विक्षनरी hiwiktionary https://hi.wiktionary.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AA%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0 MediaWiki 1.39.0-wmf.21 case-sensitive मीडिया विशेष वार्ता सदस्य सदस्य वार्ता विक्षनरी विक्षनरी वार्ता चित्र चित्र वार्ता मीडियाविकि मीडियाविकि वार्ता साँचा साँचा वार्ता सहायता सहायता वार्ता श्रेणी श्रेणी वार्ता TimedText TimedText talk Module Module talk गैजेट गैजेट वार्ता गैजेट परिभाषा गैजेट परिभाषा वार्ता पाषाण 0 137402 474728 470977 2022-07-24T04:14:25Z 2409:4042:880:1694:7B29:CA79:8ABF:1860 wikitext text/x-wiki [[File:Kummakivi balancing rock in Ruokolahti, Finland.jpg|thumb|पाषाण]] {{-hi-}} === संज्ञा === # [[पत्थर]] === प्रकाशितकोशों से अर्थ === ==== शब्दसागर ==== पाषाण संज्ञा पुं॰ [सं॰] <br><br>१. पत्थर । प्रस्तर । शिला । <br><br>२. पन्ने और नीलम का एक दोष । —रत्नपरीक्षा (शब्द॰) । <br><br>३. गंधक । [[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशित कालकोशों से अर्थ-शब्दसागर]] o8xgva9hx0tl2qu7dk9bmhz4odv6psz 474731 474728 2022-07-24T08:38:49Z Svartava 14289 Reverted edit(s) by [[Special:Contributions/2409:4042:880:1694:7B29:CA79:8ABF:1860|2409:4042:880:1694:7B29:CA79:8ABF:1860]]; if you disagree with this rollback, please [[Special:NewSection/User talk:Svartava|leave me a message]]. wikitext text/x-wiki [[File:Kummakivi balancing rock in Ruokolahti, Finland.jpg|thumb|पाषाण]] {{-hi-}} === संज्ञा === # [[पत्थर]] === प्रकाशितकोशों से अर्थ === ==== शब्दसागर ==== पाषाण संज्ञा पुं॰ [सं॰] <br><br>१. पत्थर । प्रस्तर । शिला । <br><br>२. पन्ने और नीलम का एक दोष । —रत्नपरीक्षा (शब्द॰) । <br><br>३. गंधक । [[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]] dr71gfgh1yg1v6610qip2ep7udy93pf दत्तक 0 201512 474729 259381 2022-07-24T05:49:48Z 2409:4043:2C16:5923:8A57:8A12:AEE7:4AC5 wikitext text/x-wiki 474730 474729 2022-07-24T05:52:53Z Md. Golam Mukit Khan 15715 Undid edits by [[Special:Contribs/2409:4043:2C16:5923:8A57:8A12:AEE7:4AC5|2409:4043:2C16:5923:8A57:8A12:AEE7:4AC5]] ([[User talk:2409:4043:2C16:5923:8A57:8A12:AEE7:4AC5|talk]]) to last version by Sanskritnlpbot wikitext text/x-wiki = {{हिन्दी}} = == प्रकाशितकोशों से अर्थ == === शब्दसागर === दत्तक संज्ञा पुं॰ [सं॰] शास्त्रविधि से बनाया हुआ पुत्र । वह जो वास्तव में पुत्र न हो, पर पुत्र मान लिया गया हो । गोद लिया हुआ लड़का । मुतबन्ना । विशेष—स्मृतियों में जो औरस और क्षेत्रज के अतिरिक्त दस प्रकार के पुत्र गिनाए गए हैं, उनमें दत्तक पुत्र भी है । इसमें से कलियुग में केवल दत्तक ही को ग्रहण करने की व्यवस्था हैं, पर मिथिला और उसके आसपास कृत्रिम पुत्र का भी ग्रहण अबतक होता है । पुत्र के बिना पितृऋण से उद्धार नहीं होता इससे शास्त्र पुत्र ग्रहण करने की आज्ञा देता है । पुत्र आदि होकर मर गया हो तो