Wikiquote http://hi.wikiquote.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%AA%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0 MediaWiki 1.9alpha first-letter Media विशेष वार्ता सदस्य सदस्य वार्ता Wikiquote Wikiquote वार्ता चित्र चित्र वार्ता MediaWiki MediaWiki talk Template Template talk Help Help talk श्रेणी श्रेणी वार्ता Main Page 1 1837 2004-10-25T08:33:04Z ==This subdomain is reserved for the creation of a Wikiquote in the <b>[http://en.wikipedia.org/wiki/&#2361;&#2367;&#2344;&#2381;&#2342;&#2368; &#2361;&#2367;&#2344;&#2381;&#2342;&#2368;]</b> language.== If you speak this language and think it would be cool to have your own Encyclopedia then '''you''' can make it. '''''Go ahead. Translate this page and start working on your Encyclopedia.''''' 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* [[?? चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] 3 2004-10-28T00:14:23Z Shree 1 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[उक्ति]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] 4 2004-10-28T00:27:26Z Shree 1 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[उक्ति]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] 5 2004-10-28T00:29:19Z Shree 1 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[उक्ति]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] 6 2004-10-28T00:30:27Z Shree 1 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[उक्ति]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] 1838 2004-10-29T13:59:32Z 200.243.8.18 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[उक्ति]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] 3380 2005-08-28T13:15:20Z 210.212.158.130 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] 3381 2005-08-28T13:21:31Z 210.212.158.130 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] [[संस्कृत:]] 3382 2005-08-28T13:22:25Z 210.212.158.130 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] 3435 2005-09-16T09:37:07Z 210.212.158.130 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति]] *[[सुभाषित सहस्र]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] 3437 2005-09-16T13:33:15Z 210.212.158.130 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति )]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] 3440 2005-09-16T14:02:35Z 210.212.158.130 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] 3823 2006-03-12T11:27:19Z 193.110.187.231 + slovak language हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] [[sk:Hlavná stránka]] 4035 2006-08-11T15:14:10Z Sanjaykha 22 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] *[[फिल्मी]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] [[sk:Hlavná stránka]] 4041 2006-08-12T03:27:00Z Sanjaykha 22 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] [[महात्मा गाँधी]] [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] [[प्रेमचंद]] [[स्वामी विवेकानन्द]] *[[फिल्मी]] [[शोले]] [[पाकीजा]] [[जंजीर]] [[कुली]] [[मर्द]] [[डॉन]] [[दीवार]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] [[sk:Hlavná stránka]] 4044 2006-08-12T03:30:17Z Sanjaykha 22 हिन्दी विकिक्वोट में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] [[महात्मा गाँधी]] [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] [[प्रेमचंद]] [[स्वामी विवेकानन्द]] [[लाल बहादुर शास्त्री]] *[[फिल्मी]] [[शोले]] [[पाकीजा]] [[जंजीर]] [[कुली]] [[मर्द]] [[डॉन]] [[दीवार]] कुछ उदाहरण * [[सांच को आंच नहीं]] * [[सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप]] * [[एक सुनार की सौ लोहार की]] * [[उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे]] * [[नाच न आये आंगन टेढ़ा]] * [[घर की मुर्गी दाल बराबर ]] * [[न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी]] * [[लकीर का फकीर]] * [[कूप मण्डूक]] * [[हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या]] * [[मुख में राम बगल में छुरी]] * [[आँख का अंधा नाम नयनसुख]] <!-- links --> [[pt:]] [[sk:Hlavná stránka]] 4054 2006-08-27T21:59:51Z 137.138.173.182 <br> '''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। <br><br> ---- <br> *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] <br> ----- <br> [[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ----- कुछ उदाहरण * सांच को आंच नहीं * सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप * एक सुनार की सौ लोहार की * उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे * नाच न आये आंगन टेढ़ा * घर की मुर्गी दाल बराबर * न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी * लकीर का फकीर * कूप मण्डूक * हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या * मुख में राम बगल में छुरी * आँख का अंधा नाम नयनसुख <!-- links --> [[pt:]] [[sk:Hlavná stránka]] 4055 2006-08-27T22:10:45Z 137.138.173.182 <br> '''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। <br><br> ---- <br> *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किवंदती]] *[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] <br> ----- <br> [[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ----- कुछ उदाहरण * सांच को आंच नहीं * सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप * एक सुनार की सौ लोहार की * उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे * नाच न आये आंगन टेढ़ा * घर की मुर्गी दाल बराबर * न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी * लकीर का फकीर * कूप मण्डूक * हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे 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बराबर * न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी * लकीर का फकीर * कूप मण्डूक * हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या * मुख में राम बगल में छुरी * आँख का अंधा नाम नयनसुख <!-- links --> [[pt:]] [[sk:Hlavná stránka]] ---- <br><br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikimedia-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-Hindi.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikiquote-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[Image:Commons-logo.svg|80px]] |- | align="center" | [http://meta.wikimedia.org/ '''मेटा-विकि''']<br/>''Coordination of all Wikimedia projects'' | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''विकिपीडिया''']<br/>''A multilingual encyclopedia'' | align="center" | [http://hi.wikibooks.org/ '''विकिपुस्तक''']<br/>''Free manuals'' | align="center" | 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नहीं झूठ बराबर पाप * एक सुनार की सौ लोहार की * उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे * नाच न आये आंगन टेढ़ा * घर की मुर्गी दाल बराबर * न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी * लकीर का फकीर * कूप मण्डूक * हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या * मुख में राम बगल में छुरी * आँख का अंधा नाम नयनसुख ---- <br><br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikimedia-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-Hindi.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikiquote-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[Image:Commons-logo.svg|80px]] |- | align="center" | [http://meta.wikimedia.org/ '''मेटा-विकि''']<br/>''Coordination of all Wikimedia projects'' | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''विकिपीडिया''']<br/>''A multilingual encyclopedia'' | align="center" | [http://hi.wikibooks.org/ 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* एक सुनार की सौ लोहार की * उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे * नाच न आये आंगन टेढ़ा * घर की मुर्गी दाल बराबर * न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी * लकीर का फकीर * कूप मण्डूक * हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या * मुख में राम बगल में छुरी * आँख का अंधा नाम नयनसुख ---- <br> ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikimedia-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-Hindi.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikiquote-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[Image:Commons-logo.svg|80px]] |- | align="center" | [http://meta.wikimedia.org/ '''मेटा-विकि''']<br/>''Coordination of all Wikimedia projects'' | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''विकिपीडिया''']<br/>''A multilingual encyclopedia'' | align="center" | 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[[दीवार]] <br> ----- कुछ उदाहरण * सांच को आंच नहीं * सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप * एक सुनार की सौ लोहार की * उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे * नाच न आये आंगन टेढ़ा * घर की मुर्गी दाल बराबर * न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी * लकीर का फकीर * कूप मण्डूक * हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या * मुख में राम बगल में छुरी * आँख का अंधा नाम नयनसुख ---- <br> ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikimedia-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-Hindi.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikiquote-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[Image:Commons-logo.svg|80px]] |- | align="center" | [http://meta.wikimedia.org/ '''मेटा-विकि''']<br/>''Coordination of all Wikimedia projects'' | align="center" | 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शास्त्री]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ----- कुछ उदाहरण * सांच को आंच नहीं * सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप * एक सुनार की सौ लोहार की * उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे * नाच न आये आंगन टेढ़ा * घर की मुर्गी दाल बराबर * न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी * लकीर का फकीर * कूप मण्डूक * हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या * मुख में राम बगल में छुरी * आँख का अंधा नाम नयनसुख ---- <br> ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikimedia-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-Hindi.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikiquote-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[Image:Commons-logo.svg|80px]] |- | align="center" | [http://meta.wikimedia.org/ '''मेटा-विकि''']<br/>''Coordination of all Wikimedia projects'' | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''विकिपीडिया''']<br/>''A multilingual encyclopedia'' | align="center" | [http://hi.wikibooks.org/ '''विकिपुस्तक''']<br/>''Free manuals'' | align="center" | [http://hi.wikiquote.org/wiki/मुख्य_पृष्ठ '''विकिक्वोट'''] <br/>''A collection of quotations'' | align="center" | [http://sources.wikipedia.org/wiki/मुख्यपृष्ठ:हिन्दी '''विकिसोर्स''']<br/>''Free source documents'' | align="center" | [http://commons.wikimedia.org/ '''Commons''']<br/>''Free multimedia documents'' |} <!-- other indian languages--> <!-- other languages--> [[sa:]] [[en:]] 4140 2006-10-03T08:45:10Z 137.138.179.175 <br> '''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। <br><br> ---- <br> *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किंवदन्ति]] ---- <br> *[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह <br> ----- <br> [[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २] *[[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित]] *[[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन]] *[[हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन]] *[[ आचार्य रजनीश के वचन]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ----- कुछ उदाहरण * सांच को आंच नहीं * सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप * एक सुनार की सौ लोहार की * उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे * नाच न आये आंगन टेढ़ा * घर की मुर्गी दाल बराबर * न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी * लकीर का फकीर * कूप मण्डूक * हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या * मुख में राम बगल में छुरी * आँख का अंधा नाम नयनसुख ---- <br> ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikimedia-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-Hindi.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikiquote-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[Image:Commons-logo.svg|80px]] |- | align="center" | [http://meta.wikimedia.org/ '''मेटा-विकि''']<br/>''Coordination of all Wikimedia projects'' | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''विकिपीडिया''']<br/>''A multilingual encyclopedia'' | align="center" | [http://hi.wikibooks.org/ '''विकिपुस्तक''']<br/>''Free manuals'' | align="center" | [http://hi.wikiquote.org/wiki/मुख्य_पृष्ठ '''विकिक्वोट'''] <br/>''A collection of quotations'' | align="center" | [http://sources.wikipedia.org/wiki/मुख्यपृष्ठ:हिन्दी '''विकिसोर्स''']<br/>''Free source documents'' | align="center" | [http://commons.wikimedia.org/ 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के वचन ]] * [[ घाघ की कहावतें ]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ----- कुछ उदाहरण * सांच को आंच नहीं * सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप * एक सुनार की सौ लोहार की * उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे * नाच न आये आंगन टेढ़ा * घर की मुर्गी दाल बराबर * न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी * लकीर का फकीर * कूप मण्डूक * हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या * मुख में राम बगल में छुरी * आँख का अंधा नाम नयनसुख ---- <br> ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikimedia-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-Hindi.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikiquote-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[Image:Commons-logo.svg|80px]] |- | align="center" | 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[[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]] * [[महात्मा बुद्ध के वचन]] * [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]] * [[गुरु नानक के वचन]] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २] * [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]] * [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ आचार्य रजनीश के वचन ]] * [[ नीति के वचन ]] * [[ घाघ की कहावतें ]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ---- <br> ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikimedia-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-Hindi.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikiquote-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[Image:Commons-logo.svg|80px]] |- | align="center" | [http://meta.wikimedia.org/ '''मेटा-विकि''']<br/>''Coordination of all Wikimedia projects'' | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''विकिपीडिया''']<br/>''A multilingual encyclopedia'' | align="center" | [http://hi.wikibooks.org/ '''विकिपुस्तक''']<br/>''Free manuals'' | align="center" | [http://hi.wikiquote.org/wiki/मुख्य_पृष्ठ '''विकिक्वोट'''] <br/>''A collection of quotations'' | align="center" | [http://sources.wikipedia.org/wiki/मुख्यपृष्ठ:हिन्दी '''विकिसोर्स''']<br/>''Free source documents'' | align="center" | [http://commons.wikimedia.org/ '''Commons''']<br/>''Free multimedia documents'' |} <!-- other indian languages--> <!-- other languages--> [[sa:]] [[en:]] 4145 2006-10-03T13:27:40Z 137.138.173.150 <br> '''हिन्दी विकिक्वोट''' में कहावतें, मुहावरे और उक्तियाँ एकत्रित की जा सकती हैं। <br><br> ---- <br> *[[कहावत]] *[[मुहावरा]] *[[लोकोक्ति]] *[[किंवदन्ति]] ---- <br> *[[सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण )]] हिन्दी में एक हजार से अधिक सूक्तिओं का संग्रह <br> ----- <br> [[महात्मा गाँधी]] | [[नेता जी सुभाषचंद्र बोस]] | [[प्रेमचंद]] | [[स्वामी विवेकानन्द]] | [[लाल बहादुर शास्त्री]] * [[महात्मा बुद्ध के वचन]] * [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]] * [[गुरु नानक के वचन]] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २] * [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]] * [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ आचार्य रजनीश के वचन ]] * [[ नीति के वचन ]] * [[ घाघ की कहावतें ]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ---- <br> ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikimedia-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-Hindi.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikiquote-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[Image:Commons-logo.svg|80px]] |- | align="center" | [http://meta.wikimedia.org/ '''मेटा-विकि''']<br/>''Coordination of all Wikimedia projects'' | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''विकिपीडिया''']<br/>''A multilingual encyclopedia'' | align="center" | [http://hi.wikibooks.org/ '''विकिपुस्तक''']<br/>''Free manuals'' | align="center" | [http://hi.wikiquote.org/wiki/मुख्य_पृष्ठ '''विकिक्वोट'''] <br/>''A collection of quotations'' | align="center" | [http://sources.wikipedia.org/wiki/मुख्यपृष्ठ:हिन्दी '''विकिसोर्स''']<br/>''Free source documents'' | 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के वचन ]] * [[ आचार्य रजनीश के वचन ]] * [[ नीति के वचन ]] * [[ घाघ की कहावतें ]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ---- <br> * [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]] <br> ----- ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikimedia-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-Hindi.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikiquote-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[Image:Commons-logo.svg|80px]] |- | align="center" | [http://meta.wikimedia.org/ '''मेटा-विकि''']<br/>''Coordination of all Wikimedia projects'' | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''विकिपीडिया''']<br/>''A multilingual encyclopedia'' | align="center" | 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[http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २] * [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]] * [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ आचार्य रजनीश के वचन ]] * [[ नीति के वचन ]] * [[ घाघ की कहावतें ]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ---- <br> * [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]] <br> ----- ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="2" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wiktionary-logo.png|80px]] |- | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''हिन्दी 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[http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २] * [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]] * [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ आचार्य रजनीश के वचन ]] * [[ नीति के वचन ]] * [[ घाघ की कहावतें ]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ---- <br> * [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]] <br> ----- ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="16" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wiktionary.png|80px]] |- | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''हिन्दी 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[http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २] * [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]] * [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ आचार्य रजनीश के वचन ]] * [[ नीति के वचन ]] * [[ घाघ की कहावतें ]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ---- <br> * [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]] <br> ----- ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="16" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wiktionary.png|80px]] |- | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''हिन्दी 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[http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २] * [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]] * [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ आचार्य रजनीश के वचन ]] * [[ नीति के वचन ]] * [[ घाघ की कहावतें ]] * [[गायत्री मंत्र पर महापुरुषों के विचार]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ---- <br> * [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]] <br> ----- ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="16" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wiktionary.png|80px]] |- | align="center" | 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बुद्ध के वचन]] * [[महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन]] * [[गुरु नानक के वचन]] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya1.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग १] * [http://www.awgp.org/downloads/sadvakya2.pdf आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ - भाग २] * [[ गोस्वामी तुलसीदास के सुभाषित ]] * [[ भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन ]] * [[ आचार्य रजनीश के वचन ]] * [[ नीति के वचन ]] * [[ घाघ की कहावतें ]] * [[गायत्री मंत्र पर महापुरुषों के विचार]] <br> ----- <br> *[[फिल्मी]] [[शोले]] | [[पाकीजा]] | [[जंजीर]] | [[कुली]] | [[मर्द]] | [[डॉन]] | [[दीवार]] <br> ---- <br> * [[ संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल ]] <br> ----- == बाहरी सम्पर्क-सूत्र ( लिंक ) == * [http://hi.wikipedia.org/wiki/Hindi_Computing_Resources_on_the_Internet हिन्दी संगणन(कम्प्यूटिंग) के उपकरण और उपयोग विधियाँ] : यहाँ कम्प्यूटर पर हिन्दी का प्रयोग करने से सम्बन्धित सभी उपकरणों (जैसे - सम्पादित्र, वर्ड-प्रोसेसर, फान्ट-परिवर्तक, हिन्दी शब्दकोश आदि) के नाम, पते और संक्षिप्त जानकारी दी गयी है। विकिपेडिया पर होने के नाते कोई भी इसमे नयी सूचना जोड़ सकता है, जिससे यह अद्यतन(अप-टू-डेट) बनी रहेगी। <Br/><Br/> * [http://hi.wikipedia.org/wiki/Web_Hindi_Resources अन्तर्जाल पर हिन्दी की विविध सामग्री और उसका पता] : यह भी विकिपेडिया पर है। यहाँ अंतर्जाल पर स्थित हिन्दी की वेबसाइटों का विविध श्रेणियों ( जैसे- समाचार पत्र, पत्रिकायें, साहित्य आदि) में वर्गीकरण करके उनका नाम, पता और संक्षिप्त विवरण दिया गया है। उद्देश्य यह है कि किसी भी हिन्दी-प्रेमी को एक ही स्थान पर आसानी से अपने काम की सामग्री मिल जाय। <Br/><Br/> ==विकिपेडिया की अन्य परियोजनाओं के हिन्दी मुख्पृष्ठ== <br> {| align="center" cellpadding="16" | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikipedia-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikisource-logo.png|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wikibooks-logo.svg|80px]] | valign="top" align="center" | [[चित्र:Wiktionary.png|80px]] |- | align="center" | [http://hi.wikipedia.org/ '''हिन्दी विकिपीडिया''']<br/>''हिन्दी में मुक्त 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MediaWiki:Actioncomplete 18 sysop 22 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Action complete 938 2004-12-17T07:37:41Z MediaWiki default Action complete 1854 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Action complete MediaWiki:Addedwatch 19 sysop 23 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Added to watchlist 939 2004-12-17T07:37:41Z MediaWiki default Added to watchlist 1855 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Added to watchlist MediaWiki:Addedwatchtext 20 sysop 24 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The page "$1" has been added to your [[Special:Watchlist|watchlist]]. Future changes to this page and its associated Talk page will be listed there, and the page will appear '''bolded''' in the [[Special:Recentchanges|list of recent changes]] to make it easier to pick out. <p>If you want to remove the page from your watchlist later, click "Stop watching" in the sidebar. 940 2004-12-17T07:37:41Z MediaWiki default The page "$1" has been added to your [[Special:Watchlist|watchlist]]. 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MediaWiki:Addgroup 21 sysop 25 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Add Group 941 2004-12-17T07:37:41Z MediaWiki default Add Group 1857 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Add Group MediaWiki:Addsection 22 sysop 26 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default + 942 2004-12-17T07:37:41Z MediaWiki default + 1858 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default + MediaWiki:Administrators 23 sysop 27 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default विकिपीडिया:प्रबन्धक 943 2004-12-17T07:37:41Z MediaWiki default विकिपीडिया:प्रबन्धक 1859 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default विकिपीडिया:प्रबन्धक 3747 2006-02-26T01:48:40Z MediaWiki default {{ns:project}}:प्रबन्धक MediaWiki:Affirmation 24 sysop 28 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default I affirm that the copyright holder of this file agrees to license it under the terms of the $1. 944 2004-12-17T07:37:41Z MediaWiki default I affirm that the copyright holder of this file agrees to license it under the terms of the $1. 1860 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default I affirm that the copyright holder of this file agrees to license it under the terms of the $1. MediaWiki:All 25 sysop 29 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default all 945 2004-12-17T07:37:41Z MediaWiki default all 1861 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default all MediaWiki:Allarticles 26 sysop 30 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default All articles 946 2004-12-17T07:37:41Z MediaWiki default All articles 1862 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default All articles MediaWiki:Alllogstext 27 sysop 31 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Combined display of upload, deletion, protection, blocking, and sysop logs. You can narrow down the view by selecting a log type, the user name, or the affected page. 947 2004-12-17T07:37:41Z MediaWiki default Combined display of upload, deletion, protection, blocking, and sysop logs. You can narrow down the view by selecting a log type, the user name, or the affected page. 1863 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Combined display of upload, deletion, protection, blocking, and sysop logs. You can narrow down the view by selecting a log type, the user name, or the affected page. MediaWiki:Allmessages 28 sysop 32 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default All system messages 948 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default All system messages 1864 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default All system messages 3258 2005-07-29T10:41:30Z MediaWiki default System messages MediaWiki:AllmessagesnotsupportedDB 29 sysop 33 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Special:AllMessages not supported because wgUseDatabaseMessages is off. 949 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default Special:AllMessages not supported because wgUseDatabaseMessages is off. 1865 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Special:AllMessages not supported because wgUseDatabaseMessages is off. 3872 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default '''Special:Allmessages''' cannot be used because '''$wgUseDatabaseMessages''' is switched off. MediaWiki:AllmessagesnotsupportedUI 30 sysop 34 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Your current interface language <b>$1</b> is not supported by Special:AllMessages at this site. 950 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default Your current interface language <b>$1</b> is not supported by Special:AllMessages at this site. 1866 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Your current interface language <b>$1</b> is not supported by Special:AllMessages at this site. 3750 2006-02-26T01:48:40Z MediaWiki default Your current interface language <b>$1</b> is not supported by Special:AllMessages at this site. 3873 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default Your current interface language <b>$1</b> is not supported by Special:Allmessages at this site. MediaWiki:Allmessagestext 31 sysop 35 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This is a list of all system messages available in the MediaWiki: namespace. 951 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default This is a list of all system messages available in the MediaWiki: namespace. 1867 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default This is a list of all system messages available in the MediaWiki: namespace. 3259 2005-07-29T10:41:30Z MediaWiki default This is a list of system messages available in the MediaWiki: namespace. 3874 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default This is a list of system messages available in the MediaWiki namespace. MediaWiki:Allpages 32 sysop 36 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default All pages 952 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default All pages 1868 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default All pages MediaWiki:Allpagesformtext1 33 sysop 37 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Display pages starting at: $1 953 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default Display pages starting at: $1 1869 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Display pages starting at: $1 MediaWiki:Allpagesformtext2 34 sysop 38 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Choose namespace: $1 $2 954 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default Choose namespace: $1 $2 1870 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Choose namespace: $1 $2 MediaWiki:Allpagesnamespace 35 sysop 39 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default All pages ($1 namespace) 955 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default All pages ($1 namespace) 1871 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default All pages ($1 namespace) MediaWiki:Allpagesnext 36 sysop 40 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Next 956 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default Next 1872 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Next MediaWiki:Allpagesprev 37 sysop 41 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Previous 957 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default Previous 1873 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Previous MediaWiki:Allpagessubmit 38 sysop 42 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Go 958 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default Go 1874 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Go MediaWiki:Alphaindexline 39 sysop 43 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default $1 to $2 959 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default $1 to $2 1875 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default $1 to $2 MediaWiki:Alreadyloggedin 40 sysop 44 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <font color=red><b>User $1, you are already logged in!</b></font><br /> 960 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default <font color=red><b>User $1, you are already logged in!</b></font><br /> 1876 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default <font color=red><b>User $1, you are already logged in!</b></font><br /> 3352 2005-08-19T23:15:17Z MediaWiki default <strong>User $1, you are already logged in!</strong><br /> 3388 2005-09-05T09:24:34Z MediaWiki default <strong>User $1, you are already logged in!</strong><br /> 3450 2005-11-09T22:25:53Z MediaWiki default <strong>User $1, you are already logged in!</strong><br /> 3527 2005-11-29T00:53:37Z MediaWiki default <strong>User $1, you are already logged in!</strong><br /> 3552 2005-11-29T21:05:28Z MediaWiki default <strong>User $1, you are already logged in!</strong><br /> 3575 2005-12-02T02:19:01Z MediaWiki default <strong>User $1, you are already logged in!</strong><br /> 3623 2005-12-02T03:56:03Z MediaWiki default <strong>User $1, you are already logged in!</strong><br /> MediaWiki:Alreadyrolled 41 sysop 45 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Cannot rollback last edit of [[$1]] by [[User:$2|$2]] ([[User talk:$2|Talk]]); someone else has edited or rolled back the page already. Last edit was by [[User:$3|$3]] ([[User talk:$3|Talk]]). 961 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default Cannot rollback last edit of [[$1]] by [[User:$2|$2]] ([[User talk:$2|Talk]]); someone else has edited or rolled back the page already. Last edit was by [[User:$3|$3]] ([[User talk:$3|Talk]]). 1877 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Cannot rollback last edit of [[$1]] by [[User:$2|$2]] ([[User talk:$2|Talk]]); someone else has edited or rolled back the page already. Last edit was by [[User:$3|$3]] ([[User talk:$3|Talk]]). 3751 2006-02-26T01:48:40Z MediaWiki default Cannot rollback last edit of [[$1]] by [[User:$2|$2]] ([[User talk:$2|Talk]]); someone else has edited or rolled back the page already. Last edit was by [[User:$3|$3]] ([[User talk:$3|Talk]]). MediaWiki:Ancientpages 42 sysop 46 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Oldest pages 962 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default Oldest pages 1878 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Oldest pages MediaWiki:And 43 sysop 47 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default and 963 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default and 1879 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default and MediaWiki:Anontalk 44 sysop 48 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Talk for this IP 964 2004-12-17T07:37:42Z MediaWiki default Talk for this IP 1880 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Talk for this IP MediaWiki:Anontalkpagetext 45 sysop 49 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default ----''This is the discussion page for an anonymous user who has not created an account yet or who does not use it. We therefore have to use the numerical [[IP address]] to identify him/her. Such an IP address can be shared by several users. If you are an anonymous user and feel that irrelevant comments have been directed at you, please [[Special:Userlogin|create an account or log in]] to avoid future confusion with other anonymous users.'' 965 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default ----''This is the discussion page for an anonymous user who has not created an account yet or who does not use it. We therefore have to use the numerical [[IP address]] to identify him/her. Such an IP address can be shared by several users. If you are an anonymous user and feel that irrelevant comments have been directed at you, please [[Special:Userlogin|create an account or log in]] to avoid future confusion with other anonymous users.'' 1881 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default ----''This is the discussion page for an anonymous user who has not created an account yet or who does not use it. We therefore have to use the numerical [[IP address]] to identify him/her. Such an IP address can be shared by several users. If you are an anonymous user and feel that irrelevant comments have been directed at you, please [[Special:Userlogin|create an account or log in]] to avoid future confusion with other anonymous users.'' 3754 2006-02-26T01:48:40Z MediaWiki default ----''This is the discussion page for an anonymous user who has not created an account yet or who does not use it. We therefore have to use the numerical [[IP address]] to identify him/her. Such an IP address can be shared by several users. If you are an anonymous user and feel that irrelevant comments have been directed at you, please [[Special:Userlogin|create an account or log in]] to avoid future confusion with other anonymous users.'' 3876 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default ----''This is the discussion page for an anonymous user who has not created an account yet or who does not use it. We therefore have to use the numerical IP address to identify him/her. Such an IP address can be shared by several users. If you are an anonymous user and feel that irrelevant comments have been directed at you, please [[Special:Userlogin|create an account or log in]] to avoid future confusion with other anonymous users.'' MediaWiki:Anonymous 46 sysop 50 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Anonymous user(s) of Wikiquote 966 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default Anonymous user(s) of Wikiquote 1882 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Anonymous user(s) of Wikiquote 3260 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default Anonymous user(s) of {{SITENAME}} MediaWiki:Apr 47 sysop 51 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default अप्रैल 967 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default अप्रैल 1883 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default अप्रैल MediaWiki:April 48 sysop 52 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default अप्रैल 968 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default अप्रैल 1884 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default अप्रैल MediaWiki:Article 49 sysop 53 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Content page 969 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default Content page 1885 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Content page MediaWiki:Articleexists 50 sysop 54 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default A page of that name already exists, or the name you have chosen is not valid. Please choose another name. 970 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default A page of that name already exists, or the name you have chosen is not valid. Please choose another name. 1886 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default A page of that name already exists, or the name you have chosen is not valid. Please choose another name. MediaWiki:Articlenamespace 51 sysop 55 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (articles) 971 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default (articles) 1887 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default (articles) MediaWiki:Articlepage 52 sysop 56 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default लेख देखें 972 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default लेख देखें 1888 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default लेख देखें MediaWiki:Asksql 53 sysop 57 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default SQL query 973 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default SQL query 1889 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default SQL query MediaWiki:Asksqlpheading 54 sysop 58 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default asksql level 974 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default asksql level 1890 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default asksql level MediaWiki:Asksqltext 55 sysop 59 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Use the form below to make a direct query of the database. Use single quotes ('like this') to delimit string literals. This can often add considerable load to the server, so please use this function sparingly. 975 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default Use the form below to make a direct query of the database. Use single quotes ('like this') to delimit string literals. This can often add considerable load to the server, so please use this function sparingly. 1891 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Use the form below to make a direct query of the database. Use single quotes ('like this') to delimit string literals. This can often add considerable load to the server, so please use this function sparingly. MediaWiki:Aug 56 sysop 60 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default अगस्त 976 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default अगस्त 1892 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default अगस्त MediaWiki:August 57 sysop 61 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default अगस्त 977 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default अगस्त 1893 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default अगस्त MediaWiki:Autoblocker 58 sysop 62 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Autoblocked because you share an IP address with "$1". Reason "$2". 978 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default Autoblocked because you share an IP address with "$1". Reason "$2". 1894 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Autoblocked because you share an IP address with "$1". Reason "$2". 3261 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default Autoblocked because your IP address has been recently used by "[[User:$1|$1]]". The reason given for $1's block is: "'''$2'''" MediaWiki:Badarticleerror 59 sysop 63 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This action cannot be performed on this page. 979 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default This action cannot be performed on this page. 1895 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default This action cannot be performed on this page. MediaWiki:Badfilename 60 sysop 64 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Image name has been changed to "$1". 980 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default Image name has been changed to "$1". 1896 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Image name has been changed to "$1". 3262 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default File name has been changed to "$1". MediaWiki:Badfiletype 61 sysop 65 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default ".$1" is not a recommended image file format. 981 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default ".$1" is not a recommended image file format. 1897 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default ".$1" is not a recommended image file format. MediaWiki:Badipaddress 62 sysop 66 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Invalid IP address 982 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default Invalid IP address 1898 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Invalid IP address MediaWiki:Badquery 63 sysop 67 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Badly formed search query 983 2004-12-17T07:37:43Z MediaWiki default Badly formed search query 1899 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Badly formed search query MediaWiki:Badquerytext 64 sysop 68 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default We could not process your query. This is probably because you have attempted to search for a word fewer than three letters long, which is not yet supported. It could also be that you have mistyped the expression, for example "fish and and scales". Please try another query. 984 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default We could not process your query. This is probably because you have attempted to search for a word fewer than three letters long, which is not yet supported. It could also be that you have mistyped the expression, for example "fish and and scales". Please try another query. 1900 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default We could not process your query. This is probably because you have attempted to search for a word fewer than three letters long, which is not yet supported. It could also be that you have mistyped the expression, for example "fish and and scales". Please try another query. MediaWiki:Badretype 65 sysop 69 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The passwords you entered do not match. 985 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default The passwords you entered do not match. 1901 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default The passwords you entered do not match. MediaWiki:Badtitle 66 sysop 70 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Bad title 986 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default Bad title 1902 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Bad title MediaWiki:Badtitletext 67 sysop 71 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The requested page title was invalid, empty, or an incorrectly linked inter-language or inter-wiki title. 987 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default The requested page title was invalid, empty, or an incorrectly linked inter-language or inter-wiki title. 1903 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default The requested page title was invalid, empty, or an incorrectly linked inter-language or inter-wiki title. 3389 2005-09-05T09:24:35Z MediaWiki default The requested page title was invalid, empty, or an incorrectly linked inter-language or inter-wiki title. 3755 2006-02-26T01:48:40Z MediaWiki default The requested page title was invalid, empty, or an incorrectly linked inter-language or inter-wiki title. It may contain one more characters which cannot be used in titles. MediaWiki:Blanknamespace 68 sysop 72 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (Main) 988 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default (Main) 1904 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default (Main) MediaWiki:Block compress delete 69 sysop 73 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Can't delete this article because it contains block-compressed revisions. This is a temporary situation which the developers are well aware of, and should be fixed within a month or two. Please mark the article for deletion and wait for a developer to fix our buggy software. 989 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default Can't delete this article because it contains block-compressed revisions. This is a temporary situation which the developers are well aware of, and should be fixed within a month or two. Please mark the article for deletion and wait for a developer to fix our buggy software. 1905 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Can't delete this article because it contains block-compressed revisions. This is a temporary situation which the developers are well aware of, and should be fixed within a month or two. Please mark the article for deletion and wait for a developer to fix our buggy software. MediaWiki:Blockedtext 70 sysop 74 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Your user name or IP address has been blocked by $1. The reason given is this:<br />''$2''<p>You may contact $1 or one of the other [[Project:Administrators|administrators]] to discuss the block. Note that you may not use the "email this user" feature unless you have a valid email address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]]. Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make. 990 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default Your user name or IP address has been blocked by $1. The reason given is this:<br />''$2''<p>You may contact $1 or one of the other [[Project:Administrators|administrators]] to discuss the block. Note that you may not use the "email this user" feature unless you have a valid email address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]]. Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make. 1906 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Your user name or IP address has been blocked by $1. The reason given is this:<br />''$2''<p>You may contact $1 or one of the other [[Project:Administrators|administrators]] to discuss the block. Note that you may not use the "email this user" feature unless you have a valid email address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]]. Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make. 3576 2005-12-02T02:19:01Z MediaWiki default Your user name or IP address has been blocked by $1. The reason given is this:<br />''$2''<p>You may contact $1 or one of the other [[Project:Administrators|administrators]] to discuss the block. Note that you may not use the "e-mail this user" feature unless you have a valid e-mail address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]]. Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make. 3624 2005-12-02T03:56:03Z MediaWiki default Your user name or IP address has been blocked by $1. The reason given is this:<br />''$2''<p>You may contact $1 or one of the other [[Project:Administrators|administrators]] to discuss the block. Note that you may not use the "e-mail this user" feature unless you have a valid e-mail address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]]. Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make. 3880 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default Your user name or IP address has been blocked by $1. The reason given is this:<br />''$2''<br />You may contact $1 or one of the other [[{{ns:project}}:Administrators|administrators]] to discuss the block. Note that you may not use the "e-mail this user" feature unless you have a valid e-mail address registered in your [[Special:Preferences|user preferences]]. Your IP address is $3. Please include this address in any queries you make. 4071 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default <big>'''Your user name or IP address has been blocked.'''</big> The block was made by $1. The reason given is ''$2''. You can contact $1 or another [[{{ns:project}}:Administrators|administrator]] to discuss the block. You cannot use the 'email this user' feature unless a valid email address is specified in your [[Special:Preferences|account preferences]]. Your current IP address is $3. Please include this in any queries. MediaWiki:Blockedtitle 71 sysop 75 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default User is blocked 991 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default User is blocked 1907 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default User is blocked MediaWiki:Blockip 72 sysop 76 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Block user 992 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default Block user 1908 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Block user MediaWiki:Blockipsuccesssub 73 sysop 77 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Block succeeded 993 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default Block succeeded 1909 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Block succeeded MediaWiki:Blockipsuccesstext 74 sysop 78 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default "$1" has been blocked. <br />See [[Special:Ipblocklist|IP block list]] to review blocks. 994 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default "$1" has been blocked. <br />See [[Special:Ipblocklist|IP block list]] to review blocks. 1910 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default "$1" has been blocked. <br />See [[Special:Ipblocklist|IP block list]] to review blocks. 3263 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default [[{{ns:Special}}:Contributions/$1|$1]] has been blocked. <br />See[[{{ns:Special}}:Ipblocklist|IP block list]] to review blocks. 3756 2006-02-26T01:48:40Z MediaWiki default [[{{ns:Special}}:Contributions/$1|$1]] has been blocked. <br />See [[{{ns:Special}}:Ipblocklist|IP block list]] to review blocks. MediaWiki:Blockiptext 75 sysop 79 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Use the form below to block write access from a specific IP address or username. This should be done only only to prevent vandalism, and in accordance with [[Project:Policy|policy]]. Fill in a specific reason below (for example, citing particular pages that were vandalized). 995 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default Use the form below to block write access from a specific IP address or username. This should be done only only to prevent vandalism, and in accordance with [[Project:Policy|policy]]. Fill in a specific reason below (for example, citing particular pages that were vandalized). 1911 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Use the form below to block write access from a specific IP address or username. This should be done only only to prevent vandalism, and in accordance with [[Project:Policy|policy]]. Fill in a specific reason below (for example, citing particular pages that were vandalized). 3881 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default Use the form below to block write access from a specific IP address or username. This should be done only only to prevent vandalism, and in accordance with [[{{ns:project}}:Policy|policy]]. Fill in a specific reason below (for example, citing particular pages that were vandalized). MediaWiki:Blocklink 76 sysop 80 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default block 996 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default block 1912 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default block MediaWiki:Blocklistline 77 sysop 81 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default $1, $2 blocked $3 (expires $4) 997 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default $1, $2 blocked $3 (expires $4) 1913 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default $1, $2 blocked $3 (expires $4) 3353 2005-08-19T23:15:17Z MediaWiki default $1, $2 blocked $3 ($4) MediaWiki:Blocklogentry 78 sysop 82 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default blocked "$1" with an expiry time of $2 998 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default blocked "$1" with an expiry time of $2 1914 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default blocked "$1" with an expiry time of $2 2787 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default blocked "[[$1]]" with an expiry time of $2 MediaWiki:Blocklogpage 79 sysop 83 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Block_log 999 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default Block_log 1915 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Block_log 3882 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default Block log MediaWiki:Blocklogtext 80 sysop 84 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This is a log of user blocking and unblocking actions. Automatically blocked IP addresses are not listed. See the [[Special:Ipblocklist|IP block list]] for the list of currently operational bans and blocks. 1000 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default This is a log of user blocking and unblocking actions. Automatically blocked IP addresses are not listed. See the [[Special:Ipblocklist|IP block list]] for the list of currently operational bans and blocks. 1916 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default This is a log of user blocking and unblocking actions. Automatically blocked IP addresses are not listed. See the [[Special:Ipblocklist|IP block list]] for the list of currently operational bans and blocks. MediaWiki:Blockpheading 81 sysop 85 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default block level 1001 2004-12-17T07:37:44Z MediaWiki default block level 1917 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default block level MediaWiki:Bold sample 82 sysop 86 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Bold text 1002 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Bold text 1918 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Bold text MediaWiki:Bold tip 83 sysop 87 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Bold text 1003 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Bold text 1919 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Bold text MediaWiki:Booksources 84 sysop 88 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Book sources 1004 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Book sources 1920 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Book sources MediaWiki:Booksourcetext 85 sysop 89 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Below is a list of links to other sites that sell new and used books, and may also have further information about books you are looking for. {{SITENAME}} is not affiliated with any of these businesses, and this list should not be construed as an endorsement. 1005 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Below is a list of links to other sites that sell new and used books, and may also have further information about books you are looking for. {{SITENAME}} is not affiliated with any of these businesses, and this list should not be construed as an endorsement. 1921 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Below is a list of links to other sites that sell new and used books, and may also have further information about books you are looking for. {{SITENAME}} is not affiliated with any of these businesses, and this list should not be construed as an endorsement. 3264 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default Below is a list of links to other sites that sell new and used books, and may also have further information about books you are looking for. MediaWiki:Brokenredirects 86 sysop 90 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Broken Redirects 1006 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Broken Redirects 1922 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Broken Redirects 3757 2006-02-26T01:48:40Z MediaWiki default Broken redirects MediaWiki:Brokenredirectstext 87 sysop 91 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The following redirects link to a non-existing pages. 1007 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default The following redirects link to a non-existing pages. 1923 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default The following redirects link to a non-existing pages. 3758 2006-02-26T01:48:40Z MediaWiki default The following redirects link to non-existent pages: MediaWiki:Bugreports 88 sysop 92 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Bug reports 1008 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Bug reports 1924 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Bug reports MediaWiki:Bugreportspage 89 sysop 93 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default विकिपीडिया:Bug_reports 1009 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default विकिपीडिया:Bug_reports 1925 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default विकिपीडिया:Bug_reports 3759 2006-02-26T01:48:40Z MediaWiki default Project:Bug_reports MediaWiki:Bureaucratlog 90 sysop 94 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Bureaucrat_log 1010 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Bureaucrat_log 1926 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Bureaucrat_log MediaWiki:Bureaucratlogentry 91 sysop 95 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Rights for user "$1" set "$2" 1011 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Rights for user "$1" set "$2" 1927 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Rights for user "$1" set "$2" 2788 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Changed group membership for $1 from $2 to $3 MediaWiki:Bureaucrattext 92 sysop 96 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The action you have requested can only be performed by sysops with "bureaucrat" status. 1012 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default The action you have requested can only be performed by sysops with "bureaucrat" status. 1928 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default The action you have requested can only be performed by sysops with "bureaucrat" status. MediaWiki:Bureaucrattitle 93 sysop 97 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Bureaucrat access required 1013 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Bureaucrat access required 1929 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Bureaucrat access required MediaWiki:Bydate 94 sysop 98 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default by date 1014 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default by date 1930 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default by date MediaWiki:Byname 95 sysop 99 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default by name 1015 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default by name 1931 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default by name MediaWiki:Bysize 96 sysop 100 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default by size 1016 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default by size 1932 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default by size MediaWiki:Cachederror 97 sysop 101 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The following is a cached copy of the requested page, and may not be up to date. 1017 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default The following is a cached copy of the requested page, and may not be up to date. 1933 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default The following is a cached copy of the requested page, and may not be up to date. MediaWiki:Cancel 98 sysop 102 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Cancel 1018 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Cancel 1934 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Cancel MediaWiki:Cannotdelete 99 sysop 103 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Could not delete the page or image specified. (It may have already been deleted by someone else.) 1019 2004-12-17T07:37:45Z MediaWiki default Could not delete the page or image specified. (It may have already been deleted by someone else.) 1935 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Could not delete the page or image specified. (It may have already been deleted by someone else.) 2789 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Could not delete the page or file specified. (It may have already been deleted by someone else.) MediaWiki:Cantrollback 100 sysop 104 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Cannot revert edit; last contributor is only author of this page. 1020 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default Cannot revert edit; last contributor is only author of this page. 1936 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Cannot revert edit; last contributor is only author of this page. MediaWiki:Categories 101 sysop 105 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Categories 1021 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default Categories 1937 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Categories 3885 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default {{PLURAL:$1|Category|Categories}} 4161 2006-10-25T18:15:11Z MediaWiki default 26 Categories MediaWiki:Categoriespagetext 102 sysop 106 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The following categories exists in the wiki. 1022 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default The following categories exists in the wiki. 1938 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default The following categories exist in the wiki. 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'''Mozilla / Firefox / Safari:''' hold down ''Shift'' while clicking ''Reload'', or press ''Ctrl-Shift-R'' (''Cmd-Shift-R'' on Apple Mac); '''IE:''' hold ''Ctrl'' while clicking ''Refresh'', or press ''Ctrl-F5''; '''Konqueror:''': simply click the ''Reload'' button, or press ''F5''; '''Opera''' users may need to completely clear their cache in ''Tools&rarr;Preferences''. 3889 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default '''Note:''' After saving, you may have to bypass your browser's cache to see the changes. '''Mozilla / Firefox / Safari:''' hold down ''Shift'' while clicking ''Reload'', or press ''Ctrl-Shift-R'' (''Cmd-Shift-R'' on Apple Mac); '''IE:''' hold ''Ctrl'' while clicking ''Refresh'', or press ''Ctrl-F5''; '''Konqueror:''': simply click the ''Reload'' button, or press ''F5''; '''Opera''' users may need to completely clear their cache in ''Tools→Preferences''. MediaWiki:Columns 110 sysop 114 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Columns 1030 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default Columns 1946 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Columns 3452 2005-11-09T22:25:55Z MediaWiki default Columns: MediaWiki:Compareselectedversions 111 sysop 115 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Compare selected versions 1031 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default Compare selected versions 1947 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Compare selected versions MediaWiki:Confirm 112 sysop 116 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Confirm 1032 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default Confirm 1948 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Confirm MediaWiki:Confirmcheck 113 sysop 117 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Yes, I really want to delete this. 1033 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default Yes, I really want to delete this. 1949 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Yes, I really want to delete this. MediaWiki:Confirmdelete 114 sysop 118 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Confirm delete 1034 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default Confirm delete 1950 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Confirm delete MediaWiki:Confirmdeletetext 115 sysop 119 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You are about to permanently delete a page or image along with all of its history from the database. Please confirm that you intend to do this, that you understand the consequences, and that you are doing this in accordance with [[Project:Policy]]. 1035 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default You are about to permanently delete a page or image along with all of its history from the database. Please confirm that you intend to do this, that you understand the consequences, and that you are doing this in accordance with [[Project:Policy]]. 1951 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default You are about to permanently delete a page or image along with all of its history from the database. Please confirm that you intend to do this, that you understand the consequences, and that you are doing this in accordance with [[Project:Policy]]. 3890 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default You are about to permanently delete a page or image along with all of its history from the database. Please confirm that you intend to do this, that you understand the consequences, and that you are doing this in accordance with [[{{ns:project}}:Policy]]. MediaWiki:Confirmprotect 116 sysop 120 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Confirm protection 1036 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default Confirm protection 1952 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Confirm protection MediaWiki:Confirmprotecttext 117 sysop 121 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Do you really want to protect this page? 1037 2004-12-17T07:37:46Z MediaWiki default Do you really want to protect this page? 1953 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Do you really want to protect this page? MediaWiki:Confirmunprotect 118 sysop 122 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Confirm unprotection 1038 2004-12-17T07:37:47Z MediaWiki default Confirm unprotection 1954 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Confirm unprotection MediaWiki:Confirmunprotecttext 119 sysop 123 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Do you really want to unprotect this page? 1039 2004-12-17T07:37:47Z MediaWiki default Do you really want to unprotect this page? 1955 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Do you really want to unprotect this page? 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MediaWiki:Copyrightpage 126 sysop 130 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Project:Copyrights 1046 2004-12-17T07:37:47Z MediaWiki default Project:Copyrights 1962 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default Project:Copyrights MediaWiki:Copyrightpagename 127 sysop 131 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default {{SITENAME}} copyright 1047 2004-12-17T07:37:47Z MediaWiki default {{SITENAME}} copyright 1963 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default {{SITENAME}} copyright MediaWiki:Copyrightwarning 128 sysop 132 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Please note that all contributions to {{SITENAME}} are considered to be released under the $2 (see $1 for details). 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This may indicate a bug in the software. The last attempted database query was: <blockquote><tt>$1</tt></blockquote> from within function "<tt>$2</tt>". MySQL returned error "<tt>$3: $4</tt>". 1063 2004-12-17T07:37:48Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. This may indicate a bug in the software. The last attempted database query was: <blockquote><tt>$1</tt></blockquote> from within function "<tt>$2</tt>". MySQL returned error "<tt>$3: $4</tt>". 1979 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. This may indicate a bug in the software. The last attempted database query was: <blockquote><tt>$1</tt></blockquote> from within function "<tt>$2</tt>". MySQL returned error "<tt>$3: $4</tt>". MediaWiki:Dberrortextcl 144 sysop 148 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. The last attempted database query was: "$1" from within function "$2". MySQL returned error "$3: $4". 1064 2004-12-17T07:37:48Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. The last attempted database query was: "$1" from within function "$2". MySQL returned error "$3: $4". 1980 2005-06-25T11:06:31Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. The last attempted database query was: "$1" from within function "$2". MySQL returned error "$3: $4". 3392 2005-09-05T09:24:35Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. The last attempted database query was: "$1" from within function "$2". MySQL returned error "$3: $4" 3460 2005-11-09T22:25:57Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. The last attempted database query was: "$1" from within function "$2". MySQL returned error "$3: $4" 3530 2005-11-29T00:53:38Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. The last attempted database query was: "$1" from within function "$2". MySQL returned error "$3: $4" 3554 2005-11-29T21:05:29Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. The last attempted database query was: "$1" from within function "$2". MySQL returned error "$3: $4" 3580 2005-12-02T02:19:01Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. The last attempted database query was: "$1" from within function "$2". MySQL returned error "$3: $4" 3626 2005-12-02T03:56:03Z MediaWiki default A database query syntax error has occurred. The last attempted database query was: "$1" from within function "$2". MySQL returned error "$3: $4" MediaWiki:Deadendpages 145 sysop 149 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Dead-end pages 1065 2004-12-17T07:37:48Z MediaWiki default Dead-end pages 1981 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Dead-end pages MediaWiki:Debug 146 sysop 150 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Debug 1066 2004-12-17T07:37:48Z MediaWiki default Debug 1982 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Debug MediaWiki:Dec 147 sysop 151 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default दिसम्बर 1067 2004-12-17T07:37:48Z MediaWiki default दिसम्बर 1983 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default दिसम्बर MediaWiki:December 148 sysop 152 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default दिसम्बर 1068 2004-12-17T07:37:48Z MediaWiki default दिसम्बर 1984 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default दिसम्बर MediaWiki:Default 149 sysop 153 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default default 1069 2004-12-17T07:37:48Z MediaWiki default default 1985 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default default MediaWiki:Defaultns 150 sysop 154 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Search in these namespaces by default: 1070 2004-12-17T07:37:48Z MediaWiki default Search in these namespaces by default: 1986 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Search in these namespaces by default: MediaWiki:Defemailsubject 151 sysop 155 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default {{SITENAME}} e-mail 1071 2004-12-17T07:37:48Z MediaWiki default {{SITENAME}} e-mail 1987 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default {{SITENAME}} e-mail MediaWiki:Delete 152 sysop 156 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Delete 1072 2004-12-17T07:37:48Z MediaWiki default Delete 1988 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Delete MediaWiki:Deletecomment 153 sysop 157 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Reason for deletion 1073 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default Reason for deletion 1989 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Reason for deletion MediaWiki:Deletedarticle 154 sysop 158 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default deleted "$1" 1074 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default deleted "$1" 1990 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default deleted "$1" 2810 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default deleted "[[$1]]" MediaWiki:Deletedrevision 155 sysop 159 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Deleted old revision $1. 1075 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default Deleted old revision $1. 1991 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Deleted old revision $1. MediaWiki:Deletedtext 156 sysop 160 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default "$1" has been deleted. See $2 for a record of recent deletions. 1076 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default "$1" has been deleted. See $2 for a record of recent deletions. 1992 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default "$1" has been deleted. See $2 for a record of recent deletions. MediaWiki:Deleteimg 157 sysop 161 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default del 1077 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default del 1993 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default del MediaWiki:Deleteimgcompletely 158 sysop 162 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Delete all revisions 1078 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default Delete all revisions 1994 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Delete all revisions 3268 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default Delete all revisions of this file MediaWiki:Deletepage 159 sysop 163 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Delete page 1079 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default Delete page 1995 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Delete page MediaWiki:Deletepheading 160 sysop 164 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default delete level 1080 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default delete level 1996 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default delete level MediaWiki:Deletesub 161 sysop 165 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (Deleting "$1") 1081 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default (Deleting "$1") 1997 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default (Deleting "$1") MediaWiki:Deletethispage 162 sysop 166 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default इस पृष्ठ को हटायें 1082 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default इस पृष्ठ को हटायें 1998 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default इस पृष्ठ को हटायें MediaWiki:Deletionlog 163 sysop 167 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default deletion log 1083 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default deletion log 1999 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default deletion log MediaWiki:Dellogpage 164 sysop 168 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Deletion_log 1084 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default Deletion_log 2000 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Deletion_log 3894 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default Deletion log MediaWiki:Dellogpagetext 165 sysop 169 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Below is a list of the most recent deletions. 1085 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default Below is a list of the most recent deletions. 2001 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Below is a list of the most recent deletions. MediaWiki:Developertext 166 sysop 170 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default आप जो करना चाहते हैं‌ उसे केवल "developer" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें. 1086 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default आप जो करना चाहते हैं‌ उसे केवल "developer" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें. 2002 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default आप जो करना चाहते हैं‌ उसे केवल "developer" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें. MediaWiki:Developertitle 167 sysop 171 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Developer आवश्यक है 1087 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default Developer आवश्यक है 2003 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Developer आवश्यक है MediaWiki:Diff 168 sysop 172 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default diff 1088 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default diff 2004 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default diff MediaWiki:Difference 169 sysop 173 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (Difference between revisions) 1089 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default (Difference between revisions) 2005 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default (Difference between revisions) MediaWiki:Disambiguations 170 sysop 174 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Disambiguation pages 1090 2004-12-17T07:37:49Z MediaWiki default Disambiguation pages 2006 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Disambiguation pages MediaWiki:Disambiguationspage 171 sysop 175 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Project:Links_to_disambiguating_pages 1091 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Project:Links_to_disambiguating_pages 2007 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Project:Links_to_disambiguating_pages 3269 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default Template:disambig MediaWiki:Disambiguationstext 172 sysop 176 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The following pages link to a <i>disambiguation page</i>. They should link to the appropriate topic instead.<br />A page is treated as dismbiguation if it is linked from $1.<br />Links from other namespaces are <i>not</i> listed here. 1092 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default The following pages link to a <i>disambiguation page</i>. They should link to the appropriate topic instead.<br />A page is treated as dismbiguation if it is linked from $1.<br />Links from other namespaces are <i>not</i> listed here. 2008 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default The following pages link to a <i>disambiguation page</i>. They should link to the appropriate topic instead.<br />A page is treated as disambiguation if it is linked from $1.<br />Links from other namespaces are <i>not</i> listed here. MediaWiki:Disclaimerpage 173 sysop 177 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Project:General_disclaimer 1093 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Project:General_disclaimer 2009 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Project:General_disclaimer MediaWiki:Disclaimers 174 sysop 178 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Disclaimers 1094 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Disclaimers 2010 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Disclaimers MediaWiki:Doubleredirects 175 sysop 179 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Double Redirects 1095 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Double Redirects 2011 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Double Redirects 3270 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default Double redirects MediaWiki:Doubleredirectstext 176 sysop 180 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <b>Attention:</b> This list may contain false positives. That usually means there is additional text with links below the first #REDIRECT.<br /> Each row contains links to the first and second redirect, as well as the first line of the second redirect text, usually giving the "real" target page, which the first redirect should point to. 1096 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default <b>Attention:</b> This list may contain false positives. That usually means there is additional text with links below the first #REDIRECT.<br /> Each row contains links to the first and second redirect, as well as the first line of the second redirect text, usually giving the "real" target page, which the first redirect should point to. 2012 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Each row contains links to the first and second redirect, as well as the first line of the second redirect text, usually giving the "real" target page, which the first redirect should point to. MediaWiki:Edit 177 sysop 181 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Edit 1097 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Edit 2013 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Edit 3272 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default Edit this page 3356 2005-08-19T23:15:18Z MediaWiki default Edit MediaWiki:Editcomment 178 sysop 182 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The edit comment was: "<i>$1</i>". 1098 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default The edit comment was: "<i>$1</i>". 2014 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default The edit comment was: "<i>$1</i>". MediaWiki:Editconflict 179 sysop 183 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Edit conflict: $1 1099 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Edit conflict: $1 2015 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Edit conflict: $1 MediaWiki:Editcurrent 180 sysop 184 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Edit the current version of this page 1100 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Edit the current version of this page 2016 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Edit the current version of this page MediaWiki:Editgroup 181 sysop 185 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Edit Group 1101 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Edit Group 2017 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Edit Group MediaWiki:Edithelp 182 sysop 186 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Editing help 1102 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Editing help 2018 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Editing help MediaWiki:Edithelppage 183 sysop 187 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default विकिपीडिया:How_does_one_edit_a_page 1103 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default विकिपीडिया:How_does_one_edit_a_page 2019 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default विकिपीडिया:How_does_one_edit_a_page 3763 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default Help:Editing MediaWiki:Editing 184 sysop 188 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Editing $1 1104 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Editing $1 2020 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Editing $1 MediaWiki:Editingcomment 185 sysop 189 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Editing $1 (comment) 1105 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Editing $1 (comment) 2021 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Editing $1 (comment) MediaWiki:Editingold 186 sysop 190 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <strong>WARNING: You are editing an out-of-date revision of this page. 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If you save it, any changes made since this revision will be lost.</strong> MediaWiki:Editingsection 187 sysop 191 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Editing $1 (section) 1107 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default Editing $1 (section) 2023 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Editing $1 (section) MediaWiki:Editsection 188 sysop 192 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default edit 1108 2004-12-17T07:37:50Z MediaWiki default edit 2024 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default edit MediaWiki:Editthispage 189 sysop 193 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default इस पृष्ठ को बदलें 1109 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default इस पृष्ठ को बदलें 2025 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default इस पृष्ठ को बदलें MediaWiki:Editusergroup 190 sysop 194 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Edit User Groups 1110 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default Edit User Groups 2026 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Edit User Groups MediaWiki:Emailflag 191 sysop 195 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Disable e-mail from other users 1111 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default Disable e-mail from other users 2027 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Disable e-mail from other users MediaWiki:Emailforlost 192 sysop 196 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Fields marked with a star (*) are optional. 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MediaWiki:Emailsend 197 sysop 201 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Send 1117 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default Send 2033 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Send MediaWiki:Emailsent 198 sysop 202 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default E-mail sent 1118 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default E-mail sent 2034 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default E-mail sent MediaWiki:Emailsenttext 199 sysop 203 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Your e-mail message has been sent. 1119 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default Your e-mail message has been sent. 2035 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Your e-mail message has been sent. MediaWiki:Emailsubject 200 sysop 204 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Subject 1120 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default Subject 2036 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Subject MediaWiki:Emailto 201 sysop 205 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default To 1121 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default To 2037 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default To MediaWiki:Emailuser 202 sysop 206 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default E-mail this user 1122 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default E-mail this user 2038 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default E-mail this user MediaWiki:Emptyfile 203 sysop 207 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The file you uploaded seems to be empty. This might be due to a typo in the file name. Please check whether you really want to upload this file. 1123 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default The file you uploaded seems to be empty. This might be due to a typo in the file name. 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MediaWiki:Enterlockreason 204 sysop 208 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Enter a reason for the lock, including an estimate of when the lock will be released 1124 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default Enter a reason for the lock, including an estimate of when the lock will be released 2040 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Enter a reason for the lock, including an estimate of when the lock will be released MediaWiki:Error 205 sysop 209 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Error 1125 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default Error 2041 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Error MediaWiki:Errorpagetitle 206 sysop 210 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Error 1126 2004-12-17T07:37:51Z MediaWiki default Error 2042 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Error MediaWiki:Exbeforeblank 207 sysop 211 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default content before blanking was: 1127 2004-12-17T07:37:52Z MediaWiki default content before blanking was: 2043 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default content before blanking was: 2828 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default content before blanking was: '$1' MediaWiki:Exblank 208 sysop 212 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default page was empty 1128 2004-12-17T07:37:52Z MediaWiki default page was empty 2044 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default page was empty MediaWiki:Excontent 209 sysop 213 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default content was: 1129 2004-12-17T07:37:52Z MediaWiki default content was: 2045 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default content was: 2829 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default content was: '$1' MediaWiki:Explainconflict 210 sysop 214 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Someone else has changed this page since you started editing it. The upper text area contains the page text as it currently exists. Your changes are shown in the lower text area. You will have to merge your changes into the existing text. <b>Only</b> the text in the upper text area will be saved when you press "Save page". <p> 1130 2004-12-17T07:37:52Z MediaWiki default Someone else has changed this page since you started editing it. The upper text area contains the page text as it currently exists. Your changes are shown in the lower text area. You will have to merge your changes into the existing text. <b>Only</b> the text in the upper text area will be saved when you press "Save page". <p> 2046 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Someone else has changed this page since you started editing it. The upper text area contains the page text as it currently exists. Your changes are shown in the lower text area. You will have to merge your changes into the existing text. <b>Only</b> the text in the upper text area will be saved when you press "Save page". <p> 3065 2005-06-26T17:40:26Z MediaWiki default Someone else has changed this page since you started editing it. The upper text area contains the page text as it currently exists. Your changes are shown in the lower text area. You will have to merge your changes into the existing text. <b>Only</b> the text in the upper text area will be saved when you press "Save page".<br /> 3673 2005-12-22T07:14:40Z MediaWiki default Someone else has changed this page since you started editing it. The upper text area contains the page text as it currently exists. Your changes are shown in the lower text area. You will have to merge your changes into the existing text. <b>Only</b> the text in the upper text area will be saved when you press "Save page".<br /> MediaWiki:Export 211 sysop 215 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Export pages 1131 2004-12-17T07:37:52Z MediaWiki default Export pages 2047 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Export pages MediaWiki:Exportcuronly 212 sysop 216 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Include only the current revision, not the full history 1132 2004-12-17T07:37:52Z MediaWiki default Include only the current revision, not the full history 2048 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Include only the current revision, not the full history MediaWiki:Exporttext 213 sysop 217 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You can export the text and editing history of a particular page or set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the current version. To export article pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and select whether you want the current version as well as all old versions, with the page history lines, or just the current version with the info about the last edit. In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/Train]] for the article [[Train]]. 1133 2004-12-17T07:37:52Z MediaWiki default You can export the text and editing history of a particular page or set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the current version. To export article pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and select whether you want the current version as well as all old versions, with the page history lines, or just the current version with the info about the last edit. In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/Train]] for the article [[Train]]. 2049 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default You can export the text and editing history of a particular page or set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the current version. To export article pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and select whether you want the current version as well as all old versions, with the page history lines, or just the current version with the info about the last edit. In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/Train]] for the article [[Train]]. 3465 2005-11-09T22:26:00Z MediaWiki default You can export the text and editing history of a particular page or set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the current version. To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and select whether you want the current version as well as all old versions, with the page history lines, or just the current version with the info about the last edit. In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}. 3534 2005-11-29T00:53:39Z MediaWiki default You can export the text and editing history of a particular page or set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the current version. To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and select whether you want the current version as well as all old versions, with the page history lines, or just the current version with the info about the last edit. In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}. 3555 2005-11-29T21:05:30Z MediaWiki default You can export the text and editing history of a particular page or set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the current version. To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and select whether you want the current version as well as all old versions, with the page history lines, or just the current version with the info about the last edit. In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}. 3586 2005-12-02T02:19:02Z MediaWiki default You can export the text and editing history of a particular page or set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the current version. To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and select whether you want the current version as well as all old versions, with the page history lines, or just the current version with the info about the last edit. In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}. 3628 2005-12-02T03:56:04Z MediaWiki default You can export the text and editing history of a particular page or set of pages wrapped in some XML. In the future, this may then be imported into another wiki running MediaWiki software, although there is no support for this feature in the current version. To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and select whether you want the current version as well as all old versions, with the page history lines, or just the current version with the info about the last edit. In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}. 3827 2006-03-28T05:59:02Z MediaWiki default You can export the text and editing history of a particular page or set of pages wrapped in some XML. This can be imported into another wiki using MediaWiki via the Special:Import page. To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and select whether you want the current version as well as all old versions, with the page history lines, or just the current version with the info about the last edit. In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{Mediawiki:mainpage}}]] for the page {{Mediawiki:mainpage}}. 3902 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default You can export the text and editing history of a particular page or set of pages wrapped in some XML. This can be imported into another wiki using MediaWiki via the Special:Import page. To export pages, enter the titles in the text box below, one title per line, and select whether you want the current version as well as all old versions, with the page history lines, or just the current version with the info about the last edit. In the latter case you can also use a link, e.g. [[{{ns:Special}}:Export/{{int:mainpage}}]] for the page {{int:mainpage}}. 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MediaWiki:Filedeleteerror 222 sysop 226 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Could not delete file "$1". 1142 2004-12-17T07:37:52Z MediaWiki default Could not delete file "$1". 2058 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Could not delete file "$1". MediaWiki:Filedesc 223 sysop 227 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Summary 1143 2004-12-17T07:37:52Z MediaWiki default Summary 2059 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Summary MediaWiki:Fileexists 224 sysop 228 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default A file with this name exists already, please check $1 if you are not sure if you want to change it. 1144 2004-12-17T07:37:52Z MediaWiki default A file with this name exists already, please check $1 if you are not sure if you want to change it. 2060 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default A file with this name exists already, please check $1 if you are not sure if you want to change it. MediaWiki:Filemissing 225 sysop 229 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default File missing 1145 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default File missing 2061 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default File missing MediaWiki:Filename 226 sysop 230 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Filename 1146 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default Filename 2062 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Filename MediaWiki:Filenotfound 227 sysop 231 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Could not find file "$1". 1147 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default Could not find file "$1". 2063 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Could not find file "$1". MediaWiki:Filerenameerror 228 sysop 232 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Could not rename file "$1" to "$2". 1148 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default Could not rename file "$1" to "$2". 2064 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Could not rename file "$1" to "$2". MediaWiki:Filesource 229 sysop 233 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Source 1149 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default Source 2065 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Source MediaWiki:Filestatus 230 sysop 234 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Copyright status 1150 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default Copyright status 2066 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Copyright status MediaWiki:Fileuploaded 231 sysop 235 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default File $1 uploaded successfully. Please follow this link: $2 to the description page and fill in information about the file, such as where it came from, when it was created and by whom, and anything else you may know about it. If this is an image, you can insert it like this: <tt><nowiki>[[Image:$1|thumb|Description]]</nowiki></tt> 1151 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default File $1 uploaded successfully. Please follow this link: $2 to the description page and fill in information about the file, such as where it came from, when it was created and by whom, and anything else you may know about it. If this is an image, you can insert it like this: <tt><nowiki>[[Image:$1|thumb|Description]]</nowiki></tt> 2067 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default File $1 uploaded successfully. Please follow this link: $2 to the description page and fill in information about the file, such as where it came from, when it was created and by whom, and anything else you may know about it. If this is an image, you can insert it like this: <tt><nowiki>[[Image:$1|thumb|Description]]</nowiki></tt> MediaWiki:Formerror 232 sysop 236 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Error: could not submit form 1152 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default Error: could not submit form 2068 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Error: could not submit form MediaWiki:Friday 233 sysop 237 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default शुक्रवार 1153 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default शुक्रवार 2069 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default शुक्रवार MediaWiki:Geo 234 sysop 238 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default GEO coordinates 1154 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default GEO coordinates 2070 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default GEO coordinates MediaWiki:Getimagelist 235 sysop 239 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default fetching image list 1155 2004-12-17T07:37:53Z MediaWiki default fetching image list 2071 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default fetching image list 3069 2005-06-26T17:40:26Z 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MediaWiki:Illegalfilename 253 sysop 257 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The filename "$1" contains characters that are not allowed in page titles. Please rename the file and try uploading it again. 1173 2004-12-17T07:37:54Z MediaWiki default The filename "$1" contains characters that are not allowed in page titles. Please rename the file and try uploading it again. 2089 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default The filename "$1" contains characters that are not allowed in page titles. Please rename the file and try uploading it again. 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MediaWiki:Imgdelete 264 sysop 268 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default del 1184 2004-12-17T07:37:55Z MediaWiki default del 2100 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default del MediaWiki:Imgdesc 265 sysop 269 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default desc 1185 2004-12-17T07:37:55Z MediaWiki default desc 2101 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default desc MediaWiki:Imghistlegend 266 sysop 270 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Legend: (cur) = this is the current image, (del) = delete this old version, (rev) = revert to this old version. <br /><i>Click on date to see image uploaded on that date</i>. 1186 2004-12-17T07:37:55Z MediaWiki default Legend: (cur) = this is the current image, (del) = delete this old version, (rev) = revert to this old version. <br /><i>Click on date to see image uploaded on that date</i>. 2102 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Legend: (cur) = this is the current image, (del) = delete this old version, (rev) = revert to this old version. <br /><i>Click on date to see image uploaded on that date</i>. 3098 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default Legend: (cur) = this is the current file, (del) = delete this old version, (rev) = revert to this old version. <br /><i>Click on date to see the file uploaded on that date</i>. 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MediaWiki:Lockdb 321 sysop 325 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Lock database 1241 2004-12-17T07:37:58Z MediaWiki default Lock database 2157 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Lock database MediaWiki:Lockdbsuccesssub 322 sysop 326 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Database lock succeeded 1242 2004-12-17T07:37:58Z MediaWiki default Database lock succeeded 2158 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Database lock succeeded MediaWiki:Lockdbsuccesstext 323 sysop 327 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The database has been locked. <br />Remember to remove the lock after your maintenance is complete. 1243 2004-12-17T07:37:58Z MediaWiki default The database has been locked. <br />Remember to remove the lock after your maintenance is complete. 2159 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default The database has been locked. <br />Remember to remove the lock after your maintenance is complete. 4105 2006-08-31T18:37:03Z MediaWiki default The database has been locked. <br />Remember to [[Special:Unlockdb|remove the lock]] after your maintenance is complete. MediaWiki:Lockdbtext 324 sysop 328 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Locking the database will suspend the ability of all users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and other things requiring changes in the database. Please confirm that this is what you intend to do, and that you will unlock the database when your maintenance is done. 1244 2004-12-17T07:37:58Z MediaWiki default Locking the database will suspend the ability of all users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and other things requiring changes in the database. Please confirm that this is what you intend to do, and that you will unlock the database when your maintenance is done. 2160 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Locking the database will suspend the ability of all users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and other things requiring changes in the database. Please confirm that this is what you intend to do, and that you will unlock the database when your maintenance is done. MediaWiki:Locknoconfirm 325 sysop 329 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You did not check the confirmation box. 1245 2004-12-17T07:37:58Z MediaWiki default You did not check the confirmation box. 2161 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default You did not check the confirmation box. 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MediaWiki:Loginprompt 332 sysop 336 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You must have cookies enabled to log in to {{SITENAME}}. 1252 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default You must have cookies enabled to log in to {{SITENAME}}. 2168 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default You must have cookies enabled to log in to {{SITENAME}}. MediaWiki:Loginreqtext 333 sysop 337 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You must [[special:Userlogin|login]] to view other pages. 1253 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default You must [[special:Userlogin|login]] to view other pages. 2169 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default You must [[special:Userlogin|login]] to view other pages. 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Note that some pages may continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear your browser cache 2174 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default You are now logged out. You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in again as the same or as a different user. Note that some pages may continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear your browser cache 3111 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default You are now logged out.<br /> You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in again as the same or as a different user. Note that some pages may continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear your browser cache. 3295 2005-07-29T10:41:32Z MediaWiki default You are now logged out.<br /> You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in again as the same or as a different user. 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Note that some pages may continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear your browser cache. 3535 2005-11-29T00:53:39Z MediaWiki default You are now logged out.<br /> You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in again as the same or as a different user. Note that some pages may continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear your browser cache. 3556 2005-11-29T21:05:30Z MediaWiki default You are now logged out.<br /> You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in again as the same or as a different user. Note that some pages may continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear your browser cache. 3592 2005-12-02T02:19:03Z MediaWiki default <strong>You are now logged out.</strong><br /> You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in again as the same or as a different user. Note that some pages may continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear your browser cache. 3629 2005-12-02T03:56:04Z MediaWiki default <strong>You are now logged out.</strong><br /> You can continue to use {{SITENAME}} anonymously, or you can log in again as the same or as a different user. Note that some pages may continue to be displayed as if you were still logged in, until you clear your browser cache. MediaWiki:Logouttitle 339 sysop 343 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default User logout 1259 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default User logout 2175 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default User logout MediaWiki:Lonelypages 340 sysop 344 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Orphaned pages 1260 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default Orphaned pages 2176 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Orphaned pages MediaWiki:Longpages 341 sysop 345 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Long pages 1261 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default Long pages 2177 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Long pages MediaWiki:Longpagewarning 342 sysop 346 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default WARNING: This page is $1 kilobytes long; some browsers may have problems editing pages approaching or longer than 32kb. Please consider breaking the page into smaller sections. 1262 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default WARNING: This page is $1 kilobytes long; some browsers may have problems editing pages approaching or longer than 32kb. Please consider breaking the page into smaller sections. 2178 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default WARNING: This page is $1 kilobytes long; some browsers may have problems editing pages approaching or longer than 32kb. Please consider breaking the page into smaller sections. 3112 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default <strong>WARNING: This page is $1 kilobytes long; some browsers may have problems editing pages approaching or longer than 32kb. Please consider breaking the page into smaller sections.</strong> MediaWiki:Mailerror 343 sysop 347 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Error sending mail: $1 1263 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default Error sending mail: $1 2179 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Error sending mail: $1 MediaWiki:Mailmypassword 344 sysop 348 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Mail me a new password 1264 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default Mail me a new password 2180 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Mail me a new password 3593 2005-12-02T02:19:03Z MediaWiki default E-mail password MediaWiki:Mailnologin 345 sysop 349 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default No send address 1265 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default No send address 2181 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default No send address MediaWiki:Mailnologintext 346 sysop 350 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin">logged in</a> and have a valid e-mail address in your <a href="{{localurl:Special:Preferences}}">preferences</a> to send e-mail to other users. 1266 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin">logged in</a> and have a valid e-mail address in your <a href="{{localurl:Special:Preferences}}">preferences</a> to send e-mail to other users. 2182 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin">logged in</a> and have a valid e-mail address in your <a href="{{localurl:Special:Preferences}}">preferences</a> to send e-mail to other users. 3113 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default You must be [[Special:Userlogin|logged in]] and have a valid e-mail address in your [[Special:Preferences|preferences]] to send e-mail to other users. MediaWiki:Mainpage 347 sysop 351 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default मुख्य पृष्ठ 1267 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default मुख्य पृष्ठ 2183 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default मुख्य पृष्ठ MediaWiki:Mainpagedocfooter 348 sysop 352 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Please see [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_i18n documentation on customizing the interface] and the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for usage and configuration help. 1268 2004-12-17T07:37:59Z MediaWiki default Please see [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_i18n documentation on customizing the interface] and the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for usage and configuration help. 2184 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Please see [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_i18n documentation on customizing the interface] and the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for usage and configuration help. 3402 2005-09-05T09:24:36Z MediaWiki default Please see [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_i18n documentation on customizing the interface] and the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for usage and configuration help. 3773 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default Consult the [http://www.mediawiki.org/wiki/Help:Configuration_settings configuration settings list] and the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for information on customising and using the wiki software. 3829 2006-03-28T05:59:03Z MediaWiki default Consult the [http://meta.wikipedia.org/wiki/MediaWiki_User%27s_Guide User's Guide] for information on using the wiki software. == Getting started == * [http://www.mediawiki.org/wiki/Help:Configuration_settings Configuration settings list] * [http://www.mediawiki.org/wiki/Help:FAQ MediaWiki FAQ] * [http://mail.wikipedia.org/mailman/listinfo/mediawiki-announce MediaWiki release mailing list] 3944 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Consult the [http://meta.wikimedia.org/wiki/Help:Contents User's Guide] for information on using the wiki software. == Getting started == * [http://www.mediawiki.org/wiki/Help:Configuration_settings Configuration settings list] * [http://www.mediawiki.org/wiki/Help:FAQ MediaWiki FAQ] * [http://mail.wikimedia.org/mailman/listinfo/mediawiki-announce MediaWiki release mailing list] MediaWiki:Mainpagetext 349 sysop 353 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Wiki software successfully installed. 1269 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default Wiki software successfully installed. 2185 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Wiki software successfully installed. 3774 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default '''MediaWiki has been successfully installed.''' 3830 2006-03-28T05:59:03Z MediaWiki default <big>'''MediaWiki has been successfully installed.'''</big> MediaWiki:Maintenance 350 sysop 354 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Maintenance page 1270 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default Maintenance page 2186 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Maintenance page MediaWiki:Maintenancebacklink 351 sysop 355 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Back to Maintenance Page 1271 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default Back to Maintenance Page 2187 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Back to Maintenance Page MediaWiki:Maintnancepagetext 352 sysop 356 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This page includes several handy tools for everyday maintenance. Some of these functions tend to stress the database, so please do not hit reload after every item you fixed ;-) 1272 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default This page includes several handy tools for everyday maintenance. Some of these functions tend to stress the database, so please do not hit reload after every item you fixed ;-) 2188 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default This page includes several handy tools for everyday maintenance. Some of these functions tend to stress the database, so please do not hit reload after every item you fixed ;-) MediaWiki:Makesysop 353 sysop 357 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Make a user into a sysop 1273 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default Make a user into a sysop 2189 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Make a user into a sysop MediaWiki:Makesysopfail 354 sysop 358 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <b>User "$1" could not be made into a sysop. (Did you enter the name correctly?)</b> 1274 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default <b>User "$1" could not be made into a sysop. (Did you enter the name correctly?)</b> 2190 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default <b>User "$1" could not be made into a sysop. (Did you enter the name correctly?)</b> MediaWiki:Makesysopname 355 sysop 359 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Name of the user: 1275 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default Name of the user: 2191 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Name of the user: MediaWiki:Makesysopok 356 sysop 360 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <b>User "$1" is now a sysop</b> 1276 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default <b>User "$1" is now a sysop</b> 2192 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default <b>User "$1" is now a sysop</b> MediaWiki:Makesysopsubmit 357 sysop 361 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Make this user into a sysop 1277 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default Make this user into a sysop 2193 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Make this user into a sysop MediaWiki:Makesysoptext 358 sysop 362 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This form is used by bureaucrats to turn ordinary users into administrators. Type the name of the user in the box and press the button to make the user an administrator 1278 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default This form is used by bureaucrats to turn ordinary users into administrators. Type the name of the user in the box and press the button to make the user an administrator 2194 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default This form is used by bureaucrats to turn ordinary users into administrators. Type the name of the user in the box and press the button to make the user an administrator MediaWiki:Makesysoptitle 359 sysop 363 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Make a user into a sysop 1279 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default Make a user into a sysop 2195 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Make a user into a sysop MediaWiki:Mar 360 sysop 364 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default मार्च 1280 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default मार्च 2196 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default मार्च MediaWiki:March 361 sysop 365 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default मार्च 1281 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default मार्च 2197 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default मार्च MediaWiki:Markaspatrolleddiff 362 sysop 366 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Mark as patrolled 1282 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default Mark as patrolled 2198 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Mark as patrolled MediaWiki:Markaspatrolledlink 363 sysop 367 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <div class='patrollink'>[$1]</div> 1283 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default <div class='patrollink'>[$1]</div> 2199 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default <div class='patrollink'>[$1]</div> 3114 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default [$1] MediaWiki:Markaspatrolledtext 364 sysop 368 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Mark this article as patrolled 1284 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default Mark this article as patrolled 2200 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Mark this article as patrolled MediaWiki:Markedaspatrolled 365 sysop 369 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Marked as patrolled 1285 2004-12-17T07:38:00Z MediaWiki default Marked as patrolled 2201 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Marked as patrolled MediaWiki:Markedaspatrolledtext 366 sysop 370 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The selected revision has been marked as patrolled. 1286 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default The selected revision has been marked as patrolled. 2202 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default The selected revision has been marked as patrolled. MediaWiki:Matchtotals 367 sysop 371 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The query "$1" matched $2 page titles and the text of $3 pages. 1287 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default The query "$1" matched $2 page titles and the text of $3 pages. 