विकिसूक्ति hiwikiquote https://hi.wikiquote.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AA%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0 MediaWiki 1.39.0-wmf.26 first-letter मीडिया विशेष वार्ता सदस्य सदस्य वार्ता विकिसूक्ति विकिसूक्ति वार्ता चित्र चित्र वार्ता मीडियाविकि मीडियाविकि वार्ता साँचा साँचा वार्ता सहायता सहायता वार्ता श्रेणी श्रेणी वार्ता TimedText TimedText talk Module Module talk गैजेट गैजेट वार्ता गैजेट परिभाषा गैजेट परिभाषा वार्ता विकिसूक्ति:सूक्ति सुझाएँ 4 1877 23934 23906 2022-08-27T11:15:05Z सूरजमुखी 4227 सूक्ति सुझाएं के लिए नियम, आदि wikitext text/x-wiki {| | style="background:#f4f7f8; border:1px solid #93b1bf; padding:1em; vertical-align:top; "| [[Image:Quote right font awesome.svg|right|50px|]] * यहाँ नया अनुभाग बनाकर मुखपृष्ठ पर "आज की सूक्ति" हेतु आप सूक्ति सुझा सकते हैं। * जो सुक्ति आप सुझाना चाहें उसके लेखक व स्रोत भी अवश्य लिखें। * सूक्ति जिस लेखक, पुस्तक, व वस्तु की है उसपर यहाँ विकिसूक्ति पर (उल्लेखनीयता का ध्यान रखते हुए) पृष्ठ बना होना अनिवार्य है। * सुझाव पर एक दिन तक किसी सदस्य के विरोध न जताने पर सूक्ति को मुखपृष्ठ पर डाल दिया जाएगा। |} ---- == सुझाव == * [[महात्मा गांधी के विचार]] :{{Not done}} कृप्या पृष्ठ से जो सूक्ति डलवाना चाहते हैं, वो यहां स्रोत के साथ लिखें। [[सदस्य:सूरजमुखी|सूरजमुखी]] ([[सदस्य वार्ता:सूरजमुखी|वार्ता]]) १३:११, २४ अगस्त २०२२ (IST) ==चाणक्य का संदेश== # "वह जो अपने प्रियजनों से अत्याधिक जुड़ा हुआ है,उसे चिंता और भय का सामना करना पड़ता है,क्योंकि सभी दुखों का जड़ लगाव है.इसलिए खुश रहने के लिए लगाव छोड़ दीजिए।" # "काम को निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो।" # "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं।" # "किसी को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं।" # "भय को समीप न आने दो। यदि यह समीप आए, इस पर आक्रमण करो, यानी भय से भागो मत इसका सामना करो।" # "सुगंध का प्रसार वायु की दिशा पर आधारित होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।" # "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है। शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही दुर्बल हैं।" # "अज्ञानी के लिए पुस्तकें और अंधे के लिए दर्पण एक समान उपयोगी है।" # "बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति अपना रास्ता खुद बनाते हैं। असंभव शब्द का इस्तेमाल बुजदिल करते हैं।" # "अपनी कमाई में से धन का कुछ प्रतिशत हिस्सा संकट काल के लिए हमेशा बचाकर रखें।" :{{Nd}} किसी का भी स्रोत नहीं दिया गया। [[सदस्य:सूरजमुखी|सूरजमुखी]] ([[सदस्य वार्ता:सूरजमुखी|वार्ता]]) १३:१८, २४ अगस्त २०२२ (IST) ==स्वामी विवेकानंद के विचार== * जब तक तुम स्वंय पर विश्वास नहीं करते,परमात्मा में विश्वास कर ही नहीं सकते. * वचन देकर तिल भर भी उससे न डिगो| यही मानवता है नहीं तो तुम मानव वेश में पाखंडी हो| * '' हर व्यक्ति को भगवान की तरह देखो आप किसी की मदद नहीं कर सकते. बस उसकी सेवा कर सकते हैं|'' * '' उठो जागो और तबतक आगे बढते रहो जबतक तुम्हारा लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता,, * स्वामी विवेकानंद कहते है कि जब पड़ोसी भूखा मरता हो,तब मंदिर में भोग चढना पुण्य नहीं,बल्कि पाप है| * '' जब तक जीना,तब तक सीखना'-अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है''| * '' हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है.इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते है.शब्द गौण है.विचार रहते है,वे दूर तक यात्रा करते हैं. * " मेहनत जितना संर्घषमय होगा जीत इतनी ही शानदार होगी।" :{{Nd}} किसी का भी स्रोत नहीं दिया गया। [[सदस्य:सूरजमुखी|सूरजमुखी]] ([[सदस्य वार्ता:सूरजमुखी|वार्ता]]) १३:१९, २४ अगस्त २०२२ (IST) r57gdkenrbbiii3fyh6b1z5u0lc54d4 योग 0 6051 23932 23366 2022-08-26T17:51:55Z अनुनाद सिंह 658 /* उक्तियाँ */ wikitext text/x-wiki [[चित्र:Sarvangasana.jpg|200px|thumb|right|'''आसन''', योग के आठ अंगों में से एक है। '''सर्वाङ्गासन''' = सभी अंगों का आसन]] '''योग''', प्राचीन भारत में उद्भूत शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक क्रिया है जिसका उद्देश्य मन को स्थायी शान्ति प्रदान करना है ताकि आत्मसाक्ष्त्कार किया जा सके। पतंजलि द्वारा रचित 'योगसूत्र' योग का प्रधान ग्रन्थ है। योगदर्शन, भारत के छः आस्तिक दर्शनों में से एक है। १९वीं और २०वीं शताब्दी में भारत से निकलकर अनेग योग-गुरु पश्चिमी देशों में जाकर योग का प्रचार-प्रसार किये। == उक्तियाँ == * ''योगः चित्तवृत्तिनिरोधः'' -- पतञ्जलि योगसूत्र : अर्थ : चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। * ''योगः समाधिः'' -- वेद व्यास : अर्थ : योग नाम समाधि का है। * जीवन जीने की कला ही योग है। -- श्रीराम शर्मा आचार्य * ध्यान योगेन सम्यश्यदगतिस्यान्तरामनः। -- मनुस्मृति 16/731 : अर्थ : ध्यान योग से भी योग आत्मा को जाना जा सकता है। अतः योगपरायण ध्यान होना चाहिए। * ''यदा पंचावतिष्ठनते ज्ञानानि मनसा सह। : ''बुद्धिश्च न विचेष्टति तामाहुः परमा गति॥ : ''तां योगमिति मन्यन्ते स्थिरामिन्द्रिय धारणाम्। : ''अप्रमत्तस्दा भवति योगो हि प्रभवाप्ययौ॥'' -- कठोपनिषद-2/3/10-11 : अर्थात् जब पाँचों ज्ञानेन्द्रियाँ मन के साथ स्थिर हो जाती हैं, और मन निश्चल बुद्धि के साथ आ मिलता है, इस अवस्था को परमगति कहते है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा ही योग है। जिसकी इन्द्रियाँ स्थिर हो जाती हैं, उसमें शुभ संस्कारों की उत्पत्ति और अशुभ संस्कारों का नाश होने लगता है। यही अवस्था योग की है। * ''पुरूष प्रकृत्योतियोगेऽपि योग इत्यभिधीयते।'' -- सांख्यशास्त्र : अर्थात् प्रकृति-पुरुष का पृथकत्व स्थापित कर, अर्थात् दोनो का वियोग करके पुरुष के स्वरुप में स्थिर हो जाना योग है। * ''श्रद्धाभक्तियोगावदेहि।'' -- कैवल्योपनिषद् : अर्थात् श्रद्धा भक्ति और ध्यान के द्वारा आत्मा को जानना ही योग है। * ''संयोगो योग इत्यक्तो जीवात्मा-परमात्मनो।'' -- याज्ञवल्यक स्मृति : अर्थात् जीवात्मा परमात्मा के मिलन को योग कहते है। * ''ब्रह्म प्रकाशनम् ज्ञानं योगस्थ त्रैचित्तता। : ''चित्त वृत्ति निरोधश्च जीवन ब्रह्मामात्मनो परः॥'' -- अग्नि पुराण 183/1-2 : अर्थात् ज्ञान का प्रकाश पड़ने पर चित्त ब्रह्म में एकाग्र हो जाता है। जिससे जीव का ब्रह्म में मिलन हो जाता है। ब्रह्म में चित्त की यह एकाग्रता ही योग है। * ''जीवात्मा परमार्थोऽयमविभागः परमतपः : ''सः एव परोयोगः समासा कथितस्तव॥ -- स्कन्धपुराण : अर्थात् जीवात्मा व परमात्मा का अलग-अलग होना ही दुःख का कारण है। और इस का अपृथक भाव ही योग है। एकत्व की स्थिति ही योग है। * ''योग निरोधो वृत्तेस्तु चितस्य द्विज सत्तमा।'' -- लिंगपुराण : अर्थात् चित्त की सभी वृत्तियों का निरोध हो जाना, उसे पूर्ण समाप्त कर देना ही योग है। उसी से परमगति अर्थात् ब्रह्म की प्राप्ति होती है। * ''तदनारम्भ आत्मस्ये मनसि शरीरस्य दुःखाभावः संयोगः।'' -- वैशेषिक सूत्र 6/2/16 : अर्थात् मन आत्मा में स्थिर होने पर उसके (मन के काय का) अनारम्भ है, वह योग है। * ''योगस्थ कुरु कर्माणि संगत्यक्त्वा धनंजय। : ''सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥'' -- गीता 2/48 : अर्थात् योग में स्थिर हो कर कर्म फल का त्याग करे और सिद्ध-असिद्ध में सम होकर कर्मों को करे, यही समता ही योग है। * ''बुद्धि युक्तो जहातीहं उभय सुकृत दुष्कृते। : ''तस्माद्योगाय युज्जस्व योगः कर्मसु कौशलम्॥ -- गीता 2/50 : अर्थात् कर्मो में कुशलता का नाम ही योग है। कर्मों की कुशलता का तात्पर्य यह है कि हमे कर्म इस प्रकार से करने चहिए कि वे बन्धन का कारण ना बनें। अनासक्त भाव से अपने कर्तव्य कर्मों का निर्वहन करना ही कर्म योग है। * ''तं विद्याय दुःख संयोग वियोगं योग संज्ञितम्। : ''स निश्चयेन योक्ताव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा॥ : अर्थात् उस योग को उत्साह, श्रद्धा, धैर्य, से समाहित चित्त से निश्चय पूर्वक करना चाहिए। इस दुख रुप संसार के संयोग से रहित है, वह योग है। * मन के संवेगो पर नियन्त्रण ही योग है। -- महोपनिषद् * जीवन को बिना खोए भगवान की प्राप्ति योग है। -- महर्षि अरविन्द * प्राचीन आर्ष ग्रन्थो का अध्ययन ही योग है। -- स्वामी विवेकानन्द * निःस्वार्थ भावना से कर्म करना ही सच्चे धर्म का पालन है, और यही वास्तविक योग है। -- गुरु ग्रन्थ साहिब * शिव व शक्ति का मिलन को योग कहते हैं। -- रागेय राधव, ‘गोरखनाथ और उनका युग’ में * संसार सागर से पार होने की युक्ति का नाम ही योग है। -- योग वाशिष्ठ * योग के द्वारा मनुष्य अपने वास्तविक स्वरुप सद्-चित्-आनन्द का अनुभव कर लेता है। -- महर्षि वशिष्ठ * अपना अभ्यास करो और सब कुछ आ रहा है। -- श्री के पट्ठाबी जॉइस * आज के इस भागमभाग भरी जिन्दगी में हम सब अपने आप से ही अलग हो गये है इसलिए योग हमें अपने आप से पुन: जोड़ने में में मदद करता है। * आप कौन हैं इस बारे में उत्सुक होने के लिए योग एक सही अवसर है। -- जेसन क्रैंडल * आप योग नहीं कर सकते। योग आपकी प्राकृतिक अवस्था है। आप जो कर सकते हैं वो है योग व्यायाम , जो ये उजागर कर सकता है कि आप कहाँ अपनी प्राकृतिक अवस्था का विरोध कर रहे हैं। -- शेरोन गैनन * आपका मन आपका औज़ार है। इसका मालिक बनना सीखें गुलाम नहीं। -- अज्ञात * एक फोटोग्राफर लोगों से उसके लिए पोज दिलवाता है। एक योग प्रशिक्षक लोगों से खुद के लिए पोज दिलवाता है। -- टी गिलेमेट्स * एक सर्जन हमेसा गर्भवती महिलाओं को योग का अभ्यास करने के लिए सलाह देता हैं क्योंकि योग के द्वारा उन्हें स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। * एलर्जी को रोकने के लिए ऊर्जा उत्पन्न करें। -- बाबा रामदेव * कर्म योग में कभी कोई प्रयत्न बेकार नहीं जाता, और इससे कोई हानि नहीं होती। इसका थोड़ा सा भी अभ्यास जन्म और मृत्यु के सबसे बड़े भय से बचाता है। -- भगवद गीता * कर्म योग वास्तव में एक बड़ा रहस्य है। योग मन की दुखो की समाप्ति है। -- भगवद गीता * कहा जाता है कि एक व्यक्ति को योग के द्वारा