपद ७) </P>
<P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और
संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P>
<P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे
लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार /
प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P>
<P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P>
<P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय
परपीडनम् ॥</P>
<P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने
से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P>
<P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो
वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना
पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं
करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P>
<P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P>
<P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P>
<P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर
उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P>
<P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P>
<P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष
के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P>
<P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो
स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>-
उत्तररामचरित</P>
<P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण
अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P>
<P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ
पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P>
<P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित
होय ॥</P>
<P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P>
<P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी
लात ॥<BR>— रहीम</P>
<P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और
गुणवानो का बल क्षमा है ।</P>
<P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P>
<P><STRONG>सदाचार</STRONG></P>
<P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P>
<P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो
देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P>
<P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी
भवेत ॥</P>
<P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार
मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P>
<P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके
भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P>
<P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है
और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर
पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P>
<P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु ,
मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को ,
अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P>
<P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी)
|<BR>-– चार्ली चेपलिन</P>
<P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क
ऑरेलियस अन्तोनियस</P>
<P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों
की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P>
<P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ
वाल्डो इमर्सन</P>
<P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत
|<BR>-– हेनरी एडम्स</P>
<P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P>
<P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़.
जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों
चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास
होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P>
<P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं
हुआ है.</P>
<P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही
प्यासे होते जाते हैं.</P>
<P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- -
शेक्सपीयर</P>
<P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती
है |<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P>
<P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P>
<P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित
के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक
अभियान है।<BR>- ओशो </P>
<P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी
प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में
आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और
बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व
को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष
जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड
रसेल</P>
<P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है
कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी
चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि
जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर)
काव्यादर्श</P>
<P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति
दूर।।<BR>——रहीम</P>
<P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं
सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति
से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न
होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट
होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और
जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता
(अध्याय 2/62, 63)</P>
<P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और
दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P>
<P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह
नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P>
<P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं
हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P>
<P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ
उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P>
<P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P>
<P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत
रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P>
<P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध
</P>
<P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको
अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P>
<P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही
अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P>
<P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना
चाहिये ।<BR>— यशपाल </P>
<P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है
।<BR>— सावरकर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार
कौशल</FONT></STRONG></P>
<P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से
॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P>
<P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P>
<P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P>
<P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P>
<P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै
तरवारि।।<BR>—–रहीम</P>
<P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे
मीत ॥</P>
<P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P>
<P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या
परोस ॥</P>
<P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान
॥</P>
<P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय
॥</P>
<P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर
विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P>
<P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त
होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना
चाहिये । )</P>
<P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने
से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P>
<P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे
को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य
</P>
<P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P>
<P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं
।<BR>–रवीन्द्र </P>
<P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये
।<BR>— कुमार सम्भव</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P>
<P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P>
<P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P>
<P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में
रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P>
<P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण
ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P>
<P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह /
सपने देखना</FONT></STRONG></P>
<P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P>
<P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या
बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P>
<P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P>
<P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर
॥<BR>— कबीर</P>
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<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P>
<P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P>
<P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो
दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन
तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और
मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता
रहता है । ) </P>
<P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये
बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है
।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला
।</P>
<P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P>
<P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P>
<P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे
कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P>
<P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा
भावे</P>
<P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता /
पराधीनता</FONT></STRONG></P>
<P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P>
<P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P>
<P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P>
<P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से
तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P>
<P>नरक क्या है ? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता /
हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P>
<P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो
सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P>
<P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P>
<P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद
अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P>
<P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता।
वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही
कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो
बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P>
<P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के
अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी,
राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज
को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P>
<P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं
कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर
सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की
साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P>
<P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच
कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P>
<P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी
तुलसीदास</P>
<P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते
हो.</P>
<P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P>
<P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी
का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P>
<P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P>
<P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और
पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P>
<P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है
|<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P>
<P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P>
<P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे
ब्रेडबरी</P>
<P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P>
<P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड
शॉ</P>
<P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना
चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P>
<P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए
हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P>
<P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P>
<P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता
है.</P>
<P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की
।<BR>— जोसेफ एडिशन</P>
<P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं ; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>—
जोसेफ एडिशन</P>
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<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P>
<P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम
श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान
के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P>
<P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित
होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P>
<P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें
खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे
पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P>
<P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ
हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो
उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने
में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P>
<P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता
है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्मत</FONT></STRONG></P>
<P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P>
<P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा
आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>-
जे.बी. एस. हॉल्डेन</P>
<P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P>
<P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग
मेनडिनो</P>
<P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर
भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P>
<P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P>
<P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास
होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P>
<P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र
को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P>
<P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P>
<P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>—
विनोबा </P>
<P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>—
स्वामी विवेकाननद</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P>
<P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P>
<P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा
|<BR>– गुरु नानक देव</P>
<P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के
नाथ ॥</P>
<P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता
राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश
वाणी</FONT></STRONG></P>
<P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P>
<P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P>
<P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>—
कबीरदास</P>
<P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल
शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P>
<P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने
का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी
वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? )</P>
<P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P>
<P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P>
<P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P>
<P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय
॥</P>
<P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P>
<P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्
॥</P>
<P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय
वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P>
<P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P>
<P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा
कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P>
<P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P>
<P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप
आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P>
<P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट
रदरफ़र्ड</P>
<P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर
देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P>
<P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय
॥<BR>— कबीर</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व
चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P>
<P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य
अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा
गांधी</P>
<P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P>
<P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे
अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P>
<P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं
।<BR>— महर्षि चरक</P>
<P>को रुक् , को रुक् , को रुक् ?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन
स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम
खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P>
<P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी
हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P>
<P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस
वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का
चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P>
<P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P>
<P> </P>
<P> </P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P>
<P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P>
<P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P>
<P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P>
<P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ
पण्डित आधा छोड देता है ) </P>
<P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P>
<P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P>
<P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P>
<P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P>
<P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं
भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>—
भर्तृहरि</P>
<P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P>
<P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>—
बेन्जामिन</P>
<P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव
जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P>
<P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P>
<P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास
नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P>
<P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने
के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी
बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P>
<P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P>
<P>परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये
त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने
देता ।</P>
<P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P>
<P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P>
<P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-–
थियोडॉर रूज़वेल्ट</P>
<P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई
लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P>
<P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’
बनाया.</P>
<P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P>
<P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P>
<P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P>
<P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P>
<P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P>
<P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी
सूक्ति</P>
<P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस
ट्रुमेन</P>
<P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के
सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P>
<P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से
गुलाब की एक कली.</P>
<P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों
को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P>
<P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट
ग्रेव्स</P>
<P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा
क्या जा रहा है.</P>
<P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे
देखेंगी ?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P>
<P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी (
माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P>
<P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P>
<P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P>
<P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो
होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P>
<P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन,
कानपुर जिले के निवासी)</P>
<P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय
॥</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P>
<P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P>
<P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर
लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P>
<P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और
अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P>
<P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी
समदर्शी होते हैं ।</P>
<P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने
वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P>
<P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे
सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P>
<P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल
कर ॥<BR>— दाग</P>
<P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर
से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P>
<P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा
रामकुमार वर्मा </P>
<P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P>
<P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P>
<P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और
परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P>
<P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न
ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P>
<P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है
और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P>
<P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।
-महात्मा गांधी </P>
<P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती
है। - जयशंकर प्रसाद </P>
<P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते
हैं।<BR>–अज्ञात</P>
<P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात
</P>
<P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र
होते हैं। - सादी </P>
<P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन
अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P>
<P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद
करो। - अज्ञात </P>
<P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के
हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P>
<P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है।
यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P>
<P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं
चाहता है। -अज्ञात </P>
<P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास
रखता है। -रवीन्द्र </P>
<P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत
पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ
ठाकुर </P>
<P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते
हैं। -सत्यसांई बाबा </P>
<P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता
है। - प्रेमचंद </P>
<P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है
और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P>
<P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है ।
-मुक्ता </P>
<P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P>
<P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह
बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ
है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P>
<P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से
जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P>