2203 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default The query "$1" matched $2 page titles and the text of $3 pages. MediaWiki:Math 368 sysop 372 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Rendering math 1288 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default Rendering math 2204 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Rendering math 3115 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default Math MediaWiki:Math bad output 369 sysop 373 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Can't write to or create math output directory 1289 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default Can't write to or create math output directory 2205 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Can't write to or create math output directory MediaWiki:Math bad tmpdir 370 sysop 374 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Can't write to or create math temp directory 1290 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default Can't write to or create math temp directory 2206 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Can't write to or create math temp directory MediaWiki:Math failure 371 sysop 375 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Failed to parse 1291 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default Failed to parse 2207 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Failed to parse MediaWiki:Math image error 372 sysop 376 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default PNG conversion failed; check for correct installation of latex, dvips, gs, and convert 1292 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default PNG conversion failed; check for correct installation of latex, dvips, gs, and convert 2208 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default PNG conversion failed; check for correct installation of latex, dvips, gs, and convert MediaWiki:Math lexing error 373 sysop 377 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default lexing error 1293 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default lexing error 2209 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default lexing error MediaWiki:Math notexvc 374 sysop 378 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Missing texvc executable; please see math/README to configure. 1294 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default Missing texvc executable; please see math/README to configure. 2210 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Missing texvc executable; please see math/README to configure. MediaWiki:Math sample 375 sysop 379 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Insert formula here 1295 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default Insert formula here 2211 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Insert formula here MediaWiki:Math syntax error 376 sysop 380 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default syntax error 1296 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default syntax error 2212 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default syntax error MediaWiki:Math tip 377 sysop 381 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Mathematical formula (LaTeX) 1297 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default Mathematical formula (LaTeX) 2213 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Mathematical formula (LaTeX) MediaWiki:Math unknown error 378 sysop 382 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default unknown error 1298 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default unknown error 2214 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default unknown error MediaWiki:Math unknown function 379 sysop 383 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default unknown function 1299 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default unknown function 2215 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default unknown function 3777 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default unknown function MediaWiki:May 380 sysop 384 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default मई 1300 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default मई 2216 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default मई MediaWiki:May long 381 sysop 385 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default मई 1301 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default मई 2217 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default मई MediaWiki:Media sample 382 sysop 386 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Example.mp3 1302 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default Example.mp3 2218 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Example.mp3 3116 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default Example.ogg MediaWiki:Media tip 383 sysop 387 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Media file link 1303 2004-12-17T07:38:01Z MediaWiki default Media file link 2219 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Media file link MediaWiki:Minlength 384 sysop 388 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Image names must be at least three letters. 1304 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default Image names must be at least three letters. 2220 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Image names must be at least three letters. 3296 2005-07-29T10:41:32Z MediaWiki default File names must be at least three letters. MediaWiki:Minoredit 385 sysop 389 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This is a minor edit 1305 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default This is a minor edit 2221 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default This is a minor edit 3120 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default This is a minor edit. 3297 2005-07-29T10:41:32Z MediaWiki default This is a minor edit MediaWiki:Minoreditletter 386 sysop 390 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default m 1306 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default m 2222 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default m MediaWiki:Mispeelings 387 sysop 391 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Pages with misspellings 1307 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default Pages with misspellings 2223 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Pages with misspellings MediaWiki:Mispeelingspage 388 sysop 392 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default List of common misspellings 1308 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default List of common misspellings 2224 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default List of common misspellings MediaWiki:Mispeelingstext 389 sysop 393 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The following pages contain a common misspelling, which are listed on $1. The correct spelling might be given (like this). 1309 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default The following pages contain a common misspelling, which are listed on $1. The correct spelling might be given (like this). 2225 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default The following pages contain a common misspelling, which are listed on $1. The correct spelling might be given (like this). MediaWiki:Missingarticle 390 sysop 394 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The database did not find the text of a page that it should have found, named "$1". <p>This is usually caused by following an outdated diff or history link to a page that has been deleted. <p>If this is not the case, you may have found a bug in the software. Please report this to an administrator, making note of the URL. 1310 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default The database did not find the text of a page that it should have found, named "$1". <p>This is usually caused by following an outdated diff or history link to a page that has been deleted. <p>If this is not the case, you may have found a bug in the software. Please report this to an administrator, making note of the URL. 2226 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default The database did not find the text of a page that it should have found, named "$1". <p>This is usually caused by following an outdated diff or history link to a page that has been deleted. <p>If this is not the case, you may have found a bug in the software. Please report this to an administrator, making note of the URL. 3298 2005-07-29T10:41:32Z MediaWiki default The database did not find the text of a page that it should have found, named "$1". This is usually caused by following an outdated diff or history link to a page that has been deleted. If this is not the case, you may have found a bug in the software. Please report this to an administrator, making note of the URL. 3403 2005-09-05T09:24:36Z MediaWiki default The database did not find the text of a page that it should have found, named "$1". This is usually caused by following an outdated diff or history link to a page that has been deleted. If this is not the case, you may have found a bug in the software. Please report this to an administrator, making note of the URL. MediaWiki:Missingimage 391 sysop 395 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <b>Missing image</b><br /><i>$1</i> 1311 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default <b>Missing image</b><br /><i>$1</i> 2227 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default <b>Missing image</b><br /><i>$1</i> 3677 2005-12-22T07:14:41Z MediaWiki default <b>Missing image</b><br /><i>$1</i> MediaWiki:Missinglanguagelinks 392 sysop 396 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Missing Language Links 1312 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default Missing Language Links 2228 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Missing Language Links MediaWiki:Missinglanguagelinksbutton 393 sysop 397 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Find missing language links for 1313 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default Find missing language links for 2229 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Find missing language links for MediaWiki:Missinglanguagelinkstext 394 sysop 398 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default These pages do <i>not</i> link to their counterpart in $1. Redirects and subpages are <i>not</i> shown. 1314 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default These pages do <i>not</i> link to their counterpart in $1. Redirects and subpages are <i>not</i> shown. 2230 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default These pages do <i>not</i> link to their counterpart in $1. Redirects and subpages are <i>not</i> shown. MediaWiki:Monday 395 sysop 399 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default सोमवार 1315 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default सोमवार 2231 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default सोमवार MediaWiki:Moredotdotdot 396 sysop 400 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default More... 1316 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default More... 2232 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default More... MediaWiki:Move 397 sysop 401 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Move 1317 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default Move 2233 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Move MediaWiki:Movearticle 398 sysop 402 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Move page 1318 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default Move page 2234 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Move page MediaWiki:Movedto 399 sysop 403 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default moved to 1319 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default moved to 2235 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default moved to MediaWiki:Movenologin 400 sysop 404 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Not logged in 1320 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default Not logged in 2236 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Not logged in MediaWiki:Movenologintext 401 sysop 405 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You must be a registered user and <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to move a page. 1321 2004-12-17T07:38:02Z MediaWiki default You must be a registered user and <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to move a page. 2237 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default You must be a registered user and <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to move a page. 3123 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default You must be a registered user and [[Special:Userlogin|logged in]] to move a page. MediaWiki:Movepage 402 sysop 406 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Move page 1322 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default Move page 2238 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Move page MediaWiki:Movepagebtn 403 sysop 407 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Move page 1323 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default Move page 2239 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Move page MediaWiki:Movepagetalktext 404 sysop 408 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The associated talk page, if any, will be automatically moved along with it '''unless:''' *You are moving the page across namespaces, *A non-empty talk page already exists under the new name, or *You uncheck the box below. In those cases, you will have to move or merge the page manually if desired. 1324 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default The associated talk page, if any, will be automatically moved along with it '''unless:''' *You are moving the page across namespaces, *A non-empty talk page already exists under the new name, or *You uncheck the box below. In those cases, you will have to move or merge the page manually if desired. 2240 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default The associated talk page, if any, will be automatically moved along with it '''unless:''' *You are moving the page across namespaces, *A non-empty talk page already exists under the new name, or *You uncheck the box below. In those cases, you will have to move or merge the page manually if desired. 3947 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default The associated talk page will be automatically moved along with it '''unless:''' *A non-empty talk page already exists under the new name, or *You uncheck the box below. In those cases, you will have to move or merge the page manually if desired. MediaWiki:Movepagetext 405 sysop 409 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Using the form below will rename a page, moving all of its history to the new name. The old title will become a redirect page to the new title. Links to the old page title will not be changed; be sure to [[Special:Maintenance|check]] for double or broken redirects. You are responsible for making sure that links continue to point where they are supposed to go. Note that the page will '''not''' be moved if there is already a page at the new title, unless it is empty or a redirect and has no past edit history. This means that you can rename a page back to where it was just renamed from if you make a mistake, and you cannot overwrite an existing page. <b>WARNING!</b> This can be a drastic and unexpected change for a popular page; please be sure you understand the consequences of this before proceeding. 1325 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default Using the form below will rename a page, moving all of its history to the new name. The old title will become a redirect page to the new title. Links to the old page title will not be changed; be sure to [[Special:Maintenance|check]] for double or broken redirects. You are responsible for making sure that links continue to point where they are supposed to go. Note that the page will '''not''' be moved if there is already a page at the new title, unless it is empty or a redirect and has no past edit history. This means that you can rename a page back to where it was just renamed from if you make a mistake, and you cannot overwrite an existing page. <b>WARNING!</b> This can be a drastic and unexpected change for a popular page; please be sure you understand the consequences of this before proceeding. 2241 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Using the form below will rename a page, moving all of its history to the new name. The old title will become a redirect page to the new title. Links to the old page title will not be changed; be sure to [[Special:Maintenance|check]] for double or broken redirects. You are responsible for making sure that links continue to point where they are supposed to go. Note that the page will '''not''' be moved if there is already a page at the new title, unless it is empty or a redirect and has no past edit history. This means that you can rename a page back to where it was just renamed from if you make a mistake, and you cannot overwrite an existing page. <b>WARNING!</b> This can be a drastic and unexpected change for a popular page; please be sure you understand the consequences of this before proceeding. 3124 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default Using the form below will rename a page, moving all of its history to the new name. The old title will become a redirect page to the new title. Links to the old page title will not be changed; be sure to check for double or broken redirects. You are responsible for making sure that links continue to point where they are supposed to go. Note that the page will '''not''' be moved if there is already a page at the new title, unless it is empty or a redirect and has no past edit history. This means that you can rename a page back to where it was just renamed from if you make a mistake, and you cannot overwrite an existing page. <b>WARNING!</b> This can be a drastic and unexpected change for a popular page; please be sure you understand the consequences of this before proceeding. MediaWiki:Movetalk 406 sysop 410 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Move "talk" page as well, if applicable. 1326 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default Move "talk" page as well, if applicable. 2242 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Move "talk" page as well, if applicable. 3833 2006-03-28T05:59:03Z MediaWiki default Move associated talk page MediaWiki:Movethispage 407 sysop 411 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Move this page 1327 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default Move this page 2243 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Move this page MediaWiki:Mw math html 408 sysop 412 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default HTML if possible or else PNG 1328 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default HTML if possible or else PNG 2244 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default HTML if possible or else PNG MediaWiki:Mw math mathml 409 sysop 413 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default MathML if possible (experimental) 1329 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default MathML if possible (experimental) 2245 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default MathML if possible (experimental) MediaWiki:Mw math modern 410 sysop 414 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Recommended for modern browsers 1330 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default Recommended for modern browsers 2246 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Recommended for modern browsers MediaWiki:Mw math png 411 sysop 415 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Always render PNG 1331 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default Always render PNG 2247 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Always render PNG MediaWiki:Mw math simple 412 sysop 416 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default HTML if very simple or else PNG 1332 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default HTML if very simple or else PNG 2248 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default HTML if very simple or else PNG MediaWiki:Mw math source 413 sysop 417 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Leave it as TeX (for text browsers) 1333 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default Leave it as TeX (for text browsers) 2249 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Leave it as TeX (for text browsers) MediaWiki:Mycontris 414 sysop 418 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default My contributions 1334 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default My contributions 2250 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default My contributions MediaWiki:Mypage 415 sysop 419 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default मेरा पृष्ठ 1335 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default मेरा पृष्ठ 2251 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default मेरा पृष्ठ MediaWiki:Mytalk 416 sysop 420 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default मेरी बातें 1336 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default मेरी बातें 2252 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default मेरी बातें MediaWiki:Navigation 417 sysop 421 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Navigation 1337 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default Navigation 2253 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Navigation MediaWiki:Nbytes 418 sysop 422 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default $1 bytes 1338 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default $1 bytes 2254 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default $1 bytes 3948 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 {{PLURAL:$1|byte|bytes}} MediaWiki:Nchanges 419 sysop 423 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default $1 changes 1339 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default $1 changes 2255 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default $1 changes MediaWiki:Newarticle 420 sysop 424 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (New) 1340 2004-12-17T07:38:03Z MediaWiki default (New) 2256 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default (New) MediaWiki:Newarticletext 421 sysop 425 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You've followed a link to a page that doesn't exist yet. 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If you are here by mistake, just click your browser's '''back''' button. MediaWiki:Newbies 422 sysop 426 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default newbies 1342 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default newbies 2258 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default newbies MediaWiki:Newimages 423 sysop 427 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default New images gallery 1343 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default New images gallery 2259 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default New images gallery 3299 2005-07-29T10:41:32Z MediaWiki default Gallery of new files MediaWiki:Newmessages 424 sysop 428 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default आपके लिये $1 हैं. 1344 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default आपके लिये $1 हैं. 2260 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default आपके लिये $1 हैं. MediaWiki:Newmessageslink 425 sysop 429 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default नये सन्देश 1345 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default नये सन्देश 2261 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default नये सन्देश 3778 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default new messages MediaWiki:Newpage 426 sysop 430 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default नया पृष्ठ 1346 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default नया पृष्ठ 2262 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default नया पृष्ठ 4193 2006-10-25T18:15:27Z MediaWiki default 26 नया पृष्ठ MediaWiki:Newpageletter 427 sysop 431 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default N 1347 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default N 2263 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default N MediaWiki:Newpages 428 sysop 432 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default New pages 1348 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default New pages 2264 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default New pages MediaWiki:Newpassword 429 sysop 433 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default New password 1349 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default New password 2265 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default New password 3482 2005-11-09T22:26:00Z MediaWiki default New password: MediaWiki:Newtitle 430 sysop 434 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default To new title 1350 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default To new title 2266 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default To new title MediaWiki:Newusersonly 431 sysop 435 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (new users only) 1351 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default (new users only) 2267 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default (new users only) MediaWiki:Newwindow 432 sysop 436 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (opens in new window) 1352 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default (opens in new window) 2268 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default (opens in new window) MediaWiki:Next 433 sysop 437 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default next 1353 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default next 2269 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default next MediaWiki:Nextdiff 434 sysop 438 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Go to next diff &rarr; 1354 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default Go to next diff &rarr; 2270 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Go to next diff &rarr; 3127 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default Next diff → 3300 2005-07-29T10:41:32Z MediaWiki default Next diff &rarr; 3364 2005-08-19T23:15:19Z MediaWiki default Next diff → MediaWiki:Nextn 435 sysop 439 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default next $1 1355 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default next $1 2271 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default next $1 MediaWiki:Nextpage 436 sysop 440 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Next page ($1) 1356 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default Next page ($1) 2272 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Next page ($1) MediaWiki:Nextrevision 437 sysop 441 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Newer revision&rarr; 1357 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default Newer revision&rarr; 2273 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Newer revision&rarr; 3365 2005-08-19T23:15:19Z MediaWiki default Newer revision→ MediaWiki:Nlinks 438 sysop 442 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default $1 links 1358 2004-12-17T07:38:04Z MediaWiki default $1 links 2274 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default $1 links 3951 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 {{PLURAL:$1|link|links}} MediaWiki:Noaffirmation 439 sysop 443 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You must affirm that your upload does not violate any copyrights. 1359 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default You must affirm that your upload does not violate any copyrights. 2275 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default You must affirm that your upload does not violate any copyrights. 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MediaWiki:Noblockreason 441 sysop 445 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You must supply a reason for the block. 1361 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default You must supply a reason for the block. 2277 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default You must supply a reason for the block. MediaWiki:Noconnect 442 sysop 446 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Sorry! The wiki is experiencing some technical difficulties, and cannot contact the database server. <br /> $1 1362 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default Sorry! The wiki is experiencing some technical difficulties, and cannot contact the database server. <br /> $1 2278 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Sorry! The wiki is experiencing some technical difficulties, and cannot contact the database server. <br /> $1 MediaWiki:Nocontribs 443 sysop 447 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default No changes were found matching these criteria. 1363 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default No changes were found matching these criteria. 2279 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default No changes were found matching these criteria. MediaWiki:Nocookieslogin 444 sysop 448 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default {{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them and try again. 1364 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default {{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them and try again. 2280 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default {{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them and try again. MediaWiki:Nocookiesnew 445 sysop 449 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The user account was created, but you are not logged in. {{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them, then log in with your new username and password. 1365 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default The user account was created, but you are not logged in. {{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them, then log in with your new username and password. 2281 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default The user account was created, but you are not logged in. {{SITENAME}} uses cookies to log in users. You have cookies disabled. Please enable them, then log in with your new username and password. MediaWiki:Nocreativecommons 446 sysop 450 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Creative Commons RDF metadata disabled for this server. 1366 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default Creative Commons RDF metadata disabled for this server. 2282 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Creative Commons RDF metadata disabled for this server. MediaWiki:Nocredits 447 sysop 451 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default There is no credits info available for this page. 1367 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default There is no credits info available for this page. 2283 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default There is no credits info available for this page. MediaWiki:Nodb 448 sysop 452 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Could not select database $1 1368 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default Could not select database $1 2284 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Could not select database $1 MediaWiki:Nodublincore 449 sysop 453 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Dublin Core RDF metadata disabled for this server. 1369 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default Dublin Core RDF metadata disabled for this server. 2285 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Dublin Core RDF metadata disabled for this server. MediaWiki:Noemail 450 sysop 454 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default There is no e-mail address recorded for user "$1". 1370 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default There is no e-mail address recorded for user "$1". 2286 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default There is no e-mail address recorded for user "$1". MediaWiki:Noemailtext 451 sysop 455 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This user has not specified a valid e-mail address, or has chosen not to receive e-mail from other users. 1371 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default This user has not specified a valid e-mail address, or has chosen not to receive e-mail from other users. 2287 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default This user has not specified a valid e-mail address, or has chosen not to receive e-mail from other users. MediaWiki:Noemailtitle 452 sysop 456 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default No e-mail address 1372 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default No e-mail address 2288 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default No e-mail address MediaWiki:Nogomatch 453 sysop 457 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default No page with this exact title exists, trying full text search. 1373 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default No page with this exact title exists, trying full text search. 2289 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default No page with this exact title exists, trying full text search. 3129 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default No page with [[$1|this exact title]] exists, trying full text search. 3780 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default '''There is no page titled "$1".''' You can [[$1|create this page]]. MediaWiki:Nohistory 454 sysop 458 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default There is no edit history for this page. 1374 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default There is no edit history for this page. 2290 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default There is no edit history for this page. MediaWiki:Noimages 455 sysop 459 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Nothing to see. 1375 2004-12-17T07:38:05Z MediaWiki default Nothing to see. 2291 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default Nothing to see. MediaWiki:Nolinkshere 456 sysop 460 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default No pages link to here. 1376 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default No pages link to here. 2292 2005-06-25T11:06:32Z MediaWiki default No pages link to here. 4112 2006-08-31T18:37:03Z MediaWiki default No pages link to '''[[:$1]]'''. MediaWiki:Nolinkstoimage 457 sysop 461 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default There are no pages that link to this image. 1377 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default There are no pages that link to this image. 2293 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default There are no pages that link to this image. 3131 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default There are no pages that link to this file. MediaWiki:Noname 458 sysop 462 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You have not specified a valid user name. 1378 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default You have not specified a valid user name. 2294 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You have not specified a valid user name. MediaWiki:Nonefound 459 sysop 463 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default '''Note''': unsuccessful searches are often caused by searching for common words like "have" and "from", which are not indexed, or by specifying more than one search term (only pages containing all of the search terms will appear in the result). 1379 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default '''Note''': unsuccessful searches are often caused by searching for common words like "have" and "from", which are not indexed, or by specifying more than one search term (only pages containing all of the search terms will appear in the result). 2295 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default '''Note''': unsuccessful searches are often caused by searching for common words like "have" and "from", which are not indexed, or by specifying more than one search term (only pages containing all of the search terms will appear in the result). 4113 2006-08-31T18:37:03Z MediaWiki default '''Note''': Unsuccessful searches are often caused by searching for common words like "have" and "from", which are not indexed, or by specifying more than one search term (only pages containing all of the search terms will appear in the result). MediaWiki:Nonunicodebrowser 460 sysop 464 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <strong>WARNING: Your browser is not unicode compliant, please change it before editing an article.</strong> 1380 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default <strong>WARNING: Your browser is not unicode compliant, please change it before editing an article.</strong> 2296 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <strong>WARNING: Your browser is not unicode compliant, please change it before editing an article.</strong> 3302 2005-07-29T10:41:32Z MediaWiki default <strong>WARNING: Your browser is not unicode compliant. A workaround is in place to allow you to safely edit articles: non-ASCII characters will appear in the edit box as hexadecimal codes.</strong> MediaWiki:Nospecialpagetext 461 sysop 465 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default आपने ऐसा विशेष पृष्ठ मांगा है जो विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में नहीं है. 1381 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default आपने ऐसा विशेष पृष्ठ मांगा है जो विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में नहीं है. 2297 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default आपने ऐसा विशेष पृष्ठ मांगा है जो विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में नहीं है. 3781 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default आपने ऐसा विशेष पृष्ठ मांगा है जो {{SITENAME}} सौफ़्टवेयर में नहीं है. MediaWiki:Nosuchaction 462 sysop 466 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default ऐसा कोई कार्य नहीं है 1382 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default ऐसा कोई कार्य नहीं है 2298 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default ऐसा कोई कार्य नहीं है MediaWiki:Nosuchactiontext 463 sysop 467 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में इस URL द्वारा निर्धारित कोई क्रिया नही है 1383 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में इस URL द्वारा निर्धारित कोई क्रिया नही है 2299 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default विकिपीडिया सौफ़्टवेयर में इस URL द्वारा निर्धारित कोई क्रिया नही है 3782 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default {{SITENAME}} सौफ़्टवेयर में इस URL द्वारा निर्धारित कोई क्रिया नही है MediaWiki:Nosuchspecialpage 464 sysop 468 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default ऐसा कोई विशेष पृष्ठ नहीं है 1384 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default ऐसा कोई विशेष पृष्ठ नहीं है 2300 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default ऐसा कोई विशेष पृष्ठ नहीं है MediaWiki:Nosuchuser 465 sysop 469 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default There is no user by the name "$1". Check your spelling, or use the form below to create a new user account. 1385 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default There is no user by the name "$1". Check your spelling, or use the form below to create a new user account. 2301 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default There is no user by the name "$1". Check your spelling, or use the form below to create a new user account. 3598 2005-12-02T02:19:03Z MediaWiki default There is no user by the name "$1". Check your spelling, or create a new account. MediaWiki:Nosuchusershort 466 sysop 470 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default There is no user by the name "$1". Check your spelling. 1386 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default There is no user by the name "$1". Check your spelling. 2302 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default There is no user by the name "$1". Check your spelling. MediaWiki:Notacceptable 467 sysop 471 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The wiki server can't provide data in a format your client can read. 1387 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default The wiki server can't provide data in a format your client can read. 2303 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The wiki server can't provide data in a format your client can read. MediaWiki:Notanarticle 468 sysop 472 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Not a content page 1388 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default Not a content page 2304 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Not a content page MediaWiki:Notargettext 469 sysop 473 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You have not specified a target page or user to perform this function on. 1389 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default You have not specified a target page or user to perform this function on. 2305 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You have not specified a target page or user to perform this function on. MediaWiki:Notargettitle 470 sysop 474 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default No target 1390 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default No target 2306 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default No target MediaWiki:Note 471 sysop 475 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <strong>Note:</strong> 1391 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default <strong>Note:</strong> 2307 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <strong>Note:</strong> 3783 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default <strong>Note:</strong> MediaWiki:Notextmatches 472 sysop 476 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default No page text matches 1392 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default No page text matches 2308 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default No page text matches MediaWiki:Notitlematches 473 sysop 477 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default No page title matches 1393 2004-12-17T07:38:06Z MediaWiki default No page title matches 2309 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default No page title matches MediaWiki:Notloggedin 474 sysop 478 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Not logged in 1394 2004-12-17T07:38:07Z MediaWiki default Not logged in 2310 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Not logged in MediaWiki:Nov 475 sysop 479 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default नवम्बर 1395 2004-12-17T07:38:07Z MediaWiki default नवम्बर 2311 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default नवम्बर MediaWiki:November 476 sysop 480 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default नवम्बर 1396 2004-12-17T07:38:07Z MediaWiki default नवम्बर 2312 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default नवम्बर MediaWiki:Nowatchlist 477 sysop 481 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You have no items on your watchlist. 1397 2004-12-17T07:38:07Z MediaWiki default You have no items on your watchlist. 2313 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You have no items on your watchlist. 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MediaWiki:Pagetitle 507 sysop 511 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default $1 - {{SITENAME}} 1427 2004-12-17T07:38:08Z MediaWiki default $1 - {{SITENAME}} 2343 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default $1 - {{SITENAME}} MediaWiki:Passwordremindertext 508 sysop 512 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Someone (probably you, from IP address $1) requested that we send you a new {{SITENAME}} login password. The password for user "$2" is now "$3". You should log in and change your password now. 1428 2004-12-17T07:38:08Z MediaWiki default Someone (probably you, from IP address $1) requested that we send you a new {{SITENAME}} login password. The password for user "$2" is now "$3". You should log in and change your password now. 2344 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Someone (probably you, from IP address $1) requested that we send you a new {{SITENAME}} login password. The password for user "$2" is now "$3". You should log in and change your password now. 3407 2005-09-05T09:24:36Z MediaWiki default Someone (probably you, from IP address $1) requested that we send you a new {{SITENAME}} login password for {{SERVERNAME}}. The password for user "$2" is now "$3". You should log in and change your password now. If someone else made this request or if you have remembered your password and you no longer wish to change it, you may ignore this message and continue using your old password. 3961 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Someone (probably you, from IP address $1) requested that we send you a new password for {{SITENAME}} ($4). The password for user "$2" is now "$3". You should log in and change your password now. If someone else made this request or if you have remembered your password and you no longer wish to change it, you may ignore this message and continue using your old password. MediaWiki:Passwordremindertitle 509 sysop 513 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Password reminder from {{SITENAME}} 1429 2004-12-17T07:38:08Z MediaWiki default Password reminder from {{SITENAME}} 2345 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Password reminder from {{SITENAME}} MediaWiki:Passwordsent 510 sysop 514 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default A new password has been sent to the e-mail address registered for "$1". Please log in again after you receive it. 1430 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default A new password has been sent to the e-mail address registered for "$1". Please log in again after you receive it. 2346 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default A new password has been sent to the e-mail address registered for "$1". Please log in again after you receive it. MediaWiki:Perfcached 511 sysop 515 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The following data is cached and may not be completely up to date: 1431 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default The following data is cached and may not be completely up to date: 2347 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The following data is cached and may not be completely up to date: 3962 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default The following data is cached and may not be up to date. MediaWiki:Perfdisabled 512 sysop 516 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Sorry! This feature has been temporarily disabled because it slows the database down to the point that no one can use the wiki. 1432 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Sorry! This feature has been temporarily disabled because it slows the database down to the point that no one can use the wiki. 2348 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Sorry! This feature has been temporarily disabled because it slows the database down to the point that no one can use the wiki. 3408 2005-09-05T09:24:36Z MediaWiki default Sorry! This feature has been temporarily disabled because it slows the database down to the point that no one can use the wiki. MediaWiki:Perfdisabledsub 513 sysop 517 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Here's a saved copy from $1: 1433 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Here's a saved copy from $1: 2349 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Here's a saved copy from $1: 3409 2005-09-05T09:24:36Z MediaWiki default Here is a saved copy from $1: MediaWiki:Personaltools 514 sysop 518 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Personal tools 1434 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Personal tools 2350 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Personal tools MediaWiki:Popularpages 515 sysop 519 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Popular pages 1435 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Popular pages 2351 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Popular pages MediaWiki:Portal 516 sysop 520 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Community portal 1436 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Community portal 2352 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Community portal MediaWiki:Portal-url 517 sysop 521 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Project:Community Portal 1437 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Project:Community Portal 2353 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Project:Community Portal MediaWiki:Postcomment 518 sysop 522 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Post a comment 1438 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Post a comment 2354 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Post a comment MediaWiki:Poweredby 519 sysop 523 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default {{SITENAME}} is powered by [http://www.mediawiki.org/ MediaWiki], an open source wiki engine. 1439 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default {{SITENAME}} is powered by [http://www.mediawiki.org/ MediaWiki], an open source wiki engine. 2355 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default {{SITENAME}} is powered by [http://www.mediawiki.org/ MediaWiki], an open source wiki engine. MediaWiki:Powersearch 520 sysop 524 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Search 1440 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Search 2356 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Search MediaWiki:Powersearchtext 521 sysop 525 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Search in namespaces :<br /> $1<br /> $2 List redirects &nbsp; Search for $3 $9 1441 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Search in namespaces :<br /> $1<br /> $2 List redirects &nbsp; Search for $3 $9 2357 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Search in namespaces :<br /> $1<br /> $2 List redirects &nbsp; Search for $3 $9 3964 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Search in namespaces:<br />$1<br />$2 List redirects<br />Search for $3 $9 MediaWiki:Preferences 522 sysop 526 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Preferences 1442 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Preferences 2358 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Preferences MediaWiki:Prefs-help-userdata 523 sysop 527 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default * <strong>Real name</strong> (optional): if you choose to provide it this will be used for giving you attribution for your work.<br /> * <strong>Email</strong> (optional): Enables people to contact you through the website without you having to reveal your email address to them, and it can be used to send you a new password if you forget it. 1443 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default * <strong>Real name</strong> (optional): if you choose to provide it this will be used for giving you attribution for your work.<br /> * <strong>Email</strong> (optional): Enables people to contact you through the website without you having to reveal your email address to them, and it can be used to send you a new password if you forget it. 2359 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default * <strong>Real name</strong> (optional): if you choose to provide it this will be used for giving you attribution for your work.<br /> * <strong>Email</strong> (optional): Enables people to contact you through the website without you having to reveal your email address to them, and it can be used to send you a new password if you forget it. MediaWiki:Prefs-misc 524 sysop 528 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Misc settings 1444 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Misc settings 2360 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Misc settings 3139 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default Misc MediaWiki:Prefs-personal 525 sysop 529 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default User data 1445 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default User data 2361 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default User data 3488 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default User profile MediaWiki:Prefs-rc 526 sysop 530 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Recent changes and stub display 1446 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default Recent changes and stub display 2362 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Recent changes and stub display 3140 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default Recent changes & stubs 3489 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default Recent changes MediaWiki:Prefslogintext 527 sysop 531 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You are logged in as "$1". Your internal ID number is $2. See [[Project:User preferences help]] for help deciphering the options. 1447 2004-12-17T07:38:09Z MediaWiki default You are logged in as "$1". Your internal ID number is $2. See [[Project:User preferences help]] for help deciphering the options. 2363 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You are logged in as "$1". Your internal ID number is $2. See [[Project:User preferences help]] for help deciphering the options. MediaWiki:Prefsnologin 528 sysop 532 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Not logged in 1448 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default Not logged in 2364 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Not logged in MediaWiki:Prefsnologintext 529 sysop 533 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to set user preferences. 1449 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to set user preferences. 2365 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to set user preferences. 3141 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default You must be [[Special:Userlogin|logged in]] to set user preferences. 3307 2005-07-29T10:41:33Z MediaWiki default You must be [[Special:Userlogin|logged in]] to set user preferences. MediaWiki:Prefsreset 530 sysop 534 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Preferences have been reset from storage. 1450 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default Preferences have been reset from storage. 2366 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Preferences have been reset from storage. MediaWiki:Preview 531 sysop 535 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Preview 1451 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default Preview 2367 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Preview MediaWiki:Previewconflict 532 sysop 536 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This preview reflects the text in the upper text editing area as it will appear if you choose to save. 1452 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default This preview reflects the text in the upper text editing area as it will appear if you choose to save. 2368 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default This preview reflects the text in the upper text editing area as it will appear if you choose to save. 3969 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default This preview reflects the text in the upper text editing area as it will appear if you choose to save. MediaWiki:Previewnote 533 sysop 537 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Remember that this is only a preview, and has not yet been saved! 1453 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default Remember that this is only a preview, and has not yet been saved! 2369 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Remember that this is only a preview, and has not yet been saved! 3490 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default <strong>This is only a preview; changes have not yet been saved!</strong> MediaWiki:Previousdiff 534 sysop 538 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default &larr; Go to previous diff 1454 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default &larr; Go to previous diff 2370 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default &larr; Go to previous diff 3142 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default ← Previous diff 3308 2005-07-29T10:41:33Z MediaWiki default &larr; Previous diff 3366 2005-08-19T23:15:20Z MediaWiki default ← Previous diff MediaWiki:Previousrevision 535 sysop 539 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default &larr;Older revision 1455 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default &larr;Older revision 2371 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default &larr;Older revision 3367 2005-08-19T23:15:20Z MediaWiki default ←Older revision MediaWiki:Prevn 536 sysop 540 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default previous $1 1456 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default previous $1 2372 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default previous $1 MediaWiki:Printableversion 537 sysop 541 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Printable version 1457 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default Printable version 2373 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Printable version MediaWiki:Printsubtitle 538 sysop 542 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (From http://www.wikipedia.org) 1458 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default (From http://www.wikipedia.org) 2374 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default (From http://www.wikipedia.org) 3144 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default (From {{SERVER}}) MediaWiki:Protect 539 sysop 543 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Protect 1459 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default Protect 2375 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Protect MediaWiki:Protectcomment 540 sysop 544 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Reason for protecting 1460 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default Reason for protecting 2376 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Reason for protecting MediaWiki:Protectedarticle 541 sysop 545 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default protected $1 1461 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default protected $1 2377 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default protected $1 3145 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default protected "[[$1]]" MediaWiki:Protectedpage 542 sysop 546 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default सुरक्षित पृष्ठ 1462 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default सुरक्षित पृष्ठ 2378 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default सुरक्षित पृष्ठ MediaWiki:Protectedpagewarning 543 sysop 547 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default WARNING: This page has been locked so that only users with sysop privileges can edit it. Be sure you are following the <a href='/w/index.php/Project:Protected_page_guidelines'>protected page guidelines</a>. 1463 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default WARNING: This page has been locked so that only users with sysop privileges can edit it. Be sure you are following the <a href='/w/index.php/Project:Protected_page_guidelines'>protected page guidelines</a>. 2379 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default WARNING: This page has been locked so that only users with sysop privileges can edit it. Be sure you are following the <a href='/w/index.php/Project:Protected_page_guidelines'>protected page guidelines</a>. 3146 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default <strong>WARNING: This page has been locked so that only users with sysop privileges can edit it. Be sure you are following the [[Project:Protected_page_guidelines|protected page guidelines]].</strong> 3973 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default <strong>WARNING: This page has been locked so that only users with sysop privileges can edit it.</strong> MediaWiki:Protectedtext 544 sysop 548 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This page has been locked to prevent editing; there are a number of reasons why this may be so, please see [[Project:Protected page]]. You can view and copy the source of this page: 1464 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default This page has been locked to prevent editing; there are a number of reasons why this may be so, please see [[Project:Protected page]]. You can view and copy the source of this page: 2380 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default This page has been locked to prevent editing; there are a number of reasons why this may be so, please see [[Project:Protected page]]. You can view and copy the source of this page: 3974 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default This page has been locked to prevent editing. You can view and copy the source of this page: MediaWiki:Protectlogpage 545 sysop 549 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Protection_log 1465 2004-12-17T07:38:10Z MediaWiki default Protection_log 2381 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Protection_log 3975 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Protection log MediaWiki:Protectlogtext 546 sysop 550 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Below is a list of page locks/unlocks. See [[Project:Protected page]] for more information. 1466 2004-12-17T07:38:11Z MediaWiki default Below is a list of page locks/unlocks. See [[Project:Protected page]] for more information. 2382 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Below is a list of page locks/unlocks. See [[Project:Protected page]] for more information. 3976 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Below is a list of page locks and unlocks. MediaWiki:Protectmoveonly 547 sysop 551 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Protect from moves only 1467 2004-12-17T07:38:11Z MediaWiki default Protect from moves only 2383 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Protect from moves only MediaWiki:Protectpage 548 sysop 552 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Protect page 1468 2004-12-17T07:38:11Z MediaWiki default Protect page 2384 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Protect page MediaWiki:Protectreason 549 sysop 553 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (give a reason) 1469 2004-12-17T07:38:11Z MediaWiki default (give a reason) 2385 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default (give a reason) MediaWiki:Protectsub 550 sysop 554 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (Protecting "$1") 1470 2004-12-17T07:38:11Z MediaWiki default (Protecting "$1") 2386 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default (Protecting "$1") MediaWiki:Protectthispage 551 sysop 555 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default इस पृष्ठ को सुरक्षित करें 1471 2004-12-17T07:38:11Z MediaWiki default इस पृष्ठ को सुरक्षित करें 2387 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default इस पृष्ठ को सुरक्षित करें MediaWiki:Proxyblocker 552 sysop 556 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Proxy blocker 1472 2004-12-17T07:38:11Z MediaWiki default Proxy blocker 2388 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Proxy blocker MediaWiki:Proxyblockreason 553 sysop 557 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Your IP address has been blocked because it is an open proxy. Please contact your Internet service provider or tech support and inform them of this serious security problem. 1473 2004-12-17T07:38:11Z MediaWiki default Your IP address has been blocked because it is an open proxy. Please contact your Internet service provider or tech support and inform them of this serious security problem. 2389 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Your IP address has been blocked because it is an open proxy. Please contact your Internet service provider or tech support and inform them of this serious security problem. MediaWiki:Proxyblocksuccess 554 sysop 558 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Done. 1474 2004-12-17T07:38:11Z MediaWiki default Done. 2390 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Done. 3687 2005-12-22T07:14:41Z MediaWiki default Done. 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MediaWiki:Qbspecialpages 564 sysop 568 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Special pages 1484 2004-12-17T07:38:12Z MediaWiki default Special pages 2400 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Special pages MediaWiki:Querybtn 565 sysop 569 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Submit query 1485 2004-12-17T07:38:12Z MediaWiki default Submit query 2401 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Submit query MediaWiki:Querysuccessful 566 sysop 570 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Query successful 1486 2004-12-17T07:38:12Z MediaWiki default Query successful 2402 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Query successful MediaWiki:Randompage 567 sysop 571 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Random page 1487 2004-12-17T07:38:12Z MediaWiki default Random page 2403 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Random page MediaWiki:Randompage-url 568 sysop 572 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Special:Randompage 1488 2004-12-17T07:38:12Z MediaWiki default Special:Randompage 2404 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Special:Randompage 3147 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default Special:Random MediaWiki:Range block disabled 569 sysop 573 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The sysop ability to create range blocks is disabled. 1489 2004-12-17T07:38:12Z MediaWiki default The sysop ability to create range blocks is disabled. 2405 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The sysop ability to create range blocks is disabled. 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MediaWiki:Readonly 580 sysop 584 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Database locked 1500 2004-12-17T07:38:12Z MediaWiki default Database locked 2416 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Database locked MediaWiki:Readonlytext 581 sysop 585 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The database is currently locked to new entries and other modifications, probably for routine database maintenance, after which it will be back to normal. The administrator who locked it offered this explanation: <p>$1 1501 2004-12-17T07:38:12Z MediaWiki default The database is currently locked to new entries and other modifications, probably for routine database maintenance, after which it will be back to normal. The administrator who locked it offered this explanation: <p>$1 2417 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The database is currently locked to new entries and other modifications, probably for routine database maintenance, after which it will be back to normal. The administrator who locked it offered this explanation: <p>$1 3309 2005-07-29T10:41:33Z MediaWiki default The database is currently locked to new entries and other modifications, probably for routine database maintenance, after which it will be back to normal. The administrator who locked it offered this explanation: $1 3412 2005-09-05T09:24:36Z MediaWiki default The database is currently locked to new entries and other modifications, probably for routine database maintenance, after which it will be back to normal. The administrator who locked it offered this explanation: $1 MediaWiki:Readonlywarning 582 sysop 586 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default WARNING: The database has been locked for maintenance, so you will not be able to save your edits right now. You may wish to cut-n-paste the text into a text file and save it for later. 1502 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default WARNING: The database has been locked for maintenance, so you will not be able to save your edits right now. You may wish to cut-n-paste the text into a text file and save it for later. 2418 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default WARNING: The database has been locked for maintenance, so you will not be able to save your edits right now. You may wish to cut-n-paste the text into a text file and save it for later. 3148 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default <strong>WARNING: The database has been locked for maintenance, so you will not be able to save your edits right now. You may wish to cut-n-paste the text into a text file and save it for later.</strong> MediaWiki:Recentchanges 583 sysop 587 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Recent changes 1503 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default Recent changes 2419 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Recent changes MediaWiki:Recentchanges-url 584 sysop 588 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Special:Recentchanges 1504 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default Special:Recentchanges 2420 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Special:Recentchanges MediaWiki:Recentchangescount 585 sysop 589 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Number of titles in recent changes 1505 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default Number of titles in recent changes 2421 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Number of titles in recent changes 3150 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default Titles in recent changes 3491 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default Titles in recent changes: MediaWiki:Recentchangeslinked 586 sysop 590 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Related changes 1506 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default Related changes 2422 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Related changes MediaWiki:Recentchangestext 587 sysop 591 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Track the most recent changes to the wiki on this page. 1507 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default Track the most recent changes to the wiki on this page. 2423 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Track the most recent changes to the wiki on this page. 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MediaWiki:Removingchecked 593 sysop 597 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Removing requested items from watchlist... 1513 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default Removing requested items from watchlist... 2429 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Removing requested items from watchlist... MediaWiki:Resetprefs 594 sysop 598 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Reset preferences 1514 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default Reset preferences 2430 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Reset preferences 3152 2005-06-26T17:40:28Z MediaWiki default Reset MediaWiki:Restorelink 595 sysop 599 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default $1 deleted edits 1515 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default $1 deleted edits 2431 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default $1 deleted edits 3986 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default {{PLURAL:$1|one deleted edit|$1 deleted edits}} MediaWiki:Resultsperpage 596 sysop 600 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Hits to show per page 1516 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default Hits to show per page 2432 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Hits to show per page 3154 2005-06-26T17:40:28Z MediaWiki default Hits per page 3494 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default Hits per page: MediaWiki:Retrievedfrom 597 sysop 601 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default "$1" से लिया गया 1517 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default "$1" से लिया गया 2433 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default "$1" से लिया गया MediaWiki:Returnto 598 sysop 602 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default लौटें $1. 1518 2004-12-17T07:38:13Z MediaWiki default लौटें $1. 2434 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default लौटें $1. 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Please check the URL you used to access this page. 1529 2004-12-17T07:38:14Z MediaWiki default The old revision of the page you asked for could not be found. Please check the URL you used to access this page. 2445 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The old revision of the page you asked for could not be found. Please check the URL you used to access this page. 3688 2005-12-22T07:14:41Z MediaWiki default The old revision of the page you asked for could not be found. Please check the URL you used to access this page. 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Please see its '''[[Commons:Image:{{PAGENAME}}|description page]]''' there. 3163 2005-06-26T17:40:28Z MediaWiki default This file is a shared upload and may be used by other projects. 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This includes "talk" pages, pages about {{SITENAME}}, minimal "stub" pages, redirects, and others that probably don't qualify as content pages. Excluding those, there are '''$2''' pages that are probably legitimate content pages. There have been a total of '''$3''' page views, and '''$4''' page edits since the wiki was setup. That comes to '''$5''' average edits per page, and '''$6''' views per edit. 1610 2004-12-17T07:38:19Z MediaWiki default There are '''$1''' total pages in the database. This includes "talk" pages, pages about {{SITENAME}}, minimal "stub" pages, redirects, and others that probably don't qualify as content pages. Excluding those, there are '''$2''' pages that are probably legitimate content pages. There have been a total of '''$3''' page views, and '''$4''' page edits since the wiki was setup. That comes to '''$5''' average edits per page, and '''$6''' views per edit. 2526 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default There are '''$1''' total pages in the database. This includes "talk" pages, pages about {{SITENAME}}, minimal "stub" pages, redirects, and others that probably don't qualify as content pages. Excluding those, there are '''$2''' pages that are probably legitimate content pages. There have been a total of '''$3''' page views, and '''$4''' page edits since the wiki was setup. That comes to '''$5''' average edits per page, and '''$6''' views per edit. 3799 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default There are '''$1''' total pages in the database. This includes "talk" pages, pages about {{SITENAME}}, minimal "stub" pages, redirects, and others that probably don't qualify as content pages. Excluding those, there are '''$2''' pages that are probably legitimate content pages. There have been a total of '''$3''' page views, and '''$4''' page edits since the wiki was setup. That comes to '''$5''' average edits per page, and '''$6''' views per edit. The [http://meta.wikimedia.org/wiki/Help:Job_queue job queue] length is '''$7'''. 3852 2006-03-28T05:59:04Z MediaWiki default There are '''$1''' total pages in the database. This includes "talk" pages, pages about {{SITENAME}}, minimal "stub" pages, redirects, and others that probably don't qualify as content pages. Excluding those, there are '''$2''' pages that are probably legitimate content pages. '''$8''' files have been uploaded. There have been a total of '''$3''' page views, and '''$4''' page edits since the wiki was setup. That comes to '''$5''' average edits per page, and '''$6''' views per edit. The [http://meta.wikimedia.org/wiki/Help:Job_queue job queue] length is '''$7'''. MediaWiki:Sitesubtitle 691 sysop 695 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default निःशुल्क ज्ञान संग्रह 1611 2004-12-17T07:38:19Z MediaWiki default निःशुल्क ज्ञान संग्रह 2527 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default निःशुल्क ज्ञान संग्रह 3689 2005-12-22T07:14:42Z MediaWiki default MediaWiki:Sitesupport 692 sysop 696 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default - 1612 2004-12-17T07:38:19Z MediaWiki default - 2528 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default - 3168 2005-06-26T17:40:28Z MediaWiki default Donations MediaWiki:Sitesupport-url 693 sysop 697 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Project:Site support 1613 2004-12-17T07:38:19Z MediaWiki default Project:Site support 2529 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Project:Site support MediaWiki:Sitetitle 694 sysop 698 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default विकिपीडिया 1614 2004-12-17T07:38:19Z MediaWiki default विकिपीडिया 2530 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default विकिपीडिया 3800 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default {{SITENAME}} MediaWiki:Siteuser 695 sysop 699 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Wikiquote user $1 1615 2004-12-17T07:38:19Z MediaWiki default Wikiquote user $1 2531 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Wikiquote user $1 3320 2005-07-29T10:41:33Z MediaWiki default {{SITENAME}} user $1 MediaWiki:Siteusers 696 sysop 700 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Wikiquote user(s) $1 1616 2004-12-17T07:38:19Z MediaWiki default Wikiquote user(s) $1 2532 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Wikiquote user(s) $1 3321 2005-07-29T10:41:33Z MediaWiki default {{SITENAME}} user(s) $1 MediaWiki:Skin 697 sysop 701 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Skin 1617 2004-12-17T07:38:19Z MediaWiki default Skin 2533 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Skin MediaWiki:Spamprotectionmatch 698 sysop 702 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The following text is what triggered our spam filter: $1 1618 2004-12-17T07:38:19Z MediaWiki default The following text is what triggered our spam filter: $1 2534 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The following text is what triggered our spam filter: $1 MediaWiki:Spamprotectiontext 699 sysop 703 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The page you wanted to save was blocked by the spam filter. This is probably caused by a link to an external site. 1619 2004-12-17T07:38:19Z MediaWiki default The page you wanted to save was blocked by the spam filter. This is probably caused by a link to an external site. 2535 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The page you wanted to save was blocked by the spam filter. This is probably caused by a link to an external site. MediaWiki:Spamprotectiontitle 700 sysop 704 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Spam protection filter 1620 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Spam protection filter 2536 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Spam protection filter MediaWiki:Special version postfix 701 sysop 705 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default 1621 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default 2537 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default MediaWiki:Special version prefix 702 sysop 706 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default 1622 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default 2538 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default MediaWiki:Specialpage 703 sysop 707 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Special Page 1623 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Special Page 2539 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Special Page MediaWiki:Specialpages 704 sysop 708 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Special pages 1624 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Special pages 2540 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Special pages MediaWiki:Spheading 705 sysop 709 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Special pages for all users 1625 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Special pages for all users 2541 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Special pages for all users MediaWiki:Sqlislogged 706 sysop 710 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Please note that all queries are logged. 1626 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Please note that all queries are logged. 2542 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Please note that all queries are logged. MediaWiki:Sqlquery 707 sysop 711 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Enter query 1627 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Enter query 2543 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Enter query MediaWiki:Statistics 708 sysop 712 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Statistics 1628 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Statistics 2544 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Statistics MediaWiki:Storedversion 709 sysop 713 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Stored version 1629 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Stored version 2545 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Stored version MediaWiki:Stubthreshold 710 sysop 714 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Threshold for stub display 1630 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Threshold for stub display 2546 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Threshold for stub display 3499 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default Threshold for stub display: MediaWiki:Subcategories 711 sysop 715 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Subcategories 1631 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Subcategories 2547 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Subcategories MediaWiki:Subcategorycount 712 sysop 716 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default There are $1 subcategories to this category. 1632 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default There are $1 subcategories to this category. 2548 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default There are $1 subcategories to this category. 3999 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default There {{PLURAL:$1|is one subcategory|are $1 subcategories}} to this category. MediaWiki:Subcategorycount1 713 sysop 717 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default There is $1 subcategory to this category. 1633 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default There is $1 subcategory to this category. 2549 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default There is $1 subcategory to this category. MediaWiki:Subject 714 sysop 718 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Subject/headline 1634 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Subject/headline 2550 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Subject/headline MediaWiki:Subjectpage 715 sysop 719 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default विषय देखें 1635 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default विषय देखें 2551 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default विषय देखें MediaWiki:Successfulupload 716 sysop 720 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Successful upload 1636 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Successful upload 2552 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Successful upload MediaWiki:Summary 717 sysop 721 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Summary 1637 2004-12-17T07:38:20Z MediaWiki default Summary 2553 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Summary MediaWiki:Sunday 718 sysop 722 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default रविवार 1638 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default रविवार 2554 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default रविवार MediaWiki:Sysoptext 719 sysop 723 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default आप जो करना चाहते हैं‌ उसे केवल "sysop" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें. 1639 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default आप जो करना चाहते हैं‌ उसे केवल "sysop" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें. 2555 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default आप जो करना चाहते हैं‌ उसे केवल "sysop" स्तर के सदस्य कर सकते हैं. $1 देखें. MediaWiki:Sysoptitle 720 sysop 724 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default sysop आवश्यक है 1640 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default sysop आवश्यक है 2556 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default sysop आवश्यक है MediaWiki:Tableform 721 sysop 725 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default table 1641 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default table 2557 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default table MediaWiki:Tagline 722 sysop 726 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default From Wikipedia, the free encyclopedia. 1642 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default From Wikipedia, the free encyclopedia. 2558 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default From Wikipedia, the free encyclopedia. 3806 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default From {{SITENAME}} MediaWiki:Talk 723 sysop 727 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Discussion 1643 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default Discussion 2559 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Discussion MediaWiki:Talkexists 724 sysop 728 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The page itself was moved successfully, but the talk page could not be moved because one already exists at the new title. Please merge them manually. 1644 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default The page itself was moved successfully, but the talk page could not be moved because one already exists at the new title. Please merge them manually. 2560 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The page itself was moved successfully, but the talk page could not be moved because one already exists at the new title. Please merge them manually. 3323 2005-07-29T10:41:33Z MediaWiki default '''The page itself was moved successfully, but the talk page could not be moved because one already exists at the new title. Please merge them manually.''' 3853 2006-03-28T05:59:04Z MediaWiki default '''The page itself was moved successfully, but the talk page could not be moved because one already exists at the new title. Please merge them manually.''' MediaWiki:Talkpage 725 sysop 729 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default इस पृष्ठ के बारे में बात करें 1645 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default इस पृष्ठ के बारे में बात करें 2561 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default इस पृष्ठ के बारे में बात करें MediaWiki:Talkpagemoved 726 sysop 730 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The corresponding talk page was also moved. 1646 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default The corresponding talk page was also moved. 2562 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The corresponding talk page was also moved. MediaWiki:Talkpagenotmoved 727 sysop 731 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The corresponding talk page was <strong>not</strong> moved. 1647 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default The corresponding talk page was <strong>not</strong> moved. 2563 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The corresponding talk page was <strong>not</strong> moved. MediaWiki:Talkpagetext 728 sysop 732 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <!-- MediaWiki:talkpagetext --> 1648 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default <!-- MediaWiki:talkpagetext --> 2564 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <!-- MediaWiki:talkpagetext --> MediaWiki:Templatesused 729 sysop 733 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Templates used on this page: 1649 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default Templates used on this page: 2565 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Templates used on this page: MediaWiki:Textboxsize 730 sysop 734 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Editing 1650 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default Editing 2566 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Editing MediaWiki:Textmatches 731 sysop 735 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Page text matches 1651 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default Page text matches 2567 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Page text matches MediaWiki:Thisisdeleted 732 sysop 736 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default View or restore $1? 1652 2004-12-17T07:38:21Z MediaWiki default View or restore $1? 2568 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default View or restore $1? 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MediaWiki:Undeletepage 784 sysop 788 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default View and restore deleted pages 1703 2004-12-17T07:38:24Z MediaWiki default View and restore deleted pages 2620 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default View and restore deleted pages MediaWiki:Undeletepagetext 785 sysop 789 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The following pages have been deleted but are still in the archive and can be restored. The archive may be periodically cleaned out. 1704 2004-12-17T07:38:24Z MediaWiki default The following pages have been deleted but are still in the archive and can be restored. The archive may be periodically cleaned out. 2621 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The following pages have been deleted but are still in the archive and can be restored. The archive may be periodically cleaned out. 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MediaWiki:Unlockdb 791 sysop 795 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Unlock database 1710 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Unlock database 2627 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Unlock database MediaWiki:Unlockdbsuccesssub 792 sysop 796 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Database lock removed 1711 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Database lock removed 2628 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Database lock removed MediaWiki:Unlockdbsuccesstext 793 sysop 797 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The database has been unlocked. 1712 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default The database has been unlocked. 2629 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The database has been unlocked. MediaWiki:Unlockdbtext 794 sysop 798 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Unlocking the database will restore the ability of all users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and other things requiring changes in the database. Please confirm that this is what you intend to do. 1713 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Unlocking the database will restore the ability of all users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and other things requiring changes in the database. Please confirm that this is what you intend to do. 2630 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Unlocking the database will restore the ability of all users to edit pages, change their preferences, edit their watchlists, and other things requiring changes in the database. Please confirm that this is what you intend to do. MediaWiki:Unprotect 795 sysop 799 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Unprotect 1714 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Unprotect 2631 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Unprotect 3338 2005-07-29T10:41:34Z MediaWiki default unprotect MediaWiki:Unprotectcomment 796 sysop 800 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Reason for unprotecting 1715 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Reason for unprotecting 2632 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Reason for unprotecting MediaWiki:Unprotectedarticle 797 sysop 801 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default unprotected $1 1716 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default unprotected $1 2633 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default unprotected $1 3187 2005-06-26T17:40:28Z MediaWiki default unprotected "[[$1]]" MediaWiki:Unprotectsub 798 sysop 802 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (Unprotecting "$1") 1717 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default (Unprotecting "$1") 2634 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default (Unprotecting "$1") MediaWiki:Unprotectthispage 799 sysop 803 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default इस पृष्ठ को असुरक्षित करें 1718 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default इस पृष्ठ को असुरक्षित करें 2635 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default इस पृष्ठ को असुरक्षित करें MediaWiki:Unusedimages 800 sysop 804 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Unused images 1719 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Unused images 2636 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Unused images 3188 2005-06-26T17:40:28Z MediaWiki default Unused files MediaWiki:Unusedimagestext 801 sysop 805 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <p>Please note that other web sites may link to an image with a direct URL, and so may still be listed here despite being in active use. 1720 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default <p>Please note that other web sites may link to an image with a direct URL, and so may still be listed here despite being in active use. 2637 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <p>Please note that other web sites may link to an image with a direct URL, and so may still be listed here despite being in active use.</p> MediaWiki:Unwatch 802 sysop 806 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Unwatch 1721 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Unwatch 2638 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Unwatch MediaWiki:Unwatchthispage 803 sysop 807 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Stop watching 1722 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Stop watching 2639 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Stop watching MediaWiki:Updated 804 sysop 808 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (Updated) 1723 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default (Updated) 2640 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default (Updated) MediaWiki:Upload 805 sysop 809 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Upload file 1724 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Upload file 2641 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Upload file MediaWiki:Uploadbtn 806 sysop 810 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Upload file 1725 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Upload file 2642 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Upload file MediaWiki:Uploadcorrupt 807 sysop 811 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The file is corrupt or has an incorrect extension. Please check the file and upload again. 1726 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default The file is corrupt or has an incorrect extension. Please check the file and upload again. 2643 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The file is corrupt or has an incorrect extension. Please check the file and upload again. MediaWiki:Uploaddisabled 808 sysop 812 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Sorry, uploading is disabled. 1727 2004-12-17T07:38:25Z MediaWiki default Sorry, uploading is disabled. 2644 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Sorry, uploading is disabled. 3810 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default Uploads disabled MediaWiki:Uploadedfiles 809 sysop 813 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Uploaded files 1728 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default Uploaded files 2645 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Uploaded files MediaWiki:Uploadedimage 810 sysop 814 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default uploaded "$1" 1729 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default uploaded "$1" 2646 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default uploaded "$1" 3190 2005-06-26T17:40:28Z MediaWiki default uploaded "[[$1]]" MediaWiki:Uploaderror 811 sysop 815 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Upload error 1730 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default Upload error 2647 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Upload error MediaWiki:Uploadfile 812 sysop 816 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Upload images, sounds, documents etc. 1731 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default Upload images, sounds, documents etc. 2648 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Upload images, sounds, documents etc. MediaWiki:Uploadlink 813 sysop 817 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Upload images 1732 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default Upload images 2649 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Upload images MediaWiki:Uploadlog 814 sysop 818 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default upload log 1733 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default upload log 2650 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default upload log MediaWiki:Uploadlogpage 815 sysop 819 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Upload_log 1734 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default Upload_log 2651 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Upload_log 4019 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Upload log MediaWiki:Uploadlogpagetext 816 sysop 820 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Below is a list of the most recent file uploads. 1735 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default Below is a list of the most recent file uploads. 2652 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Below is a list of the most recent file uploads. MediaWiki:Uploadnologin 817 sysop 821 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Not logged in 1736 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default Not logged in 2653 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Not logged in MediaWiki:Uploadnologintext 818 sysop 822 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to upload files. 1737 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to upload files. 2654 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to upload files. 3192 2005-06-26T17:40:28Z MediaWiki default You must be [[Special:Userlogin|logged in]] to upload files. MediaWiki:Uploadtext 819 sysop 823 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default '''STOP!''' Before you upload here, make sure to read and follow the [[Project:Image use policy|image use policy]]. To view or search previously uploaded images, go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded images]]. Uploads and deletions are logged on the [[Project:Upload log|upload log]]. Use the form below to upload new image files for use in illustrating your pages. On most browsers, you will see a "Browse..." button, which will bring up your operating system's standard file open dialog. Choosing a file will fill the name of that file into the text field next to the button. You must also check the box affirming that you are not violating any copyrights by uploading the file. Press the "Upload" button to finish the upload. This may take some time if you have a slow internet connection. The preferred formats are JPEG for photographic images, PNG for drawings and other iconic images, and OGG for sounds. Please name your files descriptively to avoid confusion. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for sounds. Please note that as with wiki pages, others may edit or delete your uploads if they think it serves the project, and you may be blocked from uploading if you abuse the system. 1738 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default '''STOP!''' Before you upload here, make sure to read and follow the [[Project:Image use policy|image use policy]]. To view or search previously uploaded images, go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded images]]. Uploads and deletions are logged on the [[Project:Upload log|upload log]]. Use the form below to upload new image files for use in illustrating your pages. On most browsers, you will see a "Browse..." button, which will bring up your operating system's standard file open dialog. Choosing a file will fill the name of that file into the text field next to the button. You must also check the box affirming that you are not violating any copyrights by uploading the file. Press the "Upload" button to finish the upload. This may take some time if you have a slow internet connection. The preferred formats are JPEG for photographic images, PNG for drawings and other iconic images, and OGG for sounds. Please name your files descriptively to avoid confusion. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for sounds. Please note that as with wiki pages, others may edit or delete your uploads if they think it serves the project, and you may be blocked from uploading if you abuse the system. 2655 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default '''STOP!''' Before you upload here, make sure to read and follow the [[Project:Image use policy|image use policy]]. To view or search previously uploaded images, go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded images]]. Uploads and deletions are logged on the [[Project:Upload log|upload log]]. Use the form below to upload new image files for use in illustrating your pages. On most browsers, you will see a "Browse..." button, which will bring up your operating system's standard file open dialog. Choosing a file will fill the name of that file into the text field next to the button. You must also check the box affirming that you are not violating any copyrights by uploading the file. Press the "Upload" button to finish the upload. This may take some time if you have a slow internet connection. The preferred formats are JPEG for photographic images, PNG for drawings and other iconic images, and OGG for sounds. Please name your files descriptively to avoid confusion. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for sounds. Please note that as with wiki pages, others may edit or delete your uploads if they think it serves the project, and you may be blocked from uploading if you abuse the system. 3194 2005-06-26T17:40:28Z MediaWiki default Use the form below to upload new files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log|project log]]. You must also check the box affirming that you are not violating any copyrights by uploading the file. Press the "Upload" button to finish the upload. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. 3341 2005-07-29T10:41:34Z MediaWiki default Use the form below to upload new files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log|project log]]. You must also check the box affirming that you are not violating any copyrights by uploading the file. Press the "Upload" button to finish the upload. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. 3376 2005-08-19T23:15:21Z MediaWiki default Use the form below to upload new files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log|project log]]. You must also check the box affirming that you are not violating any copyrights by uploading the file. Press the "Upload" button to finish the upload. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. 3427 2005-09-05T09:24:37Z MediaWiki default Use the form below to upload files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log/upload|upload log]]. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. 3512 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default Use the form below to upload files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log/upload|upload log]]. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. 3547 2005-11-29T00:53:42Z MediaWiki default Use the form below to upload files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log/upload|upload log]]. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. 3566 2005-11-29T21:05:32Z MediaWiki default Use the form below to upload files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log/upload|upload log]]. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. 3612 2005-12-02T02:19:04Z MediaWiki default Use the form below to upload files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log/upload|upload log]]. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. 3637 2005-12-02T03:56:06Z MediaWiki default Use the form below to upload files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log/upload|upload log]]. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. 3693 2005-12-22T07:14:42Z MediaWiki default Use the form below to upload files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log/upload|upload log]]. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:6}}:file.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:-2}}:file.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. 4021 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Use the form below to upload files, to view or search previously uploaded images go to the [[Special:Imagelist|list of uploaded files]], uploads and deletions are also logged in the [[Special:Log/upload|upload log]]. To include the image in a page, use a link in the form '''<nowiki>[[{{ns:image}}:File.jpg]]</nowiki>''', '''<nowiki>[[{{ns:image}}:File.png|alt text]]</nowiki>''' or '''<nowiki>[[{{ns:media}}:File.ogg]]</nowiki>''' for directly linking to the file. MediaWiki:Uploadwarning 820 sysop 824 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Upload warning 1739 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default Upload warning 2656 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Upload warning MediaWiki:Usenewcategorypage 821 sysop 825 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default 1 Set first character to "0" to disable the new category page layout. 1740 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default 1 Set first character to "0" to disable the new category page layout. 2657 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default 1 Set first character to "0" to disable the new category page layout. MediaWiki:User rights set 822 sysop 826 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <b>User rights for "$1" updated</b> 1741 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default <b>User rights for "$1" updated</b> 2658 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <b>User rights for "$1" updated</b> MediaWiki:Usercssjsyoucanpreview 823 sysop 827 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <strong>Tip:</strong> Use the 'Show preview' button to test your new CSS/JS before saving. 1742 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default <strong>Tip:</strong> Use the 'Show preview' button to test your new CSS/JS before saving. 2659 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <strong>Tip:</strong> Use the 'Show preview' button to test your new CSS/JS before saving. MediaWiki:Usercsspreview 824 sysop 828 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default '''Remember that you are only previewing your user CSS, it has not yet been saved!''' 1743 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default '''Remember that you are only previewing your user CSS, it has not yet been saved!''' 2660 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default '''Remember that you are only previewing your user CSS, it has not yet been saved!''' MediaWiki:Userexists 825 sysop 829 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The user name you entered is already in use. Please choose a different name. 1744 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default The user name you entered is already in use. Please choose a different name. 2661 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The user name you entered is already in use. Please choose a different name. 3613 2005-12-02T02:19:04Z MediaWiki default Username entered already in use. Please choose a different name. MediaWiki:Userjspreview 826 sysop 830 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default '''Remember that you are only testing/previewing your user JavaScript, it has not yet been saved!''' 1745 2004-12-17T07:38:26Z MediaWiki default '''Remember that you are only testing/previewing your user JavaScript, it has not yet been saved!''' 2662 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default '''Remember that you are only testing/previewing your user JavaScript, it has not yet been saved!''' MediaWiki:Userlevels 827 sysop 831 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default User levels management 1746 2004-12-17T07:38:27Z MediaWiki default User levels management 2663 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default User levels management MediaWiki:Userlevels-addgroup 828 sysop 832 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Add group 1747 2004-12-17T07:38:27Z MediaWiki default Add group 2664 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Add group MediaWiki:Userlevels-editgroup 829 sysop 833 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Edit group 1748 2004-12-17T07:38:27Z MediaWiki default Edit group 2665 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Edit group MediaWiki:Userlevels-editgroup-description 830 sysop 834 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Group description (max 255 characters):<br /> 1749 2004-12-17T07:38:27Z MediaWiki default Group description (max 255 characters):<br /> 2666 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Group description (max 255 characters):<br /> MediaWiki:Userlevels-editgroup-name 831 sysop 835 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Group name: 1750 2004-12-17T07:38:27Z MediaWiki default Group name: 2667 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Group name: MediaWiki:Userlevels-editusergroup 832 sysop 836 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Edit user groups 1751 2004-12-17T07:38:27Z MediaWiki default Edit user groups 2668 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Edit user groups MediaWiki:Userlevels-group-edit 833 sysop 837 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Existent groups: 1752 2004-12-17T07:38:27Z MediaWiki default Existent groups: 2669 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Existent groups: MediaWiki:Userlevels-groupsavailable 834 sysop 838 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Available groups: 1753 2004-12-17T07:38:27Z MediaWiki default Available groups: 2670 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Available groups: MediaWiki:Userlevels-groupshelp 835 sysop 839 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Select groups you want the user to be removed from or added to. 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'''$2''' of these are administrators (see $3). 1765 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default There are '''$1''' registered users. '''$2''' of these are administrators (see $3). 2682 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default There are '''$1''' registered users. '''$2''' of these are administrators (see $3). 3204 2005-06-26T17:40:28Z MediaWiki default There are '''$1''' registered users, of which '''$2''' (or '''$4%''') are administrators (see $3). 4136 2006-08-31T18:37:05Z MediaWiki default There are '''$1''' registered users, of which '''$2''' (or '''$4%''') are $5. MediaWiki:Val article lists 847 sysop 851 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default List of validated articles 1766 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default List of validated articles 2683 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default List of validated articles MediaWiki:Val clear old 848 sysop 852 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Clear my other validation data for $1 1767 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default Clear my other validation data for $1 2684 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Clear my other validation data for $1 3206 2005-06-26T17:40:29Z MediaWiki default Clear my older validation data MediaWiki:Val form note 849 sysop 853 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <b>Hint:</b> Merging your data means that for the article revision you select, all options where you have specified <i>no opinion</i> will be set to the value and comment of the most recent revision for which you have expressed an opinion. For example, if you want to change a single option for a newer revision, but also keep your other settings for this article in this revision, just select which option you intend to <i>change</i>, and merging will fill in the other options with your previous settings. 1768 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default <b>Hint:</b> Merging your data means that for the article revision you select, all options where you have specified <i>no opinion</i> will be set to the value and comment of the most recent revision for which you have expressed an opinion. For example, if you want to change a single option for a newer revision, but also keep your other settings for this article in this revision, just select which option you intend to <i>change</i>, and merging will fill in the other options with your previous settings. 2685 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <b>Hint:</b> Merging your data means that for the article revision you select, all options where you have specified <i>no opinion</i> will be set to the value and comment of the most recent revision for which you have expressed an opinion. For example, if you want to change a single option for a newer revision, but also keep your other settings for this article in this revision, just select which option you intend to <i>change</i>, and merging will fill in the other options with your previous settings. 3210 2005-06-26T17:40:29Z MediaWiki default '''Hint:''' Merging your data means that for the article revision you select, all options where you have specified ''no opinion'' will be set to the value and comment of the most recent revision for which you have expressed an opinion. For example, if you want to change a single option for a newer revision, but also keep your other settings for this article in this revision, just select which option you intend to ''change'', and merging will fill in the other options with your previous settings. MediaWiki:Val merge old 850 sysop 854 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Use my previous assessment where selected 'No opinion' 1769 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default Use my previous assessment where selected 'No opinion' 2686 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Use my previous assessment where selected 'No opinion' MediaWiki:Val no anon validation 851 sysop 855 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You have to be logged in to validate an article. 1770 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default You have to be logged in to validate an article. 2687 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You have to be logged in to validate an article. MediaWiki:Val noop 852 sysop 856 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default No opinion 1771 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default No opinion 2688 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default No opinion MediaWiki:Val page validation statistics 853 sysop 857 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Page validation statistics for $1 1772 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default Page validation statistics for $1 2689 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Page validation statistics for $1 MediaWiki:Val percent 854 sysop 858 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by $4 users) 1773 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default <b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by $4 users) 2690 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by $4 users) MediaWiki:Val percent single 855 sysop 859 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by one user) 1774 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default <b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by one user) 2691 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <b>$1%</b><br />($2 of $3 points<br />by one user) MediaWiki:Val stat link text 856 sysop 860 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Validation statistics for this article 1775 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default Validation statistics for this article 2692 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Validation statistics for this article MediaWiki:Val tab 857 sysop 861 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Validate 1776 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default Validate 2693 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Validate MediaWiki:Val table header 858 sysop 862 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <tr><th>Class</th>$1<th colspan=4>Opinion</th>$1<th>Comment</th></tr> 1777 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default <tr><th>Class</th>$1<th colspan=4>Opinion</th>$1<th>Comment</th></tr> 2694 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <tr><th>Class</th>$1<th colspan=4>Opinion</th>$1<th>Comment</th></tr> 3429 2005-09-05T09:24:37Z MediaWiki default <tr><th>Class</th>$1<th colspan="4">Opinion</th>$1<th>Comment</th></tr>\n 3696 2005-12-22T07:14:42Z MediaWiki default <tr><th>Class</th>$1<th colspan="4">Opinion</th>$1<th>Comment</th></tr> MediaWiki:Val this is current version 859 sysop 863 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default this is the latest version 1778 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default this is the latest version 2695 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default this is the latest version MediaWiki:Val total 860 sysop 864 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Total 1779 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default Total 2696 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Total MediaWiki:Val user validations 861 sysop 865 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This user has validated $1 pages. 1780 2004-12-17T07:38:28Z MediaWiki default This user has validated $1 pages. 2697 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default This user has validated $1 pages. MediaWiki:Val validate article namespace only 862 sysop 866 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Only articles can be validated. This page is <i>not</i> in the article namespace. 1781 2004-12-17T07:38:29Z MediaWiki default Only articles can be validated. This page is <i>not</i> in the article namespace. 2698 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Only articles can be validated. This page is <i>not</i> in the article namespace. MediaWiki:Val validate version 863 sysop 867 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Validate this version 1782 2004-12-17T07:38:29Z MediaWiki default Validate this version 2699 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Validate this version MediaWiki:Val validated 864 sysop 868 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Validation done. 1783 2004-12-17T07:38:29Z MediaWiki default Validation done. 2700 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Validation done. 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MediaWiki:Viewsource 876 sysop 880 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default View source 1795 2004-12-17T07:38:29Z MediaWiki default View source 2712 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default View source MediaWiki:Viewtalkpage 877 sysop 881 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default चर्चा देखें 1796 2004-12-17T07:38:29Z MediaWiki default चर्चा देखें 2713 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default चर्चा देखें MediaWiki:Wantedpages 878 sysop 882 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Wanted pages 1797 2004-12-17T07:38:29Z MediaWiki default Wanted pages 2714 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Wanted pages MediaWiki:Watch 879 sysop 883 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Watch 1798 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default Watch 2715 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Watch MediaWiki:Watchdetails 880 sysop 884 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default ($1 pages watched not counting talk pages; $2 total pages edited since cutoff; $3... <a href='$4'>show and edit complete list</a>.) 