स्वयं के साथ मिलना है जब पूरी तरह अनुशासित होकर अपने मन से सभी इच्छाओं से नियन्त्रण प्राप्त कर लेते हैं तब हम अपने आप को जान पाते है। * जब आप सांस लेते हैं , आप भगवान से शक्ति ले रहे होते हैं। जब आप सांस छोड़ते हैं तो ये उस सेवा को दर्शाता है जो आप दुनिया को दे रहे हैं। -- . बी के एस आयंगर * जब तक आपने अभ्यास नहीं किया है , सिद्धांत बेकार है। अभ्यास करने के बाद, सिद्धांत ज़ाहिर है। -- डेविड विलियम्स * जब पुछा गया उसे अपने जन्मदिन पर क्या उपहार चाहिए , योगी बोला : मुझे किसी उपहार की नहीं बस आपके उपस्थिति की कामना है। -- अज्ञात * जब सांसें विचलित होती हैं तो मन भी अस्थिर हो जाता है। लेकिन जब सांसें शांत हो जाती हैं , तो मन भी स्थिर हो जाता है, और योगी दीर्घायु हो जाता है। इसलिए , हमें श्वास पर नियंत्रण करना सीखना चाहिए। -- हठयोग प्रदीपिका * जो कोई भी अभ्यास करता है वह योग में सफलता पा सकता है लेकिन वो नहीं जो आलसी है। केवल निरंतर अभ्यास ही सफलता का रहस्य है। -- स्वात्मरामा * जो कोई व्यक्ति भी अभ्यास करता है वह योग के द्वारा सफलता प्राप्त कर सकता है लेकिन आलसी व्यक्ति के लिए योग का कोई महत्व नहीं है और निरंतर अभ्यास अकेले सफलता का रहस्य है। * धन्य हैं वे लचीले लोग, क्योंकि उनके आकार को नहीं बिगड़ना पड़ेगा। -- अज्ञात * ध्यान का बीज बोएं और मन की शांति का फल पाएं। -- अज्ञात * ध्यान से ज्ञान आता है; ध्यान की कमी अज्ञानता लाती है। अच्छी तरह जानो कि क्या तुम्हे आगे ले जाता है और क्या तुम्हे रोके रखता है, और उस पथ को चुनो जो ज्ञान की ओर ले जाता है। -- बुद्ध * ध्यान से परे ‘अब’ का अनुभव है। -- रयान पैरेंटी * नियमित योग अभ्यास करने से मनुष्य को तनाव से दूर रहने में तो मद्द मिलती ही है साथ ही बुरे दौर से उभरने में भी मद्द मिलती है। योग मनुष्य को एक खुशहाल और समृद्ध जीवन प्रदान करने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाता है। * प्राणायाम बुनियादी सांस लेने का व्यायाम है जो ऑक्सीजन को तुम्हारे शरीर के सभी भागों तक पहुँचाने में मदद करता है जिससे न सिर्फ कोशिकाओं को फिर से जीवंत कर देता है बल्कि तुम्हारे अंदर बहुत सारी ऊर्जा भी भर देता है। मेरे अनुसार , एक इंसान को छः घंटे सोना, एक घंटा योग , एक घंटा दैनिक दिनचर्या , दो घंटा परिवार और १४ घंटा कड़ी मेहनत करना चाहिए। -- बाबा रामदेव * बाहर क्या जाता है उसे आप हमेशा कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। लेकिन अंदर क्या जाता है उसे आप हमेशा कंट्रोल कर सकते हैं। -- . श्री योग * मन की शांति के लिए सबसे अच्छा साधन योग हैं। * मेरे लिए, योग सिर्फ एक कसरत नहीं है – यह अपने आप पर काम करने के बारे में है। -- मैरी ग्लोवर * मैं योग को प्यार करता हूँ क्योंकि यह न केवल यह हमारे शरीर के लिए कसरत है बल्कि हमारी श्वास भी है जो अत्यधिक तनाव को मुक्त करने में मदद करता है योग सचमुच हमे दिन की दिनचर्या के लिए तैयार करता है। * यदि शरीर व मन स्वस्थ नही हैं। * यह योग उसके लिए संभव नहीं है जो बहुत अधिक खाता है , या जो बिलकुल भी नहीं खाता ; जो बहुत अधिक सोता है , या जो हमेशा जगा रहता है। -- भगवद गीता * योग 99% अभ्यास और 1% सिद्धांत है। -- श्री कृष्ण पट्टाभि जॉइस * योग आपके मन को शांत करने का एक प्राचीन तरीका है। * योग आपको स्वीकार करता है और प्रदान करता है। * योग एक तरह से लगभग संगीत जैसा है; इसका कोई अंत नहीं है। -- स्टिंग * योग एक धर्म नहीं है। यह एक विज्ञान है, सलामती का विज्ञान, यौवन का विज्ञान, शरीर, मन और आत्मा को एकीकृत करने का विज्ञान है। -- अमित रे * योग एक लाभदायक प्रक्रिया है, जो न सिर्फ मनुष्य को चुनौतीपूर्ण बीमारियों से छुटकारा दिलवाने में मदद करती है बल्कि उन्हें आजीवन स्वास्थ्य रखने में भी उपयोगी साबित होती है। * योग करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण उपकरण जो आपको चाहिए होंगे वो हैं आपका शरीर और आपका मन। -- रॉडने यी * योग का आसन, जाने के लिए एक अच्छी जगह है जब टॉक थेरेपी और एंटीडेप्रेसेन्ट्स पर्याप्त न हों। -- एमी वेंट्रौब * योग के पास उन मेन्टल पैटर्न्स को शार्ट सर्किट करने के बड़े शातिर और चालाक तरीके हैं जो चिंता पैदा करते हैं। -- बैक्सटर बेल * योग के बारे में यह कभी भी मत सोचिये की योग से क्या मिल सकता है बल्कि यह सोचिये की योग के द्वारा हम क्या नही प्राप्त कर सकते है। * योग को दृढ संकल्प और अटलता के साथ बिना किसी मानसिक संदेह या संशय के साथ किया जाना चाहिए। -- भगवद गीता * योग न सिर्फ मनुष्य के मस्तिष्क और शरीर की एकता को संगठित करता है बल्कि यह मनुष्य के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम करता है। योग से मनुष्य का मन शांत रहता है और उसे अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलती है। * योग बहुत ही आश्चर्यजनक है इससे हमारे स्वास्थ्य की समस्याएं दूर तो होती हैं तथा साथ में खुद का अवलोकन होता भी होता है। * योग भी अब व्यवसाय के रूप में बदल रहा है और कई लोगों को रोजगार भी प्रदान कर रहा है। * योग मन के उतार-चढ़ाव को स्थिर करने की प्रक्रिया है। * योग मन को शांत