<P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P>
<P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न
आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P>
<P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P>
<P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर
प्रसाद </P>
<P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में
खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं
-महर्षि अरविन्द </P>
<P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती
है। - विनोबा </P>
<P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन
और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P>
<P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को
प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री
अरविंद </P>
<P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी
स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P>
<P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि
</P>
<P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन
खिमेनेस</P>
<P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P>
<P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P>
<P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P>
<P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P>
<P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण
है , बल प्रयोग नहीं )</P>
<P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक
है । )</P>
<P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं
होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P>
<P>अङ्गुलिप्रवेशात् बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश
किया जता है । )</P>
<P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P>
<P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P>
<P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय
के चरती है । )</P>
<P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P>
<P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P>
<P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P>
<P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर
गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
<P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )
</P>
<P>सत्यं शिवं सुन्दरम्.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या
विचार को परखने की कसौटी ) )</P>
<P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
<P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )
</P>
<P>सत्यं शिवं सुन्दरम्.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या
विचार को परखने की कसौटी ) )</P>
<P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
<P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )
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<P>सत्यं शिवं सुन्दरम्.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या
विचार को परखने की कसौटी ) )</P>
<P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
<P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )
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<P>सत्यं शिवं सुन्दरम्.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या
विचार को परखने की कसौटी ) )</P>
<P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
<P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P>
<P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । )
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<P>सत्यं शिवं सुन्दरम्.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या
विचार को परखने की कसौटी ) )</P>
<P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P>
<P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को
प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P>
<P>मधुरेण समापयेत्.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना
चाहिये । )</P>
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3443
2005-10-28T01:46:16Z
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Gangleri
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Gangleri
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::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:hi:जर्मनी|जर्मनी]]
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Gangleri
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::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:hi:जर्मनी|जर्मनी]]
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Gangleri
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::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:hi:जर्मनी|जर्मनी]]
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Gangleri
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::* [irc://irc.freenode.net/wikimedia #wikimedia], [irc://irc.freenode.net/mediawiki #mediawiki], [irc://irc.freenode.net/wiktionary '''#wiktionary''']
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::* [[wikipedia:ps:User:Gangleri]]
::* [[wikipedia:ro:Utilizator:Gangleri]]
::* [[wikipedia:yi:באַניצער:Gangleri]]
::* '''[[meta:User:Gangleri]]'''
::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:hi:जर्मनी|जर्मनी]]
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Gangleri
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===== [[commons:User:Gangleri]] =====
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::* [irc://irc.freenode.net/wikimedia #wikimedia], [irc://irc.freenode.net/mediawiki #mediawiki], [irc://irc.freenode.net/wiktionary '''#wiktionary''']
::* [[wikipedia:de:Benutzer:Gangleri]]
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::* [[wikipedia:mi:User:Gangleri]]
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::* [[wikipedia:yi:באַניצער:Gangleri]]
::* '''[[meta:User:Gangleri]]'''
::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:hi:जर्मनी|जर्मनी]]
[[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]]
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Gangleri
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===== [[commons:User:Gangleri]] =====
[[Image:Redirect arrow without text.png|left]]
::* [irc://irc.freenode.net/wikimedia #wikimedia], [irc://irc.freenode.net/mediawiki #mediawiki], [irc://irc.freenode.net/wiktionary '''#wiktionary''']
::* [[wikipedia:de:Benutzer:Gangleri]]
::* [[wikipedia:en:User:Gangleri]]
::* [[wikipedia:eo:Vikipediisto:Gangleri]]
::* [[wikipedia:is:Notandi:Gangleri]]
::* [[wikipedia:mi:User:Gangleri]]
::* [[wikipedia:ps:User:Gangleri]]
::* [[wikipedia:ro:Utilizator:Gangleri]]
::* [[wikipedia:yi:באַניצער:Gangleri]]
::* '''[[meta:User:Gangleri]]'''
::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:hi:जर्मनी|जर्मनी]]
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::* ‎[irc://irc.freenode.net/wikipedia-balkan #wikipedia-balkan]
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<center>[[सदस्य:Gangleri|Gangleri]] | [[सदस्य_वार्ता:Gangleri|T]] | [[m:user:Gangleri|m:]] [http://meta.wikimedia.org/wiki/user_talk:Gangleri?action=history Th] | [[m:user talk:Gangleri|T]] 22:30, ४ मार्च २००६ (UTC)</center>
[[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]]
<!-- minor edit -->
3822
2006-03-06T14:44:50Z
Gangleri
13
+ [[project:task list]], +[[project:Welcome!]] +mail.wikipedia.org
{{babel-9|de|ro-2|ru-1|eo-3|yi-1|en-2|fr-1|is-1|hi-0}}
<font id="top" /><span dir="ltr" ><span class="plainlinks">'''{{DIRMARK}}[[w:हिन्दी|हिन्दी]]{{DIRMARK}} [http://bugzilla.wikimedia.org/buglist.cgi?query_format=advanced&long_desc_type=allwordssubstr&long_desc=Hindi&order=Bug+Number :]‎''' [[w:en:Hindi|Hindi]] [[wikt:en:Hindi#Translations|translations]] [[template:alphabet upper case|upper case]] [[template:alphabet lower case|lower case]] [[template:diacritics|diacritics]] [[template:special characters|special characters]] [[template:alphabet sort order|sort order]] [[template:alphabet sort order (extended)|(extended)]] [[template:numbers|numbers]]<br />'''[http://www.unicode.org/unicode/onlinedat/languages.html unicode.org]:''' [http://www.google.com/search?num=100&q=site%3Aunicode.org+%22Hindi%22 "Hindi"] [http://www.unicode.org/charts/PDF/U0900.pdf U0900.pdf (Devanagari)] [http://www.unicode.org/notes/tn1/Wissink-IndicCollation.pdf Issues in Indic Language Collation] [[project:task list|–]] [[w:project:Unicode|Unicode]] [[w:project:fonts|fonts]] [[w:project:Setting up your browser for Indic scripts|browser setup]] [[project:Welcome!|Welcome!]]<br />[[b:user:{{PAGENAME}}|b:]] [[commons:user:{{PAGENAME}}|c:]] [[commons:category:user hi|*]] [[m:user:{{PAGENAME}}|m:]] [[m:stewards|*]] [[n:user:{{PAGENAME}}|n:]] [[<!-- q: -->user:{{PAGENAME}}|q:]] [[s:user:{{PAGENAME}}|s:]] [http://test.wikipedia.org/wiki/user:{{PAGENAME}} t:] [[w:user:{{PAGENAME}}|w:]] [[wikt:user:{{PAGENAME}}|wikt:]] '''[[special:SiteMatrix#hi|?]]''' / [[:de:user:{{PAGENAME}}|de:]] [[:en:user:{{PAGENAME}}|en:]] [[:eo:user:{{PAGENAME}}|eo:]] [[:ro:user:{{PAGENAME}}|ro:]] [[:yi:user:{{PAGENAME}}|yi:]] [http://vs.aka-online.de/cgi-bin/globalwpsearch2.pl?project=wikiquote&timeout=120&minor=1&search=user:Gangleri +] [[commons:user:Gangleri/participation#wikipedia|++]] <sup>[{{localurl:commons:user:Gangleri/tests/interwiki links/template|action=edit}} e]</sup> / [http://bugzilla.wikimedia.org/buglist.cgi?query_format=advanced&emailassigned_to1=1&emailreporter1=1&emailcc1=1&emaillongdesc1=1&emailtype1=exact&email1=gangleri@torg.is&emailtype2=exact&order=Bug+Number MediaZilla] [[wikt:yi:user:Gangleri/tests/bugzilla|(→)]] / [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|action=purge}} ↺]
[{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|oldid={{REVISIONID}}}} rev-ID : {{REVISIONID}}]<br />
[[special:Prefixindex/user:Gangleri]] [[special:Prefixindex/user talk:Gangleri|T]] monobook [[user:{{PAGENAME}}/monobook.css|.css]] [[user:{{PAGENAME}}/monobook.js|.js]] [[:category:bugzilla|/]] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/ cvs] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/LanguageHi.php '''L'''] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/MessagesHi.php '''M'''] [http://mail.wikipedia.org/pipermail/mediawiki-cvs/ mail] [http://www.google.com/search?num=100&q=site%3Amail.wikipedia.org+%22Hindi%22 *] [[meta:Developers#shell|shell-dev's]] [irc://irc.freenode.net/wikimedia-tech #tech]<br />
[[special:Watchlist/edit|→]] '''{{SITENAME}}''' [[template:DIRMARK|:]]{{DIRMARK}} '''{{ns:project}}''' [[special:Listusers/sysop|:]] [[special:Version|version]] [[special:Allmessages|all messages]] [[MediaWiki:Monobook.css|Monobook.css]] [[MediaWiki:Monobook.js|Monobook.js]] [[template:wikivar|wikivar]] [[image:smiley.png|16px|;-)]]</span></span>
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__NOTOC____NOEDITSECTION__
===== [[commons:User:Gangleri]] =====
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::* ‎[irc://irc.freenode.net/wikipedia-balkan #wikipedia-balkan]
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::* [[wikipedia:en:User:Gangleri]]
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::* [[wikipedia:yi:באַניצער:Gangleri]]
::* '''[[meta:User:Gangleri]]''' [[meta:BiDi workgroup|BiDi workgroup]] [[meta:Special:Recentchangeslinked/Category:BiDi workgroup|'''?'''‎]]
::* <span class="plainlinks" >[http://test.wikipedia.org/wiki/User:Gangleri test:User:Gangleri]</span>
::* '''LTR:''' [[w:bh:user:Gangleri|w:bh:]], [[w:bn:user:Gangleri|w:bn:]], [[w:gu:user:Gangleri|w:gu:]], [[w:hi:user:Gangleri|w:hi:]], [[w:kn:user:Gangleri|w:kn:]], [[w:ml:user:Gangleri|w:ml:]], [[w:mr:user:Gangleri|w:mr:]], [[w:ne:user:Gangleri|w:ne:]], [[w:or:user:Gangleri|w:or:]], [[w:pa:user:Gangleri|w:pa:]], [[w:sa:user:Gangleri|w:sa:]], [[w:ta:user:Gangleri|w:ta:]], [[w:te:user:Gangleri|w:te:]]‎
::* '''RTL:''' [[w:ks:user:Gangleri|w:ks:]], [[w:yi:user:Gangleri|w:yi:]] ([[wikt:yi:user:Gangleri|wikt:yi:]])‎
::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:जर्मनी|जर्मनी]]
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[[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]]
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Template:Babel-9
1479
3741
2006-02-15T17:47:14Z
Gangleri
13
from [[w:template:Babel-9]]
<table style="float: right; margin-left: 1em; margin-bottom: 0.5em; width: 242px; border: #99B3FF solid 1px">
<tr><td><center>'''[[{{ns:project}}:Babel]]'''</center></td></tr>
<tr><td>{{User {{{1}}}}}</td></tr>
<tr><td>{{User {{{2}}}}}</td></tr>
<tr><td>{{User {{{3}}}}}</td></tr>
<tr><td>{{User {{{4}}}}}</td></tr>
<tr><td>{{User {{{5}}}}}</td></tr>
<tr><td>{{User {{{6}}}}}</td></tr>
<tr><td>{{User {{{7}}}}}</td></tr>
<tr><td>{{User {{{8}}}}}</td></tr>
<tr><td>{{User {{{9}}}}}</td></tr>
</table>
MediaWiki:Allmessagesfilter
1480
sysop
3748
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
Regular expression filter:
3824
2006-03-28T05:59:00Z
MediaWiki default
Message name filter:
MediaWiki:Allmessagesmodified
1481
sysop
3749
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
Show only modified
MediaWiki:Anoneditwarning
1482
sysop
3752
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
You are not logged in. Your IP address will be recorded in this page's edit history.
3875
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
'''Warning:''' You are not logged in. Your IP address will be recorded in this page's edit history.
MediaWiki:Anonnotice
1483
sysop
3753
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
-
MediaWiki:Confirmedittext
1484
sysop
3760
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
You must confirm your e-mail address before editing pages. Please set and validate your e-mail address through your [[Special:Preferences|user preferences]].
MediaWiki:Confirmedittitle
1485
sysop
3761
2006-02-26T01:48:40Z
MediaWiki default
E-mail confirmation required to edit
MediaWiki:Delete and move confirm
1486
sysop
3762
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
Yes, delete the page
MediaWiki:Exportnohistory
1487
sysop
3764
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
----
'''Note:''' exporting the full history of pages through this form has been disabled due to performance reasons.
3901
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
----
'''Note:''' Exporting the full history of pages through this form has been disabled due to performance reasons.
MediaWiki:Listredirects
1488
sysop
3771
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
List redirects
MediaWiki:Longpageerror
1489
sysop
3772
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
<strong>ERROR: The text you have submitted is $1 kilobytes
long, which is longer than the maximum of $2 kilobytes. It cannot be saved.</strong>
MediaWiki:Markedaspatrollederror
1490
sysop
3775
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
Cannot mark as patrolled
MediaWiki:Markedaspatrollederrortext
1491
sysop
3776
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
You need to specify a revision to mark as patrolled.
MediaWiki:Newtalkseperator
1492
sysop
3779
2006-02-26T01:48:41Z
MediaWiki default
,_
MediaWiki:Rc categories
1493
sysop
3789
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Limit to categories (separate with "|")
MediaWiki:Rc categories any
1494
sysop
3790
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Any
MediaWiki:Restriction-edit
1495
sysop
3791
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Edit
MediaWiki:Restriction-move
1496
sysop
3792
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Move
MediaWiki:Semiprotectedpagewarning
1497
sysop
3795
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
'''Note:''' This page has been locked so that only registered users can edit it.
MediaWiki:Showlivepreview
1498
sysop
3798
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Live preview
MediaWiki:Spam blanking
1499
sysop
3801
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
All revisions contained links to $1, blanking
MediaWiki:Spam reverting
1500
sysop
3802
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Reverting to last version not containing links to $1
MediaWiki:Spambot username
1501
sysop
3803
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
MediaWiki spam cleanup
MediaWiki:Thumbnail error
1502
sysop
3807
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Error creating thumbnail: $1
MediaWiki:Tog-uselivepreview
1503
sysop
3808
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
Use live preview (JavaScript) (Experimental)
MediaWiki:Uploaddisabledtext
1504
sysop
3811
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
File uploads are disabled on this wiki.
MediaWiki:Userinvalidcssjstitle
1505
sysop
3812
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
'''Warning:''' There is no skin "$1". Remember that custom .css and .js pages use a lowercase title, e.g. User:Foo/monobook.css as opposed to User:Foo/Monobook.css.
MediaWiki:Youhavenewmessagesmulti
1506
sysop
3816
2006-02-26T01:48:42Z
MediaWiki default
You have new messages on $1
Template:DIRMARK
1507
3817
2006-03-02T23:04:03Z
Gangleri
13
please protect this page against moves and edits - please read [[commons:Template talk:DIRMARK]]
‎
MediaWiki:Articletitles
1508
sysop
3825
2006-03-28T05:59:01Z
MediaWiki default
Articles starting with ''$1''
MediaWiki:Editsectionhint
1509
sysop
3826
2006-03-28T05:59:02Z
MediaWiki default
Edit section: $1
MediaWiki:Hideresults
1510
sysop
3828
2006-03-28T05:59:02Z
MediaWiki default
Hide results
MediaWiki:Missingcommenttext
1511
sysop
3831
2006-03-28T05:59:03Z
MediaWiki default
Please enter a comment below.
MediaWiki:Missingsummary
1512
sysop
3832
2006-03-28T05:59:03Z
MediaWiki default
'''Reminder:''' You have not provided an edit summary. If you click Save again, your edit will be saved without one.
MediaWiki:Rev-deleted-comment
1513
sysop
3834
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
(comment removed)
MediaWiki:Rev-deleted-text-permission
1514
sysop
3835
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
<div class="mw-warning plainlinks">
This page revision has been removed from the public archives.
There may be details in the [{{fullurl:Special:Log/delete|page={{PAGENAMEE}}}} deletion log].
</div>
MediaWiki:Rev-deleted-text-view
1515
sysop
3836
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
<div class="mw-warning plainlinks">
This page revision has been removed from the public archives.
As an administrator on this site you can view it;
there may be details in the [{{fullurl:Special:Log/delete|page={{PAGENAMEE}}}} deletion log].
</div>
MediaWiki:Rev-deleted-user
1516
sysop
3837
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
(username removed)
MediaWiki:Rev-delundel
1517
sysop
3838
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
show/hide
MediaWiki:Revdelete-hide-comment
1518
sysop
3839
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Hide edit comment
MediaWiki:Revdelete-hide-restricted
1519
sysop
3840
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Apply these restrictions to sysops as well as others
MediaWiki:Revdelete-hide-text
1520
sysop
3841
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Hide revision text
MediaWiki:Revdelete-hide-user
1521
sysop
3842
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Hide editor's username/IP
MediaWiki:Revdelete-legend
1522
sysop
3843
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Set revision restrictions:
MediaWiki:Revdelete-log
1523
sysop
3844
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Log comment:
MediaWiki:Revdelete-logentry
1524
sysop
3845
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
changed revision visibility for [[$1]]
MediaWiki:Revdelete-selected
1525
sysop
3846
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Selected revision of [[:$1]]:
MediaWiki:Revdelete-submit
1526
sysop
3847
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Apply to selected revision
MediaWiki:Revdelete-text
1527
sysop
3848
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Deleted revisions will still appear in the page history,
but their text contents will be inaccessible to the public.
Other admins on this wiki will still be able to access the hidden content and can
undelete it again through this same interface, unless an additional restriction
is placed by the site operators.
MediaWiki:Revisiondelete
1528
sysop
3849
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Delete/undelete revisions
MediaWiki:Searchcontaining
1529
sysop
3850
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Search for articles containing ''$1''.
MediaWiki:Searchnamed
1530
sysop
3851
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Search for articles named ''$1''.
MediaWiki:Tog-autopatrol
1531
sysop
3854
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Mark edits I make as patrolled
MediaWiki:Tog-forceeditsummary
1532
sysop
3855
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Prompt me when entering a blank edit summary
MediaWiki:Tog-watchcreations
1533
sysop
3856
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
Add pages I create to my watchlist
MediaWiki:Variantname-sr
1534
sysop
3859
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
sr
MediaWiki:Variantname-sr-ec
1535
sysop
3860
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
sr-ec
MediaWiki:Variantname-sr-el
1536
sysop
3861
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
sr-el
MediaWiki:Variantname-sr-jc
1537
sysop
3862
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
sr-jc
MediaWiki:Variantname-sr-jl
1538
sysop
3863
2006-03-28T05:59:04Z
MediaWiki default
sr-jl
MediaWiki:Common.css
1539
3865
2006-07-01T18:51:08Z
MediaWiki default
/** CSS placed here will be applied to all skins */
MediaWiki:Accesskey-watch
1540
3868
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
w
MediaWiki:Accountcreated
1541
3869
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Account created
MediaWiki:Accountcreatedtext
1542
3870
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
The user account for $1 has been created.
MediaWiki:Autoredircomment
1543
3877
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Redirecting to [[$1]]
MediaWiki:Blockededitsource
1544
3878
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
The text of '''your edits''' to '''$1''' is shown below:
MediaWiki:Blockedoriginalsource
1545
3879
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
The source of '''$1''' is shown below:
MediaWiki:Boteditletter
1546
3883
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
b
MediaWiki:Cannotundelete
1547
3884
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Undelete failed; someone else may have undeleted the page first.
MediaWiki:Catseparator
1548
3887
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
|
MediaWiki:Clearwatchlist
1549
3888
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
Clear watchlist
MediaWiki:Confirmemail needlogin
1550
3891
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
You need to $1 to confirm your email address.
MediaWiki:Displaytitle
1551
3895
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
(Link to this page as [[$1]])
MediaWiki:Editinginterface
1552
3896
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
'''Warning:''' You are editing a page which is used to provide interface text for the software. Changes to this page will affect the appearance of the user interface for other users.
MediaWiki:Editold
1553
3897
2006-07-01T18:51:09Z
MediaWiki default
edit
MediaWiki:Export-submit
1554
3900
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Export
MediaWiki:Feed-invalid
1555
3903
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Invalid subscription feed type.
MediaWiki:Filewasdeleted
1556
3904
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
A file of this name has been previously uploaded and subsequently deleted. You should check the $1 before proceeding to upload it again.