1799 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default ($1 pages watched not counting talk pages; $2 total pages edited since cutoff; $3... <a href='$4'>show and edit complete list</a>.) 2716 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default ($1 pages watched not counting talk pages; $2 total pages edited since cutoff; $3... <a href='$4'>show and edit complete list</a>.) 3237 2005-06-26T17:40:29Z MediaWiki default * $1 pages watched not counting talk pages, $2 total pages edited in the specified period * Query method: $3 * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] 3344 2005-07-29T10:41:34Z MediaWiki default * $1 pages watched not counting talk pages * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] 3378 2005-08-19T23:15:21Z MediaWiki default * $1 pages watched not counting talk pages * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] 3432 2005-09-05T09:24:37Z MediaWiki default * $1 pages watched not counting talk pages * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] 3519 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default * $1 pages watched not counting talk pages * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] 3550 2005-11-29T00:53:42Z MediaWiki default * $1 pages watched not counting talk pages * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] 3569 2005-11-29T21:05:32Z MediaWiki default * $1 pages watched not counting talk pages * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] 3617 2005-12-02T02:19:04Z MediaWiki default * $1 pages watched not counting talk pages * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] 3640 2005-12-02T03:56:06Z MediaWiki default * $1 pages watched not counting talk pages * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] 4023 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default * $1 pages watched not counting talk pages * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] * [[Special:Watchlist/clear|Remove all pages]] 4223 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default 26 * {{PLURAL:$1|$1 page|$1 pages}} watched not counting talk pages * [[Special:Watchlist/edit|Show and edit complete watchlist]] * [[Special:Watchlist/clear|Remove all pages]] MediaWiki:Watcheditlist 881 sysop 885 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Here's an alphabetical list of your watched pages. Check the boxes of pages you want to remove from your watchlist and click the 'remove checked' button at the bottom of the screen. 1800 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default Here's an alphabetical list of your watched pages. Check the boxes of pages you want to remove from your watchlist and click the 'remove checked' button at the bottom of the screen. 2717 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Here's an alphabetical list of your watched pages. Check the boxes of pages you want to remove from your watchlist and click the 'remove checked' button at the bottom of the screen. 3238 2005-06-26T17:40:29Z MediaWiki default Here's an alphabetical list of your watched content pages. Check the boxes of pages you want to remove from your watchlist and click the 'remove checked' button at the bottom of the screen (deleting a content page also deletes the accompanying talk page and vice versa). MediaWiki:Watchlist 882 sysop 886 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default My watchlist 1801 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default My watchlist 2718 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default My watchlist MediaWiki:Watchlistcontains 883 sysop 887 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Your watchlist contains $1 pages. 1802 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default Your watchlist contains $1 pages. 2719 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Your watchlist contains $1 pages. MediaWiki:Watchlistsub 884 sysop 888 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default (for user "$1") 1803 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default (for user "$1") 2720 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default (for user "$1") MediaWiki:Watchmethod-list 885 sysop 889 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default checking watched pages for recent edits 1804 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default checking watched pages for recent edits 2721 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default checking watched pages for recent edits MediaWiki:Watchmethod-recent 886 sysop 890 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default checking recent edits for watched pages 1805 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default checking recent edits for watched pages 2722 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default checking recent edits for watched pages MediaWiki:Watchnochange 887 sysop 891 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default None of your watched items were edited in the time period displayed. 1806 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default None of your watched items were edited in the time period displayed. 2723 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default None of your watched items were edited in the time period displayed. 3345 2005-07-29T10:41:34Z MediaWiki default None of your watched items was edited in the time period displayed. MediaWiki:Watchnologin 888 sysop 892 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Not logged in 1807 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default Not logged in 2724 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Not logged in MediaWiki:Watchnologintext 889 sysop 893 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to modify your watchlist. 1808 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to modify your watchlist. 2725 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You must be <a href="{{localurl:Special:Userlogin}}">logged in</a> to modify your watchlist. 3241 2005-06-26T17:40:29Z MediaWiki default You must be [[Special:Userlogin|logged in]] to modify your watchlist. 3346 2005-07-29T10:41:34Z MediaWiki default You must be [[Special:Userlogin|logged in]] to modify your watchlist. MediaWiki:Watchthis 890 sysop 894 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Watch this page 1809 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default Watch this page 2726 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Watch this page MediaWiki:Watchthispage 891 sysop 895 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Watch this page 1810 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default Watch this page 2727 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Watch this page MediaWiki:Wednesday 892 sysop 896 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default बुधवार 1811 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default बुधवार 2728 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default बुधवार MediaWiki:Welcomecreation 893 sysop 897 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default <h2>स्वागतम्‌, $1!</h2><p>आपका अकाउन्ट बना दिया गया है. Don't forget to personalize your wikipedia preferences. 1812 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default <h2>स्वागतम्‌, $1!</h2><p>आपका अकाउन्ट बना दिया गया है. Don't forget to personalize your wikipedia preferences. 2729 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default <h2>स्वागतम्‌, $1!</h2><p>आपका अकाउन्ट बना दिया गया है. Don't forget to personalize your wikipedia preferences. 3814 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default <h2>स्वागतम्‌, $1!</h2><p>आपका अकाउन्ट बना दिया गया है. Don't forget to personalize your {{SITENAME}} preferences. MediaWiki:Whatlinkshere 894 sysop 898 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Pages that link here 1813 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default Pages that link here 2730 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Pages that link here 3815 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default What links here MediaWiki:Whitelistacctext 895 sysop 899 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default To be allowed to create accounts in this Wiki you have to [[Special:Userlogin|log]] in and have the appropriate permissions. 1814 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default To be allowed to create accounts in this Wiki you have to [[Special:Userlogin|log]] in and have the appropriate permissions. 2731 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default To be allowed to create accounts in this Wiki you have to [[Special:Userlogin|log]] in and have the appropriate permissions. MediaWiki:Whitelistacctitle 896 sysop 900 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You are not allowed to create an account 1815 2004-12-17T07:38:30Z MediaWiki default You are not allowed to create an account 2732 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You are not allowed to create an account MediaWiki:Whitelistedittext 897 sysop 901 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You have to [[Special:Userlogin|login]] to edit pages. 1816 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default You have to [[Special:Userlogin|login]] to edit pages. 2733 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You have to [[Special:Userlogin|login]] to edit pages. 4030 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default You have to $1 to edit pages. MediaWiki:Whitelistedittitle 898 sysop 902 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Login required to edit 1817 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default Login required to edit 2734 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Login required to edit MediaWiki:Whitelistreadtext 899 sysop 903 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default You have to [[Special:Userlogin|login]] to read pages. 1818 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default You have to [[Special:Userlogin|login]] to read pages. 2735 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default You have to [[Special:Userlogin|login]] to read pages. MediaWiki:Whitelistreadtitle 900 sysop 904 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Login required to read 1819 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default Login required to read 2736 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Login required to read MediaWiki:Wikipediapage 901 sysop 905 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default मेटा पृष्ठ देखें 1820 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default मेटा पृष्ठ देखें 2737 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default मेटा पृष्ठ देखें MediaWiki:Wikititlesuffix 902 sysop 906 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default विकिपीडिया 1821 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default विकिपीडिया 2738 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default विकिपीडिया MediaWiki:Wlnote 903 sysop 907 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Below are the last $1 changes in the last <b>$2</b> hours. 1822 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default Below are the last $1 changes in the last <b>$2</b> hours. 2739 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Below are the last $1 changes in the last <b>$2</b> hours. MediaWiki:Wlsaved 904 sysop 908 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default This is a saved version of your watchlist. 1823 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default This is a saved version of your watchlist. 2740 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default This is a saved version of your watchlist. MediaWiki:Wlshowlast 905 sysop 909 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Show last $1 hours $2 days $3 1824 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default Show last $1 hours $2 days $3 2741 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Show last $1 hours $2 days $3 MediaWiki:Wrong wfQuery params 906 sysop 910 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default Incorrect parameters to wfQuery()<br /> Function: $1<br /> Query: $2 1825 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default Incorrect parameters to wfQuery()<br /> Function: $1<br /> Query: $2 2742 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default Incorrect parameters to wfQuery()<br /> Function: $1<br /> Query: $2 3434 2005-09-05T09:24:37Z MediaWiki default Incorrect parameters to wfQuery()<br /> Function: $1<br /> Query: $2 MediaWiki:Wrongpassword 907 sysop 911 2004-12-17T06:55:28Z MediaWiki default The password you entered is incorrect. Please try again. 1826 2004-12-17T07:38:31Z MediaWiki default The password you entered is incorrect. Please try again. 2743 2005-06-25T11:06:33Z MediaWiki default The password you entered is incorrect. Please try again. 3247 2005-06-26T17:40:29Z MediaWiki default The password you entered is incorrect (or missing). Please try again. 3619 2005-12-02T02:19:04Z MediaWiki default Incorrect password entered. Please try again. 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MediaWiki:Readonly lag 924 sysop 2760 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default The database has been automatically locked while the slave database servers catch up to the master MediaWiki:Rightslogtext 925 sysop 2761 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default This is a log of changes to user rights. MediaWiki:Sessionfailure 926 sysop 2762 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default There seems to be a problem with your login session; this action has been canceled as a precaution against session hijacking. Please hit "back" and reload the page you came from, then try again. MediaWiki:Sorbs 927 sysop 2763 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default SORBS DNSBL MediaWiki:Sorbs create account reason 928 sysop 2764 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default Your IP address is listed as an open proxy in the [http://www.sorbs.net SORBS] DNSBL. You cannot create an account MediaWiki:Sorbsreason 929 sysop 2765 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default Your IP address is listed as an open proxy in the [http://www.sorbs.net SORBS] DNSBL. MediaWiki:Speciallogtitlelabel 930 sysop 2766 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default Title: 3804 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default Title: MediaWiki:Specialloguserlabel 931 sysop 2767 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default User: 3805 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default User: MediaWiki:Sqlhidden 932 sysop 2768 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default (SQL query hidden) MediaWiki:Tog-fancysig 933 sysop 2769 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default Raw signatures (without automatic link) MediaWiki:Tooltip-watch 934 sysop 2770 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default Add this page to your watchlist [alt-w] MediaWiki:Undo 935 sysop 2771 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default undo MediaWiki:Variantname-zh 936 sysop 2772 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default zh MediaWiki:Zhconversiontable 937 sysop 2773 2005-06-25T11:06:29Z MediaWiki default -{}- MediaWiki:Accesskey-diff 938 sysop 2776 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default d 3350 2005-08-19T23:15:17Z MediaWiki default v MediaWiki:Addgrouplogentry 939 sysop 2777 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Added group $2 MediaWiki:Allinnamespace 940 sysop 2778 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default All pages ($1 namespace) MediaWiki:Allnonarticles 941 sysop 2779 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default All non-articles MediaWiki:Allnotinnamespace 942 sysop 2780 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default All pages (not in $1 namespace) MediaWiki:Allpagesfrom 943 sysop 2781 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Display pages starting at: MediaWiki:Already bureaucrat 944 sysop 2782 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default This user is already a bureaucrat MediaWiki:Already steward 945 sysop 2783 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default This user is already a steward MediaWiki:Already sysop 946 sysop 2784 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default This user is already an administrator MediaWiki:Badaccess 947 sysop 2785 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Permission error MediaWiki:Badaccesstext 948 sysop 2786 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default The action you have requested is limited to users with the "$2" permission assigned. See $1. MediaWiki:Changed 949 sysop 2790 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default changed MediaWiki:Changegrouplogentry 950 sysop 2791 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Changed group $2 MediaWiki:Confirmemail 951 sysop 2792 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Confirm E-mail address MediaWiki:Confirmemail body 952 sysop 2793 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Someone, probably you from IP address $1, has registered an account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}. To confirm that this account really does belong to you and activate e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser: $3 If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code will expire at $4. 3265 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default Someone, probably you from IP address $1, has registered an account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}. 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This confirmation code will expire at $4. 3455 2005-11-09T22:25:56Z MediaWiki default Someone, probably you from IP address $1, has registered an account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}. To confirm that this account really does belong to you and activate e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser: $3 If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code will expire at $4. 3529 2005-11-29T00:53:38Z MediaWiki default Someone, probably you from IP address $1, has registered an account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}. To confirm that this account really does belong to you and activate e-mail features on {{SITENAME}}, open this link in your browser: $3 If this is *not* you, don't follow the link. This confirmation code will expire at $4. 3553 2005-11-29T21:05:29Z MediaWiki default Someone, probably you from IP address $1, has registered an account "$2" with this e-mail address on {{SITENAME}}. 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MediaWiki:Confirmemail error 953 sysop 2794 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Something went wrong saving your confirmation. MediaWiki:Confirmemail invalid 954 sysop 2795 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Invalid confirmation code. The code may have expired. MediaWiki:Confirmemail loggedin 955 sysop 2796 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Your e-mail address has now been confirmed. MediaWiki:Confirmemail send 956 sysop 2797 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Mail a confirmation code MediaWiki:Confirmemail sendfailed 957 sysop 2798 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Could not send confirmation mail. Check address for invalid characters. 4162 2006-10-25T18:15:12Z MediaWiki default 26 Could not send confirmation mail. Check address for invalid characters. Mailer returned: $1 MediaWiki:Confirmemail sent 958 sysop 2799 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Confirmation e-mail sent. 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Before any other mail is sent to the account, you will have to follow the instructions in the email, to confirm that the account is actually yours. 3271 2005-07-29T10:41:31Z MediaWiki default A confirmation email has been sent to the nominated email address. Before any other mail is sent to the account, you will have to follow the instructions in the email, to confirm that the account is actually yours. 3581 2005-12-02T02:19:01Z MediaWiki default A confirmation e-mail has been sent to the nominated e-mail address. Before any other mail is sent to the account, you will have to follow the instructions in the e-mail, to confirm that the account is actually yours. MediaWiki:Edit-externally 970 sysop 2814 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default Edit this file using an external application MediaWiki:Edit-externally-help 971 sysop 2815 2005-06-26T17:40:25Z MediaWiki default See the [http://meta.wikimedia.org/wiki/Help:External_editors setup instructions] for more information. 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MediaWiki:Prefs-help-email-enotif 1263 sysop 3137 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default This address is also used to send you email notifications if you enabled the options. 3600 2005-12-02T02:19:03Z MediaWiki default This address is also used to send you e-mail notifications if you enabled the options. MediaWiki:Prefs-help-realname 1264 sysop 3138 2005-06-26T17:40:27Z MediaWiki default ¹ Real name (optional): if you choose to provide it this will be used for giving you attribution for your work. 3306 2005-07-29T10:41:33Z MediaWiki default * Real name (optional): if you choose to provide it this will be used for giving you attribution for your work. 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नहीं समझा जा सकता ) ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है । — गैलिलियो गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी । — प्रो. हाल काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं । — गरफंकल , १९९७ गणित एक भाषा है । — जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ । यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते । विज्ञान विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है । — विल्ल डुरान्ट विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन । विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं । हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं । — रिचर्ड फ़ेनिमैन तकनीकी पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता । -आर्थर सी. क्लार्क सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । — एस डीकैम्प इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है । — जेम्स के. फिंक वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं । — थियोडोर वान कार्मन मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें । — सुश्री जैकब इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है । जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है । — लार्ड केल्विन आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है । तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है । भाषा / स्वभाषा निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल । बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥ — भारतेन्दु हरिश्चन्द्र भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं । — बेन्जामिन होर्फ आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना । ..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है । — जार्ज ओर्वेल जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता । — गोथे साहित्य साहित्य समाज् का दर्पण होता है । साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः । ( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । ) — भर्तृहरि संगति / सत्संगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार /नेटवर्किंग / संघ संघे शक्तिः ( एकता में शति है ) हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् । समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥ हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है । — महाभारत यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च । पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥ जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे के कारण कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे । — पंचतंत्र को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? , गुणियों का साथ ) — भर्तृहरि सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं ) — पंचतंत्र दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं । — कियोसाकी मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना । शठ सुधरहिं सतसंगति पाई । पारस परस कुधातु सुहाई ॥ — गोस्वामी तुलसीदास गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है ) — गोस्वामी तुलसीदास बिना सहकार , नहीं उद्धार । उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् । ( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । ) संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था । आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है । उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी । बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है । — गोथे व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है । — डिजरायली साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं ) इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है । जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है । बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते । बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है । — आर. जी. इंगरसोल जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है । मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। - महात्मा गांधी किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो। - द्रोणाचार्य यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते। - वल्लभभाई पटेल वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है। - डब्ल्यू.एच.आडेन शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस। - किर्केगार्द भय, अभय , निर्भय तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥ भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये । — पंचतंत्र जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। - पंचतंत्र ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। - बर्ट्रेंड रसेल मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें। - अथर्ववेद ‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की। - स्वामी विवेकानंद दोष / गलती गलती करने में कोई गलती नहीं है । गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है । — एल्बर्ट हब्बार्ड गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं । बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता । — ग्लेडस्टन मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे । — राबर्ट कियोसाकी सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं । — आस्कर वाइल्ड गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं । — सिसरो अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं । — अलेक्जेन्डर पोप दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन । — प्लूटार्क सफलता, असफलता जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है । — हक्सले जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता । — हर्मन मेलविल असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है । — नैपोलियन हिल सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं । असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है । — हेनरी फ़ोर्ड दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं। - थामस इलियट दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं। - इमर्सन - हरिशंकर परसाई सुख-दुःख , व्याधि , दया संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। - खलील जिब्रान संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं। - मृच्छकटिक व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है। - चाणक्यसूत्राणि-२२३ विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है। - रावणार्जुनीयम्-५।८ मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। - बर्नार्ड शॉ मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। - पुरुषोत्तमदास टंडन मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है। - सर विंस्टन चर्चिल तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं। -लहरीदशक रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥ — रहीम चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है । — गेटे प्रशंसा / प्रोत्साहन मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है । –चार्ल्स श्वेव आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है । — सेनेका मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है । — विलियम जेम्स अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो । — फ्रंकलिन चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन । मान, अपमान, सम्मान धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी। - माघकाव्य इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है। - कल्विन कूलिज धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र / दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है । — भर्तृहरि हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना (धन) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है ) — महाकवि माघ सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं ) - भर्तृहरि संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये । — शुक्राचार्य आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है ) — चाणक्य मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है । — पंचतंत्र अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है ) — चाणक्य जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना । — गो. तुलसीदास धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं । — डेनियल व्यापार तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी । राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर । — कार्डेल हल्ल व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये । इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं । — थामस फुलर आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये । कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति । — द डेविल्स डिक्शनरी अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है । विकास सामाजिक नवोन्मेष ( social innovation ) राजनीति निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है । — दसकुमारचरित यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है । — हेनरी एडम विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है । — सर अर्नेस्ट वेम मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है । — हेनरी एडम लोकतन्त्र लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है । — अब्राहम लिंकन लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है । — हेनरी एमर्शन फास्डिक शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है । — लार्ड बिवरेज अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है। बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन। - महात्मा गांधी विधान / नियम /कानून न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते । ( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो ) — महाभारत अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता । — थामस फुलर थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता । — लुइस दी उलोआ संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है । लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर । सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें । — इमर्शन न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः । स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥ ( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला । स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । ) विज्ञापन मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है। - हरिशंकर परसाई समय आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः । स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥ करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता । वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार । समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है । — बेन्जामिन फ्रैंकलिन किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा । क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत । ( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये ) काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥ — कबीरदास अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है । हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है । दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है ) अवसर / मौका / सुतार बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं । — डगलस मैकआर्थर संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं । आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा । — विन्स्टन चर्चिल अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है । — अलबर्ट आइन्स्टाइन हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं । — ली लोकोक्का रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ न इतराइये , देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || इतिहास उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है । — इमर्सन इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है । इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है । जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है । — जार्ज सन्तायन ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले । — मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है । –सी डैरो संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है । — एच जी वेल्स सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । — एस डीकैम्प इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है । — जेम्स के. फिंक भोजन और स्वस्थ्य शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता वीरभोग्या वसुन्धरा । ( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् । को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥ — पंचतंत्र जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ? खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले । खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ? कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही | कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥ ( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः । विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥ (जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है। - मृच्छकटिक आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए। - श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते। — जोनाथन स्विफ्ट आत्मविश्वास / निर्भीकता आत्मविस्वास , वीरता का सार है । — एमर्सन आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है । — एमर्शन आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो । — डेल कार्नेगी हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है । — रीता माई ब्राउन मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है । –एन्ड्री मौरोइस प्रश्न वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है । भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है । — एरिक हाफर प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है । सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है । मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे । — स्टीनमेज जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है । सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है । सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं । ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग । एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं । ज्ञान प्रबन्धन (KM) लिखना / नोट करना परिवर्तन क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है ) — शिशुपाल वध आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं । परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है । — बर्नार्ड रसेल हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं । — महात्मा गाँधी परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है ; आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है ; और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है । — राजा ह्विटनी जूनियर नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है । — मकियावेली नेतृत्व / प्रबन्धन अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं । अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥ कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक । पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥ जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला । — मैरी पार्कर फोलेट नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है । — मैक्सवेल अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है । — एल्बर्ट हब्बार्ड अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है । विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा पालन-पोषण / पैरेन्टिग किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो । — बिनोवा भावे कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ । — लेस ब्राउन केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं । व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो । — श्रीराम शर्मा आचार्य कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है । — नैपोलियन कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है । — अलबर्ट आइन्स्टीन मौन मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है । — बेकन आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें । — एमर्शन मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है । — कार्लाइल मौनं स्वीकार लक्षणम् । ( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । ) उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / आइडिया उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः । ( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । ) — पंचतन्त्र विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं । — सर फिलिप सिडनी लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा । विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं । — डब्ल्यू. ओ. डगलस किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है । कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म ज्ञानं भार: क्रियां बिना । आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है । — हितोपदेश उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: । कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं, मनोरथ मात्र से नहीं। — हितोपदेश जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः ) सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही । — गो. तुलसीदास जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है । — नार्मन कजिन आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है । - सैली बर्जर जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं । — गोथे छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो । प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः ) — रघुवंश महाकाव्यम् पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता । यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥ - - वाल्मीकि रामायण शुभारम्भ, आधा खतम । हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है । — चीनी कहावत सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है । — इमर्सन सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है । — एडिशन यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता । एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है । — सैमुएल स्माइल उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं । — जान फ़्लीचर मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है । — लाक जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है । — पीटर एफ़ ड्रूकर उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ? - विवेकानंद मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं । — श्रीराम शर्मा आचार्य बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती। — बेन्जामिन फ़्रैंकलिन प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं । — इमर्सन रचनाशीलता / सृजनशीलता / क्रीएटिविटी / विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा / जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है । (बुद्धिः यस्य बलं तस्य ) — पंचतंत्र स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते । (राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च | अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| ( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृह्त्यागी । ) अनभ्यासेन विषम विद्या । ( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है ) सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम । सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥ ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना । –डेविड बोम (१९१७-१९९२) सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है । — थोरो प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं । — इमर्सन वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये ) विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः ) खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है । - - फ़ोर्ब्स अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है । — आइन्स्टीन कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है । संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा । गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है । — जार्ज बर्नार्ड शा दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । — जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है । — जान लाक एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है । - जिग जिग्लर शब्द विचारों के वाहक हैं । शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है । दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो । — जेम्स देवर अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं । — कार्ल पापर सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिये । — थामस ह. हक्सले शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना । — केथराल शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है । — बर्क अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है । — डिजरायली पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान / झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः । सुख दुख या संसार में सब काहू को होय । ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥ आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः । विवेक विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है । — ब्रूचे विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है । — मान्तेन तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक । साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥ भविष्य / भविष्य वाणी आशा / निराशा चिन्ता / तनाव / अवसाद चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है । — चैनिंग विकास कैरीअर आत्म-निर्भरता जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान् विजय अवश्य मिलती है। - भरत पारिजात ८।३४ भारत भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है । — विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती । — अलबर्ट आइन्स्टीन भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है । — मार्क ट्वेन यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है । — फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया । — हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से । अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥ कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी । शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥ — मुहम्मद इकबाल संस्कृत भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा । ( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । ) इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है । — सर विलियम जोन्स सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है । –आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल् कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है । — फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ ) यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है । — रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में ) हिन्दी देवनागरी हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है । -— आचार्य विनबा भावे देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है । -— सर विलियम जोन्स मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है । — जान क्राइस्ट उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी । -— खुशवन्त सिंह महात्मा गाँधी आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था । — अलबर्ट आइन्स्टीन मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा । — हो ची मिन्ह उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं । — यू थान्ट .. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है । — अर्नाल्ड विग जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा । –हैली सेलेसी मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था । — महा आत्मा , दलाई लामा लीप-फ़्रागिंग इन्टरनेट सेल फोन ज्ञान-अर्थ-व्यवस्था मानसिक परिपक्वता / इमोशनल इन्टेलिजेन्स ( अक्रोध , धैर्य , सन्तोष , चिन्ता , तॄष्णा , लालच , क्षमा , हँसी , विनोद , ) धैर्य / धीरज धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है । — डिजरायली हास्य-व्यंग्य सुभाषित हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ । (क्योंकि) मैं तो सारे संसार् को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥ कमला कमलं शेते, हरः शेते हिमालये । क्षीराब्धौ च हरिः शेते, मन्ये मत्कुणशंकया ॥ लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं । विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥ अन्य / विविध योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः । वाक्यं रसात्मकं काव्यम । अलंकरोति इति अलंकारः । सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः । ( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) संतोषं परमं सुखम् । बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । शठे शाठ्यं समाचरेत् । ( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये ) एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है । यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो । भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: । ( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । ) — भर्तृहरि चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है । — लैब्रेटर हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु । — बेन्जामिन हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है । — अनोन कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥ — तुलसी 3383 2005-08-28T13:28:31Z 210.212.158.130 == आधुनिक विषय == '''गणित''' यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा । तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥ — वेदांग ज्योतिष ( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । ) बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥ — महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ ( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता ) ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है । — गैलिलियो गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी । — प्रो. हाल काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं । — गरफंकल , १९९७ गणित एक भाषा है । — जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ । यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते । '''विज्ञान''' विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है । — विल्ल डुरान्ट विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन । विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं । हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं । — रिचर्ड फ़ेनिमैन '''तकनीकी''' पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता । -आर्थर सी. क्लार्क सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । — एस डीकैम्प इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है । — जेम्स के. फिंक वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं । — थियोडोर वान कार्मन मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें । — सुश्री जैकब इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है । जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है । — लार्ड केल्विन आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है । तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है । '''भाषा / स्वभाषा''' निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल । बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥ — भारतेन्दु हरिश्चन्द्र भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं । — बेन्जामिन होर्फ आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना । ..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है । — जार्ज ओर्वेल जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता । — गोथे '''साहित्य''' साहित्य समाज् का दर्पण होता है । साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः । ( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । ) — भर्तृहरि संगति / सत्संगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार /नेटवर्किंग / संघ संघे शक्तिः ( एकता में शति है ) हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् । समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥ हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है । — महाभारत यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च । पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥ जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे के कारण कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे । — पंचतंत्र को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? , गुणियों का साथ ) — भर्तृहरि सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं ) — पंचतंत्र दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं । — कियोसाकी मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना । शठ सुधरहिं सतसंगति पाई । पारस परस कुधातु सुहाई ॥ — गोस्वामी तुलसीदास गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है ) — गोस्वामी तुलसीदास बिना सहकार , नहीं उद्धार । उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् । ( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । ) संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था । आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है । उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी । बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है । — गोथे व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है । — डिजरायली साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं ) इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है । जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है । बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते । बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है । — आर. जी. इंगरसोल जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है । मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। - महात्मा गांधी किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो। - द्रोणाचार्य यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते। - वल्लभभाई पटेल वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है। - डब्ल्यू.एच.आडेन शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस। - किर्केगार्द भय, अभय , निर्भय तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥ भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये । — पंचतंत्र जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। - पंचतंत्र ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। - बर्ट्रेंड रसेल मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें। - अथर्ववेद ‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की। - स्वामी विवेकानंद दोष / गलती गलती करने में कोई गलती नहीं है । गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है । — एल्बर्ट हब्बार्ड गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं । बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता । — ग्लेडस्टन मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे । — राबर्ट कियोसाकी सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं । — आस्कर वाइल्ड गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं । — सिसरो अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं । — अलेक्जेन्डर पोप दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन । — प्लूटार्क सफलता, असफलता जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है । — हक्सले जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता । — हर्मन मेलविल असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है । — नैपोलियन हिल सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं । असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है । — हेनरी फ़ोर्ड दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं। - थामस इलियट दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं। - इमर्सन - हरिशंकर परसाई सुख-दुःख , व्याधि , दया संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। - खलील जिब्रान संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं। - मृच्छकटिक व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है। - चाणक्यसूत्राणि-२२३ विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है। - रावणार्जुनीयम्-५।८ मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। - बर्नार्ड शॉ मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। - पुरुषोत्तमदास टंडन मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है। - सर विंस्टन चर्चिल तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं। -लहरीदशक रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥ — रहीम चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है । — गेटे प्रशंसा / प्रोत्साहन मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है । –चार्ल्स श्वेव आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है । — सेनेका मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है । — विलियम जेम्स अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो । — फ्रंकलिन चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन । मान, अपमान, सम्मान धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी। - माघकाव्य इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है। - कल्विन कूलिज धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र / दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है । — भर्तृहरि हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना (धन) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है ) — महाकवि माघ सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं ) - भर्तृहरि संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये । — शुक्राचार्य आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है ) — चाणक्य मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है । — पंचतंत्र अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है ) — चाणक्य जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना । — गो. तुलसीदास धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं । — डेनियल व्यापार तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी । राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर । — कार्डेल हल्ल व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये । इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं । — थामस फुलर आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये । कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति । — द डेविल्स डिक्शनरी अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है । विकास सामाजिक नवोन्मेष ( social innovation ) राजनीति निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है । — दसकुमारचरित यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है । — हेनरी एडम विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है । — सर अर्नेस्ट वेम मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है । — हेनरी एडम लोकतन्त्र लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है । — अब्राहम लिंकन लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है । — हेनरी एमर्शन फास्डिक शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है । — लार्ड बिवरेज अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है। बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन। - महात्मा गांधी विधान / नियम /कानून न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते । ( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो ) — महाभारत अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता । — थामस फुलर थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता । — लुइस दी उलोआ संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है । लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर । सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें । — इमर्शन न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः । स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥ ( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला । स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । ) विज्ञापन मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है। - हरिशंकर परसाई समय आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः । स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥ करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता । वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार । समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है । — बेन्जामिन फ्रैंकलिन किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा । क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत । ( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये ) काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥ — कबीरदास अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है । हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है । दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है ) अवसर / मौका / सुतार बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं । — डगलस मैकआर्थर संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं । आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा । — विन्स्टन चर्चिल अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है । — अलबर्ट आइन्स्टाइन हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं । — ली लोकोक्का रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ न इतराइये , देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || इतिहास उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है । — इमर्सन इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है । इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है । जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है । — जार्ज सन्तायन ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले । — मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है । –सी डैरो संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है । — एच जी वेल्स सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । — एस डीकैम्प इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है । — जेम्स के. फिंक भोजन और स्वस्थ्य शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता वीरभोग्या वसुन्धरा । ( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् । को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥ — पंचतंत्र जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ? खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले । खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ? कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही | कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥ ( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः । विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥ (जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है। - मृच्छकटिक आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए। - श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते। — जोनाथन स्विफ्ट आत्मविश्वास / निर्भीकता आत्मविस्वास , वीरता का सार है । — एमर्सन आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है । — एमर्शन आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो । — डेल कार्नेगी हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है । — रीता माई ब्राउन मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है । –एन्ड्री मौरोइस प्रश्न वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है । भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है । — एरिक हाफर प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है । सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है । मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे । — स्टीनमेज जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है । सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है । सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं । ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग । एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं । ज्ञान प्रबन्धन (KM) लिखना / नोट करना परिवर्तन क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है ) — शिशुपाल वध आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं । परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है । — बर्नार्ड रसेल हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं । — महात्मा गाँधी परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है ; आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है ; और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है । — राजा ह्विटनी जूनियर नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है । — मकियावेली नेतृत्व / प्रबन्धन अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं । अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥ कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक । पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥ जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला । — मैरी पार्कर फोलेट नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है । — मैक्सवेल अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है । — एल्बर्ट हब्बार्ड अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है । विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा पालन-पोषण / पैरेन्टिग किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो । — बिनोवा भावे कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ । — लेस ब्राउन केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं । व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो । — श्रीराम शर्मा आचार्य कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है । — नैपोलियन कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है । — अलबर्ट आइन्स्टीन मौन मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है । — बेकन आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें । — एमर्शन मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है । — कार्लाइल मौनं स्वीकार लक्षणम् । ( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । ) उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / आइडिया उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः । ( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । ) — पंचतन्त्र विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं । — सर फिलिप सिडनी लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा । विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं । — डब्ल्यू. ओ. डगलस किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है । कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म ज्ञानं भार: क्रियां बिना । आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है । — हितोपदेश उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: । कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं, मनोरथ मात्र से नहीं। — हितोपदेश जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः ) सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही । — गो. तुलसीदास जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है । — नार्मन कजिन आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है । - सैली बर्जर जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं । — गोथे छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो । प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः ) — रघुवंश महाकाव्यम् पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता । यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥ - - वाल्मीकि रामायण शुभारम्भ, आधा खतम । हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है । — चीनी कहावत सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है । — इमर्सन सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है । — एडिशन यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता । एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है । — सैमुएल स्माइल उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं । — जान फ़्लीचर मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है । — लाक जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है । — पीटर एफ़ ड्रूकर उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ? - विवेकानंद मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं । — श्रीराम शर्मा आचार्य बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती। — बेन्जामिन फ़्रैंकलिन प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं । — इमर्सन रचनाशीलता / सृजनशीलता / क्रीएटिविटी / विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा / जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है । (बुद्धिः यस्य बलं तस्य ) — पंचतंत्र स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते । (राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च | अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| ( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृह्त्यागी । ) अनभ्यासेन विषम विद्या । ( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है ) सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम । सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥ ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना । –डेविड बोम (१९१७-१९९२) सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है । — थोरो प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं । — इमर्सन वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये ) विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः ) खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है । - - फ़ोर्ब्स अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है । — आइन्स्टीन कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है । संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा । गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है । — जार्ज बर्नार्ड शा दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । — जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है । — जान लाक एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है । - जिग जिग्लर शब्द विचारों के वाहक हैं । शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है । दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो । — जेम्स देवर अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं । — कार्ल पापर सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिये । — थामस ह. हक्सले शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना । — केथराल शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है । — बर्क अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है । — डिजरायली पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान / झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः । सुख दुख या संसार में सब काहू को होय । ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥ आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः । विवेक विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है । — ब्रूचे विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है । — मान्तेन तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक । साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥ भविष्य / भविष्य वाणी आशा / निराशा चिन्ता / तनाव / अवसाद चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है । — चैनिंग विकास कैरीअर आत्म-निर्भरता जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान् विजय अवश्य मिलती है। - भरत पारिजात ८।३४ भारत भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है । — विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती । — अलबर्ट आइन्स्टीन भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है । — मार्क ट्वेन यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है । — फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया । — हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से । अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥ कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी । शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥ — मुहम्मद इकबाल संस्कृत भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा । ( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । ) इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है । — सर विलियम जोन्स सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है । –आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल् कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है । — फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ ) यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है । — रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में ) हिन्दी देवनागरी हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है । -— आचार्य विनबा भावे देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है । -— सर विलियम जोन्स मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है । — जान क्राइस्ट उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी । -— खुशवन्त सिंह महात्मा गाँधी आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था । — अलबर्ट आइन्स्टीन मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा । — हो ची मिन्ह उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं । — यू थान्ट .. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है । — अर्नाल्ड विग जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा । –हैली सेलेसी मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था । — महा आत्मा , दलाई लामा लीप-फ़्रागिंग इन्टरनेट सेल फोन ज्ञान-अर्थ-व्यवस्था मानसिक परिपक्वता / इमोशनल इन्टेलिजेन्स ( अक्रोध , धैर्य , सन्तोष , चिन्ता , तॄष्णा , लालच , क्षमा , हँसी , विनोद , ) धैर्य / धीरज धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है । — डिजरायली हास्य-व्यंग्य सुभाषित हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ । (क्योंकि) मैं तो सारे संसार् को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥ कमला कमलं शेते, हरः शेते हिमालये । क्षीराब्धौ च हरिः शेते, मन्ये मत्कुणशंकया ॥ लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं । विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥ अन्य / विविध योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः । वाक्यं रसात्मकं काव्यम । अलंकरोति इति अलंकारः । सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः । ( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) संतोषं परमं सुखम् । बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । शठे शाठ्यं समाचरेत् । ( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये ) एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है । यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो । भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: । ( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । ) — भर्तृहरि चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है । — लैब्रेटर हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु । — बेन्जामिन हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है । — अनोन कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥ — तुलसी 3384 2005-08-28T13:30:41Z 210.212.158.130 == आधुनिक विषय == '''गणित''' यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा । तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥ — वेदांग ज्योतिष ( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । ) बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥ — महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ ( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता ) ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है । — गैलिलियो गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी । — प्रो. हाल काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं । — गरफंकल , १९९७ गणित एक भाषा है । — जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ । यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते । '''विज्ञान''' विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है । — विल्ल डुरान्ट विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन । विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं । हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं । — रिचर्ड फ़ेनिमैन '''तकनीकी''' पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता । -आर्थर सी. क्लार्क सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । — एस डीकैम्प इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है । — जेम्स के. फिंक वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं । — थियोडोर वान कार्मन मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें । — सुश्री जैकब इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है । जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है । — लार्ड केल्विन आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है । तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है । '''भाषा / स्वभाषा''' निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल । बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥ — भारतेन्दु हरिश्चन्द्र भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं । — बेन्जामिन होर्फ आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना । ..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है । — जार्ज ओर्वेल जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता । — गोथे '''साहित्य''' साहित्य समाज् का दर्पण होता है । साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः । ( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । ) — भर्तृहरि संगति / सत्संगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार /नेटवर्किंग / संघ संघे शक्तिः ( एकता में शति है ) हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् । समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥ हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है । — महाभारत यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च । पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥ जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे के कारण कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे । — पंचतंत्र को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? , गुणियों का साथ ) — भर्तृहरि सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं ) — पंचतंत्र दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं । — कियोसाकी मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना । शठ सुधरहिं सतसंगति पाई । पारस परस कुधातु सुहाई ॥ — गोस्वामी तुलसीदास गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है ) — गोस्वामी तुलसीदास बिना सहकार , नहीं उद्धार । उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् । ( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । ) '''संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन''' दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था । आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है । उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी । बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है । — गोथे व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है । — डिजरायली '''साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न''' साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं ) इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है । जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है । बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते । बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है । — आर. जी. इंगरसोल जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है । मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। - महात्मा गांधी किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो। - द्रोणाचार्य यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते। - वल्लभभाई पटेल वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है। - डब्ल्यू.एच.आडेन शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस। - किर्केगार्द भय, अभय , निर्भय तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥ भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये । — पंचतंत्र जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। - पंचतंत्र ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। - बर्ट्रेंड रसेल मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें। - अथर्ववेद ‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की। - स्वामी विवेकानंद दोष / गलती गलती करने में कोई गलती नहीं है । गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है । — एल्बर्ट हब्बार्ड गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं । बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता । — ग्लेडस्टन मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे । — राबर्ट कियोसाकी सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं । — आस्कर वाइल्ड गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं । — सिसरो अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं । — अलेक्जेन्डर पोप दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन । — प्लूटार्क सफलता, असफलता जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है । — हक्सले जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता । — हर्मन मेलविल असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है । — नैपोलियन हिल सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं । असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है । — हेनरी फ़ोर्ड दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं। - थामस इलियट दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं। - इमर्सन - हरिशंकर परसाई सुख-दुःख , व्याधि , दया संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। - खलील जिब्रान संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं। - मृच्छकटिक व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है। - चाणक्यसूत्राणि-२२३ विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है। - रावणार्जुनीयम्-५।८ मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। - बर्नार्ड शॉ मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। - पुरुषोत्तमदास टंडन मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है। - सर विंस्टन चर्चिल तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं। -लहरीदशक रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥ — रहीम चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है । — गेटे प्रशंसा / प्रोत्साहन मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है । –चार्ल्स श्वेव आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है । — सेनेका मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है । — विलियम जेम्स अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो । — फ्रंकलिन चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन । मान, अपमान, सम्मान धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी। - माघकाव्य इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है। - कल्विन कूलिज धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र / दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है । — भर्तृहरि हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना (धन) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है ) — महाकवि माघ सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं ) - भर्तृहरि संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये । — शुक्राचार्य आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है ) — चाणक्य मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है । — पंचतंत्र अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है ) — चाणक्य जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना । — गो. तुलसीदास धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं । — डेनियल व्यापार तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी । राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर । — कार्डेल हल्ल व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये । इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं । — थामस फुलर आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये । कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति । — द डेविल्स डिक्शनरी अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है । विकास सामाजिक नवोन्मेष ( social innovation ) राजनीति निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है । — दसकुमारचरित यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है । — हेनरी एडम विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है । — सर अर्नेस्ट वेम मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है । — हेनरी एडम लोकतन्त्र लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है । — अब्राहम लिंकन लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है । — हेनरी एमर्शन फास्डिक शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है । — लार्ड बिवरेज अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है। बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन। - महात्मा गांधी विधान / नियम /कानून न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते । ( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो ) — महाभारत अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता । — थामस फुलर थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता । — लुइस दी उलोआ संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है । लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर । सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें । — इमर्शन न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः । स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥ ( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला । स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । ) विज्ञापन मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है। - हरिशंकर परसाई समय आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः । स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥ करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता । वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार । समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है । — बेन्जामिन फ्रैंकलिन किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा । क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत । ( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये ) काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥ — कबीरदास अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है । हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है । दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है ) अवसर / मौका / सुतार बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं । — डगलस मैकआर्थर संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं । आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा । — विन्स्टन चर्चिल अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है । — अलबर्ट आइन्स्टाइन हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं । — ली लोकोक्का रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ न इतराइये , देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || इतिहास उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है । — इमर्सन इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है । इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है । जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है । — जार्ज सन्तायन ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले । — मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है । –सी डैरो संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है । — एच जी वेल्स सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । — एस डीकैम्प इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है । — जेम्स के. फिंक भोजन और स्वस्थ्य शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता वीरभोग्या वसुन्धरा । ( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् । को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥ — पंचतंत्र जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ? खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले । खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ? कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही | कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥ ( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः । विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥ (जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है। - मृच्छकटिक आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए। - श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते। — जोनाथन स्विफ्ट आत्मविश्वास / निर्भीकता आत्मविस्वास , वीरता का सार है । — एमर्सन आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है । — एमर्शन आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो । — डेल कार्नेगी हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है । — रीता माई ब्राउन मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है । –एन्ड्री मौरोइस प्रश्न वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है । भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है । — एरिक हाफर प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है । सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है । मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे । — स्टीनमेज जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है । सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है । सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं । ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग । एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं । ज्ञान प्रबन्धन (KM) लिखना / नोट करना परिवर्तन क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है ) — शिशुपाल वध आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं । परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है । — बर्नार्ड रसेल हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं । — महात्मा गाँधी परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है ; आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है ; और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है । — राजा ह्विटनी जूनियर नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है । — मकियावेली नेतृत्व / प्रबन्धन अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं । अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥ कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक । पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥ जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला । — मैरी पार्कर फोलेट नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है । — मैक्सवेल अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है । — एल्बर्ट हब्बार्ड अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है । विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा पालन-पोषण / पैरेन्टिग किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो । — बिनोवा भावे कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ । — लेस ब्राउन केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं । व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो । — श्रीराम शर्मा आचार्य कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है । — नैपोलियन कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है । — अलबर्ट आइन्स्टीन मौन मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है । — बेकन आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें । — एमर्शन मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है । — कार्लाइल मौनं स्वीकार लक्षणम् । ( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । ) उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / आइडिया उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः । ( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । ) — पंचतन्त्र विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं । — सर फिलिप सिडनी लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा । विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं । — डब्ल्यू. ओ. डगलस किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है । कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म ज्ञानं भार: क्रियां बिना । आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है । — हितोपदेश उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: । कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं, मनोरथ मात्र से नहीं। — हितोपदेश जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः ) सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही । — गो. तुलसीदास जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है । — नार्मन कजिन आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है । - सैली बर्जर जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं । — गोथे छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो । प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः ) — रघुवंश महाकाव्यम् पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता । यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥ - - वाल्मीकि रामायण शुभारम्भ, आधा खतम । हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है । — चीनी कहावत सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है । — इमर्सन सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है । — एडिशन यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता । एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है । — सैमुएल स्माइल उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं । — जान फ़्लीचर मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है । — लाक जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है । — पीटर एफ़ ड्रूकर उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ? - विवेकानंद मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं । — श्रीराम शर्मा आचार्य बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती। — बेन्जामिन फ़्रैंकलिन प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं । — इमर्सन रचनाशीलता / सृजनशीलता / क्रीएटिविटी / विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा / जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है । (बुद्धिः यस्य बलं तस्य ) — पंचतंत्र स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते । (राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च | अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| ( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृह्त्यागी । ) अनभ्यासेन विषम विद्या । ( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है ) सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम । सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥ ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना । –डेविड बोम (१९१७-१९९२) सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है । — थोरो प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं । — इमर्सन वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये ) विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः ) खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है । - - फ़ोर्ब्स अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है । — आइन्स्टीन कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है । संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा । गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है । — जार्ज बर्नार्ड शा दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । — जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है । — जान लाक एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है । - जिग जिग्लर शब्द विचारों के वाहक हैं । शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है । दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो । — जेम्स देवर अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं । — कार्ल पापर सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिये । — थामस ह. हक्सले शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना । — केथराल शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है । — बर्क अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है । — डिजरायली पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान / झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः । सुख दुख या संसार में सब काहू को होय । ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥ आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः । विवेक विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है । — ब्रूचे विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है । — मान्तेन तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक । साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥ भविष्य / भविष्य वाणी आशा / निराशा चिन्ता / तनाव / अवसाद चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है । — चैनिंग विकास कैरीअर आत्म-निर्भरता जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान् विजय अवश्य मिलती है। - भरत पारिजात ८।३४ भारत भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है । — विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती । — अलबर्ट आइन्स्टीन भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है । — मार्क ट्वेन यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है । — फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया । — हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से । अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥ कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी । शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥ — मुहम्मद इकबाल संस्कृत भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा । ( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । ) इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है । — सर विलियम जोन्स सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है । –आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल् कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है । — फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ ) यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है । — रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में ) हिन्दी देवनागरी हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है । -— आचार्य विनबा भावे देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है । -— सर विलियम जोन्स मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है । — जान क्राइस्ट उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी । -— खुशवन्त सिंह महात्मा गाँधी आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था । — अलबर्ट आइन्स्टीन मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा । — हो ची मिन्ह उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं । — यू थान्ट .. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है । — अर्नाल्ड विग जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा । –हैली सेलेसी मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था । — महा आत्मा , दलाई लामा लीप-फ़्रागिंग इन्टरनेट सेल फोन ज्ञान-अर्थ-व्यवस्था मानसिक परिपक्वता / इमोशनल इन्टेलिजेन्स ( अक्रोध , धैर्य , सन्तोष , चिन्ता , तॄष्णा , लालच , क्षमा , हँसी , विनोद , ) धैर्य / धीरज धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है । — डिजरायली हास्य-व्यंग्य सुभाषित हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ । (क्योंकि) मैं तो सारे संसार् को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥ कमला कमलं शेते, हरः शेते हिमालये । क्षीराब्धौ च हरिः शेते, मन्ये मत्कुणशंकया ॥ लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं । विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥ अन्य / विविध योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः । वाक्यं रसात्मकं काव्यम । अलंकरोति इति अलंकारः । सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः । ( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) संतोषं परमं सुखम् । बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । शठे शाठ्यं समाचरेत् । ( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये ) एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है । यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो । भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: । ( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । ) — भर्तृहरि चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है । — लैब्रेटर हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु । — बेन्जामिन हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है । — अनोन कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥ — तुलसी सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति 1374 3385 2005-09-02T12:42:30Z 210.212.158.130 == सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल वचन == पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं । — संस्कृत सुभाषित विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है । — मैथ्यू अर्नाल्ड संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति । — चाणक्य सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें । — गोथे मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो । — इमर्सन किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा। — सर विंस्टन चर्चिल बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है। — आईजक दिसराली — मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं। सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती। — राबर्ट हेमिल्टन == गणित == यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा । तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥ — वेदांग ज्योतिष ( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । ) बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥ — महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ ( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता ) ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है । — गैलिलियो गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी । — प्रो. हाल काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं । — गरफंकल , १९९७ गणित एक भाषा है । — जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ । यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते । == विज्ञान == विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है । — विल्ल डुरान्ट विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन । विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं । हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं । — रिचर्ड फ़ेनिमैन == तकनीकी == पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता । -आर्थर सी. क्लार्क सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । — एस डीकैम्प इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है । — जेम्स के. फिंक वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं । — थियोडोर वान कार्मन मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें । — सुश्री जैकब इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है । जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है । — लार्ड केल्विन आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है । तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है । == कम्प्यूटर / इन्टरनेट == इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है. -– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक) कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं. -– एडवर्ड शेफर्ड मीडस कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं. — क्लिफ़ोर्ड स्टॉल == कला == कला एक प्रकार का एक नशा है,जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है। - फ्रायड == भाषा / स्वभाषा == निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल । बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥ — भारतेन्दु हरिश्चन्द्र भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं । — बेन्जामिन होर्फ आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना । ..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है । — जार्ज ओर्वेल जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता । — गोथे शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है. -– लिली टॉमलिन == साहित्य == साहित्य समाज् का दर्पण होता है । साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः । ( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । ) — भर्तृहरि == संगति / सत्संगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार /नेटवर्किंग / संघ == संघे शक्तिः ( एकता में शति है ) हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् । समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥ हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है । — महाभारत यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च । पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥ जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे के कारण कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे । — पंचतंत्र को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? , गुणियों का साथ ) — भर्तृहरि सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं ) — पंचतंत्र दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं । — कियोसाकी मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना । शठ सुधरहिं सतसंगति पाई । पारस परस कुधातु सुहाई ॥ — गोस्वामी तुलसीदास गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है ) — गोस्वामी तुलसीदास बिना सहकार , नहीं उद्धार । उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् । ( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । ) नहीं संगठित सज्जन लोग । रहे इसी से संकट भोग ॥ — श्रीराम शर्मा , आचार्य अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है। — रैन्डाल्फ == संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन == दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था । आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है । उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी । बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है । — गोथे व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है । — डिजरायली == साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न == साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं ) इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है । जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है । बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते । बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है । — आर. जी. इंगरसोल जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है । मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। - महात्मा गांधी किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो। - द्रोणाचार्य यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते। - वल्लभभाई पटेल वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है। - डब्ल्यू.एच.आडेन शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस। - किर्केगार्द किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है | -– एरमा बॉम्बेक हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है. == भय, अभय , निर्भय == तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥ भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये । — पंचतंत्र जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। - पंचतंत्र ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। - बर्ट्रेंड रसेल मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें। - अथर्ववेद ‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की। - स्वामी विवेकानंद आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ | -– नेपोलियन डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है | -– एमर्सन दोष / गलती / त्रुटि गलती करने में कोई गलती नहीं है । गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है । — एल्बर्ट हब्बार्ड गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं । बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता । — ग्लेडस्टन मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे । — राबर्ट कियोसाकी सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं । — आस्कर वाइल्ड गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं । — सिसरो अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं । — अलेक्जेन्डर पोप दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन । — प्लूटार्क त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है | -– सिगमंड फ्रायड गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नही गया। सफलता, असफलता असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया गया । — श्रीरामशर्मा आचार्य जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है । — हक्सले जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता । — हर्मन मेलविल असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है । — नैपोलियन हिल सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं । असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है । — हेनरी फ़ोर्ड दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं। - थामस इलियट दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं। - इमर्सन - हरिशंकर परसाई किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो । जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं , दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं । — श्रीराम शर्मा , आचार्य प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं । — जान मैकनरो असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है। — बेवेरली सिल्स सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो. -– किन हबार्ड मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला. -– जोनाथन विंटर्स सुख-दुःख , व्याधि , दया संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। - खलील जिब्रान संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं। - मृच्छकटिक व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है। - चाणक्यसूत्राणि-२२३ विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है। - रावणार्जुनीयम्-५।८ मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। - बर्नार्ड शॉ मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। - पुरुषोत्तमदास टंडन मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है। - सर विंस्टन चर्चिल तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं। -लहरीदशक रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥ — रहीम चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है । — गेटे प्रशंसा / प्रोत्साहन मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है । –चार्ल्स श्वेव आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है । — सेनेका मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है । — विलियम जेम्स अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो । — फ्रंकलिन चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन । मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा -– विलियम ऑर्थर वार्ड हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं | -– नॉर्मन विंसेंट पील मान, अपमान, सम्मान धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी। - माघकाव्य इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है। - कल्विन कूलिज अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान | -– रहीम अभिमान / घमण्ड / गर्व धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र / दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है । — भर्तृहरि हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना (धन) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है ) — महाकवि माघ सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं ) - भर्तृहरि संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये । — शुक्राचार्य आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है ) — चाणक्य मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है । — पंचतंत्र अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है ) — चाणक्य जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना । — गो. तुलसीदास क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत । ( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये । रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर. -– चेस्टर फ़ील्ड धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं । — डेनियल गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी. -– एनॉन पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है। व्यापार तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी । राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर । — कार्डेल हल्ल व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये । इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं । — थामस फुलर आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये । कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति । — द डेविल्स डिक्शनरी अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है । विकास / प्रगति बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं । — श्रीराम शर्मा , आचार्य विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है। — रोनाल्ड रीगन अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि. राजनीति निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है । — दसकुमारचरित यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है । — हेनरी एडम विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है । — सर अर्नेस्ट वेम मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है । — हेनरी एडम राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो. -– ओटो वान बिस्मार्क सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी. -– एरिक फ्रॉम लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है । — अब्राहम लिंकन लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है । — हेनरी एमर्शन फास्डिक शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है । — लार्ड बिवरेज अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है। बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन। - महात्मा गांधी जैसी जनता , वैसा राजा । प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥ — श्रीराम शर्मा , आचार्य अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है। बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन। — महात्मा गांधी नियम / कानून / विधान न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते । ( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो ) — महाभारत अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता । — थामस फुलर थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता । — लुइस दी उलोआ संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है । लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर । सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें । — इमर्शन न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः । स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥ ( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला । स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । ) कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता। — फिदेल कास्त्रो विज्ञापन मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है। - हरिशंकर परसाई समय आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः । स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥ करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता । वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार । समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है । — बेन्जामिन फ्रैंकलिन किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा । क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत । ( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये ) काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥ — कबीरदास अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है । हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है । दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है ) समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है. -– एनॉन अवसर / मौका / सुतार / सुयोग जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा । — श्रीराम शर्मा , आचार्य बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं । — डगलस मैकआर्थर संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं । आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा । — विन्स्टन चर्चिल अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है । — अलबर्ट आइन्स्टाइन हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं । — ली लोकोक्का रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ न इतराइये , देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है | -– गोस्वामी तुलसीदास इतिहास उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है । — इमर्सन इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है । इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है । इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है। — नेपोलियन बोनापार्ट जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है । — जार्ज सन्तायन ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले । — मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है । –सी डैरो संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है । — एच जी वेल्स सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । — एस डीकैम्प इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है । — जेम्स के. फिंक इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा। शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता वीरभोग्या वसुन्धरा । ( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् । को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥ — पंचतंत्र जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ? खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले । खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ? कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही | कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥ ( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः । विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥ (जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है। - मृच्छकटिक आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए। - श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते। — जोनाथन स्विफ्ट युद्ध / शान्ति सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है। — पं. जवाहरलाल नेहरू सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव । ( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा । — दुर्योधन , महाभारत में प्रागेव विग्रहो न विधिः । पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है । — पंचतन्त्र यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो। — अब्राहम लिंकन शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है। — डा॰राजेन्द्र प्रसाद आत्मविश्वास / निर्भीकता आत्मविश्वास , वीरता का सार है । — एमर्सन आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है । — एमर्शन आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो । — डेल कार्नेगी हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है । — रीता माई ब्राउन मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है । –एन्ड्री मौरोइस प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है । भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है । — एरिक हाफर प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है । सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है । मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे । — स्टीनमेज जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है । सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है । मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन | -– रुडयार्ड किपलिंग सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं । ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग । एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं । ज्ञान प्रबन्धन (KM) लिखना / नोट करना परिवर्तन क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है ) — शिशुपाल वध आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं । परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है । — बर्नार्ड रसेल हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं । — महात्मा गाँधी परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है ; आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है ; और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है । — राजा ह्विटनी जूनियर नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है । — मकियावेली यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो । — कुर्त लेविन आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं । — पीटर ड्रकर नेतृत्व / प्रबन्धन अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं । अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥ कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक । पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥ जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला । — मैरी पार्कर फोलेट नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है । — मैक्सवेल अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है । — एल्बर्ट हब्बार्ड अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है । मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब भी जो मैं उधार ले सकता हूँ. -– वुडरो विलसन निर्णय जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था. विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा पालन-पोषण / पैरेन्टिग किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो । — बिनोवा भावे बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने. कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ । — लेस ब्राउन केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं । व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो । — श्रीराम शर्मा आचार्य कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है । — नैपोलियन कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है । — अलबर्ट आइन्स्टीन ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते । ( ध्यान , ज्ञान से बढकर है ) ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं । — श्री माँ एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है । — स्टीफन जेविग तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है। — अलबर्ट आइन्सटीन मौन मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है । — बेकन मौनं सर्वार्थसाधनम् । — पंचतन्त्र ( मौन सारे काम बना देता है ) आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें । — एमर्शन मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है । — कार्लाइल मौनं स्वीकार लक्षणम् । ( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । ) कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं | -– ओविड उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं । — श्रीराम शर्मा , आचार्य मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले । - पं श्री राम शर्मा आचार्य उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः । ( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । ) — पंचतन्त्र विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं । — सर फिलिप सिडनी लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा । विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं । — डब्ल्यू. ओ. डगलस किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है । विचारों की गति ही सौन्दर्य है। — जे बी कृष्णमूर्ति ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो | -– हेनरी फ़ोर्ड जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे | -– जॉन बेज चिन्तन / मनन कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म ज्ञानं भार: क्रियां बिना । आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है । — हितोपदेश उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: । नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥ कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं। सोये हुए शेर के मुख में मृग प्रवेश नहीं करते । — हितोपदेश जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः ) सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही । — गो. तुलसीदास जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है । — नार्मन कजिन आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है । - सैली बर्जर जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं । — गोथे छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो । प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः ) — रघुवंश महाकाव्यम् पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता । यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥ - - वाल्मीकि रामायण शुभारम्भ, आधा खतम । हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है । — चीनी कहावत सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है । — इमर्सन सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है । — एडिशन यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता । एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है । — सैमुएल स्माइल उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं । — जान फ़्लीचर मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है । — लाक जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है । — पीटर एफ़ ड्रूकर अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है । — थामस कार्लाइल ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो. जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है | – वेदव्यास उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया । — श्रीराम शर्मा , आचार्य परिश्रम मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान | -– स्टीवन राइट आराम हराम है. चींटी से परिश्रम करना सीखें | — अज्ञात चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो ) रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी / खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे करना , श्रृजन है । स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और फिर उस काम को मत करो । — जोल वेल्डन वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड) करने की कोशिश करता है । रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा । — श्रीराम शर्मा , आचार्य यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए हैं। — मार्क ट्वेन विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा / जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है । (बुद्धिः यस्य बलं तस्य ) — पंचतंत्र स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते । (राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च | अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| ( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृह्त्यागी । ) अनभ्यासेन विषम विद्या । ( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है ) सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम । सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥ ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना । –डेविड बोम (१९१७-१९९२) सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है । — थोरो प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं । — इमर्सन वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये ) विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः ) खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है । - - फ़ोर्ब्स अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है । — आइन्स्टीन कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है । संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा । गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है । — जार्ज बर्नार्ड शा दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । — जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है । — जान लाक एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है । - जिग जिग्लर शब्द विचारों के वाहक हैं । शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है । दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो । — जेम्स देवर अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं । — कार्ल पापर सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिये । — थामस ह. हक्सले शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना । — केथराल शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है । — बर्क अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है । — डिजरायली ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है। — थामस फुलर स्कूल को बन्द कर दो । — इवान इलिच प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी । — श्रीराम शर्मा , आचार्य पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान / झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः । ( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है । ) सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय । ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥ आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः । ( जो सारे प्राणियों को अपने समान देखता है , वही पण्डित है । ) सज्जन / दुर्जन / खल / साधु बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है | – शेख सादी विवेक विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है । — ब्रूचे विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है । — मान्तेन तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक । साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥ ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य । भविष्य / भविष्य वाणी अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा । द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो विनश्यति ॥ — पंचतन्त्र भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का विनाश हो जाता है । भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है । — डा. शाकली किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है। — जान राइस आशा / निराशा अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है. खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो | – शेख सादी सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है. चिन्ता / तनाव / अवसाद चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है । — चैनिंग विकास कैरीअर आत्म-निर्भरता जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती है। - भरत पारिजात ८।