करने का अभ्यास है। * योग मन को शांति में स्थिर करना है। जब मन स्थिर हो जाता है , हम अपनी आवश्यक प्रकृति में स्थापित हो जाते हैं , जोकि असीम चेतना है। हमारी आवश्यक प्रकृति आम तौर पर मस्तिष्क की गतिविधियों द्वारा ढक दी जाती है। -- पतंजलि * योग मन को स्थिर करने की क्रिया है। -- पतंजलि * योग मनुष्य को सफल बनाने में भी उसकी मदद करता है। वहीं नियमित रुप से किया गया योग अभ्यास मनुष्य को एक बेहतर शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक स्वास्थ्य की तरफ ले जाता है। * योग यौवन का फव्वारा है। आप उतने ही नौजवान हैं जितनी आपके रीढ़ की हड्डी लचीली है। -- बॉब हार्पर * योग वह प्रकश है जो एक बार जला दिया जाए तो कभी कम नहीं होता। जितना अच्छा आप अभ्यास करेंगे , लौ उतनी ही उज्जवल होगी। -- . बी के एस आयंगर * योग विश्राम में उत्साह है। दिनचर्या में स्वतंत्रता। आत्म नियंत्रण के माध्यम से विश्वास। भीतर ऊर्जा और बाहर ऊर्जा । -- यम्बर डेलेक्टो * योग सिर्फ आत्म सुधार के बारे में नहीं बतलाता है, बल्कि यह आत्म स्वीकृति के बारे में सिखाता है। * योग सिर्फ कसरत ही नहीं है बल्कि यह खुद अपने आप पर काम करता है। * योग से सिर्फ रोगों, बीमारियों से छुटकारा ही नही मिलता है बल्कि यह सबके कल्याण की गारंटी भी देता है। * योग स्वीकार करता है। योग प्रदान करता है। -- एप्रिल वैली * योग हम सभी को नकारात्मकता से दूर रखता है और हमारे मस्तिस्क में अच्छे विचारों का निर्माण करता है। वहीं मनुष्य योग के द्धारा अपनी जीवनशैली में बदलाव कर सकता है और एक सुखी और स्वस्थ जीवन जी सकता है। * योग हमारी कमियों पर प्रकाश डालता हैं। * योग हमारे जीवन की शक्ति, ध्यान करने की क्षमता और उत्पादकता को बढ़ाता है योग मनुष्य के शरीर, मन और भावना को स्थिर और नियंत्रित भी करता है। * योग हमें उन चीजों को ठीक करना सिखाता है जिसे सहा नहीं जा सकता और उन चीजों को सहना सिखाता है जिन्हे ठीक नहीं किया जा सकता। -- . बी के एस आयंगर * योग हमे खुशी, शांति और पूर्ति की एक स्थायी भावना प्रदान करता है। * योग हर उस व्यक्ति के लिए संभव है जो वास्तव में इसे चाहता है। योग सार्वभौमिक है ….लेकिन योग को सांसारिक लाभ हेतु एक व्यवसायिक दृष्टिकोण से ना अपनाएं। -- श्री कृष्ण पट्टाभि जॉइस * योग हर वह व्यक्ति के कर सकता है जो वास्तव में इसे चाहता है क्योंकि योग सार्वभौमिक है। * योगा हमे वो ऊर्जा प्रदान करता है जो हम हज़ारो घंटे भी अपना काम करके अर्जित नहीं कर सकते। । * रोना उच्चतम भक्ति गीतों में से एक है। जो रोना जानता है, वह साधना जानता है। यदि आप सच्चे दिल से रो सकें, तो इस प्रार्थना के तुल्य कुछ भी नहीं है। रोने में योग के सभी सिद्धांत शामिल हैं। -- कृपालवानंदजी * व्यायाम गद्य की तरह है , जबकि योग गति की कविता है। एक बार जब आप योग का व्याकरण समझ जाते हैं ; आप अपने गति की कविता लिख सकते हैं। -- अमित रे * शरीर आपका मंदिर है। आत्मा के निवास के लिए इसे पवित्र और स्वच्छ रखिये। -- . बी . के . एस आयंगर * शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए योग और ध्यान अपनाये। * सभी बीमारियों का उपचार योग और स्वस्थ जीवन शैली में निहित है। -- बाबा रामदेव * सभ्यता द्वारा घायल हुए लोगों के लिए, योग सबसे बड़ा मरहम है। -- टी गिलेमेट्स * सांसें अंदर लो , और ईश्वर तुम तक पहुँचता है। सांसें रोके रहो , और ईश्वर तुम्हारे साथ रहता है। सांसें बाहर निकालो, और तुम ईश्वर तक पहुँचते हो। सांसें छोड़े रहो , और ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाओ। -- कृष्णामचार्य * स्वस्थ जीवन जीना जिंदगी की जमा पूंजी, योग करना रोगमुक्त जीवन की कुंजी…। * स्वास्थ सबसे बड़ा उपहार हैं, संतोष सबसे बड़ा धन हैं, यह दोनों योग से ही मिलते हैं। * हमारा स्वास्थ्य ही असली धन है न कि सोने और चांदी के टुकड़े, इसलिए योग के द्वारा इसे बनाये रखे। * हमारे पास प्राचीनकाल में स्वास्थ्य बीमा नहीं था लेकिन हम सभी के के पास योग एक ऐसा अभ्यास है जो बिना एक पैसे खर्च किये हमारे स्वास्थ्य की आश्वासन देता है। ==इन्हें भी देखें== * [[व्यायाम]] * [[ध्यान]] * [[आयुर्वेद]] 9stm4z7opmorsbo7tlpvgb8ei6bzmuo 23933 23932 2022-08-26T18:01:06Z अनुनाद सिंह 658 /* उक्तियाँ */ wikitext text/x-wiki [[चित्र:Sarvangasana.jpg|200px|thumb|right|'''आसन''', योग के आठ अंगों में से एक है। '''सर्वाङ्गासन''' = सभी अंगों का आसन]] '''योग''', प्राचीन भारत में उद्भूत शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक क्रिया है जिसका उद्देश्य मन को स्थायी शान्ति प्रदान करना है ताकि आत्मसाक्ष्त्कार किया जा सके। पतंजलि द्वारा रचित 'योगसूत्र' योग का प्रधान ग्रन्थ है। योगदर्शन, भारत के छः आस्तिक दर्शनों में से एक है। १९वीं और २०वीं शताब्दी में भारत से निकलकर अनेग योग-गुरु पश्चिमी देशों में जाकर योग का प्रचार-प्रसार किये। == उक्तियाँ == * ''योगः चित्तवृत्तिनिरोधः'' -- पतञ्जलि योगसूत्र : अर्थ : चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। * ''योगः समाधिः'' -- वेद व्यास : अर्थ : योग नाम समाधि का है। * जीवन जीने की कला ही योग है। -- श्रीराम शर्मा आचार्य * ध्यान योगेन सम्यश्यदगतिस्यान्तरामनः। -- मनुस्मृति 16/731 : अर्थ : ध्यान योग से भी योग आत्मा को जाना जा सकता है। अतः योगपरायण ध्यान होना चाहिए। * ''यदा पंचावतिष्ठनते ज्ञानानि मनसा सह। : ''बुद्धिश्च न विचेष्टति तामाहुः परमा गति॥ : ''तां योगमिति मन्यन्ते स्थिरामिन्द्रिय धारणाम्। : ''अप्रमत्तस्दा भवति योगो हि प्रभवाप्ययौ॥'' -- कठोपनिषद-2/3/10-11 : अर्थात् जब पाँचों ज्ञानेन्द्रियाँ मन के साथ स्थिर हो जाती हैं, और मन निश्चल बुद्धि के साथ आ मिलता है, इस अवस्था को परमगति कहते है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा ही योग है। जिसकी इन्द्रियाँ स्थिर हो जाती हैं, उसमें शुभ संस्कारों की उत्पत्ति और अशुभ संस्कारों का नाश होने लगता है। यही अवस्था योग की है। * ''पुरूष प्रकृत्योतियोगेऽपि योग इत्यभिधीयते।'' -- सांख्यशास्त्र : अर्थात् प्रकृति-पुरुष का पृथकत्व स्थापित कर, अर्थात् दोनो का वियोग करके पुरुष के स्वरुप में स्थिर हो जाना योग है। * ''श्रद्धाभक्तियोगावदेहि।'' -- कैवल्योपनिषद् : अर्थात् श्रद्धा भक्ति और ध्यान के द्वारा आत्मा को जानना ही योग है। * ''संयोगो योग इत्यक्तो जीवात्मा-परमात्मनो।'' -- याज्ञवल्यक स्मृति : अर्थात् जीवात्मा परमात्मा के मिलन को योग कहते है। * ''ब्रह्म प्रकाशनम् ज्ञानं योगस्थ त्रैचित्तता। : ''चित्त वृत्ति निरोधश्च जीवन ब्रह्मामात्मनो परः॥'' -- अग्नि पुराण 183/1-2 : अर्थात् ज्ञान का प्रकाश पड़ने पर चित्त ब्रह्म में एकाग्र हो जाता है। जिससे जीव का ब्रह्म में मिलन हो जाता है। ब्रह्म में चित्त की यह एकाग्रता ही योग है। * ''जीवात्मा परमार्थोऽयमविभागः परमतपः : ''सः एव परोयोगः समासा कथितस्तव॥ -- स्कन्धपुराण : अर्थात् जीवात्मा व परमात्मा का अलग-अलग होना ही दुःख का कारण है। और इस का अपृथक भाव ही योग है। एकत्व की स्थिति ही योग है। * ''योग निरोधो वृत्तेस्तु चितस्य द्विज सत्तमा।'' -- लिंगपुराण : अर्थात् चित्त की सभी वृत्तियों का निरोध हो जाना, उसे पूर्ण समाप्त कर देना ही योग है। उसी से परमगति अर्थात् ब्रह्म की प्राप्ति होती है। * ''तदनारम्भ आत्मस्ये मनसि शरीरस्य दुःखाभावः संयोगः।'' -- वैशेषिक सूत्र 6/2/16 : अर्थात् मन आत्मा में स्थिर होने पर उसके (मन के काय का) अनारम्भ है, वह योग है। * ''योगस्थ कुरु कर्माणि संगत्यक्त्वा धनंजय। : ''सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥'' -- गीता 2/48 : अर्थात् योग में स्थिर हो कर कर्म फल का त्याग करे और सिद्ध-असिद्ध में सम होकर कर्मों को करे, यही समता ही योग है। * ''बुद्धि युक्तो जहातीहं उभय सुकृत दुष्कृते। : ''तस्माद्योगाय युज्जस्व योगः कर्मसु कौशलम्॥ -- गीता 2/50 : अर्थात् कर्मो में कुशलता का नाम ही योग है। कर्मों की कुशलता का तात्पर्य यह है कि हमे कर्म इस प्रकार से करने चहिए कि वे बन्धन का कारण ना बनें। अनासक्त भाव से अपने कर्तव्य कर्मों का निर्वहन करना ही कर्म योग है। * ''तं विद्याय दुःख संयोग वियोगं योग संज्ञितम्। : ''स निश्चयेन योक्ताव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा॥ : अर्थात् उस योग को उत्साह, श्रद्धा, धैर्य, से समाहित चित्त से निश्चय पूर्वक करना चाहिए। इस दुख रुप संसार के संयोग से रहित है, वह योग है। * ''एकत्वं प्राणमनसोरिन्द्रियाणां तथैव च। : ''सर्वभाव परित्यागो योग इत्यभिधीयते॥'' -- मैत्रायणी उपनिषद् 6/25 : अर्थात् प्राण, मन व इन्द्रियों का एक हो जाना, एकाग्रावस्था को प्राप्त कर लेना, बाह्म विषयों से विमुख होकर इन्द्रियों का मन में और मन आत्मा में लग जाना,प्राण का निष्चल हो जाना योग है। * ''योऽपानप्राणयोरैक्यं स्वरजोरेतसोस्तथा। : ''सूर्याचन्द्रमसोर्योगो जीवात्मपरमात्मनो:। : ''एवंतु़द्वन्द्व जालस्य संयोगो योग उच्यते॥ -- योगषिखोपनिषद् 1/68-69 : अर्थात् अपान और प्राण की एकता कर लेना, स्वरज रूपी महाशक्ति कुण्डलिनी को स्वरेत रूपी आत्मतत्त्व के साथ संयुक्त करना, सूर्य अर्थात् पिंगला और चन्द्र अर्थात् इड़ा स्वर का संयोग करना तथा परमात्मा से जीवात्मा का मिलन योग है। * ''सलिबे सैन्धवं यद्वत साम्यं भजति योगत:। : ''तयात्ममनसोरैक्यं समाधिरभी घीयते॥'' -- हठयोग प्रदीपिका (4/5) : अर्थात् जिस प्रकार नमक जल में मिलकर जल की समानता को प्राप्त हो जाता है, उसी प्रकार जब मन वृत्तिशून्य होकर आत्मा के साथ ऐक्य को प्राप्त कर लेता है तो मन की उस अवस्था का नाम समाधि है। * मन के संवेगो पर नियन्त्रण ही योग है। -- महोपनिषद् * जीवन को बिना खोए भगवान की प्राप्ति योग है। -- महर्षि अरविन्द * प्राचीन आर्ष ग्रन्थो का अध्ययन ही योग है। -- स्वामी विवेकानन्द * निःस्वार्थ भावना से कर्म करना ही सच्चे धर्म का पालन है, और यही वास्तविक योग है। -- गुरु ग्रन्थ साहिब * शिव व शक्ति का मिलन को योग कहते हैं। -- रागेय राधव, ‘गोरखनाथ और उनका युग’ में * संसार सागर से पार होने की युक्ति का नाम ही योग है। -- योग वाशिष्ठ * योग के द्वारा मनुष्य अपने वास्तविक स्वरुप सद्-चित्-आनन्द का अनुभव कर लेता है। -- महर्षि वशिष्ठ * अपना अभ्यास करो और सब कुछ आ रहा है। -- श्री के पट्ठाबी जॉइस * आज