पितृऋण से तो उद्धार हो जाता है पर पिंडा पानी नहीं मिल सकता इससे उस अवस्था में भी पिंडा पानी देने और नाम चलाने के लिये पुत्र ग्रहण करना आवश्यक है । किंतु यदि मृत पुत्र का कोई पुत्र या पौत्र हो तो दत्तक नहीं लिया जा सकता । दत्तक के लिये आवश्यक यह है कि दत्तक लेनेवाले को पुत्र, पौत्र, प्रपौञ आदि न हो । दूसरी बात यह है कि आदान प्रदान की विधि पूरी हो अर्थात् लड़के का पिता यह कहकर अपने पुत्र को समर्पित करे कि मैं इसे देता हूँ और दत्तक लेनेवाला यह कहकर उसे ग्रहण करे 'धर्माय त्वां परिगृह्वामि, सन्तत्यै त्वां परिगृह्वामि । द्विजों के लिये हवन आदि भी आवश्यक है । वह पुत्र जिसपर उसका असली पिता भी अधिकार रखे और दत्तक लेनेवाला भी 'द्वामुष्यायण' कहलाता है । ऐसा लड़का दोनों की संपत्ति का उत्तराधिकारी होता है और दोनों के कुल में विवाह नहीं कर सकता है । दत्तक लेने का अधिकार पुरुष ही को है, अतः स्त्री यदि गोद ले सकती है तो पति की अनुमति से ही । विधवा यदि गोद लेना चाहे तो उसे पति की आज्ञा का प्रमाण देना होगा । वशिष्ठ का वचन है कि स्त्री पति की आज्ञा के बिना न पुत्र दे और न ले । नंद पंडित ने तो दत्तक मीमांसा में कहा है कि स्त्री को गोद लेने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह जाप होम आदि नहीं कर सकती । पर दत्तकचंद्रिका के अनुसार विधवा को यदि पति आज्ञा दे गया हो तो वह गोद ले सकती है । वंगदेश और काशी प्रदेश में स्त्री के लिये पति की अनुमति अनिवार्य है, और वह इस अनुमति के अनुसार पति के जीते जी या मरने पर गोद ले सकती है । महाराष्ट्र देश के पंडित वशिष्ठ के वचन का यह अभिप्राय निकालते है कि पति की अनुमति की आवश्यकता उस अवस्थ ा में हैं जब दत्तक पति के सामने लिया जाय; पति के मरने पर विधवा पति के कुटुंबियों से अनुमति लेकर दत्तक ले सकती है । कैसा लड़का दत्तक लिया जा सकता है, स्मृतियों में इस संबंध में कई नियम मिलते है— (१) शौनक, वशिष्ठ आदि ने एकलौते या जेठे लड़के को गोद लेने का निषेध किया है । पर कलकत्ते को छोड़ और दूसरे हाइकोटों ने ऐसे लड़के का गोद लिया जाना स्वीकार किया है । (२) लड़का सजातीय हो, दूसरी जाति का न हो । यदि दूसरी जाति का होगा तो उसे केवल खाना कपड़ा मिलेगा । (३) सबसे पहले तो भतीजे या किसी एक ही गोत्र के सपिंड को लेना चाहिए, उसके अभाव में भिन्न गोत्र सपिंड, उसके अभाव में एक ही गोत्र का कोई दूरस्थ संबंधी जो समानोदकों के अंतर्गत हो उसके अभाव में कोई । सगोत्र । (४). द्वीजातियों में लड़की का लड़का, बहिन का लड़का, भाई, चाचा, मामा, मामी का लड़का गोद नहीं लिया जा साकता । नियम यह है कि गोद लेने के लिये जो लड़का हो वह 'पुत्र- च्छायावह' हो अर्थात् ऐसा हो जिसकी माता के साथ दत्तक लेनेवाले का नियोग या समागम हो सके । दत्तक विषय पर अनेक ग्रंथ संस्कृत में हैं जिनमें नंद पंडित की 'दत्तक मीमांसा' और देवानंद भट्ट तथा कुबेर कृत 'दत्तक- चंद्रिका' सबसे अधिक मान्य है । मुहा॰—दत्तक लेना = किसी दूसरे के पुत्र को गोद लेकर अपना पुत्र बनना । [[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]] paot74u9dgwcdtv8yucc06tznwzczvm