३४ भारत भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है । — विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती । — अलबर्ट आइन्स्टीन भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है । — मार्क ट्वेन यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है । — फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया । — हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से । अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥ कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी । शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥ — मुहम्मद इकबाल संस्कृत भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा । ( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । ) इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है । — सर विलियम जोन्स सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है । –आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल् कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है । — फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ ) यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है । — रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में ) हिन्दी देवनागरी हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है । -— आचार्य विनबा भावे देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है । -— सर विलियम जोन्स मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है । — जान क्राइस्ट उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी । -— खुशवन्त सिंह महात्मा गाँधी आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था । — अलबर्ट आइन्स्टीन मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा । — हो ची मिन्ह उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं । — यू थान्ट .. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है । — अर्नाल्ड विग जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा । –हैली सेलेसी मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था । — महा आत्मा , दलाई लामा ज्ञान-अर्थ-व्यवस्था मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल इन्टेलिजेन्स ( अक्रोध , धैर्य , सन्तोष , चिन्ता , तॄष्णा , लालच , क्षमा , हँसी , विनोद , ) क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी । विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं नन्दनं वनम ॥ क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । ) चिन्ता चिता के पास ले जाती है । मन के हारे हार है मन के जीते जीत । हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये । — मार्टिन लुथर किंग अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता । हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है. सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते | -– सल्वाडोर डाली सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है । जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है | -– सुकरात जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार सोचकर. -– जेफरसन यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है. -– डोरोथी पार्कर जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती. -– हेनरी वान डायक जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते | – महाभारत हँसी जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है | -– टैगोर धैर्य / धीरज धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है । — डिजरायली सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें । - पं श्री राम शर्मा आचार्य हास्य-व्यंग्य सुभाषित हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ । (क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥ कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये । क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये मत्कुणशंकया ॥ लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं । विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥ टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी कॉमेडी भर देगी ? -– डिक कैवेट मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है | -– वूडी एलन प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत का दर्द | -– मे वेस्ट चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं | -– चार्ल्स द गाल जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है. पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है. इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं | -– वूडी एलन अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों | -– जेरोम के जेरोम किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा. -– एनन ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला देता. -– हेनरी डेविड थोरे यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है. -– पाल गेटी विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है | -– हेनरी किसिंजर भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के. — एडले स्टीवेंसन यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते. यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं तो बागवानी में लग जाएँ. -– आर्थर स्मिथ अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है. -– बालज़ाक बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता. ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी की थी. -– बारबरा स्ट्रीसेंड बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो ? जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता है। धर्म धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः । धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , दसकं धर्म लक्षणम ॥ — मनु ( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । ) श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् । आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥ — महाभारत ( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । ) धर्मो रक्षति रक्षितः । ( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय । ) धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है । — श्रीराम शर्मा , आचार्य कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥ — श्रीराम शर्मा , आचार्य उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥ — श्रीराम शर्मा , आचार्य धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है। — डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन सदाचार सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है । अहिंसा , हिंसा, शांति याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है। सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है। - मार्टिन सूथर किंग जूनियर ‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती। - महात्मा गांधी आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है। - वेडेल फिलिप्स क्षमा / बदला सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है. दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है । अतिथि मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं । — बेंजामिन फ्रैंकलिन अतिथि देवो भव । ( अतिथि को देवता समझो । ) सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का स्वागत करो । संस्कृति लज्जा परोपकार परहित सरसि धरम नहि भाई । — गो. तुलसीदास अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् । परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥ अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप । परोपकाराय सतां विभूतयः । ( सज्जनों का धन परोपकार के लिये होता है । ) जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥ — चकबस्त समाज के हित में अपना हित है । — श्रीराम शर्मा , आचार्य गुण / अवगुण आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता है। - आर्यान्योक्तिशतक आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता। - भगवान महावीर कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे। - पंडितराज जगन्नाथ कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए। - दर्पदलनम् १।२९ गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है। - वासवदत्ता घमंड करना जाहिलों का काम है। - शेख सादी तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते हैं। - साहित्यदर्पण यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है | -– शेख़ सादी सत्य / सच्चाई / इमानदारी / असत्य असतो मा सदगमय ।। तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥ (हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥। सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् । प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥ सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये । प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥ सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है। - जार्ज बर्नार्ड शॉ सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है । जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ । — वेद व्यास सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है. मानव जीवन येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥ जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) । — भर्तृहरि मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है । — श्रीराम शर्मा , आचार्य हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें । — श्रीराम शर्मा , आचार्य मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु , मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है। — रवीन्द्र नाथ टैगोर आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , अंधकारमय बना लेते हैं। — रवीन्द्र नाथ टैगोर क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी) | -– चार्ली चेपलिन आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है | -– मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों की तरह पैडल मारते हुए | -– जेकब एम ब्रॉदे जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है | -– रॉल्फ वाल्डो इमर्सन अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत | -– हेनरी एडम्स दृढ़ निश्चय ही विजय है जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़. जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है. -– जे पी डोनलेवी दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है. प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं. हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं. - - शेक्सपीयर लक्ष्य / उद्देश्य यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें | सन्तान पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय । मृतजात माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः । सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये बको यथा ॥ जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है । (क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला । दो बच्चों से खिलता उपवन । हँसते-हँसते कटता जीवन ।। स्वाधीनता / स्वतन्त्रता / पराधीनता पराधीन सपनेहु सुख नाहीं । — गोस्वामी तुलसीदास आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है । आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं। — जार्ज बर्नाड शॉ स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ? - विवेकानंद मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं । — श्रीराम शर्मा आचार्य बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती। — बेन्जामिन फ़्रैंकलिन प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं । — इमर्सन शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है । — श्रीराम शर्मा , आचार्य ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति । — श्रीराम शर्मा , आचार्य सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना । — स्काट फिट्जेराल्ड आत्मदीपो भवः । ( अपना दीपक स्वयं बनो । ) — गौतम बुद्ध इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच ! आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / हाइपोक्रिसी चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है। - सर्वपल्ली राधाकृष्णन हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है। - विनोबा भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी, राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं। - स्वामी रामदेव पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की साज़िश की थी। - अनीता प्रताप बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है। - नीतिशास्त्र भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है। - रत्वान रोमेन खिमेनेस पर उपदेश कुशल बहुतेरे । जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।। —- गोस्वामी तुलसीदास ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो. जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते | -– नवाजो जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए | -– कनफ़्यूशियस पुस्तकें सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है | — डबल्यू एच ऑदेन पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है. किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है | -– रे ब्रेडबरी पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है. स्वाध्याय अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है. गुरू उपयोग, दुर्उपयोग जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है। - आर्यान्योक्तिशतक अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते। - जानसन मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है। - अरुंधती राय संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता है। सूक्तिमुक्तावली-७० भाग्य चरित्र व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है । — चैनिंग प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है | – अलफ़ॉसो कार त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् । ( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । ) ईश्वर ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए | – रविदास मीठी बोली तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय । औरन् को शीतल लगे, आपहुँ शीतल् होय ॥ — कबीरदास प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः । तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥ ( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? ) नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं | -– तिरूवल्लुवर उदारता अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं । उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है । सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है ) सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥ सभी सुखी हों , सभी निरोग हों । सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥ यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं – हैरी एस. ट्रूमेन श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है | -– काउन्ट रदरफ़र्ड आकांक्षा, चाह भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है? - गाथासप्तशती कर्तव्य, आभार जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए। - महाभारत कर्म, अकर्म, भाग्य जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सुगंध कहां फैल सकती है? - शिवशुकीय अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है। - ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३ जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है। - गेटे दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे। - जे.बी. एस. हॉल्डेन यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे। - लुकमान सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ? - रामतीर्थ कला, भाषा, विद्वता मेरी भाषा की सीमा, मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है। - लुडविग विटगेंस्टाइन मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं। - शेख सादी श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्दऔर अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं। - शिशुपाल वध चरित्र कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है। - नीतिवाक्यामृत-३।१२ छल-कपट, निष्कपटता पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है। - लिन यूतांग झूट का कभी पीछा मत करो। उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा। - लीमैन बीकर जीवन, आयु मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है। - बर्ट्रेंड रसेल हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है। (लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर) काव्यादर्श जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। - महाभारत बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है। - अष्टावक्र दिखावा आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते हैं। -फ्रांत्स काफ्का धैर्य, स्वभाव, तन्मयता अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं। - वक्रमुख गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना। - महात्मा गांधी चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है। - बैंजामिन फ्रैंकलिन जो कोई गुस्से को प्रकट करने की ताकत रखते हुए भी उसे दबाता है, उसे अल्लाह सभी प्राणियों के सामने कयामत के दिन बुलाएगा और बहुत नेमतें देगा। - मुहम्मद पैगम्बर दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते। - शम्स-ए-तबरेज़ सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)। - हितोपदेश पाप, पुण्य, पवित्रता जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है। - फुलर शहीद के खून से ज्यादा पवित्र विद्वान आदमी के रक्त की स्याही होती है। -मोहम्मद साहब मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए। - हितोपदेश - बर्नार्ड इगेस्किलन इच्छा / कामना / मनोरथ मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है | – वेदव्यास प्रेम, आंसू उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है। - तिरुवल्लुवर जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है। - उत्तररामचरित पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है। - लार्ड बायरन सात सागरों के जल की अपेक्षा मानव-नेत्रों से कहीं अधिक आंसू बह चुके हैं। - गौतम बुद्ध प्रगति भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया। - जवाहरलाल नेहरू सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? - डा. राधाकृष्णन परिवर्तन चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती। बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं। - माल्कम एक्स पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है। - स्वामी विवेकानंद भय, निर्भय, घृणा जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। - पंचतंत्र ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। - बर्ट्रेंड रसेल मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें। - अथर्ववेद ‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की। - स्वामी विवेकानंद मान, अपमान, सम्मान धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी। - माघकाव्य इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है। - कल्विन कूलिज रहस्य, समस्या जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक अभियान है। - ओशो मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है। - हरिशंकर परसाई विनय, सुशीलता, सत्कार,अनादर कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है। क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं। - मृच्छकटिक जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है। - वासवदत्ता जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र बनाता है और पानी में रेखा खींचता है। - प्रास्ताविकविलास विवेक, ज्ञान, अज्ञान जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही नहीं। - शेख सादी ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है। - बर्नारड शा निराशा मूर्खता का परिणाम है। - डिज़रायली यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)। - नीतसार सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़ होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं। - कालिदास शक्ति , अधिकार जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है। - मृच्छकटिक आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए। - श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते। - जोनाथन स्विफ्ट शिक्षा , परामर्श , पुस्तक संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती। - जॉर्ज बर्नार्ड शॉ भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है। - सांख्य दर्शन बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है। - स्वामी रामदेव कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता? - विवेकानंद सामान्य बुद्धि चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं। - प्रेमचन्द स्वास्थ्य स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है । शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं ) आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं । — महर्षि चरक मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय । — श्रीराम शर्मा , आचार्य जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है। - महात्मा गांधी स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है । शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं ) आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं । — महर्षि चरक को रुक् , को रुक् , को रुक् ? हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् । ( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ? हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला ) स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है। — मार्क ट्वेन ऋतु वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है। - सामवेद नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार कौशल हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है. तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं. मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते | -– इंदिरा गांधी कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता. ब्लाग, ब्लागर, ब्लागिंग ( हास्य सुभाषित ) ( रचयिता - श्री अनूप शुक्ला ) १.ब्लाग दिमाग की कब्ज़ और गैस से तात्कालिक मुक्ति का मुफीद उपाय है। २.ब्लाग पर टिप्पणी सुहागन के माथे पर बिंदी के समान होती है। ३.टिप्पणी विहीन ब्लाग विधवा की मांग की तरह सूना दिखता है। ४.अगर आप इस भ्रम का शिकार हैं कि दुनिया का खाना आपका ब्लाग पढ़े बिना हजम नहीं होगा तो आप अपना अगली सांस लेने के पहले ब्लाग लिखना बंद कर दें। दिमाग खराब होने से बचाने का इसके अलावा कोई उपाय नहीं है। ५.अनावश्यक टिप्पणियों से बचने के लिये किये गये सारे उपाय उस सुरक्षा गार्ड को तैनात करने के समान हैं जो शोहदों से किसी सुंदरी की रक्षा करने के लिये तैनात किये जाते हैं तथा बाद में सुरक्षा गार्ड सुंदरी को उसके आशिकों तक से नहीं मिलने देता। ६.जब आप अपने किसी विचार को बेवकूफी की बात समझकर लिखने से बचते हैं तो अगली पोस्ट तभी लिख पायेंगे जब आप उससे बड़ी बेवकूफी की बात को लिखने की हिम्मत जुटा सकेंगे। ७.किसी पोस्ट पर आत्मविश्वासपूर्वक सटीक टिप्पणी करने का एकमात्र उपाय है कि आप टिप्पणी करने के तुरंत बाद उस पोस्ट को पढ़ना शुरु कर दें। पहले पढ़कर टिप्पणी करने में पढ़ने के साथ आपका आत्मविश्वास कम होता जायेगा। ८.अगर आपके ब्लाग पर लोग टिप्पणियां नहीं करते हैं तो यह मानने में कोई बुराई नहीं है कि जनता की समझ का स्तर अभी आपकी समझ के स्तर तक नहीं पहुंचा है। अक्सर समझ के स्तर को उठने या गिरने में लगने वाला समय स्तर के अंतर के समानुपाती होता है। ९.जब आप किसी लंबी पोस्ट को बाद में इत्मिनान से पढ़ने के लिये सोचते हैं तो उस पोस्ट की हालत उस अखबार जैसी ही होती है जिसे आप कोई अच्छा लेख पढ़ने के लिये रद्दी के अखबारों से अलग रख लेते हैं लेकिन समय के साथ वह अखबार भी रद्दी के अखबारों में मिलकर ही बिक जाता है-अनपढ़ा। १०.जब आप कोई टिप्पणी करते समय उसे बेवकूफी की बात मानकर ‘करूं न करूं’ की दुविधा जनक हालत में ‘सरल आवर्त गति’ (Simple Hormonic Motion) कर रहेहोते हैं उसी समयावधि में हजारों उससे ज्यादा बेवकूफी की टिप्पणियां दुनिया की तमाम पोस्टों पर चस्पाँ हो जाती हैं। ११.अगर आपके ब्लाग जलवा पूरी दुनिया में फैला हुआ है तथा कोई आपकी आलोचना करने वाला नहीं है तो यह तय है कि या तो आपने अपने जीवनसाथी को अपना लिखा पढ़ाया नहीं या फिर जीवनसाथी को सुरक्षा कारणों से पढ़ने-लिखने से परहेज है। १२. अगर आप अपने जीवन साथी से तंग आ चुके हैं तथा उससे निपटने का कोई उपाय आपको समझ में नहीं आ रहा तो आप तुरंत ब्लाग लिखना शुरु कर दीजिये। १३.नियमित,हरफनमौला तथा बहुत धाकड़ लिखने वाले ब्लाग पढ़ने के बाद अक्सर यह लगता है कि ‘लिंक लथपथ’ यह ब्लाग पढ़ने से अच्छा है कि कोई अखबार पढ़ते हुये कोई बहुत तेज चैनेल क्यों न देखा जाये। १४.’कामा-फुलस्टाप’,’शीन-काफ’ तक का लिहाज रखकर लिखने वाला ‘परफेक्शनिस्ट ब्लागर’ गूगल की शरण में पहुंचा वह ब्लागर होता हैं जिसने अपना लिखना तबतक के लिये स्थगित कर रखा होता है जब तक कि ‘कामा-फुलस्टाप’ ,’शीन-काफ’ को ‘यूनीकोड’ में बदलने वाला कोई ‘साफ्टवेयर’ नहीं मिल जाता। १५.अनजान टिप्पणियां अक्सर खुदा के नूर की तरह होती हैं जो आपको तब भी राह दिखाती हैं जबकि आप चारो तरफ से प्रशंसा के कुहासे में घिरे होते हैं। १६. अगर आप अपने ब्लाग पर हिट बढ़ाने के लिये बहुत ही ज्यादा परेशान हैं तो तमाम लटके-झटकों का सहारा छोड़कर किसी चैट रूम में जाकर उम्र,लिंग,स्थान की बजाय अपने ब्लाग का लिंक देना शुरु कर दें। १७.अगर आप अपना ब्लाग बिना किसी अपराध बोध के बंद करना चाहते हैं तो किसी स्वनाम धन्य लेखक को अपने साथ जोड़ लें। १८. अच्छा लिखने वाले की तारीफ करते रहना आपकी सेहत के लिये भी जरूरी है। तारीफ के अभाव में वह अपना ब्लाग बंद करके अलग पत्रिका निकालने लगता है। तब आप उसकी न तारीफ कर सकते हैं न बुराई। १९.ऊटपटांग लिखने वाले का अस्तित्व आपके बेहतरीन लिखने का खुशनुमा अहसास बनाये रखने के निहायत जरूरी है। घटिया लिखने वाला वह नींव की ईंट है जिसपर आपका बढ़िया लिखने के अहसास का कगूंरा टिका होता है। २०. बहुत लिखने वाले ‘ब्लागलती’ को जब कुछ समझ में नहीं आता तो वह एक नया ब्लाग बना लेता है,जब कुछ-कुछ समझ में आता है तो टेम्पलेट बदल लेता है तथा जब सबकुछ समझ में आ जाता है तो पोस्ट लिख देता है। यह बात दीगर है कि पाठक यह समझ नहीं पाता कि इसने यह किसलिये लिखा! २१. जब आपका कोई नियमित प्रशंसक,पाठक आपकी पोस्ट पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करता तो निश्चित मानिये कि वो आपकी तारीफ में दो लाइन लिखने की बजाय बीस लाइन की पोस्ट लिखने में जुटा है। उन बीस लाइनों में आपकी तारीफ में केवल लिंक दिया जाता है जो कि अक्सर गलती संख्या ४०४(HTML ERROR-404) का संकेत देता है। इन्डोपेडिया से साभार अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश:. अति तृष्णा विनाशाय. अति सर्वत्र वर्जयेत् । अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌. अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌. अल्पविद्या भयङ्करी. कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌. ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:. प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌. प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌. मधुरेण समापयेत्‌. मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना. यौवने मर्कटी सुन्दरी. रत्नं सनागच्छेतु काञ्चनेन. शठे शाठ्यं समाचरेत् । सत्यं शिवं सुन्दरम्‌. सा विद्या या विमुक्तये. अन्य / विविध योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः । वाक्यं रसात्मकं काव्यम । अलंकरोति इति अलंकारः । सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः । ( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) संतोषं परमं सुखम् । बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । शठे शाठ्यं समाचरेत् । ( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये ) एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है । यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो । भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: । ( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । ) — भर्तृहरि चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है । — लैब्रेटर हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु । — बेन्जामिन हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है । — अनोन कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥ — तुलसीदास स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे । — अलबर्ट हबर्ड अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं। — महात्मा गाँधी विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है। — प्रेमचंद अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं । — प्रेमचंद मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। — महात्मा गाँधी परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता । बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार. एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है. अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो | -– थियोडॉर रूज़वेल्ट आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता | -– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया. काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है. वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले. हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता. तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं -– माले सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी | -– माओरी खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं | -– इतालवी सूक्ति यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये । -– हैरी एस ट्रुमेन जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ. — एलेक्जेंडर स्मिथ अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली. कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा | -– अलबर्ट हब्बार्ड कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है. -– रॉबर्ट ग्रेव्स बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है. तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी ? — रविंद्रनाथ टैगोर ************************************************** श्री आशीष श्रीवास्तव द्वारा संकलित सूक्तियाँ ************************************************** १.मनुष्य के लिये निराशा के समान दुसरा पाप नही है,मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समुल हटाकर आशावादी बनना चाहिये ।- हितोपदेश २.जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जीकर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के सवालो की भांति उसे हल नही किया जा सकता. वह सवाल नही- एक चुनौती है, एक अभियान है। -ओशो ३.शोक मनाने के लिए नैतिक साहस चाहिये और आनंद मनाने के लिये धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनो मे जमीन आसमान का अंतर है। पहला गर्विला साहस है, दुसरा विनीत साहस। -किर्केगार्द ४.चापलूसी का जहरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नही पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाये। -प्रेमचंद ५.गाली सह लेने के असली मायने हैं गाली देने वाले के वश मे न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना. यह नही कि जैसा वह कहे, वैसा कहना। -महात्मा गांधी. ६.जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब है तो इसका मतलब है कि मामला कहीं गडबड है । -महात्मा गांधी ७.निराशा मुर्खता का परिणाम है। - डिजरायली ८.सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है। -जार्ज बर्नाड शा ९.जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ । - अरबी कहावत १०.सबसे अधिक आंनद इस भावना मे है कि हमने मानवता की प्रगति मे कुछ योगदान दिया है । भले ही वह कितना ही कम, यहां तक कि बिल्कुल तुच्छ क्यो ना हो । - डा. राधाकृष्णन ११.झूठे मोती की आब और ताब उसे सच्चा नहीं बना सकती। १२.सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है । १३.ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं । १४.यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता। १५.पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है । महाभारत -उद्योग पर्व १७.दान देने में किसी प्रकार का भय या प्रतिफल की आकांक्षा की भावना हो तो वह दान नहीं है। -रिचर्ड रेनॉल्ड्स १८. जिसके पास बुद्धि है, उसके पास बल है। बुद्धिहीन के पास बल कहां? -चाणक्य १९.इस जन्म में परिश्रम से की गई कमाई का फल मिलता है और उस कमाई से दिए गए दान का फल अगले जन्म में मिलता है। -गुरुवाणी २०.जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं। -सुधांशु महाराज २१.विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। -गीता (अध्याय 2/62, 63) २२.प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह २३.जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद २४.स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके। -आचार्य तुलसी २५.कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक २६.धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान बनाने का सामर्थय रखती है । -स्वामी विवेकांनंद २७.एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय । -रहीम २८.जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग । -रहीम २९.रहीमन देखि बडेन को , लघु ना दिजिए डारी जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारी । -रहीम ********************************************* श्री लक्ष्मी नारायण गुप्ता द्वारा संकलित हिन्दी सुभाषित ********************************************** १। पर उपदेश कुशल बहुतेरे। जे आचरहिं ते नर न घनेरे।। —गोस्वामी तुलसीदास २। गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान। जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि समान।। —-सन्त कबीर ३। रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चिटकाय। तोड़े से फिर ना जुड़ै, जुड़े गाँठ पड़ि जाय।। —-रहीम ४। रहिमन याचकता भली जो थोरेहु दिन होय। हित अनहित या जगत में जानि परै सब कोय।। —-रहीम ५। कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय। उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।। —-सन्त कबीर ६। सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्। सुखातयोयाति नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।। —-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक) (सुख की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।) ७। कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान। पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं सुजान।। —-सन्त कबीर ८। का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।। —–गोस्वामी तुलसीदास ९। रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि। जहाँ काम आवै सुई काह करै तरवारि।। —–रहीम १०। अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम। दास मलूका कहि गये सब के दाता राम।। —– सन्त मलूकदास ११। तुलसी बुरा न मानिये जो गँवार कहि जाय। जैसे घर का नरदवा भला बुरा बहि जाय।। ——गोस्वामी तुलसीदास १२। कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।। ——गोस्वामी तुलसीदास १३। परहित सरिस धर्म नहिं भाई। परपीरा सम नहिं अधमाई।। ——गोस्वामी तुलसीदास १४। निजभाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ——-भारतेन्दु हरिश्चंद्र १५। सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति ——-गोस्वामी तुलसीदास १६। भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन। मार करता है इन निर्बलों की तवाही करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।। —-गौतम बुद्ध (धम्मपद ७) (मेरा अनुवाद) १७। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी —–महर्षि वाल्मीकि (रामायण) ( अपने को जन्म देनेवाली जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है) १८। काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागिहै। —–अज्ञात १९। होनवार बिरवान के होत चीकने पात। —–अज्ञात २०। जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।। —–गोस्वामी तुलसीदास २१। करमगति टारे नाहिं रे टरी। —–सन्त कबीर २२। तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय। आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै जाय।। —–गोस्वामी तुलसीदास २३। नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा।। —–गोस्वामी तुलसीदास २४। जा दिसि बहै बयार, ताहि दिसि टटवा दीजै। —–अज्ञात २५। मूरख के मुख बम्ब हैं, निकसत बचन भुजंग। ताकी ओषधि मौन है विष नहिं व्यापै अंग।। —–(मुझे याद नहीं) २६। बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय। घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।। ——(मुझे याद नहीं) २७। बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर। पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति दूर।। ——(मुझे याद नहीं) २८। करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।। ——(मुझे याद नहीं) २९। भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच। सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय मीच।। ——गोस्वामी तुलसीदास ३०। पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं, स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षः। धाराधरो वर्षति नात्महेतवे, परोपकाराय सतां विभूतयः।। ——-अज्ञात (नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं करते हैं। सन्तों का अस्तित्व केवल परोपकार के लिये होता है।) ३१। नेकी कर और दरिया में डाल। —-किस्सा हातिमताई(?) ३२। नीम हकीम खतरे जान। खतरे मुल्ला दे ईमान।। —-अज्ञात ३३। ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश। —-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी) ३४। अरहर की दाल औ जड़हन का भात गागल निंबुआ औ घिउ तात सहरसखंड दहिउ जो होय बाँके नयन परोसैं जोय कहै घाघ तब सबही झूठा उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा —–घाघ ३५। झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय लै के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै कह गिरधर कविराय रहै वो मन में रूठा बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद झूठा —–गिरधर **************************************** श्री जितेन्द्र चौधरी द्वारा संकलित सूक्तियाँ *************************************** सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध। - सरदार पटेल कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है। - सावरकर तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास। - काका कालेलकर जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है। -सत्यार्थप्रकाश जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है-कहावत सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है। - कथा सरित्सागर चाहे गुरू पर हो या ईश्वर पर, श्रद्धा अवश्य ररवनी चाहिए। क्योंकि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं। -समर्थ रामदास यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है। - इंदिरा गांधी प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजाआें के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये। आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजाआें की प्रियता में ही राजा का हित है। - चाणक्य द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प््रोम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। - विनोबा साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है-परंतु एक नया वातावरण देना भी है। - डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है। - जयप्रकाश नारायण बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये। - यशपाल सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना। - डा शंकर दयाल शर्मा जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है। - नारदभक्ति धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं। - महाभारत दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये। - रामायण शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति। -स्वामी ज्ञानानन्द धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है। -डा शंकरदयाल शर्मा त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं। -स्वामी रामतीर्थ जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय। -सम्पूर्णानंद नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं। -संत तिरूवल्लुर वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को। -महादेवी वर्मा कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है। -सुदर्शन हताश न होना ही सफलता का मूल है और यही परम सुख है। -वाल्मीकि मित्रों का उपहास करना उनके पावन प्रेम को खण्डित करना है। -राम प्रताप त्रिपाठी नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है। -संत तिस्र्वल्लुवर जय उसी की होती है जो अपने को संकट में डालकर कार्य सम्पन्न करते हैं। जय कायरों की कभी नहीं होती। - जवाहरलाल नेहरू कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। - डा रामकुमार वर्मा जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो। -इंदिरा गांधी तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की। -गुरू गोविन्द सिंह मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है। -गौतम बुद्ध स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकंात साधना में होता है -अनंत गोपाल शेवड़े कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं। - श्री हर्ष अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं। !-गौतम बुद्ध अधिक अनुभव, अधिक सहनशीलता और अधिक अध्ययन यही विद्वत्ता के तीन महास्तंभ हैं। -अज्ञात जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं। -रवीन्द्र जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता। - माघ्र मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है। - अज्ञात हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है। - वाल्मीकि अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। - प्रेमचंद जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये - वेदव्यास फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, सम्पत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा है। - तुलसीदास प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं। - अज्ञात कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं। -लोकमान्य तिलक कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। - रामधारी सिंह दिनकर विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है। - हितोपदेश खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है। -गौतम बुद्ध कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है -मुक्ता जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है। -डा विक्रम साराभाई मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है। -विनोबा लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है। -मुक्ता बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे। -हितोपदेश मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता। - अज्ञात आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता। - भर्तृहरि क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है। -अज्ञात चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं। इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। -पं रामप्रताप त्रिपाठी मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता -चाणक्य जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है। -रामधारी सिंह दिनकर चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है। -अज्ञात गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - सादी जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता। - रामकृष्ण परमहंस मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है। -कबीर देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है। -स्वामी विवेकानंद दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। -विवेकानंद निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है। - रश्मिमाला विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है। - अज्ञात नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये। - रामकृष्ण परमहंस जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती। - विनोबा उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं। -चीनी कहावत वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। -अज्ञात जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है। -दीनानाथ दिनेश! जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है। १-अथर्ववेद१ उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं। !-अज्ञात! जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना। -सुभाषचंद्र बोस! विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास। एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है। -अज्ञात आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। -चाणक्य एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। -अज्ञात किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं। -अज्ञात ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा। -विनोबा विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है। -रवींद्रनाथ ठाकुर कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं। -प्रेमचंद अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते। -अज्ञात जिस प्रकार थोड़ी सी वायु से आग भड़क उठती है, उसी प्रकार थोड़ी सी मेहनत से किस्मत चमक उठती है। -अज्ञात अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं। -जवाहरलाल नेहरू सच्चाई से जिसका मन भरा है, वह विद्वान न होने पर भी बहुत देश सेवा कर सकता है -पं मोतीलाल नेहरू स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है। -विनोबा जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। -मुक्ता दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती। -अज्ञात जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का। - कहावत ************************************* श्री रवि श्रीवास्तव द्वारा संकलित सूक्तियाँ ************************************ 1. जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया, उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया – विनोबा 2. अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है – मुसोलिनी 3. पालने से लेकर कब्र तक ज्ञान प्राप्त करते रहो – पवित्र कुरान 4. इच्छा ही सब दुःखों का मूल है – बुद्ध 5. मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है – चाणक्य 6. आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है – पालशिरू 7. क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है – महात्मा गांधी 8. ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है – महात्मा गांधी 9. अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं – बुद्ध 10. नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है – सुकरात 11. गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है – शेक्सपीयर 12. समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं – अज्ञात् 13. जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है – कबीर 14. जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है – कन्फ्यूशियस 15. ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं – खलील जिब्रान 16. कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है – चाणक्य 17. दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है – गुरु नानक देव 18. ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा – गुरु नानक देव 19. जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द 20. जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है. 21. भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है, सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं. 22. सोचना, कहना व करना सदा समान हो. 23. न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो. 24. स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो. 25. ते ते पाँव पसारियो जेती चादर होय. 26. महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है. 27. बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है. 28. क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त. 29. नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है. 30. धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ. 31. दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं, वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो. 32. नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है. 33. बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं. 3386 2005-09-02T13:18:06Z 210.212.158.130 == सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल वचन == पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं । — संस्कृत सुभाषित विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है । — मैथ्यू अर्नाल्ड संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति । — चाणक्य सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें । — गोथे मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो । — इमर्सन किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा। — सर विंस्टन चर्चिल बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है। — आईजक दिसराली — मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं। सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती। — राबर्ट हेमिल्टन == गणित == यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा । तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥ — वेदांग ज्योतिष ( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । ) बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥ — महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ ( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता ) ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है । — गैलिलियो गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है ; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी । — प्रो. हाल काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं । — गरफंकल , १९९७ गणित एक भाषा है । — जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ । यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते । == विज्ञान == विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है । — विल्ल डुरान्ट विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन । विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं ; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं । हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं । — रिचर्ड फ़ेनिमैन == तकनीकी == पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता । -आर्थर सी. क्लार्क सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । — एस डीकैम्प इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है । — जेम्स के. फिंक वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं । — थियोडोर वान कार्मन मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें । — सुश्री जैकब इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है । जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं ; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है । — लार्ड केल्विन आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है । तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है । == कम्प्यूटर / इन्टरनेट == इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है. -– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक) कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं. -– एडवर्ड शेफर्ड मीडस कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं. — क्लिफ़ोर्ड स्टॉल == कला == कला एक प्रकार का एक नशा है,जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है। - फ्रायड == भाषा / स्वभाषा == निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल । बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥ — भारतेन्दु हरिश्चन्द्र भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं । — बेन्जामिन होर्फ आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना । ..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है । — जार्ज ओर्वेल जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता । — गोथे शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है. -– लिली टॉमलिन == साहित्य == साहित्य समाज् का दर्पण होता है । साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः । ( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । ) — भर्तृहरि == संगति / सत्संगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार /नेटवर्किंग / संघ == संघे शक्तिः ( एकता में शति है ) हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् । समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥ हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है । — महाभारत यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च । पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥ जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे के कारण कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे । — पंचतंत्र को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? , गुणियों का साथ ) — भर्तृहरि सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं ) — पंचतंत्र दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं । — कियोसाकी मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना । शठ सुधरहिं सतसंगति पाई । पारस परस कुधातु सुहाई ॥ — गोस्वामी तुलसीदास गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है ) — गोस्वामी तुलसीदास बिना सहकार , नहीं उद्धार । उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् । ( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । ) नहीं संगठित सज्जन लोग । रहे इसी से संकट भोग ॥ — श्रीराम शर्मा , आचार्य अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है। — रैन्डाल्फ == संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन == दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था । आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है । उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी । बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है ; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है । — गोथे व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है । — डिजरायली == साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न == साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं ) इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है । जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है । बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते । बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है । — आर. जी. इंगरसोल जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है । मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। - महात्मा गांधी किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो। - द्रोणाचार्य यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते। - वल्लभभाई पटेल वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है। - डब्ल्यू.एच.आडेन शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस। - किर्केगार्द किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है | -– एरमा बॉम्बेक हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है. == भय, अभय , निर्भय == तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥ भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये । — पंचतंत्र जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। - पंचतंत्र ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। - बर्ट्रेंड रसेल मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें। - अथर्ववेद ‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की। - स्वामी विवेकानंद आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ | -– नेपोलियन डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है | -– एमर्सन दोष / गलती / त्रुटि गलती करने में कोई गलती नहीं है । गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है । — एल्बर्ट हब्बार्ड गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं । बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता । — ग्लेडस्टन मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे । — राबर्ट कियोसाकी सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं । — आस्कर वाइल्ड गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं । — सिसरो अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं । — अलेक्जेन्डर पोप दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन । — प्लूटार्क त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है | -– सिगमंड फ्रायड गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नही गया। सफलता, असफलता असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया गया । — श्रीरामशर्मा आचार्य जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है । — हक्सले जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता । — हर्मन मेलविल असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है । — नैपोलियन हिल सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं । असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है । — हेनरी फ़ोर्ड दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं। - थामस इलियट दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं। - इमर्सन - हरिशंकर परसाई किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो । जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं , दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं । — श्रीराम शर्मा , आचार्य प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं । — जान मैकनरो असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है। — बेवेरली सिल्स सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो. -– किन हबार्ड मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला. -– जोनाथन विंटर्स सुख-दुःख , व्याधि , दया संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। - खलील जिब्रान संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं। - मृच्छकटिक व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है। - चाणक्यसूत्राणि-२२३ विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है। - रावणार्जुनीयम्-५।८ मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। - बर्नार्ड शॉ मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। - पुरुषोत्तमदास टंडन मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है। - सर विंस्टन चर्चिल तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं। -लहरीदशक रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥ — रहीम चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है । — गेटे == प्रशंसा / प्रोत्साहन == मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है । –चार्ल्स श्वेव आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है । — सेनेका मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है । — विलियम जेम्स अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो । — फ्रंकलिन चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन । मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा -– विलियम ऑर्थर वार्ड हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं | -– नॉर्मन विंसेंट पील मान, अपमान, सम्मान धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी। - माघकाव्य इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है। - कल्विन कूलिज अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान | -– रहीम अभिमान / घमण्ड / गर्व == धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र / == दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है । — भर्तृहरि हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना (धन) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है ) — महाकवि माघ सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं ) - भर्तृहरि संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये । — शुक्राचार्य आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है ) — चाणक्य मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है । — पंचतंत्र अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है ) — चाणक्य जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना । — गो. तुलसीदास क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत । ( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये । रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर. -– चेस्टर फ़ील्ड == धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी == गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं । — डेनियल गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी. -– एनॉन पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है। == व्यापार == तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी । राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर । — कार्डेल हल्ल व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये । इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं । — थामस फुलर आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये । कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति । — द डेविल्स डिक्शनरी अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है । विकास / प्रगति बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं । — श्रीराम शर्मा , आचार्य विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है। — रोनाल्ड रीगन अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि. == राजनीति == निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है । — दसकुमारचरित यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है । — हेनरी एडम विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है । — सर अर्नेस्ट वेम मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है । — हेनरी एडम राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो. -– ओटो वान बिस्मार्क सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है ; असफल अपराधी. -– एरिक फ्रॉम लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है । — अब्राहम लिंकन लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है । — हेनरी एमर्शन फास्डिक शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है । — लार्ड बिवरेज अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है। बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन। - महात्मा गांधी जैसी जनता , वैसा राजा । प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥ — श्रीराम शर्मा , आचार्य अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है। बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन। — महात्मा गांधी == नियम / कानून / विधान == न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते । ( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो ) — महाभारत अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता । — थामस फुलर थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता । — लुइस दी उलोआ संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है । लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर । सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें । — इमर्शन न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः । स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥ ( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला । स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । ) कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता। — फिदेल कास्त्रो विज्ञापन मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है। - हरिशंकर परसाई == समय == आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः । स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥ करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता । वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार । समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है । — बेन्जामिन फ्रैंकलिन किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा । क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत । ( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये ) काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥ — कबीरदास अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है । हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है । दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है ) समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है. -– एनॉन == अवसर / मौका / सुतार / सुयोग == जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा । — श्रीराम शर्मा , आचार्य बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं । — डगलस मैकआर्थर संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं । आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा । — विन्स्टन चर्चिल अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है । — अलबर्ट आइन्स्टाइन हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं । — ली लोकोक्का रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ न इतराइये , देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है | -– गोस्वामी तुलसीदास == इतिहास == उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है ; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है । — इमर्सन इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है । इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है । इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है। — नेपोलियन बोनापार्ट जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है । — जार्ज सन्तायन ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले । — मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है । –सी डैरो संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है । — एच जी वेल्स सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । — एस डीकैम्प इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है । — जेम्स के. फिंक इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा। शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता वीरभोग्या वसुन्धरा । ( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् । को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥ — पंचतंत्र जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ? खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले । खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ? कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही | कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥ ( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः । विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥ (जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है। - मृच्छकटिक आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए। - श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते। — जोनाथन स्विफ्ट युद्ध / शान्ति सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है। — पं. जवाहरलाल नेहरू सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव । ( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा । — दुर्योधन , महाभारत में प्रागेव विग्रहो न विधिः । पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है । — पंचतन्त्र यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो। — अब्राहम लिंकन शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है। — डा॰राजेन्द्र प्रसाद आत्मविश्वास / निर्भीकता आत्मविश्वास , वीरता का सार है । — एमर्सन आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है । — एमर्शन आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो । — डेल कार्नेगी हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है । — रीता माई ब्राउन मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है । –एन्ड्री मौरोइस == प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य == वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है । भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है । — एरिक हाफर प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है । सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है । मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे । — स्टीनमेज जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है । सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है । मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन | -– रुडयार्ड किपलिंग == सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था == संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं । ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग । एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं । ज्ञान प्रबन्धन (KM) लिखना / नोट करना == परिवर्तन == क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है ) — शिशुपाल वध आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं । परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है । — बर्नार्ड रसेल हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं । — महात्मा गाँधी परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है ; आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है ; और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है । — राजा ह्विटनी जूनियर नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है । — मकियावेली यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो । — कुर्त लेविन आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं । — पीटर ड्रकर == नेतृत्व / प्रबन्धन == अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं । अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥ कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक । पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥ जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला । — मैरी पार्कर फोलेट नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है । — मैक्सवेल अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है । — एल्बर्ट हब्बार्ड अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है । मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब भी जो मैं उधार ले सकता हूँ. -– वुडरो विलसन निर्णय जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था. विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा पालन-पोषण / पैरेन्टिग किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो । — बिनोवा भावे बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने. कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ । — लेस ब्राउन केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं । व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो । — श्रीराम शर्मा आचार्य कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है । — नैपोलियन कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है । — अलबर्ट आइन्स्टीन ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते । ( ध्यान , ज्ञान से बढकर है ) ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं । — श्री माँ एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है । — स्टीफन जेविग तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है। — अलबर्ट आइन्सटीन मौन मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है । — बेकन मौनं सर्वार्थसाधनम् । — पंचतन्त्र ( मौन सारे काम बना देता है ) आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें । — एमर्शन मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है । — कार्लाइल मौनं स्वीकार लक्षणम् । ( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । ) कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं | -– ओविड == उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया == मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं । — श्रीराम शर्मा , आचार्य मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले । - पं श्री राम शर्मा आचार्य उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः । ( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । ) — पंचतन्त्र विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं । — सर फिलिप सिडनी लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा । विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं । — डब्ल्यू. ओ. डगलस किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है । विचारों की गति ही सौन्दर्य है। — जे बी कृष्णमूर्ति ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो | -– हेनरी फ़ोर्ड जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे | -– जॉन बेज चिन्तन / मनन == कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म == ज्ञानं भार: क्रियां बिना । आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है । — हितोपदेश उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: । नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥ कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं। सोये हुए शेर के मुख में मृग प्रवेश नहीं करते । — हितोपदेश जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः ) सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही । — गो. तुलसीदास जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है । — नार्मन कजिन आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है । - सैली बर्जर जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं । — गोथे छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो । प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः ) — रघुवंश महाकाव्यम् पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता । यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥ - - वाल्मीकि रामायण शुभारम्भ, आधा खतम । हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है । — चीनी कहावत सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है । — इमर्सन सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है । — एडिशन यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता । एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है । — सैमुएल स्माइल उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं । — जान फ़्लीचर मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है । — लाक जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है । — पीटर एफ़ ड्रूकर अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है । — थामस कार्लाइल ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो. जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है | – वेदव्यास == उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह == संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया । — श्रीराम शर्मा , आचार्य परिश्रम मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान | -– स्टीवन राइट आराम हराम है. चींटी से परिश्रम करना सीखें | — अज्ञात चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो ) रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी / खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे करना , श्रृजन है । स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और फिर उस काम को मत करो । — जोल वेल्डन वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड) करने की कोशिश करता है । रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा । — श्रीराम शर्मा , आचार्य यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए हैं। — मार्क ट्वेन == विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा / == जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है । (बुद्धिः यस्य बलं तस्य ) — पंचतंत्र स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते । (राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च | अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| ( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं : कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृह्त्यागी । ) अनभ्यासेन विषम विद्या । ( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है ) सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम । सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥ ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना । –डेविड बोम (१९१७-१९९२) सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है । — थोरो प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं । — इमर्सन वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये ) विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः ) खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है । - - फ़ोर्ब्स अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है । — आइन्स्टीन कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है । संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा । गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है । — जार्ज बर्नार्ड शा दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । — जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है । — जान लाक एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है । - जिग जिग्लर शब्द विचारों के वाहक हैं । शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है । दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो । — जेम्स देवर अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं । — कार्ल पापर सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिये । — थामस ह. हक्सले शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना । — केथराल शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है । — बर्क अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है । — डिजरायली ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है। — थामस फुलर स्कूल को बन्द कर दो । — इवान इलिच प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी । — श्रीराम शर्मा , आचार्य == पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान / == झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः । ( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है । ) सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय । ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥ आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः । ( जो सारे प्राणियों को अपने समान देखता है , वही पण्डित है । ) सज्जन / दुर्जन / खल / साधु बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है | – शेख सादी == विवेक == विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है । — ब्रूचे विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है । — मान्तेन तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक । साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥ ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य । भविष्य / भविष्य वाणी अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा । द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो विनश्यति ॥ — पंचतन्त्र भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का विनाश हो जाता है । भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है । — डा. शाकली किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है। — जान राइस आशा / निराशा अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है. खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो | – शेख सादी सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है. चिन्ता / तनाव / अवसाद चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है । — चैनिंग विकास कैरीअर आत्म-निर्भरता जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती है। - भरत पारिजात ८।३४ == भारत == भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है : भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है । — विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती । — अलबर्ट आइन्स्टीन भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है । — मार्क ट्वेन यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है । — फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया । — हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से । अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥ कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी । शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥ — मुहम्मद इकबाल == संस्कृत == भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा । ( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । ) इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है । — सर विलियम जोन्स सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है । –आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल् कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है । — फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ ) यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है । — रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में ) हिन्दी == देवनागरी == हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है । -— आचार्य विनबा भावे देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है । -— सर विलियम जोन्स मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है । — जान क्राइस्ट उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी । -— खुशवन्त सिंह == महात्मा गाँधी == आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था । — अलबर्ट आइन्स्टीन मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा । — हो ची मिन्ह उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं । — यू थान्ट .. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है । — अर्नाल्ड विग जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा । –हैली सेलेसी मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था । — महा आत्मा , दलाई लामा ज्ञान-अर्थ-व्यवस्था मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल इन्टेलिजेन्स ( अक्रोध , धैर्य , सन्तोष , चिन्ता , तॄष्णा , लालच , क्षमा , हँसी , विनोद , ) क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी । विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं नन्दनं वनम ॥ क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । ) चिन्ता चिता के पास ले जाती है । मन के हारे हार है मन के जीते जीत । हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये । — मार्टिन लुथर किंग अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता । हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है. सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते | -– सल्वाडोर डाली सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है । जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है | -– सुकरात जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार सोचकर. -– जेफरसन यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है. -– डोरोथी पार्कर जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती. -– हेनरी वान डायक जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते | – महाभारत हँसी जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है | -– टैगोर धैर्य / धीरज धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है । — डिजरायली सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें । - पं श्री राम शर्मा आचार्य == हास्य-व्यंग्य सुभाषित == हे दरिद्रते ! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ । (क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥ कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये । क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये मत्कुणशंकया ॥ लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं । विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥ टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी कॉमेडी भर देगी ? -– डिक कैवेट मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है | -– वूडी एलन प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत का दर्द | -– मे वेस्ट चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं | -– चार्ल्स द गाल जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है. पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है. इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं | -– वूडी एलन अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों | -– जेरोम के जेरोम किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा. -– एनन ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला देता. -– हेनरी डेविड थोरे यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है. -– पाल गेटी विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है | -– हेनरी किसिंजर भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के. — एडले स्टीवेंसन यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते. यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं तो बागवानी में लग जाएँ. -– आर्थर स्मिथ अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है. -– बालज़ाक बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता. ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी की थी. -– बारबरा स्ट्रीसेंड बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो ? जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता है। == धर्म == धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः । धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , दसकं धर्म लक्षणम ॥ — मनु ( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं । ) श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् । आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥ — महाभारत ( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । ) धर्मो रक्षति रक्षितः । ( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय । ) धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है । — श्रीराम शर्मा , आचार्य कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥ — श्रीराम शर्मा , आचार्य उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥ — श्रीराम शर्मा , आचार्य धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है। — डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन सदाचार सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है । अहिंसा , हिंसा, शांति याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है। सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है। - मार्टिन सूथर किंग जूनियर ‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती। - महात्मा गांधी आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है। - वेडेल फिलिप्स क्षमा / बदला सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है. दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है । अतिथि मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं । — बेंजामिन फ्रैंकलिन अतिथि देवो भव । ( अतिथि को देवता समझो । ) सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का स्वागत करो । संस्कृति लज्जा == परोपकार == परहित सरसि धरम नहि भाई । — गो. तुलसीदास अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् । परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥ अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है ; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप । परोपकाराय सतां विभूतयः । ( सज्जनों का धन परोपकार के लिये होता है । ) जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥ — चकबस्त समाज के हित में अपना हित है । — श्रीराम शर्मा , आचार्य == गुण / अवगुण == आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता है। - आर्यान्योक्तिशतक आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता। - भगवान महावीर कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे। - पंडितराज जगन्नाथ कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए। - दर्पदलनम् १।२९ गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है। - वासवदत्ता घमंड करना जाहिलों का काम है। - शेख सादी तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते हैं। - साहित्यदर्पण यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है | -– शेख़ सादी सत्य / सच्चाई / इमानदारी / असत्य असतो मा सदगमय ।। तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥ (हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥। सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् । प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥ सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये । प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥ सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है। - जार्ज बर्नार्ड शॉ सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है । जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ । — वेद व्यास सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है. == मानव जीवन == येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥ जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) । — भर्तृहरि मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है । — श्रीराम शर्मा , आचार्य हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें । — श्रीराम शर्मा , आचार्य मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु , मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है। — रवीन्द्र नाथ टैगोर आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , अंधकारमय बना लेते हैं। — रवीन्द्र नाथ टैगोर क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी) | -– चार्ली चेपलिन आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है | -– मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों की तरह पैडल मारते हुए | -– जेकब एम ब्रॉदे जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है | -– रॉल्फ वाल्डो इमर्सन अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत | -– हेनरी एडम्स दृढ़ निश्चय ही विजय है जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़. जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है. -– जे पी डोनलेवी दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है. प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं. हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं. - - शेक्सपीयर लक्ष्य / उद्देश्य यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें | सन्तान पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय । मृतजात माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः । सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये बको यथा ॥ जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है । (क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला । दो बच्चों से खिलता उपवन । हँसते-हँसते कटता जीवन ।। == स्वाधीनता / स्वतन्त्रता / पराधीनता == पराधीन सपनेहु सुख नाहीं । — गोस्वामी तुलसीदास आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है । आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं। — जार्ज बर्नाड शॉ == स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता == कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ? - विवेकानंद मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं । — श्रीराम शर्मा आचार्य बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती ; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती। — बेन्जामिन फ़्रैंकलिन प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं । — इमर्सन शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है । — श्रीराम शर्मा , आचार्य ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति । — श्रीराम शर्मा , आचार्य सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना । — स्काट फिट्जेराल्ड आत्मदीपो भवः । ( अपना दीपक स्वयं बनो । ) — गौतम बुद्ध इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच ! आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / हाइपोक्रिसी चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है। - सर्वपल्ली राधाकृष्णन हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है। - विनोबा भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी, राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं। - स्वामी रामदेव पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की साज़िश की थी। - अनीता प्रताप बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है। - नीतिशास्त्र भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है। - रत्वान रोमेन खिमेनेस पर उपदेश कुशल बहुतेरे । जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।। —- गोस्वामी तुलसीदास ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो. जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते | -– नवाजो जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए | -– कनफ़्यूशियस == पुस्तकें == सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है | — डबल्यू एच ऑदेन पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है. किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है | -– रे ब्रेडबरी पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है. स्वाध्याय अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है. गुरू उपयोग, दुर्उपयोग जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है। - आर्यान्योक्तिशतक अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते। - जानसन मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है। - अरुंधती राय संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता है। सूक्तिमुक्तावली-७० भाग्य चरित्र व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है । — चैनिंग प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है | – अलफ़ॉसो कार त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् । ( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । ) ईश्वर ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए | – रविदास == मीठी बोली == तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय । औरन् को शीतल लगे, आपहुँ शीतल् होय ॥ — कबीरदास प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः । तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥ ( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? ) नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं | -– तिरूवल्लुवर == उदारता == अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं । उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है । सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है ) सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥ सभी सुखी हों , सभी निरोग हों । सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥ यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं – हैरी एस. ट्रूमेन श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है | -– काउन्ट रदरफ़र्ड आकांक्षा, चाह भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है? - गाथासप्तशती कर्तव्य, आभार जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए। - महाभारत कर्म, अकर्म, भाग्य जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सुगंध कहां फैल सकती है? - शिवशुकीय अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है। - ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३ जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है। - गेटे दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे। - जे.बी. एस. हॉल्डेन यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे। - लुकमान सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ? - रामतीर्थ कला, भाषा, विद्वता मेरी भाषा की सीमा, मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है। - लुडविग विटगेंस्टाइन मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं। - शेख सादी श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्दऔर अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं। - शिशुपाल वध चरित्र कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है। - नीतिवाक्यामृत-३।१२ छल-कपट, निष्कपटता पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है। - लिन यूतांग झूट का कभी पीछा मत करो। उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा। - लीमैन बीकर जीवन, आयु मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है। - बर्ट्रेंड रसेल हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है। (लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर) काव्यादर्श जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। - महाभारत बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है। - अष्टावक्र दिखावा आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते हैं। -फ्रांत्स काफ्का धैर्य, स्वभाव, तन्मयता अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं। - वक्रमुख गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना। - महात्मा गांधी चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है। - बैंजामिन फ्रैंकलिन जो कोई गुस्से को प्रकट करने की ताकत रखते हुए भी उसे दबाता है, उसे अल्लाह सभी प्राणियों के सामने कयामत के दिन बुलाएगा और बहुत नेमतें देगा। - मुहम्मद पैगम्बर दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते। - शम्स-ए-तबरेज़ सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)। - हितोपदेश पाप, पुण्य, पवित्रता जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है। - फुलर शहीद के खून से ज्यादा पवित्र विद्वान आदमी के रक्त की स्याही होती है। -मोहम्मद साहब मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए। - हितोपदेश - बर्नार्ड इगेस्किलन इच्छा / कामना / मनोरथ मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है | – वेदव्यास प्रेम, आंसू उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है। - तिरुवल्लुवर जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है। - उत्तररामचरित पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है। - लार्ड बायरन सात सागरों के जल की अपेक्षा मानव-नेत्रों से कहीं अधिक आंसू बह चुके हैं। - गौतम बुद्ध प्रगति भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया। - जवाहरलाल नेहरू सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? - डा. राधाकृष्णन परिवर्तन चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती। बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं। - माल्कम एक्स पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है। - स्वामी विवेकानंद भय, निर्भय, घृणा जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। - पंचतंत्र ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। - बर्ट्रेंड रसेल मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें। - अथर्ववेद ‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की। - स्वामी विवेकानंद मान, अपमान, सम्मान धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी। - माघकाव्य इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है। - कल्विन कूलिज रहस्य, समस्या जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक अभियान है। - ओशो मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है। - हरिशंकर परसाई विनय, सुशीलता, सत्कार,अनादर कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है। क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं। - मृच्छकटिक जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है। - वासवदत्ता जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र बनाता है और पानी में रेखा खींचता है। - प्रास्ताविकविलास विवेक, ज्ञान, अज्ञान जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही नहीं। - शेख सादी ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है। - बर्नारड शा निराशा मूर्खता का परिणाम है। - डिज़रायली यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)। - नीतसार सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़ होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं। - कालिदास शक्ति , अधिकार जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है। - मृच्छकटिक आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए। - श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते। - जोनाथन स्विफ्ट शिक्षा , परामर्श , पुस्तक संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती। - जॉर्ज बर्नार्ड शॉ भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है। - सांख्य दर्शन बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है। - स्वामी रामदेव कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता? - विवेकानंद सामान्य बुद्धि चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं। - प्रेमचन्द == स्वास्थ्य == स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है । शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं ) आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं । — महर्षि चरक मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय । — श्रीराम शर्मा , आचार्य जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है। - महात्मा गांधी स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है । शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं ) आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं । — महर्षि चरक को रुक् , को रुक् , को रुक् ? हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् । ( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ? हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला ) स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है। — मार्क ट्वेन ऋतु वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है। - सामवेद == नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार कौशल == हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है. तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं. मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते | -– इंदिरा गांधी कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता. == ब्लाग, ब्लागर, ब्लागिंग ( हास्य सुभाषित ) == ( रचयिता - श्री अनूप शुक्ला ) १.ब्लाग दिमाग की कब्ज़ और गैस से तात्कालिक मुक्ति का मुफीद उपाय है। २.ब्लाग पर टिप्पणी सुहागन के माथे पर बिंदी के समान होती है। ३.टिप्पणी विहीन ब्लाग विधवा की मांग की तरह सूना दिखता है। ४.अगर आप इस भ्रम का शिकार हैं कि दुनिया का खाना आपका ब्लाग पढ़े बिना हजम नहीं होगा तो आप अपना अगली सांस लेने के पहले ब्लाग लिखना बंद कर दें। दिमाग खराब होने से बचाने का इसके अलावा कोई उपाय नहीं है। ५.अनावश्यक टिप्पणियों से बचने के लिये किये गये सारे उपाय उस सुरक्षा गार्ड को तैनात करने के समान हैं जो शोहदों से किसी सुंदरी की रक्षा करने के लिये तैनात किये जाते हैं तथा बाद में सुरक्षा गार्ड सुंदरी को उसके आशिकों तक से नहीं मिलने देता। ६.जब आप अपने किसी विचार को बेवकूफी की बात समझकर लिखने से बचते हैं तो अगली पोस्ट तभी लिख पायेंगे जब आप उससे बड़ी बेवकूफी की बात को लिखने की हिम्मत जुटा सकेंगे। ७.किसी पोस्ट पर आत्मविश्वासपूर्वक सटीक टिप्पणी करने का एकमात्र उपाय है कि आप टिप्पणी करने के तुरंत बाद उस पोस्ट को पढ़ना शुरु कर दें। पहले पढ़कर टिप्पणी करने में पढ़ने के साथ आपका आत्मविश्वास कम होता जायेगा। ८.अगर आपके ब्लाग पर लोग टिप्पणियां नहीं करते हैं तो यह मानने में कोई बुराई नहीं है कि जनता की समझ का स्तर अभी आपकी समझ के स्तर तक नहीं पहुंचा है। अक्सर समझ के स्तर को उठने या गिरने में लगने वाला समय स्तर के अंतर के समानुपाती होता है। ९.जब आप किसी लंबी पोस्ट को बाद में इत्मिनान से पढ़ने के लिये सोचते हैं तो उस पोस्ट की हालत उस अखबार जैसी ही होती है जिसे आप कोई अच्छा लेख पढ़ने के लिये रद्दी के अखबारों से अलग रख लेते हैं लेकिन समय के साथ वह अखबार भी रद्दी के अखबारों में मिलकर ही बिक जाता है-अनपढ़ा। १०.जब आप कोई टिप्पणी करते समय उसे बेवकूफी की बात मानकर ‘करूं न करूं’ की दुविधा जनक हालत में ‘सरल आवर्त गति’ (Simple Hormonic Motion) कर रहेहोते हैं उसी समयावधि में हजारों उससे ज्यादा बेवकूफी की टिप्पणियां दुनिया की तमाम पोस्टों पर चस्पाँ हो जाती हैं। ११.अगर आपके ब्लाग जलवा पूरी दुनिया में फैला हुआ है तथा कोई आपकी आलोचना करने वाला नहीं है तो यह तय है कि या तो आपने अपने जीवनसाथी को अपना लिखा पढ़ाया नहीं या फिर जीवनसाथी को सुरक्षा कारणों से पढ़ने-लिखने से परहेज है। १२. अगर आप अपने जीवन साथी से तंग आ चुके हैं तथा उससे निपटने का कोई उपाय आपको समझ में नहीं आ रहा तो आप तुरंत ब्लाग लिखना शुरु कर दीजिये। १३.नियमित,हरफनमौला तथा बहुत धाकड़ लिखने वाले ब्लाग पढ़ने के बाद अक्सर यह लगता है कि ‘लिंक लथपथ’ यह ब्लाग पढ़ने से अच्छा है कि कोई अखबार पढ़ते हुये कोई बहुत तेज चैनेल क्यों न देखा जाये। १४.’कामा-फुलस्टाप’,’शीन-काफ’ तक का लिहाज रखकर लिखने वाला ‘परफेक्शनिस्ट ब्लागर’ गूगल की शरण में पहुंचा वह ब्लागर होता हैं जिसने अपना लिखना तबतक के लिये स्थगित कर रखा होता है जब तक कि ‘कामा-फुलस्टाप’ ,’शीन-काफ’ को ‘यूनीकोड’ में बदलने वाला कोई ‘साफ्टवेयर’ नहीं मिल जाता। १५.अनजान टिप्पणियां अक्सर खुदा के नूर की तरह होती हैं जो आपको तब भी राह दिखाती हैं जबकि आप चारो तरफ से प्रशंसा के कुहासे में घिरे होते हैं। १६. अगर आप अपने ब्लाग पर हिट बढ़ाने के लिये बहुत ही ज्यादा परेशान हैं तो तमाम लटके-झटकों का सहारा छोड़कर किसी चैट रूम में जाकर उम्र,लिंग,स्थान की बजाय अपने ब्लाग का लिंक देना शुरु कर दें। १७.अगर आप अपना ब्लाग बिना किसी अपराध बोध के बंद करना चाहते हैं तो किसी स्वनाम धन्य लेखक को अपने साथ जोड़ लें। १८. अच्छा लिखने वाले की तारीफ करते रहना आपकी सेहत के लिये भी जरूरी है। तारीफ के अभाव में वह अपना ब्लाग बंद करके अलग पत्रिका निकालने लगता है। तब आप उसकी न तारीफ कर सकते हैं न बुराई। १९.ऊटपटांग लिखने वाले का अस्तित्व आपके बेहतरीन लिखने का खुशनुमा अहसास बनाये रखने के निहायत जरूरी है। घटिया लिखने वाला वह नींव की ईंट है जिसपर आपका बढ़िया लिखने के अहसास का कगूंरा टिका होता है। २०. बहुत लिखने वाले ‘ब्लागलती’ को जब कुछ समझ में नहीं आता तो वह एक नया ब्लाग बना लेता है,जब कुछ-कुछ समझ में आता है तो टेम्पलेट बदल लेता है तथा जब सबकुछ समझ में आ जाता है तो पोस्ट लिख देता है। यह बात दीगर है कि पाठक यह समझ नहीं पाता कि इसने यह किसलिये लिखा! २१. जब आपका कोई नियमित प्रशंसक,पाठक आपकी पोस्ट पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करता तो निश्चित मानिये कि वो आपकी तारीफ में दो लाइन लिखने की बजाय बीस लाइन की पोस्ट लिखने में जुटा है। उन बीस लाइनों में आपकी तारीफ में केवल लिंक दिया जाता है जो कि अक्सर गलती संख्या ४०४(HTML ERROR-404) का संकेत देता है। == इन्डोपेडिया से साभार == अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश:. अति तृष्णा विनाशाय. अति सर्वत्र वर्जयेत् । अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌. अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌. अल्पविद्या भयङ्करी. कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌. ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:. प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌. प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌. मधुरेण समापयेत्‌. मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना. यौवने मर्कटी सुन्दरी. रत्नं सनागच्छेतु काञ्चनेन. शठे शाठ्यं समाचरेत् । सत्यं शिवं सुन्दरम्‌. सा विद्या या विमुक्तये. == अन्य / विविध == योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः । वाक्यं रसात्मकं काव्यम । अलंकरोति इति अलंकारः । सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः । ( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) संतोषं परमं सुखम् । बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । शठे शाठ्यं समाचरेत् । ( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये ) एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है । यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो । भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: । ( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । ) — भर्तृहरि चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है । — लैब्रेटर हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु । — बेन्जामिन हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है । — अनोन कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥ — तुलसीदास स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे । — अलबर्ट हबर्ड अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं। — महात्मा गाँधी विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है। — प्रेमचंद अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं । — प्रेमचंद मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। — महात्मा गाँधी परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता । बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार. एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है. अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो | -– थियोडॉर रूज़वेल्ट आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता | -– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया. काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है. वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले. हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता. तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं -– माले सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी | -– माओरी खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं | -– इतालवी सूक्ति यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये । -– हैरी एस ट्रुमेन जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ. — एलेक्जेंडर स्मिथ अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली. कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा | -– अलबर्ट हब्बार्ड कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है. -– रॉबर्ट ग्रेव्स बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है. तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी ? — रविंद्रनाथ टैगोर == श्री आशीष श्रीवास्तव द्वारा संकलित सूक्तियाँ == १.मनुष्य के लिये निराशा के समान दुसरा पाप नही है,मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समुल हटाकर आशावादी बनना चाहिये ।- हितोपदेश २.जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जीकर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के सवालो की भांति उसे हल नही किया जा सकता. वह सवाल नही- एक चुनौती है, एक अभियान है। -ओशो ३.शोक मनाने के लिए नैतिक साहस चाहिये और आनंद मनाने के लिये धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनो मे जमीन आसमान का अंतर है। पहला गर्विला साहस है, दुसरा विनीत साहस। -किर्केगार्द ४.चापलूसी का जहरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नही पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाये। -प्रेमचंद ५.गाली सह लेने के असली मायने हैं गाली देने वाले के वश मे न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना. यह नही कि जैसा वह कहे, वैसा कहना। -महात्मा गांधी. ६.जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब है तो इसका मतलब है कि मामला कहीं गडबड है । -महात्मा गांधी ७.निराशा मुर्खता का परिणाम है। - डिजरायली ८.सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है। -जार्ज बर्नाड शा ९.जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ । - अरबी कहावत १०.सबसे अधिक आंनद इस भावना मे है कि हमने मानवता की प्रगति मे कुछ योगदान दिया है । भले ही वह कितना ही कम, यहां तक कि बिल्कुल तुच्छ क्यो ना हो । - डा. राधाकृष्णन ११.झूठे मोती की आब और ताब उसे सच्चा नहीं बना सकती। १२.सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है । १३.ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं । १४.यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता। १५.पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है । महाभारत -उद्योग पर्व १७.दान देने में किसी प्रकार का भय या प्रतिफल की आकांक्षा की भावना हो तो वह दान नहीं है। -रिचर्ड रेनॉल्ड्स १८. जिसके पास बुद्धि है, उसके पास बल है। बुद्धिहीन के पास बल कहां? -चाणक्य १९.इस जन्म में परिश्रम से की गई कमाई का फल मिलता है और उस कमाई से दिए गए दान का फल अगले जन्म में मिलता है। -गुरुवाणी २०.जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं। -सुधांशु महाराज २१.विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। -गीता (अध्याय 2/62, 63) २२.प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह २३.जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद २४.स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके। -आचार्य तुलसी २५.कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक २६.धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान बनाने का सामर्थय रखती है । -स्वामी विवेकांनंद २७.एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय । -रहीम २८.जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग । -रहीम २९.रहीमन देखि बडेन को , लघु ना दिजिए डारी जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारी । -रहीम == श्री लक्ष्मी नारायण गुप्ता द्वारा संकलित हिन्दी सुभाषित == १। पर उपदेश कुशल बहुतेरे। जे आचरहिं ते नर न घनेरे।। —गोस्वामी तुलसीदास २। गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान। जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि समान।। —-सन्त कबीर ३। रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चिटकाय। तोड़े से फिर ना जुड़ै, जुड़े गाँठ पड़ि जाय।। —-रहीम ४। रहिमन याचकता भली जो थोरेहु दिन होय। हित अनहित या जगत में जानि परै सब कोय।। —-रहीम ५। कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय। उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।। —-सन्त कबीर ६। सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्। सुखातयोयाति नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।। —-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक) (सुख की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।) ७। कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान। पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं सुजान।। —-सन्त कबीर ८। का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।। —–गोस्वामी तुलसीदास ९। रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि। जहाँ काम आवै सुई काह करै तरवारि।। —–रहीम १०। अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम। दास मलूका कहि गये सब के दाता राम।। —– सन्त मलूकदास ११। तुलसी बुरा न मानिये जो गँवार कहि जाय। जैसे घर का नरदवा भला बुरा बहि जाय।। ——गोस्वामी तुलसीदास १२। कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।। ——गोस्वामी तुलसीदास १३। परहित सरिस धर्म नहिं भाई। परपीरा सम नहिं अधमाई।। ——गोस्वामी तुलसीदास १४। निजभाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ——-भारतेन्दु हरिश्चंद्र १५। सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति ——-गोस्वामी तुलसीदास १६। भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन। मार करता है इन निर्बलों की तवाही करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।। —-गौतम बुद्ध (धम्मपद ७) (मेरा अनुवाद) १७। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी —–महर्षि वाल्मीकि (रामायण) ( अपने को जन्म देनेवाली जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है) १८। काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागिहै। —–अज्ञात १९। होनवार बिरवान के होत चीकने पात। —–अज्ञात २०। जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।। —–गोस्वामी तुलसीदास २१। करमगति टारे नाहिं रे टरी। —–सन्त कबीर २२। तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय। आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै जाय।। —–गोस्वामी तुलसीदास २३। नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा।। —–गोस्वामी तुलसीदास २४। जा दिसि बहै बयार, ताहि दिसि टटवा दीजै। —–अज्ञात २५। मूरख के मुख बम्ब हैं, निकसत बचन भुजंग। ताकी ओषधि मौन है विष नहिं व्यापै अंग।। —–(मुझे याद नहीं) २६। बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय। घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।। ——(मुझे याद नहीं) २७। बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर। पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति दूर।। ——(मुझे याद नहीं) २८। करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।। ——(मुझे याद नहीं) २९। भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच। सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय मीच।। ——गोस्वामी तुलसीदास ३०। पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं, स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षः। धाराधरो वर्षति नात्महेतवे, परोपकाराय सतां विभूतयः।। ——-अज्ञात (नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं करते हैं। सन्तों का अस्तित्व केवल परोपकार के लिये होता है।) ३१। नेकी कर और दरिया में डाल। —-किस्सा हातिमताई(?) ३२। नीम हकीम खतरे जान। खतरे मुल्ला दे ईमान।। —-अज्ञात ३३। ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश। —-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी) ३४। अरहर की दाल औ जड़हन का भात गागल निंबुआ औ घिउ तात सहरसखंड दहिउ जो होय बाँके नयन परोसैं जोय कहै घाघ तब सबही झूठा उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा —–घाघ ३५। झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय लै के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै कह गिरधर कविराय रहै वो मन में रूठा बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद झूठा —–गिरधर == श्री जितेन्द्र चौधरी द्वारा संकलित सूक्तियाँ == सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध। - सरदार पटेल कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है। - सावरकर तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास। - काका कालेलकर जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है। -सत्यार्थप्रकाश जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है-कहावत सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है। - कथा सरित्सागर चाहे गुरू पर हो या ईश्वर पर, श्रद्धा अवश्य ररवनी चाहिए। क्योंकि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं। -समर्थ रामदास यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है। - इंदिरा गांधी प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजाआें के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये। आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजाआें की प्रियता में ही राजा का हित है। - चाणक्य द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प््रोम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। - विनोबा साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है-परंतु एक नया वातावरण देना भी है। - डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है। - जयप्रकाश नारायण बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये। - यशपाल सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना। - डा शंकर दयाल शर्मा जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है। - नारदभक्ति धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं। - महाभारत दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये। - रामायण शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति। -स्वामी ज्ञानानन्द धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है। -डा शंकरदयाल शर्मा त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं। -स्वामी रामतीर्थ जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय। -सम्पूर्णानंद नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं। -संत तिरूवल्लुर वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को। -महादेवी वर्मा कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है। -सुदर्शन हताश न होना ही सफलता का मूल है और यही परम सुख है। -वाल्मीकि मित्रों का उपहास करना उनके पावन प्रेम को खण्डित करना है। -राम प्रताप त्रिपाठी नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है। -संत तिस्र्वल्लुवर जय उसी की होती है जो अपने को संकट में डालकर कार्य सम्पन्न करते हैं। जय कायरों की कभी नहीं होती। - जवाहरलाल नेहरू कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। - डा रामकुमार वर्मा जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो। -इंदिरा गांधी तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की। -गुरू गोविन्द सिंह मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है। -गौतम बुद्ध स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकंात साधना में होता है -अनंत गोपाल शेवड़े कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं। - श्री हर्ष अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं। !-गौतम बुद्ध अधिक अनुभव, अधिक सहनशीलता और अधिक अध्ययन यही विद्वत्ता के तीन महास्तंभ हैं। -अज्ञात जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं। -रवीन्द्र जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता। - माघ्र मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है। - अज्ञात हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है। - वाल्मीकि अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। - प्रेमचंद जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये - वेदव्यास फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, सम्पत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा है। - तुलसीदास प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं। - अज्ञात कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं। -लोकमान्य तिलक कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। - रामधारी सिंह दिनकर विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है। - हितोपदेश खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है। -गौतम बुद्ध कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है -मुक्ता जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है। -डा विक्रम साराभाई मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है। -विनोबा लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है। -मुक्ता बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे। -हितोपदेश मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता। - अज्ञात आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता। - भर्तृहरि क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है। -अज्ञात चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं। इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। -पं रामप्रताप त्रिपाठी मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता -चाणक्य जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है। -रामधारी सिंह दिनकर चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है। -अज्ञात गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - सादी जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता। - रामकृष्ण परमहंस मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है। -कबीर देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है। -स्वामी विवेकानंद दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। -विवेकानंद निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है। - रश्मिमाला विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है। - अज्ञात नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये। - रामकृष्ण परमहंस जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती। - विनोबा उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं। -चीनी कहावत वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। -अज्ञात जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है। -दीनानाथ दिनेश! जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है। १-अथर्ववेद१ उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं। !-अज्ञात! जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना। -सुभाषचंद्र बोस! विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास। एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है। -अज्ञात आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। -चाणक्य एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। -अज्ञात किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं। -अज्ञात ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा। -विनोबा विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है। -रवींद्रनाथ ठाकुर कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं। -प्रेमचंद अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते। -अज्ञात जिस प्रकार थोड़ी सी वायु से आग भड़क उठती है, उसी प्रकार थोड़ी सी मेहनत से किस्मत चमक उठती है। -अज्ञात अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं। -जवाहरलाल नेहरू सच्चाई से जिसका मन भरा है, वह विद्वान न होने पर भी बहुत देश सेवा कर सकता है -पं मोतीलाल नेहरू स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है। -विनोबा जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। -मुक्ता दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती। -अज्ञात जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का। - कहावत == श्री रवि श्रीवास्तव द्वारा संकलित सूक्तियाँ == 1. जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया, उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया – विनोबा 2. अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है – मुसोलिनी 3. पालने से लेकर कब्र तक ज्ञान प्राप्त करते रहो – पवित्र कुरान 4. इच्छा ही सब दुःखों का मूल है – बुद्ध 5. मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है – चाणक्य 6. आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है – पालशिरू 7. क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है – महात्मा गांधी 8. ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है – महात्मा गांधी 9. अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं – बुद्ध 10. नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है – सुकरात 11. गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है – शेक्सपीयर 12. समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं – अज्ञात् 13. जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है – कबीर 14. जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है – कन्फ्यूशियस 15. ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं – खलील जिब्रान 16. कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है – चाणक्य 17. दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है – गुरु नानक देव 18. ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा – गुरु नानक देव 19. जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द 20. जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है. 21. भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है, सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं. 22. सोचना, कहना व करना सदा समान हो. 23. न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो. 24. स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो. 25. ते ते पाँव पसारियो जेती चादर होय. 26. महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है. 27. बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है. 28. क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त. 29. नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है. 30. धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ. 31. दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं, वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो. 32. नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है. 33. बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं. MediaWiki:Confirmrecreate 1375 sysop 3391 2005-09-05T09:24:35Z MediaWiki default User [[User:$1|$1]] ([[User talk:$1|talk]]) deleted this article after you started editing with reason: : ''$2'' Please confirm that really want to recreate this article. 3892 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default User [[User:$1|$1]] ([[User talk:$1|talk]]) deleted this page after you started editing with reason: : ''$2'' Please confirm that really want to recreate this page. MediaWiki:Deletedwhileediting 1376 sysop 3393 2005-09-05T09:24:35Z MediaWiki default Warning: This page has been deleted after you started editing! MediaWiki:Fileexists-forbidden 1377 sysop 3394 2005-09-05T09:24:35Z MediaWiki default A file with this name exists already; please go back and upload this file under a new name. [[Image:$1|thumb|center|$1]] MediaWiki:Fileexists-shared-forbidden 1378 sysop 3395 2005-09-05T09:24:35Z MediaWiki default A file with this name exists already in the shared file repository; please go back and upload this file under a new name. [[Image:$1|thumb|center|$1]] MediaWiki:Fileuploadsummary 1379 sysop 3396 2005-09-05T09:24:35Z MediaWiki default Summary: MediaWiki:Largefileserver 1380 sysop 3397 2005-09-05T09:24:36Z MediaWiki default This file is bigger than the server is configured to allow. MediaWiki:License 1381 sysop 3398 2005-09-05T09:24:36Z MediaWiki default Licensing MediaWiki:Loginreqlink 1382 sysop 3399 2005-09-05T09:24:36Z MediaWiki default login 3943 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default log in MediaWiki:Loginreqpagetext 1383 sysop 3400 2005-09-05T09:24:36Z MediaWiki default You must $1 to view other pages. 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The reason for deletion is shown in the summary below, along with details of the users who had edited this page before deletion. The actual text of these deleted revisions is only available to administrators. 3809 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default This article has been deleted. The reason for deletion is shown in the summary below, along with details of the users who had edited this page before deletion. The actual text of these deleted revisions is only available to administrators. MediaWiki:Updatedmarker 1393 sysop 3426 2005-09-05T09:24:37Z MediaWiki default updated since my last visit MediaWiki:Viewdeleted 1394 sysop 3430 2005-09-05T09:24:37Z MediaWiki default View $1? MediaWiki:Viewdeletedpage 1395 sysop 3431 2005-09-05T09:24:37Z MediaWiki default View deleted pages MediaWiki:Wlhideshowbots 1396 sysop 3433 2005-09-05T09:24:37Z MediaWiki default $1 bot edits. 4033 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default $1 bot edits सुभाषित सहस्र 1397 3436 2005-09-16T12:50:08Z 210.212.158.130 <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल वचन</FONT> </STRONG></P> <P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P> <P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू अर्नाल्ड</P> <P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं&nbsp;; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P> <P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P> <P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P> <P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है।<BR>— आईजक दिसराली</P> <P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P> <P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P> <P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )</P> <P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है&nbsp;? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P> <P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P> <P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है&nbsp;; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो. हाल</P> <P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P> <P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री</P> <P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P> <P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P> <P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P> <P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P> <P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं&nbsp;; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P> <P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग / टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P> <P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P> <P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री जैकब</P> <P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।</P> <P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं&nbsp;; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड केल्विन</P> <P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P> <P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P> <P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P> <P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P> <P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P> <P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P> <P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>- फ्रायड </P> <P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी ।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P> <P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P> <P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P> <P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P> <P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>— गोथे </P> <P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P> <P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P> <P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P> <P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग विटगेंस्टाइन</P> <P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।</P> <P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P> <P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P> <P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>- शिशुपाल वध</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P> <P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P> <P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत गोपाल शेवड़े </P> <P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है ।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P> <P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P> <P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥</P> <P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>— महाभारत</P> <P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥</P> <P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है&nbsp;? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P> <P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P> <P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।</P> <P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास </P> <P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P> <P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P> <P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और साथ-साथ काम करो )</P> <P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>— रैन्डाल्फ</P> <P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P> <P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग ।<BR>— रहीम</P> <P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P> <P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P> <P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P> <P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । </P> <P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ&nbsp;; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।