MediaWiki:Group
1557
3906
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Group:
MediaWiki:Group-all
1558
3907
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
(all)
MediaWiki:Group-bot
1559
3908
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Bots
MediaWiki:Group-bot-member
1560
3909
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Bot
MediaWiki:Group-bureaucrat
1561
3910
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Bureaucrats
MediaWiki:Group-bureaucrat-member
1562
3911
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Bureaucrat
MediaWiki:Group-steward
1563
3912
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Stewards
MediaWiki:Group-steward-member
1564
3913
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Steward
MediaWiki:Group-sysop
1565
3914
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Sysops
MediaWiki:Group-sysop-member
1566
3915
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Sysop
MediaWiki:Grouppage-bot
1567
3916
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
{{ns:project}}:Bots
MediaWiki:Grouppage-bureaucrat
1568
3917
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
{{ns:project}}:Bureaucrats
MediaWiki:Grouppage-sysop
1569
3918
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
{{ns:project}}:Administrators
MediaWiki:History-feed-description
1570
3919
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Revision history for this page on the wiki
MediaWiki:History-feed-empty
1571
3920
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
The requested page doesn't exist.
It may have been deleted from the wiki, or renamed.
Try [[Special:Search|searching on the wiki]] for relevant new pages.
MediaWiki:History-feed-item-nocomment
1572
3921
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 at $2
MediaWiki:History-feed-title
1573
3922
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Revision history
MediaWiki:Import-interwiki-history
1574
3924
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Copy all history versions for this page
MediaWiki:Import-interwiki-submit
1575
3925
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Import
MediaWiki:Import-interwiki-text
1576
3926
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Select a wiki and page title to import.
Revision dates and editors' names will be preserved.
All transwiki import actions are logged at the [[Special:Log/import|import log]].
MediaWiki:Import-logentry-interwiki
1577
3927
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
transwikied $1
MediaWiki:Import-logentry-interwiki-detail
1578
3928
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 revision(s) from $2
MediaWiki:Import-logentry-upload
1579
3929
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
imported $1 by file upload
4175
2006-10-25T18:15:21Z
MediaWiki default
26
imported [[$1]] by file upload
MediaWiki:Import-logentry-upload-detail
1580
3930
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 revision(s)
MediaWiki:Import-revision-count
1581
3931
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 revision(s)
4095
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
$1 {{PLURAL:$1|revision|revisions}}
MediaWiki:Importbadinterwiki
1582
3932
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Bad interwiki link
MediaWiki:Importcantopen
1583
3933
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Couldn't open import file
MediaWiki:Importlogpage
1584
3934
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Import log
MediaWiki:Importlogpagetext
1585
3935
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Administrative imports of pages with edit history from other wikis.
MediaWiki:Importnopages
1586
3936
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
No pages to import.
MediaWiki:Importstart
1587
3937
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Importing pages...
MediaWiki:Importunknownsource
1588
3938
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Unknown import source type
MediaWiki:Licenses
1589
3940
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
-
MediaWiki:Loginlanguagelabel
1590
3941
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Language: $1
MediaWiki:Loginlanguagelinks
1591
3942
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
* Deutsch|de
* English|en
* Esperanto|eo
* Français|fr
* Español|es
* Italiano|it
* Nederlands|nl
MediaWiki:Metadata help
1592
3946
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Metadata (see [[{{ns:project}}:Metadata]] for an explanation):
MediaWiki:Nmembers
1593
3952
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 {{PLURAL:$1|member|members}}
MediaWiki:Noexactmatch
1594
3955
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
'''There is no page titled "$1".''' You can [[:$1|create this page]].
MediaWiki:Nouserspecified
1595
3956
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
You have to specify a username.
MediaWiki:Nstab-project
1596
3958
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Project page
MediaWiki:Oldrevisionnavigation
1597
3960
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Revision as of $1; $5<br />$3 | $2 | $4
MediaWiki:Perfcachedts
1598
3963
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
The following data is cached, and was last updated $1.
MediaWiki:Prefs-watchlist
1599
3966
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Watchlist
MediaWiki:Prefs-watchlist-days
1600
3967
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Number of days to show in watchlist:
MediaWiki:Prefs-watchlist-edits
1601
3968
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Number of edits to show in expanded watchlist:
MediaWiki:Projectpage
1602
3970
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
मेटा पृष्ठ देखें
MediaWiki:Protectedinterface
1603
3972
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
This page provides interface text for the software, and is locked to prevent abuse.
MediaWiki:Randomredirect
1604
3977
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
Random redirect
MediaWiki:Rcshowhideanons
1605
3979
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 anonymous users
MediaWiki:Rcshowhidebots
1606
3980
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 bots
MediaWiki:Rcshowhideliu
1607
3981
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 logged-in users
MediaWiki:Rcshowhidemine
1608
3982
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 my edits
MediaWiki:Rcshowhideminor
1609
3983
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 minor edits
MediaWiki:Rcshowhidepatr
1610
3984
2006-07-01T18:51:10Z
MediaWiki default
$1 patrolled edits
MediaWiki:Rightslog
1611
3988
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
User rights log
MediaWiki:Rightslogentry
1612
3989
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
changed group membership for $1 from $2 to $3
MediaWiki:Rightsnone
1613
3990
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
(none)
MediaWiki:Session fail preview html
1614
3992
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
<strong>Sorry! We could not process your edit due to a loss of session data.</strong>
''Because this wiki has raw HTML enabled, the preview is hidden as a precaution against JavaScript attacks.''
<strong>If this is a legitimate edit attempt, please try again. If it still doesn't work, try logging out and logging back in.</strong>
MediaWiki:Sp-contributions-newbies-sub
1615
3993
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
For newbies
MediaWiki:Sp-contributions-newer
1616
3994
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Newer $1
MediaWiki:Sp-contributions-newest
1617
3995
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Newest
MediaWiki:Sp-contributions-older
1618
3996
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Older $1
MediaWiki:Sp-contributions-oldest
1619
3997
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Oldest
MediaWiki:Sp-newimages-showfrom
1620
3998
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Show new images starting from $1
MediaWiki:Tog-extendwatchlist
1621
4001
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Expand watchlist to show all applicable changes
MediaWiki:Tog-watchlisthidebots
1622
4002
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Hide bot edits from the watchlist
MediaWiki:Tog-watchlisthideown
1623
4003
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Hide my edits from the watchlist
MediaWiki:Unblocked
1624
4006
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
[[User:$1|$1]] has been unblocked
MediaWiki:Uncategorizedimages
1625
4007
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Uncategorized images
MediaWiki:Undeletecomment
1626
4010
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Comment:
MediaWiki:Undeletedfiles
1627
4011
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
$1 file(s) restored
MediaWiki:Undeletedpage
1628
4012
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
<big>'''$1 has been restored'''</big>
Consult the [[Special:Log/delete|deletion log]] for a record of recent deletions and restorations.
MediaWiki:Undeletedrevisions-files
1629
4013
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
$1 revisions and $2 file(s) restored
MediaWiki:Undeleteextrahelp
1630
4014
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
To restore the entire page, leave all checkboxes deselected and
click '''''Restore'''''. To perform a selective restoration, check the boxes corresponding to the
revisions to be restored, and click '''''Restore'''''. Clicking '''''Reset''''' will clear the
comment field and all checkboxes.
MediaWiki:Undeletereset
1631
4015
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Reset
MediaWiki:Unusedtemplates
1632
4016
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Unused templates
MediaWiki:Unusedtemplatestext
1633
4017
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
This page lists all pages in the template namespace which are not included in another page. Remember to check for other links to the templates before deleting them.
MediaWiki:Unusedtemplateswlh
1634
4018
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
other links
MediaWiki:Uploadnewversion-linktext
1635
4020
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Upload a new version of this file
MediaWiki:Viewsourcefor
1636
4022
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
for $1
MediaWiki:Watchlistanontext
1637
4024
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Please $1 to view or edit items on your watchlist.
MediaWiki:Watchlistclearbutton
1638
4025
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Clear watchlist
MediaWiki:Watchlistcleardone
1639
4026
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Your watchlist has been cleared. $1 items were removed.
4224
2006-10-25T18:15:36Z
MediaWiki default
26
Your watchlist has been cleared. {{PLURAL:$1|$1 item was|$1 items were}} removed.
MediaWiki:Watchlistcleartext
1640
4027
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Are you sure you wish to remove them?
MediaWiki:Watchlistcount
1641
4028
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
'''You have $1 items on your watchlist, including talk pages.'''
4225
2006-10-25T18:15:36Z
MediaWiki default
26
'''You have {{PLURAL:$1|$1 item|$1 items}} on your watchlist, including talk pages.'''
MediaWiki:Watchlistfor
1642
4029
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
(for '''$1''')
MediaWiki:Wldone
1643
4032
2006-07-01T18:51:11Z
MediaWiki default
Done.
फिल्मी
1644
4036
2006-08-11T15:17:38Z
Sanjaykha
22
'''फिल्मी संवाद'''
[[शोले]] [[पाकीजा]] [[जंजीर]] [[कुली]] [[मर्द]] [[डॉन]] [[दीवार]]
दीवार
1645
4037
2006-08-11T15:18:46Z
Sanjaykha
22
मेरे पास बंगला हैं, गाड़ी हैं, बैक बेलेंस हैं, तेरे पास क्या हैं ।
मेरे पास माँ हैं ।
शोले
1646
4038
2006-08-12T03:20:35Z
Sanjaykha
22
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
< [[फिल्मी]]
'''शोले'''
कितने आदमी थे?
वो दो थे, और तुम तीन । फिर भी खाली हाथ लौट आये ।
किनता इनाम रखे है, सरकार हम पर ।
यहाँ से पचास पचास गाँवो में, जब बच्चा नहीं सोता हैं, तो माँ कहती हैं - सो जा बेटा नहीं तो गब्बर आ जायेगा ।
बहुत नाइंसाफी हैं ।
अब तेरा क्या होगा कालिया ?
ये हाथ नहीं फाँसी का फंदा हैं ।
ये हाथ मुझे दे दे , ठाकुर ।
तेरे लिए तो मेरे पैर ही काफी हैं ।
बसंती , तेरा नाम क्या हैं ?
बसंती, इन कुत्तो के सामने मत नाचना ?
आधे दाये जाओ, आधे बाये , बाकी मेरे पीछे आओ ।
4153
2006-10-06T14:35:42Z
श्याम
25
कुछ और जोडे
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
< [[फिल्मी]]
'''शोले'''
*कितने आदमी थे?
*वो दो थे, और तुम तीन । फिर भी खाली हाथ लौट आये।
*किनता इनाम रखे है, सरकार हम पर।
*यहाँ से पचास पचास गाँवो में, जब बच्चा नहीं सोता हैं, तो माँ कहती हैं - सो जा बेटा नहीं तो गब्बर आ जायेगा।
*बहुत नाइंसाफी हैं।
*अब तेरा क्या होगा कालिया?
*ये हाथ नहीं फाँसी का फंदा हैं।
*ये हाथ मुझे दे दे , ठाकुर।
*तेरे लिए तो मेरे पैर ही काफी हैं।
*तेरा नाम क्या है, बसंती?
*बसंती, इन कुत्तो के सामने मत नाचना।
*आधे दाये जाओ, आधे बाये , बाकी मेरे पीछे आओ।
*हम अंग्र्जों के जमाने के जेलर हैं।
4240
2006-12-08T04:55:38Z
59.95.128.71
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
< [[फिल्मी]]
'''शोले'''
*कितने आदमी थे?
*वो दो थे, और तुम तीन । फिर भी खाली हाथ लौट आये।
*किनता इनाम रखे है, सरकार हम पर।
*यहाँ से पचास पचास गाँवो में, जब बच्चा नहीं सोता हैं, तो माँ कहती हैं - सो जा बेटा नहीं तो गब्बर आ जायेगा।
*बहुत नाइंसाफी हैं।
*अब तेरा क्या होगा कालिया?
*ये हाथ नहीं फाँसी का फंदा हैं।
*ये हाथ मुझे दे दे , ठाकुर।
*तेरे लिए तो मेरे पैर ही काफी हैं।
*त नाम क्या है, बसंती?
*बसंती, इन कुत्तो के सामने मत नाचना।
*आधे दाये जाओ, आधे बाये , बाकी मेरे पीछे आओ।
*हम अंग्र्जों के जमाने के जेलर हैं।
पाकीजा
1647
4039
2006-08-12T03:23:00Z
Sanjaykha
22
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
< [[फिल्मी]]
'''पाकीजा'''
आपके पाँव देखे, बहुत सुन्दर हैं । इन्हें जमीन मे मच रखना । मैले हो जायेगे ।
मर्द
1648
4040
2006-08-12T03:24:19Z
Sanjaykha
22
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
< [[फिल्मी]]
'''मर्द'''
मर्द को दर्द नहीं होता ।
स्वामी विवेकानन्द
1649
4042
2006-08-12T03:28:22Z
Sanjaykha
22
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
'''स्वामी विवेकानन्द'''
उठो, जागो और तब तक रुको नही जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये ।
नेता जी सुभाषचंद्र बोस
1650
4043
2006-08-12T03:29:35Z
Sanjaykha
22
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
'''नेता जी सुभाषचंद्र बोस'''
तुम मुझे खून दो, मै तुन्हे आजादी दूँगा ।
जय हिन्द
4151
2006-10-06T14:21:39Z
श्याम
25
दिल्ली चलो
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
'''नेता जी सुभाषचंद्र बोस'''
*तुम मुझे खून दो, मै तुन्हे आजादी दूँगा ।
*जय हिन्द ।
*दिल्ली चलो ।
लाल बहादुर शास्त्री
1651
4045
2006-08-12T03:31:05Z
Sanjaykha
22
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
'''लाल बहादुर शास्त्री'''
जय जवान, जय किसान।
प्रेमचंद
1652
4046
2006-08-12T03:32:59Z
Sanjaykha
22
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
'''प्रेमचंद'''
मै एक मजदूर हूँ । जिस दिन कुछ लिख न लूँ , उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।
महात्मा गाँधी
1653
4047
2006-08-12T03:39:22Z
Sanjaykha
22
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
'''महात्मा गाँधी'''
वे ईसाई हैं, इससे क्या हिन्दुस्तानी नहीं रहे ? और परदेशी बन गये ?
कितने ही नवयुवक शुरु में निर्दोष होते हुए भी झूठी शरम के कारण बुराई में फँस जाते होगे ।
जंजीर
1654
4048
2006-08-12T03:40:40Z
Sanjaykha
22
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
'''जंजीर'''
सारा शहर मुझे लायन के नाम से जानता हैं ।
डॉन
1655
4049
2006-08-12T03:42:00Z
Sanjaykha
22
<< [[मुख्य पृष्ठ]]
'''डॉन'''
सदस्य वार्ता:Sanjaykha
1656
4050
2006-08-12T03:46:18Z
Sanjaykha
22
[[image:sanjay.jpg]]
चित्र:Sanjay.jpg
1657
4051
2006-08-12T03:46:43Z
Sanjaykha
22
Sanjay Khatri
Sanjay Khatri
सदस्य:Sanjaykha
1658
4052
2006-08-12T03:47:48Z
Sanjaykha
22
[[imgae:sanjay.jpg]]
4053
2006-08-12T03:48:18Z
Sanjaykha
22
[[image:sanjay.jpg]]
MediaWiki:Allpagesbadtitle
1659
4062
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
The given page title was invalid or had an inter-language or inter-wiki prefix. It may contain one more characters which cannot be used in titles.