के इस भागमभाग भरी जिन्दगी में हम सब अपने आप से ही अलग हो गये है इसलिए योग हमें अपने आप से पुन: जोड़ने में में मदद करता है। * आप कौन हैं इस बारे में उत्सुक होने के लिए योग एक सही अवसर है। -- जेसन क्रैंडल * आप योग नहीं कर सकते। योग आपकी प्राकृतिक अवस्था है। आप जो कर सकते हैं वो है योग व्यायाम , जो ये उजागर कर सकता है कि आप कहाँ अपनी प्राकृतिक अवस्था का विरोध कर रहे हैं। -- शेरोन गैनन * आपका मन आपका औज़ार है। इसका मालिक बनना सीखें गुलाम नहीं। -- अज्ञात * एक फोटोग्राफर लोगों से उसके लिए पोज दिलवाता है। एक योग प्रशिक्षक लोगों से खुद के लिए पोज दिलवाता है। -- टी गिलेमेट्स * एक सर्जन हमेसा गर्भवती महिलाओं को योग का अभ्यास करने के लिए सलाह देता हैं क्योंकि योग के द्वारा उन्हें स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। * एलर्जी को रोकने के लिए ऊर्जा उत्पन्न करें। -- बाबा रामदेव * कर्म योग में कभी कोई प्रयत्न बेकार नहीं जाता, और इससे कोई हानि नहीं होती। इसका थोड़ा सा भी अभ्यास जन्म और मृत्यु के सबसे बड़े भय से बचाता है। -- भगवद गीता * कर्म योग वास्तव में एक बड़ा रहस्य है। योग मन की दुखो की समाप्ति है। -- भगवद गीता * कहा जाता है कि एक व्यक्ति को योग के द्वारा स्वयं के साथ मिलना है जब पूरी तरह अनुशासित होकर अपने मन से सभी इच्छाओं से नियन्त्रण प्राप्त कर लेते हैं तब हम अपने आप को जान पाते है। * जब आप सांस लेते हैं , आप भगवान से शक्ति ले रहे होते हैं। जब आप सांस छोड़ते हैं तो ये उस सेवा को दर्शाता है जो आप दुनिया को दे रहे हैं। -- . बी के एस आयंगर * जब तक आपने अभ्यास नहीं किया है , सिद्धांत बेकार है। अभ्यास करने के बाद, सिद्धांत ज़ाहिर है। -- डेविड विलियम्स * जब पुछा गया उसे अपने जन्मदिन पर क्या उपहार चाहिए , योगी बोला : मुझे किसी उपहार की नहीं बस आपके उपस्थिति की कामना है। -- अज्ञात * जब सांसें विचलित होती हैं तो मन भी अस्थिर हो जाता है। लेकिन जब सांसें शांत हो जाती हैं , तो मन भी स्थिर हो जाता है, और योगी दीर्घायु हो जाता है। इसलिए , हमें श्वास पर नियंत्रण करना सीखना चाहिए। -- हठयोग प्रदीपिका * जो कोई भी अभ्यास करता है वह योग में सफलता पा सकता है लेकिन वो नहीं जो आलसी है। केवल निरंतर अभ्यास ही सफलता का रहस्य है। -- स्वात्मरामा * जो कोई व्यक्ति भी अभ्यास करता है वह योग के द्वारा सफलता प्राप्त कर सकता है लेकिन आलसी व्यक्ति के लिए योग का कोई महत्व नहीं है और निरंतर अभ्यास अकेले सफलता का रहस्य है। * धन्य हैं वे लचीले लोग, क्योंकि उनके आकार को नहीं बिगड़ना पड़ेगा। -- अज्ञात * ध्यान का बीज बोएं और मन की शांति का फल पाएं। -- अज्ञात * ध्यान से ज्ञान आता है; ध्यान की कमी अज्ञानता लाती है। अच्छी तरह जानो कि क्या तुम्हे आगे ले जाता है और क्या तुम्हे रोके रखता है, और उस पथ को चुनो जो ज्ञान की ओर ले जाता है। -- बुद्ध * ध्यान से परे ‘अब’ का अनुभव है। -- रयान पैरेंटी * नियमित योग अभ्यास करने से मनुष्य को तनाव से दूर रहने में तो मद्द मिलती ही है साथ ही बुरे दौर से उभरने में भी मद्द मिलती है। योग मनुष्य को एक खुशहाल और समृद्ध जीवन प्रदान करने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाता है। * प्राणायाम बुनियादी सांस लेने का व्यायाम है जो ऑक्सीजन को तुम्हारे शरीर के सभी भागों तक पहुँचाने में मदद करता है जिससे न सिर्फ कोशिकाओं को फिर से जीवंत कर देता है बल्कि तुम्हारे अंदर बहुत सारी ऊर्जा भी भर देता है। मेरे अनुसार , एक इंसान को छः घंटे सोना, एक घंटा योग , एक घंटा दैनिक दिनचर्या , दो घंटा परिवार और १४ घंटा कड़ी मेहनत करना चाहिए। -- बाबा रामदेव * बाहर क्या जाता है उसे आप हमेशा कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। लेकिन अंदर क्या जाता है उसे आप हमेशा कंट्रोल कर सकते हैं। -- . श्री योग * मन की शांति के लिए सबसे अच्छा साधन योग हैं। * मेरे लिए, योग सिर्फ एक कसरत नहीं है – यह अपने आप पर काम करने के बारे में है। -- मैरी ग्लोवर * मैं योग को प्यार करता हूँ क्योंकि यह न केवल यह हमारे शरीर के लिए कसरत है बल्कि हमारी श्वास भी है जो अत्यधिक तनाव को मुक्त करने में मदद करता है योग सचमुच हमे दिन की दिनचर्या के लिए तैयार करता है। * यदि शरीर व मन स्वस्थ नही हैं। * यह योग उसके लिए संभव नहीं है जो बहुत अधिक खाता है , या जो बिलकुल भी नहीं खाता ; जो बहुत अधिक सोता है , या जो हमेशा जगा रहता है। -- भगवद गीता * योग 99% अभ्यास और 1% सिद्धांत है। -- श्री कृष्ण पट्टाभि जॉइस * योग आपके मन को शांत करने का एक प्राचीन तरीका है। * योग आपको स्वीकार करता है और प्रदान करता है। * योग एक तरह से लगभग संगीत जैसा है; इसका कोई अंत नहीं है। -- स्टिंग * योग एक धर्म नहीं है। यह एक विज्ञान है, सलामती का विज्ञान, यौवन का विज्ञान, शरीर, मन और आत्मा को एकीकृत करने का विज्ञान है। -- अमित रे * योग एक लाभदायक प्रक्रिया है, जो न सिर्फ मनुष्य को चुनौतीपूर्ण बीमारियों से छुटकारा दिलवाने में मदद करती है बल्कि उन्हें आजीवन स्वास्थ्य रखने में भी उपयोगी साबित होती है। * योग करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण उपकरण जो आपको चाहिए होंगे वो हैं आपका शरीर और आपका मन। -- रॉडने यी * योग का आसन, जाने के लिए एक अच्छी जगह है जब टॉक थेरेपी और एंटीडेप्रेसेन्ट्स पर्याप्त न हों। -- एमी वेंट्रौब * योग के पास उन मेन्टल पैटर्न्स को शार्ट सर्किट करने के बड़े शातिर और चालाक तरीके हैं जो चिंता पैदा करते हैं। -- बैक्सटर बेल * योग के बारे में यह कभी भी मत सोचिये की योग से क्या मिल सकता है बल्कि यह सोचिये की योग के द्वारा हम क्या नही प्राप्त कर सकते है। * योग को दृढ संकल्प और अटलता के साथ बिना किसी मानसिक संदेह या संशय के साथ किया जाना चाहिए। -- भगवद गीता * योग न सिर्फ मनुष्य के मस्तिष्क और शरीर की एकता को संगठित करता है बल्कि यह मनुष्य के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम करता है। योग से मनुष्य का मन शांत रहता है और उसे अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलती है। * योग बहुत ही आश्चर्यजनक है इससे हमारे स्वास्थ्य की समस्याएं दूर तो होती हैं तथा साथ में खुद का अवलोकन होता भी होता है। * योग भी अब व्यवसाय के रूप में बदल रहा है और कई लोगों को रोजगार भी प्रदान कर रहा है। * योग मन के उतार-चढ़ाव को स्थिर करने की प्रक्रिया है। * योग मन को शांत करने का अभ्यास है। * योग मन को शांति में स्थिर करना है। जब मन स्थिर हो जाता है , हम अपनी आवश्यक प्रकृति में स्थापित हो जाते हैं , जोकि असीम चेतना है। हमारी आवश्यक प्रकृति आम तौर पर मस्तिष्क की गतिविधियों द्वारा ढक दी जाती है। -- पतंजलि * योग मन को स्थिर करने की क्रिया है। -- पतंजलि * योग मनुष्य को सफल बनाने में भी उसकी मदद करता है। वहीं नियमित रुप से किया गया योग अभ्यास मनुष्य को एक बेहतर शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक स्वास्थ्य की तरफ ले जाता है। * योग यौवन का फव्वारा है। आप उतने ही नौजवान हैं जितनी आपके रीढ़ की हड्डी लचीली है। -- बॉब हार्पर * योग वह प्रकश है जो एक बार जला दिया जाए तो कभी कम नहीं होता। जितना अच्छा आप अभ्यास करेंगे , लौ उतनी ही उज्जवल होगी। -- . बी के एस आयंगर * योग विश्राम में उत्साह है। दिनचर्या में स्वतंत्रता। आत्म नियंत्रण के माध्यम से विश्वास। भीतर ऊर्जा और बाहर ऊर्जा । -- यम्बर डेलेक्टो * योग सिर्फ आत्म सुधार के बारे में नहीं बतलाता है, बल्कि यह आत्म स्वीकृति के बारे में सिखाता है। * योग सिर्फ कसरत ही नहीं है बल्कि यह खुद अपने आप पर काम करता है। * योग से सिर्फ रोगों, बीमारियों से छुटकारा ही नही मिलता है बल्कि यह सबके कल्याण की गारंटी भी देता है। * योग स्वीकार करता है। योग प्रदान करता है। -- एप्रिल वैली * योग हम सभी को नकारात्मकता से दूर रखता है और हमारे मस्तिस्क में अच्छे विचारों का निर्माण करता है। वहीं मनुष्य योग के द्धारा अपनी जीवनशैली में बदलाव कर सकता है और एक सुखी और स्वस्थ जीवन जी सकता है। * योग हमारी कमियों पर प्रकाश डालता हैं। * योग हमारे जीवन की शक्ति, ध्यान करने की क्षमता और उत्पादकता को बढ़ाता है योग मनुष्य के शरीर, मन और भावना को स्थिर और नियंत्रित भी करता है। * योग हमें उन चीजों को ठीक करना सिखाता है जिसे सहा नहीं जा सकता और उन चीजों को सहना सिखाता है जिन्हे ठीक नहीं किया जा सकता। -- . बी के एस आयंगर * योग हमे खुशी, शांति और पूर्ति की एक स्थायी भावना प्रदान करता है। * योग हर उस व्यक्ति के लिए संभव है जो वास्तव में इसे चाहता है। योग सार्वभौमिक है ….लेकिन योग को सांसारिक लाभ हेतु एक व्यवसायिक दृष्टिकोण से ना अपनाएं। -- श्री कृष्ण पट्टाभि जॉइस * योग हर वह व्यक्ति के कर सकता है जो वास्तव में इसे चाहता है क्योंकि योग सार्वभौमिक है। * योगा हमे वो ऊर्जा प्रदान करता है जो हम हज़ारो घंटे भी अपना काम करके अर्जित नहीं कर सकते। । * रोना उच्चतम भक्ति गीतों में से एक है। जो रोना जानता है, वह साधना जानता है। यदि आप सच्चे दिल से रो सकें, तो इस प्रार्थना के तुल्य कुछ भी नहीं है। रोने में योग के सभी सिद्धांत शामिल हैं। -- कृपालवानंदजी * व्यायाम गद्य की तरह है , जबकि योग गति की कविता है। एक बार जब आप योग का व्याकरण समझ जाते हैं ; आप अपने गति की कविता लिख सकते हैं। -- अमित रे * शरीर आपका मंदिर है। आत्मा के निवास के लिए इसे पवित्र और स्वच्छ रखिये। -- . बी . के . एस आयंगर * शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए योग और ध्यान अपनाये। * सभी बीमारियों का उपचार योग और स्वस्थ जीवन शैली में निहित है। -- बाबा रामदेव * सभ्यता द्वारा घायल हुए लोगों के लिए, योग सबसे बड़ा मरहम है। -- टी गिलेमेट्स * सांसें अंदर लो , और ईश्वर तुम तक पहुँचता है। सांसें रोके रहो , और ईश्वर तुम्हारे साथ रहता है। सांसें बाहर निकालो, और तुम ईश्वर तक पहुँचते हो। सांसें छोड़े रहो , और ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाओ। -- कृष्णामचार्य * स्वस्थ जीवन जीना जिंदगी की जमा पूंजी, योग करना रोगमुक्त जीवन की कुंजी…। * स्वास्थ सबसे बड़ा उपहार हैं, संतोष सबसे बड़ा धन हैं, यह दोनों योग से ही मिलते हैं। * हमारा स्वास्थ्य ही असली धन है न कि सोने और चांदी के टुकड़े, इसलिए योग