</P> <P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P> <P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है&nbsp;; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P> <P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P> <P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।</P> <P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।</P> <P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P> <P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>— आर. जी. इंगरसोल</P> <P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P> <P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P> <P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P> <P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>- डब्ल्यू.एच.आडेन</P> <P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>- किर्केगार्द</P> <P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-– एरमा बॉम्बेक</P> <P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P> <P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P> <P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P> <P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि ॥<BR>— कबीर</P> <P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P> <P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P> <P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।<BR>- पंचतंत्र</P> <P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>- अथर्ववेद</P> <P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है&nbsp;: डर तथा स्वार्थ |<BR>-– नेपोलियन</P> <P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P> <P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P> <P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P> <P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P> <P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P> <P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>— ग्लेडस्टन</P> <P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट कियोसाकी</P> <P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर वाइल्ड</P> <P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>— सिसरो</P> <P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P> <P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड फ्रायड</P> <P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नही गया।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P> <P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P> <P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।।<BR>— रहीम</P> <P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के विद्या विष के समान है (&nbsp;?) )</P> <P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही होय ॥</P> <P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P> <P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P> <P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>— श्रीरामशर्मा आचार्य </P> <P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।<BR>— हक्सले</P> <P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P> <P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>— नैपोलियन हिल</P> <P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P> <P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>— हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P> <P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P> <P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं , दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P> <P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P> <P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P> <P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P> <P>हार का स्‍वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्‍कम फोर्बस</P> <P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P> <P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्‍ते होते हैं लेकिन व्‍यू सब जगह से एक सा दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P> <P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्‍योंकि वहाँ कम्‍पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P> <P>सफलता के लिये कोई लिफ्‍ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P> <P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर बदल सकते हैं।</P> <P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P> <P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है&nbsp;; असफला की सीढी है , हर किसी को प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P> <P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P> <P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है&nbsp;? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P> <P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P> <P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P> <P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड शॉ</P> <P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P> <P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P> <P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥<BR>— रहीम</P> <P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P> <P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा<BR>—–घाघ</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P> <P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं , अहा&nbsp;! क्या रूप है&nbsp;? अहा&nbsp;! क्या आवाज है&nbsp;? )</P> <P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P> <P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P> <P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>— विलियम जेम्स</P> <P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>— फ्रंकलिन</P> <P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P> <P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P> <P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-– नॉर्मन विंसेंट पील</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P> <P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P> <P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P> <P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P> <P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P> <P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो शीश ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P> <P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P> <P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )<BR>— महाकवि माघ</P> <P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>- भर्तृहरि</P> <P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P> <P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P> <P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>— चाणक्य</P> <P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये ।</P> <P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P> <P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P> <P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P> <P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम तरीका है ।</P> <P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है ।</P> <P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P> <P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P> <P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी काम पूरा किया जा सकता है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P> <P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P> <P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P> <P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P> <P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P> <P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है । निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है ।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P> <P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P> <P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P> <P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम) मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P> <P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P> <P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P> <P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P> <P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध&nbsp;: इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P> <P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P> <P>कार्पोरेशन&nbsp;: व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P> <P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P> <P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P> <P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P> <P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P> <P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>- जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा. राधाकृष्णन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P> <P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P> <P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।<BR>— दसकुमारचरित</P> <P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P> <P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P> <P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है&nbsp;; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P> <P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये ।<BR>— रामायण </P> <P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का हित है।<BR>— चाणक्य </P> <P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P> <P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र</FONT></STRONG></P> <P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P> <P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।</P> <P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P> <P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद </P> <P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P> <P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P> <P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी उलोआ</P> <P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।</P> <P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P> <P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P> <P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P> <P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>— फिदेल कास्त्रो</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है , देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है , वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P> <P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P> <P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P> <P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P> <P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥</P> <P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P> <P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P> <P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P> <P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P> <P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P> <P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की हूक ॥</P> <P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P> <P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P> <P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )</P> <P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है.<BR>-– एनॉन</P> <P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P> <P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P> <P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P> <P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P> <P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>— विन्स्टन चर्चिल</P> <P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P> <P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P> <P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P> <P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P> <P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P> <P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P> <P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P> <P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P> <P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है&nbsp;; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P> <P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।</P> <P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P> <P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>— जार्ज सन्तायन</P> <P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P> <P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी डैरो</P> <P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT> </STRONG></P> <P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P> <P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है&nbsp;? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है&nbsp;? </P> <P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है&nbsp;?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| </P> <P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P> <P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P> <P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P> <P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P> <P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ </P> <P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की ।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P> <P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P> <P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P> <P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़ </P> <P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P> <P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P> <P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल कार्नेगी</P> <P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P> <P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P> <P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य</FONT></STRONG></P> <P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।</P> <P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P> <P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P> <P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P> <P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P> <P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P> <P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।</P> <P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-– रुडयार्ड किपलिंग</P> <P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>- नीतसार</P> <P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P> <P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P> <P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं&nbsp;; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P> <P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P> <P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P> <P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स मेडिसन</P> <P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा&nbsp;; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं ।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT> </STRONG></P> <P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>— ममफोर्ड</P> <P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है , लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P> <P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P> <P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P> <P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं ।</P> <P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P> <P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P> <P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P> <P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P> <P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है <DL> <DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है <DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को </DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर <P></P> <P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>— मकियावेली</P> <P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>— कुर्त लेविन</P> <P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर ड्रकर</P> <P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P> <P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P> <P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P> <P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P> <P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P> <P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥</P> <P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P> <P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P> <P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P> <P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।</P> <P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P> <P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P> <P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था.</P> <P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P> <P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P> <P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक हाकिन्स</P> <P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P> <P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा / पैराडाक्स</FONT></STRONG></P> <P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>ची‍टी ले शक्कर चली , हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P> <P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P> <P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत से चलाये जाते हैं ।</P> <P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं ।</P> <P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स डार्विन</P> <P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना ।<BR>— डिजराइली</P> <P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है&nbsp;; और जिस व्यक्ति के पास कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P> <P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P> <P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा&nbsp;; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P> <P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है ।</P> <P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है ।</P> <P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P> <P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P> <P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन</FONT></STRONG></P> <P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस ब्राउन</P> <P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P> <P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P> <P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P> <P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P> <P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P> <P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P> <P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P> <P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P> <P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता&nbsp;?<BR>- विवेकानंद</P> <P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती&nbsp;; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना ।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P> <P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P> <P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच&nbsp;!</P> <P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़ होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल चिन्तन</FONT></STRONG></P> <P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार ॥<BR>— कबीर</P> <P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया खुदाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P> <P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>— बेकन</P> <P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P> <P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P> <P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P> <P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )</P> <P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P> <P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै अंग।।</P> <P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला है ।<BR>— गिब्बन</P> <P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P> <P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P> <P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P> <P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P> <P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P> <P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म</FONT></STRONG></P> <P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P> <P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥</P> <P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P> <P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P> <P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न अपने हाथ ॥</P> <P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P> <P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P> <P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P> <P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P> <P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P> <P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश महाकाव्यम्</P> <P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।</P> <P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P> <P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P> <P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P> <P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।<BR>— एडिशन</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P> <P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P> <P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P> <P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।<BR>- गेटे</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P> <P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है ।<BR>–विनोबा </P> <P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर </P> <P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P> <P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय ।<BR>–रहीम</P> <P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P> <P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस कार्लाइल</P> <P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।</P> <P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>— सैमुएल स्माइल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P> <P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P> <P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P> <P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली</P> <P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P> <P>आराम हराम है.</P> <P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P> <P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>- बैंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P> <P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए&nbsp;?<BR>- रामतीर्थ</P> <P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी /</FONT></STRONG></P> <P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे करना , श्रृजन है ।</P> <P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P> <P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड) करने की कोशिश करता है । </P> <P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P> <P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P> <P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P> <P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| </P> <P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं&nbsp;: कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P> <P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P> <P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P> <P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड बोम (१९१७-१९९२)</P> <P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P> <P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P> <P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- - फ़ोर्ब्स</P> <P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।<BR>— आइन्स्टीन</P> <P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P> <P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P> <P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P> <P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं&nbsp;; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —</P> <P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P> <P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है&nbsp;; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P> <P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P> <P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स देवर</P> <P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P> <P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P> <P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P> <P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P> <P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P> <P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P> <P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-– विनोबा</P> <P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P> <P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत </P> <P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है ।<BR>— हितोपदेश </P> <P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P> <P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है , बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी जाता है )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान /</FONT></STRONG></P> <P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है । )</P> <P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥</P> <P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान देखता है , वही पण्डित है । )</P> <P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>- बर्नारड शा</P> <P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से लाय ॥<BR>— रहीम </P> <P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P> <P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात </P> <P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट / शठ</FONT></STRONG></P> <P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>— चाणक्य</P> <P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P> <P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P> <P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं.</P> <P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P> <P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P> <P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद झूठा<BR>—–गिरधर</P> <P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत ॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P> <P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति बिपरीत ॥</P> <P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P> <P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P> <P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।<BR>— ब्रूचे</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥</P> <P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P> <P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P> <P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का विनाश हो जाता है ।</P> <P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है ।<BR>— डा. शाकली</P> <P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान राइस</P> <P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P> <P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG> </P> <P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P> <P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P> <P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के लिये ॥</P> <P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो |<BR>– शेख सादी</P> <P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P> <P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन </P> <P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने लगो।</P> <P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्‍वाइन डी. आइसनहॉवर</P> <P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्‍वाइश हो तो वो दोनो चुनता है .<BR>— आस्‍कर वाइल्‍ड</P> <P>दो आदमी एक ही वक्‍त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P> <P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P> <P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P> <P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P> <P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>– कन्फ्यूशियस</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P> <P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता जीव समेत ॥</P> <P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P> <P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P> <P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P> <P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है&nbsp;: भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P> <P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P> <P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत</P> <P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P> <P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद् मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P> <P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P> <P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P> <P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P> <P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P> <P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P> <P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P> <P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P> <P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P> <P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P> <P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P> <P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।<BR>— जान क्राइस्ट </P> <P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-— खुशवन्त सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P> <P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P> <P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>— यू थान्ट</P> <P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P> <P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P> <P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P> <P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P> <P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P> <P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P> <P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P> <P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P> <P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P> <P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P> <P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते |<BR>-– सल्वाडोर डाली</P> <P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P> <P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P> <P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P> <P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P> <P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान डायक</P> <P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>– महाभारत</P> <P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P> <P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>– खलील जिब्रान</P> <P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P> <P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P> <P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता ) है ।</P> <P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि गये कि सोय ॥</P> <P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P> <P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P> <P>हे भगवान&nbsp;! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक / सुख / दुख</FONT></STRONG></P> <P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के लिये हँसी बनायी है ।</P> <P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-– टैगोर</P> <P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P> <P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P> <P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब कोय।।<BR>—-रहीम</P> <P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्‍टपोंड कर दो, यह तो वो है जो हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P> <P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P> <P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>— अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P> <P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P> <P>हे दरिद्रते&nbsp;! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P> <P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये मत्कुणशंकया ॥</P> <P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P> <P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी&nbsp;? )</P> <P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो ) विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P> <P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी कॉमेडी भर देगी&nbsp;?<BR>-– डिक कैवेट</P> <P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P> <P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P> <P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P> <P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है.</P> <P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P> <P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P> <P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P> <P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P> <P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी किसिंजर</P> <P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P> <P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P> <P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P> <P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P> <P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P> <P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता.</P> <P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P> <P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो&nbsp;?</P> <P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता है।</P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P> <P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना&nbsp;; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P> <P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो&nbsp;! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । )</P> <P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय । )</P> <P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P> <P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P> <P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं ।<BR>— महाभारत </P> <P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी / असत्य</FONT></STRONG></P> <P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P> <P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P> <P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P> <P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये ।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये&nbsp;; यही सनातन धर्म है ॥</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद व्यास</P> <P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P> <P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P> <P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>- लीमैन बीकर</P> <P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है ।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P> <P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P> <P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P> <P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P> <P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P> <P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है ।<BR>–सुदर्शन </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P> <P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P> <P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>— बेंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P> <P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का स्वागत करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P> <P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>— बोबी</P> <P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P> <P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे , क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P> <P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P> <P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P> <P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P> <P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P> <P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P> <P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़ सादी</P> <P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P> <P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P> <P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P> <P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>— दीनानाथ दिनेश</P> <P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P> <P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P> <P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है। क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>- हितोपदेश</P> <P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास / वैराग्य</FONT></STRONG></P> <P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P> <P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P> <P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है।<BR>- सांख्य दर्शन</P> <P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम बुद्ध (धम्मपद ७) </P> <P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P> <P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P> <P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार / प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P> <P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥</P> <P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है&nbsp;; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P> <P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P> <P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P> <P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P> <P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P> <P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P> <P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P> <P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>- उत्तररामचरित</P> <P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P> <P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P> <P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित होय ॥</P> <P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P> <P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी लात ॥<BR>— रहीम</P> <P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है ।</P> <P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P> <P><STRONG>सदाचार</STRONG></P> <P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P> <P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P> <P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी भवेत ॥</P> <P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P> <P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P> <P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और न धर्म है&nbsp;; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु , मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी) |<BR>-– चार्ली चेपलिन</P> <P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस</P> <P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P> <P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ वाल्डो इमर्सन</P> <P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत |<BR>-– हेनरी एडम्स</P> <P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P> <P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़. जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P> <P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है.</P> <P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं.</P> <P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- - शेक्सपीयर</P> <P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P> <P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक अभियान है।<BR>- ओशो </P> <P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर) काव्यादर्श</P> <P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति दूर।।<BR>——रहीम</P> <P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता (अध्याय 2/62, 63)</P> <P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P> <P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P> <P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P> <P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P> <P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P> <P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P> <P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P> <P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P> <P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये ।<BR>— यशपाल </P> <P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है ।<BR>— सावरकर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार कौशल</FONT></STRONG></P> <P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से ॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P> <P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P> <P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P> <P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P> <P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै तरवारि।।<BR>—–रहीम</P> <P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे मीत ॥</P> <P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P> <P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या परोस ॥</P> <P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान ॥</P> <P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय ॥</P> <P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P> <P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना चाहिये । )</P> <P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P> <P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य </P> <P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P> <P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं ।<BR>–रवीन्द्र </P> <P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये ।<BR>— कुमार सम्भव</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P> <P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P> <P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P> <P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P> <P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P> <P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह / सपने देखना</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P> <P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P> <P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P> <P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P> <P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P> <P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता रहता है । ) </P> <P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है ।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला ।</P> <P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P> <P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P> <P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P> <P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता / पराधीनता</FONT></STRONG></P> <P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P> <P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P> <P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P> <P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P> <P>नरक क्या है&nbsp;? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P> <P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P> <P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P> <P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P> <P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी, राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P> <P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P> <P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो.</P> <P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P> <P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P> <P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P> <P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P> <P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है |<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P> <P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P> <P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे ब्रेडबरी</P> <P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P> <P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P> <P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P> <P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है.</P> <P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं&nbsp;; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P> <P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P> <P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P> <P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P> <P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्‍मत</FONT></STRONG></P> <P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P> <P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>- जे.बी. एस. हॉल्डेन</P> <P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग मेनडिनो</P> <P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P> <P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P> <P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P> <P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P> <P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>— विनोबा </P> <P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>— स्वामी विवेकाननद</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P> <P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P> <P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के नाथ ॥</P> <P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश वाणी</FONT></STRONG></P> <P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P> <P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P> <P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता&nbsp;? )</P> <P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P> <P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P> <P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P> <P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय ॥</P> <P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P> <P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥</P> <P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P> <P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P> <P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P> <P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P> <P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P> <P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट रदरफ़र्ड</P> <P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P> <P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>को रुक् , को रुक् , को रुक्&nbsp;?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है&nbsp;?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P> <P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P> <P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P> <P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P> <P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P> <P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P> <P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) </P> <P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P> <P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P> <P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P> <P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P> <P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P> <P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>— बेन्जामिन</P> <P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P> <P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं&nbsp;; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P> <P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परमार्थ&nbsp;: उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता ।</P> <P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P> <P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P> <P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-– थियोडॉर रूज़वेल्ट</P> <P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया.</P> <P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P> <P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P> <P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P> <P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P> <P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P> <P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी सूक्ति</P> <P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस ट्रुमेन</P> <P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P> <P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली.</P> <P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P> <P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट ग्रेव्स</P> <P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है.</P> <P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी&nbsp;?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P> <P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी ( माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P> <P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P> <P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P> <P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी)</P> <P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय ॥</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P> <P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P> <P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P> <P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P> <P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं ।</P> <P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P> <P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P> <P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल कर ॥<BR>— दाग</P> <P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P> <P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा </P> <P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P> <P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P> <P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P> <P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P> <P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P> <P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी </P> <P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद </P> <P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं।<BR>–अज्ञात</P> <P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात </P> <P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - सादी </P> <P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P> <P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात </P> <P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P> <P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P> <P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात </P> <P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र </P> <P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा </P> <P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। - प्रेमचंद </P> <P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P> <P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है । -मुक्ता </P> <P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P> <P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P> <P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P> <P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P> <P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P> <P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद </P> <P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द </P> <P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। - विनोबा </P> <P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P> <P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद </P> <P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P> <P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि </P> <P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन खिमेनेस</P> <P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P> <P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P> <P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P> <P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P> <P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है , बल प्रयोग नहीं )</P> <P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक है । )</P> <P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P> <P>अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता है । )</P> <P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P> <P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है । )</P> <P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P> <P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P> <P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P> <P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / उक्ति / उक्ति ) 1398 3438 2005-09-16T13:47:39Z 210.212.158.130 <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल वचन</FONT> </STRONG></P> <P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P> <P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू अर्नाल्ड</P> <P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं&nbsp;; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P> <P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P> <P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P> <P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है।<BR>— आईजक दिसराली</P> <P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P> <P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P> <P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )</P> <P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है&nbsp;? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P> <P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P> <P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है&nbsp;; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो. हाल</P> <P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P> <P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री</P> <P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P> <P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P> <P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P> <P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P> <P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं&nbsp;; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P> <P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग / टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P> <P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P> <P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री जैकब</P> <P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।</P> <P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं&nbsp;; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड केल्विन</P> <P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P> <P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P> <P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P> <P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P> <P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P> <P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P> <P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>- फ्रायड </P> <P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी ।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P> <P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P> <P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P> <P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P> <P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>— गोथे </P> <P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P> <P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P> <P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P> <P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग विटगेंस्टाइन</P> <P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।</P> <P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P> <P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P> <P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>- शिशुपाल वध</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P> <P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P> <P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत गोपाल शेवड़े </P> <P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है ।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P> <P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P> <P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥</P> <P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>— महाभारत</P> <P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥</P> <P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है&nbsp;? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P> <P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P> <P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।</P> <P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास </P> <P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P> <P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P> <P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और साथ-साथ काम करो )</P> <P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>— रैन्डाल्फ</P> <P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P> <P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग ।<BR>— रहीम</P> <P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P> <P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P> <P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P> <P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । </P> <P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ&nbsp;; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।</P> <P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P> <P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है&nbsp;; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P> <P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P> <P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।</P> <P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।</P> <P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P> <P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>— आर. जी. इंगरसोल</P> <P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P> <P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P> <P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P> <P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>- डब्ल्यू.एच.आडेन</P> <P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>- किर्केगार्द</P> <P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-– एरमा बॉम्बेक</P> <P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P> <P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P> <P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P> <P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि ॥<BR>— कबीर</P> <P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P> <P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P> <P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।<BR>- पंचतंत्र</P> <P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>- अथर्ववेद</P> <P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है&nbsp;: डर तथा स्वार्थ |<BR>-– नेपोलियन</P> <P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P> <P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P> <P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P> <P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P> <P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P> <P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>— ग्लेडस्टन</P> <P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट कियोसाकी</P> <P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर वाइल्ड</P> <P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>— सिसरो</P> <P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P> <P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड फ्रायड</P> <P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नही गया।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P> <P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P> <P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।।<BR>— रहीम</P> <P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के विद्या विष के समान है (&nbsp;?) )</P> <P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही होय ॥</P> <P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P> <P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P> <P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>— श्रीरामशर्मा आचार्य </P> <P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।<BR>— हक्सले</P> <P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P> <P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>— नैपोलियन हिल</P> <P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P> <P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>— हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P> <P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P> <P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं , दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P> <P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P> <P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P> <P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P> <P>हार का स्‍वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्‍कम फोर्बस</P> <P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P> <P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्‍ते होते हैं लेकिन व्‍यू सब जगह से एक सा दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P> <P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्‍योंकि वहाँ कम्‍पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P> <P>सफलता के लिये कोई लिफ्‍ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P> <P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर बदल सकते हैं।</P> <P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P> <P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है&nbsp;; असफला की सीढी है , हर किसी को प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P> <P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P> <P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है&nbsp;? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P> <P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P> <P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P> <P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड शॉ</P> <P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P> <P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P> <P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥<BR>— रहीम</P> <P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P> <P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा<BR>—–घाघ</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P> <P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं , अहा&nbsp;! क्या रूप है&nbsp;? अहा&nbsp;! क्या आवाज है&nbsp;? )</P> <P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P> <P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P> <P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>— विलियम जेम्स</P> <P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>— फ्रंकलिन</P> <P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P> <P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P> <P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-– नॉर्मन विंसेंट पील</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P> <P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P> <P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P> <P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P> <P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P> <P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो शीश ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P> <P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P> <P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )<BR>— महाकवि माघ</P> <P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>- भर्तृहरि</P> <P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P> <P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P> <P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>— चाणक्य</P> <P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये ।</P> <P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P> <P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P> <P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P> <P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम तरीका है ।</P> <P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है ।</P> <P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P> <P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P> <P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी काम पूरा किया जा सकता है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P> <P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P> <P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P> <P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P> <P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P> <P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है । निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है ।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P> <P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P> <P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P> <P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम) मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P> <P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P> <P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P> <P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P> <P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध&nbsp;: इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P> <P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P> <P>कार्पोरेशन&nbsp;: व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P> <P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P> <P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P> <P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P> <P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P> <P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>- जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा. राधाकृष्णन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P> <P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P> <P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।<BR>— दसकुमारचरित</P> <P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P> <P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P> <P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है&nbsp;; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P> <P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये ।<BR>— रामायण </P> <P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का हित है।<BR>— चाणक्य </P> <P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P> <P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र</FONT></STRONG></P> <P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P> <P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।</P> <P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P> <P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद </P> <P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P> <P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P> <P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी उलोआ</P> <P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।</P> <P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P> <P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P> <P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P> <P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>— फिदेल कास्त्रो</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है , देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है , वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P> <P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P> <P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P> <P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P> <P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥</P> <P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P> <P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P> <P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P> <P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P> <P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P> <P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की हूक ॥</P> <P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P> <P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P> <P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )</P> <P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है.<BR>-– एनॉन</P> <P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P> <P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P> <P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P> <P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P> <P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>— विन्स्टन चर्चिल</P> <P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P> <P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P> <P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P> <P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P> <P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P> <P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P> <P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P> <P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P> <P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है&nbsp;; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P> <P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।</P> <P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P> <P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>— जार्ज सन्तायन</P> <P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P> <P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी डैरो</P> <P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT> </STRONG></P> <P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P> <P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है&nbsp;? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है&nbsp;? </P> <P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है&nbsp;?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| </P> <P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P> <P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P> <P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P> <P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P> <P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ </P> <P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की ।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P> <P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P> <P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P> <P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़ </P> <P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P> <P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P> <P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल कार्नेगी</P> <P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P> <P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P> <P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य</FONT></STRONG></P> <P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।</P> <P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P> <P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P> <P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P> <P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P> <P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P> <P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।</P> <P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-– रुडयार्ड किपलिंग</P> <P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>- नीतसार</P> <P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P> <P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P> <P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं&nbsp;; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P> <P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P> <P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P> <P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स मेडिसन</P> <P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा&nbsp;; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं ।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT> </STRONG></P> <P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>— ममफोर्ड</P> <P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है , लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P> <P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P> <P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P> <P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं ।</P> <P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P> <P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P> <P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P> <P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P> <P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है <DL> <DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है <DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को </DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर <P></P> <P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>— मकियावेली</P> <P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>— कुर्त लेविन</P> <P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर ड्रकर</P> <P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P> <P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P> <P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P> <P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P> <P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P> <P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥</P> <P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P> <P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P> <P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P> <P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।</P> <P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P> <P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P> <P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था.</P> <P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P> <P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P> <P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक हाकिन्स</P> <P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P> <P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा / पैराडाक्स</FONT></STRONG></P> <P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>ची‍टी ले शक्कर चली , हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P> <P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P> <P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत से चलाये जाते हैं ।</P> <P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं ।</P> <P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स डार्विन</P> <P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना ।<BR>— डिजराइली</P> <P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है&nbsp;; और जिस व्यक्ति के पास कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P> <P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P> <P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा&nbsp;; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P> <P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है ।</P> <P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है ।</P> <P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P> <P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P> <P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन</FONT></STRONG></P> <P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस ब्राउन</P> <P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P> <P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P> <P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P> <P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P> <P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P> <P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P> <P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P> <P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P> <P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता&nbsp;?<BR>- विवेकानंद</P> <P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती&nbsp;; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना ।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P> <P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P> <P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच&nbsp;!</P> <P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़ होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल चिन्तन</FONT></STRONG></P> <P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार ॥<BR>— कबीर</P> <P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया खुदाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P> <P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>— बेकन</P> <P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P> <P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P> <P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P> <P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )</P> <P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P> <P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै अंग।।</P> <P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला है ।<BR>— गिब्बन</P> <P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P> <P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P> <P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P> <P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P> <P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P> <P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म</FONT></STRONG></P> <P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P> <P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥</P> <P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P> <P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P> <P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न अपने हाथ ॥</P> <P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P> <P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P> <P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P> <P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P> <P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P> <P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश महाकाव्यम्</P> <P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।</P> <P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P> <P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P> <P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P> <P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।<BR>— एडिशन</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P> <P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P> <P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P> <P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।<BR>- गेटे</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P> <P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है ।<BR>–विनोबा </P> <P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर </P> <P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P> <P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय ।<BR>–रहीम</P> <P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P> <P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस कार्लाइल</P> <P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।</P> <P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>— सैमुएल स्माइल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P> <P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P> <P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P> <P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली</P> <P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P> <P>आराम हराम है.</P> <P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P> <P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>- बैंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P> <P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए&nbsp;?<BR>- रामतीर्थ</P> <P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी /</FONT></STRONG></P> <P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे करना , श्रृजन है ।</P> <P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P> <P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड) करने की कोशिश करता है । </P> <P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P> <P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P> <P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P> <P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| </P> <P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं&nbsp;: कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P> <P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P> <P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P> <P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड बोम (१९१७-१९९२)</P> <P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P> <P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P> <P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- - फ़ोर्ब्स</P> <P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।<BR>— आइन्स्टीन</P> <P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P> <P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P> <P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P> <P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं&nbsp;; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —</P> <P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P> <P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है&nbsp;; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P> <P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P> <P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स देवर</P> <P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P> <P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P> <P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P> <P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P> <P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P> <P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P> <P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-– विनोबा</P> <P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P> <P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत </P> <P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है ।<BR>— हितोपदेश </P> <P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P> <P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है , बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी जाता है )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान /</FONT></STRONG></P> <P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है । )</P> <P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥</P> <P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान देखता है , वही पण्डित है । )</P> <P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>- बर्नारड शा</P> <P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से लाय ॥<BR>— रहीम </P> <P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P> <P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात </P> <P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट / शठ</FONT></STRONG></P> <P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>— चाणक्य</P> <P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P> <P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P> <P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं.</P> <P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P> <P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P> <P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद झूठा<BR>—–गिरधर</P> <P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत ॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P> <P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति बिपरीत ॥</P> <P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P> <P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P> <P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।<BR>— ब्रूचे</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥</P> <P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P> <P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P> <P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का विनाश हो जाता है ।</P> <P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है ।<BR>— डा. शाकली</P> <P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान राइस</P> <P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P> <P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG> </P> <P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P> <P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P> <P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के लिये ॥</P> <P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो |<BR>– शेख सादी</P> <P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P> <P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन </P> <P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने लगो।</P> <P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्‍वाइन डी. आइसनहॉवर</P> <P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्‍वाइश हो तो वो दोनो चुनता है .<BR>— आस्‍कर वाइल्‍ड</P> <P>दो आदमी एक ही वक्‍त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P> <P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P> <P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P> <P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P> <P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>– कन्फ्यूशियस</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P> <P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता जीव समेत ॥</P> <P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P> <P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P> <P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P> <P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है&nbsp;: भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P> <P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P> <P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत</P> <P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P> <P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद् मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P> <P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P> <P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P> <P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P> <P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P> <P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P> <P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P> <P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P> <P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P> <P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P> <P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P> <P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।<BR>— जान क्राइस्ट </P> <P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-— खुशवन्त सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P> <P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P> <P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>— यू थान्ट</P> <P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P> <P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P> <P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P> <P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P> <P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P> <P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P> <P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P> <P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P> <P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P> <P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P> <P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते |<BR>-– सल्वाडोर डाली</P> <P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P> <P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P> <P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P> <P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P> <P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान डायक</P> <P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>– महाभारत</P> <P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P> <P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>– खलील जिब्रान</P> <P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P> <P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P> <P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता ) है ।</P> <P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि गये कि सोय ॥</P> <P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P> <P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P> <P>हे भगवान&nbsp;! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक / सुख / दुख</FONT></STRONG></P> <P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के लिये हँसी बनायी है ।</P> <P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-– टैगोर</P> <P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P> <P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P> <P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब कोय।।<BR>—-रहीम</P> <P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्‍टपोंड कर दो, यह तो वो है जो हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P> <P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P> <P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>— अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P> <P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P> <P>हे दरिद्रते&nbsp;! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P> <P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये मत्कुणशंकया ॥</P> <P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P> <P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी&nbsp;? )</P> <P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो ) विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P> <P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी कॉमेडी भर देगी&nbsp;?<BR>-– डिक कैवेट</P> <P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P> <P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P> <P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P> <P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है.</P> <P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P> <P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P> <P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P> <P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P> <P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी किसिंजर</P> <P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P> <P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P> <P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P> <P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P> <P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P> <P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता.</P> <P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P> <P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो&nbsp;?</P> <P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता है।</P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P> <P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना&nbsp;; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P> <P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो&nbsp;! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । )</P> <P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय । )</P> <P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P> <P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P> <P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं ।<BR>— महाभारत </P> <P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी / असत्य</FONT></STRONG></P> <P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P> <P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P> <P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P> <P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये ।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये&nbsp;; यही सनातन धर्म है ॥</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद व्यास</P> <P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P> <P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P> <P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>- लीमैन बीकर</P> <P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है ।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P> <P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P> <P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P> <P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P> <P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P> <P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है ।<BR>–सुदर्शन </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P> <P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P> <P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>— बेंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P> <P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का स्वागत करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P> <P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>— बोबी</P> <P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P> <P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे , क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P> <P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P> <P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P> <P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P> <P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P> <P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P> <P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़ सादी</P> <P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P> <P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P> <P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P> <P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>— दीनानाथ दिनेश</P> <P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P> <P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P> <P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है। क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>- हितोपदेश</P> <P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास / वैराग्य</FONT></STRONG></P> <P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P> <P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P> <P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है।<BR>- सांख्य दर्शन</P> <P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम बुद्ध (धम्मपद ७) </P> <P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P> <P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P> <P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार / प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P> <P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥</P> <P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है&nbsp;; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P> <P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P> <P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P> <P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P> <P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P> <P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P> <P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P> <P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>- उत्तररामचरित</P> <P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P> <P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P> <P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित होय ॥</P> <P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P> <P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी लात ॥<BR>— रहीम</P> <P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है ।</P> <P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P> <P><STRONG>सदाचार</STRONG></P> <P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P> <P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P> <P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी भवेत ॥</P> <P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P> <P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P> <P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और न धर्म है&nbsp;; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु , मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी) |<BR>-– चार्ली चेपलिन</P> <P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस</P> <P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P> <P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ वाल्डो इमर्सन</P> <P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत |<BR>-– हेनरी एडम्स</P> <P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P> <P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़. जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P> <P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है.</P> <P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं.</P> <P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- - शेक्सपीयर</P> <P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P> <P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक अभियान है।<BR>- ओशो </P> <P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर) काव्यादर्श</P> <P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति दूर।।<BR>——रहीम</P> <P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता (अध्याय 2/62, 63)</P> <P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P> <P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P> <P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P> <P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P> <P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P> <P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P> <P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P> <P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P> <P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये ।<BR>— यशपाल </P> <P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है ।<BR>— सावरकर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार कौशल</FONT></STRONG></P> <P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से ॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P> <P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P> <P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P> <P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P> <P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै तरवारि।।<BR>—–रहीम</P> <P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे मीत ॥</P> <P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P> <P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या परोस ॥</P> <P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान ॥</P> <P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय ॥</P> <P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P> <P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना चाहिये । )</P> <P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P> <P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य </P> <P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P> <P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं ।<BR>–रवीन्द्र </P> <P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये ।<BR>— कुमार सम्भव</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P> <P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P> <P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P> <P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P> <P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P> <P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह / सपने देखना</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P> <P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P> <P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P> <P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P> <P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P> <P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता रहता है । ) </P> <P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है ।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला ।</P> <P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P> <P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P> <P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P> <P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता / पराधीनता</FONT></STRONG></P> <P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P> <P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P> <P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P> <P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P> <P>नरक क्या है&nbsp;? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P> <P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P> <P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P> <P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P> <P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी, राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P> <P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P> <P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो.</P> <P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P> <P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P> <P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P> <P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P> <P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है |<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P> <P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P> <P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे ब्रेडबरी</P> <P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P> <P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P> <P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P> <P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है.</P> <P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं&nbsp;; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P> <P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P> <P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P> <P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P> <P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्‍मत</FONT></STRONG></P> <P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P> <P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>- जे.बी. एस. हॉल्डेन</P> <P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग मेनडिनो</P> <P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P> <P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P> <P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P> <P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P> <P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>— विनोबा </P> <P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>— स्वामी विवेकाननद</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P> <P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P> <P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के नाथ ॥</P> <P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश वाणी</FONT></STRONG></P> <P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P> <P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P> <P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता&nbsp;? )</P> <P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P> <P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P> <P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P> <P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय ॥</P> <P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P> <P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥</P> <P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P> <P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P> <P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P> <P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P> <P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P> <P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट रदरफ़र्ड</P> <P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P> <P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>को रुक् , को रुक् , को रुक्&nbsp;?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है&nbsp;?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P> <P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P> <P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P> <P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P> <P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P> <P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P> <P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) </P> <P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P> <P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P> <P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P> <P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P> <P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P> <P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>— बेन्जामिन</P> <P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P> <P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं&nbsp;; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P> <P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परमार्थ&nbsp;: उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता ।</P> <P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P> <P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P> <P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-– थियोडॉर रूज़वेल्ट</P> <P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया.</P> <P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P> <P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P> <P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P> <P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P> <P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P> <P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी सूक्ति</P> <P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस ट्रुमेन</P> <P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P> <P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली.</P> <P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P> <P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट ग्रेव्स</P> <P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है.</P> <P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी&nbsp;?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P> <P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी ( माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P> <P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P> <P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P> <P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी)</P> <P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय ॥</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P> <P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P> <P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P> <P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P> <P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं ।</P> <P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P> <P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P> <P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल कर ॥<BR>— दाग</P> <P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P> <P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा </P> <P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P> <P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P> <P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P> <P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P> <P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P> <P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी </P> <P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद </P> <P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं।<BR>–अज्ञात</P> <P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात </P> <P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - सादी </P> <P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P> <P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात </P> <P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P> <P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P> <P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात </P> <P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र </P> <P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा </P> <P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। - प्रेमचंद </P> <P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P> <P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है । -मुक्ता </P> <P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P> <P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P> <P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P> <P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P> <P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P> <P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद </P> <P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द </P> <P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। - विनोबा </P> <P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P> <P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद </P> <P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P> <P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि </P> <P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन खिमेनेस</P> <P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P> <P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P> <P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P> <P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P> <P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है , बल प्रयोग नहीं )</P> <P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक है । )</P> <P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P> <P>अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता है । )</P> <P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P> <P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है । )</P> <P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P> <P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P> <P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P> <P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> सुभाषित सहस्र ( सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण ) 1399 3439 2005-09-16T13:59:44Z 210.212.158.130 <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल वचन</FONT> </STRONG></P> <P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P> <P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू अर्नाल्ड</P> <P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं&nbsp;; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P> <P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P> <P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P> <P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है।<BR>— आईजक दिसराली</P> <P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P> <P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P> <P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )</P> <P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है&nbsp;? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P> <P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P> <P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है&nbsp;; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो. हाल</P> <P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P> <P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री</P> <P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P> <P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P> <P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P> <P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P> <P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं&nbsp;; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P> <P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग / टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P> <P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P> <P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री जैकब</P> <P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।</P> <P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं&nbsp;; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड केल्विन</P> <P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P> <P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P> <P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P> <P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P> <P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P> <P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P> <P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>- फ्रायड </P> <P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी ।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P> <P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P> <P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P> <P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P> <P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>— गोथे </P> <P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P> <P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P> <P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P> <P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग विटगेंस्टाइन</P> <P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।</P> <P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P> <P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P> <P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>- शिशुपाल वध</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P> <P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P> <P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत गोपाल शेवड़े </P> <P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है ।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P> <P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P> <P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥</P> <P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>— महाभारत</P> <P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥</P> <P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है&nbsp;? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P> <P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P> <P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।</P> <P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास </P> <P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P> <P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P> <P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और साथ-साथ काम करो )</P> <P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>— रैन्डाल्फ</P> <P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P> <P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग ।<BR>— रहीम</P> <P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P> <P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P> <P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P> <P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । </P> <P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ&nbsp;; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।</P> <P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P> <P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है&nbsp;; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P> <P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P> <P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।</P> <P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।</P> <P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P> <P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>— आर. जी. इंगरसोल</P> <P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P> <P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P> <P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P> <P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>- डब्ल्यू.एच.आडेन</P> <P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>- किर्केगार्द</P> <P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-– एरमा बॉम्बेक</P> <P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P> <P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P> <P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P> <P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि ॥<BR>— कबीर</P> <P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P> <P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P> <P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।<BR>- पंचतंत्र</P> <P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>- अथर्ववेद</P> <P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है&nbsp;: डर तथा स्वार्थ |<BR>-– नेपोलियन</P> <P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P> <P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P> <P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P> <P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P> <P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P> <P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>— ग्लेडस्टन</P> <P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट कियोसाकी</P> <P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर वाइल्ड</P> <P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>— सिसरो</P> <P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P> <P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड फ्रायड</P> <P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नही गया।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P> <P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P> <P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।।<BR>— रहीम</P> <P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के विद्या विष के समान है (&nbsp;?) )</P> <P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही होय ॥</P> <P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P> <P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P> <P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>— श्रीरामशर्मा आचार्य </P> <P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।<BR>— हक्सले</P> <P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P> <P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>— नैपोलियन हिल</P> <P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P> <P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>— हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P> <P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P> <P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं , दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P> <P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P> <P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P> <P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P> <P>हार का स्‍वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्‍कम फोर्बस</P> <P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P> <P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्‍ते होते हैं लेकिन व्‍यू सब जगह से एक सा दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P> <P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्‍योंकि वहाँ कम्‍पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P> <P>सफलता के लिये कोई लिफ्‍ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P> <P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर बदल सकते हैं।</P> <P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P> <P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है&nbsp;; असफला की सीढी है , हर किसी को प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P> <P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P> <P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है&nbsp;? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P> <P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P> <P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P> <P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड शॉ</P> <P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P> <P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P> <P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥<BR>— रहीम</P> <P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P> <P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा<BR>—–घाघ</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P> <P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं , अहा&nbsp;! क्या रूप है&nbsp;? अहा&nbsp;! क्या आवाज है&nbsp;? )</P> <P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P> <P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P> <P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>— विलियम जेम्स</P> <P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>— फ्रंकलिन</P> <P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P> <P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P> <P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-– नॉर्मन विंसेंट पील</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P> <P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P> <P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P> <P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P> <P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P> <P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो शीश ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P> <P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P> <P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )<BR>— महाकवि माघ</P> <P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>- भर्तृहरि</P> <P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P> <P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P> <P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>— चाणक्य</P> <P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये ।</P> <P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P> <P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P> <P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P> <P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम तरीका है ।</P> <P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है ।</P> <P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P> <P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P> <P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी काम पूरा किया जा सकता है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P> <P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P> <P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P> <P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P> <P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P> <P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है । निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है ।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P> <P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P> <P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P> <P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम) मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P> <P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P> <P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P> <P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P> <P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध&nbsp;: इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P> <P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P> <P>कार्पोरेशन&nbsp;: व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P> <P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P> <P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P> <P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P> <P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P> <P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>- जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा. राधाकृष्णन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P> <P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P> <P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।