MediaWiki:Anononlyblock
1660
4063
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
anon. only
MediaWiki:April-gen
1661
4064
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
April
MediaWiki:Ascending abbrev
1662
4065
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
asc
MediaWiki:August-gen
1663
4066
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
August
MediaWiki:Badaccess-group0
1664
4067
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
You are not allowed to execute the action you have requested.
MediaWiki:Badaccess-group1
1665
4068
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
The action you have requested is limited to users in the group $1.
MediaWiki:Badaccess-group2
1666
4069
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
The action you have requested is limited to users in one of the groups $1.
MediaWiki:Badaccess-groups
1667
4070
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
The action you have requested is limited to users in one of the groups $1.
MediaWiki:Cantcreateaccounttext
1668
4072
2006-08-31T18:37:01Z
MediaWiki default
Account creation from this IP address (<b>$1</b>) has been blocked.
This is probably due to persistent vandalism from your school or Internet service
provider.
MediaWiki:Cantcreateaccounttitle
1669
4073
2006-08-31T18:37:02Z
MediaWiki default
Can't create account
MediaWiki:Categorypage
1670
4074
2006-08-31T18:37:02Z
MediaWiki default
View category page
MediaWiki:Confirmemail noemail
1671
4075
2006-08-31T18:37:02Z
MediaWiki default
You do not have a valid email address set in your [[Special:Preferences|user preferences]].
MediaWiki:Createaccountblock
1672
4076
2006-08-31T18:37:02Z
MediaWiki default
account creation blocked
MediaWiki:Databasenotlocked
1673
4077
2006-08-31T18:37:02Z
MediaWiki default
The database is not locked.
MediaWiki:December-gen
1674
4078
2006-08-31T18:37:02Z
MediaWiki default
December
MediaWiki:Descending abbrev
1675
4079
2006-08-31T18:37:02Z
MediaWiki default
desc
MediaWiki:February-gen
1676
4080
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
February
MediaWiki:Fri
1677
4081
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Fri
MediaWiki:Imagelist date
1678
4082
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Date
MediaWiki:Imagelist description
1679
4083
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Description
MediaWiki:Imagelist name
1680
4084
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Name
MediaWiki:Imagelist search for
1681
4085
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Search for image name:
MediaWiki:Imagelist size
1682
4086
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Size (bytes)
MediaWiki:Imagelist user
1683
4087
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
User
MediaWiki:Imgfile
1684
4088
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
file
MediaWiki:Imgmultigo
1685
4089
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Go!
MediaWiki:Imgmultigotopost
1686
4090
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
MediaWiki:Imgmultigotopre
1687
4091
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Go to page
MediaWiki:Imgmultipagenext
1688
4092
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
next page →
MediaWiki:Imgmultipageprev
1689
4093
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
← previous page
MediaWiki:Import-interwiki-namespace
1690
4094
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Transfer pages into namespace:
MediaWiki:Ipb already blocked
1691
4096
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
"$1" is already blocked
MediaWiki:Ipb cant unblock
1692
4097
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Error: Block ID $1 not found. It may have been unblocked already.
MediaWiki:Ipbanononly
1693
4098
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Block anonymous users only
MediaWiki:Ipbcreateaccount
1694
4099
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Prevent account creation
MediaWiki:January-gen
1695
4100
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
January
MediaWiki:July-gen
1696
4101
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
July
MediaWiki:June-gen
1697
4102
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
June
MediaWiki:Listusersfrom
1698
4104
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Display users starting at:
MediaWiki:Lockfilenotwritable
1699
4106
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
The database lock file is not writable. To lock or unlock the database, this needs to be writable by the web server.
MediaWiki:March-gen
1700
4107
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
March
MediaWiki:May-gen
1701
4108
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
May
MediaWiki:Mediawikipage
1702
4109
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
View message page
MediaWiki:Mon
1703
4110
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Mon
MediaWiki:Newpages-username
1704
4111
2006-08-31T18:37:03Z
MediaWiki default
Username:
MediaWiki:November-gen
1705
4114
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
November
MediaWiki:October-gen
1706
4115
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
October
MediaWiki:Old-revision-navigation
1707
4116
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Revision as of $1; $5<br />($6) $3 | $2 | $4 ($7)
MediaWiki:Sat
1708
4117
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Sat
MediaWiki:Searchbutton
1709
4118
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
खोज
MediaWiki:Searchsubtitle
1710
4119
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
You searched for '''[[:$1]]'''
MediaWiki:Searchsubtitleinvalid
1711
4120
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
You searched for '''$1'''
MediaWiki:September-gen
1712
4121
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
September
MediaWiki:Statistics-mostpopular
1713
4122
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Most viewed pages
MediaWiki:Sun
1714
4123
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Sun
MediaWiki:Table pager empty
1715
4124
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
No results
MediaWiki:Table pager first
1716
4125
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
First page
MediaWiki:Table pager last
1717
4126
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Last page
MediaWiki:Table pager limit
1718
4127
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Show $1 items per page
MediaWiki:Table pager limit submit
1719
4128
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Go
MediaWiki:Table pager next
1720
4129
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Next page
MediaWiki:Table pager prev
1721
4130
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Previous page
MediaWiki:Templatepage
1722
4131
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
View template page
MediaWiki:Thu
1723
4132
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Thu
MediaWiki:Tue
1724
4133
2006-08-31T18:37:04Z
MediaWiki default
Tue
MediaWiki:Upload source file
1725
4134
2006-08-31T18:37:05Z
MediaWiki default
(a file on your computer)
MediaWiki:Upload source url
1726
4135
2006-08-31T18:37:05Z
MediaWiki default
(a vaild, publicy accessible URL)
4215
2006-10-25T18:15:35Z
MediaWiki default
26
(a valid, publicly accessible URL)
MediaWiki:Viewhelppage
1727
4137
2006-08-31T18:37:05Z
MediaWiki default
View help page
MediaWiki:Viewpagelogs
1728
4138
2006-08-31T18:37:05Z
MediaWiki default
View logs for this page
MediaWiki:Wed
1729
4139
2006-08-31T18:37:05Z
MediaWiki default
Wed
गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित
1730
4141
2006-10-03T08:49:05Z
137.138.179.175
समरथ को नहिं दोश गोसांई
शठ सुधरहि सतसंगति पाई
परहित सरसि धरम नहि भाई
का बर्षा जब कृषी सुकानी
सिया राम मै सब जग जानी, करहुँ प्रणाम जोरि जुग पानी।
मुहावरा
1731
4144
2006-10-03T09:43:07Z
137.138.179.175
* सांच को आंच नहीं
* सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
* एक सुनार की सौ लोहार की
* उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
* नाच न आये आंगन टेढ़ा
* घर की मुर्गी दाल बराबर
* न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
* लकीर का फकीर
* कूप मण्डूक
* हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या
* मुख में राम बगल में छुरी
* आँख का अंधा नाम नयनसुख
संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल
1732
4147
2006-10-03T13:51:08Z
137.138.173.150
* [ http://subhashithani.blogspot.com/ सुभाषितानि नामकं ब्लागम् ]
* [ http://deva.indopedia.org/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AF:.html इन्डोपेडिया सूक्तय: ]
* [ http://indlinux.org/wiki/index.php/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF इण्डलिनक्स-स्थले सुभाषितानि ]
4148
2006-10-03T13:56:20Z
137.138.173.150
* [ http://subhashithani.blogspot.com/ सुभाषितानि नामकं ब्लागम् ]
* [ http://deva.indopedia.org/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AF:.html इन्डोपेडिया सूक्तय: ]
* [ http://indlinux.org/wiki/index.php/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF इण्डलिनक्स-स्थले सुभाषितानि ]
* [ http://sa.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF विकिपेडिया सुभाषितानि ]
सदस्य:श्याम
1733
4149
2006-10-04T22:26:30Z
श्याम
25
Name
मेरा नाम श्याम बिहारी अग्रवाल है ।
4150
2006-10-04T23:29:05Z
श्याम
25
अन्य विकि पृष्ट सम्मिलित किये
<div class="usermessage"><div class="plainlinks">'''[http://hi.wikiquote.org/w/wiki.phtml?title=%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE:%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE&action=edit§ion=new संदेश] भेजें| [[Special:Emailuser/श्याम|ई-मेल]] करें'''</div></div>
मेरा नाम श्याम बिहारी अग्रवाल है ।
== अन्य विकि सदस्य पृष्टों की सूची ==
*[[m:User:Urshyam]]
*[[Wikt:सदस्य:श्याम]]
*[[b:सदस्य:श्याम]]
*[[w:सदस्य:श्याम]]
*[[Wikisource:User:Shyam]]
4236
2006-11-23T11:24:36Z
श्याम
25
Add image
<div class="usermessage"><div class="plainlinks">'''[http://hi.wikiquote.org/w/wiki.phtml?title=%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE:%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE&action=edit§ion=new संदेश] भेजें| [[Special:Emailuser/श्याम|ई-मेल]] करें'''</div></div>
मेरा नाम श्याम बिहारी अग्रवाल है ।
[[Image:Shyam Bihari Agarwal.jpg|right|400px]]
== अन्य विकि सदस्य पृष्टों की सूची ==
*[[m:User:Urshyam]]
*[[Wikt:सदस्य:श्याम]]
*[[b:सदस्य:श्याम]]
*[[w:सदस्य:श्याम]]
*[[Wikisource:User:Shyam]]
बाल गंगाधर तिलक
1734
4152
2006-10-06T14:30:08Z
श्याम
25
स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, मैं इसे लेकर रहुंगा।
स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, मैं इसे लेकर रहुंगा।
MediaWiki:Allpages-summary
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2006-10-25T18:15:10Z
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2006-10-25T18:15:11Z
MediaWiki default
Your IP address is blocked from editing, and so
is not allowed to use the password recovery function to prevent abuse.
MediaWiki:Booksources-summary
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The following pages do not link to other pages in this wiki.
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Editing user <b>$1</b>
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MediaWiki default
अन्तिम परिवर्तन $2, $1.
MediaWiki:Lastmodifiedatby
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MediaWiki default
This page was last modified $2, $1 by $3.
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The following pages are not linked from other pages in this wiki.
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You have not specified target revision or revisions
to perform this function on.
MediaWiki:Revdelete-nooldid-title
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MediaWiki default
No target revision
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जायें
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A password reminder has already been sent, within the
last $1 hours. To prevent abuse, only one password reminder will be sent per
$1 hours.
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नीति के वचन
1790
4232
2006-11-09T11:27:16Z
137.138.173.150
अति सर्वत्र वर्जयेत(सब जगह अति करने से बचना चाहिये) <br/><br/>
अति का भला न बोलना, अतिकी भली न चूप । <br/>
अतिका भला न बरसना अतिकि भली न धूप । <br/><br/>
धर्म का तत्व समझो और उसे गुनो! जो अपने लिये प्रतिकूल हो, वैसा आचरण या व्यवहार दूसरों के साथ नहीं करना चाहिये। <br/>
(श्रूयताम धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चैवानुवर्यताम । <br/>
आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषाम न समाचरेत ।।) <br/><br/>
दुष्ट के साथ दुस्ष्टता का ही व्यवहार करना चाहिये। ( शठे शाठ्यम समाचरेत् ) <br/>
-- चाणक्य <br/>
रहीम
1791
4233
2006-11-20T15:05:49Z
श्याम
25
रहीम के दोहे
अब्दुल रहीम खान-ए-खाना (1556-1627) जो कि रहिमदासजी के नाम से भी जाने जाते थे, अकबर के विश्वासपात्र बैराम खान के पुत्र थे और भारतवर्ष के महानतम कवियों में से एक थे।
उनके कुछ प्रसिद्ध दोहे इस प्रकार हैं --
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोडो छटकाय।
टूटे से फिर ना जुडे, जुडे गान्ठ पड जाय॥
जो रहीम उत्तम प्रकृति का, करि सकत्त कुसंग।
चन्दन विष ब्यपत्त नहीं, लपटे रहत्त भुजंग॥
रहिमन देख बडेन को लघु न दीजिये डार।
जहां काम आवे सुई, कहा करै तलवार॥
सदस्य:Shyam
1792
4235
2006-11-20T15:12:25Z
श्याम
25
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#REDIRECT [[सदस्य:श्याम]]
हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन
1793
4237
2006-12-03T17:34:28Z
137.138.173.150
New page: 'राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।' - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार। <BR/> <BR/>...
'राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।' - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार। <BR/> <BR/>
'हिंदी का काम देश का काम है, समूचे राष्ट्रनिर्माण का प्रश्न है।' - बाबूराम सक्सेना। <BR/> <BR/>
'समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।' - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर।'हिंदी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा है।' - शंकरराव कप्पीकेरी। <BR/> <BR/>
'अकबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने जिस देशभाषा का स्वागत किया वह ब्रजभाषा थी, न कि उर्दू।' -रामचंद्र शुक्ल। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रभाषा हिंदी का किसी क्षेत्रीय भाषा से कोई संघर्ष नहीं है।' - अनंत गोपाल शेवड़े। <BR/> <BR/>
'दक्षिण की हिंदी विरोधी नीति वास्तव में दक्षिण की नहीं, बल्कि कुछ अंग्रेजी भक्तों की नीति है।' - के.सी. सारंगमठ। <BR/> <BR/>
'हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है।' - वी. कृष्णस्वामी अय्यर। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रीय एकता की कड़ी हिंदी ही जोड़ सकती है।' - बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'। <BR/> <BR/>
'विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।' - वाल्टर चेनिंग। <BR/> <BR/>
'हिंदी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये।' - बेरिस कल्यएव। <BR/> <BR/>
'अंग्रेजी सर पर ढोना डूब मरने के बराबर है।' - सम्पूर्णानंद। <BR/> <BR/>
'एखन जतोगुलि भाषा भारते प्रचलित आछे ताहार मध्ये भाषा सर्वत्रइ प्रचलित।' - केशवचंद्र सेन। <BR/> <BR/>
'देश को एक सूत्र में बाँधे रखने के लिए एक भाषा की आवश्यकता है।' - सेठ गोविंददास। <BR/> <BR/>
'इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/>
'समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिंदी या हिंदुस्तानी है।' -सर जार्ज ग्रियर्सन। <BR/> <BR/>
'मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर।' - चंद्रबली पांडेय। <BR/> <BR/>
'भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है।' - नलिनविलोचन शर्मा। <BR/> <BR/>
'जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी।' - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह। <BR/> <BR/>
'यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है।' - शिवनंदन सहाय। <BR/> <BR/>
'प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है।' - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह। <BR/> <BR/>
'अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई।' - भवानीदयाल संन्यासी। <BR/> <BR/>
'यह कैसे संभव हो सकता है कि अंग्रेजी भाषा समस्त भारत की मातृभाषा के समान हो जाये?' - चंद्रशेखर मिश्र। <BR/> <BR/>
'साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है।' - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा। <BR/> <BR/>
'जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है।' - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल। <BR/> <BR/>
'भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है।' - टी. माधवराव। <BR/> <BR/>
'हिंदी हिंद की, हिंदियों की भाषा है।' - र. रा. दिवाकर। <BR/> <BR/>
'यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं।' - राजेन्द्र प्रसाद। <BR/> <BR/>
'उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है।' - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'। <BR/> <BR/>
'समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है।' - जनार्दनप्रसाद झा 'द्विज'। <BR/> <BR/>
'मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/>
'शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है।' - शिवप्रसाद सितारेहिंद। <BR/> <BR/>
'हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है।' - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह। <BR/> <BR/>
'वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके।' - पीर मुहम्मद मूनिस। <BR/> <BR/>
'भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।' - शिवपूजन सहाय। <BR/> <BR/>
'चक्कवै दिली के अथक्क अकबर सोऊ, नरहर पालकी को आपने कँधा करै।' - बेनी कवि। <BR/> <BR/>
'यह निर्विवाद है कि हिंदुओं को उर्दू भाषा से कभी द्वेष नहीं रहा।' - ब्रजनंदन दास। <BR/> <BR/>
'देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है।' - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से प्रकाशित हो रही है।' - छविनाथ पांडेय। <BR/> <BR/>
'देवनागरी ध्वनिशास्त्र की दृष्टि से अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है।' - रविशंकर शुक्ल। <BR/> <BR/>
'हमारी नागरी दुनिया की सबसे अधिक वैज्ञानिक लिपि है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/>
'नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है।' - गोपाललाल खत्री। <BR/> <BR/>
'साहित्य का स्रोत जनता का जीवन है।' - गणेशशंकर विद्यार्थी। <BR/> <BR/>
'अंग्रेजी से भारत की रक्षा नहीं हो सकती।' - पं. कृ. पिल्लयार। <BR/> <BR/>
'उसी दिन मेरा जीवन सफल होगा जिस दिन मैं सारे भारतवासियों के साथ शुद्ध हिंदी में वार्तालाप करूँगा।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/>
'हिंदी के ऊपर आघात पहुँचाना हमारे प्राणधर्म पर आघात पहुँचाना है।' - जगन्नाथप्रसाद मिश्र। <BR/> <BR/>
'हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।' - देवव्रत शास्त्री। <BR/> <BR/>
'हिंदी और नागरी का प्रचार तथा विकास कोई भी रोक नहीं सकता'। - गोविन्दवल्लभ पंत। <BR/> <BR/>
'भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है।' - रविशंकर शुक्ल। <BR/> <BR/>
'किसी साहित्य की नकल पर कोई साहित्य तैयार नहीं होता।' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'। <BR/> <BR/>
'हार सरोज हिए है लसै मम ऐसी गुनागरी नागरी होय।' - ठाकुर त्रिभुवननाथ सिंह। <BR/> <BR/>
'भाषा ही से हृदयभाव जाना जाता है। शून्य किंतु प्रत्यक्ष हुआ सा दिखलाता है।' - माधव शुक्ल। <BR/> <BR/>
'संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।' - डॉ. फादर कामिल बुल्के। <BR/> <BR/>
'भाषा विचार की पोशाक है।' - डॉ. जानसन। <BR/> <BR/>
'रामचरित मानस हिंदी साहित्य का कोहनूर है।' - यशोदानंदन अखौरी। <BR/> <BR/>
'साहित्य के हर पथ पर हमारा कारवाँ तेजी से बढ़ता जा रहा है।' - रामवृक्ष बेनीपुरी। <BR/> <BR/>
'कवि संमेलन हिंदी प्रचार के बहुत उपयोगी साधन हैं।' - श्रीनारायण चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया।' - राजेंद्रप्रसाद। <BR/> <BR/>
'देवनागरी अक्षरों का कलात्मक सौंदर्य नष्ट करना कहाँ की बुद्धिमानी है?' - शिवपूजन सहाय। <BR/> <BR/>
'जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।' - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद। <BR/> <BR/>
'कविता कामिनि भाल में हिंदी बिंदी रूप, प्रकट अग्रवन में भई ब्रज के निकट अनूप।' - राधाचरण गोस्वामी। <BR/> <BR/>
'हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/>
'हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है।' - कमलापति त्रिपाठी। <BR/> <BR/>
'मैं उर्दू को हिंदी की एक शैली मात्र मानता।' - मनोरंजन प्रसाद। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषा को भारतीय जनता तथा संपूर्ण मानवता के लिये बहुत बड़ा उत्तरदायित्व सँभालना है।' - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या। <BR/> <BR/>
'नागरीप्रचारिणी सभा, काशी की हीरकजयंती के पावन अवसर पर उपस्थित न हो सकने का मुझे बड़ा खेद है।' - (प्रो.) तान युन् शान। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रभाषा हिंदी हो जाने पर भी हमारे व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन पर विदेशी भाषा का प्रभुत्व अत्यंत गर्हित बात है।' - कमलापति त्रिपाठी। <BR/> <BR/>
'सभ्य संसार के सारे विषय हमारे साहित्य में आ जाने की ओर हमारी सतत् चेष्टा रहनी चाहिए।' - श्रीधर पाठक। <BR/> <BR/>
'भारतवर्ष के लिए हिंदी भाषा ही सर्वसाधरण की भाषा होने के उपयुक्त है।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।' - धीरेन्द्र वर्मा। <BR/> <BR/>
'जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं।' - सेठ गोविंददास। <BR/> <BR/>
'कविता सुखी और उत्तम मनुष्यों के उत्तम और सुखमय क्षणों का उद्गार है।' - शेली। <BR/> <BR/>
'भाषा की समस्या का समाधान सांप्रदायिक दृष्टि से करना गलत है।' - लक्ष्मीनारायण 'सुधांशु'। <BR/> <BR/>
'भारतीय साहित्य और संस्कृति को हिंदी की देन बड़ी महत्त्वपूर्ण है।' - सम्पूर्णानन्द। <BR/> <BR/>
'हिंदी के पुराने साहित्य का पुनरुद्धार प्रत्येक साहित्यिक का पुनीत कर्तव्य है।' - पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल। <BR/> <BR/>
'परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें।' - हरगोविंद सिंह। <BR/> <BR/>
'अहिंदी भाषा-भाषी प्रांतों के लोग भी सरलता से टूटी-फूटी हिंदी बोलकर अपना काम चला लेते हैं।' - अनंतशयनम् आयंगार। <BR/> <BR/>
'वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/>
'दाहिनी हो पूर्ण करती है अभिलाषा पूज्य हिंदी भाषा हंसवाहिनी का अवतार है।' - अज्ञात। <BR/> <BR/>
'वास्तविक महान् व्यक्ति तीन बातों द्वारा जाना जाता है- योजना में उदारता, उसे पूरा करने में मनुष्यता और सफलता में संयम।' - बिस्मार्क। <BR/> <BR/>
'हिंदुस्तान की भाषा हिंदी है और उसका दृश्यरूप या उसकी लिपि सर्वगुणकारी नागरी ही है।' - गोपाललाल खत्री। <BR/> <BR/>
'कविता मानवता की उच्चतम अनुभूति की अभिव्यक्ति है।' - हजारी प्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/>
'हिंदी ही के द्वारा अखिल भारत का राष्ट्रनैतिक ऐक्य सुदृढ़ हो सकता है।' - भूदेव मुखर्जी। <BR/> <BR/>
'हिंदी का शिक्षण भारत में अनिवार्य ही होगा। ' - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या। <BR/> <BR/>
'हिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित है।' - नन्ददुलारे वाजपेयी। <BR/> <BR/>
अकबर की सभा में सूर के 'जसुदा बार-बार यह भाखै' पद पर बड़ा स्मरणीय विचार हुआ था।'- राधाचरण गोस्वामी। <BR/> <BR/>
'देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है।' - सुधाकर द्विवेदी। <BR/> <BR/>
'हिंदी साहित्य धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष इस चतु:पुरुषार्थ का साधक अतएव जनोपयोगी।' - (डॉ.) भगवानदास। <BR/> <BR/>
'हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/>
'वाणी, सभ्यता और देश की रक्षा करना सच्चा धर्म यज्ञ है।' - ठाकुरदत्त शर्मा। <BR/> <BR/>
'निष्काम कर्म ही सर्वोत्तम कार्य है, जो तृप्ति प्रदाता है और व्यक्ति और समाज की शक्ति बढ़ाता है।' - पंडित सुधाकर पांडेय। <BR/> <BR/>
'अब हिंदी ही माँ भारती हो गई है- वह सबकी आराध्य है, सबकी संपत्ति है।' - रविशंकर शुक्ल। <BR/> <BR/>
'बच्चों को विदेशी लिपि की शिक्षा देना उनको राष्ट्र के सच्चे प्रेम से वंचित करना है।' - भवानीदयाल संन्यासी। <BR/> <BR/>
'यहाँ (दिल्ली) के खुशबयानों ने मताहिद (गिनी चुनी) जबानों से अच्छे अच्छे लफ्ज निकाले और बाजे इबारतों और अल्फाज में तसर्रूफ (परिवर्तन) करके एक नई जवान पैदा की जिसका नाम उर्दू रखा है।' - दरियाये लताफत। <BR/> <BR/>
'भाषा और राष्ट्र में बड़ा घनिष्ट संबंध है।' - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह। <BR/> <BR/>
'अगर उर्दूवालों की नीति हिंदी के बहिष्कार की न होती तो आज लिपि के सिवा दोनों में कोई भेद न पाया जाता।' - देशरत्न डॉ. राजेंद्रप्रसाद। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषा की उन्नति का अर्थ है राष्ट्र और जाति की उन्नति।' - रामवृक्ष बेनीपुरी। <BR/> <BR/>
'बाजारवाली बोली विश्वविद्यालयों में काम नहीं दे सकती।' - संपूर्णानंद। <BR/> <BR/>
'भारतेंदु का साहित्य मातृमंदिर की अर्चना का साहित्य है।' - बदरीनाथ शर्मा। <BR/> <BR/>
'तलवार के बल से न कोई भाषा चलाई जा सकती है न मिटाई।' - शिवपूजन सहाय। <BR/> <BR/>
'अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिये ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता समझता है।' - महात्मा गाँधी। <BR/> <BR/>
'हिंदी को राजभाषा करने के बाद पूरे पंद्रह वर्ष तक अंग्रेजी का प्रयोग करना पीछे कदम हटाना है।'- राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन। <BR/> <BR/>