के द्वारा इसे बनाये रखे। * हमारे पास प्राचीनकाल में स्वास्थ्य बीमा नहीं था लेकिन हम सभी के के पास योग एक ऐसा अभ्यास है जो बिना एक पैसे खर्च किये हमारे स्वास्थ्य की आश्वासन देता है। ==इन्हें भी देखें== * [[व्यायाम]] * [[ध्यान]] * [[आयुर्वेद]] 89vgyt86qq2jb632zxv9fytoa033f8d ध्यान 0 6069 23931 22259 2022-08-26T16:59:17Z अनुनाद सिंह 658 wikitext text/x-wiki * अनियंत्रित विचार हर बुराई की जड़ हैं। कोई भी विचार अपने आप मे बहुत सशक्त नहीं होता, क्योंकि हमारा मन आमतौर पर अनगिनत और विविध विचारों से विचलित रहता है। -- स्वामी शिवानन्द * अपने मन पर काबू करने का सबसे अच्छा तरीका यही है की हम उसमें उत्कृष्ट, श्रेष्ठ और ऊँचे विचारों को जगह दें और उनके माध्यम से हम इधर-उधर के अलग-अलग, मन को विचलित करने वाले सांसारिक और तुच्छ विचारों पर काबू कर पाएं। -- स्वामी शिवानन्द * एकाग्रता वह कला है, जिसके आते ही सफलता निश्चित हो जाती है। कर्म, भक्ति, ज्ञान, योग और सम्पूर्ण साधनों की सिद्धि का मूलमंत्र एकाग्रता है। -- दीनानाथ दिनेश * अपनी अभिलाषाओं को वशीभूत कर लेने के बाद मन को जितनी देर तक चाहो एकाग्र किया जा सकता है। -- स्वामी रामतीर्थ * पवित्रता के बिना एकाग्रता का कोई मूल्य नहीं है। -- स्वामी शिवानंद * तुम एकाग्रता द्वारा उस अनन्त शक्ति के अटूट भंडार के साथ मिल जाते हो, जिसमे इस बृह्मांड की उत्पत्ति हुई है। -- अज्ञात * साठ वर्ष के बूढ़े में उत्साह सामर्थ्य नजर आ सकता है यदि उसका चित्त एकाग्र हो। -- विनोबा भावे * ध्यान और समाधि एकाग्रता के बिना सम्भव नहीं। -- मनुस्मृति * एकाग्र हुआ चित्त ही पूर्ण स्थिरता को प्राप्त होता है। सुखी का चित्त एकाग्र होता है। -- महात्मा बुद्ध * एकाग्रता से विनय प्राप्त होती है। -- चार्ल्स बक्सन * एकाग्रता आवेश को पवित्र और शांत कर देती है, विचारधारा को शक्तिशाली और कल्पना को स्पष्ट कर देती है। -- स्वामी शिवानंद * तुम्हारी विजय शक्ति है मन की एकाग्रता।यह शक्ति मनुष्य जीवन की समस्त ताकतों को समेटकर मानसिक क्रांति उत्पन्न करती है। -- अज्ञात * अनिश्चितमना पुरुष भी मन को एकाग्र करके जब सामना करने को खड़ा होता है तो आपत्तियों का लहराता हुआ समुद्र भी दुबककर बैठ जाता है। -- तिरुवल्लुवर * जिसका चित्त एकाग्र नहीं है वह सुनकर भी कुछ नहीं समझता। -- नारद पुराण * संसार के प्रत्येक कार्य में विजय पाने के लिए एकाग्रचित्त होना आवश्यक है। जो लोग चित्त को चारों ओर बिखेरकर काम करते है उन्हें सैकड़ों वर्षों तक सफलता का मूल्य मालूम नहीं होता। -- मार्ले * जबरदस्त एकाग्रता के बिना कोई भी मनुष्य सूझ-बुझ वाला, आविष्कारक, दार्शनिक, लेखक, मौलिक कवि या शोधकर्ता नहीं हो सकता। -- स्वेट मार्डेन * विनय प्राप्त करने के लिए एकाग्रता की शरण लीजिए। -- चार्ल्स बेकन * सब धर्मो से महान ईश्वरत्व वरण और इंद्रियों की एकाग्रता है। -- शंकराचार्य * मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है। -- स्वामी विवेकान्द * मन में एकाग्र शक्ति प्राप्त करने वाले मनुष्य संसार में किसी में किसी समय असफल नहीं होते। -- अज्ञात ==इन्हें भी देखें== * [[योग]] jdc0rkw5qifimy795nhr3oi162avdu2 मार्टिन लूथर किंग जूनियर 0 6683 23930 23922 2022-08-26T12:58:55Z सूरजमुखी 4227 /* १९५० के दशक */ +१ wikitext text/x-wiki डॉ. '''[[w:मार्टिन लूथर किंग|मार्टिन लूथर किंग जूनियर]]''' (१५ जनवरी १९२९ - ४ अप्रैल १९६८) एक अमेरिकी [[w:बैप्टिस्ट चर्च|बैपटिस्ट मिनिस्टर]], डॉक्टर, [[w:अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन (1955–1968)|नागरिक अधिकार कार्यकर्ता]] और १९६४ के नोबेल शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता थे। वह कोरेटा स्कॉट किंग के पति और योलान्डा किंग और मार्टिन लूथर किंग तृतीय के पिता थे। == उक्तियाँ == === १९५० के दशक === :<small>किंग के कुछ प्रसिद्ध बयानों के लिए अक्सर कई स्रोत होते हैं; एक पेशेवर वक्ता और मिनिस्टर के रूप में उन्होंने अपने निबंधों, पुस्तकों, और विभिन्न श्रोताओं के लिए अपने भाषणों में कई बार केवल मामूली बदलाव के साथ कुछ महत्वपूर्ण वाक्यांशों का उपयोग किया।</small> *आप जानते हो मेरे दोस्तों, एक समय ऐसा भी आता है जब लोग ज़ुल्म के लोहे के पैरों से रौंदे जाने से थक जाते हैं। एक समय आता है मेरे दोस्तों, जब लोग अपमान के रसातल में गिरते-गिरते थक जाते हैं, जहां वे निराशा की नीरसता का अनुभव करते हैं। एक समय ऐसा आता है जब लोग जीवन की जुलाई की तेज़ धूप से बाहर निकलने से थक जाते हैं और अल्पाइन नवंबर की चुभती ठंड के बीच खड़े रह जाते हैं। एक समय ऐसा आता है। :— [http://www.blackpast.org/?q=1955-martin-luther-king-jr-montgomery-bus-boycott होल्ट स्ट्रीट बैपटिस्ट चर्च में मोंटगोमरी बस बहिष्कार भाषण (५ दिसंबर १९५५)] *हम, इस भूमि से वंचित, हम जो इतने लंबे समय से प्रताड़ित हैं, कैद की लंबी रात से गुज़रते हुए थक गए हैं। और अब हम स्वतंत्रता और न्याय और समानता के भोर की ओर बढ़ रहे हैं। :—होल्ट स्ट्रीट बैपटिस्ट चर्च में मोंटगोमरी बस बहिष्कार भाषण (५ दिसंबर १९५५) jpwegpgx8m5p8f0jkhblzevxlulf3ti