<BR>— दसकुमारचरित</P> <P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P> <P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P> <P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है&nbsp;; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P> <P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये ।<BR>— रामायण </P> <P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का हित है।<BR>— चाणक्य </P> <P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P> <P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र</FONT></STRONG></P> <P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P> <P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।</P> <P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P> <P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद </P> <P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P> <P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P> <P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी उलोआ</P> <P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।</P> <P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P> <P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P> <P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P> <P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>— फिदेल कास्त्रो</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है , देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है , वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P> <P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P> <P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P> <P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P> <P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥</P> <P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P> <P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P> <P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P> <P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P> <P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P> <P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की हूक ॥</P> <P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P> <P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P> <P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )</P> <P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है.<BR>-– एनॉन</P> <P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P> <P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P> <P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P> <P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P> <P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>— विन्स्टन चर्चिल</P> <P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P> <P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P> <P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P> <P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P> <P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P> <P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P> <P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P> <P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P> <P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है&nbsp;; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P> <P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।</P> <P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P> <P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>— जार्ज सन्तायन</P> <P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P> <P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी डैरो</P> <P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT> </STRONG></P> <P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P> <P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है&nbsp;? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है&nbsp;? </P> <P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है&nbsp;?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| </P> <P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P> <P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P> <P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P> <P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P> <P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ </P> <P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की ।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P> <P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P> <P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P> <P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़ </P> <P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P> <P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P> <P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल कार्नेगी</P> <P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P> <P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P> <P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य</FONT></STRONG></P> <P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।</P> <P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P> <P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P> <P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P> <P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P> <P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P> <P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।</P> <P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-– रुडयार्ड किपलिंग</P> <P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>- नीतसार</P> <P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P> <P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P> <P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं&nbsp;; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P> <P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P> <P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P> <P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स मेडिसन</P> <P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा&nbsp;; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं ।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT> </STRONG></P> <P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>— ममफोर्ड</P> <P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है , लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P> <P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P> <P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P> <P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं ।</P> <P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P> <P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P> <P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P> <P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P> <P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है <DL> <DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है <DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को </DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर <P></P> <P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>— मकियावेली</P> <P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>— कुर्त लेविन</P> <P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर ड्रकर</P> <P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P> <P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P> <P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P> <P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P> <P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P> <P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥</P> <P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P> <P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P> <P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P> <P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।</P> <P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P> <P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P> <P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था.</P> <P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P> <P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P> <P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक हाकिन्स</P> <P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P> <P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा / पैराडाक्स</FONT></STRONG></P> <P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>ची‍टी ले शक्कर चली , हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P> <P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P> <P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत से चलाये जाते हैं ।</P> <P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं ।</P> <P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स डार्विन</P> <P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना ।<BR>— डिजराइली</P> <P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है&nbsp;; और जिस व्यक्ति के पास कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P> <P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P> <P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा&nbsp;; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P> <P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है ।</P> <P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है ।</P> <P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P> <P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P> <P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन</FONT></STRONG></P> <P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस ब्राउन</P> <P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P> <P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P> <P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P> <P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P> <P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P> <P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P> <P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P> <P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P> <P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता&nbsp;?<BR>- विवेकानंद</P> <P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती&nbsp;; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना ।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P> <P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P> <P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच&nbsp;!</P> <P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़ होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल चिन्तन</FONT></STRONG></P> <P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार ॥<BR>— कबीर</P> <P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया खुदाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P> <P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>— बेकन</P> <P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P> <P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P> <P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P> <P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )</P> <P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P> <P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै अंग।।</P> <P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला है ।<BR>— गिब्बन</P> <P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P> <P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P> <P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P> <P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P> <P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P> <P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म</FONT></STRONG></P> <P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P> <P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥</P> <P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P> <P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P> <P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न अपने हाथ ॥</P> <P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P> <P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P> <P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P> <P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P> <P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P> <P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश महाकाव्यम्</P> <P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।</P> <P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P> <P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P> <P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P> <P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।<BR>— एडिशन</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P> <P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P> <P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P> <P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।<BR>- गेटे</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P> <P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है ।<BR>–विनोबा </P> <P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर </P> <P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P> <P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय ।<BR>–रहीम</P> <P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P> <P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस कार्लाइल</P> <P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।</P> <P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>— सैमुएल स्माइल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P> <P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P> <P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P> <P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली</P> <P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P> <P>आराम हराम है.</P> <P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P> <P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>- बैंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P> <P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए&nbsp;?<BR>- रामतीर्थ</P> <P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी /</FONT></STRONG></P> <P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे करना , श्रृजन है ।</P> <P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P> <P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड) करने की कोशिश करता है । </P> <P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P> <P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P> <P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P> <P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| </P> <P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं&nbsp;: कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P> <P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P> <P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P> <P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड बोम (१९१७-१९९२)</P> <P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P> <P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P> <P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- - फ़ोर्ब्स</P> <P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।<BR>— आइन्स्टीन</P> <P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P> <P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P> <P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P> <P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं&nbsp;; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —</P> <P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P> <P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है&nbsp;; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P> <P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P> <P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स देवर</P> <P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P> <P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P> <P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P> <P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P> <P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P> <P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P> <P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-– विनोबा</P> <P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P> <P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत </P> <P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है ।<BR>— हितोपदेश </P> <P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P> <P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है , बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी जाता है )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान /</FONT></STRONG></P> <P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है । )</P> <P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥</P> <P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान देखता है , वही पण्डित है । )</P> <P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>- बर्नारड शा</P> <P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से लाय ॥<BR>— रहीम </P> <P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P> <P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात </P> <P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट / शठ</FONT></STRONG></P> <P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>— चाणक्य</P> <P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P> <P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P> <P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं.</P> <P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P> <P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P> <P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद झूठा<BR>—–गिरधर</P> <P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत ॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P> <P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति बिपरीत ॥</P> <P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P> <P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P> <P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।<BR>— ब्रूचे</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥</P> <P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P> <P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P> <P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का विनाश हो जाता है ।</P> <P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है ।<BR>— डा. शाकली</P> <P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान राइस</P> <P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P> <P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG> </P> <P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P> <P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P> <P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के लिये ॥</P> <P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो |<BR>– शेख सादी</P> <P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P> <P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन </P> <P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने लगो।</P> <P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्‍वाइन डी. आइसनहॉवर</P> <P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्‍वाइश हो तो वो दोनो चुनता है .<BR>— आस्‍कर वाइल्‍ड</P> <P>दो आदमी एक ही वक्‍त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P> <P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P> <P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P> <P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P> <P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>– कन्फ्यूशियस</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P> <P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता जीव समेत ॥</P> <P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P> <P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P> <P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P> <P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है&nbsp;: भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P> <P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P> <P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत</P> <P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P> <P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद् मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P> <P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P> <P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P> <P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P> <P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P> <P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P> <P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P> <P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P> <P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P> <P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P> <P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P> <P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।<BR>— जान क्राइस्ट </P> <P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-— खुशवन्त सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P> <P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P> <P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>— यू थान्ट</P> <P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P> <P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P> <P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P> <P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P> <P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P> <P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P> <P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P> <P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P> <P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P> <P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P> <P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते |<BR>-– सल्वाडोर डाली</P> <P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P> <P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P> <P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P> <P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P> <P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान डायक</P> <P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>– महाभारत</P> <P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P> <P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>– खलील जिब्रान</P> <P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P> <P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P> <P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता ) है ।</P> <P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि गये कि सोय ॥</P> <P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P> <P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P> <P>हे भगवान&nbsp;! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक / सुख / दुख</FONT></STRONG></P> <P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के लिये हँसी बनायी है ।</P> <P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-– टैगोर</P> <P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P> <P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P> <P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब कोय।।<BR>—-रहीम</P> <P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्‍टपोंड कर दो, यह तो वो है जो हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P> <P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P> <P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>— अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P> <P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P> <P>हे दरिद्रते&nbsp;! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P> <P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये मत्कुणशंकया ॥</P> <P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P> <P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी&nbsp;? )</P> <P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो ) विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P> <P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी कॉमेडी भर देगी&nbsp;?<BR>-– डिक कैवेट</P> <P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P> <P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P> <P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P> <P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है.</P> <P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P> <P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P> <P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P> <P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P> <P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी किसिंजर</P> <P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P> <P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P> <P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P> <P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P> <P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P> <P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता.</P> <P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P> <P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो&nbsp;?</P> <P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता है।</P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P> <P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना&nbsp;; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P> <P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो&nbsp;! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । )</P> <P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय । )</P> <P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P> <P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P> <P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं ।<BR>— महाभारत </P> <P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी / असत्य</FONT></STRONG></P> <P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P> <P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P> <P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P> <P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये ।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये&nbsp;; यही सनातन धर्म है ॥</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद व्यास</P> <P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P> <P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P> <P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>- लीमैन बीकर</P> <P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है ।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P> <P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P> <P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P> <P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P> <P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P> <P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है ।<BR>–सुदर्शन </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P> <P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P> <P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>— बेंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P> <P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का स्वागत करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P> <P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>— बोबी</P> <P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P> <P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे , क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P> <P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P> <P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P> <P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P> <P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P> <P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P> <P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़ सादी</P> <P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P> <P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P> <P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P> <P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>— दीनानाथ दिनेश</P> <P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P> <P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P> <P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है। क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>- हितोपदेश</P> <P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास / वैराग्य</FONT></STRONG></P> <P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P> <P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P> <P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है।<BR>- सांख्य दर्शन</P> <P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम बुद्ध (धम्मपद ७) </P> <P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P> <P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P> <P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार / प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P> <P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥</P> <P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है&nbsp;; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P> <P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P> <P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P> <P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P> <P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P> <P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P> <P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P> <P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>- उत्तररामचरित</P> <P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P> <P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P> <P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित होय ॥</P> <P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P> <P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी लात ॥<BR>— रहीम</P> <P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है ।</P> <P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P> <P><STRONG>सदाचार</STRONG></P> <P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P> <P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P> <P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी भवेत ॥</P> <P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P> <P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P> <P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और न धर्म है&nbsp;; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु , मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी) |<BR>-– चार्ली चेपलिन</P> <P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस</P> <P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P> <P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ वाल्डो इमर्सन</P> <P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत |<BR>-– हेनरी एडम्स</P> <P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P> <P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़. जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P> <P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है.</P> <P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं.</P> <P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- - शेक्सपीयर</P> <P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P> <P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक अभियान है।<BR>- ओशो </P> <P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर) काव्यादर्श</P> <P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति दूर।।<BR>——रहीम</P> <P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता (अध्याय 2/62, 63)</P> <P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P> <P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P> <P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P> <P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P> <P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P> <P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P> <P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P> <P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P> <P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये ।<BR>— यशपाल </P> <P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है ।<BR>— सावरकर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार कौशल</FONT></STRONG></P> <P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से ॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P> <P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P> <P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P> <P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P> <P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै तरवारि।।<BR>—–रहीम</P> <P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे मीत ॥</P> <P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P> <P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या परोस ॥</P> <P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान ॥</P> <P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय ॥</P> <P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P> <P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना चाहिये । )</P> <P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P> <P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य </P> <P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P> <P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं ।<BR>–रवीन्द्र </P> <P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये ।<BR>— कुमार सम्भव</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P> <P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P> <P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P> <P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P> <P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P> <P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह / सपने देखना</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P> <P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P> <P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P> <P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P> <P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P> <P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता रहता है । ) </P> <P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है ।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला ।</P> <P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P> <P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P> <P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P> <P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता / पराधीनता</FONT></STRONG></P> <P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P> <P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P> <P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P> <P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P> <P>नरक क्या है&nbsp;? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P> <P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P> <P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P> <P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P> <P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी, राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P> <P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P> <P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो.</P> <P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P> <P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P> <P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P> <P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P> <P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है |<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P> <P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P> <P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे ब्रेडबरी</P> <P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P> <P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P> <P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P> <P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है.</P> <P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं&nbsp;; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P> <P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P> <P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P> <P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P> <P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्‍मत</FONT></STRONG></P> <P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P> <P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>- जे.बी. एस. हॉल्डेन</P> <P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग मेनडिनो</P> <P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P> <P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P> <P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P> <P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P> <P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>— विनोबा </P> <P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>— स्वामी विवेकाननद</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P> <P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P> <P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के नाथ ॥</P> <P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश वाणी</FONT></STRONG></P> <P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P> <P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P> <P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता&nbsp;? )</P> <P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P> <P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P> <P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P> <P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय ॥</P> <P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P> <P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥</P> <P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P> <P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P> <P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P> <P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P> <P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P> <P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट रदरफ़र्ड</P> <P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P> <P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>को रुक् , को रुक् , को रुक्&nbsp;?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है&nbsp;?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P> <P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P> <P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P> <P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P> <P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P> <P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P> <P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) </P> <P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P> <P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P> <P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P> <P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P> <P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P> <P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>— बेन्जामिन</P> <P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P> <P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं&nbsp;; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P> <P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परमार्थ&nbsp;: उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता ।</P> <P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P> <P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P> <P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-– थियोडॉर रूज़वेल्ट</P> <P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया.</P> <P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P> <P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P> <P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P> <P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P> <P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P> <P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी सूक्ति</P> <P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस ट्रुमेन</P> <P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P> <P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली.</P> <P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P> <P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट ग्रेव्स</P> <P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है.</P> <P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी&nbsp;?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P> <P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी ( माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P> <P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P> <P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P> <P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी)</P> <P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय ॥</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P> <P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P> <P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P> <P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P> <P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं ।</P> <P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P> <P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P> <P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल कर ॥<BR>— दाग</P> <P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P> <P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा </P> <P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P> <P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P> <P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P> <P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P> <P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P> <P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी </P> <P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद </P> <P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं।<BR>–अज्ञात</P> <P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात </P> <P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - सादी </P> <P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P> <P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात </P> <P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P> <P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P> <P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात </P> <P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र </P> <P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा </P> <P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। - प्रेमचंद </P> <P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P> <P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है । -मुक्ता </P> <P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P> <P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P> <P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P> <P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P> <P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P> <P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद </P> <P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द </P> <P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। - विनोबा </P> <P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P> <P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद </P> <P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P> <P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि </P> <P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन खिमेनेस</P> <P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P> <P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P> <P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P> <P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P> <P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है , बल प्रयोग नहीं )</P> <P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक है । )</P> <P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P> <P>अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता है । )</P> <P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P> <P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है । )</P> <P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P> <P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P> <P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P> <P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> 3441 2005-10-11T06:59:29Z 210.212.158.130 <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल वचन</FONT> </STRONG></P> <P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P> <P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू अर्नाल्ड</P> <P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं&nbsp;; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P> <P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P> <P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P> <P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है।<BR>— आईजक दिसराली</P> <P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P> <P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P> <P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )</P> <P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है&nbsp;? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P> <P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P> <P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है&nbsp;; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो. हाल</P> <P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P> <P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री</P> <P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P> <P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P> <P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P> <P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P> <P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं&nbsp;; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P> <P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग / टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P> <P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P> <P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री जैकब</P> <P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।</P> <P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं&nbsp;; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड केल्विन</P> <P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P> <P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P> <P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P> <P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P> <P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P> <P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P> <P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>- फ्रायड </P> <P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी ।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P> <P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P> <P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P> <P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P> <P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>— गोथे </P> <P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P> <P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P> <P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P> <P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग विटगेंस्टाइन</P> <P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।</P> <P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P> <P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P> <P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>- शिशुपाल वध</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P> <P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P> <P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत गोपाल शेवड़े </P> <P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है ।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P> <P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P> <P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥</P> <P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>— महाभारत</P> <P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥</P> <P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है&nbsp;? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P> <P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P> <P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।</P> <P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास </P> <P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P> <P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P> <P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और साथ-साथ काम करो )</P> <P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>— रैन्डाल्फ</P> <P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P> <P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग ।<BR>— रहीम</P> <P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P> <P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P> <P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P> <P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । </P> <P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ&nbsp;; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।</P> <P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P> <P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है&nbsp;; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P> <P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P> <P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।</P> <P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।</P> <P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P> <P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>— आर. जी. इंगरसोल</P> <P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P> <P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P> <P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P> <P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>- डब्ल्यू.एच.आडेन</P> <P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>- किर्केगार्द</P> <P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-– एरमा बॉम्बेक</P> <P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P> <P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P> <P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P> <P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि ॥<BR>— कबीर</P> <P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P> <P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P> <P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।<BR>- पंचतंत्र</P> <P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>- अथर्ववेद</P> <P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है&nbsp;: डर तथा स्वार्थ |<BR>-– नेपोलियन</P> <P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P> <P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P> <P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P> <P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P> <P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P> <P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>— ग्लेडस्टन</P> <P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट कियोसाकी</P> <P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर वाइल्ड</P> <P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>— सिसरो</P> <P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P> <P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड फ्रायड</P> <P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नही गया।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P> <P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P> <P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।।<BR>— रहीम</P> <P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के विद्या विष के समान है (&nbsp;?) )</P> <P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही होय ॥</P> <P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P> <P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P> <P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>— श्रीरामशर्मा आचार्य </P> <P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।<BR>— हक्सले</P> <P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P> <P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>— नैपोलियन हिल</P> <P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P> <P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>— हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P> <P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P> <P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं , दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P> <P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P> <P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P> <P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P> <P>हार का स्‍वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्‍कम फोर्बस</P> <P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P> <P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्‍ते होते हैं लेकिन व्‍यू सब जगह से एक सा दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P> <P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्‍योंकि वहाँ कम्‍पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P> <P>सफलता के लिये कोई लिफ्‍ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P> <P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर बदल सकते हैं।</P> <P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P> <P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है&nbsp;; असफला की सीढी है , हर किसी को प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P> <P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P> <P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है&nbsp;? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P> <P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P> <P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P> <P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड शॉ</P> <P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P> <P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P> <P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥<BR>— रहीम</P> <P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P> <P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा<BR>—–घाघ</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P> <P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं , अहा&nbsp;! क्या रूप है&nbsp;? अहा&nbsp;! क्या आवाज है&nbsp;? )</P> <P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P> <P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P> <P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>— विलियम जेम्स</P> <P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>— फ्रंकलिन</P> <P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P> <P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P> <P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-– नॉर्मन विंसेंट पील</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P> <P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P> <P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P> <P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P> <P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P> <P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो शीश ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P> <P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P> <P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )<BR>— महाकवि माघ</P> <P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>- भर्तृहरि</P> <P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P> <P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P> <P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>— चाणक्य</P> <P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये ।</P> <P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P> <P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P> <P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P> <P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम तरीका है ।</P> <P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है ।</P> <P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P> <P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P> <P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी काम पूरा किया जा सकता है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P> <P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P> <P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P> <P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P> <P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P> <P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है । निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है ।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P> <P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P> <P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P> <P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम) मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P> <P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P> <P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P> <P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P> <P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध&nbsp;: इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P> <P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P> <P>कार्पोरेशन&nbsp;: व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P> <P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P> <P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P> <P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P> <P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P> <P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>- जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा. राधाकृष्णन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P> <P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P> <P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।<BR>— दसकुमारचरित</P> <P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P> <P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P> <P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है&nbsp;; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P> <P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये ।<BR>— रामायण </P> <P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का हित है।<BR>— चाणक्य </P> <P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P> <P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र</FONT></STRONG></P> <P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P> <P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।</P> <P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P> <P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद </P> <P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P> <P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P> <P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी उलोआ</P> <P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।</P> <P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P> <P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P> <P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P> <P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>— फिदेल कास्त्रो</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है , देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है , वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P> <P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P> <P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P> <P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P> <P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥</P> <P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P> <P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P> <P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P> <P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P> <P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P> <P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की हूक ॥</P> <P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P> <P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P> <P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )</P> <P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है.<BR>-– एनॉन</P> <P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P> <P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P> <P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P> <P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P> <P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>— विन्स्टन चर्चिल</P> <P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P> <P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P> <P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P> <P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P> <P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P> <P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P> <P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P> <P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P> <P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है&nbsp;; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P> <P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।</P> <P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P> <P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>— जार्ज सन्तायन</P> <P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P> <P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी डैरो</P> <P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT> </STRONG></P> <P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P> <P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है&nbsp;? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है&nbsp;? </P> <P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है&nbsp;?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| </P> <P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P> <P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P> <P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P> <P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P> <P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ </P> <P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की ।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P> <P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P> <P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P> <P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़ </P> <P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P> <P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P> <P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल कार्नेगी</P> <P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P> <P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P> <P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य</FONT></STRONG></P> <P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।</P> <P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P> <P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P> <P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P> <P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P> <P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P> <P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।</P> <P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-– रुडयार्ड किपलिंग</P> <P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>- नीतसार</P> <P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P> <P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P> <P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं&nbsp;; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P> <P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P> <P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P> <P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स मेडिसन</P> <P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा&nbsp;; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं ।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT> </STRONG></P> <P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>— ममफोर्ड</P> <P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है , लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P> <P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P> <P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P> <P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं ।</P> <P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P> <P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P> <P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P> <P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P> <P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है <DL> <DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है <DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को </DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर <P></P> <P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>— मकियावेली</P> <P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>— कुर्त लेविन</P> <P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर ड्रकर</P> <P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P> <P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P> <P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P> <P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P> <P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P> <P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥</P> <P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P> <P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P> <P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P> <P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।</P> <P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P> <P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P> <P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था.</P> <P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P> <P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P> <P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक हाकिन्स</P> <P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P> <P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा / पैराडाक्स</FONT></STRONG></P> <P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>ची‍टी ले शक्कर चली , हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P> <P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P> <P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत से चलाये जाते हैं ।</P> <P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं ।</P> <P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स डार्विन</P> <P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना ।<BR>— डिजराइली</P> <P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है&nbsp;; और जिस व्यक्ति के पास कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P> <P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P> <P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा&nbsp;; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P> <P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है ।</P> <P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है ।</P> <P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P> <P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P> <P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन</FONT></STRONG></P> <P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस ब्राउन</P> <P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P> <P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P> <P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P> <P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P> <P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P> <P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P> <P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P> <P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P> <P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता&nbsp;?<BR>- विवेकानंद</P> <P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती&nbsp;; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना ।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P> <P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P> <P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच&nbsp;!</P> <P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़ होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल चिन्तन</FONT></STRONG></P> <P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार ॥<BR>— कबीर</P> <P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया खुदाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P> <P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>— बेकन</P> <P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P> <P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P> <P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P> <P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )</P> <P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P> <P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै अंग।।</P> <P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला है ।<BR>— गिब्बन</P> <P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P> <P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P> <P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P> <P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P> <P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P> <P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म</FONT></STRONG></P> <P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P> <P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥</P> <P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P> <P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P> <P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न अपने हाथ ॥</P> <P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P> <P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P> <P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P> <P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P> <P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P> <P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश महाकाव्यम्</P> <P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।</P> <P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P> <P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P> <P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P> <P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।<BR>— एडिशन</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P> <P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P> <P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P> <P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।<BR>- गेटे</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P> <P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है ।<BR>–विनोबा </P> <P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर </P> <P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P> <P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय ।<BR>–रहीम</P> <P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P> <P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस कार्लाइल</P> <P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।</P> <P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>— सैमुएल स्माइल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P> <P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P> <P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P> <P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली</P> <P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P> <P>आराम हराम है.</P> <P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P> <P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>- बैंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P> <P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए&nbsp;?<BR>- रामतीर्थ</P> <P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी /</FONT></STRONG></P> <P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे करना , श्रृजन है ।</P> <P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P> <P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड) करने की कोशिश करता है । </P> <P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P> <P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P> <P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P> <P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| </P> <P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं&nbsp;: कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P> <P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P> <P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P> <P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड बोम (१९१७-१९९२)</P> <P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P> <P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P> <P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- - फ़ोर्ब्स</P> <P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।<BR>— आइन्स्टीन</P> <P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P> <P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P> <P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P> <P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं&nbsp;; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —</P> <P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P> <P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है&nbsp;; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P> <P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P> <P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स देवर</P> <P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P> <P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P> <P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P> <P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P> <P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P> <P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P> <P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-– विनोबा</P> <P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P> <P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत </P> <P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है ।<BR>— हितोपदेश </P> <P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P> <P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है , बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी जाता है )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान /</FONT></STRONG></P> <P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है । )</P> <P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥</P> <P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान देखता है , वही पण्डित है । )</P> <P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>- बर्नारड शा</P> <P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से लाय ॥<BR>— रहीम </P> <P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P> <P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात </P> <P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट / शठ</FONT></STRONG></P> <P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>— चाणक्य</P> <P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P> <P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P> <P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं.</P> <P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P> <P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P> <P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद झूठा<BR>—–गिरधर</P> <P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत ॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P> <P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति बिपरीत ॥</P> <P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P> <P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P> <P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।<BR>— ब्रूचे</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥</P> <P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P> <P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P> <P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का विनाश हो जाता है ।</P> <P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है ।<BR>— डा. शाकली</P> <P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान राइस</P> <P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P> <P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG> </P> <P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P> <P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P> <P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के लिये ॥</P> <P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो |<BR>– शेख सादी</P> <P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P> <P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन </P> <P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने लगो।</P> <P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्‍वाइन डी. आइसनहॉवर</P> <P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्‍वाइश हो तो वो दोनो चुनता है .<BR>— आस्‍कर वाइल्‍ड</P> <P>दो आदमी एक ही वक्‍त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P> <P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P> <P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P> <P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P> <P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>– कन्फ्यूशियस</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P> <P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता जीव समेत ॥</P> <P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P> <P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P> <P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P> <P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है&nbsp;: भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P> <P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P> <P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत</P> <P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P> <P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद् मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P> <P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P> <P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P> <P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P> <P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P> <P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P> <P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P> <P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P> <P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P> <p>राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।<br> - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार </p> <p>विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।<br> - वाल्टर चेनिंग</p> <p>हिंदी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये।<br> - बेरिस कल्यएव।</p> <p>एखन जतोगुलि भाषा भारते प्रचलित आछे ताहार मध्ये हिन्दी भाषा सर्वत्रइ प्रचलित।<br> - केशवचंद्र सेन।</p> <p>इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।<br> - राहुल सांकृत्यायन।</p> <p>यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है।<br> - शिवनंदन सहाय।</p> <p>भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।<br> - शिवपूजन सहाय।</p> <p>हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।<br> - देवव्रत शास्त्री।</p> <p>संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।<br> - डॉ. फादर कामिल बुल्के।</p> <p>अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिये ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता समझता है।<br> - महात्मा गाँधी।</p> <p>संप्रति जितनी भाषाएं भारत में प्रचलित हैं उनमें से हिंदी भाषा प्राय: सर्वत्र व्यवहृत होती है।<br> - केशवचंद्र सेन।</p> <p>मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती।<br> - मैथिलीशरण गुप्त।</p> <p>क्रांतदर्शी होने के कारण ऋषि दयानंद ने देशोन्नति के लिये हिंदी भाषा को अपनाया था।<br> - विष्णुदेव पौद्दार।</p> <p>मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।<br>- विनोबा भावे।</p> <p>आज का आविष्कार कल का साहित्य है।<br> - माखनलाल चतुर्वेदी।</p> <p>हिंदी विश्व की महान भाषा है।' - राहुल सांकृत्यायन।</p> <p>सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिंदी महानतम स्थान रखती है।<br> - अमरनाथ झा।</p> <p>भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हिंदी भाषा कुछ न कुछ सर्वत्र समझी जाती है।<br> - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार।</p> <p>हिंदी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।<br> - महात्मा गांधी।</p> <p>राष्ट्रभाषा की साधना कोरी भावुकता नहीं है।<br> - जगन्नाथप्रसाद मिश्र।</p> <p>हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।<br> - स्वामी दयानंद।</p> <p>हिन्दी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।<br>- धीरेन्द्र वर्मा।</p> <p>हिंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी।<br>- पं. नेहरू।</p> <p>हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने के हेतु हुए अनुष्ठान को मैं संस्कृति का राजसूय यज्ञ समझता हूँ। <br>- आचार्य क्षितिमोहन सेन।</p> <p>संस्कृत के अपरिमित कोश से हिन्दी शब्दों की सब कठिनाइयाँ सरलता से हल कर लेगी।<br> - राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन।</p> <P></P> <P></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P> <P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P> <p>समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।<br> - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर</p> <P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P> <P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।<BR>— जान क्राइस्ट </P> <P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-— खुशवन्त सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P> <P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P> <P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>— यू थान्ट</P> <P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P> <P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P> <P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P> <P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P> <P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P> <P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P> <P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P> <P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P> <P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P> <P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P> <P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते |<BR>-– सल्वाडोर डाली</P> <P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P> <P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P> <P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P> <P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P> <P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान डायक</P> <P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>– महाभारत</P> <P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P> <P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>– खलील जिब्रान</P> <P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P> <P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P> <P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता ) है ।</P> <P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि गये कि सोय ॥</P> <P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P> <P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P> <P>हे भगवान&nbsp;! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक / सुख / दुख</FONT></STRONG></P> <P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के लिये हँसी बनायी है ।</P> <P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-– टैगोर</P> <P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P> <P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P> <P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब कोय।।<BR>—-रहीम</P> <P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्‍टपोंड कर दो, यह तो वो है जो हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P> <P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P> <P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>— अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P> <P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P> <P>हे दरिद्रते&nbsp;! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P> <P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये मत्कुणशंकया ॥</P> <P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P> <P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी&nbsp;? )</P> <P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो ) विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P> <P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी कॉमेडी भर देगी&nbsp;?<BR>-– डिक कैवेट</P> <P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P> <P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P> <P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P> <P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है.</P> <P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P> <P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P> <P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P> <P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P> <P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी किसिंजर</P> <P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P> <P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P> <P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P> <P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P> <P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P> <P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता.</P> <P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P> <P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो&nbsp;?</P> <P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता है।</P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P> <P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना&nbsp;; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P> <P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो&nbsp;! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । )</P> <P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय । )</P> <P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P> <P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P> <P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं ।<BR>— महाभारत </P> <P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी / असत्य</FONT></STRONG></P> <P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P> <P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P> <P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P> <P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये ।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये&nbsp;; यही सनातन धर्म है ॥</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद व्यास</P> <P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P> <P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P> <P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>- लीमैन बीकर</P> <P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है ।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P> <P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P> <P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P> <P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P> <P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P> <P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है ।<BR>–सुदर्शन </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P> <P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P> <P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>— बेंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P> <P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का स्वागत करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P> <P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>— बोबी</P> <P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P> <P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे , क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P> <P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P> <P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P> <P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P> <P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P> <P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P> <P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़ सादी</P> <P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P> <P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P> <P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P> <P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>— दीनानाथ दिनेश</P> <P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P> <P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P> <P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है। क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>- हितोपदेश</P> <P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास / वैराग्य</FONT></STRONG></P> <P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P> <P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P> <P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है।<BR>- सांख्य दर्शन</P> <P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम बुद्ध (धम्मपद ७) </P> <P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P> <P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P> <P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार / प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P> <P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥</P> <P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है&nbsp;; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P> <P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P> <P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P> <P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P> <P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P> <P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P> <P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P> <P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>- उत्तररामचरित</P> <P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P> <P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P> <P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित होय ॥</P> <P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P> <P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी लात ॥<BR>— रहीम</P> <P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है ।</P> <P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P> <P><STRONG>सदाचार</STRONG></P> <P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P> <P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P> <P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी भवेत ॥</P> <P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P> <P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P> <P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और न धर्म है&nbsp;; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु , मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी) |<BR>-– चार्ली चेपलिन</P> <P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस</P> <P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P> <P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ वाल्डो इमर्सन</P> <P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत |<BR>-– हेनरी एडम्स</P> <P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P> <P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़. जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P> <P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है.</P> <P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं.</P> <P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- - शेक्सपीयर</P> <P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P> <P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक अभियान है।<BR>- ओशो </P> <P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर) काव्यादर्श</P> <P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति दूर।।<BR>——रहीम</P> <P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता (अध्याय 2/62, 63)</P> <P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P> <P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P> <P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P> <P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P> <P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P> <P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P> <P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P> <P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P> <P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये ।<BR>— यशपाल </P> <P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है ।<BR>— सावरकर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार कौशल</FONT></STRONG></P> <P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से ॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P> <P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P> <P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P> <P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P> <P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै तरवारि।।<BR>—–रहीम</P> <P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे मीत ॥</P> <P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P> <P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या परोस ॥</P> <P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान ॥</P> <P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय ॥</P> <P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P> <P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना चाहिये । )</P> <P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P> <P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य </P> <P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P> <P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं ।<BR>–रवीन्द्र </P> <P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये ।<BR>— कुमार सम्भव</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P> <P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P> <P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P> <P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P> <P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P> <P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह / सपने देखना</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P> <P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P> <P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P> <P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P> <P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P> <P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता रहता है । ) </P> <P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है ।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला ।</P> <P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P> <P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P> <P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P> <P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता / पराधीनता</FONT></STRONG></P> <P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P> <P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P> <P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P> <P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P> <P>नरक क्या है&nbsp;? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P> <P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P> <P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P> <P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P> <P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी, राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P> <P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P> <P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो.</P> <P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P> <P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P> <P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P> <P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P> <P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है |<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P> <P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P> <P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे ब्रेडबरी</P> <P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P> <P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P> <P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P> <P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है.</P> <P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं&nbsp;; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P> <P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P> <P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P> <P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P> <P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्‍मत</FONT></STRONG></P> <P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P> <P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>- जे.बी. एस. हॉल्डेन</P> <P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग मेनडिनो</P> <P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P> <P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P> <P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P> <P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P> <P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>— विनोबा </P> <P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>— स्वामी विवेकाननद</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P> <P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P> <P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के नाथ ॥</P> <P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश वाणी</FONT></STRONG></P> <P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P> <P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P> <P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता&nbsp;? )</P> <P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P> <P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P> <P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P> <P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय ॥</P> <P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P> <P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥</P> <P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P> <P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P> <P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P> <P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P> <P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P> <P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट रदरफ़र्ड</P> <P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P> <P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>को रुक् , को रुक् , को रुक्&nbsp;?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है&nbsp;?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P> <P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P> <P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P> <P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P> <P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P> <P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P> <P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) </P> <P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P> <P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P> <P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P> <P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P> <P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P> <P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>— बेन्जामिन</P> <P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P> <P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं&nbsp;; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P> <P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परमार्थ&nbsp;: उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता ।</P> <P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P> <P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P> <P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-– थियोडॉर रूज़वेल्ट</P> <P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया.</P> <P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P> <P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P> <P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P> <P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P> <P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P> <P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी सूक्ति</P> <P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस ट्रुमेन</P> <P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P> <P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली.</P> <P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P> <P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट ग्रेव्स</P> <P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है.</P> <P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी&nbsp;?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P> <P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी ( माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P> <P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P> <P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P> <P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी)</P> <P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय ॥</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P> <P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P> <P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P> <P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P> <P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं ।</P> <P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P> <P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P> <P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल कर ॥<BR>— दाग</P> <P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P> <P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा </P> <P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P> <P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P> <P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P> <P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P> <P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P> <P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी </P> <P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद </P> <P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं।<BR>–अज्ञात</P> <P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात </P> <P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - सादी </P> <P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P> <P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात </P> <P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P> <P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P> <P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात </P> <P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र </P> <P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा </P> <P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। - प्रेमचंद </P> <P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P> <P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है । -मुक्ता </P> <P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P> <P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P> <P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P> <P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P> <P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P> <P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद </P> <P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द </P> <P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। - विनोबा </P> <P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P> <P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद </P> <P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P> <P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि </P> <P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन खिमेनेस</P> <P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P> <P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P> <P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P> <P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P> <P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है , बल प्रयोग नहीं )</P> <P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक है । )</P> <P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P> <P>अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता है । )</P> <P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P> <P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है । )</P> <P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P> <P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P> <P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P> <P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> 3442 2005-10-13T05:01:47Z 210.212.158.130 <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल वचन</FONT> </STRONG></P> <P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P> <P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू अर्नाल्ड</P> <P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं&nbsp;; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P> <P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P> <P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P> <P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है।<BR>— आईजक दिसराली</P> <P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P> <P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P> <P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )</P> <P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है&nbsp;? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P> <P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P> <P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है&nbsp;; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो. हाल</P> <P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P> <P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री</P> <P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P> <P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P> <P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P> <P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P> <P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं&nbsp;; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P> <P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग / टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P> <P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P> <P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री जैकब</P> <P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।</P> <P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं&nbsp;; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड केल्विन</P> <P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P> <P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P> <P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P> <P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P> <P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P> <P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P> <P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>- फ्रायड </P> <P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी ।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P> <P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P> <P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P> <P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P> <P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>— गोथे </P> <P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P> <P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P> <P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P> <P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग विटगेंस्टाइन</P> <P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।</P> <P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P> <P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P> <P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>- शिशुपाल वध</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P> <P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P> <P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत गोपाल शेवड़े </P> <P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है ।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P> <P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P> <P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥</P> <P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>— महाभारत</P> <P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥</P> <P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है&nbsp;? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P> <P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P> <P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।</P> <P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास </P> <P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P> <P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P> <P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और साथ-साथ काम करो )</P> <P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>— रैन्डाल्फ</P> <P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P> <P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग ।<BR>— रहीम</P> <P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P> <P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P> <P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P> <P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । </P> <P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ&nbsp;; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।</P> <P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P> <P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है&nbsp;; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P> <P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P> <P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।</P> <P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।</P> <P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P> <P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>— आर. जी. इंगरसोल</P> <P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P> <P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P> <P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P> <P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>- डब्ल्यू.एच.आडेन</P> <P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>- किर्केगार्द</P> <P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-– एरमा बॉम्बेक</P> <P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P> <P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P> <P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P> <P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि ॥<BR>— कबीर</P> <P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P> <P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P> <P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।<BR>- पंचतंत्र</P> <P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>- अथर्ववेद</P> <P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है&nbsp;: डर तथा स्वार्थ |<BR>-– नेपोलियन</P> <P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P> <P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P> <P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P> <P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P> <P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P> <P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>— ग्लेडस्टन</P> <P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट कियोसाकी</P> <P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर वाइल्ड</P> <P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>— सिसरो</P> <P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P> <P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड फ्रायड</P> <P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नही गया।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P> <P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P> <P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।।<BR>— रहीम</P> <P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के विद्या विष के समान है (&nbsp;?) )</P> <P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही होय ॥</P> <P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P> <P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P> <P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>— श्रीरामशर्मा आचार्य </P> <P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।<BR>— हक्सले</P> <P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P> <P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>— नैपोलियन हिल</P> <P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P> <P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>— हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P> <P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P> <P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं , दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P> <P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P> <P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P> <P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P> <P>हार का स्‍वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्‍कम फोर्बस</P> <P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P> <P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्‍ते होते हैं लेकिन व्‍यू सब जगह से एक सा दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P> <P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्‍योंकि वहाँ कम्‍पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P> <P>सफलता के लिये कोई लिफ्‍ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P> <P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर बदल सकते हैं।</P> <P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P> <P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है&nbsp;; असफला की सीढी है , हर किसी को प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P> <P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P> <P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है&nbsp;? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P> <P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P> <P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P> <P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड शॉ</P> <P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P> <P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P> <P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥<BR>— रहीम</P> <P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P> <P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा<BR>—–घाघ</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P> <P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं , अहा&nbsp;! क्या रूप है&nbsp;? अहा&nbsp;! क्या आवाज है&nbsp;? )</P> <P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P> <P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P> <P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>— विलियम जेम्स</P> <P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>— फ्रंकलिन</P> <P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P> <P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P> <P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-– नॉर्मन विंसेंट पील</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P> <P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P> <P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P> <P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P> <P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P> <P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो शीश ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P> <P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P> <P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )<BR>— महाकवि माघ</P> <P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>- भर्तृहरि</P> <P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P> <P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P> <P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>— चाणक्य</P> <P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये ।</P> <P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P> <P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P> <P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P> <P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम तरीका है ।</P> <P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है ।</P> <P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P> <P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P> <P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी काम पूरा किया जा सकता है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P> <P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P> <P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P> <P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P> <P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P> <P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है । निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है ।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P> <P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P> <P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P> <P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम) मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P> <P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P> <P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P> <P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P> <P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध&nbsp;: इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P> <P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P> <P>कार्पोरेशन&nbsp;: व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P> <P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P> <P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P> <P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P> <P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P> <P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>- जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा. राधाकृष्णन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P> <P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P> <P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।<BR>— दसकुमारचरित</P> <P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P> <P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P> <P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है&nbsp;; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P> <P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये ।<BR>— रामायण </P> <P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का हित है।<BR>— चाणक्य </P> <P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P> <P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र</FONT></STRONG></P> <P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P> <P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।</P> <P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P> <P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद </P> <P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P> <P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P> <P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी उलोआ</P> <P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।</P> <P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P> <P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P> <P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P> <P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>— फिदेल कास्त्रो</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है , देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है , वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P> <P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P> <P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P> <P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P> <P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥</P> <P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P> <P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P> <P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P> <P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P> <P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P> <P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की हूक ॥</P> <P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P> <P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P> <P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )</P> <P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है.<BR>-– एनॉन</P> <P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P> <P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P> <P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P> <P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P> <P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>— विन्स्टन चर्चिल</P> <P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P> <P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P> <P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P> <P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P> <P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P> <P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P> <P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P> <P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P> <P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है&nbsp;; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P> <P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।</P> <P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P> <P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>— जार्ज सन्तायन</P> <P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P> <P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी डैरो</P> <P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT> </STRONG></P> <P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P> <P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है&nbsp;? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है&nbsp;? </P> <P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है&nbsp;?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| </P> <P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P> <P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P> <P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P> <P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P> <P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ </P> <P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की ।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P> <P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P> <P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P> <P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़ </P> <P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P> <P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P> <P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल कार्नेगी</P> <P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P> <P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P> <P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य</FONT></STRONG></P> <P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।</P> <P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P> <P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P> <P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P> <P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P> <P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P> <P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।