'भाषा राष्ट्रीय शरीर की आत्मा है।' - स्वामी भवानीदयाल संन्यासी। <BR/> <BR/>
'हिंदी के राष्ट्रभाषा होने से जहाँ हमें हर्षोल्लास है, वहीं हमारा उत्तरदायित्व भी बहुत बढ़ गया है।'- मथुरा प्रसाद दीक्षित। <BR/> <BR/>
'भारतवर्ष में सभी विद्याएँ सम्मिलित परिवार के समान पारस्परिक सद्भाव लेकर रहती आई हैं।'- रवींद्रनाथ ठाकुर। <BR/> <BR/>
'इतिहास को देखते हुए किसी को यह कहने का अधिकारी नहीं कि हिंदी का साहित्य जायसी के पहले का नहीं मिलता।' - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल। <BR/> <BR/>
'संप्रति जितनी भाषाएं भारत में प्रचलित हैं उनमें से हिंदी भाषा प्राय: सर्वत्र व्यवहृत होती है।' - केशवचंद्र सेन। <BR/> <BR/>
'हिंदी ने राष्ट्रभाषा के पद पर सिंहानसारूढ़ होने पर अपने ऊपर एक गौरवमय एवं गुरुतर उत्तरदायित्व लिया है।' - गोविंदबल्लभ पंत। <BR/> <BR/>
'हिंदी जिस दिन राजभाषा स्वीकृत की गई उसी दिन से सारा राजकाज हिंदी में चल सकता था।' - सेठ गोविंददास। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषी प्रदेश की जनता से वोट लेना और उनकी भाषा तथा साहित्य को गालियाँ देना कुछ नेताओं का दैनिक व्यवसाय है।' - (डॉ.) रामविलास शर्मा। <BR/> <BR/>
'जब एक बार यह निश्चय कर लिया गया कि सन् १९६५ से सब काम हिंदी में होगा, तब उसे अवश्य कार्यान्वित करना चाहिए।' - सेठ गोविंददास। <BR/> <BR/>
'साहित्यसेवा और धर्मसाधना पर्यायवायी है।' - (म. म.) सत्यनारायण शर्मा। <BR/> <BR/>
'जिसका मन चाहे वह हिंदी भाषा से हमारा दूर का संबंध बताये, मगर हम बिहारी तो हिंदी को ही अपनी भाषा, मातृभाषा मानते आए हैं।' - शिवनंदन सहाय। <BR/> <BR/>
'उर्दू का ढाँचा हिंदी है, लेकिन सत्तर पचहत्तर फीसदी उधार के शब्दों से उर्दू दाँ तक तंग आ गए हैं।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/>
'मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/>
'गद्य जीवनसंग्राम की भाषा है। इसमें बहुत कार्य करना है, समय थोड़ा है।' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'। <BR/> <BR/>
'अंग्रेजी हमें गूँगा और कूपमंडूक बना रही है।' - ब्रजभूषण पांडेय। <BR/> <BR/>
'लाखों की संख्या में छात्रों की उस पलटन से क्या लाभ जिनमें अंग्रेजी में एक प्रार्थनापत्र लिखने की भी क्षमता नहीं है।' - कंक। <BR/> <BR/>
'मैं राष्ट्र का प्रेम, राष्ट्र के भिन्न-भिन्न लोगों का प्रेम और राष्ट्रभाषा का प्रेम, इसमें कुछ भी फर्क नहीं देखता।' - र. रा. दिवाकर। <BR/> <BR/>
'देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता स्वयं सिद्ध है।' - महावीर प्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/>
'हिमालय से सतपुड़ा और अंबाला से पूर्णिया तक फैला हुआ प्रदेश हिंदी का प्रकृत प्रांत है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/>
'किसी राष्ट्र की राजभाषा वही भाषा हो सकती है जिसे उसके अधिकाधिक निवासी समझ सके।' - (आचार्य) चतुरसेन शास्त्री। <BR/> <BR/>
'साहित्य के इतिहास में काल विभाजन के लिए तत्कालीन प्रवृत्तियों को ही मानना न्यायसंगत है।' - अंबाप्रसाद सुमन। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषा हमारे लिये किसने बनाया? प्रकृति ने। हमारे लिये हिंदी प्रकृतिसिद्ध है।' - पं. गिरिधर शर्मा। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषा उस समुद्र जलराशि की तरह है जिसमें अनेक नदियाँ मिली हों।' - वासुदेवशरण अग्रवाल। <BR/> <BR/>
'भाषा देश की एकता का प्रधान साधन है।' - (आचार्य) चतुरसेन शास्त्री। <BR/> <BR/>
'क्रांतदर्शी होने के कारण ऋषि दयानंद ने देशोन्नति के लिये हिंदी भाषा को अपनाया था।' - विष्णुदेव पौद्दार। <BR/> <BR/>
'सच्चा राष्ट्रीय साहित्य राष्ट्रभाषा से उत्पन्न होता है।' - वाल्टर चेनिंग। <BR/> <BR/>
'हिंदी के पौधे को हिंदू मुसलमान दोनों ने सींचकर बड़ा किया है।' - जहूरबख्श। <BR/> <BR/>
'किसी लफ्ज के उर्दू न होने से मुराद है कि उर्दू में हुरूफ की कमी बेशी से वह खराद पर नहीं चढ़ा।' - सैयद इंशा अल्ला खाँ। <BR/> <BR/>
'अंग्रेजी का पद चिरस्थायी करना देश के लिये लज्जा की बात है' - संपूर्णानंद। <BR/> <BR/>
'हिंदी राष्ट्रभाषा है, इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को, प्रत्येक भारतवासी को इसे सीखना चाहिए।' - रविशंकर शुक्ल। <BR/> <BR/>
'हिंदी प्रांतीय भाषा नहीं बल्कि वह अंत:प्रांतीय राष्ट्रीय भाषा है।' - छविनाथ पांडेय। <BR/> <BR/>
'साहित्य को उच्च अवस्था पर ले जाना ही हमारा परम कर्तव्य है।' - पार्वती देवी। <BR/> <BR/>
'विश्व की कोई भी लिपि अपने वर्तमान रूप में नागरी लिपि के समान नहीं।' - चंद्रबली पांडेय। <BR/> <BR/>
'भाषा की एकता जाति की एकता को कायम रखती है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/>
'जिस राष्ट्र की जो भाषा है उसे हटाकर दूसरे देश की भाषा को सारी जनता पर नहीं थोपा जा सकता' - वासुदेवशरण अग्रवाल। <BR/> <BR/>
'पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्रगुना अच्छी है।' - अज्ञात। <BR/> <BR/>
'समाज के अभाव में आदमी की आदमियत की कल्पना नहीं की जा सकती।' - पं. सुधाकर पांडेय। <BR/> <BR/>
'तुलसी, कबीर, नानक ने जो लिखा है, उसे मैं पढ़ता हूँ तो कोई मुश्किल नहीं आती।' - मौलाना मुहम्मद अली। <BR/> <BR/>
'भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर।' - रामवृक्ष बेनीपुरी। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषी ही एक ऐसी भाषा है जो सभी प्रांतों की भाषा हो सकती है।' - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार। <BR/> <BR/>
'जब हम हिंदी की चर्चा करते हैं तो वह हिंदी संस्कृति का एक प्रतीक होती है।' - शांतानंद नाथ। <BR/> <BR/>
'भारतीय धर्म की है घोषणा घमंड भरी, हिंदी नहीं जाने उसे हिंदू नहीं जानिए।' - नाथूराम 'शंकर' शर्मा। <BR/> <BR/>
'राजनीति के चिंतापूर्ण आवेग में साहित्य की प्रेरणा शिथिल नहीं होनी चाहिए।' - राजकुमार वर्मा। <BR/> <BR/>
'हिंदी में जो गुण है उनमें से एक यह है कि हिंदी मर्दानी जबान है।' - सुनीति कुमार चाटुर्ज्या। <BR/> <BR/>
'स्पर्धा ही जीवन है, उसमें पीछे रहना जीवन की प्रगति खोना है।' - निराला। <BR/> <BR/>
'कविता हमारे परिपूर्ण क्षणों की वाणी है।' - सुमित्रानंदन पंत। <BR/> <BR/>
'बिना मातृभाषा की उन्नति के देश का गौरव कदापि वृद्धि को प्राप्त नहीं हो सकता।' - गोविंद शास्त्री दुगवेकर। <BR/> <BR/>
'उर्दू लिपि की अनुपयोगिता, भ्रामकता और कठोरता प्रमाणित हो चुकी है।' - रामरणविजय सिंह। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रभाषा राष्ट्रीयता का मुख्य अंश है।' - श्रीमती सौ. चि. रमणम्मा देव। <BR/> <BR/>
'बानी हिंदी भाषन की महरानी, चंद्र, सूर, तुलसी से जामें भए सुकवि लासानी।' - पं. जगन्नाथ चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'जय जय राष्ट्रभाषा जननि। जयति जय जय गुण उजागर राष्ट्रमंगलकरनि।' - देवी प्रसाद गुप्त। <BR/> <BR/>
'हिंदी हमारी हिंदू संस्कृति की वाणी ही तो है।' - शांतानंद नाथ। <BR/> <BR/>
'आज का लेखक विचारों और भावों के इतिहास की वह कड़ी है जिसके पीछे शताब्दियों की कड़ियाँ जुड़ी है।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'विज्ञान के बहुत से अंगों का मूल हमारे पुरातन साहित्य में निहित है।' - सूर्यनारायण व्यास। <BR/> <BR/>
'कोई कौम अपनी जबान के बगैर अच्छी तालीम नहीं हासिल कर सकती।' - सैयद अमीर अली 'मीर'। <BR/> <BR/>
'हिंदी और उर्दू में झगड़ने की बात ही नहीं है।' - ब्रजनंदन सहाय। <BR/> <BR/>
'कविता हृदय की मुक्त दशा का शाब्दिक विधान है।' - रामचंद्र शुक्ल। <BR/> <BR/>
'हमारी राष्ट्रभाषा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीयता का दृढ़ निर्माण है।' - चंद्रबली पांडेय। <BR/> <BR/>
'जिस शिक्षा से स्वाभिमान की वृत्ति जाग्रत नहीं होती वह शिक्षा किसी काम की नहीं।' - माधवराव सप्रे। <BR/> <BR/>
'कालोपयोगी कार्य न कर सकने पर महापुरुष बन सकना संभव नहीं है।' - सू. च. धर। <BR/> <BR/>
'मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।' - विनोबा भावे। <BR/> <BR/>
'आज का आविष्कार कल का साहित्य है।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'भाषा के सवाल में मजहब को दखल देने का कोई हक नहीं।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/>
'जब तक संघ शक्ति उत्पन्न न होगी तब तक प्रार्थना में कुछ जान नहीं हो सकती।' - माधव राव सप्रे। <BR/> <BR/>
'हिंदी विश्व की महान भाषा है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रीय एकता के लिये एक भाषा से कहीं बढ़कर आवश्यक एक लिपि का प्रचार होना है।' - ब्रजनंदन सहाय। <BR/> <BR/>
'जो ज्ञान तुमने संपादित किया है उसे वितरित करते रहो ओर सबको ज्ञानवान बनाकर छोड़ो।' - संत रामदास। <BR/> <BR/>
'पाँच मत उधर और पाँच मत इधर रहने से श्रेष्ठता नहीं आती।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'मैं मानती हूँ कि हिंदी प्रचार से राष्ट्र का ऐक्य जितना बढ़ सकता है वैसा बहुत कम चीजों से बढ़ सकेगा।' - लीलावती मुंशी। <BR/> <BR/>
'हिंदी उर्दू के नाम को दूर कीजिए एक भाषा बनाइए। सबको इसके लिए तैयार कीजिए।' - देवी प्रसाद गुप्त। <BR/> <BR/>
'साहित्यकार विश्वकर्मा की अपेक्षा कहीं अधिक सामर्थ्यशाली है।' - पं. वागीश्वर जी। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य को सर्वांगसुंदर बनाना हमारा कर्त्तव्य है।' - डॉ. राजेंद्रप्रसाद। <BR/> <BR/>
'हिंदी साहित्य की नकल पर कोई साहित्य तैयार नहीं होता।' - सूर्य कांत त्रिपाठी 'निराला'। <BR/> <BR/>
'भाषा के उत्थान में एक भाषा का होना आवश्यक है। इसलिये हिंदी सबकी साझा भाषा है।' - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार। <BR/> <BR/>
'यदि स्वदेशाभिमान सीखना है तो मछली से जो स्वदेश (पानी) के लिये तड़प तड़प कर जान दे देती है।' - सुभाषचंद्र बसु। <BR/> <BR/>
'पिछली शताब्दियों में संसार में जो राजनीतिक क्रांतियाँ हुई, प्राय: उनका सूत्रसंचालन उस देश के साहित्यकारों ने किया है।' - पं. वागीश्वर जी। <BR/> <BR/>
'विजयी राष्ट्रवाद अपने आपको दूसरे देशों का शोषण कर जीवित रखना चाहता है।' - बी. सी. जोशी। <BR/> <BR/>
'हिंदी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'यदि लिपि का बखेड़ा हट जाये तो हिंदी उर्दू में कोई विवाद ही न रहे।' - बृजनंदन सहाय। <BR/> <BR/>
'भारत सरस्वती का मुख संस्कृत है।' - म. म. रामावतार शर्मा। <BR/> <BR/>
'साधारण कथा कहानियों तथा बालोपयोगी कविता में संस्कृत के सामासिक शब्द लाने से उनके मूल उद्देश्य की सफलता में बाधा पड़ती है।' - रघुवरप्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/>
'यदि आप मुझे कुछ देना चाहती हों तो इस पाठशाला की शिक्षा का माध्यम हमारी मातृभाषा कर दें।' - एक फ्रांसीसी बालिका। <BR/> <BR/>
'निर्मल चरित्र ही मनुष्य का शृंगार है।' - पंडित सुधाकर पांडेय। <BR/> <BR/>
'हिंदुस्तान को छोड़कर दूसरे मध्य देशों में ऐसा कोई अन्य देश नहीं है, जहाँ कोई राष्ट्रभाषा नहीं हो।' - सैयद अमीर अली मीर। <BR/> <BR/>
'इतिहास में जो सत्य है वही अच्छा है और जो असत्य है वही बुरा है।' - जयचंद्र विद्यालंकार। <BR/> <BR/>
'सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिंदी महानतम स्थान रखती है।' - अमरनाथ झा। <BR/> <BR/>
'हिंदी सरल भाषा है। इसे अनायास सीखकर लोग अपना काम निकाल लेते हैं।' - जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'एक भाषा का प्रचार रहने पर केवल इसी के सहारे, यदि लिपिगत भिन्नता न हो तो, अन्यान्य राष्ट्र गठन के उपकरण आ जाने संभव हो सकते हैं।' - अयोध्याप्रसाद वर्मा। <BR/> <BR/>
'किसी भाषा की उन्नति का पता उसमें प्रकाशित हुई पुस्तकों की संख्या तथा उनके विषय के महत्व से जाना जा सकता है।' - गंगाप्रसाद अग्निहोत्री। <BR/> <BR/>
'जीवन के छोटे से छोटे क्षेत्र में हिंदी अपना दायित्व निभाने में समर्थ है।' - पुरुषोत्तमदास टंडन। <BR/> <BR/>
'बिहार में ऐसा एक भी गाँव नहीं है जहाँ केवल रामायण पढ़ने के लिये दस-बीस मनुष्यों ने हिंदी न सीखी हो।' - सकलनारायण पांडेय। <BR/> <BR/>
'संस्कृत की इशाअत (प्रचार) का एक बड़ा फायदा यह होगा कि हमारी मुल्की जबान (देशभाषा) वसीअ (व्यापक) हो जायगी।' - मौलवी महमूद अली। <BR/> <BR/>
'संसार में देश के नाम से भाषा को नाम दिया जाता है और वही भाषा वहाँ की राष्ट्रभाषा कहलाती है।' - ताराचंद्र दूबे। <BR/> <BR/>
'सर्वसाधारण पर जितना पद्य का प्रभाव पड़ता है उतना गद्य का नहीं।' - राजा कृत्यानंद सिंह। <BR/> <BR/>
'जो गुण साहित्य की जीवनी शक्ति के प्रधान सहायक होते हैं उनमें लेखकों की विचारशीलता प्रधान है।' - नरोत्तम व्यास। <BR/> <BR/>
