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पान:स्वामी विवेकानंद यांचे समग्र ग्रंथ (प्रथम खंड).pdf/68
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/* तपासणी करायचे साहित्य */ नवीन पान "________________ "दादी, मंगेशच्या आजी आल्या होत्या ना? त्या काकीला म्हणत होत्या. तुझ्या धाकट्या जावेच्या मुली चित्रासारख्या देखण्या आहेत. पण शेवटी चांभारणीच्या पोरी. लग्न कशी व्हायची. तू आ..."
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