</P> <P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-– रुडयार्ड किपलिंग</P> <P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>- नीतसार</P> <P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P> <P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P> <P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं&nbsp;; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P> <P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P> <P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P> <P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स मेडिसन</P> <P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा&nbsp;; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं ।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT> </STRONG></P> <P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>— ममफोर्ड</P> <P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है , लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P> <P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P> <P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P> <P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं ।</P> <P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P> <P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P> <P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P> <P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P> <P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है <DL> <DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है <DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को </DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर <P></P> <P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>— मकियावेली</P> <P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>— कुर्त लेविन</P> <P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर ड्रकर</P> <P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P> <P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P> <P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P> <P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P> <P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P> <P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥</P> <P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P> <P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P> <P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P> <P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।</P> <P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P> <P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P> <P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था.</P> <P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P> <P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P> <P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक हाकिन्स</P> <P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P> <P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा / पैराडाक्स</FONT></STRONG></P> <P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>ची‍टी ले शक्कर चली , हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P> <P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P> <P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत से चलाये जाते हैं ।</P> <P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं ।</P> <P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स डार्विन</P> <P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना ।<BR>— डिजराइली</P> <P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है&nbsp;; और जिस व्यक्ति के पास कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P> <P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P> <P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा&nbsp;; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P> <P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है ।</P> <P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है ।</P> <P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P> <P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P> <P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन</FONT></STRONG></P> <P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस ब्राउन</P> <P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P> <P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P> <P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P> <P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P> <P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P> <P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P> <P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P> <P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P> <P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता&nbsp;?<BR>- विवेकानंद</P> <P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती&nbsp;; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना ।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P> <P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P> <P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच&nbsp;!</P> <P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़ होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल चिन्तन</FONT></STRONG></P> <P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार ॥<BR>— कबीर</P> <P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया खुदाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P> <P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>— बेकन</P> <P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P> <P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P> <P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P> <P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )</P> <P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P> <P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै अंग।।</P> <P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला है ।<BR>— गिब्बन</P> <P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P> <P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P> <P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P> <P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P> <P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P> <P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म</FONT></STRONG></P> <P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P> <P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥</P> <P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P> <P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P> <P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न अपने हाथ ॥</P> <P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P> <P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P> <P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P> <P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P> <P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P> <P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश महाकाव्यम्</P> <P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।</P> <P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P> <P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P> <P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P> <P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।<BR>— एडिशन</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P> <P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P> <P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P> <P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।<BR>- गेटे</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P> <P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है ।<BR>–विनोबा </P> <P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर </P> <P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P> <P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय ।<BR>–रहीम</P> <P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P> <P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस कार्लाइल</P> <P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।</P> <P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>— सैमुएल स्माइल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P> <P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P> <P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P> <P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली</P> <P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P> <P>आराम हराम है.</P> <P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P> <P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>- बैंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P> <P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए&nbsp;?<BR>- रामतीर्थ</P> <P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी /</FONT></STRONG></P> <P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे करना , श्रृजन है ।</P> <P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P> <P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड) करने की कोशिश करता है । </P> <P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P> <P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P> <P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P> <P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| </P> <P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं&nbsp;: कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P> <P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P> <P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P> <P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड बोम (१९१७-१९९२)</P> <P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P> <P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P> <P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- - फ़ोर्ब्स</P> <P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।<BR>— आइन्स्टीन</P> <P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P> <P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P> <P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P> <P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं&nbsp;; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —</P> <P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P> <P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है&nbsp;; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P> <P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P> <P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स देवर</P> <P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P> <P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P> <P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P> <P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P> <P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P> <P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P> <P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-– विनोबा</P> <P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P> <P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत </P> <P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है ।<BR>— हितोपदेश </P> <P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P> <P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है , बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी जाता है )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान /</FONT></STRONG></P> <P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है । )</P> <P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥</P> <P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान देखता है , वही पण्डित है । )</P> <P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>- बर्नारड शा</P> <P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से लाय ॥<BR>— रहीम </P> <P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P> <P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात </P> <P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट / शठ</FONT></STRONG></P> <P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>— चाणक्य</P> <P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P> <P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P> <P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं.</P> <P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P> <P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P> <P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद झूठा<BR>—–गिरधर</P> <P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत ॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P> <P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति बिपरीत ॥</P> <P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P> <P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P> <P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।<BR>— ब्रूचे</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥</P> <P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P> <P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P> <P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का विनाश हो जाता है ।</P> <P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है ।<BR>— डा. शाकली</P> <P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान राइस</P> <P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P> <P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG> </P> <P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P> <P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P> <P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के लिये ॥</P> <P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो |<BR>– शेख सादी</P> <P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P> <P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन </P> <P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने लगो।</P> <P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्‍वाइन डी. आइसनहॉवर</P> <P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्‍वाइश हो तो वो दोनो चुनता है .<BR>— आस्‍कर वाइल्‍ड</P> <P>दो आदमी एक ही वक्‍त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P> <P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P> <P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P> <P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P> <P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>– कन्फ्यूशियस</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P> <P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता जीव समेत ॥</P> <P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P> <P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P> <P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P> <P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है&nbsp;: भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P> <P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P> <P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत</P> <P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P> <P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद् मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P> <P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P> <P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P> <P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P> <P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P> <P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P> <P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P> <P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P> <P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P> <p>राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।<br> - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार </p> <p>विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।<br> - वाल्टर चेनिंग</p> <p>हिंदी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये।<br> - बेरिस कल्यएव।</p> <p>एखन जतोगुलि भाषा भारते प्रचलित आछे ताहार मध्ये हिन्दी भाषा सर्वत्रइ प्रचलित।<br> - केशवचंद्र सेन।</p> <p>इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।<br> - राहुल सांकृत्यायन।</p> <p>यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है।<br> - शिवनंदन सहाय।</p> <p>भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।<br> - शिवपूजन सहाय।</p> <p>हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।<br> - देवव्रत शास्त्री।</p> <p>संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।<br> - डॉ. फादर कामिल बुल्के।</p> <p>अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिये ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता समझता है।<br> - महात्मा गाँधी।</p> <p>संप्रति जितनी भाषाएं भारत में प्रचलित हैं उनमें से हिंदी भाषा प्राय: सर्वत्र व्यवहृत होती है।<br> - केशवचंद्र सेन।</p> <p>मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती।<br> - मैथिलीशरण गुप्त।</p> <p>क्रांतदर्शी होने के कारण ऋषि दयानंद ने देशोन्नति के लिये हिंदी भाषा को अपनाया था।<br> - विष्णुदेव पौद्दार।</p> <p>मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।<br>- विनोबा भावे।</p> <p>आज का आविष्कार कल का साहित्य है।<br> - माखनलाल चतुर्वेदी।</p> <p>हिंदी विश्व की महान भाषा है।' - राहुल सांकृत्यायन।</p> <p>सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिंदी महानतम स्थान रखती है।<br> - अमरनाथ झा।</p> <p>भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हिंदी भाषा कुछ न कुछ सर्वत्र समझी जाती है।<br> - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार।</p> <p>हिंदी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।<br> - महात्मा गांधी।</p> <p>राष्ट्रभाषा की साधना कोरी भावुकता नहीं है।<br> - जगन्नाथप्रसाद मिश्र।</p> <p>हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।<br> - स्वामी दयानंद।</p> <p>हिन्दी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।<br>- धीरेन्द्र वर्मा।</p> <p>हिंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी।<br>- पं. नेहरू।</p> <p>हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने के हेतु हुए अनुष्ठान को मैं संस्कृति का राजसूय यज्ञ समझता हूँ। <br>- आचार्य क्षितिमोहन सेन।</p> <p>संस्कृत के अपरिमित कोश से हिन्दी शब्दों की सब कठिनाइयाँ सरलता से हल कर लेगी।<br> - राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन।</p> <P></P> <P></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P> <P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P> <p>समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।<br> - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर</p> <P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P> <P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।<BR>— जान क्राइस्ट </P> <P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-— खुशवन्त सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P> <P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P> <P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>— यू थान्ट</P> <P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P> <P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P> <P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P> <P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P> <P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P> <P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P> <P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P> <P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P> <P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P> <P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P> <P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते |<BR>-– सल्वाडोर डाली</P> <P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P> <P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P> <P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P> <P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P> <P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान डायक</P> <P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>– महाभारत</P> <P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P> <P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>– खलील जिब्रान</P> <P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P> <P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P> <P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता ) है ।</P> <P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि गये कि सोय ॥</P> <P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P> <P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P> <P>हे भगवान&nbsp;! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक / सुख / दुख</FONT></STRONG></P> <P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के लिये हँसी बनायी है ।</P> <P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-– टैगोर</P> <P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P> <P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P> <P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब कोय।।<BR>—-रहीम</P> <P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्‍टपोंड कर दो, यह तो वो है जो हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P> <P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P> <P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>— अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P> <P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P> <P>हे दरिद्रते&nbsp;! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P> <P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये मत्कुणशंकया ॥</P> <P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P> <P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी&nbsp;? )</P> <P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो ) विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P> <P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी कॉमेडी भर देगी&nbsp;?<BR>-– डिक कैवेट</P> <P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P> <P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P> <P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P> <P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है.</P> <P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P> <P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P> <P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P> <P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P> <P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी किसिंजर</P> <P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P> <P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P> <P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P> <P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P> <P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P> <P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता.</P> <P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P> <P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो&nbsp;?</P> <P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता है।</P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P> <P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना&nbsp;; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P> <P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो&nbsp;! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । )</P> <P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय । )</P> <P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P> <P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P> <P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं ।<BR>— महाभारत </P> <P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी / असत्य</FONT></STRONG></P> <P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P> <P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P> <P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P> <P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये ।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये&nbsp;; यही सनातन धर्म है ॥</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद व्यास</P> <P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P> <P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P> <P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>- लीमैन बीकर</P> <P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है ।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P> <P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P> <P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P> <P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P> <P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P> <P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है ।<BR>–सुदर्शन </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P> <P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P> <P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>— बेंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P> <P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का स्वागत करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P> <P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>— बोबी</P> <P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P> <P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे , क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P> <P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P> <P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P> <P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P> <P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P> <P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P> <P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़ सादी</P> <P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P> <P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P> <P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P> <P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>— दीनानाथ दिनेश</P> <P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P> <P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P> <P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है। क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>- हितोपदेश</P> <P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास / वैराग्य</FONT></STRONG></P> <P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P> <P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P> <P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है।<BR>- सांख्य दर्शन</P> <P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम बुद्ध (धम्मपद ७) </P> <P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P> <P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P> <P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार / प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P> <P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥</P> <P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है&nbsp;; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P> <P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P> <P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P> <P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P> <P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P> <P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P> <P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P> <P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>- उत्तररामचरित</P> <P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P> <P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P> <P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित होय ॥</P> <P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P> <P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी लात ॥<BR>— रहीम</P> <P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है ।</P> <P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P> <P><STRONG>सदाचार</STRONG></P> <P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P> <P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P> <P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी भवेत ॥</P> <P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P> <P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P> <P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और न धर्म है&nbsp;; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु , मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी) |<BR>-– चार्ली चेपलिन</P> <P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस</P> <P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P> <P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ वाल्डो इमर्सन</P> <P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत |<BR>-– हेनरी एडम्स</P> <P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P> <P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़. जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P> <P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है.</P> <P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं.</P> <P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- - शेक्सपीयर</P> <P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P> <P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक अभियान है।<BR>- ओशो </P> <P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर) काव्यादर्श</P> <P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति दूर।।<BR>——रहीम</P> <P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता (अध्याय 2/62, 63)</P> <P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P> <P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P> <P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P> <P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P> <P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P> <P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P> <P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P> <P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P> <P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये ।<BR>— यशपाल </P> <P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है ।<BR>— सावरकर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार कौशल</FONT></STRONG></P> <P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से ॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P> <P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P> <P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P> <P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P> <P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै तरवारि।।<BR>—–रहीम</P> <P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे मीत ॥</P> <P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P> <P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या परोस ॥</P> <P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान ॥</P> <P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय ॥</P> <P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P> <P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना चाहिये । )</P> <P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P> <P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य </P> <P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P> <P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं ।<BR>–रवीन्द्र </P> <P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये ।<BR>— कुमार सम्भव</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P> <P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P> <P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P> <P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P> <P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P> <P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह / सपने देखना</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P> <P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P> <P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P> <P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P> <P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P> <P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता रहता है । ) </P> <P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है ।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला ।</P> <P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P> <P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P> <P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P> <P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता / पराधीनता</FONT></STRONG></P> <P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P> <P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P> <P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P> <P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P> <P>नरक क्या है&nbsp;? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P> <P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P> <P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P> <P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P> <P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी, राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P> <P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P> <P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो.</P> <P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P> <P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P> <P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P> <P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P> <P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है |<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P> <P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P> <P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे ब्रेडबरी</P> <P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P> <P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P> <P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P> <P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है.</P> <P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं&nbsp;; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P> <P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P> <P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P> <P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P> <P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्‍मत</FONT></STRONG></P> <P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P> <P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>- जे.बी. एस. हॉल्डेन</P> <P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग मेनडिनो</P> <P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P> <P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P> <P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P> <P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P> <P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>— विनोबा </P> <P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>— स्वामी विवेकाननद</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P> <P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P> <P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के नाथ ॥</P> <P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश वाणी</FONT></STRONG></P> <P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P> <P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P> <P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता&nbsp;? )</P> <P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P> <P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P> <P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P> <P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय ॥</P> <P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P> <P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥</P> <P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P> <P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P> <P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P> <P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P> <P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P> <P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट रदरफ़र्ड</P> <P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P> <P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>को रुक् , को रुक् , को रुक्&nbsp;?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है&nbsp;?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P> <P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P> <P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P> <P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P> <P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P> <P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P> <P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) </P> <P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P> <P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P> <P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P> <P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P> <P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P> <P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>— बेन्जामिन</P> <P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P> <P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं&nbsp;; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P> <P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परमार्थ&nbsp;: उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता ।</P> <P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P> <P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P> <P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-– थियोडॉर रूज़वेल्ट</P> <P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया.</P> <P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P> <P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P> <P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P> <P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P> <P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P> <P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी सूक्ति</P> <P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस ट्रुमेन</P> <P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P> <P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली.</P> <P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P> <P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट ग्रेव्स</P> <P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है.</P> <P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी&nbsp;?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P> <P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी ( माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P> <P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P> <P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P> <P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी)</P> <P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय ॥</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P> <P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P> <P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P> <P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P> <P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं ।</P> <P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P> <P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P> <P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल कर ॥<BR>— दाग</P> <P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P> <P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा </P> <P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P> <P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P> <P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P> <P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P> <P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P> <P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी </P> <P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद </P> <P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं।<BR>–अज्ञात</P> <P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात </P> <P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - सादी </P> <P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P> <P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात </P> <P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P> <P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P> <P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात </P> <P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र </P> <P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा </P> <P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। - प्रेमचंद </P> <P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P> <P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है । -मुक्ता </P> <P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P> <P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P> <P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P> <P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P> <P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P> <P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद </P> <P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द </P> <P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। - विनोबा </P> <P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P> <P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद </P> <P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P> <P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि </P> <P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन खिमेनेस</P> <P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P> <P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P> <P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P> <P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P> <P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है , बल प्रयोग नहीं )</P> <P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक है । )</P> <P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P> <P>अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता है । )</P> <P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P> <P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है । )</P> <P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P> <P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P> <P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P> <P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> 3864 2006-04-23T12:47:06Z 203.145.136.5 <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुभाषित / सूक्ति / उद्धरण / सुविचार / अनमोल वचन</FONT> </STRONG></P> <P>पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।<BR>— संस्कृत सुभाषित</P> <P>विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।<BR>— मैथ्यू अर्नाल्ड</P> <P>संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं&nbsp;; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।<BR>— चाणक्य</P> <P>सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।<BR>— गोथे</P> <P>मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।<BR>— इमर्सन</P> <P>किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा।<BR>— सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है।<BR>— आईजक दिसराली</P> <P>— मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।</P> <P>सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नही हो सकती।<BR>— राबर्ट हेमिल्टन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गणित</FONT></STRONG></P> <P>यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।<BR>तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥<BR>— वेदांग ज्योतिष<BR>( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । )</P> <P>बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।<BR>यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥<BR>— महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ<BR>( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है&nbsp;? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )</P> <P>ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है ।<BR>— गैलिलियो</P> <P>गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है&nbsp;; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी ।<BR>— प्रो. हाल</P> <P>काफी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है । इसका सम्बन्ध सी.डी से , कैट-स्कैन से , पार्किंग-मीटरों से , राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है । गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं ।<BR>— गरफंकल , १९९७</P> <P>गणित एक भाषा है ।<BR>— जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स , अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री</P> <P>लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ ।</P> <P>यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञान</FONT></STRONG></P> <P>विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट</P> <P>विज्ञान की तीन विधियाँ हैं - सिद्धान्त , प्रयोग और सिमुलेशन ।</P> <P>विज्ञान की बहुत सारी परिकल्पनाएँ गलत हैं&nbsp;; यह पूरी तरह ठीक है । ये ( गलत परिकल्पनाएँ) ही सत्य-प्राप्ति के झरोखे हैं ।</P> <P>हम किसी भी चीज को पूर्णतः ठीक तरीके से परिभाषित नहीं कर सकते । अगर ऐसा करने की कोशिश करें तो हम भी उसी वैचारिक पक्षाघात के शिकार हो जायेगे जिसके शिकार दार्शनिक होते हैं ।<BR>— रिचर्ड फ़ेनिमैन</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग / टेक्नालोजी</FONT></STRONG></P> <P>पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता ।<BR>-आर्थर सी. क्लार्क</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>वैज्ञानिक इस संसार का , जैसे है उसी रूप में , अध्ययन करते हैं । इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं ।<BR>— थियोडोर वान कार्मन</P> <P>मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें ।<BR>— सुश्री जैकब</P> <P>इंजिनीररिंग संख्याओं मे की जाती है । संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है ।</P> <P>जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं&nbsp;; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है ।<BR>— लार्ड केल्विन</P> <P>आवश्यकता डिजाइन का आधार है । किसी चीज को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है ।</P> <P>तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है । हम तकनीकी रूप से विकास नही कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कम्प्यूटर / इन्टरनेट</FONT></STRONG></P> <P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है.<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P> <P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P> <P>कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं.<BR>— क्लिफ़ोर्ड स्टॉल</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कला</FONT></STRONG></P> <P>कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है ।</P> <P>कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है।<BR>- फ्रायड </P> <P>मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल खरीदना पसंद करूंगा। पेट खाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है ।<BR>–रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी ।<BR>–रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है |<BR>–मुक्ता </P> <P>कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर </P> <P>कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है ।<BR>— अज्ञात </P> <P>कवि और चित्रकार में भेद है । कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।<BR>— डा रामकुमार वर्मा </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाषा / स्वभाषा</FONT></STRONG></P> <P>निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल ।<BR>बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥<BR>— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र</P> <P>जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता , वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नही जानता ।<BR>— गोथे </P> <P>भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।<BR>— बेन्जामिन होर्फ </P> <P>शब्द विचारों के वाहक हैं ।</P> <P>शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।</P> <P>मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।<BR>- लुडविग विटगेंस्टाइन</P> <P>आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।</P> <P>..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P> <P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है.<BR>-– लिली टॉमलिन</P> <P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>- शिशुपाल वध</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहित्य </FONT></STRONG></P> <P>साहित्य समाज का दर्पण होता है ।</P> <P>साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।<BR>( साहित्य संगीत और कला से हीन पुरूष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है |<BR>–अनंत गोपाल शेवड़े </P> <P>साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है , परंतु एक नया वातावरण देना भी है ।<BR>— डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ</FONT></STRONG></P> <P>संघे शक्तिः ( एकता में शति है )</P> <P>हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् ।<BR>समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥</P> <P>हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।<BR>— महाभारत</P> <P>यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च ।<BR>पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥</P> <P>जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है&nbsp;? गुणियों का साथ )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>सत्संगतिः स्वर्गवास: ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है ) </P> <P>संहतिः कार्यसाधिका । ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं , बाकी सब काम की तलाश करते हैं ।<BR>— कियोसाकी</P> <P>मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।</P> <P>शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।<BR>पारस परस कुधातु सुहाई ॥<BR>— गोस्वामी तुलसीदास </P> <P>गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । ( हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है )<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>बिना सहकार , नहीं उद्धार ।</P> <P>उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् ।<BR>( उठो , जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । )</P> <P>नहीं संगठित सज्जन लोग ।<BR>रहे इसी से संकट भोग ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सहनाववतु , सह नौ भुनक्तु , सहवीर्यं करवाहहै ।<BR>( एक साथ आओ , एक साथ खाओ और साथ-साथ काम करो )</P> <P>अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।<BR>— रैन्डाल्फ</P> <P>काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय<BR>एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागिहै।<BR>—–अज्ञात</P> <P>जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग<BR>चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग ।<BR>— रहीम</P> <P>जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।<BR>–मुक्ता </P> <P>एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन</FONT></STRONG></P> <P>दुनिया की सबसे बडी खोज ( इन्नोवेशन ) का नाम है - संस्था ।</P> <P>आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है । </P> <P>कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ&nbsp;; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है ।</P> <P>उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी ।</P> <P>बाँटो और राज करो , एक अच्छी कहावत है&nbsp;; ( लेकिन ) एक होकर आगे बढो , इससे भी अच्छी कहावत है ।<BR>— गोथे</P> <P>व्यक्तियों से राष्ट्र नही बनता , संस्थाओं से राष्ट्र बनता है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।<BR>पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )</P> <P>इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।</P> <P>जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।</P> <P>बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।</P> <P>बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।<BR>— आर. जी. इंगरसोल</P> <P>जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।</P> <P>मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P> <P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- वल्लभभाई पटेल</P> <P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>- डब्ल्यू.एच.आडेन</P> <P>शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।<BR>- किर्केगार्द</P> <P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-– एरमा बॉम्बेक</P> <P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.</P> <P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P> <P>अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं।<BR>–जवाहरलाल नेहरू </P> <P>जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।<BR>मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि ॥<BR>— कबीर</P> <P>वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भय, अभय , निर्भय</FONT></STRONG></P> <P>तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् ।<BR>आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥</P> <P>भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते।<BR>- पंचतंत्र</P> <P>‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें।<BR>- अथर्ववेद</P> <P>आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है&nbsp;: डर तथा स्वार्थ |<BR>-– नेपोलियन</P> <P>डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है |<BR>-– एमर्सन</P> <P>अभय-दान सबसे बडा दान है ।</P> <P>भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं ।<BR>— विवेकानंद </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>दोष / गलती / त्रुटि</FONT></STRONG></P> <P>गलती करने में कोई गलती नहीं है ।</P> <P>गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।</P> <P>बहुत सी तथा बदी गलतियाँ किये बिना कोई बडा आदमी नहीं बन सकता ।<BR>— ग्लेडस्टन</P> <P>मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज्यादा गलतियाँ की जिनका मानना था कि गलती करना बुरा था , या गलती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे ।<BR>— राबर्ट कियोसाकी</P> <P>सीधे तौर पर अपनी गलतियों को ही हम अनुभव का नाम दे देते हैं ।<BR>— आस्कर वाइल्ड</P> <P>गलती तो हर मनुष्य कर सकता है , पर केवल मूर्ख ही उस पर दृढ बने रहते हैं ।<BR>— सिसरो</P> <P>अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है । इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>दोष निकालना सुगम है , उसे ठीक करना कठिन ।<BR>— प्लूटार्क</P> <P>त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है |<BR>-– सिगमंड फ्रायड</P> <P>गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नही गया।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P> <P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.</P> <P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।।<BR>— रहीम</P> <P>अनभ्यासेन विषं विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के विद्या विष के समान है (&nbsp;?) )</P> <P>यह रहीम निज संग लै , जनमत जगत न कोय ।<BR>बैर प्रीति अभ्यास जस , होत होत ही होय ॥</P> <P>अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती ।<BR>— अज्ञात </P> <P>अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते ।<BR>–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सफलता, असफलता</FONT></STRONG></P> <P>असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया<BR>गया ।<BR>— श्रीरामशर्मा आचार्य </P> <P>जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है ।<BR>— हक्सले</P> <P>जो कभी भी कहीं असफल नही हुआ वह आदमी महान नही हो सकता ।<BR>— हर्मन मेलविल</P> <P>असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है ।<BR>— नैपोलियन हिल</P> <P>सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं ।</P> <P>असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौका मात्र है ।<BR>— हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं।<BR>- थामस इलियट</P> <P>दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं।<BR>- इमर्सन<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो ।</P> <P>जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं । पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं , दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं ।<BR>— जान मैकनरो</P> <P>असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ देने पर , आप की असफलता सुनिश्चित है।<BR>— बेवेरली सिल्स</P> <P>सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता. क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो.<BR>-– किन हबार्ड</P> <P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P> <P>हार का स्‍वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.<BR>— माल्‍कम फोर्बस</P> <P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P> <P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्‍ते होते हैं लेकिन व्‍यू सब जगह से एक सा दिखता है .<BR>— चाइनीज कहावत</P> <P>यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ क्रेडिट लेने की सोचते है। कोशिश करना<BR>कि तुम पहले समूह में रहो क्‍योंकि वहाँ कम्‍पटीशन कम है .<BR>— इंदिरा गांधी</P> <P>सफलता के लिये कोई लिफ्‍ट नही जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा</P> <P>हम हवा का रूख तो नही बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर बदल सकते हैं।</P> <P>सफलता सार्वजनिक उत्सव है , जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक ।</P> <P>मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है&nbsp;; असफला की सीढी है , हर किसी को प्रसन्न करने की चाह ।<BR>— बिल कोस्बी</P> <P>सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता , साहस और कोशिश ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सुख-दुःख , व्याधि , दया</FONT> </STRONG></P> <P>संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है&nbsp;? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।<BR>- खलील जिब्रान </P> <P>संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है।<BR>- चाणक्यसूत्राणि-२२३</P> <P>विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।<BR>- रावणार्जुनीयम्-५।८</P> <P>मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।<BR>- बर्नार्ड शॉ</P> <P>मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।<BR>- पुरुषोत्तमदास टंडन</P> <P>मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है।<BR>- सर विंस्टन चर्चिल</P> <P>तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।<BR>-लहरीदशक</P> <P>रहिमन बिपदा हुँ भली , जो थोरे दिन होय ।<BR>हित अनहित वा जगत में , जानि परत सब कोय ॥<BR>— रहीम</P> <P>चाहे राजा हो या किसान , वह सबसे ज्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है ।<BR>— गेटे</P> <P>अरहर की दाल औ जड़हन का भात<BR>गागल निंबुआ औ घिउ तात<BR>सहरसखंड दहिउ जो होय<BR>बाँके नयन परोसैं जोय<BR>कहै घाघ तब सबही झूठा<BR>उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा<BR>—–घाघ</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रशंसा / प्रोत्साहन</FONT></STRONG></P> <P>उष्ट्राणां विवाहेषु , गीतं गायन्ति गर्दभाः ।<BR>परस्परं प्रशंसन्ति , अहो रूपं अहो ध्वनिः ।<BR>( ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं । एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं , अहा&nbsp;! क्या रूप है&nbsp;? अहा&nbsp;! क्या आवाज है&nbsp;? )</P> <P>मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है ।<BR>–चार्ल्स श्वेव</P> <P>आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है ।<BR>— सेनेका</P> <P>मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है ।<BR>— विलियम जेम्स</P> <P>अगर किसी युवती के दोष जानने हों तो उसकी सखियों में उसकी प्रसंसा करो ।<BR>— फ्रंकलिन</P> <P>चापलूसी करना सरल है , प्रशंसा करना कठिन ।</P> <P>मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा. मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा<BR>-– विलियम ऑर्थर वार्ड</P> <P>हमारे साथ प्रायः समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा के द्वारा बरबाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना के द्वारा संभल जाना नहीं |<BR>-– नॉर्मन विंसेंट पील</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मान , अपमान , सम्मान</FONT></STRONG></P> <P>धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी।<BR>- माघकाव्य</P> <P>इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।<BR>- कल्विन कूलिज </P> <P>अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान |<BR>-– रहीम</P> <P>अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं।<BR>- वक्रमुख</P> <P>गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।<BR>बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो शीश ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अभिमान / घमण्ड / गर्व</FONT></STRONG></P> <P>जब मैं था तब हरि नहीं , अब हरि हैं मै नाहि ।<BR>सब अँधियारा मिट गया दीपक देख्या माँहि ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य</FONT></STRONG></P> <P>दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति ( नाश ) होती है ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । ( सोना ( धन ) ही कमाओ , कलाएँ निष्फल है )<BR>— महाकवि माघ</P> <P>सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । ( सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं )<BR>- भर्तृहरि</P> <P>संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है । अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये ।<BR>— शुक्राचार्य</P> <P>आर्थस्य मूलं राज्यम् । ( राज्य धन की जड है )<BR>— चाणक्य</P> <P>मनुष्य मनुष्य का दास नही होता , हे राजा , वह् तो धन का दास् होता है ।<BR>— पंचतंत्र</P> <P>अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । ( संसार मे धन ही आदमी का भाई है )<BR>— चाणक्य</P> <P>जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये ।</P> <P>रुपए ने कहा, मेरी फिक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर.<BR>-– चेस्टर फ़ील्ड</P> <P>बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।<BR>घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।<BR>——(मुझे याद नहीं)</P> <P>जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है ।<BR>–अथर्ववेद</P> <P>मुक्त बाजार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम तरीका है ।</P> <P>स्वार्थ या लाभ ही सबसे बडा उत्साहवर्धक ( मोटिवेटर ) या आगे बढाने वाला बल है ।</P> <P>मुक्त बाजार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है ।</P> <P>सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं ।</P> <P>यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों मे बाँट दिया जाय तो कोई भी काम पूरा किया जा सकता है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी</FONT></STRONG></P> <P>गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं ।<BR>— डेनियल</P> <P>गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी.<BR>-– एनॉन</P> <P>पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।</P> <P>कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है |<BR>– चाणक्य</P> <P>निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है । निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है ।<BR>— वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में </P> <P>गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यापार</FONT></STRONG></P> <P>व्यापारे वसते लक्ष्मी । ( व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं )</P> <P>महाजनो येन गतः स पन्थाः ।<BR>( महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही (उत्तम) मार्ग है )<BR>( व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है )</P> <P>जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में समानता आयेगी ।<BR>— आदम स्मिथ , “द वेल्थ आफ नेशन्स” में </P> <P>तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी ।</P> <P>राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री , इमानदारी और बराबरी पर ।<BR>— कार्डेल हल्ल</P> <P>व्यापारिक युद्ध , विश्व युद्ध , शीत युद्ध&nbsp;: इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।</P> <P>इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये ।</P> <P>कार्पोरेशन&nbsp;: व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति ।<BR>— द डेविल्स डिक्शनरी</P> <P>अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विकास / प्रगति / उन्नति</FONT></STRONG></P> <P>बीज आधारभूत कारण है , पेड उसका प्रगति परिणाम । विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P> <P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P> <P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.</P> <P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया।<BR>- जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो?<BR>- डा. राधाकृष्णन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>राजनीति / शाशन / सरकार</FONT></STRONG></P> <P>सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् ।<BR>न्यायमूलं सुराज्यं स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥<BR>( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड है , न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है । )</P> <P>निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है ।<BR>— दसकुमारचरित</P> <P>यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>विपत्तियों को खोजने , उसे सर्वत्र प्राप्त करने , गलत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है ।<BR>— सर अर्नेस्ट वेम</P> <P>मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है ।<BR>— हेनरी एडम</P> <P>राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो.<BR>-– ओटो वान बिस्मार्क</P> <P>सफल क्रांतिकारी , राजनीतिज्ञ होता है&nbsp;; असफल अपराधी.<BR>-– एरिक फ्रॉम</P> <P>दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये ।<BR>— रामायण </P> <P>प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये । आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का हित है।<BR>— चाणक्य </P> <P>वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है ।</P> <P>सरकार चाहे किसी की हो , सदा बनिया ही शाशन करते हैं ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र</FONT></STRONG></P> <P>लोकतन्त्र , जनता की , जनता द्वारा , जनता के लिये सरकार होती है ।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है ।<BR>— हेनरी एमर्शन फास्डिक</P> <P>शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है । प्रजातन्त्र और तानाशाही मे अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है , बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है ।<BR>— लार्ड बिवरेज</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।</P> <P>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>जैसी जनता , वैसा राजा ।<BR>प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।<BR>बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन।<BR>— महात्मा गांधी</P> <P>सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है ।<BR>–स्वामी विवेकानंद </P> <P>लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है ।<BR>— जयप्रकाश नारायण </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नियम / कानून / विधान / न्याय</FONT></STRONG></P> <P>न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।<BR>( कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो )<BR>— महाभारत</P> <P>अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।<BR>— थामस फुलर</P> <P>थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।<BR>— लुइस दी उलोआ</P> <P>संविधान इतनी विचित्र ( आश्चर्यजनक ) चीज है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज होती है , वह गदहा है ।</P> <P>लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर ।</P> <P>सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं । अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें ।<BR>— इमर्शन</P> <P>न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।<BR>स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥<BR>( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला ।<BR>स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी । )</P> <P>कानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो , वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता।<BR>— फिदेल कास्त्रो</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>व्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है , शहर की शान्ति है , देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है , वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है ।<BR>— राबर्ट साउथ </P> <P>अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है ।<BR>–एडमन्ड बुर्क</P> <P>सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है , स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था के साथ मर जाती है ।<BR>— विल डुरान्ट</P> <P>हर चीज के लिये जगह , हर चीज जगह पर ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है ।<BR>— अलेक्जेन्डर पोप</P> <P>परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति की कला है ।<BR>— अल्फ्रेड ह्वाइटहेड</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विज्ञापन</FONT></STRONG></P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>समय</FONT></STRONG></P> <P>आयुषः क्षणमेकमपि, न लभ्यः स्वर्णकोटिभिः ।<BR>स वृथा नीयती येन, तस्मै नृपशवे नमः ॥</P> <P>करोडों स्वर्ण मुद्राओं के द्वारा आयु का एक क्षण भी नहीं पाया जा सकता ।<BR>वह ( क्षण ) जिसके द्वारा व्यर्थ नष्ट किया जाता है , ऐसे नर-पशु को नमस्कार ।</P> <P>समय को व्यर्थ नष्ट मत करो क्योंकि यही वह चीज है जिससे जीवन का निर्माण हुआ है ।<BR>— बेन्जामिन फ्रैंकलिन</P> <P>समय और समुद्र की लहरें किसी का इंतजार नहीं करतीं |<BR>– अज्ञात्</P> <P>जैसे नदी बह जाती है और लौट कर नहीं आती, उसी तरह रात-दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते।<BR>- महाभारत</P> <P>किसी भी काम के लिये आपको कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसे बनाना पडेगा ।</P> <P>क्षणशः कणशश्चैव विद्याधनं अर्जयेत ।<BR>( क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या का और कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये )</P> <P>काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।<BR>पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।<BR>चतुरन चित रहिमन लगी , समय-चूक की हूक ॥</P> <P>अपने काम पर मै सदा समय से १५ मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है ।</P> <P>हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये । यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है ।</P> <P>दीर्घसूत्री विनश्यति । ( काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है )</P> <P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता है.<BR>-– एनॉन</P> <P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अवसर / मौका / सुतार / सुयोग</FONT></STRONG></P> <P>जो प्रमादी है , वह सुयोग गँवा देगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>बाजार में आपाधापी - मतलब , अवसर । </P> <P>धरती पर कोई निश्चितता नहीं है , बस अवसर हैं ।<BR>— डगलस मैकआर्थर </P> <P>संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं ।</P> <P>आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर मे खतरा ।<BR>— विन्स्टन चर्चिल</P> <P>अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टाइन</P> <P>हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है , जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं ।<BR>— ली लोकोक्का</P> <P>रहिमन चुप ह्वै बैठिये , देखि दिनन को फेर । </P> <P>जब नीके दिन आइहैं , बनत न लगिहैं देर ॥ </P> <P>न इतराइये , देर लगती है क्या | </P> <P>जमाने को करवट बदलते हुए || </P> <P>कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है |<BR>-– गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है।<BR>- सामवेद</P> <P>का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख ।<BR>दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि पाख ॥<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इतिहास</FONT></STRONG></P> <P>उचित रूप से ( देंखे तो ) कुछ भी इतिहास नही है&nbsp;; (सब कुछ) मात्र आत्मकथा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।</P> <P>इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।</P> <P>इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।<BR>— नेपोलियन बोनापार्ट</P> <P>जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।<BR>— जार्ज सन्तायन</P> <P>ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।<BR>— मकियावेली , ” द प्रिन्स ” में </P> <P>इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है ।<BR>–सी डैरो</P> <P>संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।<BR>— एच जी वेल्स</P> <P>सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया ।<BR>— एस डीकैम्प</P> <P>इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।<BR>— जेम्स के. फिंक</P> <P>इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता</FONT> </STRONG></P> <P>वीरभोग्या वसुन्धरा ।<BR>( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ) </P> <P>कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।<BR>को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥<BR>— पंचतंत्र</P> <P>जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है&nbsp;? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है?<BR>विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है&nbsp;? </P> <P>खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले ।<BR>खुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है&nbsp;?<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>कौन कहता है कि आसमा मे छेद हो सकता नही |<BR>कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।| </P> <P>यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य, पुरूषार्थो न सिध्यति ॥<BR>( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नही दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ) </P> <P>नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः ।<BR>विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥<BR>(जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार । पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है ) </P> <P>जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते।<BR>— जोनाथन स्विफ्ट </P> <P>मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है , पर उसे अपने बल से भी अवगत होना चाहिये ।<BR>— जयशंकर प्रसाद</P> <P>आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए।<BR>- श्रीमद्भागवत ८।१९।३९ </P> <P>तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की ।<BR>–गुरू गोविन्द सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>युद्ध / शान्ति</FONT></STRONG></P> <P>सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।<BR>— पं. जवाहरलाल नेहरू</P> <P>सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव ।<BR>( हे कृष्ण , बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी ( जमीन ) नहीं दूँगा ।<BR>— दुर्योधन , महाभारत में</P> <P>प्रागेव विग्रहो न विधिः ।<BR>पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>यदि शांति पाना चाहते हो , तो लोकप्रियता से बचो।<BR>— अब्राहम लिंकन</P> <P>शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰राजेन्द्र प्रसाद</P> <P>बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते।<BR>- शम्स-ए-तबरेज़ </P> <P>शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति ।<BR>–स्वामी ज्ञानानन्द </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्मविश्वास / निर्भीकता</FONT></STRONG></P> <P>आत्मविश्वास , वीरता का सार है ।<BR>— एमर्सन</P> <P>आत्मविश्वास , सफलता का मुख्य रहस्य है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>आत्मविश्वा बढाने की यह रीति है कि वह का करो जिसको करते हुए डरते हो ।<BR>— डेल कार्नेगी</P> <P>हास्यवृति , आत्मविश्वास (आने) से आती है ।<BR>— रीता माई ब्राउन</P> <P>मुस्कराओ , क्योकि हर किसी में आत्म्विश्वास की कमी होती है , और किसी दूसरी चीज की अपेक्षा मुस्कान उनको ज्यादा आश्वस्त करती है ।<BR>–एन्ड्री मौरोइस</P> <P>करने का कौशल आपके करने से ही आता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य</FONT></STRONG></P> <P>वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नही देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है ।</P> <P>भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं , पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है । जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी । प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है ।<BR>— एरिक हाफर</P> <P>प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है ।</P> <P>सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है ।</P> <P>मूर्खतापूर्ण-प्रश्न , कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।<BR>— स्टीनमेज</P> <P>जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है ।</P> <P>सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है , सबसे बडा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है ।</P> <P>मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हूँ | इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन |<BR>-– रुडयार्ड किपलिंग</P> <P>यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)।<BR>- नीतसार</P> <P>शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है ।<BR>— अब्राहम हैकेल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था</FONT></STRONG></P> <P>संचार , गणना ( कम्प्यूटिंग ) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं ।</P> <P>ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है । जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं , उतना ही अधिक यह बढता है । इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग ।</P> <P>एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं&nbsp;; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं ।</P> <P>गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है ।</P> <P>सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है ।<BR>— थामस जेफर्सन</P> <P>ज्ञान का विकास और प्रसार ही स्वतन्त्रता की सच्चा रक्षक है ।<BR>— जेम्स मेडिसन</P> <P>ज्ञान हमेशा ही अज्ञान पर शाशन करेगा&nbsp;; और जो लोग स्व-शाशन के इच्छुक हैं उन्हें स्वयं को उन शक्तियों से सुसज्जित करना चाहिये जो ज्ञान से प्राप्त होती हैं ।<BR>— पैट्रिक हेनरी </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लिखना / नोट करना / सूची ( लिस्ट ) बनाना</FONT> </STRONG></P> <P>कागज स्थान की बचत करता है , समय की बचत करता है और श्रम की बचत करता है ।<BR>— ममफोर्ड</P> <P>पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है , वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है , लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है ।<BR>— बेकन</P> <P>जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।</P> <P>मैं यह जानने के लिये लिखता हूँ कि मैं सोचता क्या हूँ ।<BR>— ग्राफिटो</P> <P>कलम और कागज की सहायता से आप अशान्त वातावरण में भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं ।</P> <P>मैने सीखा है कि किसी प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय छोटी से छोटी पेन्सिल भी बडी से बडी याददास्त से भी बडी होती है ।</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिवर्तन / बदलाव</FONT></STRONG></P> <P>क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः । ( जो हर क्षण नवीन लगे वही रमणीयता का रूप है )<BR>— शिशुपाल वध</P> <P>आर्थिक समस्याएँ सदा ही केवल परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पैदा होती हैं ।</P> <P>परिवर्तन विज्ञानसम्मत है । परिवर्तन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जबकि प्रगति राय और विवाद का विषय है ।<BR>— बर्नार्ड रसेल</P> <P>हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परिवर्तन का मानव के मस्तिष्क पर अच्छा-खासा मानसिक प्रभाव पडता है । डरपोक लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है <DL> <DT>आशावान लोगों के लिये यह उत्साहपूर्ण होता है क्योंकि स्थिति और बेहतर हो सकती है <DT>और विश्वास-सम्पन्न लोगों के लिये यह प्रेरणादायक होता है क्योंकि स्थिति को </DT></DL>बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।<BR>— राजा ह्विटनी जूनियर <P></P> <P>नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।<BR>— मकियावेली</P> <P>यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते हो तो इसे बदलने की कोशिश करो ।<BR>— कुर्त लेविन</P> <P>आप परिवर्तन का प्रबन्ध नहीं कर सकते , केवल उसके आगे रह सकते हैं ।<BR>— पीटर ड्रकर</P> <P>स्व परिवर्तन से दूसरों का परिवर्तन करो.</P> <P>चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती । बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता।<BR>- रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुःखी होने पर प्रायः लोग आंसू बहाने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते लेकिन जब वे क्रोधित होते हैं तो परिवर्तन ला देते हैं।<BR>- माल्कम एक्स</P> <P>पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।<BR>- स्वामी विवेकानंद</P> <P>परिवर्तन ही प्रगति है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नेतृत्व / प्रबन्धन</FONT></STRONG></P> <P>अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।<BR>अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥<BR>— शुक्राचार्य<BR>कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं । </P> <P>मुखिया मुख सो चाहिये , खान पान कहुँ एक ।<BR>पालै पोसै सकल अंग , तुलसी सहित बिबेक ॥</P> <P>जीवन में हमारी सबसे बडी जरूरत कोई ऐसा व्यक्ति है , जो हमें वह कार्य करने के योग्य बना दे , जिसे हम कर सकते हैं । </P> <P>नेतृत्व का रहस्य है , आगे-आगे सोचने की कला ।<BR>— मैरी पार्कर फोलेट</P> <P>नेताओं का मुख्य काम अपने आस-पास नेता तैयार करना है ।<BR>— मैक्सवेल</P> <P>अपने अन्दर योग्यता का होना अच्छी बात है , लेकिन दूसरों में योग्यता खोज पाना ( नेता की ) असली परीक्षा है ।<BR>— एल्बर्ट हब्बार्ड</P> <P>अपर्याप्त तथ्यों के आधार पर ही , अर्थपूर्ण सामान्यीकरण करने की कला , प्रबन्धन की कला है ।</P> <P>मैं सिर्फ उतने ही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता जितना मेरे पास है, बल्कि वह सब भी जो मैं उधार ले सकता हूँ.<BR>-– वुडरो विलसन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>निर्णय</FONT></STRONG></P> <P>हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है ।<BR>— फुलर</P> <P>जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था.</P> <P>अगर आप निर्णय नहीं ले पाते तो आप बास या नेता कुछ भी नहीं बन सकते ।</P> <P>नब्बे प्रतिशत निर्णय अतीत के अनुभव के आधार पर लिये जा सकते हैं , केवल दस प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।</P> <P>निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।<BR>— माइक हाकिन्स</P> <P>काम करने में ज्यादा ताकत नहीं लगती , लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा ताकत लगती है कि क्या करना चाहिये ।</P> <P>निर्णय के क्षणों मे ही आप की भाग्य का निर्माण होता है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विसंगति / विरोधाभास / उल्टी-गंगा / पैराडाक्स</FONT></STRONG></P> <P>सिर राखे सिर जात है , सिर काटे सिर होय ।<BR>जैसे बाती दीप की , कटि उजियारा होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।<BR>ची‍टी ले शक्कर चली , हाथी के सिर धूल ॥<BR>— बिहारी</P> <P>थोडा चुराओ , जेल जाओ ।<BR>अधिक चुराओ , राजा बन जाओ ॥<BR>— बाब डाइलन</P> <P>लोग आदेश के बजाय मिथक से , तर्क के बजाय नीति-कथा से , और कारण के बजाय संकेत से चलाये जाते हैं ।</P> <P>कहकर बताने के बहुत से प्रयत्न अत्यधिक कह देने के कारण व्यर्थ चले जाते हैं ।</P> <P>ज्ञान की अपेक्षा अज्ञान ज्यादा आत्मविश्वास पैदा करता है ।<BR>— चार्ल्स डार्विन</P> <P>संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान सन्देह से परिपूर्ण ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>किसी विषय से परिचित होने का सर्वोत्तम उपाय है , उस विषय पर एक किताब लिखना ।<BR>— डिजराइली</P> <P>विद्वानो की विद्वता बिना काम के बैठने से आती है&nbsp;; और जिस व्यक्ति के पास कोई काम नहीं है , वह महान बन जायेगा ।</P> <P>शब्दो का एक महान उपयोग है , अपने विचारों को छिपाने में ।</P> <P>वह आदमी अवश्य ही अत्यन्त अज्ञानी होगा&nbsp;; वह उन सारे प्रश्नों का उत्तर देता है जो उससे पूछे जाते हैं ।</P> <P>यदि तुम्हारे कोई दुश्मन नही हैं , यह इसका संकेत है कि भाग्य तुमको भूल गयी है ।</P> <P>कोई खोज जितनी ही मौलिक होती है , बाद में उतनी ही साफ ( स्वतः स्पष्ट ) लगती है ।</P> <P>आलसी लोग सदा व्यस्त रहते हैं ।</P> <P>अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है ।</P> <P>शक्ति के दुख वास्तविक हैं और सुख काल्पनिक ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कल्पना / चिन्तन / ध्यान / मेडिटेशन</FONT></STRONG></P> <P>अपनी याददास्त के सहारे जीने के बजाय अपनी कल्पना के सहरे जिओ ।<BR>— लेस ब्राउन</P> <P>केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो अदृष्य को भी देख लेते हैं ।</P> <P>व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधा किन्हीं नयी कल्पनाओं में मिलेगा , उन्हें ढूढो ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>कल्पना ही इस संसार पर शासन करती है ।<BR>— नैपोलियन</P> <P>कल्पना , ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है । ज्ञान तो सीमित है , कल्पना संसार को घेर लेती है ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।<BR>( ध्यान , ज्ञान से बढकर है )</P> <P>ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।<BR>— श्री माँ</P> <P>एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।<BR>— स्टीफन जेविग</P> <P>तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।<BR>— अलबर्ट आइन्सटीन</P> <P>जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता है ।<BR>–डा विक्रम साराभाई </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्तन / मनन</FONT></STRONG></P> <P>जब सब एक समान सोचते हैं तो कोई भी नहीं सोच रहा होता है ।<BR>— जान वुडन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वतंत्र चिन्तन / चिन्तन की स्वतंत्रता</FONT></STRONG></P> <P>कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता&nbsp;?<BR>- विवेकानंद</P> <P>मानवी चेतना का परावलंबन - अन्तःस्फुरणा का मूर्छाग्रस्त होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा आचार्य</P> <P>बिना वैचारिक-स्वतन्त्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज हो ही नहीं सकती&nbsp;; और बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।<BR>— बेन्जामिन फ़्रैंकलिन</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>ग्रन्थ , पन्थ हो अथवा व्यक्ति , नहीं किसी की अंधी भक्ति ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>सर्वोत्तम मानव मस्तिष्क की पहचान है , किन्हीं दो पूर्णतः विपरीत विचार धाराऒं को साथ- साथ ध्यान में रखते हुए भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता का होना ।<BR>— स्काट फिट्जेराल्ड </P> <P>आत्मदीपो भवः ।<BR>( अपना दीपक स्वयं बनो । )<BR>— गौतम बुद्ध</P> <P>इतने सारे लोग और इतनी थोडी सोच&nbsp;!</P> <P>सभी प्राचीन महान नहीं है और न नया, नया होने मात्र से निंदनीय है। विवेकवान लोग स्वयं परीक्षा करके प्राचीन और नवीन के गुण-दोषों का विवेचन करते हैं लेकिन जो मूढ़ होते हैं, वे दूसरों का मत जानकर अपनी राय बनाते हैं।<BR>- कालिदास </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>तर्कवाद / रेशनालिज्म / क्रिटिकल चिन्तन</FONT></STRONG></P> <P>पाहन पूजे हरि मिलै , तो मैं पुजूँ पहार ।<BR>ताती यहु चाकी भली , पीस खाय संसार ॥<BR>— कबीर</P> <P>कांकर पाथर जोरि के , मसजिद लै बनाय ।<BR>ता चढि मुल्ला बाक दे , क्या बहरा भया खुदाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मौन</FONT></STRONG></P> <P>मौन निद्रा के सदृश है । यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है ।<BR>— बेकन</P> <P>मौनं सर्वार्थसाधनम् ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( मौन सारे काम बना देता है )</P> <P>आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।<BR>— एमर्शन</P> <P>मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।<BR>— कार्लाइल</P> <P>मौनं स्वीकार लक्षणम् ।<BR>( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है । )</P> <P>कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |<BR>-– ओविड</P> <P>मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।<BR>ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै अंग।।</P> <P>वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला है ।<BR>— गिब्बन</P> <P>मौन और एकान्त,आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>मौन , क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपाय / सुविचार / सुविचारों की शक्ति / मंत्र / उपाय-महिमा / समस्या-समाधान / आइडिया</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं , विचार हैं ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मनःस्थिति बदले , तब परिस्थिति बदले ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>उपायेन हि यद शक्यं , न तद शक्यं पराक्रमैः ।<BR>( जो कार्य उपाय से किया जा सकता है , वह पराक्रम से नही किया जा सकता । )<BR>— पंचतन्त्र</P> <P>विचारों की शक्ति अकूत है । विचार ही संसार पर शाशन करते है , मनुष्य नहीं ।<BR>— सर फिलिप सिडनी</P> <P>लोगों के बारे मे कम जिज्ञासु रहिये , और विचारों के सम्बन्ध में ज्यादा ।</P> <P>विचार संसार मे सबसे घातक हथियार हैं ।<BR>— डब्ल्यू. ओ. डगलस</P> <P>किस तरह विचार संसार को बदलते हैं , यही इतिहास है ।</P> <P>विचारों की गति ही सौन्दर्य है।<BR>— जे बी कृष्णमूर्ति </P> <P>ग़लतियाँ मत ढूंढो , उपाय ढूंढो |<BR>-– हेनरी फ़ोर्ड</P> <P>जब तक आप ढूंढते रहेंगे, समाधान मिलते रहेंगे |<BR>-– जॉन बेज</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यारम्भ / कार्य / क्रिया / कर्म</FONT></STRONG></P> <P>ज्ञानं भार: क्रियां बिना ।</P> <P>आचरण के बिना ज्ञान केवल भार होता है ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।<BR>नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥</P> <P>कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं , मनोरथ मात्र से नहीं । सोये हुए शेर के मुख में मृग प्रवेश नहीं करते ।<BR>— हितोपदेश</P> <P>कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।<BR>( कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है , फल में कभी भी नहीं )<BR>— गीता</P> <P>देहि शिवा बर मोहि इहै , शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं ।<BR>जब जाइ लरौं रन बीच मरौं , या रण में अपनी जीत करौं ॥<BR>— गुरू गोविन्द सिंह</P> <P>निज-कर-क्रिया रहीम कहि , सिधि भावी के हाथ ।<BR>पांसा अपने हाथ में , दांव न अपने हाथ ॥</P> <P>जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )</P> <P>सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।<BR>— नार्मन कजिन</P> <P>आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।<BR>- सैली बर्जर</P> <P>जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं ।<BR>— गोथे</P> <P>छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।</P> <P>प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )<BR>— रघुवंश महाकाव्यम्</P> <P>पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।</P> <P>यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।<BR>तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥<BR>- - वाल्मीकि रामायण</P> <P>शुभारम्भ, आधा खतम ।</P> <P>हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।<BR>— चीनी कहावत</P> <P>सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।<BR>— इमर्सन</P> <P>सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।<BR>— एडिशन</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— लाक</P> <P>ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो.</P> <P>जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>अकर्मण्य मनुष्य श्रेष्ठ होते हुए भी पापी है।<BR>- ऐतरेय ब्राह्मण-३३।३</P> <P>जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।<BR>- गेटे</P> <P>उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं ।<BR>— जान फ़्लीचर</P> <P>मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है ।<BR>— जान लाक</P> <P>मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही कर्म के रंग में रंग जाता है ।<BR>–विनोबा </P> <P>सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।<BR>— कथा सरित्सागर </P> <P>भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>कार्यनीति</FONT></STRONG></P> <P>एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये<BR>रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय ।<BR>–रहीम</P> <P>जिस काम को बिल्कुल किया ही नहीं जाना चाहिये , उस काम को बहुत दक्षता के साथ करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।<BR>— पीटर एफ़ ड्रूकर</P> <P>अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।<BR>— थामस कार्लाइल</P> <P>यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।</P> <P>एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।<BR>— सैमुएल स्माइल</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उद्यम / उद्योग / उद्यमशीलता / उत्साह / प्रयास / प्रयत्न</FONT></STRONG></P> <P>संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने उत्साह खो दिया ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>अकर्मण्यता का दूसरा नाम मृत्यु है |<BR>-– मुसोलिनी</P> <P>यह ठीक है कि आशा जीवन की पतवार है। उसका सहारा छोड़ने पर मनुष्य भवसागर में बह जाता है पर यदि आप हाथ-पैर नहीं चलायेंगे तो केवल पतवार की उपस्थिति से गंतव्य तट पर थोड़े ही पहुंच जायेंगे।<BR>- लुकमान</P> <P>आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उद्यम सबसे बड़ा मित्र, जिसके साथ रहने वाला कभी दुखी नहीं होता ।<BR>— भर्तृहरि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परिश्रम</FONT></STRONG></P> <P>मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद अली</P> <P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है. आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P> <P>आराम हराम है.</P> <P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P> <P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>- बैंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>चरैवेति , चरैवेति । ( चलते रहो , चलते रहो )</P> <P>सूरज और चांद को आप अपने जन्म के समय से ही देखते चले आ रहे हैं। फिर भी यह नहीं जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए&nbsp;?<BR>- रामतीर्थ</P> <P>जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सुगंध कहां फैल सकती है?<BR>- शिवशुकीय</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रचनाशीलता / श्रृजनशीलता / क्रियेटिविटी /</FONT></STRONG></P> <P>खोजना , प्रयोग करना , विकास करना , खतरा उठाना , नियम तोडना , गलती करना और मजे करना , श्रृजन है ।</P> <P>स्पर्धा मत करो , श्रृजन करो । पता करो कि दूसरे सब लोग क्या कर रहे हैं , और फिर उस काम को मत करो ।<BR>— जोल वेल्डन</P> <P>वही असम्भव को करने में सक्षम है , जो व्यक्ति बे-सिर-पैर की चीजें (एब्सर्ड) करने की कोशिश करता है । </P> <P>रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>यदि आप नृत्य कर रहे हों , तो आप को ऐसा लगना चाहिए कि , आप को , देखने वाला कोई भी आस-पास मौजूद नहीं है। यदि आप किसी संगीत की प्रस्तुति कर रहे हों , तो आप को ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी ध्यान नहीं है । और , यदि आप सचमुच में , किसी से प्रेम कर बैठें हों , तो आप में ऐसी अनुभूति होनी चाहिए , कि , आप पहले कभी भी भावनात्मक तौर पर आहत नहीं हुए हैं।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / प्रज्ञा / विवेक / प्रतिभा /</FONT></STRONG></P> <P>विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।<BR>( विद्या-धन सभी धनों मे श्रेष्ठ है ) </P> <P>जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।<BR>(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )<BR>— पंचतंत्र</P> <P>स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते ।<BR>(राजा अपने देश में पूजा जाता है , विद्वान की सर्वत्र पूजा होती है ) </P> <P>काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च |<BR>अल्पहारी गृह्त्यागी विद्यार्थी पंचलक्षण्म् ।| </P> <P>( विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं&nbsp;: कौवे जैसी दृष्टि , बकुले जैसा ध्यान , कुत्ते जैसी निद्रा , अल्पहारी और गृहत्यागी । ) </P> <P>अनभ्यासेन विषम विद्या ।<BR>( बिना अभ्यास के विद्या बहुत कठिन काम है )</P> <P>सुखार्थी वा त्यजेत विद्या , विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम ।<BR>सुखार्थिनः कुतो विद्या , विद्यार्थिनः कुतो सुखम ॥</P> <P>ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।<BR>–डेविड बोम (१९१७-१९९२)</P> <P>सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।<BR>— थोरो</P> <P>प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।<BR>— इमर्सन</P> <P>वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )</P> <P>विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )</P> <P>खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।<BR>- - फ़ोर्ब्स</P> <P>अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।<BR>— आइन्स्टीन</P> <P>कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।</P> <P>शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।</P> <P>संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।</P> <P>गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं&nbsp;; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।<BR>— जार्ज बर्नार्ड शा</P> <P>दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । —</P> <P>जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । — जान वुडेन</P> <P>पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है&nbsp;; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।<BR>— जान लाक</P> <P>एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।<BR>- जिग जिग्लर</P> <P>दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।<BR>— जेम्स देवर</P> <P>अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।<BR>— कार्ल पापर</P> <P>सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की<BR>कोशिश करनी चाहिये ।<BR>— थामस ह. हक्सले</P> <P>शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार-स्तंभ हैं - अधिक निरीक्षण करना , अधिक अनुभव करना और अधिक अध्ययन करना ।<BR>— केथराल</P> <P>शिक्षा , राष्ट्र की सस्ती सुरक्षा है ।<BR>— बर्क</P> <P>अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>ज्ञान एक खजाना है , लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है।<BR>— थामस फुलर</P> <P>स्कूल को बन्द कर दो ।<BR>— इवान इलिच</P> <P>प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी , इमानदारी , जिम्मेदारी और बहादुरी ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया , उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया |<BR>-– विनोबा</P> <P>बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>जेहिं बिधना दारुण दुःख देहीं। ताकै मति पहिलेहि हरि लेंहीं।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है ।<BR>— महाभारत -उद्योग पर्व </P> <P>जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है- उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है- उसे जगाओ । जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है- उसे गुरू बनाओ ।<BR>— अरबी कहावत </P> <P>विद्वत्ता अच्छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित धन है ।<BR>— हितोपदेश </P> <P>जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है ।<BR>— नारदभक्ति </P> <P>अनन्तशास्त्रं वहुलाश्च विद्याः , अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च ।<BR>यद्सारभूतं तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥<BR>— चाणक्य<BR>( शास्त्र अनन्त है , बहुत सारी विद्याएँ हैं , समय अल्प है और बहुत सी बाधायें है । ऐसे में , जो सारभूत है ( सरलीकृत है ) वही करने योग्य है जैसे हंस पानी से दूध को अलग करक पी जाता है )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पण्डित / मूर्ख / विज्ञ / प्रज्ञ / मतिमान /</FONT></STRONG></P> <P>झटिति पराशयवेदिनो हि विज्ञाः ।<BR>( जो झट से दूसरे का आशय जान ले वही बुद्धिमान है । )</P> <P>सुख दुख या संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥</P> <P>आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।<BR>( जो सारे प्राणियों को अपने समान देखता है , वही पण्डित है । )</P> <P>ज्ञानी आदमी के खोखले ज्ञान से सावधान, वह अज्ञान से भी ज्यादा खतरनाक है।<BR>- बर्नारड शा</P> <P>सब तै भले बिमूढ़, जिन्हैं न ब्यापै जगत गति<BR>——-गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जाकी जैसी बुद्धि है , वैसी कहे बनाय ।<BR>उसको बुरा न मानिये , बुद्धि कहाँ से लाय ॥<BR>— रहीम </P> <P>सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, सम्पती अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्यो मे बाधा नही डालते वही ज्ञानवान (विवेकशील) कहलाता है ।</P> <P>सबसे अधिक ज्ञानी वही है जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो। -अज्ञात </P> <P>बिना कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी हानि सह ले लेकिन विवाद न करे ।<BR>–हितोपदेश </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सज्जन / साधु / महापुरुष / दुर्जन / खल / दुष्ट / शठ</FONT></STRONG></P> <P>साधु ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय ।<BR>सार सार को गहि रहै , थोथा देय उडाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता बरतनी चाहिये )<BR>— चाणक्य</P> <P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P> <P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.</P> <P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते हैं.</P> <P>चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।<BR>- प्रेमचन्द </P> <P>जो दुष्ट का सत्कार करता है वह मानो आकाश में बीज बोता है, हवा में सुंदर चित्र बनाता है और पानी में रेखा खींचता है।<BR>- प्रास्ताविकविलास</P> <P>जिस प्रकार राख से सना हाथ जैसे-जैसे दर्पण पर घिसा जाता है, वैसे-वैसे उसके प्रतिबिंब को साफ करता है, उसी प्रकार दुष्ट जैसे-जैसे सज्जन का अनादर करता है, वैसे-वैसे वह उसकी कांति को बढ़ाता है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>झूठा मीठे बचन कहि रिन उधार लै जाय<BR>लेत परम सुख ऊपजै लै के दियो न जाय<BR>लै के दियो न जाय ऊंच अरू नीच बतावै<BR>रिन उधार की रीति माँगते मारन धावै<BR>कह गिरधर कविराय रहै वो मन में रूठा<BR>बहुत दिना होइ जायँ कहै तेरो कागद झूठा<BR>—–गिरधर</P> <P>भले भलाइहिं सों लहहिं, लहहिं निचाइहिं नीच।<BR>सुधा सराहिय अमरता, गरल सराहिय मीच।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>रहिमन वहाँ न जाइये , जहाँ कपट को हेत ।<BR>हम तो ढारत ढेकुली , सींचत आपनो खेत ॥<BR>( ढेंकुली = कुँए से पानी निकालने का बर्तन )</P> <P>रहिमन ओछे नरन सों , बैर भली ना प्रीति ।<BR>काटे चाटे श्वान के , दोऊ भाँति बिपरीत ॥</P> <P>सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है ।<BR>–कबीर </P> <P>कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं ।<BR>— श्री हर्ष </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>विवेक</FONT></STRONG></P> <P>विवेक , बुद्धि की पूर्णता है । जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथ-प्रदर्शक है ।<BR>— ब्रूचे</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान , सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>तुलसी असमय के सखा , धीरज धर्म विवेक ।<BR>साहित साहस सत्यव्रत , राम भरोसो एक ॥</P> <P>ज्ञान भूत है , विवेक भविष्य ।</P> <P>जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की पर बीज बोये ही नहीं।<BR>- शेख सादी</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भविष्य / भविष्य वाणी</FONT></STRONG></P> <P>अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।<BR>द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो विनश्यति ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>भविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( हाजिर जबाब ) ये दोनो सुख भोगते हैं । “जैसा होना होगा , होगा” ऐसा सोचने वाले का विनाश हो जाता है ।</P> <P>भविष्य के बारे में पूर्वकथन का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है ।<BR>— डा. शाकली</P> <P>किसी भी व्यक्ति का अतीत जैसा भी हो , भविष्य सदैव बेदाग होता है।<BR>— जान राइस</P> <P>तुलसी जसि भवतव्यता तैसी मिलै सहाय।<BR>आपु न आवै ताहिं पै ताहिं तहाँ लै जाय।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>करमगति टारे नाहिं रे टरी ।<BR>—–सन्त कबीर</P> <P>होनवार बिरवान के होत चीकने पात।<BR>—–अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG> </P> <P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.</P> <P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P> <P>बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।<BR>गुल हुए गायब अरे , फल बनने के लिये ॥</P> <P>निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो |<BR>– शेख सादी</P> <P>निराशा मूर्खता का परिणाम है।<BR>- डिज़रायली</P> <P>मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को पापरूपिणी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।<BR>- हितोपदेश<BR>- बर्नार्ड इगेस्किलन </P> <P>अगर तुम पतली बर्फ पर चलने जा रहे हो तो हो सकता है कि तुम डांस भी करने लगो।</P> <P>निराशावाद ने आज तक कोई जंग नही जीती .<BR>— ड्‍वाइन डी. आइसनहॉवर</P> <P>निराशावादीः एक ऐसा इंसान जिसके पास अगर दो शैतान चुनने की च्‍वाइश हो तो वो दोनो चुनता है .<BR>— आस्‍कर वाइल्‍ड</P> <P>दो आदमी एक ही वक्‍त जेल की सलाखों से बाहर देखते हैं, एक को कीचड़ दिखायी देता है और दूसरे को तारे .<BR>— फ्रेडरिक लेंगब्रीज</P> <P>निराशा के समान दूसरा पाप नहीं। आशा सर्वोत्कृष्ट प्रकाश है तो निराशा घोर अंधकार है ।<BR>— रश्मिमाला </P> <P>हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है ।<BR>— वाल्मीकि </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P> <P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.</P> <P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>– कन्फ्यूशियस</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चिन्ता / तनाव / अवसाद</FONT> </STRONG></P> <P>चिन्ता एक प्रकार की कायरता है और वह जीवन को विषमय बना देती है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।<BR>चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता जीव समेत ॥</P> <P>( हे मन तू चिन्ता के बारे में सोच , जो चिता से भी भयंकर है । क्योंकि चिता तो निर्जीव ( मरे हुए को ) जलाती है , किन्तु चिन्ता तो सजीव को ही जलाती है । )</P> <P>चिन्ता ऐसी डाकिनी , काट कलेजा खाय ।<BR>वैद बेचारा क्या करे , कहाँ तक दवा लगाय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आत्म-निर्भरता</FONT></STRONG></P> <P>जो आत्म-शक्ति का अनुसरण करके संघर्ष करता है , उसे महान विजय अवश्य मिलती है।<BR>- भरत पारिजात ८।३४ </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भारत</FONT></STRONG></P> <P>भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है&nbsp;: भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है , अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है , बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है , ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है ।<BR>— विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार</P> <P>हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है ।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है ।<BR>— फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला</P> <P>भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।<BR>— हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत</P> <P>यूनान, मिश्र, रोमां , सब मिट। गये जहाँ से ।<BR>अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥<BR>कुछ बात है कि हस्ती , मिटती नहीं हमारी ।<BR>शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥<BR>— मुहम्मद इकबाल</P> <P>गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।<BR>स्वर्गापवर्गास्पद् मार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वाद् ॥</P> <P>देवतागण गीत गाते हैं कि स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाले मार्ग पर स्थित भारत के लोग धन्य हैं । ( क्योंकि ) देवता भी जब पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते हैं तो यहीं जन्मते हैं ।</P> <P>एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।<BR>स्व-स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा: ॥<BR>— मनु </P> <P>पुराने काल में , इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृत</FONT></STRONG></P> <P>भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।<BR>( भारत की प्रतिष्ठा दो चीजों में निहित है , संस्कृति और संस्कृत । )</P> <P>इसकी पुरातनता जो भी हो , संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।<BR>— सर विलियम जोन्स</P> <P>सभ्यता के इतिहास में , पुनर्जागरण के बाद , अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर कोई विश्वव्यापी महत्व की दूसरी घटना नहीं घटी है ।<BR>–आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्</P> <P>कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है ।<BR>— फोर्ब्स पत्रिका ( जुलाई , १९८७ )</P> <P>यह लेख इस बात को प्रतिपादित करता है कि एक प्राकृतिक भाषा ( संस्कृत ) एक कृत्रिम भाषा के रूप में भी कार्य कर सकती है , और कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में किया गया अधिकाश काम हजारों वर्ष पुराने पहिये ( संस्कृत ) को खोजने जैसा ही रहा है ।<BR>— रिक् ब्रिग्स , नासा वैज्ञानिक ( १९८५ में )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हिन्दी</FONT></STRONG></P> <p>राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।<br> - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार </p> <p>विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।<br> - वाल्टर चेनिंग</p> <p>हिंदी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये।<br> - बेरिस कल्यएव।</p> <p>एखन जतोगुलि भाषा भारते प्रचलित आछे ताहार मध्ये हिन्दी भाषा सर्वत्रइ प्रचलित।<br> - केशवचंद्र सेन।</p> <p>इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।<br> - राहुल सांकृत्यायन।</p> <p>यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है।<br> - शिवनंदन सहाय।</p> <p>भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।<br> - शिवपूजन सहाय।</p> <p>हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।<br> - देवव्रत शास्त्री।</p> <p>संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।<br> - डॉ. फादर कामिल बुल्के।</p> <p>अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिये ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता समझता है।<br> - महात्मा गाँधी।</p> <p>संप्रति जितनी भाषाएं भारत में प्रचलित हैं उनमें से हिंदी भाषा प्राय: सर्वत्र व्यवहृत होती है।<br> - केशवचंद्र सेन।</p> <p>मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती।<br> - मैथिलीशरण गुप्त।</p> <p>क्रांतदर्शी होने के कारण ऋषि दयानंद ने देशोन्नति के लिये हिंदी भाषा को अपनाया था।<br> - विष्णुदेव पौद्दार।</p> <p>मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।<br>- विनोबा भावे।</p> <p>आज का आविष्कार कल का साहित्य है।<br> - माखनलाल चतुर्वेदी।</p> <p>हिंदी विश्व की महान भाषा है।' - राहुल सांकृत्यायन।</p> <p>सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिंदी महानतम स्थान रखती है।<br> - अमरनाथ झा।</p> <p>भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हिंदी भाषा कुछ न कुछ सर्वत्र समझी जाती है।<br> - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार।</p> <p>हिंदी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।<br> - महात्मा गांधी।</p> <p>राष्ट्रभाषा की साधना कोरी भावुकता नहीं है।<br> - जगन्नाथप्रसाद मिश्र।</p> <p>हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।<br> - स्वामी दयानंद।</p> <p>हिन्दी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।<br>- धीरेन्द्र वर्मा।</p> <p>हिंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी।<br>- पं. नेहरू।</p> <p>हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने के हेतु हुए अनुष्ठान को मैं संस्कृति का राजसूय यज्ञ समझता हूँ। <br>- आचार्य क्षितिमोहन सेन।</p> <p>संस्कृत के अपरिमित कोश से हिन्दी शब्दों की सब कठिनाइयाँ सरलता से हल कर लेगी।<br> - राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन।</p> <P></P> <P></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>देवनागरी</FONT></STRONG></P> <P>हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी , उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है ।<BR>-— आचार्य विनबा भावे </P> <p>समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।<br> - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर</p> <P>देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है ।<BR>-— सर विलियम जोन्स </P> <P>मनव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है ।<BR>— जान क्राइस्ट </P> <P>उर्दू लिखने के लिये देवनागरी अपनाने से उर्दू उत्कर्ष को प्राप्त होगी ।<BR>-— खुशवन्त सिंह </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>महात्मा गाँधी</FONT></STRONG></P> <P>आने वाली पीढियों को विश्वास करने में कठिनाई होगी कि उनके जैसा कोई हाड-मांस से बना मनुष्य इस धरा पर चला था ।<BR>— अलबर्ट आइन्स्टीन</P> <P>मैं और दूसरे लोग क्रान्तिकारी होंगे, लेकिन हम सभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।<BR>— हो ची मिन्ह</P> <P>उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।<BR>— यू थान्ट</P> <P>.. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त सम्भव है ।<BR>— अर्नाल्ड विग</P> <P>जब तक स्वतंत्र लोग तथा स्वतंत्रता और न्याय के चाहने वाले रहेंगे, तब तक महात्मा गाँधी को सदा याद किया जायेगा ।<BR>–हैली सेलेसी</P> <P>मेरे हृदय मैं महात्मा गाँधी के लिये अपार प्रशंसा और सम्मान है । वह एक महान व्यक्ति थे और उनको मानव-प्रकृति का गहन ज्ञान था ।<BR>— महा आत्मा , दलाई लामा </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>रामचरितमानस</FONT></STRONG></P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मानसिक परिपक्वता / भावनात्मक विवेक / इमोशनल इन्टेलिजेन्स<BR></FONT></STRONG></P> <P>क्रोधो वैवस्वतो राजा , तृष्णा वैतरणी नदी ।<BR>विद्या कामदुधा धेनुः , संतोषं नन्दनं वनम ॥क्रोध यमराज है , तॄष्णा (इच्छा) वैतरणी नदी के समान है । विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है । )</P> <P>चिन्ता चिता के पास ले जाती है ।</P> <P>आत्महत्या , एक अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान है ।</P> <P>मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।</P> <P>हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये , लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये ।<BR>— मार्टिन लुथर किंग</P> <P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P> <P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.</P> <P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते |<BR>-– सल्वाडोर डाली</P> <P>सम्पूर्णता की आकांक्षा एक पागल्पन है ।</P> <P>जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने वश में कर लेता है, वह दूसरों के क्रोध से (फलस्वरूप) स्वयमेव बच जाता है |<BR>-– सुकरात</P> <P>जब क्रोध में हों तो दस बार सोच कर बोलिए , ज्यादा क्रोध में हों तो हजार बार सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P> <P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.<BR>-– डोरोथी पार्कर</P> <P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान डायक</P> <P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>– महाभारत</P> <P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P> <P>ज्ञानी पुरुषों का क्रोध भीतर ही, शांति से निवास करता है, बाहर नहीं |<BR>– खलील जिब्रान</P> <P>क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और संसार से छिपाकर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते हैं।<BR>-फ्रांत्स काफ्का</P> <P>गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।<BR>जब आवै सन्तोष धन सब धन धूरि समान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>संतोषं परमं सुखम् ।<BR>( सन्तोष सबसे बडा सुख है )</P> <P>यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता ) है ।</P> <P>रन बन ब्याधि बिपत्ति में , रहिमन मरे न रोय ।<BR>जो रक्षक जननी-जठर , सो हरि गये कि सोय ॥</P> <P>सुख दुख इस संसार में , सब काहू को होय ।<BR>ज्ञानी काटै ज्ञान से , मूरख काटै रोय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाये तो वह खतरनाक भी हो सकती है।<BR>— इंदिरा गांधी </P> <P>क्रोध , एक कमजोर आदमी द्वारा शक्ति की नकल है ।</P> <P>हे भगवान&nbsp;! मुझे धैर्य दो , और ये काम अभी करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हँसी / खुशी / प्रसन्नता / हर्ष / विषाद / शोक / सुख / दुख</FONT></STRONG></P> <P>यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।</P> <P>विवेक की सबसे प्रत्यक्ष पहचान सतत प्रसन्नता है ।<BR>— मान्तेन</P> <P>प्रकृति ने आपके भीतरी अंगों के व्यायाम के लिये और आपको आनन्द प्रदान करने के लिये हँसी बनायी है ।</P> <P>जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |<BR>-– टैगोर</P> <P>न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.</P> <P>सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।<BR>सुखातयोयाति नरोदरिद्रताम् धृत: शरीरेण मृत: स: जीवति।।<BR>—-शूद्रक (मृच्छकटिक नाटक)<BR>(सुख की शोभा दुःख के अनुभव के बाद होती है जैसे घने अंधकार में दीपक की। जो मनुष्य सुख से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।)</P> <P>रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।<BR>हित अनहित या जगत में , जानि परै सब कोय।।<BR>—-रहीम</P> <P>प्रसन्नता ऐसी कोई चीज नही जो तुम कल के लिये पोस्‍टपोंड कर दो, यह तो वो है जो हम अपने आज के लिये डिजाइन करते हैं .<BR>— जिम राहं</P> <P>जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं।<BR>–सुधांशु महाराज </P> <P>मुस्कान पाने वाला मालामाल हो जाता है पर देने वाला दरिद्र नहीं होता ।<BR>— अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धैर्य / धीरज</FONT></STRONG></P> <P>धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है ।<BR>— डिजरायली</P> <P>सुख में गर्व न करें , दुःख में धैर्य न छोड़ें ।<BR>- पं श्री राम शर्मा आचार्य</P> <P>धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय ।<BR>माली सींचै सौ घडा , ऋतु आये फल होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>हास्य-व्यंग्य सुभाषित</FONT></STRONG></P> <P>हे दरिद्रते&nbsp;! तुमको नमस्कार है । तुम्हारी कृपा से मैं सिद्ध हो गया हूँ ।<BR>(क्योंकि) मैं तो सारे संसार को देखता हूँ लेकिन मुझे कोई नहीं देखता ॥</P> <P>कमला कमलं शेते , हरः शेते हिमालये ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , मन्ये मत्कुणशंकया ॥</P> <P>लक्ष्मी कमल पर रहती हैं , शिव हिमालय पर रहते हैं ।<BR>विष्णु क्षीरसागर में रहते हैं , माना जाता है कि खटमल के डर से ॥</P> <P>कमला थिर न रहीम जग , यह जानत सब कोय ।<BR>पुरुष पुरातन की बधू , क्यों न चंचला होय ॥<BR>( कमला स्थिर नहीं है , यह सब लोग जानते हैं । बूढे आदमी ( विष्णु ) की पत्नी चंचला क्यों नहीं होगी&nbsp;? )</P> <P>असारे अस्मिन संसारे , सारं श्वसुर मन्दिरम् ।<BR>क्षीराब्धौ च हरिः शेते , हरः शेते हिमालये ॥<BR>( इस असार संसार में ससुराल ही सार वस्तु है । ( इसीलिये तो ) विष्णु क्षीरसागर में सोते हैं और शिव हिमालय पर । )</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मजाक का तरीका है। संसार मे यह सबसे विचित्र मजाक है।<BR>–जार्ज बर्नाड शा</P> <P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी कॉमेडी भर देगी&nbsp;?<BR>-– डिक कैवेट</P> <P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है. बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत का दर्द |<BR>-– मे वेस्ट</P> <P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P> <P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.</P> <P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक है.</P> <P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P> <P>अच्छा ही होगा यदि आप हमेशा सत्य बोलें, सिवाय इसके कि तब जब आप उच्च कोटि के झूठे हों |<BR>-– जेरोम के जेरोम</P> <P>किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा. उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.<BR>-– एनन</P> <P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P> <P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है. और यदि आप को 10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.<BR>-– पाल गेटी</P> <P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी किसिंजर</P> <P>भीख मांग कर पीने से प्यास नहीं बुझती</P> <P>मुझे मनुष्यों पर पूरा भरोसा है – जहां तक उनकी बुद्धिमत्ता का प्रश्न है – कोका कोला बहुत बिकता है बनिस्वत् शैम्पेन के.<BR>— एडले स्टीवेंसन</P> <P>यदि वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते.</P> <P>यदि आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P> <P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.<BR>-– बालज़ाक</P> <P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं हो जाता.</P> <P>ऐसा क्यों होता है कि कोई औरत शादी करके दस सालों तक अपने पति को सुधारने का प्रयास करती है और अंत में शिकायत करती है कि यह वह आदमी नहीं है जिससे उसने शादी की थी.<BR>-– बारबरा स्ट्रीसेंड</P> <P>बेचारगी महसूस करने से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि खुद को इतना व्यस्त रखो कि कभी यह सोचने का समय न मिले कि तुम खुश क्यों नही हो&nbsp;?</P> <P>जो अच्छा करना चाहता है द्वार खटखटाता है, जो प्रेम करता है द्वार खुला पाता है।</P> <P>मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।<BR>- हरिशंकर परसाई</P> <P>दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं। निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है। इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास रखने की सलाह दी है। </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>धर्म</FONT></STRONG></P> <P>धृति क्षमा दमोस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।<BR>धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो , दसकं धर्म लक्षणम ॥<BR>— मनु<BR>( धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , शौच ( स्वच्छता ), इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना&nbsp;; ये दस धर्म के लक्षण हैं । )</P> <P>श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।<BR>आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥<BR>— महाभारत<BR>( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो&nbsp;! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । )</P> <P>धर्मो रक्षति रक्षितः ।<BR>( धर्म रक्षा करता है ( यदि ) उसकी रक्षा की जाय । )</P> <P>धर्म का उद्देश्य मानव को पथभ्रष्ट होने से बचाना है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>कथनी करनी भिन्न जहाँ हैं , धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ है ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>उसी धर्म का अब उत्थान , जिसका सहयोगी विज्ञान ॥<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>धर्म , व्यक्ति एवं समाज , दोनों के लिये आवश्यक है।<BR>— डा॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>धर्म वह संकल्पना है जो एक सामान्य पशुवत मानव को प्रथम इंसान और फिर भगवान बनाने का सामर्थय रखती है ।<BR>–स्वामी विवेकांनंद</P> <P>धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है ।<BR>— डा शंकरदयाल शर्मा </P> <P>धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं ।<BR>— महाभारत </P> <P>धर्मरहित विज्ञान लंगडा है , और विज्ञान रहित धर्म अंधा ।<BR>— आइन्स्टाइन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सत्य / सच्चाई / इमानदारी / असत्य</FONT></STRONG></P> <P>असतो मा सदगमय ।।<BR>तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥<BR>मृत्योर्मामृतम् गमय ॥</P> <P>(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।<BR>अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।।<BR>मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।</P> <P>सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् ।<BR>प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥</P> <P>सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये ।<BR>प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये&nbsp;; यही सनातन धर्म है ॥</P> <P>सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है।<BR>- जार्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।<BR>जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद व्यास</P> <P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.</P> <P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P> <P>झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।<BR>- लीमैन बीकर</P> <P>नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।<BR>—–गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है ।<BR>–सत्यार्थप्रकाश </P> <P>साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।<BR>— बबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अहिंसा , हिंसा , शांति</FONT> </STRONG></P> <P>याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।<BR>सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव की समाप्ति नहीं है, न्याय की मौजूदगी भी है।<BR>- मार्टिन सूथर किंग जूनियर </P> <P>‘अहिंसा’ भय का नाम भी नहीं जानती।<BR>- महात्मा गांधी </P> <P>आंदोलन से विद्रोह नहीं पनपता बल्कि शांति कायम रहती है।<BR>- वेडेल फिलिप्स</P> <P>‘हिंसा’ को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है। दूसरी ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के लिए मस्तिष्क की और काम करने के लिए हाथ की।<BR>- स्वामी विवेकानंद </P> <P>कस्र्णा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है ।<BR>–सुदर्शन </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पाप, पुण्य, पवित्रता</FONT></STRONG></P> <P>जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।<BR>- फुलर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अतिथि</FONT></STRONG></P> <P>मछली एवं अतिथि , तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं ।<BR>— बेंजामिन फ्रैंकलिन</P> <P>अतिथि देवो भव ।<BR>( अतिथि को देवता समझो । )</P> <P>सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का स्वागत करो ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संस्कृति</FONT></STRONG></P> <P>आंशिक संस्कृति श्रृंगार की ओर दौडती है , अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर ।<BR>— बोबी</P> <P>संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है जिससे कोई समुदाय विशेष जीवन की समस्याओं पर दृष्टि निक्षेप करता है ।<BR>— डा. सम्पूर्णानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुण / सदगुण / अवगुण</FONT></STRONG></P> <P>सौरज धीरज तेहि रथ चाका , सत्य शील डृढ ध्वजा पताका ।<BR>बल बिबेक दम परहित घोरे , क्षमा कृपा समता रिजु जोरे ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>आकाश-मंडल में दिवाकर के उदित होने पर सारे फूल खिल जाते हैं, इस में आश्चर्य ही क्या? प्रशंसनीय है तो वह हारसिंगार फूल (शेफाली) जो घनी आधी रात में भी फूलता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।<BR>- भगवान महावीर</P> <P>कलाविशेष में निपुण भले ही चित्र में कितने ही पुष्प बना दें पर क्या वे उनमें सुगंध पा सकते हैं और फिर भ्रमर उनसे रस कैसे पी सकेंगे।<BR>- पंडितराज जगन्नाथ</P> <P>कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए।<BR>- दर्पदलनम् १।२९</P> <P>गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है।<BR>- वासवदत्ता</P> <P>घमंड करना जाहिलों का काम है।<BR>- शेख सादी</P> <P>तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता।<BR>- ओशो</P> <P>मैं कोयल हूं और आप कौआ हैं-हम दोनों में कालापन तो समान ही है किंतु हम दोनों में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते हैं।<BR>- साहित्यदर्पण</P> <P>यदि राजा किसी अवगुण को पसंद करने लगे तो वह गुण हो जाता है |<BR>-– शेख़ सादी</P> <P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P> <P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.</P> <P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P> <P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है और उसमें ज्ञान का मधुर फल लगता है।<BR>— दीनानाथ दिनेश</P> <P>जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुणी ही गुणवान् की पहचान कर सकता है |<BR>– कबीर</P> <P>गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है |<BR>– शेक्सपीयर</P> <P>कुल की प्रशंसा करने से क्या लाभ? शील ही (मनुष्य की पहचान का) मुख्य कारण है। क्षुद्र मंदार आदि के वृक्ष भी उत्तम खेत में पड़ने से अधिक बढते-फैलते हैं।<BR>- मृच्छकटिक</P> <P>सभी लोगों के स्वभाव की ही परिक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरिहै)।<BR>- हितोपदेश</P> <P>पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैल जाती है ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>संयम / त्याग / सन्यास / वैराग्य</FONT></STRONG></P> <P>संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास ।<BR>— काका कालेलकर </P> <P>ताती पाँव पसारियो जेती चादर होय.</P> <P>भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसाकि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है।<BR>- सांख्य दर्शन</P> <P>भोगविलास ही जिनके जीवन का प्रयोजन<BR>आलसी, असंयत करें अत्यधिक भोजन।<BR>मार करता है इन निर्बलों की तवाही<BR>करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।।<BR>—-गौतम बुद्ध (धम्मपद ७) </P> <P>संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है और संयम अतिभोग को रोकता है ।<BR>— रूसो</P> <P>नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये ।<BR>— रामकृष्ण परमहंस </P> <P>महान कार्य महान त्याग से ही सम्पन्न होते हैं ।<BR>— स्वामी विवेकानन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>परोपकार / कृतज्ञता / आभार / प्रत्युपकार</FONT></STRONG></P> <P>परहित सरसि धरम नहि भाई ।<BR>— गो. तुलसीदास</P> <P>अष्टादस पुराणेषु , व्यासस्य वचनं द्वयम् ।<BR>परोपकारः पुण्याय , पापाय परपीडनम् ॥</P> <P>अट्ठारह पुराणों में व्यास जी ने केवल दो बात कही है&nbsp;; दूसरे का उपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरे को पीडा देने से पाप ।</P> <P>पिबन्ति नद्यः स्वमेय नोदकं , स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।<BR>धाराधरो वर्षति नात्महेतवे , परोपकाराय सतां विभूतयः ।।<BR>——-अज्ञात<BR>(नदियाँ स्वयं अपना पानी नहीं पीती हैं। वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं। बादल अपने लिये वर्षा नहीं करते हैं। सन्तों का का धन परोपकार के लिये होता है ।)</P> <P>जिसने कुछ एसहाँ किया , एक बोझ हम पर रख दिया । </P> <P>सर से तिनका क्या उतारा , सर पर छप्पर रख दिया ॥<BR>— चकबस्त </P> <P>समाज के हित में अपना हित है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिस हरे-भरे वृक्ष की छाया का आश्रय लेकर रहा जाए, पहले उपकारों का ध्यान रखकर उसके एक पत्ते से भी द्रोह नहीं करना चाहिए।<BR>- महाभारत</P> <P>नेकी कर और दरिया में डाल।<BR>—-किस्सा हातिमताई(?)</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>प्रेम / प्यार / घॄणा</FONT> </STRONG></P> <P>उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है।