'भाषा और भाव का परिवर्तन समाज की अवस्था और आचार विचार से अधिक संबंध रखता है।' - बदरीनाथ भट्ट। <BR/> <BR/>
'साहित्य पढ़ने से मुख्य दो बातें तो अवश्य प्राप्त होती हैं, अर्थात् मन की शक्तियों को विकास और ज्ञान पाने की लालसा।' - बिहारीलाल चौबे। <BR/> <BR/>
'देवनागरी और बंगला लिपियों को साथ मिलाकर देखना है।' - मन्नन द्विवेदी। <BR/> <BR/>
'है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरी भरी। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा और लिपि है नागरी।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/>
'संस्कृत की विरासत हिंदी को तो जन्म से ही मिली है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/>
'कैसे निज सोये भाग को कोई सकता है जगा, जो निज भाषा-अनुराग का अंकुर नहिं उर में उगा।' - हरिऔध। <BR/> <BR/>
'हिंदी में हम लिखें पढ़ें, हिंदी ही बोलें।' - पं. जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'जिस वस्तु की उपज अधिक होती है उसमें से बहुत सा भाग फेंक भी दिया जाता है। ग्रंथों के लिये भी ऐसा ही हिसाब है।' - गिरजाकुमार घोष। <BR/> <BR/>
'यह जो है कुरबान खुदा का, हिंदी करे बयान सदा का।' - अज्ञात। <BR/> <BR/>
'क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो।' - डॉ. श्यामसुंदर दास। <BR/> <BR/>
'बँगला वर्णमाला की जाँच से मालूम होता है कि देवनागरी लिपि से निकली है और इसी का सीधा सादा रूप है।' - रमेशचंद्र दत्त। <BR/> <BR/>
'वास्तव में वेश, भाषा आदि के बदलने का परिणाम यह होता है कि आत्मगौरव नष्ट हो जाता है, जिससे देश का जातित्व गुण मिट जाता है।' - सैयद अमीर अली 'मीर'। <BR/> <BR/>
'दूसरों की बोली की नकल करना भाषा के बदलने का एक कारण है।' - गिरींद्रमोहन मित्र। <BR/> <BR/>
'समालोचना ही साहित्य मार्ग की सुंदर सड़क है।' - म. म. गिरधर शर्मा चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'नागरी वर्णमाला के समान सर्वांगपूर्ण और वैज्ञानिक कोई दूसरी वर्णमाला नहीं है।' - बाबू राव विष्णु पराड़कर। <BR/> <BR/>
'अन्य देश की भाषा ने हमारे देश के आचार व्यवहार पर कैसा बुरा प्रभाव डाला है।' - अनादिधन वंद्योपाध्याय। <BR/> <BR/>
'व्याकरण चाहे जितना विशाल बने परंतु भाषा का पूरा-पूरा समाधान उसमें नहीं हो सकता।' - अनंतराम त्रिपाठी। <BR/> <BR/>
'स्वदेशप्रेम, स्वधर्मभक्ति और स्वावलंबन आदि ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक मनुष्य में होने चाहिए।' - रामजी लाल शर्मा। <BR/> <BR/>
'गुणवान 'खानखाना' सदृश प्रेमी हो गए 'रसखान' और 'रसलीन' से हिंदी प्रेमी हो गए।' - राय देवीप्रसाद। <BR/> <BR/>
'वैज्ञानिक विचारों के पारिभाषिक शब्दों के लिये, किसी विषय के उच्च भावों के लिये, संस्कृत साहित्य की सहायता लेना कोई शर्म की बात नहीं है।' - गणपति जानकीराम दूबे। <BR/> <BR/>
'हिंदुस्तान के लिये देवनागरी लिपि का ही व्यवहार होना चाहिए, रोमन लिपि का व्यवहार यहाँ हो ही नहीं सकता।' - महात्मा गाँधी। <BR/> <BR/>
'अभिमान सौंदर्य का कटाक्ष है।' - अज्ञात। <BR/> <BR/>
'कवि का हृदय कोमल होता है।' - गिरिजाकुमार घोष। <BR/> <BR/>
'श्री रामायण और महाभारत भारत के ही नहीं वरन् पृथ्वी भर के जैसे अमूल्य महाकाव्य हैं।' - शैलजाकुमार घोष। <BR/> <BR/>
'हिंदी किसी के मिटाने से मिट नहीं सकती।' - चंद्रबली पाण्डेय। <BR/> <BR/>
'भाषा की उन्नति का पता मुद्रणालयों से भी लग सकता है।' - गंगाप्रसाद अग्निहोत्री। <BR/> <BR/>
'पुस्तक की उपयोगिता को चिरस्थायी रखने के लिए उसे भावी संतानों के लिये पथप्रदर्शक बनाने के लिये यह आवश्यक है कि पुस्तक के असली लेखक का नाम उस पर रहे।' - सत्यदेव परिव्राजक। <BR/> <BR/>
'खड़ी बोली का एक रूपांतर उर्दू है।' - बदरीनाथ भट्ट। <BR/> <BR/>
'भारतवर्ष मनुष्य जाति का गुरु है।' - विनयकुमार सरकार। <BR/> <BR/>
'हमारी भारत भारती की शैशवावस्था का रूप ब्राह्मी या देववाणी है, उसकी किशोरावस्था वैदिक भाषा और संस्कृति उसकी यौवनावस्था की संुदर मनोहर छटा है।' - बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमधन'। <BR/> <BR/>
'हृतंत्री की तान पर नीरव गान गाने से न किसी के प्रति किसी की अनुकम्पा जगती है और न कोई किसी का उपकार करने पर ही उतारू होता है।' - रामचंद्र शुक्ल। <BR/> <BR/>
'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।' - भारतेंदू हरिश्चंद्र। <BR/> <BR/>
'आर्यों की सबसे प्राचीन भाषा हिंदी ही है और इसमें तद्भव शब्द सभी भाषाओं से अधिक है।' - वीम्स साहब। <BR/> <BR/>
'क्यों न वह फिर रास्ते पर ठीक चलने से डिगे , हैं बहुत से रोग जिसके एक ही दिल में लगे।' - हरिऔध। <BR/> <BR/>
'जब तक साहित्य की उन्नति न होगी, तब तक संगीत की उन्नति नहीं हो सकती।' - विष्णु दिगंबर। <BR/> <BR/>
'जो पढ़ा-लिखा नहीं है - जो शिक्षित नहीं है वह किसी भी काम को भली-भाँति नहीं कर सकता।' - गोपाललाल खत्री। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है।' - महात्मा गाँधी। <BR/> <BR/>
'जिस प्रकार बंगाल भाषा के द्वारा बंगाल में एकता का पौधा प्रफुल्लित हुआ है उसी प्रकार हिंदी भाषा के साधारण भाषा होने से समस्त भारतवासियों में एकता तरु की कलियाँ अवश्य ही खिलेंगी।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/>
'इतिहास स्वदेशाभिमान सिखाने का साधन है।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/>
'जो दिखा सके वही दर्शन शास्त्र है नहीं तो वह अंधशास्त्र है।' - डॉ. भगवानादास। <BR/> <BR/>
'विदेशी लोगों का अनुकरण न किया जाय।' - भीमसेन शर्मा। <BR/> <BR/>
'भारतवर्ष के लिये देवनागरी साधारण लिपि हो सकती है और हिंदी भाषा ही सर्वसाधारण की भाषा होने के उपयुक्त है।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/>
'अकबर का शांत राज्य हमारी भाषा का मानो स्वर्णमय युग था।' - छोटूलाल मिश्र। <BR/> <BR/>
'नाटक का जितना ऊँचा दरजा है, उपन्यास उससे सूत भर भी नीचे नहीं है।' - गोपालदास गहमरी। <BR/> <BR/>
'किसी भी बृहत् कोश में साहित्य की सब शाखाओं के शब्द होने चाहिए।' - महावीर प्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/>
'जो कुछ भी नजर आता है वह जमीन और आसमान की गोद में उतना सुंदर नहीं जितना नजर में है।' - 'निराला'। <BR/> <BR/>
'देव, जगदेव, देश जाति की सुखद प्यारी, जग में गुणगरी सुनागरी हमारी है।' - 'चकोर'। <BR/> <BR/>
'शिक्षा का मुख्य तात्पर्य मानसिक उन्नति है।' - पं. रामनारायण मिश्र। <BR/> <BR/>
'भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हिंदी भाषा कुछ न कुछ सर्वत्र समझी जाती है।' - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार। <BR/> <BR/>
'जापानियों ने जिस ढंग से विदेशी भाषाएँ सीखकर अपनी मातृभाषा को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया है उसी प्रकार हमें भी मातृभाषा का भक्त होना चाहिए।' - श्यामसुंदर दास। <BR/> <BR/>
'विचारों का परिपक्व होना भी उसी समय संभव होता है, जब शिक्षा का माध्यम प्रकृतिसिद्ध मातृभाषा हो।' - पं. गिरधर शर्मा। <BR/> <BR/>
'विज्ञान को विज्ञान तभी कह सकते हैं जब वह शरीर, मन और आत्मा की भूख मिटाने की पूरी ताकत रखता हो।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/>
'यह महात्मा गाँधी का प्रताप है, जिनकी मातृभाषा गुजराती है पर हिंदी को राष्ट्रभाषा जानकर जो उसे अपने प्रेम से सींच रहे हैं।' - लक्ष्मण नारायण गर्दे। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषा के लिये मेरा प्रेम सब हिंदी प्रेमी जानते हैं।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/>
'सब विषयों के गुण-दोष सबकी दृष्टि में झटपट तो नहीं आ जाते।' - म. म. गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'किसी देश में ग्रंथ बनने तक वैदेशिक भाषा में शिक्षा नहीं होती थी। देश भाषाओं में शिक्षा होने के कारण स्वयं ग्रंथ बनते गए हैं।' - साहित्याचार्य रामावतार शर्मा। <BR/> <BR/>
'जो भाषा सामयिक दूसरी भाषाओं से सहायता नहीं लेती वह बहुत काल तक जीवित नहीं रह सकती।' - पांडेय रामवतार शर्मा। <BR/> <BR/>
'नागरीप्रचारिणी सभा के गुण भारी जिन तेरों देवनागरी प्रचार करिदीनो है।' - नाथूराम शंकर शर्मा। <BR/> <BR/>
'जितना और जैसा ज्ञान विद्यार्थियों को उनकी जन्मभाषा में शिक्षा देने से अल्पकाल में हो सकता है; उतना और वैसा पराई भाषा में सुदीर्घ काल में भी होना संभव नहीं है।' - घनश्याम सिंह। <BR/> <BR/>
'विदेशी भाषा में शिक्षा होने के कारण हमारी बुद्धि भी विदेशी हो गई है।' - माधवराव सप्रे। <BR/> <BR/>
'मैं महाराष्ट्री हूँ, परंतु हिंदी के विषय में मुझे उतना ही अभिमान है जितना किसी हिंदी भाषी को हो सकता है।' - माधवराव सप्रे। <BR/> <BR/>
'मनुष्य सदा अपनी मातृभाषा में ही विचार करता है। इसलिये अपनी भाषा सीखने में जो सुगमता होती है दूसरी भाषा में हमको वह सुगमता नहीं हो सकती।' - डॉ. मुकुन्दस्वरूप वर्मा। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रीयता का भाषा और साहित्य के साथ बहुत ही घनिष्ट और गहरा संबंध है।' - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद। <BR/> <BR/>
'यदि हम अंग्रेजी दूसरी भाषा के समान पढ़ें तो हमारे ज्ञान की अधिक वृद्धि हो सकती है।' - जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'स्वतंत्रता की कोख से ही आलोचना का जन्म है।' - मोहनलाल महतो वियोगी। <BR/> <BR/>
'युग के साथ न चल सकने पर महात्माओं का महत्त्व भी म्लान हो उठता है।' - सु. च. धर। <BR/> <BR/>
'हिंदी पर ना मारो ताना, सभा बतावे हिंदी माना।' - नूर मुहम्मद। <BR/> <BR/>
'आप जिस तरह बोलते हैं, बातचीत करते हैं, उसी तरह लिखा भी कीजिए। भाषा बनावटी न होनी चाहिए।' - महावीर प्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/>
'हिंदी भाषा की उन्नति के बिना हमारी उन्नति असम्भव है।' - गिरधर शर्मा। <BR/> <BR/>
'भाषा ही राष्ट्र का जीवन है।' - पुरुषोत्तमदास टंडन। <BR/> <BR/>
'देह प्राण का ज्यों घनिष्ट संबंध अधिकतर। है तिससे भी अधिक देशभाषा का गुरुतर।' - माधव शुक्ल। <BR/> <BR/>
'जब हम अपना जीवन जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दें तब हम हिंदी के प्रेमी कहे जा सकते हैं।' - गोविन्ददास। <BR/> <BR/>
'नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है।' - गोपाललाल खत्री। <BR/> <BR/>
'देश तथा जाति का उपकार उसके बालक तभी कर सकते हैं, जब उन्हें उनकी भाषा द्वारा शिक्षा मिली हो।' - पं. गिरधर शर्मा। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रभाषा की साधना कोरी भावुकता नहीं है।' - जगन्नाथप्रसाद मिश्र। <BR/> <BR/>
'साहित्य को स्वैर संचा करने की इजाजत न किसी युग में रही होगी न वर्तमान युग में मिल सकती है।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'अंग्रेजी सीखकर जिन्होंने विशिष्टता प्राप्त की है, सर्वसाधारण के साथ उनके मत का मेल नहीं होता। हमारे देश में सबसे बढ़कर जातिभेद वही है, श्रेणियों में परस्पर अस्पृश्यता इसी का नाम है।' - रवीन्द्रनाथ ठाकुर। <BR/> <BR/>
'साहित्य की सेवा भगवान का कार्य है, आप काम में लग जाइए आपको भगवान की सहायता प्राप्त होगी और आपके मनोरथ परिपूर्ण होंगे।' - चंद्रशेखर मिश्र। <BR/> <BR/>
'सब से जीवित रचना वह है जिसे पढ़ने से प्रतीत हो कि लेखक ने अंतर से सब कुछ फूल सा प्रस्फुटित किया है।' - शरच्चंद। <BR/> <BR/>
'सिक्ख गुरुओं ने आपातकाल में हिंदी की रक्षा के लिये ही गुरुमुखी रची थी।' - संतराम शर्मा। <BR/> <BR/>
'हिंदी जैसी सरल भाषा दूसरी नहीं है।' - मौलाना हसरत मोहानी। <BR/> <BR/>
'ऐसे आदमी आज भी हमारे देश में मौजूद हैं जो समझते हैं कि शिक्षा को मातृभाषा के आसन पर बिठा देने से उसकी कीमत ही घट जायेगी।' - रवीन्द्रनाथ ठाकुर। <BR/> <BR/>
'लोकोपकारी विषयों को आदर देने वाली नवीन प्रथा का स्थिर हो जाना ही एक बहुत बड़ा उत्साहप्रद कार्य है।' - मिश्रबंधु। <BR/> <BR/>
'हमारे साहित्य को कामधेनु बनाना है।' - चंद्रबली पांडेय। <BR/> <BR/>
'भारत के विभिन्न प्रदेशों के बीच हिंदी प्रचार द्वारा एकता स्थापित करने वाले सच्चे भारत बंधु हैं।' - अरविंद। <BR/> <BR/>
'हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय-हृदय से बातचीत करता है।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/>
'मेरा आग्रहपूर्वक कथन है कि अपनी सारी मानसिक शक्ति हिन्दी के अध्ययन में लगावें।' - विनोबा भावे। <BR/> <BR/>
'साहित्यिक इस बात को कभी न भूले कि एक ख्याल ही क्रिया का स्वामी है, उसे बढ़ाने, घटाने या ठुकरा देनेवाला।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/>