<BR>- तिरुवल्लुवर</P> <P>जो अकारण अनुराग होता है उसकी प्रतिक्रिया नहीं होती है क्योंकि वह तो स्नेहयुक्त सूत्र है जो प्राणियों को भीतर-ही-भीतर (ह्रदय में) सी देती है।<BR>- उत्तररामचरित</P> <P>पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है।<BR>- लार्ड बायरन</P> <P>रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चिटकाय।<BR>तोड़े से फिर ना जुड़ै , जुड़े गाँठ पड़ि जाय।।<BR>—-रहीम</P> <P>पोथी पढि पढि जग मुआ , पंडित भया न कोय ।<BR>ढाई अक्षर प्रेम का पढे , सो पंडित होय ॥</P> <P><STRONG>क्षमा / बदला </STRONG></P> <P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी लात ॥<BR>— रहीम</P> <P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P> <P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है ।</P> <P>क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो ।<BR>— रामधारी सिंह दिनकर</P> <P><STRONG>सदाचार</STRONG></P> <P>सदाचार , शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है ।</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लज्जा / शर्म / हया</FONT></STRONG></P> <P>यदि कोई लडकी लज्जा का त्याग कर देती है तो अपने सौन्दर्य का सबसे बडा आकर्षण खो देती है ।<BR>— सेंट ग्रेगरी</P> <P>धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।<BR>आहारे व्यवहारे च , त्यक्तलज्जः सुखी भवेत ॥</P> <P>( धन-धान्य के लेन-देन में , विद्या के उपार्जन में , भोजन करने में और व्यवहार मे लज्जा-सम्कोच न करने वाला सुखी रहता है । )</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff></FONT></STRONG>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>जीवन-दर्शन</FONT></STRONG></P> <P>येषां न विद्या न तपो न दानं , ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।<BR>ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः , मनुष्यरूपे मृगाश्चरन्ति ॥</P> <P>जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है , न ज्ञान है , न शील है , न गुण है और न धर्म है&nbsp;; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर पशु की तरह चरते हैं (जीवन व्यतीत करते हैं ) ।<BR>— भर्तृहरि</P> <P>मनुष्य कुछ और नहीं , भटका हुआ देवता है ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>हर दिन नया जन्म समझें , उसका सदुपयोग करें ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>मानव तभी तक श्रेष्ठ है , जब तक उसे मनुष्यत्व का दर्जा प्राप्त है । बतौर पशु , मानव किसी भी पशु से अधिक हीन है।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>आदर्श के दीपक को , पीछे रखने वाले , अपनी ही छाया के कारण , अपने पथ को , अंधकारमय बना लेते हैं।<BR>— रवीन्द्र नाथ टैगोर</P> <P>क्लोज़-अप में जीवन एक त्रासदी (ट्रेजेडी) है, तो लंबे शॉट में प्रहसन (कॉमेडी) |<BR>-– चार्ली चेपलिन</P> <P>आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है |<BR>-– मार्क ऑरेलियस अन्तोनियस</P> <P>हमेशा बत्तख की तरह व्यवहार रखो. सतह पर एकदम शांत , परंतु सतह के नीचे दीवानों की तरह पैडल मारते हुए |<BR>-– जेकब एम ब्रॉदे</P> <P>जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है |<BR>-– रॉल्फ वाल्डो इमर्सन</P> <P>अव्यवस्था से जीवन का प्रादुर्भाव होता है , तो अनुक्रम और व्यवस्थाओं से आदत |<BR>-– हेनरी एडम्स</P> <P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P> <P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़. जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है. जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है. और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.<BR>-– जे पी डोनलेवी</P> <P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं हुआ है.</P> <P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही प्यासे होते जाते हैं.</P> <P>हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं.<BR>- - शेक्सपीयर</P> <P>दूब की तरह छोटे बनकर रहो. जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है |<BR>-– महात्मा गांधी</P> <P>मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है |<BR>-– चाणक्य</P> <P>जीवन एक रहस्य है, जिसे जिया न जा सकता है, जी कर जाना भी जा सकता है लेकिन गणित के प्रश्नों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता। वह सवाल नहीं - एक चुनौती है, एक अभियान है।<BR>- ओशो </P> <P>मेरी समझ में मनुष्य का व्यक्तिगत अस्तित्व एक नदी की तरह का होना चाहिए। नदी प्रारंभ में बहुत पतली होती है। पत्थरों, चट्टानों, झरनों को पार करके मैदान में आती है, एक क्रम से उसका विस्तार होता है, फिर भी बड़ी मन्थर गति से बहती है और बिना क्रम भंग किये अंत में समुद्र में विलीन हो जाती है। समुद्र में अपने अस्तित्व को समाप्त करते समय वह किसी भी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं करती जो वृद्ध परुष जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड रसेल</P> <P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर) काव्यादर्श</P> <P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति दूर।।<BR>——रहीम</P> <P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।<BR>–गीता (अध्याय 2/62, 63)</P> <P>विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसे मधुर बनाता है ।<BR>–अज्ञात </P> <P>मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता |<BR>–चाणक्य </P> <P>आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं । इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता ।<BR>–पं रामप्रताप त्रिपाठी </P> <P>कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते हैं ।<BR>–लोकमान्य तिलक </P> <P>प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।<BR>— अज्ञात </P> <P>जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिये |<BR>— वेदव्यास </P> <P>जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं ।<BR>–गौतम बुद्ध </P> <P>वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है। -स्वामी रामतीर्थ </P> <P>अपने विषय में कुछ कहना प्राय:बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को ।<BR>–महादेवी वर्मा </P> <P>जैसे अंधे के लिये जगत अंधकारमय है और आंखों वाले के लिये प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिये जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिये आनंदमय |<BR>— सम्पूर्णानंद </P> <P>बाधाएं व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिये, मंद नहीं पड़ना चाहिये ।<BR>— यशपाल </P> <P>कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है ।<BR>— सावरकर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>नीति / लोकनीति / नय / व्यवहार कौशल</FONT></STRONG></P> <P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से ॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P> <P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.</P> <P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P> <P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P> <P>कांटों को मुरझाने का डर नहीं सताता.</P> <P>रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।<BR>जहाँ काम आवै सुई काह करै तरवारि।।<BR>—–रहीम</P> <P>कह रहीम सम्पत्ति सगे , मिलत बहुत बहु रीति ।<BR>बिपति-कसौटी जे कसै , सोई साँचे मीत ॥</P> <P>कह रहीम कैसे निभै , बेर केर को संग ।<BR>वे दोलत रस आपने , उनके फाटत अंग ॥</P> <P>बसि कुसंग चाहत कुशल , यह रहीम जिय सोस ।<BR>महिमा घटी समुद्र की , रावन बस्या परोस ॥</P> <P>खैर खून खाँसी खुशी , बैर प्रीति मद पान ।<BR>रहिमन दाबे ना दबे , जानत सकल जहान ॥</P> <P>बिगरी बात बने नहीं , लाख करो किन कोय ।<BR>रहिमन फाटै दूध को , मथे न माखन होय ॥</P> <P>केवल वीरता से नहीं , नीतियुक्त वीरता से जय होती है । अन्य वस्तु के साथ मिलाकर विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।</P> <P>बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।<BR>— पंचतन्त्र<BR>( बलवान से आक्रान्त होने पर मनुष्य को बेंत की रीति-नीति का अनुपालन करना चाहिये, अर्थात नम्र हो जाना चाहिये । )</P> <P>कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और स्र्आब दिखाने से नहीं ।<BR>— प्रेमचंद </P> <P>आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता ।<BR>–चाणक्य </P> <P>जहां प्रकाश रहता है वहां अंधकार कभी नहीं रह सकता ।<BR>— माघ्र </P> <P>जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं ।<BR>–रवीन्द्र </P> <P>जहाँ अकारण अत्यन्त सत्कार हो , वहाँ परिणाम में दुख की आशंका करनी चाहिये ।<BR>— कुमार सम्भव</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>लक्ष्य / उद्देश्य / ध्येय</FONT></STRONG></P> <P>यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |</P> <P>महान ध्येय ( लक्ष्य ) महान मस्तिष्क की जननी है ।<BR>— इमन्स</P> <P>जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना ।<BR>— सुभाषचंद्र बोस! </P> <P>जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिये समर्पित हो । यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो ।<BR>–इंदिरा गांधी </P> <P>विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है । </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह / सपने देखना</FONT></STRONG></P> <P>मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |<BR>– वेदव्यास</P> <P>इच्छा ही सब दुःखों का मूल है |<BR>-– बुद्ध</P> <P>भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या बिना अग्नि के धुएं की शिखा कभी दिखाई देती है?<BR>- गाथासप्तशती</P> <P>स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके ।<BR>–आचार्य तुलसी </P> <P>माया मरी न मन मरा , मर मर गये शरीर ।<BR>आशा तृष्ना ना मरी , कह गये दास कबीर ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>सन्तान / पुत्र</FONT></STRONG></P> <P>पूत सपूत त का धन संचय , पूत कपूत त का धन संचय ।</P> <P>अजात्मृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम् ।<BR>यतः तौ स्वल्प दुखाय, जावज्जीवं जडो दहेत् ॥<BR>— पंचतन्त्र<BR>( अजात् ( जो पैदा ही नहीं हुआ ) , मृत और मूर्ख - इन तीन तरह के पुत्रों मे से अजात और मृत पुत्र अधिक श्रेष्ठ हैं , क्योंकि अजात और मृत पुत्र अल्प दुख ही देते हैं । किन्तु मूर्ख पुत्र जब तक जीवन है तब तक जलाता रहता है । ) </P> <P>माता शत्रुः पिता बैरी , येन बालो न पाठितः ।<BR>सभामध्ये न शोभते , हंसमध्ये बको यथा ॥<BR>जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है ।<BR>(क्योंकि) सभा में वह (बालक) ऐसे ही शोभा नहीं पाता जैसे हंसों के बीच बगुला ।</P> <P>दो बच्चों से खिलता उपवन ।<BR>हँसते-हँसते कटता जीवन ।।</P> <P>धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ.</P> <P>जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है |<BR>–कहावत </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पालन-पोषण / पैरेन्टिग</FONT></STRONG></P> <P>किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।<BR>— बिनोवा भावे</P> <P>बुद्धिमान पिता वह है जो अपने बच्चों को जाने.</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाधीनता / स्वतन्त्रता / पराधीनता</FONT></STRONG></P> <P>पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।<BR>— गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।</P> <P>आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।<BR>— जार्ज बर्नाड शॉ</P> <P>स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।<BR>–विनोबा </P> <P>जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।<BR>–स्वामी रामतीर्थ </P> <P>नरक क्या है&nbsp;? पराधीनता ।<BR>— आदि शंकराचार्य</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / हाइपोक्रिसी</FONT></STRONG></P> <P>माला तो कर में फिरै , जीभ फिरै मुख माँहि ।<BR>मनवा तो चहु दिश फिरै , ये तो सुमिरन नाहिं ॥<BR>— कबीर</P> <P>दिन में रोजा करत है , रात हनत है गाय ।<BR>— कबीर</P> <P>चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है।<BR>- सर्वपल्ली राधाकृष्णन</P> <P>हिन्दुस्तान का आदमी बैल तो पाना चाहता है लेकिन गाय की सेवा करना नहीं चाहता। वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही कद्र करता है। हिन्दुस्तान के लोग चाहते हैं कि उनकी माता तो रहे भैंस और पिता हो बैल। योजना तो ठीक है लेकिन वह भगवान को मंजूर नहीं है।<BR>- विनोबा</P> <P>भारतीय संस्कृति और धर्म के नाम पर लोगों को जो परोसा जा रहा है वह हमें धर्म के अपराधीकरण की ओर ले जा रहा है। इसके लिये पंडे, पुजारी, पादरी, महंत, मौलवी, राजनेता आदि सभी जिम्मेदार हैं। ये लोग धर्म के नाम पर नफरत की दुकानें चलाकर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं।<BR>- स्वामी रामदेव</P> <P>पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं कि सत्य को दफ़नाया जा सकता है, उसकी हत्या नहीं की जा सकती। सत्य कब्र से भी उठकर सामने आ जाता है और उनके पीछे भूत की तरह लग जाता है जिन्होंने उसे दफ़न करने की साज़िश की थी।<BR>- अनीता प्रताप</P> <P>बकरियों की लड़ाई, मुनि के श्राद्ध, प्रातःकाल की घनघटा तथा पति-पत्नी के बीच कलह में प्रदर्शन अधिक और वास्तविकता कम होती है।<BR>- नीतिशास्त्र</P> <P>पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।<BR>जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।<BR>—- गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो.</P> <P>जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते |<BR>-– नवाजो</P> <P>जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए |<BR>-– कनफ़्यूशियस</P> <P>सोचना, कहना व करना सदा समान हो.</P> <P>नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है ।<BR>–संत तिस्र्वल्लुवर </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>पुस्तकें</FONT></STRONG></P> <P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है |<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P> <P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.</P> <P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे ब्रेडबरी</P> <P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.</P> <P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।<BR>— एमर्शन</P> <P>किताबें ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं ।<BR>–अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वाध्याय / अध्ययन</FONT></STRONG></P> <P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P> <P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है.</P> <P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं&nbsp;; न ही कोई खुशी , उतनी स्थायी ।<BR>— जोसेफ एडिशन</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>गुरू</FONT></STRONG></P> <P>आत्मनो गुरुः आत्मैव पुरुषस्य विशेषतः |<BR>यत प्रत्यक्षानुमानाभ्याम श्रेयसवनुबिन्दते ||<BR>( आप ही स्वयं अपने गुरू हैं | क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान के द्वारा पुरुष जान लेता है कि अधिक उपयुक्त क्या है | )</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उपयोग, दुर्उपयोग</FONT></STRONG></P> <P>जड़, तना, बहुतेरे पत्ते और फल सब कुछ मेरे पास है। फिर भी मात्र छाया से रहित होने के कारण संसार मुझ खजूर की निंदा करता रहता है।<BR>- आर्यान्योक्तिशतक</P> <P>अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं जो उनके द्वारा उपार्जित नहीं होता, वे चीज़ें खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते।<BR>- जानसन </P> <P>मुक्त बाजार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें खरीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है।<BR>- अरुंधती राय</P> <P>संसार में दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता को चिता में प्रवेश करने पर ही छोड़ता है।<BR>सूक्तिमुक्तावली-७०</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>भाग्य / किश्‍मत</FONT></STRONG></P> <P>आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है |<BR>-– पालशिरू</P> <P>दुनिया में कोई भी व्यक्ति वस्तुतः भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि मैंने एक भी ऐसा आदमी नहीं देखा, जो अपने घर में आग लगने की बात जान कर भी निश्चित बैठा रहे।<BR>- जे.बी. एस. हॉल्डेन</P> <P>कादर मन कँह एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।<BR>——गोस्वामी तुलसीदास</P> <P>हर इक बदनसीबी आने वाले कल की खुशनसीबी का बीज लेकर आती है .<BR>— ओग मेनडिनो</P> <P>भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है ।<BR>-अज्ञात </P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P> <P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P> <P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है. एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P> <P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । )</P> <P>कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है।<BR>- नीतिवाक्यामृत-३।१२</P> <P>जिस राष्ट्र में चरित्रशीलता नहीं है उसमें कोई योजना काम नहीं कर सकती ।<BR>— विनोबा </P> <P>मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है ।<BR>— स्वामी विवेकाननद</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>ईश्वर</FONT></STRONG></P> <P>ईश प्राप्ति (शांति) के लिए अंतःकरण शुद्ध होना चाहिए |<BR>– रविदास</P> <P>ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले हैं. लेने के लिए तुम्हें प्रयत्न करना होगा |<BR>– गुरु नानक देव</P> <P>रहिमन बहु भेषज करत , ब्याधि न छाडत साथ ।<BR>खग मृग बसत अरोग बन , हरि अनाथ के नाथ ॥</P> <P>अजगर करैं न चाकरी, पंछी करैं न काम।<BR>दास मलूका कहि गये सब के दाता राम।।<BR>—– सन्त मलूकदास</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>मीठी बोली / मधुर वचन / कर्कश वाणी</FONT></STRONG></P> <P>तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर । </P> <P>वशीकरण इक मंत्र है , परिहहुँ बचन कठोर ॥ </P> <P>ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय ।<BR>औरन को शीतल लगे , आपहुँ शीतल होय ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>मधुर वचन है औषधि , कटुक वचन है तीर ।<BR>श्रवण मार्ग ह्वै संचरै , शाले सकल शरीर ॥<BR>— कबीरदास</P> <P>प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।<BR>तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥<BR>( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता&nbsp;? )</P> <P>नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं |<BR>-– तिरूवल्लुवर</P> <P>नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है |<BR>– सुकरात</P> <P>अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं |<BR>-– बुद्ध</P> <P>खीरा सिर ते काटिये , मलियत लौन लगाय ।<BR>रहिमन करुवे मुखन को , चहिये यही सजाय ॥</P> <P>कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।<BR>— प्रेमचन्द</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>उदारता</FONT></STRONG></P> <P>अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।<BR>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥</P> <P>यह् अपना है और यह पराया है ऐसी गणना छोटे दिल वाले लोग करते हैं ।<BR>उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है ।</P> <P>सत्यमेव जयते । ( सत्य ही विजयी होता है )</P> <P>सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।<BR>सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥</P> <P>सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।<BR>सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥</P> <P>यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं<BR>– हैरी एस. ट्रूमेन</P> <P>श्रेष्ठ आचरण का जनक परिपूर्ण उदासीनता ही हो सकती है |<BR>-– काउन्ट रदरफ़र्ड</P> <P>उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं ।<BR>-चीनी कहावत</P> <P>कबिरा आप ठगाइये , और न ठगिये कोय ।<BR>आप ठगे सुख होत है , और ठगे दुख होय ॥<BR>— कबीर</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>स्वास्थ्य</FONT></STRONG></P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय ।<BR>— श्रीराम शर्मा , आचार्य</P> <P>जिसका यह दावा है कि वह आध्यात्मिक चेतना के शिखर पर है मगर उसका स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो इसका अर्थ है कि मामला कहीं गड़बड़ है।<BR>- महात्मा गांधी</P> <P>स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है ।</P> <P>शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम । ( यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते हैं )</P> <P>आहार , स्वप्न ( नींद ) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ ( पिलर ) हैं ।<BR>— महर्षि चरक</P> <P>को रुक् , को रुक् , को रुक्&nbsp;?<BR>हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।<BR>( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है&nbsp;?<BR>हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )</P> <P>स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है।<BR>— मार्क ट्वेन</P> <P>बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है, वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।<BR>- अष्टावक्र </P> <P>नीम हकीम खतरे जान ।<BR>खतरे मुल्ला दे ईमान।।<BR>—-अज्ञात</P> <P>&nbsp;</P> <P>&nbsp;</P> <P><STRONG><FONT color=#0000ff>अन्य / विविध / अवर्गीकृत</FONT></STRONG></P> <P>योगः चित्त्वृत्तिनिरोधः ।</P> <P>वाक्यं रसात्मकं काव्यम ।</P> <P>अलंकरोति इति अलंकारः ।</P> <P>सर्वनाश समुत्पन्ने अर्धो त्यजति पण्डितः ।<BR>( जहाँ पूरा जा रहा हो वहाँ पण्डित आधा छोड देता है ) </P> <P>बिनु संतोष न काम नसाहीं , काम अक्षत सुख सपनेहु नाही । </P> <P>एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाय । </P> <P>रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय ॥ </P> <P>उदाहरण वह पाठ है जिसे हर कोई पढ सकता है ।</P> <P>भोगाः न भुक्ता वयमेव भुक्ता: , तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा: ।<BR>( भोग नहीं भोगे गये, हम ही भोगे गये । इच्छा बुढी नहीं हुई , हम ही बूढे हो गये । )<BR>— भर्तृहरि</P> <P>चेहरों में सबसे भद्दा चेहरा मनुष्य काही है ।<BR>— लैब्रेटर</P> <P>हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।<BR>— बेन्जामिन</P> <P>हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है ।<BR>— अनोन</P> <P>कीरति भनिति भूति भलि सोई , सुरसरि सम सबकँह हित होई ॥<BR>— तुलसीदास</P> <P>स्पष्टीकरण से बचें । मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं&nbsp;; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे ।<BR>— अलबर्ट हबर्ड</P> <P>अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने के लिये , बिल्कुल नहीं।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>विजयी व्यक्ति स्वभाव से , बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।<BR>— प्रेमचंद</P> <P>मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।<BR>— महात्मा गाँधी</P> <P>परमार्थ&nbsp;: उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता ।</P> <P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P> <P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.</P> <P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-– थियोडॉर रूज़वेल्ट</P> <P>आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता |<BR>-– जॉर्ज बर्नार्ड शॉ</P> <P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’ बनाया.</P> <P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.</P> <P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P> <P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P> <P>तालाब शांत है इसका अर्थ यह नहीं कि इसमें मगरमच्छ नहीं हैं<BR>-– माले</P> <P>सूर्य की तरफ मुँह करो और तुम्हारी छाया तुम्हारे पीछे होगी |<BR>-– माओरी</P> <P>खेल के अंत में राजा और पिद्दा एक ही बक्से में रखे जाते हैं |<BR>-– इतालवी सूक्ति</P> <P>यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये ।<BR>-– हैरी एस ट्रुमेन</P> <P>जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ.<BR>— एलेक्जेंडर स्मिथ</P> <P>अगर आपके पास जेब में सिर्फ दो पैसे हों तो एक पैसे से रोटी खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली.</P> <P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P> <P>कविता में कोई पैसा नहीं है. परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.<BR>-– रॉबर्ट ग्रेव्स</P> <P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है.</P> <P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी&nbsp;?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P> <P>जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी<BR>—–महर्षि वाल्मीकि (रामायण)<BR>( जननी ( माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P> <P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P> <P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.</P> <P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P> <P>ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश।<BR>—-घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर जिले के निवासी)</P> <P>तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।<BR>ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय ॥</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति करने से सर्वत्र बचना चाहिये । ) </P> <P>कोई भी देश अपनी अच्छाईयों को खो देने पर पतीत होता है। -गुरू नानक</P> <P>प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह</P> <P>जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। -वेद</P> <P>ज्ञानीजन विद्या विनय युक्त ब्राम्हण तथा गौ हाथी कुत्ते और चाण्डाल मे भी समदर्शी होते हैं ।</P> <P>यदि सज्जनो के मार्ग पर पुरा नही चला जा सकता तो थोडा ही चले । सन्मार्ग पर चलने वाला पुरूष नष्ट नही होता।</P> <P>कोई भी वस्तु निरर्थक या तुच्छ नहीम है । प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति मे सर्वोत्कृष्ट है ।<BR>— लांगफेलो</P> <P>दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत ।<BR>इंसान जरा सैर करे , घर से निकल कर ॥<BR>— दाग</P> <P>विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते ।<BR>— आगस्टाइन</P> <P>दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा रामकुमार वर्मा </P> <P>डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। -अज्ञात </P> <P>जिसने अकेले रह कर अकेलेपन को जीता उसने सबकुछ जीता। -अज्ञात </P> <P>अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का ।<BR>— कहावत </P> <P>ऐसे देश को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा ।<BR>–विनोबा </P> <P>विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है ।<BR>–रवींद्रनाथ ठाकुर </P> <P>आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। -महात्मा गांधी </P> <P>पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद </P> <P>उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के अधिक निकट होते हैं।<BR>–अज्ञात</P> <P>विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है । - अज्ञात </P> <P>गरीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार गऱीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - सादी </P> <P>जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का पतिबिम्ब नहीं पड़ सकता । - रामकृष्ण परमहंस </P> <P>मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात </P> <P>जैसे छोटा सा तिनका हवा का स्र्ख़ बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं मनुष्य के हृदय की वृत्ति को बताती हैं। - महात्मा गांधी </P> <P>देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। -बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’ </P> <P>दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है। -अज्ञात </P> <P>चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। -रवीन्द्र </P> <P>जल में मीन का मौन है, पृथ्वी पर पशुओं का कोलाहल और आकाश में पंछियों का संगीत पर मनुष्य में जल का मौन पृथ्वी का कोलाहल और आकाश का संगीत सबकुछ है। -रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। -सत्यसांई बाबा </P> <P>अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है। - प्रेमचंद </P> <P>खातिरदारी जैसी चीज़ में मिठास जरूर है, पर उसका ढकोसला करने में न तो मिठास है और न स्वाद। -शरतचन्द्र </P> <P>लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है । -मुक्ता </P> <P>अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं। -हरिऔध </P> <P>मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है। - रवीन्द्रनाथ ठाकुर </P> <P>मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है । -गौतम बुद्ध </P> <P>स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! -लोकमान्य तिलक </P> <P>त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। -बस्र्आ </P> <P>दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते। -प्रेमचंद </P> <P>अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है। -जयशंकर प्रसाद </P> <P>अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं -महर्षि अरविन्द </P> <P>द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है। - विनोबा </P> <P>सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिये उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा </P> <P>सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है। - श्री अरविंद </P> <P>सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है । एक जुल्मों के खिलाफ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरूद्ध । - सरदार पटेल </P> <P>तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं। - वाल्मीकि </P> <P>भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।<BR>- रत्वान रोमेन खिमेनेस</P> <P>जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।</P> <P>तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।</P> <P>लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।</P> <P>रत्नं रत्नेन संगच्छते ।<BR>( रत्न , रत्न के साथ जाता है )</P> <P>गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।<BR>( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है , बल प्रयोग नहीं )</P> <P>निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् ।<BR>( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक है । )</P> <P>अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति ।<BR>( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । )</P> <P>अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश: |<BR>( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता है । )</P> <P>अति तृष्णा विनाशाय.<BR>( अधिक लालच नाश कराती है । )</P> <P>अति सर्वत्र वर्जयेत् ।<BR>( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । )</P> <P>अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌.<BR>( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है । )</P> <P>अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌.<BR>( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । )</P> <P>अल्पविद्या भयङ्करी.<BR>( अल्पविद्या भयंकर होती है । )</P> <P>कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌.<BR>( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । )</P> <P>ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:.<BR>( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> <P>प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌.<BR>( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । )</P> <P>मधुरेण समापयेत्‌.<BR>( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । )</P> <P>मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.<BR>( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । )</P> <P>शठे शाठ्यं समाचरेत् ।<BR>( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) </P> <P>सत्यं शिवं सुन्दरम्‌.<BR>( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) )</P> <P>सा विद्या या विमुक्तये.<BR>( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । )</P> Help:Contents 1400 3443 2005-10-28T01:46:16Z 71.194.76.156 [http://178620.a.mq6.info 0] [http://156379.a.mq6.info 1] [http://76346.a.mq6.info 2] [http://101136.a.mq6.info 3] [http://96155.a.mq6.info 4] [http://78714.a.mq6.info 5] [http://147354.a.mq6.info 6] [http://68630.a.mq6.info 7] [http://120997.a.mq6.info 8] [http://15978.a.mq6.info 9] [http://129579.a.mq6.info 10] [http://51463.a.mq6.info 11] [http://53987.a.mq6.info 12] [http://15003.a.mq6.info 13] [http://157263.a.mq6.info 14] [http://107482.a.mq6.info 15] [http://136992.a.mq6.info 16] [http://10924.a.mq6.info 17] [http://6490.a.mq6.info 18] [http://107872.a.mq6.info 19] [http://73945.a.mq6.info 20] [http://194017.a.mq6.info 21] [http://100505.a.mq6.info 22] [http://66740.a.mq6.info 23] [http://41934.a.mq6.info 24] [http://52853.a.mq6.info 25] [http://59073.a.mq6.info 26] [http://135080.a.mq6.info 27] [http://108534.a.mq6.info 28] [http://22214.a.mq6.info 29] [http://83567.a.mq6.info 30] [http://88250.a.mq6.info 31] 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If it still doesn't work, try logging out and logging back in.</strong> MediaWiki:Tog-showjumplinks 1432 sysop 3504 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default Enable "jump to" accessibility links MediaWiki:Uid 1433 sysop 3509 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default User ID: 3546 2005-11-29T00:53:42Z MediaWiki default User ID: 3565 2005-11-29T21:05:32Z MediaWiki default User ID: 3611 2005-12-02T02:19:04Z MediaWiki default User ID: 3636 2005-12-02T03:56:06Z MediaWiki default User ID: 3692 2005-12-22T07:14:42Z MediaWiki default User ID: 3709 2006-01-01T13:00:12Z MediaWiki default User ID: MediaWiki:Unwatchedpages 1434 sysop 3511 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default Unwatched pages MediaWiki:Username 1435 sysop 3513 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default Username: 3548 2005-11-29T00:53:42Z MediaWiki default Username: 3567 2005-11-29T21:05:32Z MediaWiki default Username: 3615 2005-12-02T02:19:04Z MediaWiki default Username: 3638 2005-12-02T03:56:06Z MediaWiki default Username: 3694 2005-12-22T07:14:42Z MediaWiki default Username: 3710 2006-01-01T13:00:13Z MediaWiki default Username: MediaWiki:Val max topics 1436 sysop 3515 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default Maximum number of $1 topics reached MediaWiki:Val no topics defined 1437 sysop 3516 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default No topics defined MediaWiki:Val no topics defined text 1438 sysop 3517 2005-11-09T22:26:01Z MediaWiki default You have no topics defined which can be rated. Go to [[Special:Validate]], and have an administrator run the "Manage" function to add at least one topic and point range. 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2006-02-07T19:37:27Z Gangleri 13 {{babel-8|de|ro-2|ru-1|eo-3|yi-1|en-2|fr-1|is-1}} <font id="top" /><span dir="ltr" ><span class="plainlinks">[[commons:user:{{PAGENAME}}|c:]] [[b:user:{{PAGENAME}}|b:]] [[m:user:{{PAGENAME}}|m:]] [[n:user:{{PAGENAME}}|n:]] [[<!-- q: -->user:{{PAGENAME}}|q:]] [[s:user:{{PAGENAME}}|s:]] [[w:user:{{PAGENAME}}|w:]] [[wikt:user:{{PAGENAME}}|wikt:]] / [[:en:user:{{PAGENAME}}|en:]] [[:yi:user:{{PAGENAME}}|yi:]] /</span></span> [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|action=purge}} ↺] [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|oldid={{REVISIONID}}}} rev-ID : {{REVISIONID}}]<br /> [{{SERVER}}{{localurl:special:Prefixindex/Gangleri|namespace=2}} special:Prefixindex/Gangleri|namespace=2] monobook [[user:{{PAGENAME}}/monobook.css|.css]] [[user:{{PAGENAME}}/monobook.js|.js]]<br /> [[special:Allmessages|Allmessages]] [[MediaWiki:Monobook.css|Monobook.css]] [[MediaWiki:Monobook.js|Monobook.js]] [[template:wikivar|wikivar]] <!-- <br clear="all" /> --><br 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<!-- <br clear="all" /> --><br /><br /> __NOTOC____NOEDITSECTION__ ===== [[commons:User:Gangleri]] ===== [[Image:Redirect arrow without text.png|left]] ::* [irc://irc.freenode.net/wikimedia #wikimedia], [irc://irc.freenode.net/mediawiki #mediawiki], [irc://irc.freenode.net/wiktionary '''#wiktionary'''] ::* [[wikipedia:de:Benutzer:Gangleri]] ::* [[wikipedia:en:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:eo:Vikipediisto:Gangleri]] ::* [[wikipedia:is:Notandi:Gangleri]] ::* [[wikipedia:mi:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:ps:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:ro:Utilizator:Gangleri]] ::* [[wikipedia:yi:באַניצער:Gangleri]] ::* '''[[meta:User:Gangleri]]''' ::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:hi:जर्मनी|जर्मनी]] [[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]] 3740 2006-02-12T15:32:47Z Gangleri 13 {{babel-9|de|ro-2|ru-1|eo-3|yi-1|en-2|fr-1|is-1|hi-0}} <font id="top" /><span dir="ltr" ><span class="plainlinks">[[commons:user:{{PAGENAME}}|c:]] [[b:user:{{PAGENAME}}|b:]] [[m:user:{{PAGENAME}}|m:]] [[n:user:{{PAGENAME}}|n:]] [[<!-- q: -->user:{{PAGENAME}}|q:]] [[s:user:{{PAGENAME}}|s:]] [http://test.wikipedia.org/wiki/user:{{PAGENAME}} t:] [[w:user:{{PAGENAME}}|w:]] [[wikt:user:{{PAGENAME}}|wikt:]] / [[:de:user:{{PAGENAME}}|de:]] [[:en:user:{{PAGENAME}}|en:]] [[:eo:user:{{PAGENAME}}|eo:]] [[:ro:user:{{PAGENAME}}|ro:]] [[:yi:user:{{PAGENAME}}|yi:]] / [http://bugzilla.wikimedia.org/buglist.cgi?query_format=advanced&emailassigned_to1=1&emailreporter1=1&emailcc1=1&emaillongdesc1=1&emailtype1=exact&email1=gangleri@torg.is&emailtype2=exact&order=Bug+Number MediaZilla] [[wikt:yi:user:Gangleri/tests/bugzilla|(&rarr;)]] / [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|action=purge}} ↺] [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|oldid={{REVISIONID}}}} 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'''[[meta:User:Gangleri]]''' ::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:hi:जर्मनी|जर्मनी]] [[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]] 3742 2006-02-15T17:52:19Z Gangleri 13 {{babel-9|de|ro-2|ru-1|eo-3|yi-1|en-2|fr-1|is-1|hi-0}} <font id="top" /><span dir="ltr" ><span class="plainlinks">[[commons:user:{{PAGENAME}}|c:]] [[b:user:{{PAGENAME}}|b:]] [[m:user:{{PAGENAME}}|m:]] [[n:user:{{PAGENAME}}|n:]] [[<!-- q: -->user:{{PAGENAME}}|q:]] [[s:user:{{PAGENAME}}|s:]] [http://test.wikipedia.org/wiki/user:{{PAGENAME}} t:] [[w:user:{{PAGENAME}}|w:]] [[wikt:user:{{PAGENAME}}|wikt:]] / [[:de:user:{{PAGENAME}}|de:]] [[:en:user:{{PAGENAME}}|en:]] [[:eo:user:{{PAGENAME}}|eo:]] [[:ro:user:{{PAGENAME}}|ro:]] [[:yi:user:{{PAGENAME}}|yi:]] / 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Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:hi:जर्मनी|जर्मनी]] [[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]] <!-- minor edit --> 3744 2006-02-15T20:29:40Z Gangleri 13 [[special:Watchlist/edit|&rarr;]] {{SITENAME}} {{babel-9|de|ro-2|ru-1|eo-3|yi-1|en-2|fr-1|is-1|hi-0}} <font id="top" /><span dir="ltr" ><span class="plainlinks">[[commons:user:{{PAGENAME}}|c:]] [[b:user:{{PAGENAME}}|b:]] [[m:user:{{PAGENAME}}|m:]] [[n:user:{{PAGENAME}}|n:]] [[<!-- q: -->user:{{PAGENAME}}|q:]] [[s:user:{{PAGENAME}}|s:]] [http://test.wikipedia.org/wiki/user:{{PAGENAME}} t:] [[w:user:{{PAGENAME}}|w:]] [[wikt:user:{{PAGENAME}}|wikt:]] / [[:de:user:{{PAGENAME}}|de:]] [[:en:user:{{PAGENAME}}|en:]] [[:eo:user:{{PAGENAME}}|eo:]] [[:ro:user:{{PAGENAME}}|ro:]] [[:yi:user:{{PAGENAME}}|yi:]] 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[irc://irc.freenode.net/wikimedia #wikimedia], [irc://irc.freenode.net/mediawiki #mediawiki], [irc://irc.freenode.net/wiktionary '''#wiktionary'''] ::* [[wikipedia:de:Benutzer:Gangleri]] ::* [[wikipedia:en:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:eo:Vikipediisto:Gangleri]] ::* [[wikipedia:is:Notandi:Gangleri]] ::* [[wikipedia:mi:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:ps:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:ro:Utilizator:Gangleri]] ::* [[wikipedia:yi:באַניצער:Gangleri]] ::* '''[[meta:User:Gangleri]]''' ::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:hi:जर्मनी|जर्मनी]] [[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]] <!-- minor edit --> 3818 2006-03-02T23:04:10Z Gangleri 13 {{babel-9|de|ro-2|ru-1|eo-3|yi-1|en-2|fr-1|is-1|hi-0}} <font id="top" /><span dir="ltr" ><span 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[[<!-- q: -->user:{{PAGENAME}}|q:]] [[s:user:{{PAGENAME}}|s:]] [http://test.wikipedia.org/wiki/user:{{PAGENAME}} t:] [[w:user:{{PAGENAME}}|w:]] [[wikt:user:{{PAGENAME}}|wikt:]] '''[[special:SiteMatrix#hi|?]]''' / [[:de:user:{{PAGENAME}}|de:]] [[:en:user:{{PAGENAME}}|en:]] [[:eo:user:{{PAGENAME}}|eo:]] [[:ro:user:{{PAGENAME}}|ro:]] [[:yi:user:{{PAGENAME}}|yi:]] [http://vs.aka-online.de/cgi-bin/globalwpsearch.pl?timeout=120&minor=1&search=User:Gangleri +] [[commons:user:Gangleri/participation#wikipedia|++]] <sup>[{{localurl:commons:user:Gangleri/tests/interwiki links/template|action=edit}} e]</sup> / [http://bugzilla.wikimedia.org/buglist.cgi?query_format=advanced&emailassigned_to1=1&emailreporter1=1&emailcc1=1&emaillongdesc1=1&emailtype1=exact&email1=gangleri@torg.is&emailtype2=exact&order=Bug+Number MediaZilla] [[wikt:yi:user:Gangleri/tests/bugzilla|(&rarr;)]] / [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|action=purge}} ↺] [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|oldid={{REVISIONID}}}} rev-ID : {{REVISIONID}}]<br /> [[special:Prefixindex/user:Gangleri]] [[special:Prefixindex/user talk:Gangleri|T]] monobook [[user:{{PAGENAME}}/monobook.css|.css]] [[user:{{PAGENAME}}/monobook.js|.js]] [[:category:bugzilla|/]] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/ cvs] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/LanguageHi.php '''L'''] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/MessagesHi.php '''M'''] [http://mail.wikipedia.org/pipermail/mediawiki-cvs/ mail] [[meta:Developers#shell|shell-dev's]] [irc://irc.freenode.net/wikimedia-tech #tech]<br /> [[special:Watchlist/edit|&rarr;]] '''{{SITENAME}}''' [[template:DIRMARK|:]]{{DIRMARK}} '''{{ns:project}}''' [[special:Listusers/sysop|:]] [[special:Version|version]] [[special:Allmessages|all messages]] [[MediaWiki:Monobook.css|Monobook.css]] [[MediaWiki:Monobook.js|Monobook.js]] [[template:wikivar|wikivar]] [[image:smiley.png|16px|;-)]]</span></span> <!-- ?<br clear="all" />?<br />? --><br /> __NOTOC____NOEDITSECTION__ ===== [[commons:User:Gangleri]] ===== [[Image:Redirect arrow without text.png|left]] ::* &lrm;[irc://irc.freenode.net/wikimedia #wikimedia], [irc://irc.freenode.net/mediawiki #mediawiki], [irc://irc.freenode.net/wiktionary '''#wiktionary'''] ::* &lrm;[irc://irc.freenode.net/wikipedia-balkan #wikipedia-balkan] ::* [[wikipedia:de:Benutzer:Gangleri]] ::* [[wikipedia:en:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:eo:Vikipediisto:Gangleri]] ::* [[wikipedia:is:Notandi:Gangleri]] ::* [[wikipedia:mi:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:ps:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:ro:Utilizator:Gangleri]] ::* [[wikipedia:yi:באַניצער:Gangleri]] ::* '''[[meta:User:Gangleri]]''' [[meta:BiDi workgroup|BiDi workgroup]] [[meta:Special:Recentchangeslinked/Category:BiDi workgroup|'''?'''&lrm;]] ::* <span class="plainlinks" >[http://test.wikipedia.org/wiki/User:Gangleri test:User:Gangleri]</span> ::* '''LTR:''' [[w::bh:user:Gangleri|w:bh:]], [[<!-- w: -->:bn:user:Gangleri|w:bn:]], [[<!-- w: -->:gu:user:Gangleri|w:gu:]], [[<!-- w: -->:hi:user:Gangleri|w:hi:]], [[<!-- w: -->:kn:user:Gangleri|w:kn:]], [[<!-- w: -->:ml:user:Gangleri|w:ml:]], [[<!-- w: -->:mr:user:Gangleri|w:mr:]], [[<!-- w: -->:ne:user:Gangleri|w:ne:]], [[<!-- w: -->:or:user:Gangleri|w:or:]], [[<!-- w: -->:pa:user:Gangleri|w:pa:]], [[<!-- w: -->:sa:user:Gangleri|w:sa:]], [[<!-- w: -->:ta:user:Gangleri|w:ta:]], [[<!-- w: -->:te:user:Gangleri|w:te:]]&lrm; ::* '''RTL:''' [[<!-- w: -->:ks:user:Gangleri|w:ks:]], [[<!-- w: -->:yi:user:Gangleri|w:yi:]] ([[wikt:yi:user:Gangleri|wikt:yi:]])&lrm; ::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:जर्मनी|जर्मनी]] <br clear="all" /> ---- <br clear="all" /> <center>[[सदस्य:Gangleri|Gangleri]] | [[सदस्य_वार्ता:Gangleri|T]] | [[m:user:Gangleri|m:]] [http://meta.wikimedia.org/wiki/user_talk:Gangleri?action=history Th] | [[m:user talk:Gangleri|T]] 23:04, २ मार्च २००६ (UTC)</center> [[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]] <!-- minor edit --> 3819 2006-03-03T15:11:14Z Gangleri 13 {{babel-9|de|ro-2|ru-1|eo-3|yi-1|en-2|fr-1|is-1|hi-0}} <font id="top" /><span dir="ltr" ><span class="plainlinks">'''{{DIRMARK}}[[w:हिन्दी|हिन्दी]]{{DIRMARK}} :&lrm;''' [[w:en:Hindi|Hindi]] [[wikt:en:Hindi#Translations|translations]] [[template:alphabet upper case|upper case]] [[template:alphabet lower case|lower case]] [[template:diacritics|diacritics]] [[template:special characters|special characters]] [[template:alphabet sort order|sort order]] [[template:alphabet sort order (extended)|(extended)]] [[template:numbers|numbers]]<br />'''[http://www.unicode.org/unicode/onlinedat/languages.html unicode.org]:''' [http://www.google.com/search?num=100&q=site%3Aunicode.org+%22Hindi%22 "Hindi"] [http://www.unicode.org/charts/PDF/U0900.pdf U0900.pdf (Devanagari)] [http://www.unicode.org/notes/tn1/Wissink-IndicCollation.pdf Issues in Indic Language Collation] &ndash; [[w:project:Unicode|Unicode]] [[w:project:fonts|fonts]] [[w:project:Setting up your browser for Indic scripts|browser setup]]<br />[[commons:user:{{PAGENAME}}|c:]] [[b:user:{{PAGENAME}}|b:]] [[m:user:{{PAGENAME}}|m:]] [[m:stewards|*]] [[n:user:{{PAGENAME}}|n:]] [[<!-- q: -->user:{{PAGENAME}}|q:]] [[s:user:{{PAGENAME}}|s:]] [http://test.wikipedia.org/wiki/user:{{PAGENAME}} t:] [[w:user:{{PAGENAME}}|w:]] [[wikt:user:{{PAGENAME}}|wikt:]] '''[[special:SiteMatrix#hi|?]]''' / [[:de:user:{{PAGENAME}}|de:]] [[:en:user:{{PAGENAME}}|en:]] [[:eo:user:{{PAGENAME}}|eo:]] [[:ro:user:{{PAGENAME}}|ro:]] [[:yi:user:{{PAGENAME}}|yi:]] [http://vs.aka-online.de/cgi-bin/globalwpsearch.pl?timeout=120&minor=1&search=User:Gangleri +] [[commons:user:Gangleri/participation#wikipedia|++]] <sup>[{{localurl:commons:user:Gangleri/tests/interwiki links/template|action=edit}} e]</sup> / [http://bugzilla.wikimedia.org/buglist.cgi?query_format=advanced&emailassigned_to1=1&emailreporter1=1&emailcc1=1&emaillongdesc1=1&emailtype1=exact&email1=gangleri@torg.is&emailtype2=exact&order=Bug+Number MediaZilla] [[wikt:yi:user:Gangleri/tests/bugzilla|(&rarr;)]] / [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|action=purge}} ↺] [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|oldid={{REVISIONID}}}} rev-ID : {{REVISIONID}}]<br /> [[special:Prefixindex/user:Gangleri]] [[special:Prefixindex/user talk:Gangleri|T]] monobook [[user:{{PAGENAME}}/monobook.css|.css]] [[user:{{PAGENAME}}/monobook.js|.js]] [[:category:bugzilla|/]] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/ cvs] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/LanguageHi.php '''L'''] 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[[wikipedia:de:Benutzer:Gangleri]] ::* [[wikipedia:en:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:eo:Vikipediisto:Gangleri]] ::* [[wikipedia:is:Notandi:Gangleri]] ::* [[wikipedia:mi:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:ps:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:ro:Utilizator:Gangleri]] ::* [[wikipedia:yi:באַניצער:Gangleri]] ::* '''[[meta:User:Gangleri]]''' [[meta:BiDi workgroup|BiDi workgroup]] [[meta:Special:Recentchangeslinked/Category:BiDi workgroup|'''?'''&lrm;]] ::* <span class="plainlinks" >[http://test.wikipedia.org/wiki/User:Gangleri test:User:Gangleri]</span> ::* '''LTR:''' [[w:bh:user:Gangleri|w:bh:]], [[w:bn:user:Gangleri|w:bn:]], [[w:gu:user:Gangleri|w:gu:]], [[w:hi:user:Gangleri|w:hi:]], [[w:kn:user:Gangleri|w:kn:]], [[w:ml:user:Gangleri|w:ml:]], [[w:mr:user:Gangleri|w:mr:]], [[w:ne:user:Gangleri|w:ne:]], [[w:or:user:Gangleri|w:or:]], [[w:pa:user:Gangleri|w:pa:]], [[w:sa:user:Gangleri|w:sa:]], [[w:ta:user:Gangleri|w:ta:]], [[w:te:user:Gangleri|w:te:]]&lrm; ::* '''RTL:''' [[w:ks:user:Gangleri|w:ks:]], [[w:yi:user:Gangleri|w:yi:]] ([[wikt:yi:user:Gangleri|wikt:yi:]])&lrm; ::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:जर्मनी|जर्मनी]] <br clear="all" /> ---- <br clear="all" /> <center>[[सदस्य:Gangleri|Gangleri]] | [[सदस्य_वार्ता:Gangleri|T]] | [[m:user:Gangleri|m:]] [http://meta.wikimedia.org/wiki/user_talk:Gangleri?action=history Th] | [[m:user talk:Gangleri|T]] 15:11, ३ मार्च २००६ (UTC)</center> [[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]] <!-- minor edit --> 3820 2006-03-04T21:41:46Z Gangleri 13 globalwpsearch2.pl?project=wikiquote {{babel-9|de|ro-2|ru-1|eo-3|yi-1|en-2|fr-1|is-1|hi-0}} <font id="top" /><span dir="ltr" ><span class="plainlinks">'''{{DIRMARK}}[[w:हिन्दी|हिन्दी]]{{DIRMARK}} :&lrm;''' [[w:en:Hindi|Hindi]] [[wikt:en:Hindi#Translations|translations]] [[template:alphabet upper case|upper case]] [[template:alphabet lower case|lower case]] [[template:diacritics|diacritics]] [[template:special characters|special characters]] [[template:alphabet sort order|sort order]] [[template:alphabet sort order (extended)|(extended)]] [[template:numbers|numbers]]<br />'''[http://www.unicode.org/unicode/onlinedat/languages.html unicode.org]:''' [http://www.google.com/search?num=100&q=site%3Aunicode.org+%22Hindi%22 "Hindi"] [http://www.unicode.org/charts/PDF/U0900.pdf U0900.pdf (Devanagari)] [http://www.unicode.org/notes/tn1/Wissink-IndicCollation.pdf Issues in Indic Language Collation] &ndash; [[w:project:Unicode|Unicode]] [[w:project:fonts|fonts]] [[w:project:Setting up your browser for Indic scripts|browser setup]]<br />[[commons:user:{{PAGENAME}}|c:]] [[b:user:{{PAGENAME}}|b:]] [[m:user:{{PAGENAME}}|m:]] [[m:stewards|*]] [[n:user:{{PAGENAME}}|n:]] [[<!-- q: -->user:{{PAGENAME}}|q:]] [[s:user:{{PAGENAME}}|s:]] [http://test.wikipedia.org/wiki/user:{{PAGENAME}} t:] [[w:user:{{PAGENAME}}|w:]] [[wikt:user:{{PAGENAME}}|wikt:]] '''[[special:SiteMatrix#hi|?]]''' / [[:de:user:{{PAGENAME}}|de:]] [[:en:user:{{PAGENAME}}|en:]] [[:eo:user:{{PAGENAME}}|eo:]] [[:ro:user:{{PAGENAME}}|ro:]] [[:yi:user:{{PAGENAME}}|yi:]] [http://vs.aka-online.de/cgi-bin/globalwpsearch2.pl?project=wikiquote&timeout=120&minor=1&search=user:Gangleri +] [[commons:user:Gangleri/participation#wikipedia|++]] <sup>[{{localurl:commons:user:Gangleri/tests/interwiki links/template|action=edit}} e]</sup> / [http://bugzilla.wikimedia.org/buglist.cgi?query_format=advanced&emailassigned_to1=1&emailreporter1=1&emailcc1=1&emaillongdesc1=1&emailtype1=exact&email1=gangleri@torg.is&emailtype2=exact&order=Bug+Number MediaZilla] [[wikt:yi:user:Gangleri/tests/bugzilla|(&rarr;)]] / [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|action=purge}} ↺] [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|oldid={{REVISIONID}}}} 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[[w:gu:user:Gangleri|w:gu:]], [[w:hi:user:Gangleri|w:hi:]], [[w:kn:user:Gangleri|w:kn:]], [[w:ml:user:Gangleri|w:ml:]], [[w:mr:user:Gangleri|w:mr:]], [[w:ne:user:Gangleri|w:ne:]], [[w:or:user:Gangleri|w:or:]], [[w:pa:user:Gangleri|w:pa:]], [[w:sa:user:Gangleri|w:sa:]], [[w:ta:user:Gangleri|w:ta:]], [[w:te:user:Gangleri|w:te:]]&lrm; ::* '''RTL:''' [[w:ks:user:Gangleri|w:ks:]], [[w:yi:user:Gangleri|w:yi:]] ([[wikt:yi:user:Gangleri|wikt:yi:]])&lrm; ::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:जर्मनी|जर्मनी]] <br clear="all" /> ---- <br clear="all" /> <center>[[सदस्य:Gangleri|Gangleri]] | [[सदस्य_वार्ता:Gangleri|T]] | [[m:user:Gangleri|m:]] [http://meta.wikimedia.org/wiki/user_talk:Gangleri?action=history Th] | [[m:user talk:Gangleri|T]] 21:41, ४ मार्च २००६ (UTC)</center> [[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]] <!-- minor edit --> 3821 2006-03-04T22:30:23Z Gangleri 13 +[[commons:category:user hi]] {{babel-9|de|ro-2|ru-1|eo-3|yi-1|en-2|fr-1|is-1|hi-0}} <font id="top" /><span dir="ltr" ><span class="plainlinks">'''{{DIRMARK}}[[w:हिन्दी|हिन्दी]]{{DIRMARK}} :&lrm;''' [[w:en:Hindi|Hindi]] [[wikt:en:Hindi#Translations|translations]] [[template:alphabet upper case|upper case]] [[template:alphabet lower case|lower case]] [[template:diacritics|diacritics]] [[template:special characters|special characters]] [[template:alphabet sort order|sort order]] [[template:alphabet sort order (extended)|(extended)]] [[template:numbers|numbers]]<br />'''[http://www.unicode.org/unicode/onlinedat/languages.html unicode.org]:''' [http://www.google.com/search?num=100&q=site%3Aunicode.org+%22Hindi%22 "Hindi"] [http://www.unicode.org/charts/PDF/U0900.pdf U0900.pdf (Devanagari)] [http://www.unicode.org/notes/tn1/Wissink-IndicCollation.pdf Issues in Indic Language Collation] &ndash; [[w:project:Unicode|Unicode]] [[w:project:fonts|fonts]] [[w:project:Setting up your browser for Indic scripts|browser setup]]<br />[[b:user:{{PAGENAME}}|b:]] [[commons:user:{{PAGENAME}}|c:]] [[commons:category:user hi|*]] [[m:user:{{PAGENAME}}|m:]] [[m:stewards|*]] [[n:user:{{PAGENAME}}|n:]] [[<!-- q: -->user:{{PAGENAME}}|q:]] [[s:user:{{PAGENAME}}|s:]] [http://test.wikipedia.org/wiki/user:{{PAGENAME}} t:] [[w:user:{{PAGENAME}}|w:]] [[wikt:user:{{PAGENAME}}|wikt:]] '''[[special:SiteMatrix#hi|?]]''' / [[:de:user:{{PAGENAME}}|de:]] [[:en:user:{{PAGENAME}}|en:]] [[:eo:user:{{PAGENAME}}|eo:]] [[:ro:user:{{PAGENAME}}|ro:]] [[:yi:user:{{PAGENAME}}|yi:]] [http://vs.aka-online.de/cgi-bin/globalwpsearch2.pl?project=wikiquote&timeout=120&minor=1&search=user:Gangleri +] [[commons:user:Gangleri/participation#wikipedia|++]] <sup>[{{localurl:commons:user:Gangleri/tests/interwiki links/template|action=edit}} e]</sup> / [http://bugzilla.wikimedia.org/buglist.cgi?query_format=advanced&emailassigned_to1=1&emailreporter1=1&emailcc1=1&emaillongdesc1=1&emailtype1=exact&email1=gangleri@torg.is&emailtype2=exact&order=Bug+Number MediaZilla] [[wikt:yi:user:Gangleri/tests/bugzilla|(&rarr;)]] / [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|action=purge}} ↺] [{{SERVER}}{{localurl:{{NAMESPACE}}:{{PAGENAME}}|oldid={{REVISIONID}}}} rev-ID : {{REVISIONID}}]<br /> [[special:Prefixindex/user:Gangleri]] [[special:Prefixindex/user talk:Gangleri|T]] monobook [[user:{{PAGENAME}}/monobook.css|.css]] [[user:{{PAGENAME}}/monobook.js|.js]] [[:category:bugzilla|/]] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/ cvs] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/LanguageHi.php '''L'''] [http://cvs.sourceforge.net/viewcvs.py/wikipedia/phase3/languages/MessagesHi.php '''M'''] [http://mail.wikipedia.org/pipermail/mediawiki-cvs/ mail] [[meta:Developers#shell|shell-dev's]] [irc://irc.freenode.net/wikimedia-tech #tech]<br /> [[special:Watchlist/edit|&rarr;]] '''{{SITENAME}}''' [[template:DIRMARK|:]]{{DIRMARK}} '''{{ns:project}}''' [[special:Listusers/sysop|:]] [[special:Version|version]] [[special:Allmessages|all messages]] [[MediaWiki:Monobook.css|Monobook.css]] [[MediaWiki:Monobook.js|Monobook.js]] [[template:wikivar|wikivar]] [[image:smiley.png|16px|;-)]]</span></span> <!-- ?<br clear="all" />?<br />? --><br /> __NOTOC____NOEDITSECTION__ ===== [[commons:User:Gangleri]] ===== [[Image:Redirect arrow without text.png|left]] ::* &lrm;[irc://irc.freenode.net/wikimedia #wikimedia], [irc://irc.freenode.net/mediawiki #mediawiki], [irc://irc.freenode.net/wiktionary '''#wiktionary'''] ::* &lrm;[irc://irc.freenode.net/wikipedia-balkan #wikipedia-balkan] ::* [[wikipedia:de:Benutzer:Gangleri]] ::* [[wikipedia:en:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:eo:Vikipediisto:Gangleri]] ::* [[wikipedia:is:Notandi:Gangleri]] ::* [[wikipedia:mi:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:ps:User:Gangleri]] ::* [[wikipedia:ro:Utilizator:Gangleri]] ::* [[wikipedia:yi:באַניצער:Gangleri]] ::* '''[[meta:User:Gangleri]]''' [[meta:BiDi workgroup|BiDi workgroup]] [[meta:Special:Recentchangeslinked/Category:BiDi workgroup|'''?'''&lrm;]] ::* <span class="plainlinks" >[http://test.wikipedia.org/wiki/User:Gangleri test:User:Gangleri]</span> ::* '''LTR:''' [[w:bh:user:Gangleri|w:bh:]], [[w:bn:user:Gangleri|w:bn:]], [[w:gu:user:Gangleri|w:gu:]], [[w:hi:user:Gangleri|w:hi:]], [[w:kn:user:Gangleri|w:kn:]], [[w:ml:user:Gangleri|w:ml:]], [[w:mr:user:Gangleri|w:mr:]], [[w:ne:user:Gangleri|w:ne:]], [[w:or:user:Gangleri|w:or:]], [[w:pa:user:Gangleri|w:pa:]], [[w:sa:user:Gangleri|w:sa:]], [[w:ta:user:Gangleri|w:ta:]], [[w:te:user:Gangleri|w:te:]]&lrm; ::* '''RTL:''' [[w:ks:user:Gangleri|w:ks:]], [[w:yi:user:Gangleri|w:yi:]] ([[wikt:yi:user:Gangleri|wikt:yi:]])&lrm; ::* Reinhardt [http://easy.go.is/gangleri/vina_og_vif.htm] ([[meta:Wikipedia:InterWiki|InterWiki]]), [[w:de:München|München]], [[w:जर्मनी|जर्मनी]] <br clear="all" /> ---- <br clear="all" /> <center>[[सदस्य:Gangleri|Gangleri]] | [[सदस्य_वार्ता:Gangleri|T]] | [[m:user:Gangleri|m:]] [http://meta.wikimedia.org/wiki/user_talk:Gangleri?action=history Th] | [[m:user talk:Gangleri|T]] 22:30, ४ मार्च २००६ (UTC)</center> [[de:Benutzer:Gangleri]] [[en:User:Gangleri]] [[eo:Vikipediisto:Gangleri]] [[is:Notandi:Gangleri]] [[mi:User:Gangleri]] [[ps:User:Gangleri]] [[ro:Utilizator:Gangleri]] [[yi:באַניצער:Gangleri]] <!-- minor edit --> 3822 2006-03-06T14:44:50Z Gangleri 13 + [[project:task list]], +[[project:Welcome!]] +mail.wikipedia.org {{babel-9|de|ro-2|ru-1|eo-3|yi-1|en-2|fr-1|is-1|hi-0}} <font id="top" /><span dir="ltr" ><span class="plainlinks">'''{{DIRMARK}}[[w:हिन्दी|हिन्दी]]{{DIRMARK}} [http://bugzilla.wikimedia.org/buglist.cgi?query_format=advanced&long_desc_type=allwordssubstr&long_desc=Hindi&order=Bug+Number :]&lrm;''' [[w:en:Hindi|Hindi]] [[wikt:en:Hindi#Translations|translations]] 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It cannot be saved.</strong> MediaWiki:Markedaspatrollederror 1490 sysop 3775 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default Cannot mark as patrolled MediaWiki:Markedaspatrollederrortext 1491 sysop 3776 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default You need to specify a revision to mark as patrolled. MediaWiki:Newtalkseperator 1492 sysop 3779 2006-02-26T01:48:41Z MediaWiki default ,_ MediaWiki:Rc categories 1493 sysop 3789 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default Limit to categories (separate with "|") MediaWiki:Rc categories any 1494 sysop 3790 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default Any MediaWiki:Restriction-edit 1495 sysop 3791 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default Edit MediaWiki:Restriction-move 1496 sysop 3792 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default Move MediaWiki:Semiprotectedpagewarning 1497 sysop 3795 2006-02-26T01:48:42Z MediaWiki default '''Note:''' This page has been locked so that only registered users can edit it. 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MediaWiki:Displaytitle 1551 3895 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default (Link to this page as [[$1]]) MediaWiki:Editinginterface 1552 3896 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default '''Warning:''' You are editing a page which is used to provide interface text for the software. Changes to this page will affect the appearance of the user interface for other users. MediaWiki:Editold 1553 3897 2006-07-01T18:51:09Z MediaWiki default edit MediaWiki:Export-submit 1554 3900 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Export MediaWiki:Feed-invalid 1555 3903 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Invalid subscription feed type. MediaWiki:Filewasdeleted 1556 3904 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default A file of this name has been previously uploaded and subsequently deleted. You should check the $1 before proceeding to upload it again. 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It may have been deleted from the wiki, or renamed. Try [[Special:Search|searching on the wiki]] for relevant new pages. MediaWiki:History-feed-item-nocomment 1572 3921 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 at $2 MediaWiki:History-feed-title 1573 3922 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Revision history MediaWiki:Import-interwiki-history 1574 3924 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Copy all history versions for this page MediaWiki:Import-interwiki-submit 1575 3925 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Import MediaWiki:Import-interwiki-text 1576 3926 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Select a wiki and page title to import. Revision dates and editors' names will be preserved. All transwiki import actions are logged at the [[Special:Log/import|import log]]. MediaWiki:Import-logentry-interwiki 1577 3927 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default transwikied $1 MediaWiki:Import-logentry-interwiki-detail 1578 3928 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 revision(s) from $2 MediaWiki:Import-logentry-upload 1579 3929 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default imported $1 by file upload 4175 2006-10-25T18:15:21Z MediaWiki default 26 imported [[$1]] by file upload MediaWiki:Import-logentry-upload-detail 1580 3930 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 revision(s) MediaWiki:Import-revision-count 1581 3931 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 revision(s) 4095 2006-08-31T18:37:03Z MediaWiki default $1 {{PLURAL:$1|revision|revisions}} MediaWiki:Importbadinterwiki 1582 3932 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Bad interwiki link MediaWiki:Importcantopen 1583 3933 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Couldn't open import file MediaWiki:Importlogpage 1584 3934 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Import log MediaWiki:Importlogpagetext 1585 3935 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Administrative imports of pages with edit history from other wikis. MediaWiki:Importnopages 1586 3936 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default No pages to import. MediaWiki:Importstart 1587 3937 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Importing pages... MediaWiki:Importunknownsource 1588 3938 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Unknown import source type MediaWiki:Licenses 1589 3940 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default - MediaWiki:Loginlanguagelabel 1590 3941 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Language: $1 MediaWiki:Loginlanguagelinks 1591 3942 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default * Deutsch|de * English|en * Esperanto|eo * Français|fr * Español|es * Italiano|it * Nederlands|nl MediaWiki:Metadata help 1592 3946 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Metadata (see [[{{ns:project}}:Metadata]] for an explanation): MediaWiki:Nmembers 1593 3952 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 {{PLURAL:$1|member|members}} MediaWiki:Noexactmatch 1594 3955 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default '''There is no page titled "$1".''' You can [[:$1|create this page]]. MediaWiki:Nouserspecified 1595 3956 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default You have to specify a username. MediaWiki:Nstab-project 1596 3958 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Project page MediaWiki:Oldrevisionnavigation 1597 3960 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Revision as of $1; $5<br />$3 | $2 | $4 MediaWiki:Perfcachedts 1598 3963 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default The following data is cached, and was last updated $1. MediaWiki:Prefs-watchlist 1599 3966 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Watchlist MediaWiki:Prefs-watchlist-days 1600 3967 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Number of days to show in watchlist: MediaWiki:Prefs-watchlist-edits 1601 3968 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Number of edits to show in expanded watchlist: MediaWiki:Projectpage 1602 3970 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default मेटा पृष्ठ देखें MediaWiki:Protectedinterface 1603 3972 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default This page provides interface text for the software, and is locked to prevent abuse. MediaWiki:Randomredirect 1604 3977 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default Random redirect MediaWiki:Rcshowhideanons 1605 3979 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 anonymous users MediaWiki:Rcshowhidebots 1606 3980 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 bots MediaWiki:Rcshowhideliu 1607 3981 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 logged-in users MediaWiki:Rcshowhidemine 1608 3982 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 my edits MediaWiki:Rcshowhideminor 1609 3983 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 minor edits MediaWiki:Rcshowhidepatr 1610 3984 2006-07-01T18:51:10Z MediaWiki default $1 patrolled edits MediaWiki:Rightslog 1611 3988 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default User rights log MediaWiki:Rightslogentry 1612 3989 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default changed group membership for $1 from $2 to $3 MediaWiki:Rightsnone 1613 3990 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default (none) MediaWiki:Session fail preview html 1614 3992 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default <strong>Sorry! We could not process your edit due to a loss of session data.</strong> ''Because this wiki has raw HTML enabled, the preview is hidden as a precaution against JavaScript attacks.'' <strong>If this is a legitimate edit attempt, please try again. If it still doesn't work, try logging out and logging back in.</strong> MediaWiki:Sp-contributions-newbies-sub 1615 3993 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default For newbies MediaWiki:Sp-contributions-newer 1616 3994 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Newer $1 MediaWiki:Sp-contributions-newest 1617 3995 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Newest MediaWiki:Sp-contributions-older 1618 3996 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Older $1 MediaWiki:Sp-contributions-oldest 1619 3997 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Oldest MediaWiki:Sp-newimages-showfrom 1620 3998 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Show new images starting from $1 MediaWiki:Tog-extendwatchlist 1621 4001 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Expand watchlist to show all applicable changes MediaWiki:Tog-watchlisthidebots 1622 4002 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Hide bot edits from the watchlist MediaWiki:Tog-watchlisthideown 1623 4003 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Hide my edits from the watchlist MediaWiki:Unblocked 1624 4006 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default [[User:$1|$1]] has been unblocked MediaWiki:Uncategorizedimages 1625 4007 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Uncategorized images MediaWiki:Undeletecomment 1626 4010 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Comment: MediaWiki:Undeletedfiles 1627 4011 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default $1 file(s) restored MediaWiki:Undeletedpage 1628 4012 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default <big>'''$1 has been restored'''</big> Consult the [[Special:Log/delete|deletion log]] for a record of recent deletions and restorations. MediaWiki:Undeletedrevisions-files 1629 4013 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default $1 revisions and $2 file(s) restored MediaWiki:Undeleteextrahelp 1630 4014 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default To restore the entire page, leave all checkboxes deselected and click '''''Restore'''''. To perform a selective restoration, check the boxes corresponding to the revisions to be restored, and click '''''Restore'''''. Clicking '''''Reset''''' will clear the comment field and all checkboxes. MediaWiki:Undeletereset 1631 4015 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Reset MediaWiki:Unusedtemplates 1632 4016 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Unused templates MediaWiki:Unusedtemplatestext 1633 4017 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default This page lists all pages in the template namespace which are not included in another page. Remember to check for other links to the templates before deleting them. MediaWiki:Unusedtemplateswlh 1634 4018 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default other links MediaWiki:Uploadnewversion-linktext 1635 4020 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Upload a new version of this file MediaWiki:Viewsourcefor 1636 4022 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default for $1 MediaWiki:Watchlistanontext 1637 4024 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Please $1 to view or edit items on your watchlist. MediaWiki:Watchlistclearbutton 1638 4025 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Clear watchlist MediaWiki:Watchlistcleardone 1639 4026 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Your watchlist has been cleared. $1 items were removed. 4224 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default 26 Your watchlist has been cleared. {{PLURAL:$1|$1 item was|$1 items were}} removed. MediaWiki:Watchlistcleartext 1640 4027 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Are you sure you wish to remove them? MediaWiki:Watchlistcount 1641 4028 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default '''You have $1 items on your watchlist, including talk pages.''' 4225 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default 26 '''You have {{PLURAL:$1|$1 item|$1 items}} on your watchlist, including talk pages.''' MediaWiki:Watchlistfor 1642 4029 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default (for '''$1''') MediaWiki:Wldone 1643 4032 2006-07-01T18:51:11Z MediaWiki default Done. फिल्मी 1644 4036 2006-08-11T15:17:38Z Sanjaykha 22 '''फिल्मी संवाद''' [[शोले]] [[पाकीजा]] [[जंजीर]] [[कुली]] [[मर्द]] [[डॉन]] [[दीवार]] दीवार 1645 4037 2006-08-11T15:18:46Z Sanjaykha 22 मेरे पास बंगला हैं, गाड़ी हैं, बैक बेलेंस हैं, तेरे पास क्या हैं । मेरे पास माँ हैं । शोले 1646 4038 2006-08-12T03:20:35Z Sanjaykha 22 << [[मुख्य पृष्ठ]] < [[फिल्मी]] '''शोले''' कितने आदमी थे? वो दो थे, और तुम तीन । फिर भी खाली हाथ लौट आये । किनता इनाम रखे है, सरकार हम पर । यहाँ से पचास पचास गाँवो में, जब बच्चा नहीं सोता हैं, तो माँ कहती हैं - सो जा बेटा नहीं तो गब्बर आ जायेगा । बहुत नाइंसाफी हैं । अब तेरा क्या होगा कालिया ? ये हाथ नहीं फाँसी का फंदा हैं । ये हाथ मुझे दे दे , ठाकुर । तेरे लिए तो मेरे पैर ही काफी हैं । बसंती , तेरा नाम क्या हैं ? बसंती, इन कुत्तो के सामने मत नाचना ? आधे दाये जाओ, आधे बाये , बाकी मेरे पीछे आओ । 4153 2006-10-06T14:35:42Z श्याम 25 कुछ और जोडे << [[मुख्य पृष्ठ]] < [[फिल्मी]] '''शोले''' *कितने आदमी थे? *वो दो थे, और तुम तीन । फिर भी खाली हाथ लौट आये। *किनता इनाम रखे है, सरकार हम पर। *यहाँ से पचास पचास गाँवो में, जब बच्चा नहीं सोता हैं, तो माँ कहती हैं - सो जा बेटा नहीं तो गब्बर आ जायेगा। *बहुत नाइंसाफी हैं। *अब तेरा क्या होगा कालिया? *ये हाथ नहीं फाँसी का फंदा हैं। *ये हाथ मुझे दे दे , ठाकुर। *तेरे लिए तो मेरे पैर ही काफी हैं। *तेरा नाम क्या है, बसंती? *बसंती, इन कुत्तो के सामने मत नाचना। *आधे दाये जाओ, आधे बाये , बाकी मेरे पीछे आओ। *हम अंग्र्जों के जमाने के जेलर हैं। 4240 2006-12-08T04:55:38Z 59.95.128.71 << [[मुख्य पृष्ठ]] < [[फिल्मी]] '''शोले''' *कितने आदमी थे? *वो दो थे, और तुम तीन । फिर भी खाली हाथ लौट आये। *किनता इनाम रखे है, सरकार हम पर। *यहाँ से पचास पचास गाँवो में, जब बच्चा नहीं सोता हैं, तो माँ कहती हैं - सो जा बेटा नहीं तो गब्बर आ जायेगा। *बहुत नाइंसाफी हैं। *अब तेरा क्या होगा कालिया? *ये हाथ नहीं फाँसी का फंदा हैं। *ये हाथ मुझे दे दे , ठाकुर। *तेरे लिए तो मेरे पैर ही काफी हैं। *त नाम क्या है, बसंती? *बसंती, इन कुत्तो के सामने मत नाचना। *आधे दाये जाओ, आधे बाये , बाकी मेरे पीछे आओ। *हम अंग्र्जों के जमाने के जेलर हैं। पाकीजा 1647 4039 2006-08-12T03:23:00Z Sanjaykha 22 << [[मुख्य पृष्ठ]] < [[फिल्मी]] '''पाकीजा''' आपके पाँव देखे, बहुत सुन्दर हैं । इन्हें जमीन मे मच रखना । मैले हो जायेगे । मर्द 1648 4040 2006-08-12T03:24:19Z Sanjaykha 22 << [[मुख्य पृष्ठ]] < [[फिल्मी]] '''मर्द''' मर्द को दर्द नहीं होता । स्वामी विवेकानन्द 1649 4042 2006-08-12T03:28:22Z Sanjaykha 22 << [[मुख्य पृष्ठ]] '''स्वामी विवेकानन्द''' उठो, जागो और तब तक रुको नही जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये । नेता जी सुभाषचंद्र बोस 1650 4043 2006-08-12T03:29:35Z Sanjaykha 22 << [[मुख्य पृष्ठ]] '''नेता जी सुभाषचंद्र बोस''' तुम मुझे खून दो, मै तुन्हे आजादी दूँगा । जय हिन्द 4151 2006-10-06T14:21:39Z श्याम 25 दिल्ली चलो << [[मुख्य पृष्ठ]] '''नेता जी सुभाषचंद्र बोस''' *तुम मुझे खून दो, मै तुन्हे आजादी दूँगा । *जय हिन्द । *दिल्ली चलो । लाल बहादुर शास्त्री 1651 4045 2006-08-12T03:31:05Z Sanjaykha 22 << [[मुख्य पृष्ठ]] '''लाल बहादुर शास्त्री''' जय जवान, जय किसान। प्रेमचंद 1652 4046 2006-08-12T03:32:59Z Sanjaykha 22 << [[मुख्य पृष्ठ]] '''प्रेमचंद''' मै एक मजदूर हूँ । जिस दिन कुछ लिख न लूँ , उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं। महात्मा गाँधी 1653 4047 2006-08-12T03:39:22Z Sanjaykha 22 << [[मुख्य पृष्ठ]] '''महात्मा गाँधी''' वे ईसाई हैं, इससे क्या हिन्दुस्तानी नहीं रहे ? और परदेशी बन गये ? कितने ही नवयुवक शुरु में निर्दोष होते हुए भी झूठी शरम के कारण बुराई में फँस जाते होगे । जंजीर 1654 4048 2006-08-12T03:40:40Z Sanjaykha 22 << [[मुख्य पृष्ठ]] '''जंजीर''' सारा शहर मुझे लायन के नाम से जानता हैं । डॉन 1655 4049 2006-08-12T03:42:00Z Sanjaykha 22 << [[मुख्य पृष्ठ]] '''डॉन''' सदस्य वार्ता:Sanjaykha 1656 4050 2006-08-12T03:46:18Z Sanjaykha 22 [[image:sanjay.jpg]] चित्र:Sanjay.jpg 1657 4051 2006-08-12T03:46:43Z Sanjaykha 22 Sanjay Khatri Sanjay Khatri सदस्य:Sanjaykha 1658 4052 2006-08-12T03:47:48Z Sanjaykha 22 [[imgae:sanjay.jpg]] 4053 2006-08-12T03:48:18Z Sanjaykha 22 [[image:sanjay.jpg]] MediaWiki:Allpagesbadtitle 1659 4062 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default The given page title was invalid or had an inter-language or inter-wiki prefix. It may contain one more characters which cannot be used in titles. MediaWiki:Anononlyblock 1660 4063 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default anon. only MediaWiki:April-gen 1661 4064 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default April MediaWiki:Ascending abbrev 1662 4065 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default asc MediaWiki:August-gen 1663 4066 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default August MediaWiki:Badaccess-group0 1664 4067 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default You are not allowed to execute the action you have requested. MediaWiki:Badaccess-group1 1665 4068 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default The action you have requested is limited to users in the group $1. MediaWiki:Badaccess-group2 1666 4069 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default The action you have requested is limited to users in one of the groups $1. MediaWiki:Badaccess-groups 1667 4070 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default The action you have requested is limited to users in one of the groups $1. MediaWiki:Cantcreateaccounttext 1668 4072 2006-08-31T18:37:01Z MediaWiki default Account creation from this IP address (<b>$1</b>) has been blocked. This is probably due to persistent vandalism from your school or Internet service provider. MediaWiki:Cantcreateaccounttitle 1669 4073 2006-08-31T18:37:02Z MediaWiki default Can't create account MediaWiki:Categorypage 1670 4074 2006-08-31T18:37:02Z MediaWiki default View category page MediaWiki:Confirmemail noemail 1671 4075 2006-08-31T18:37:02Z MediaWiki default You do not have a valid email address set in your [[Special:Preferences|user preferences]]. MediaWiki:Createaccountblock 1672 4076 2006-08-31T18:37:02Z MediaWiki default account creation blocked MediaWiki:Databasenotlocked 1673 4077 2006-08-31T18:37:02Z MediaWiki default The database is not locked. 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MediaWiki:March-gen 1700 4107 2006-08-31T18:37:03Z MediaWiki default March MediaWiki:May-gen 1701 4108 2006-08-31T18:37:03Z MediaWiki default May MediaWiki:Mediawikipage 1702 4109 2006-08-31T18:37:03Z MediaWiki default View message page MediaWiki:Mon 1703 4110 2006-08-31T18:37:03Z MediaWiki default Mon MediaWiki:Newpages-username 1704 4111 2006-08-31T18:37:03Z MediaWiki default Username: MediaWiki:November-gen 1705 4114 2006-08-31T18:37:04Z MediaWiki default November MediaWiki:October-gen 1706 4115 2006-08-31T18:37:04Z MediaWiki default October MediaWiki:Old-revision-navigation 1707 4116 2006-08-31T18:37:04Z MediaWiki default Revision as of $1; $5<br />($6) $3 | $2 | $4 ($7) MediaWiki:Sat 1708 4117 2006-08-31T18:37:04Z MediaWiki default Sat MediaWiki:Searchbutton 1709 4118 2006-08-31T18:37:04Z MediaWiki default खोज MediaWiki:Searchsubtitle 1710 4119 2006-08-31T18:37:04Z MediaWiki default You searched for '''[[:$1]]''' MediaWiki:Searchsubtitleinvalid 1711 4120 2006-08-31T18:37:04Z 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बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप * एक सुनार की सौ लोहार की * उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे * नाच न आये आंगन टेढ़ा * घर की मुर्गी दाल बराबर * न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी * लकीर का फकीर * कूप मण्डूक * हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या * मुख में राम बगल में छुरी * आँख का अंधा नाम नयनसुख संस्कृत सुभाषितों के कुछ संग्रह-स्थल 1732 4147 2006-10-03T13:51:08Z 137.138.173.150 * [ http://subhashithani.blogspot.com/ सुभाषितानि नामकं ब्लागम् ] * [ http://deva.indopedia.org/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AF:.html इन्डोपेडिया सूक्तय: ] * [ http://indlinux.org/wiki/index.php/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF इण्डलिनक्स-स्थले सुभाषितानि ] 4148 2006-10-03T13:56:20Z 137.138.173.150 * [ http://subhashithani.blogspot.com/ सुभाषितानि नामकं ब्लागम् ] * [ http://deva.indopedia.org/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AF:.html इन्डोपेडिया सूक्तय: ] * [ http://indlinux.org/wiki/index.php/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF इण्डलिनक्स-स्थले सुभाषितानि ] * [ http://sa.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF विकिपेडिया सुभाषितानि ] सदस्य:श्याम 1733 4149 2006-10-04T22:26:30Z श्याम 25 Name मेरा नाम श्याम बिहारी अग्रवाल है । 4150 2006-10-04T23:29:05Z श्याम 25 अन्य विकि पृष्ट सम्मिलित किये <div class="usermessage"><div class="plainlinks">'''[http://hi.wikiquote.org/w/wiki.phtml?title=%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE:%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE&action=edit&section=new संदेश] भेजें| [[Special:Emailuser/श्याम|ई-मेल]] करें'''</div></div> मेरा नाम श्याम बिहारी अग्रवाल है । == अन्य विकि सदस्य पृष्टों की सूची == *[[m:User:Urshyam]] *[[Wikt:सदस्य:श्याम]] *[[b:सदस्य:श्याम]] *[[w:सदस्य:श्याम]] *[[Wikisource:User:Shyam]] 4236 2006-11-23T11:24:36Z श्याम 25 Add image <div class="usermessage"><div class="plainlinks">'''[http://hi.wikiquote.org/w/wiki.phtml?title=%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE:%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE&action=edit&section=new संदेश] भेजें| [[Special:Emailuser/श्याम|ई-मेल]] करें'''</div></div> मेरा नाम श्याम बिहारी अग्रवाल है । [[Image:Shyam Bihari Agarwal.jpg|right|400px]] == अन्य विकि सदस्य पृष्टों की सूची == *[[m:User:Urshyam]] *[[Wikt:सदस्य:श्याम]] *[[b:सदस्य:श्याम]] *[[w:सदस्य:श्याम]] *[[Wikisource:User:Shyam]] बाल गंगाधर तिलक 1734 4152 2006-10-06T14:30:08Z श्याम 25 स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, मैं इसे लेकर रहुंगा। स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, मैं इसे लेकर रहुंगा। MediaWiki:Allpages-summary 1735 4156 2006-10-25T18:15:10Z MediaWiki default MediaWiki:Ancientpages-summary 1736 4157 2006-10-25T18:15:10Z MediaWiki default MediaWiki:Blocked-mailpassword 1737 4158 2006-10-25T18:15:11Z MediaWiki default Your IP address is blocked from editing, and so is not allowed to use the password recovery function to prevent abuse. MediaWiki:Booksources-summary 1738 4159 2006-10-25T18:15:11Z MediaWiki default MediaWiki:Brokenredirects-summary 1739 4160 2006-10-25T18:15:11Z MediaWiki default MediaWiki:Deadendpages-summary 1740 4163 2006-10-25T18:15:12Z MediaWiki default MediaWiki:Deadendpagestext 1741 4164 2006-10-25T18:15:12Z MediaWiki default The following pages do not link to other pages in this wiki. MediaWiki:Disambiguations-summary 1742 4165 2006-10-25T18:15:12Z MediaWiki default MediaWiki:Doubleredirects-summary 1743 4166 2006-10-25T18:15:13Z MediaWiki default MediaWiki:Editinguser 1744 4167 2006-10-25T18:15:13Z MediaWiki default Editing user <b>$1</b> MediaWiki:Feed-atom 1745 4170 2006-10-25T18:15:18Z MediaWiki default Atom MediaWiki:Feed-rss 1746 4171 2006-10-25T18:15:18Z MediaWiki default RSS MediaWiki:Imagelist-summary 1747 4173 2006-10-25T18:15:19Z MediaWiki default MediaWiki:Ipblocklist-summary 1748 4176 2006-10-25T18:15:22Z MediaWiki default MediaWiki:Lastmodifiedat 1749 4177 2006-10-25T18:15:22Z MediaWiki default अन्तिम परिवर्तन $2, $1. MediaWiki:Lastmodifiedatby 1750 4178 2006-10-25T18:15:22Z MediaWiki default This page was last modified $2, $1 by $3. 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MediaWiki:Uncategorizedcategories-summary 1775 4210 2006-10-25T18:15:35Z MediaWiki default MediaWiki:Uncategorizedimages-summary 1776 4211 2006-10-25T18:15:35Z MediaWiki default MediaWiki:Uncategorizedpages-summary 1777 4212 2006-10-25T18:15:35Z MediaWiki default MediaWiki:Unusedtemplates-summary 1778 4213 2006-10-25T18:15:35Z MediaWiki default MediaWiki:Unwatchedpages-summary 1779 4214 2006-10-25T18:15:35Z MediaWiki default MediaWiki:Userrights-summary 1780 4216 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default MediaWiki:Variantname-kk 1781 4217 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default kk MediaWiki:Variantname-kk-cn 1782 4218 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default kk-cn MediaWiki:Variantname-kk-kz 1783 4219 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default kk-kz MediaWiki:Variantname-kk-tr 1784 4220 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default kk-tr MediaWiki:Wantedcategories-summary 1785 4221 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default MediaWiki:Wantedpages-summary 1786 4222 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default MediaWiki:Watchthisupload 1787 4226 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default Watch this page MediaWiki:Whatlinkshere-barrow 1788 4227 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default &lt; MediaWiki:Whatlinkshere-summary 1789 4228 2006-10-25T18:15:36Z MediaWiki default नीति के वचन 1790 4232 2006-11-09T11:27:16Z 137.138.173.150 अति सर्वत्र वर्जयेत(सब जगह अति करने से बचना चाहिये) <br/><br/> अति का भला न बोलना, अतिकी भली न चूप । <br/> अतिका भला न बरसना अतिकि भली न धूप । <br/><br/> धर्म का तत्व समझो और उसे गुनो! जो अपने लिये प्रतिकूल हो, वैसा आचरण या व्यवहार दूसरों के साथ नहीं करना चाहिये। <br/> (श्रूयताम धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चैवानुवर्यताम । <br/> आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषाम न समाचरेत ।।) <br/><br/> दुष्ट के साथ दुस्ष्टता का ही व्यवहार करना चाहिये। ( शठे शाठ्यम समाचरेत् ) <br/> -- चाणक्य <br/> रहीम 1791 4233 2006-11-20T15:05:49Z श्याम 25 रहीम के दोहे अब्दुल रहीम खान-ए-खाना (1556-1627) जो कि रहिमदासजी के नाम से भी जाने जाते थे, अकबर के विश्वासपात्र बैराम खान के पुत्र थे और भारतवर्ष के महानतम कवियों में से एक थे। उनके कुछ प्रसिद्ध दोहे इस प्रकार हैं -- रहिमन धागा प्रेम का, मत तोडो छटकाय। टूटे से फिर ना जुडे, जुडे गान्ठ पड जाय॥ जो रहीम उत्तम प्रकृति का, करि सकत्त कुसंग। चन्दन विष ब्यपत्त नहीं, लपटे रहत्त भुजंग॥ रहिमन देख बडेन को लघु न दीजिये डार। जहां काम आवे सुई, कहा करै तलवार॥ सदस्य:Shyam 1792 4235 2006-11-20T15:12:25Z श्याम 25 Redirect to user page #REDIRECT [[सदस्य:श्याम]] हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन 1793 4237 2006-12-03T17:34:28Z 137.138.173.150 New page: 'राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।' - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार। <BR/> <BR/>... 'राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।' - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार। <BR/> <BR/> 'हिंदी का काम देश का काम है, समूचे राष्ट्रनिर्माण का प्रश्न है।' - बाबूराम सक्सेना। <BR/> <BR/> 'समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।' - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर।'हिंदी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा है।' - शंकरराव कप्पीकेरी। <BR/> <BR/> 'अकबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने जिस देशभाषा का स्वागत किया वह ब्रजभाषा थी, न कि उर्दू।' -रामचंद्र शुक्ल। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रभाषा हिंदी का किसी क्षेत्रीय भाषा से कोई संघर्ष नहीं है।' - अनंत गोपाल शेवड़े। <BR/> <BR/> 'दक्षिण की हिंदी विरोधी नीति वास्तव में दक्षिण की नहीं, बल्कि कुछ अंग्रेजी भक्तों की नीति है।' - के.सी. सारंगमठ। <BR/> <BR/> 'हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है।' - वी. कृष्णस्वामी अय्यर। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रीय एकता की कड़ी हिंदी ही जोड़ सकती है।' - बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'। <BR/> <BR/> 'विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है।' - वाल्टर चेनिंग। <BR/> <BR/> 'हिंदी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये।' - बेरिस कल्यएव। <BR/> <BR/> 'अंग्रेजी सर पर ढोना डूब मरने के बराबर है।' - सम्पूर्णानंद। <BR/> <BR/> 'एखन जतोगुलि भाषा भारते प्रचलित आछे ताहार मध्ये भाषा सर्वत्रइ प्रचलित।' - केशवचंद्र सेन। <BR/> <BR/> 'देश को एक सूत्र में बाँधे रखने के लिए एक भाषा की आवश्यकता है।' - सेठ गोविंददास। <BR/> <BR/> 'इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/> 'समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिंदी या हिंदुस्तानी है।' -सर जार्ज ग्रियर्सन। <BR/> <BR/> 'मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर।' - चंद्रबली पांडेय। <BR/> <BR/> 'भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है।' - नलिनविलोचन शर्मा। <BR/> <BR/> 'जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी।' - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह। <BR/> <BR/> 'यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है।' - शिवनंदन सहाय। <BR/> <BR/> 'प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है।' - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह। <BR/> <BR/> 'अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई।' - भवानीदयाल संन्यासी। <BR/> <BR/> 'यह कैसे संभव हो सकता है कि अंग्रेजी भाषा समस्त भारत की मातृभाषा के समान हो जाये?' - चंद्रशेखर मिश्र। <BR/> <BR/> 'साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है।' - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा। <BR/> <BR/> 'जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है।' - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल। <BR/> <BR/> 'भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है।' - टी. माधवराव। <BR/> <BR/> 'हिंदी हिंद की, हिंदियों की भाषा है।' - र. रा. दिवाकर। <BR/> <BR/> 'यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं।' - राजेन्द्र प्रसाद। <BR/> <BR/> 'उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है।' - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'। <BR/> <BR/> 'समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य है।' - जनार्दनप्रसाद झा 'द्विज'। <BR/> <BR/> 'मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/> 'शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है।' - शिवप्रसाद सितारेहिंद। <BR/> <BR/> 'हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है।' - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह। <BR/> <BR/> 'वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके।' - पीर मुहम्मद मूनिस। <BR/> <BR/> 'भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।' - शिवपूजन सहाय। <BR/> <BR/> 'चक्कवै दिली के अथक्क अकबर सोऊ, नरहर पालकी को आपने कँधा करै।' - बेनी कवि। <BR/> <BR/> 'यह निर्विवाद है कि हिंदुओं को उर्दू भाषा से कभी द्वेष नहीं रहा।' - ब्रजनंदन दास। <BR/> <BR/> 'देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है।' - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से प्रकाशित हो रही है।' - छविनाथ पांडेय। <BR/> <BR/> 'देवनागरी ध्वनिशास्त्र की दृष्टि से अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है।' - रविशंकर शुक्ल। <BR/> <BR/> 'हमारी नागरी दुनिया की सबसे अधिक वैज्ञानिक लिपि है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/> 'नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है।' - गोपाललाल खत्री। <BR/> <BR/> 'साहित्य का स्रोत जनता का जीवन है।' - गणेशशंकर विद्यार्थी। <BR/> <BR/> 'अंग्रेजी से भारत की रक्षा नहीं हो सकती।' - पं. कृ. पिल्लयार। <BR/> <BR/> 'उसी दिन मेरा जीवन सफल होगा जिस दिन मैं सारे भारतवासियों के साथ शुद्ध हिंदी में वार्तालाप करूँगा।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/> 'हिंदी के ऊपर आघात पहुँचाना हमारे प्राणधर्म पर आघात पहुँचाना है।' - जगन्नाथप्रसाद मिश्र। <BR/> <BR/> 'हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।' - देवव्रत शास्त्री। <BR/> <BR/> 'हिंदी और नागरी का प्रचार तथा विकास कोई भी रोक नहीं सकता'। - गोविन्दवल्लभ पंत। <BR/> <BR/> 'भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है।' - रविशंकर शुक्ल। <BR/> <BR/> 'किसी साहित्य की नकल पर कोई साहित्य तैयार नहीं होता।' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'। <BR/> <BR/> 'हार सरोज हिए है लसै मम ऐसी गुनागरी नागरी होय।' - ठाकुर त्रिभुवननाथ सिंह। <BR/> <BR/> 'भाषा ही से हृदयभाव जाना जाता है। शून्य किंतु प्रत्यक्ष हुआ सा दिखलाता है।' - माधव शुक्ल। <BR/> <BR/> 'संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।' - डॉ. फादर कामिल बुल्के। <BR/> <BR/> 'भाषा विचार की पोशाक है।' - डॉ. जानसन। <BR/> <BR/> 'रामचरित मानस हिंदी साहित्य का कोहनूर है।' - यशोदानंदन अखौरी। <BR/> <BR/> 'साहित्य के हर पथ पर हमारा कारवाँ तेजी से बढ़ता जा रहा है।' - रामवृक्ष बेनीपुरी। <BR/> <BR/> 'कवि संमेलन हिंदी प्रचार के बहुत उपयोगी साधन हैं।' - श्रीनारायण चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया।' - राजेंद्रप्रसाद। <BR/> <BR/> 'देवनागरी अक्षरों का कलात्मक सौंदर्य नष्ट करना कहाँ की बुद्धिमानी है?' - शिवपूजन सहाय। <BR/> <BR/> 'जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।' - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद। <BR/> <BR/> 'कविता कामिनि भाल में हिंदी बिंदी रूप, प्रकट अग्रवन में भई ब्रज के निकट अनूप।' - राधाचरण गोस्वामी। <BR/> <BR/> 'हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/> 'हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है।' - कमलापति त्रिपाठी। <BR/> <BR/> 'मैं उर्दू को हिंदी की एक शैली मात्र मानता।' - मनोरंजन प्रसाद। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषा को भारतीय जनता तथा संपूर्ण मानवता के लिये बहुत बड़ा उत्तरदायित्व सँभालना है।' - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या। <BR/> <BR/> 'नागरीप्रचारिणी सभा, काशी की हीरकजयंती के पावन अवसर पर उपस्थित न हो सकने का मुझे बड़ा खेद है।' - (प्रो.) तान युन् शान। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रभाषा हिंदी हो जाने पर भी हमारे व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन पर विदेशी भाषा का प्रभुत्व अत्यंत गर्हित बात है।' - कमलापति त्रिपाठी। <BR/> <BR/> 'सभ्य संसार के सारे विषय हमारे साहित्य में आ जाने की ओर हमारी सतत् चेष्टा रहनी चाहिए।' - श्रीधर पाठक। <BR/> <BR/> 'भारतवर्ष के लिए हिंदी भाषा ही सर्वसाधरण की भाषा होने के उपयुक्त है।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।' - धीरेन्द्र वर्मा। <BR/> <BR/> 'जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं।' - सेठ गोविंददास। <BR/> <BR/> 'कविता सुखी और उत्तम मनुष्यों के उत्तम और सुखमय क्षणों का उद्गार है।' - शेली। <BR/> <BR/> 'भाषा की समस्या का समाधान सांप्रदायिक दृष्टि से करना गलत है।' - लक्ष्मीनारायण 'सुधांशु'। <BR/> <BR/> 'भारतीय साहित्य और संस्कृति को हिंदी की देन बड़ी महत्त्वपूर्ण है।' - सम्पूर्णानन्द। <BR/> <BR/> 'हिंदी के पुराने साहित्य का पुनरुद्धार प्रत्येक साहित्यिक का पुनीत कर्तव्य है।' - पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल। <BR/> <BR/> 'परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें।' - हरगोविंद सिंह। <BR/> <BR/> 'अहिंदी भाषा-भाषी प्रांतों के लोग भी सरलता से टूटी-फूटी हिंदी बोलकर अपना काम चला लेते हैं।' - अनंतशयनम् आयंगार। <BR/> <BR/> 'वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/> 'दाहिनी हो पूर्ण करती है अभिलाषा पूज्य हिंदी भाषा हंसवाहिनी का अवतार है।' - अज्ञात। <BR/> <BR/> 'वास्तविक महान् व्यक्ति तीन बातों द्वारा जाना जाता है- योजना में उदारता, उसे पूरा करने में मनुष्यता और सफलता में संयम।' - बिस्मार्क। <BR/> <BR/> 'हिंदुस्तान की भाषा हिंदी है और उसका दृश्यरूप या उसकी लिपि सर्वगुणकारी नागरी ही है।' - गोपाललाल खत्री। <BR/> <BR/> 'कविता मानवता की उच्चतम अनुभूति की अभिव्यक्ति है।' - हजारी प्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/> 'हिंदी ही के द्वारा अखिल भारत का राष्ट्रनैतिक ऐक्य सुदृढ़ हो सकता है।' - भूदेव मुखर्जी। <BR/> <BR/> 'हिंदी का शिक्षण भारत में अनिवार्य ही होगा। ' - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या। <BR/> <BR/> 'हिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित है।' - नन्ददुलारे वाजपेयी। <BR/> <BR/> अकबर की सभा में सूर के 'जसुदा बार-बार यह भाखै' पद पर बड़ा स्मरणीय विचार हुआ था।'- राधाचरण गोस्वामी। <BR/> <BR/> 'देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है।' - सुधाकर द्विवेदी। <BR/> <BR/> 'हिंदी साहित्य धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष इस चतु:पुरुषार्थ का साधक अतएव जनोपयोगी।' - (डॉ.) भगवानदास। <BR/> <BR/> 'हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/> 'वाणी, सभ्यता और देश की रक्षा करना सच्चा धर्म यज्ञ है।' - ठाकुरदत्त शर्मा। <BR/> <BR/> 'निष्काम कर्म ही सर्वोत्तम कार्य है, जो तृप्ति प्रदाता है और व्यक्ति और समाज की शक्ति बढ़ाता है।' - पंडित सुधाकर पांडेय। <BR/> <BR/> 'अब हिंदी ही माँ भारती हो गई है- वह सबकी आराध्य है, सबकी संपत्ति है।' - रविशंकर शुक्ल। <BR/> <BR/> 'बच्चों को विदेशी लिपि की शिक्षा देना उनको राष्ट्र के सच्चे प्रेम से वंचित करना है।' - भवानीदयाल संन्यासी। <BR/> <BR/> 'यहाँ (दिल्ली) के खुशबयानों ने मताहिद (गिनी चुनी) जबानों से अच्छे अच्छे लफ्ज निकाले और बाजे इबारतों और अल्फाज में तसर्रूफ (परिवर्तन) करके एक नई जवान पैदा की जिसका नाम उर्दू रखा है।' - दरियाये लताफत। <BR/> <BR/> 'भाषा और राष्ट्र में बड़ा घनिष्ट संबंध है।' - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह। <BR/> <BR/> 'अगर उर्दूवालों की नीति हिंदी के बहिष्कार की न होती तो आज लिपि के सिवा दोनों में कोई भेद न पाया जाता।' - देशरत्न डॉ. राजेंद्रप्रसाद। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषा की उन्नति का अर्थ है राष्ट्र और जाति की उन्नति।' - रामवृक्ष बेनीपुरी। <BR/> <BR/> 'बाजारवाली बोली विश्वविद्यालयों में काम नहीं दे सकती।' - संपूर्णानंद। <BR/> <BR/> 'भारतेंदु का साहित्य मातृमंदिर की अर्चना का साहित्य है।' - बदरीनाथ शर्मा। <BR/> <BR/> 'तलवार के बल से न कोई भाषा चलाई जा सकती है न मिटाई।' - शिवपूजन सहाय। <BR/> <BR/> 'अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिये ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता समझता है।' - महात्मा गाँधी। <BR/> <BR/> 'हिंदी को राजभाषा करने के बाद पूरे पंद्रह वर्ष तक अंग्रेजी का प्रयोग करना पीछे कदम हटाना है।'- राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन। <BR/> <BR/> 'भाषा राष्ट्रीय शरीर की आत्मा है।' - स्वामी भवानीदयाल संन्यासी। <BR/> <BR/> 'हिंदी के राष्ट्रभाषा होने से जहाँ हमें हर्षोल्लास है, वहीं हमारा उत्तरदायित्व भी बहुत बढ़ गया है।'- मथुरा प्रसाद दीक्षित। <BR/> <BR/> 'भारतवर्ष में सभी विद्याएँ सम्मिलित परिवार के समान पारस्परिक सद्भाव लेकर रहती आई हैं।'- रवींद्रनाथ ठाकुर। <BR/> <BR/> 'इतिहास को देखते हुए किसी को यह कहने का अधिकारी नहीं कि हिंदी का साहित्य जायसी के पहले का नहीं मिलता।' - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल। <BR/> <BR/> 'संप्रति जितनी भाषाएं भारत में प्रचलित हैं उनमें से हिंदी भाषा प्राय: सर्वत्र व्यवहृत होती है।' - केशवचंद्र सेन। <BR/> <BR/> 'हिंदी ने राष्ट्रभाषा के पद पर सिंहानसारूढ़ होने पर अपने ऊपर एक गौरवमय एवं गुरुतर उत्तरदायित्व लिया है।' - गोविंदबल्लभ पंत। <BR/> <BR/> 'हिंदी जिस दिन राजभाषा स्वीकृत की गई उसी दिन से सारा राजकाज हिंदी में चल सकता था।' - सेठ गोविंददास। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषी प्रदेश की जनता से वोट लेना और उनकी भाषा तथा साहित्य को गालियाँ देना कुछ नेताओं का दैनिक व्यवसाय है।' - (डॉ.) रामविलास शर्मा। <BR/> <BR/> 'जब एक बार यह निश्चय कर लिया गया कि सन् १९६५ से सब काम हिंदी में होगा, तब उसे अवश्य कार्यान्वित करना चाहिए।' - सेठ गोविंददास। <BR/> <BR/> 'साहित्यसेवा और धर्मसाधना पर्यायवायी है।' - (म. म.) सत्यनारायण शर्मा। <BR/> <BR/> 'जिसका मन चाहे वह हिंदी भाषा से हमारा दूर का संबंध बताये, मगर हम बिहारी तो हिंदी को ही अपनी भाषा, मातृभाषा मानते आए हैं।' - शिवनंदन सहाय। <BR/> <BR/> 'उर्दू का ढाँचा हिंदी है, लेकिन सत्तर पचहत्तर फीसदी उधार के शब्दों से उर्दू दाँ तक तंग आ गए हैं।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/> 'मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/> 'गद्य जीवनसंग्राम की भाषा है। इसमें बहुत कार्य करना है, समय थोड़ा है।' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'। <BR/> <BR/> 'अंग्रेजी हमें गूँगा और कूपमंडूक बना रही है।' - ब्रजभूषण पांडेय। <BR/> <BR/> 'लाखों की संख्या में छात्रों की उस पलटन से क्या लाभ जिनमें अंग्रेजी में एक प्रार्थनापत्र लिखने की भी क्षमता नहीं है।' - कंक। <BR/> <BR/> 'मैं राष्ट्र का प्रेम, राष्ट्र के भिन्न-भिन्न लोगों का प्रेम और राष्ट्रभाषा का प्रेम, इसमें कुछ भी फर्क नहीं देखता।' - र. रा. दिवाकर। <BR/> <BR/> 'देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता स्वयं सिद्ध है।' - महावीर प्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/> 'हिमालय से सतपुड़ा और अंबाला से पूर्णिया तक फैला हुआ प्रदेश हिंदी का प्रकृत प्रांत है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/> 'किसी राष्ट्र की राजभाषा वही भाषा हो सकती है जिसे उसके अधिकाधिक निवासी समझ सके।' - (आचार्य) चतुरसेन शास्त्री। <BR/> <BR/> 'साहित्य के इतिहास में काल विभाजन के लिए तत्कालीन प्रवृत्तियों को ही मानना न्यायसंगत है।' - अंबाप्रसाद सुमन। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषा हमारे लिये किसने बनाया? प्रकृति ने। हमारे लिये हिंदी प्रकृतिसिद्ध है।' - पं. गिरिधर शर्मा। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषा उस समुद्र जलराशि की तरह है जिसमें अनेक नदियाँ मिली हों।' - वासुदेवशरण अग्रवाल। <BR/> <BR/> 'भाषा देश की एकता का प्रधान साधन है।' - (आचार्य) चतुरसेन शास्त्री। <BR/> <BR/> 'क्रांतदर्शी होने के कारण ऋषि दयानंद ने देशोन्नति के लिये हिंदी भाषा को अपनाया था।' - विष्णुदेव पौद्दार। <BR/> <BR/> 'सच्चा राष्ट्रीय साहित्य राष्ट्रभाषा से उत्पन्न होता है।' - वाल्टर चेनिंग। <BR/> <BR/> 'हिंदी के पौधे को हिंदू मुसलमान दोनों ने सींचकर बड़ा किया है।' - जहूरबख्श। <BR/> <BR/> 'किसी लफ्ज के उर्दू न होने से मुराद है कि उर्दू में हुरूफ की कमी बेशी से वह खराद पर नहीं चढ़ा।' - सैयद इंशा अल्ला खाँ। <BR/> <BR/> 'अंग्रेजी का पद चिरस्थायी करना देश के लिये लज्जा की बात है' - संपूर्णानंद। <BR/> <BR/> 'हिंदी राष्ट्रभाषा है, इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को, प्रत्येक भारतवासी को इसे सीखना चाहिए।' - रविशंकर शुक्ल। <BR/> <BR/> 'हिंदी प्रांतीय भाषा नहीं बल्कि वह अंत:प्रांतीय राष्ट्रीय भाषा है।' - छविनाथ पांडेय। <BR/> <BR/> 'साहित्य को उच्च अवस्था पर ले जाना ही हमारा परम कर्तव्य है।' - पार्वती देवी। <BR/> <BR/> 'विश्व की कोई भी लिपि अपने वर्तमान रूप में नागरी लिपि के समान नहीं।' - चंद्रबली पांडेय। <BR/> <BR/> 'भाषा की एकता जाति की एकता को कायम रखती है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/> 'जिस राष्ट्र की जो भाषा है उसे हटाकर दूसरे देश की भाषा को सारी जनता पर नहीं थोपा जा सकता' - वासुदेवशरण अग्रवाल। <BR/> <BR/> 'पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्रगुना अच्छी है।' - अज्ञात। <BR/> <BR/> 'समाज के अभाव में आदमी की आदमियत की कल्पना नहीं की जा सकती।' - पं. सुधाकर पांडेय। <BR/> <BR/> 'तुलसी, कबीर, नानक ने जो लिखा है, उसे मैं पढ़ता हूँ तो कोई मुश्किल नहीं आती।' - मौलाना मुहम्मद अली। <BR/> <BR/> 'भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर।' - रामवृक्ष बेनीपुरी। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषी ही एक ऐसी भाषा है जो सभी प्रांतों की भाषा हो सकती है।' - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार। <BR/> <BR/> 'जब हम हिंदी की चर्चा करते हैं तो वह हिंदी संस्कृति का एक प्रतीक होती है।' - शांतानंद नाथ। <BR/> <BR/> 'भारतीय धर्म की है घोषणा घमंड भरी, हिंदी नहीं जाने उसे हिंदू नहीं जानिए।' - नाथूराम 'शंकर' शर्मा। <BR/> <BR/> 'राजनीति के चिंतापूर्ण आवेग में साहित्य की प्रेरणा शिथिल नहीं होनी चाहिए।' - राजकुमार वर्मा। <BR/> <BR/> 'हिंदी में जो गुण है उनमें से एक यह है कि हिंदी मर्दानी जबान है।' - सुनीति कुमार चाटुर्ज्या। <BR/> <BR/> 'स्पर्धा ही जीवन है, उसमें पीछे रहना जीवन की प्रगति खोना है।' - निराला। <BR/> <BR/> 'कविता हमारे परिपूर्ण क्षणों की वाणी है।' - सुमित्रानंदन पंत। <BR/> <BR/> 'बिना मातृभाषा की उन्नति के देश का गौरव कदापि वृद्धि को प्राप्त नहीं हो सकता।' - गोविंद शास्त्री दुगवेकर। <BR/> <BR/> 'उर्दू लिपि की अनुपयोगिता, भ्रामकता और कठोरता प्रमाणित हो चुकी है।' - रामरणविजय सिंह। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रभाषा राष्ट्रीयता का मुख्य अंश है।' - श्रीमती सौ. चि. रमणम्मा देव। <BR/> <BR/> 'बानी हिंदी भाषन की महरानी, चंद्र, सूर, तुलसी से जामें भए सुकवि लासानी।' - पं. जगन्नाथ चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'जय जय राष्ट्रभाषा जननि। जयति जय जय गुण उजागर राष्ट्रमंगलकरनि।' - देवी प्रसाद गुप्त। <BR/> <BR/> 'हिंदी हमारी हिंदू संस्कृति की वाणी ही तो है।' - शांतानंद नाथ। <BR/> <BR/> 'आज का लेखक विचारों और भावों के इतिहास की वह कड़ी है जिसके पीछे शताब्दियों की कड़ियाँ जुड़ी है।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'विज्ञान के बहुत से अंगों का मूल हमारे पुरातन साहित्य में निहित है।' - सूर्यनारायण व्यास। <BR/> <BR/> 'कोई कौम अपनी जबान के बगैर अच्छी तालीम नहीं हासिल कर सकती।' - सैयद अमीर अली 'मीर'। <BR/> <BR/> 'हिंदी और उर्दू में झगड़ने की बात ही नहीं है।' - ब्रजनंदन सहाय। <BR/> <BR/> 'कविता हृदय की मुक्त दशा का शाब्दिक विधान है।' - रामचंद्र शुक्ल। <BR/> <BR/> 'हमारी राष्ट्रभाषा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीयता का दृढ़ निर्माण है।' - चंद्रबली पांडेय। <BR/> <BR/> 'जिस शिक्षा से स्वाभिमान की वृत्ति जाग्रत नहीं होती वह शिक्षा किसी काम की नहीं।' - माधवराव सप्रे। <BR/> <BR/> 'कालोपयोगी कार्य न कर सकने पर महापुरुष बन सकना संभव नहीं है।' - सू. च. धर। <BR/> <BR/> 'मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।' - विनोबा भावे। <BR/> <BR/> 'आज का आविष्कार कल का साहित्य है।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'भाषा के सवाल में मजहब को दखल देने का कोई हक नहीं।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/> 'जब तक संघ शक्ति उत्पन्न न होगी तब तक प्रार्थना में कुछ जान नहीं हो सकती।' - माधव राव सप्रे। <BR/> <BR/> 'हिंदी विश्व की महान भाषा है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रीय एकता के लिये एक भाषा से कहीं बढ़कर आवश्यक एक लिपि का प्रचार होना है।' - ब्रजनंदन सहाय। <BR/> <BR/> 'जो ज्ञान तुमने संपादित किया है उसे वितरित करते रहो ओर सबको ज्ञानवान बनाकर छोड़ो।' - संत रामदास। <BR/> <BR/> 'पाँच मत उधर और पाँच मत इधर रहने से श्रेष्ठता नहीं आती।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'मैं मानती हूँ कि हिंदी प्रचार से राष्ट्र का ऐक्य जितना बढ़ सकता है वैसा बहुत कम चीजों से बढ़ सकेगा।' - लीलावती मुंशी। <BR/> <BR/> 'हिंदी उर्दू के नाम को दूर कीजिए एक भाषा बनाइए। सबको इसके लिए तैयार कीजिए।' - देवी प्रसाद गुप्त। <BR/> <BR/> 'साहित्यकार विश्वकर्मा की अपेक्षा कहीं अधिक सामर्थ्यशाली है।' - पं. वागीश्वर जी। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य को सर्वांगसुंदर बनाना हमारा कर्त्तव्य है।' - डॉ. राजेंद्रप्रसाद। <BR/> <BR/> 'हिंदी साहित्य की नकल पर कोई साहित्य तैयार नहीं होता।' - सूर्य कांत त्रिपाठी 'निराला'। <BR/> <BR/> 'भाषा के उत्थान में एक भाषा का होना आवश्यक है। इसलिये हिंदी सबकी साझा भाषा है।' - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार। <BR/> <BR/> 'यदि स्वदेशाभिमान सीखना है तो मछली से जो स्वदेश (पानी) के लिये तड़प तड़प कर जान दे देती है।' - सुभाषचंद्र बसु। <BR/> <BR/> 'पिछली शताब्दियों में संसार में जो राजनीतिक क्रांतियाँ हुई, प्राय: उनका सूत्रसंचालन उस देश के साहित्यकारों ने किया है।' - पं. वागीश्वर जी। <BR/> <BR/> 'विजयी राष्ट्रवाद अपने आपको दूसरे देशों का शोषण कर जीवित रखना चाहता है।' - बी. सी. जोशी। <BR/> <BR/> 'हिंदी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'यदि लिपि का बखेड़ा हट जाये तो हिंदी उर्दू में कोई विवाद ही न रहे।' - बृजनंदन सहाय। <BR/> <BR/> 'भारत सरस्वती का मुख संस्कृत है।' - म. म. रामावतार शर्मा। <BR/> <BR/> 'साधारण कथा कहानियों तथा बालोपयोगी कविता में संस्कृत के सामासिक शब्द लाने से उनके मूल उद्देश्य की सफलता में बाधा पड़ती है।' - रघुवरप्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/> 'यदि आप मुझे कुछ देना चाहती हों तो इस पाठशाला की शिक्षा का माध्यम हमारी मातृभाषा कर दें।' - एक फ्रांसीसी बालिका। <BR/> <BR/> 'निर्मल चरित्र ही मनुष्य का शृंगार है।' - पंडित सुधाकर पांडेय। <BR/> <BR/> 'हिंदुस्तान को छोड़कर दूसरे मध्य देशों में ऐसा कोई अन्य देश नहीं है, जहाँ कोई राष्ट्रभाषा नहीं हो।' - सैयद अमीर अली मीर। <BR/> <BR/> 'इतिहास में जो सत्य है वही अच्छा है और जो असत्य है वही बुरा है।' - जयचंद्र विद्यालंकार। <BR/> <BR/> 'सरलता, बोधगम्यता और शैली की दृष्टि से विश्व की भाषाओं में हिंदी महानतम स्थान रखती है।' - अमरनाथ झा। <BR/> <BR/> 'हिंदी सरल भाषा है। इसे अनायास सीखकर लोग अपना काम निकाल लेते हैं।' - जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'एक भाषा का प्रचार रहने पर केवल इसी के सहारे, यदि लिपिगत भिन्नता न हो तो, अन्यान्य राष्ट्र गठन के उपकरण आ जाने संभव हो सकते हैं।' - अयोध्याप्रसाद वर्मा। <BR/> <BR/> 'किसी भाषा की उन्नति का पता उसमें प्रकाशित हुई पुस्तकों की संख्या तथा उनके विषय के महत्व से जाना जा सकता है।' - गंगाप्रसाद अग्निहोत्री। <BR/> <BR/> 'जीवन के छोटे से छोटे क्षेत्र में हिंदी अपना दायित्व निभाने में समर्थ है।' - पुरुषोत्तमदास टंडन। <BR/> <BR/> 'बिहार में ऐसा एक भी गाँव नहीं है जहाँ केवल रामायण पढ़ने के लिये दस-बीस मनुष्यों ने हिंदी न सीखी हो।' - सकलनारायण पांडेय। <BR/> <BR/> 'संस्कृत की इशाअत (प्रचार) का एक बड़ा फायदा यह होगा कि हमारी मुल्की जबान (देशभाषा) वसीअ (व्यापक) हो जायगी।' - मौलवी महमूद अली। <BR/> <BR/> 'संसार में देश के नाम से भाषा को नाम दिया जाता है और वही भाषा वहाँ की राष्ट्रभाषा कहलाती है।' - ताराचंद्र दूबे। <BR/> <BR/> 'सर्वसाधारण पर जितना पद्य का प्रभाव पड़ता है उतना गद्य का नहीं।' - राजा कृत्यानंद सिंह। <BR/> <BR/> 'जो गुण साहित्य की जीवनी शक्ति के प्रधान सहायक होते हैं उनमें लेखकों की विचारशीलता प्रधान है।' - नरोत्तम व्यास। <BR/> <BR/> 'भाषा और भाव का परिवर्तन समाज की अवस्था और आचार विचार से अधिक संबंध रखता है।' - बदरीनाथ भट्ट। <BR/> <BR/> 'साहित्य पढ़ने से मुख्य दो बातें तो अवश्य प्राप्त होती हैं, अर्थात् मन की शक्तियों को विकास और ज्ञान पाने की लालसा।' - बिहारीलाल चौबे। <BR/> <BR/> 'देवनागरी और बंगला लिपियों को साथ मिलाकर देखना है।' - मन्नन द्विवेदी। <BR/> <BR/> 'है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरी भरी। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा और लिपि है नागरी।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/> 'संस्कृत की विरासत हिंदी को तो जन्म से ही मिली है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/> 'कैसे निज सोये भाग को कोई सकता है जगा, जो निज भाषा-अनुराग का अंकुर नहिं उर में उगा।' - हरिऔध। <BR/> <BR/> 'हिंदी में हम लिखें पढ़ें, हिंदी ही बोलें।' - पं. जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'जिस वस्तु की उपज अधिक होती है उसमें से बहुत सा भाग फेंक भी दिया जाता है। ग्रंथों के लिये भी ऐसा ही हिसाब है।' - गिरजाकुमार घोष। <BR/> <BR/> 'यह जो है कुरबान खुदा का, हिंदी करे बयान सदा का।' - अज्ञात। <BR/> <BR/> 'क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो।' - डॉ. श्यामसुंदर दास। <BR/> <BR/> 'बँगला वर्णमाला की जाँच से मालूम होता है कि देवनागरी लिपि से निकली है और इसी का सीधा सादा रूप है।' - रमेशचंद्र दत्त। <BR/> <BR/> 'वास्तव में वेश, भाषा आदि के बदलने का परिणाम यह होता है कि आत्मगौरव नष्ट हो जाता है, जिससे देश का जातित्व गुण मिट जाता है।' - सैयद अमीर अली 'मीर'। <BR/> <BR/> 'दूसरों की बोली की नकल करना भाषा के बदलने का एक कारण है।' - गिरींद्रमोहन मित्र। <BR/> <BR/> 'समालोचना ही साहित्य मार्ग की सुंदर सड़क है।' - म. म. गिरधर शर्मा चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'नागरी वर्णमाला के समान सर्वांगपूर्ण और वैज्ञानिक कोई दूसरी वर्णमाला नहीं है।' - बाबू राव विष्णु पराड़कर। <BR/> <BR/> 'अन्य देश की भाषा ने हमारे देश के आचार व्यवहार पर कैसा बुरा प्रभाव डाला है।' - अनादिधन वंद्योपाध्याय। <BR/> <BR/> 'व्याकरण चाहे जितना विशाल बने परंतु भाषा का पूरा-पूरा समाधान उसमें नहीं हो सकता।' - अनंतराम त्रिपाठी। <BR/> <BR/> 'स्वदेशप्रेम, स्वधर्मभक्ति और स्वावलंबन आदि ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक मनुष्य में होने चाहिए।' - रामजी लाल शर्मा। <BR/> <BR/> 'गुणवान 'खानखाना' सदृश प्रेमी हो गए 'रसखान' और 'रसलीन' से हिंदी प्रेमी हो गए।' - राय देवीप्रसाद। <BR/> <BR/> 'वैज्ञानिक विचारों के पारिभाषिक शब्दों के लिये, किसी विषय के उच्च भावों के लिये, संस्कृत साहित्य की सहायता लेना कोई शर्म की बात नहीं है।' - गणपति जानकीराम दूबे। <BR/> <BR/> 'हिंदुस्तान के लिये देवनागरी लिपि का ही व्यवहार होना चाहिए, रोमन लिपि का व्यवहार यहाँ हो ही नहीं सकता।' - महात्मा गाँधी। <BR/> <BR/> 'अभिमान सौंदर्य का कटाक्ष है।' - अज्ञात। <BR/> <BR/> 'कवि का हृदय कोमल होता है।' - गिरिजाकुमार घोष। <BR/> <BR/> 'श्री रामायण और महाभारत भारत के ही नहीं वरन् पृथ्वी भर के जैसे अमूल्य महाकाव्य हैं।' - शैलजाकुमार घोष। <BR/> <BR/> 'हिंदी किसी के मिटाने से मिट नहीं सकती।' - चंद्रबली पाण्डेय। <BR/> <BR/> 'भाषा की उन्नति का पता मुद्रणालयों से भी लग सकता है।' - गंगाप्रसाद अग्निहोत्री। <BR/> <BR/> 'पुस्तक की उपयोगिता को चिरस्थायी रखने के लिए उसे भावी संतानों के लिये पथप्रदर्शक बनाने के लिये यह आवश्यक है कि पुस्तक के असली लेखक का नाम उस पर रहे।' - सत्यदेव परिव्राजक। <BR/> <BR/> 'खड़ी बोली का एक रूपांतर उर्दू है।' - बदरीनाथ भट्ट। <BR/> <BR/> 'भारतवर्ष मनुष्य जाति का गुरु है।' - विनयकुमार सरकार। <BR/> <BR/> 'हमारी भारत भारती की शैशवावस्था का रूप ब्राह्मी या देववाणी है, उसकी किशोरावस्था वैदिक भाषा और संस्कृति उसकी यौवनावस्था की संुदर मनोहर छटा है।' - बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमधन'। <BR/> <BR/> 'हृतंत्री की तान पर नीरव गान गाने से न किसी के प्रति किसी की अनुकम्पा जगती है और न कोई किसी का उपकार करने पर ही उतारू होता है।' - रामचंद्र शुक्ल। <BR/> <BR/> 'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।' - भारतेंदू हरिश्चंद्र। <BR/> <BR/> 'आर्यों की सबसे प्राचीन भाषा हिंदी ही है और इसमें तद्भव शब्द सभी भाषाओं से अधिक है।' - वीम्स साहब। <BR/> <BR/> 'क्यों न वह फिर रास्ते पर ठीक चलने से डिगे , हैं बहुत से रोग जिसके एक ही दिल में लगे।' - हरिऔध। <BR/> <BR/> 'जब तक साहित्य की उन्नति न होगी, तब तक संगीत की उन्नति नहीं हो सकती।' - विष्णु दिगंबर। <BR/> <BR/> 'जो पढ़ा-लिखा नहीं है - जो शिक्षित नहीं है वह किसी भी काम को भली-भाँति नहीं कर सकता।' - गोपाललाल खत्री। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है।' - महात्मा गाँधी। <BR/> <BR/> 'जिस प्रकार बंगाल भाषा के द्वारा बंगाल में एकता का पौधा प्रफुल्लित हुआ है उसी प्रकार हिंदी भाषा के साधारण भाषा होने से समस्त भारतवासियों में एकता तरु की कलियाँ अवश्य ही खिलेंगी।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/> 'इतिहास स्वदेशाभिमान सिखाने का साधन है।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/> 'जो दिखा सके वही दर्शन शास्त्र है नहीं तो वह अंधशास्त्र है।' - डॉ. भगवानादास। <BR/> <BR/> 'विदेशी लोगों का अनुकरण न किया जाय।' - भीमसेन शर्मा। <BR/> <BR/> 'भारतवर्ष के लिये देवनागरी साधारण लिपि हो सकती है और हिंदी भाषा ही सर्वसाधारण की भाषा होने के उपयुक्त है।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/> 'अकबर का शांत राज्य हमारी भाषा का मानो स्वर्णमय युग था।' - छोटूलाल मिश्र। <BR/> <BR/> 'नाटक का जितना ऊँचा दरजा है, उपन्यास उससे सूत भर भी नीचे नहीं है।' - गोपालदास गहमरी। <BR/> <BR/> 'किसी भी बृहत् कोश में साहित्य की सब शाखाओं के शब्द होने चाहिए।' - महावीर प्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/> 'जो कुछ भी नजर आता है वह जमीन और आसमान की गोद में उतना सुंदर नहीं जितना नजर में है।' - 'निराला'। <BR/> <BR/> 'देव, जगदेव, देश जाति की सुखद प्यारी, जग में गुणगरी सुनागरी हमारी है।' - 'चकोर'। <BR/> <BR/> 'शिक्षा का मुख्य तात्पर्य मानसिक उन्नति है।' - पं. रामनारायण मिश्र। <BR/> <BR/> 'भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हिंदी भाषा कुछ न कुछ सर्वत्र समझी जाती है।' - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार। <BR/> <BR/> 'जापानियों ने जिस ढंग से विदेशी भाषाएँ सीखकर अपनी मातृभाषा को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया है उसी प्रकार हमें भी मातृभाषा का भक्त होना चाहिए।' - श्यामसुंदर दास। <BR/> <BR/> 'विचारों का परिपक्व होना भी उसी समय संभव होता है, जब शिक्षा का माध्यम प्रकृतिसिद्ध मातृभाषा हो।' - पं. गिरधर शर्मा। <BR/> <BR/> 'विज्ञान को विज्ञान तभी कह सकते हैं जब वह शरीर, मन और आत्मा की भूख मिटाने की पूरी ताकत रखता हो।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/> 'यह महात्मा गाँधी का प्रताप है, जिनकी मातृभाषा गुजराती है पर हिंदी को राष्ट्रभाषा जानकर जो उसे अपने प्रेम से सींच रहे हैं।' - लक्ष्मण नारायण गर्दे। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषा के लिये मेरा प्रेम सब हिंदी प्रेमी जानते हैं।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/> 'सब विषयों के गुण-दोष सबकी दृष्टि में झटपट तो नहीं आ जाते।' - म. म. गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'किसी देश में ग्रंथ बनने तक वैदेशिक भाषा में शिक्षा नहीं होती थी। देश भाषाओं में शिक्षा होने के कारण स्वयं ग्रंथ बनते गए हैं।' - साहित्याचार्य रामावतार शर्मा। <BR/> <BR/> 'जो भाषा सामयिक दूसरी भाषाओं से सहायता नहीं लेती वह बहुत काल तक जीवित नहीं रह सकती।' - पांडेय रामवतार शर्मा। <BR/> <BR/> 'नागरीप्रचारिणी सभा के गुण भारी जिन तेरों देवनागरी प्रचार करिदीनो है।' - नाथूराम शंकर शर्मा। <BR/> <BR/> 'जितना और जैसा ज्ञान विद्यार्थियों को उनकी जन्मभाषा में शिक्षा देने से अल्पकाल में हो सकता है; उतना और वैसा पराई भाषा में सुदीर्घ काल में भी होना संभव नहीं है।' - घनश्याम सिंह। <BR/> <BR/> 'विदेशी भाषा में शिक्षा होने के कारण हमारी बुद्धि भी विदेशी हो गई है।' - माधवराव सप्रे। <BR/> <BR/> 'मैं महाराष्ट्री हूँ, परंतु हिंदी के विषय में मुझे उतना ही अभिमान है जितना किसी हिंदी भाषी को हो सकता है।' - माधवराव सप्रे। <BR/> <BR/> 'मनुष्य सदा अपनी मातृभाषा में ही विचार करता है। इसलिये अपनी भाषा सीखने में जो सुगमता होती है दूसरी भाषा में हमको वह सुगमता नहीं हो सकती।' - डॉ. मुकुन्दस्वरूप वर्मा। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रीयता का भाषा और साहित्य के साथ बहुत ही घनिष्ट और गहरा संबंध है।' - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद। <BR/> <BR/> 'यदि हम अंग्रेजी दूसरी भाषा के समान पढ़ें तो हमारे ज्ञान की अधिक वृद्धि हो सकती है।' - जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'स्वतंत्रता की कोख से ही आलोचना का जन्म है।' - मोहनलाल महतो वियोगी। <BR/> <BR/> 'युग के साथ न चल सकने पर महात्माओं का महत्त्व भी म्लान हो उठता है।' - सु. च. धर। <BR/> <BR/> 'हिंदी पर ना मारो ताना, सभा बतावे हिंदी माना।' - नूर मुहम्मद। <BR/> <BR/> 'आप जिस तरह बोलते हैं, बातचीत करते हैं, उसी तरह लिखा भी कीजिए। भाषा बनावटी न होनी चाहिए।' - महावीर प्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/> 'हिंदी भाषा की उन्नति के बिना हमारी उन्नति असम्भव है।' - गिरधर शर्मा। <BR/> <BR/> 'भाषा ही राष्ट्र का जीवन है।' - पुरुषोत्तमदास टंडन। <BR/> <BR/> 'देह प्राण का ज्यों घनिष्ट संबंध अधिकतर। है तिससे भी अधिक देशभाषा का गुरुतर।' - माधव शुक्ल। <BR/> <BR/> 'जब हम अपना जीवन जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दें तब हम हिंदी के प्रेमी कहे जा सकते हैं।' - गोविन्ददास। <BR/> <BR/> 'नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है।' - गोपाललाल खत्री। <BR/> <BR/> 'देश तथा जाति का उपकार उसके बालक तभी कर सकते हैं, जब उन्हें उनकी भाषा द्वारा शिक्षा मिली हो।' - पं. गिरधर शर्मा। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रभाषा की साधना कोरी भावुकता नहीं है।' - जगन्नाथप्रसाद मिश्र। <BR/> <BR/> 'साहित्य को स्वैर संचा करने की इजाजत न किसी युग में रही होगी न वर्तमान युग में मिल सकती है।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'अंग्रेजी सीखकर जिन्होंने विशिष्टता प्राप्त की है, सर्वसाधारण के साथ उनके मत का मेल नहीं होता। हमारे देश में सबसे बढ़कर जातिभेद वही है, श्रेणियों में परस्पर अस्पृश्यता इसी का नाम है।' - रवीन्द्रनाथ ठाकुर। <BR/> <BR/> 'साहित्य की सेवा भगवान का कार्य है, आप काम में लग जाइए आपको भगवान की सहायता प्राप्त होगी और आपके मनोरथ परिपूर्ण होंगे।' - चंद्रशेखर मिश्र। <BR/> <BR/> 'सब से जीवित रचना वह है जिसे पढ़ने से प्रतीत हो कि लेखक ने अंतर से सब कुछ फूल सा प्रस्फुटित किया है।' - शरच्चंद। <BR/> <BR/> 'सिक्ख गुरुओं ने आपातकाल में हिंदी की रक्षा के लिये ही गुरुमुखी रची थी।' - संतराम शर्मा। <BR/> <BR/> 'हिंदी जैसी सरल भाषा दूसरी नहीं है।' - मौलाना हसरत मोहानी। <BR/> <BR/> 'ऐसे आदमी आज भी हमारे देश में मौजूद हैं जो समझते हैं कि शिक्षा को मातृभाषा के आसन पर बिठा देने से उसकी कीमत ही घट जायेगी।' - रवीन्द्रनाथ ठाकुर। <BR/> <BR/> 'लोकोपकारी विषयों को आदर देने वाली नवीन प्रथा का स्थिर हो जाना ही एक बहुत बड़ा उत्साहप्रद कार्य है।' - मिश्रबंधु। <BR/> <BR/> 'हमारे साहित्य को कामधेनु बनाना है।' - चंद्रबली पांडेय। <BR/> <BR/> 'भारत के विभिन्न प्रदेशों के बीच हिंदी प्रचार द्वारा एकता स्थापित करने वाले सच्चे भारत बंधु हैं।' - अरविंद। <BR/> <BR/> 'हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय-हृदय से बातचीत करता है।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/> 'मेरा आग्रहपूर्वक कथन है कि अपनी सारी मानसिक शक्ति हिन्दी के अध्ययन में लगावें।' - विनोबा भावे। <BR/> <BR/> 'साहित्यिक इस बात को कभी न भूले कि एक ख्याल ही क्रिया का स्वामी है, उसे बढ़ाने, घटाने या ठुकरा देनेवाला।' - माखनलाल चतुर्वेदी। <BR/> <BR/> 'एशिया के कितने ही राष्ट्र आज यूरोपीय राष्ट्रों के चंगुल से छूट गए हैं पर उनकी आर्थिक दासता आज भी टिकी हुई है।' - वी. सी. जोशी। <BR/> <BR/> 'हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।' - स्वामी दयानंद। <BR/> <BR/> 'इस पथ का उद्देश्य नहीं है, श्रांत भवन में टिक रहना।' - जयशंकर प्रसाद। <BR/> <BR/> 'विद्या अच्छे दिनों में आभूषण है, विपत्ति में सहायक और बुढ़ापे में संचित सामग्री है।' - अरस्तु। <BR/> <BR/> 'अधिक अनुभव, अधिक विपत्ति सहना, और अधिक अध्ययन, ये ही विद्वता के तीन स्तंभ हैं।' - डिजरायली। <BR/> <BR/> 'जैसे-जैसे हमारे देश में राष्ट्रीयता का भाव बढ़ता जायेगा वैसे ही वैसे हिंदी की राष्ट्रीय सत्ता भी बढ़ेगी।' - श्रीमती लोकसुन्दरी रामन् । <BR/> <BR/> 'शब्दे मारिया मर गया शब्दे छोड़ा राज। जे नर शब्द पिछानिया ताका सरिया काज।' - कबीर। <BR/> <BR/> 'यदि स्वदेशाभिमान सीखना है तो मछली से जो स्वदेश (पानी) के लिये तड़प-तड़पकर जान दे देती है।' - सुभाषचन्द्र बसु। <BR/> <BR/> 'प्रसिद्धि का भीतरी अर्थ यशविस्तार नहीं, विषय पर अच्छी सिद्धि पाना है।' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'। <BR/> <BR/> 'सरस्वती से श्रेष्ठ कोई वैद्य नहीं और उसकी साधना से बढ़कर कोई दवा नहीं है।' - एक जपानी सूक्ति। <BR/> <BR/> 'संस्कृत प्राकृत से संबंध विच्छेद कदापि श्रेयस्कर नहीं।' - यशेदानंदन अखौरी। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिये आवश्यक है।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/> 'शिक्षा का प्रचार और विद्या की उन्नति इसलिये अपेक्षित है कि जिससे हमारे -'स्वत्व' का रक्षण हो।' - माधवराव सप्रे। <BR/> <BR/> 'विधान भी स्याही का एक बिन्दु गिराकर भाग्यलिपि पर कालिमा चढ़ा देता है।' - जयशंकर प्रसाद। <BR/> <BR/> 'जीवित भाषा बहती नदी है जिसकी धारा नित्य एक ही मार्ग से प्रवाहित नहीं होती।' - बाबूराव विष्णु पराड़कर। <BR/> <BR/> 'वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/> 'हिन्दी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।' - मैथिलीशरण गुप्त। <BR/> <BR/> 'पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्त्र गुना अच्छी है।' - अज्ञात। <BR/> <BR/> 'कलाकार अपनी प्रवृत्तियों से भी विशाल हैं। उसकी भावराशि अथाह और अचिंत्य है।' - मैक्सिम गोर्की। <BR/> <BR/> 'कला का सत्य जीवन की परिधि में सौन्दर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखंड सत्य है।' - महादेवी वर्मा। <BR/> <BR/> 'क्षण प्रति-क्षण जो नवीन दिखाई पड़े वही रमणीयता का उत्कृष्ट रूप है।' - माघ। <BR/> <BR/> 'प्रसन्नता न हमारे अंदर है न बाहर वरन् वह हमारा ईश्वर के साथ ऐक्य है।' - पास्कल। <BR/> <BR/> 'हिन्दी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।' - धीरेन्द्र वर्मा। <BR/> <BR/> 'साहित्यकार एक दीपक के समान है जो जलकर केवल दूसरों को ही प्रकाश देता है।' - अज्ञात। <BR/> <BR/> 'बिना मातृभाषा की उन्नति के देश का गौरव कदापि वृद्धि को प्राप्त नहीं हो सकता।' - गोविन्द शास्त्री दुगवेकर। <BR/> <BR/> 'विधाता कर्मानुसार संसार का निर्माण करता है किन्तु साहित्यकार इस प्रकार के बंधनों से ऊपर है।' - बागीश्वरजी। <BR/> <BR/> 'श्रद्धा महत्व की आनंदपूर्ण स्वीकृति के साथ-साथ पूज्य बुद्धि का संचार है।' - रामचंद्र शुक्ल। <BR/> <BR/> 'कविता सुखी और उत्तम मनुष्यों के उत्तम और सुखमय क्षणों का उद्गार है।' - शेली। <BR/> <BR/> 'भय ही पराधीनता है, निर्भयता ही स्वराज्य है।' - प्रेमचंद। <BR/> <BR/> 'वास्तविक महान् व्यक्ति तीन बातों द्वारा जाना जाता है-योजना में उदारता, उसे पूरी करने में मनुष्यता और सफलता में संयम।' - बिस्मार्क। <BR/> <BR/> 'रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द का नाम काव्य है।' - पंडितराज जगन्नाथ। <BR/> <BR/> 'प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिंब होता है।' - रामचंद्र शुक्ल। <BR/> <BR/> 'अंग्रेजी को भारतीय भाषा बनाने का यह अभिप्राय है कि हम अपने भारतीय अस्तित्व को बिल्कुल मिटा दें।' - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार। <BR/> <BR/> 'अंग्रेजी का मुखापेक्षी रहना भारतीयों को किसी प्रकार से शोभा नहीं देता है।' - भास्कर गोविन्द धाणेकर। <BR/> <BR/> 'यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी शिक्षा विदेशी भाषा में होती है और मातृभाषा में नहीं होती।' - माधवराव सप्रे। <BR/> <BR/> 'भाषा ही राष्ट्र का जीवन है।' - पुरुषोत्तमदास टंडन। <BR/> <BR/> 'कविता मानवता की उच्चतम अनुभूति की अभिव्यक्ति है।' - हजारी प्रसाद द्विवेदी। <BR/> <BR/> 'हिंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी।' - पं. नेहरू। <BR/> <BR/> 'भाषा विचार की पोशाक है।' - डॉ. जोनसन। <BR/> <BR/> 'हमारी देवनागरी इस देश की ही नहीं समस्त संसार की लिपियों में सबसे अधिक वैज्ञानिक है।' - सेठ गोविन्ददास। <BR/> <BR/> 'अंग्रेजी के माया मोह से हमारा आत्मविश्वास ही नष्ट नहीं हुआ है, बल्कि हमारा राष्ट्रीय स्वाभिमान भी पददलित हुआ है।' - लक्ष्मीनारायण सिंह 'सुधांशु'। <BR/> <BR/> 'आइए हम आप एकमत हो कोई ऐसा उपाय करें जिससे राष्ट्रभाषा का प्रचार घर-घर हो जाये और राष्ट्र का कोई भी कोना अछूता न रहे।' - चन्द्रबली पांडेय। <BR/> <BR/> 'जैसे जन्मभूमि जगदम्बा का स्वरूप है वैसे ही मातृभाषा भी जगदम्बा का स्वरूप है।' - गोविन्द शास्त्री दुगवेकर। <BR/> <BR/> 'हिंदी और उर्दू की जड़ एक है, रूपरेखा एक है और दोनों को अगर हम चाहें तो एक बना सकते हैं।' - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद। <BR/> <BR/> 'हिंदी आज साहित्य के विचार से रूढ़ियों से बहुत आगे है। विश्वसाहित्य में ही जानेवाली रचनाएँ उसमें हैं।' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'। <BR/> <BR/> 'भारत की रक्षा तभी हो सकती है जब इसके साहित्य, इसकी सभ्यता तथा इसके आदर्शों की रक्षा हो।' - पं. कृ. रंगनाथ पिल्लयार। <BR/> <BR/> 'हिंदी संस्कृत की बेटियों में सबसे अच्छी और शिरोमणि है।' - ग्रियर्सन। <BR/> <BR/> 'मैं नहीं समझता, सात समुन्दर पार की अंग्रेजी का इतना अधिकार यहाँ कैसे हो गया।' - महात्मा गांधी। <BR/> <BR/> 'मेरे लिये हिन्दी का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।' - राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन। <BR/> <BR/> 'संस्कृत को छोड़कर आज भी किसी भी भारतीय भाषा का वाङ्मय विस्तार या मौलिकता में हिन्दी के आगे नहीं जाता।' - डॉ. सम्पूर्णानन्द। <BR/> <BR/> 'उर्दू और हिंदी दोनों को मिला दो। अलग-अलग नाम नहीं होना चाहिए।' - मौलाना मुहम्मद अली। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रभाषा के विषय में यह बात ध्यान में रखनी होगी कि यह राष्ट्र के सब प्रान्तों की समान और स्वाभाविक राष्ट्रभाषा है।' - लक्ष्मण नारायण गर्दे। <BR/> <BR/> 'प्रसन्नता न हमारे अंदर है न बाहर वरन् वह हमारा ईश्वर के साथ ऐक्य है।' - पास्कल। <BR/> <BR/> 'विदेशी भाषा के शब्द, उसके भाव तथा दृष्टांत हमारे हृदय पर वह प्रभाव नहीं डाल सकते जो मातृभाषा के चिरपरिचित तथा हृदयग्राही वाक्य।' - मन्नन द्विवेदी। <BR/> <BR/> 'जातीय भाव हमारी अपनी भाषा की ओर झुकता है।' - शारदाचरण मित्र। <BR/> <BR/> 'हिंदी अपनी भूमि की अधिष्ठात्री है।' - राहुल सांकृत्यायन। <BR/> <BR/> 'सारा शरीर अपना, रोम-रोम अपने, रंग और रक्त अपना, अंग प्रत्यंग अपने, किन्तु जुबान दूसरे की, यह कहाँ की सभ्यता और कहाँ की मनुष्यता है।' - रणवीर सिंह जी। <BR/> <BR/> 'वाणी, सभ्यता और देश की रक्षा करना सच्चा यज्ञ है।' - ठाकुरदत्त शर्मा। <BR/> <BR/> 'हिन्दी व्यापकता में अद्वितीय है।' - अम्बिका प्रसाद वाजपेयी। <BR/> <BR/> 'हमारी राष्ट्रभाषा की पावन गंगा में देशी और विदेशी सभी प्रकार के शब्द मिलजुलकर एक हो जायेंगे।' - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद। <BR/> <BR/> 'नागरी की वर्णमाला है विशुद्ध महान, सरल सुन्दर सीखने में सुगम अति सुखदान।' - मिश्रबंधु। <BR/> <BR/> 'साहित्य ही हमारा जीवन है।' - डॉ. भगवानदास। <BR/> <BR/> 'मनुष्य सदा अपनी भातृभाषा में ही विचार करता है।' - मुकुन्दस्वरूप वर्मा। <BR/> <BR/> 'बिना भाषा की जाति नहीं शोभा पाती है। और देश की मार्यादा भी घट जाती है।' - माधव शुक्ल। <BR/> <BR/> 'हिंदी और उर्दू एक ही भाषा के दो रूप हैं और दोनों रूपों में बहुत साहित्य है।' - अंबिका प्रसाद वाजपेयी। <BR/> <BR/> 'हम हिन्दी वालों के हृदय में किसी सम्प्रदाय या किसी भाषा से रंचमात्र भी ईर्ष्या, द्वेष या घृणा नहीं है।' - शिवपूजन सहाय। <BR/> <BR/> 'भारत के विभिन्न प्रदेशों के बीच हिन्दी प्रचार द्वारा एकता स्थापित करने वाले सच्चे भारत बंधु हैं।' - अरविंद। <BR/> <BR/> 'राष्ट्रीय एकता के लिये हमें प्रांतीयता की भावना त्यागकर सभी प्रांतीय भाषाओं के लिए एक लिपि देवनागरी अपना लेनी चाहिये।' - शारदाचरण मित्र (जस्टिस)। <BR/> <BR/> 'समूचे राष्ट्र को एकताबद्ध और दृढ़ करने के लिए हिन्द भाषी जाति की एकता आवश्यक है।' - रामविलास शर्मा। <BR/> <BR/> 'हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने के हेतु हुए अनुष्ठान को मैं संस्कृति का राजसूय यज्ञ समझता हूँ।' - आचार्य क्षितिमोहन सेन। <BR/> <BR/> 'हिन्दी का भविष्य उज्ज्वल है, इसमें कोई संदेह नहीं।' - अनंत गोपाल शेवड़े। <BR/> <BR/> 'अरबी लिपि भारतीय लिपि होने योग्य नहीं।' - सैयदअली बिलग्रामी। <BR/> <BR/> 'हिन्दी को ही राजभाषा का आसन देना चाहिए।' - शचींद्रनाथ बख्शी। <BR/> <BR/> 'अंतरप्रांतीय व्यवहार में हमें हिन्दी का प्रयोग तुरंत शुरू कर देना चाहिए।' - र. रा. दिवाकर। <BR/> <BR/> 'हिन्दी का शासकीय प्रशासकीय क्षेत्रों से प्रचार न किया गया तो भविष्य अंधकारमय हो सकता है।' - विनयमोहन शर्मा। <BR/> <BR/> 'अंग्रेजी इस देश के लिए अभिशाप है, यह हर साल हमारे सामने प्रकट होता है, फिर भी उसे हम पूतना न मानकर चामुण्डमर्दिनी दुर्गा मान रहे हैं।' - अवनींद्र कुमार विद्यालंकार। <BR/> <BR/> 'हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने में प्रांतीय भाषाओं को हानि नहीं वरन् लाभ होगा।' - अनंतशयनम् आयंगार। <BR/> <BR/> 'संस्कृत के अपरिमित कोश से हिन्दी शब्दों की सब कठिनाइयाँ सरलता से हल कर लेगी।' - राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन। <BR/> <BR/> '(अंग्रेजी ने) हमारी परम्पराएँ छिन्न-भिन्न करके, हमें जंगली बना देने का भरसक प्रयत्न किया।' - अमृतलाल नागर। <BR/> <BR/> गायत्री मंत्र पर महापुरुषों के विचार 1794 4238 2006-12-07T09:32:58Z 137.138.173.149 New page: '''गायत्री मंत्र व उसका अर्थ''' <BR/> ''ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्... '''गायत्री मंत्र व उसका अर्थ''' <BR/> ''ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।'' <BR/> अर्थः उस प्राण स्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। '''महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान''' <BR/> "गायत्री मंत्र का निरन्तर जप रोगियों को अच्छा करने और आत्माओं की उन्नति के लिऐ उपयोगी है। गायत्री का स्थिर चित्त और शान्त ह्रुदय से किया हुआ जप आपत्तिकाल के संकटों को दूर करने का प्रभाव रखता है।" -महात्मा गाँधी <BR/> <BR/> "ऋषियों ने जो अमूल्य रत्न हमको दिऐ हैं, उनमें से ऐक अनुपम रत्न गायत्री से बुद्धि पवित्र होती है।" -महामना मदन मोहन मालवीय <BR/><BR/> "भारतवर्ष को जगाने वाला जो मंत्र है, वह इतना सरल है कि ऐक ही श्वाँस में उसका उच्चारण किया जा सकता है। वह मंत्र है गायत्री मंत्र।" -रवींद्रनाथ टैगोर <BR/><BR/> "गायत्री मे ऍसी शक्ति सन्निहित है, जो महत्वपूर्ण कार्य कर सकती है।" -योगी अरविंद <Br/><BR/> "गायत्री का जप करने से बडी‍-बडी सिद्धियां मिल जाती हैं। यह मंत्र छोटा है, पर इसकी शक्ति भारी है।" -स्वामी रामकृष्ण परमहंस <BR/><BR/> "गायत्री सदबुद्धि का मंत्र है, इसलिऐ उसे मंत्रो का मुकुटमणि कहा गया है।" -स्वामी विवेकानंद भारत के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन 1795 4242 2006-12-19T15:05:48Z 59.94.105.95 New page: hisar hisar