'एशिया के कितने ही राष्ट्र आज यूरोपीय राष्ट्रों के चंगुल से छूट गए हैं पर उनकी आर्थिक दासता आज भी टिकी हुई है।' - वी. सी. जोशी। <BR/> <BR/>
'हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।' - स्वामी दयानंद। <BR/> <BR/>
'इस पथ का उद्देश्य नहीं है, श्रांत भवन में टिक रहना।' - जयशंकर प्रसाद। <BR/> <BR/>
'विद्या अच्छे दिनों में आभूषण है, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित सामग्री है।' - अरस्तु। <BR/> <BR/>
'अधिक अनुभव, अधिक विपत्ति सहना, और अधिक अध्ययन, ये ही विद्वता के तीन स्तंभ हैं।' - डिजरायली। <BR/> <BR/>
'जैसे-जैसे हमारे देश में राष्ट्रीयता का भाव बढ़ता जायेगा वैसे ही वैसे हिंदी की राष्ट्रीय सत्ता भी बढ़ेगी।' - श्रीमती लोकसुन्दरी रामन् । <BR/> <BR/>
'शब्दे मारिया मर गया शब्दे छोड़ा राज। जे नर शब्द पिछानिया ताका सरिया काज।' - कबीर। <BR/> <BR/>
'यदि स्वदेशाभिमान सीखना है तो मछली से जो स्वदेश (पानी) के लिये तड़प-तड़पकर जान दे देती है।' - सुभाषचन्द्र बसु। <BR/> <BR/>
'प्रसिद्धि का भीतरी अर्थ यशविस्तार नहीं, विषय पर अच्छी सिद्धि पाना है।' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'। <BR/> <BR/>
'सरस्वती से श्रेष्ठ कोई वैद्य नहीं और उसकी साधना से बढ़कर कोई दवा नहीं है।' - एक जपानी सूक्ति। <BR/> <BR/>
'संस्कृत प्राकृत से संबंध विच्छेद कदापि श्रेयस्कर नहीं।' - यशेदानंदन अखौरी। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिये आवश्यक है।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/>
'शिक्षा का प्रचार और विद्या की उन्नति इसलिये अपेक्षित है कि जिससे हमारे -'स्वत्व' का रक्षण हो।' - माधवराव सप्रे। <BR/> <BR/>
'विधान भी स्याही का एक बिन्दु गिराकर भाग्यलिपि पर कालिमा चढ़ा देता है।' - जयशंकर प्रसाद। <BR/> <BR/>
'जीवित भाषा बहती नदी है जिसकी धारा नित्य एक ही मार्ग से प्रवाहित नहीं होती।' - बाबूराव विष्णु पराड़कर। <BR/> <BR/>
'वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/>
'हिन्दी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/>
'पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्त्र गुना अच्छी है।' - अज्ञात। <BR/> <BR/>
'कलाकार अपनी प्रवृत्तियों से भी विशाल हैं। उसकी भावराशि अथाह और अचिंत्य है।' - मैक्सिम गोर्की। <BR/> <BR/>
'कला का सत्य जीवन की परिधि में सौन्दर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखंड सत्य है।' - महादेवी वर्मा। <BR/> <BR/>
'क्षण प्रति-क्षण जो नवीन दिखाई पड़े वही रमणीयता का उत्कृष्ट रूप है।' - माघ। <BR/> <BR/>
'प्रसन्नता न हमारे अंदर है न बाहर वरन् वह हमारा ईश्वर के साथ ऐक्य है।' - पास्कल। <BR/> <BR/>
'हिन्दी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।' - धीरेन्द्र वर्मा। <BR/> <BR/>
'साहित्यकार एक दीपक के समान है जो जलकर केवल दूसरों को ही प्रकाश देता है।' - अज्ञात। <BR/> <BR/>
'बिना मातृभाषा की उन्नति के देश का गौरव कदापि वृद्धि को प्राप्त नहीं हो सकता।' - गोविन्द शास्त्री दुगवेकर। <BR/> <BR/>
'विधाता कर्मानुसार संसार का निर्माण करता है किन्तु साहित्यकार इस प्रकार के बंधनों से ऊपर है।' - बागीश्वरजी। <BR/> <BR/>
'श्रद्धा महत्व की आनंदपूर्ण स्वीकृति के साथ-साथ पूज्य बुद्धि का संचार है।' - रामचंद्र शुक्ल। <BR/> <BR/>
'कविता सुखी और उत्तम मनुष्यों के उत्तम और सुखमय क्षणों का उद्गार है।' - शेली। <BR/> <BR/>
'भय ही पराधीनता है, निर्भयता ही स्वराज्य है।' - प्रेमचंद। <BR/> <BR/>
'वास्तविक महान् व्यक्ति तीन बातों द्वारा जाना जाता है-योजना में उदारता, उसे पूरी करने में मनुष्यता और सफलता में संयम।' - बिस्मार्क। <BR/> <BR/>
'रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द का नाम काव्य है।' - पंडितराज जगन्नाथ। <BR/> <BR/>
'प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिंब होता है।' - रामचंद्र शुक्ल। <BR/> <BR/>
'अंग्रेजी को भारतीय भाषा बनाने का यह अभिप्राय है कि हम अपने भारतीय अस्तित्व को बिल्कुल मिटा दें।' - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार। <BR/> <BR/>
'अंग्रेजी का मुखापेक्षी रहना भारतीयों को किसी प्रकार से शोभा नहीं देता है।' - भास्कर गोविन्द धाणेकर। <BR/> <BR/>
'यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी शिक्षा विदेशी भाषा में होती है और मातृभाषा में नहीं होती।' - माधवराव सप्रे। <BR/> <BR/>
'भाषा ही राष्ट्र का जीवन है।' - पुरुषोत्तमदास टंडन। <BR/> <BR/>
'कविता मानवता की उच्चतम अनुभूति की अभिव्यक्ति है।' - हजारी प्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/>
'हिंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी।' - पं. नेहरू। <BR/> <BR/>
'भाषा विचार की पोशाक है।' - डॉ. जोनसन। <BR/> <BR/>
'हमारी देवनागरी इस देश की ही नहीं समस्त संसार की लिपियों में सबसे अधिक वैज्ञानिक है।' - सेठ गोविन्ददास। <BR/> <BR/>
'अंग्रेजी के माया मोह से हमारा आत्मविश्वास ही नष्ट नहीं हुआ है, बल्कि हमारा राष्ट्रीय स्वाभिमान भी पददलित हुआ है।' - लक्ष्मीनारायण सिंह 'सुधांशु'। <BR/> <BR/>
'आइए हम आप एकमत हो कोई ऐसा उपाय करें जिससे राष्ट्रभाषा का प्रचार घर-घर हो जाये और राष्ट्र का कोई भी कोना अछूता न रहे।' - चन्द्रबली पांडेय। <BR/> <BR/>
'जैसे जन्मभूमि जगदम्बा का स्वरूप है वैसे ही मातृभाषा भी जगदम्बा का स्वरूप है।' - गोविन्द शास्त्री दुगवेकर। <BR/> <BR/>
'हिंदी और उर्दू की जड़ एक है, रूपरेखा एक है और दोनों को अगर हम चाहें तो एक बना सकते हैं।' - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद। <BR/> <BR/>
'हिंदी आज साहित्य के विचार से रूढ़ियों से बहुत आगे है। विश्वसाहित्य में ही जानेवाली रचनाएँ उसमें हैं।' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'। <BR/> <BR/>
'भारत की रक्षा तभी हो सकती है जब इसके साहित्य, इसकी सभ्यता तथा इसके आदर्शों की रक्षा हो।' - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार। <BR/> <BR/>
'हिंदी संस्कृत की बेटियों में सबसे अच्छी और शिरोमणि है।' - ग्रियर्सन। <BR/> <BR/>
'मैं नहीं समझता, सात समुन्दर पार की अंग्रेजी का इतना अधिकार यहाँ कैसे हो गया।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/>
'मेरे लिये हिन्दी का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।' - राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन। <BR/> <BR/>
'संस्कृत को छोड़कर आज भी किसी भी भारतीय भाषा का वाङ्मय विस्तार या मौलिकता में हिन्दी के आगे नहीं जाता।' - डॉ. सम्पूर्णानन्द। <BR/> <BR/>
'उर्दू और हिंदी दोनों को मिला दो। अलग-अलग नाम नहीं होना चाहिए।' - मौलाना मुहम्मद अली। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रभाषा के विषय में यह बात ध्यान में रखनी होगी कि यह राष्ट्र के सब प्रान्तों की समान और स्वाभाविक राष्ट्रभाषा है।' - लक्ष्मण नारायण गर्दे। <BR/> <BR/>
'प्रसन्नता न हमारे अंदर है न बाहर वरन् वह हमारा ईश्वर के साथ ऐक्य है।' - पास्कल। <BR/> <BR/>
'विदेशी भाषा के शब्द, उसके भाव तथा दृष्टांत हमारे हृदय पर वह प्रभाव नहीं डाल सकते जो मातृभाषा के चिरपरिचित तथा हृदयग्राही वाक्य।' - मन्नन द्विवेदी। <BR/> <BR/>
'जातीय भाव हमारी अपनी भाषा की ओर झुकता है।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/>
'हिंदी अपनी भूमि की अधिष्ठात्री है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/>
'सारा शरीर अपना, रोम-रोम अपने, रंग और रक्त अपना, अंग प्रत्यंग अपने, किन्तु जुबान दूसरे की, यह कहाँ की सभ्यता और कहाँ की मनुष्यता है।' - रणवीर सिंह जी। <BR/> <BR/>
'वाणी, सभ्यता और देश की रक्षा करना सच्चा यज्ञ है।' - ठाकुरदत्त शर्मा। <BR/> <BR/>
'हिन्दी व्यापकता में अद्वितीय है।' - अम्बिका प्रसाद वाजपेयी। <BR/> <BR/>
'हमारी राष्ट्रभाषा की पावन गंगा में देशी और विदेशी सभी प्रकार के शब्द मिलजुलकर एक हो जायेंगे।' - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद। <BR/> <BR/>
'नागरी की वर्णमाला है विशुद्ध महान, सरल सुन्दर सीखने में सुगम अति सुखदान।' - मिश्रबंधु। <BR/> <BR/>
'साहित्य ही हमारा जीवन है।' - डॉ. भगवानदास। <BR/> <BR/>
'मनुष्य सदा अपनी भातृभाषा में ही विचार करता है।' - मुकुन्दस्वरूप वर्मा। <BR/> <BR/>
'बिना भाषा की जाति नहीं शोभा पाती है। और देश की मार्यादा भी घट जाती है।' - माधव शुक्ल। <BR/> <BR/>
'हिंदी और उर्दू एक ही भाषा के दो रूप हैं और दोनों रूपों में बहुत साहित्य है।' - अंबिका प्रसाद वाजपेयी। <BR/> <BR/>
'हम हिन्दी वालों के हृदय में किसी सम्प्रदाय या किसी भाषा से रंचमात्र भी ईर्ष्या, द्वेष या घृणा नहीं है।' - शिवपूजन सहाय। <BR/> <BR/>
'भारत के विभिन्न प्रदेशों के बीच हिन्दी प्रचार द्वारा एकता स्थापित करने वाले सच्चे भारत बंधु हैं।' - अरविंद। <BR/> <BR/>
'राष्ट्रीय एकता के लिये हमें प्रांतीयता की भावना त्यागकर सभी प्रांतीय भाषाओं के लिए एक लिपि देवनागरी अपना लेनी चाहिये।' - शारदाचरण मित्र (जस्टिस)। <BR/> <BR/>
'समूचे राष्ट्र को एकताबद्ध और दृढ़ करने के लिए हिन्द भाषी जाति की एकता आवश्यक है।' - रामविलास शर्मा। <BR/> <BR/>
'हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने के हेतु हुए अनुष्ठान को मैं संस्कृति का राजसूय यज्ञ समझता हूँ।' - आचार्य क्षितिमोहन सेन। <BR/> <BR/>
'हिन्दी का भविष्य उज्ज्वल है, इसमें कोई संदेह नहीं।' - अनंत गोपाल शेवड़े। <BR/> <BR/>
'अरबी लिपि भारतीय लिपि होने योग्य नहीं।' - सैयदअली बिलग्रामी। <BR/> <BR/>
'हिन्दी को ही राजभाषा का आसन देना चाहिए।' - शचींद्रनाथ बख्शी। <BR/> <BR/>
'अंतरप्रांतीय व्यवहार में हमें हिन्दी का प्रयोग तुरंत शुरू कर देना चाहिए।' - र. रा. दिवाकर। <BR/> <BR/>
'हिन्दी का शासकीय प्रशासकीय क्षेत्रों से प्रचार न किया गया तो भविष्य अंधकारमय हो सकता है।' - विनयमोहन शर्मा। <BR/> <BR/>
'अंग्रेजी इस देश के लिए अभिशाप है, यह हर साल हमारे सामने प्रकट होता है, फिर भी उसे हम पूतना न मानकर चामुण्डमर्दिनी दुर्गा मान रहे हैं।' - अवनींद्र कुमार विद्यालंकार। <BR/> <BR/>
'हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने में प्रांतीय भाषाओं को हानि नहीं वरन् लाभ होगा।' - अनंतशयनम् आयंगार। <BR/> <BR/>
'संस्कृत के अपरिमित कोश से हिन्दी शब्दों की सब कठिनाइयाँ सरलता से हल कर लेगी।' - राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन। <BR/> <BR/>
'(अंग्रेजी ने) हमारी परम्पराएँ छिन्न-भिन्न करके, हमें जंगली बना देने का भरसक प्रयत्न किया।' - अमृतलाल नागर। <BR/> <BR/>
गायत्री मंत्र पर महापुरुषों के विचार
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2006-12-07T09:32:58Z
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''ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्...
'''गायत्री मंत्र व उसका अर्थ''' <BR/>
''ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।'' <BR/>
अर्थः उस प्राण स्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
'''महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान'''
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"गायत्री मंत्र का निरन्तर जप रोगियों को अच्छा करने और आत्माओं की उन्नति के लिऐ उपयोगी है। गायत्री का स्थिर चित्त और शान्त ह्रुदय से किया हुआ जप आपत्तिकाल के संकटों को दूर करने का प्रभाव रखता है।"
-महात्मा गाँधी
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"ऋषियों ने जो अमूल्य रत्न हमको दिऐ हैं, उनमें से ऐक अनुपम रत्न गायत्री से बुद्धि पवित्र होती है।"
-महामना मदन मोहन मालवीय
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"भारतवर्ष को जगाने वाला जो मंत्र है, वह इतना सरल है कि ऐक ही श्वाँस में उसका उच्चारण किया जा सकता है। वह मंत्र है गायत्री मंत्र।"
-रवींद्रनाथ टैगोर
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"गायत्री मे ऍसी शक्ति सन्निहित है, जो महत्वपूर्ण कार्य कर सकती है।"
-योगी अरविंद
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"गायत्री का जप करने से बडी-बडी सिद्धियां मिल जाती हैं। यह मंत्र छोटा है, पर इसकी शक्ति भारी है।"
-स्वामी रामकृष्ण परमहंस
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"गायत्री सदबुद्धि का मंत्र है, इसलिऐ उसे मंत्रो का मुकुटमणि कहा गया है।"
-स्वामी विवेकानंद
भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन
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