भारतीय अर्थव्यवस्था

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भारतीय अर्थव्यवस्था की एक झलक 1
मुद्रा 1 रुपया (रू) = 100 पैसा
वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल - 31 मार्च
व्यापार संगठन (सदस्य) साफ्टा, आसियान और विश्व व्यापार संगठन
आँकड़े
सकल घरेलू उत्पाद में स्थान चौथा
स्कल घरेलू उत्पाद $3.033 ट्रिलियन
सकल घरेलू उत्पाद वास्तविक वृद्धी दर 8.3%
सकल घरेलू उत्पाद प्रति वयक्ति $2,900
सकल घरेलू उत्पाद विभिन्न क्षेत्रों में कृषि (23.6%), उद्योग (28.4%), सेवा क्षेत्र (48%)
मुद्रास्फिती दर 3.8%
गरीबी रेखा से नीचे की आबादी 25%
श्रमिक क्षमता 472 मिलियन
व्यवसाय द्वार श्रमिक क्षमता (1999) कृषि (60%), उद्योग (17%), सेवा क्षेत्र (23%)
बेरोजगारी दर 9.5%
कृषि उत्पाद चावल, गेहूँ, तिलहन, कपास, जूट, चाय, गन्ना, आलू; पशु, भैंस, भेंड़, बकरी, मुर्गी; मत्सय
मुख्य उद्योग वस्त्र उद्योग, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण, इस्पात, यातायात के उपकरण, सीमेंट, खनन, पेट्रोलियम, भारी मशीनें, साफ्टवेयर
बाहरी व्यापार
आयात (2003) $74.15 बिलियन
मुख्य आयातित सामग्री कच्चा तेल, मशीनें, जवाहरात, उर्वरक, रासायन
मुख्य व्यापरिक सहयोगी (2003) अमरीका 6.4%, बेल्जियम 5.6%, ब्रिटेन 4.8%, चीन 4.3%, सिंगापुर 4%
निर्यात $57.24 बिलियन
निर्यात के मुख्य सामान कपड़े, जवाहरात and गहने, इंजिनयरिंग के सामान, रासायन, चमड़ा
मुख्य सहयोगी (2001) अमरीका 20.6%, चीन 6.4%, ब्रिटेन 5.3%, हांगकांग 4,8%, जर्मनी 4.4%
सार्वजनिक वाणिज्य
कर्ज $1.810701 बिलियन (सकल घरेलू उत्पाद का 59.7%)
बाहरी कर्ज $101.7 बिलियन
आमदनी $86.69 बिलियन
खर्च $101.1 बिलियन
पूँजी व्यय $13.5 बिलियन
वित्तीय सहायता ग्रहण (1998/99) $2.9 बिलियन

1991 से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रुप में उभरकर आया है। सुधारों से पूर्व मुख्य रुप से भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियंत्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पूर्व इसका जोरदार विरोध भी हुआ परंतु आर्थिक सुधारों के अच्छे परिणाम सामने आने से विरोध काफी हद तक कम हुआ है। हलाकि मूलभूत ढाँचे में तेज प्रगति न होने से एक बड़ा तबका अब भी नाखुश है और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हुये हैं।

लगभग 568 बिलियन के सकल घरेलू उत्पाद के साथ इस समय भारत विश्व अर्थव्यवस्था में 12 वें स्थान पर है। लेकिन प्रति व्यक्ति आय कम होने की वजह से इस प्रगति के कोई मायने नही रहते । सन 2003 में प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से विश्व बैंक के अनुसार भारत का 143 वाँ स्थान था। पिछ्ले वर्शोँ मे भारत मे वित्तीय संस्थानो ने विकास मे बडी भूमिका निभायी है।


अनुक्रमणिका

[बदलें] परिचय

भारत का क्षेत्रफल के लिहाज से विश्व में सातवां स्थान है, आबादी के इसका दूसरा स्थान है, केवल 2.4% क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की आबादी के 17% को श्शरण प्रदान करता है ।

वर्ष 2003-2004 में भारत विश्व में 12वीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है । इसका सकल घरेलू उत्पाद भारतीय रूपयों में 25,238 अरब रुपया जोकि अमरीकी डालरों में 550 अरब के बराबर है । पीछले वर्ष के मुकाबले सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 8.2% थी । पिछले दशक में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि पिछले दशक के दौरान औसतन ६ प्रतिशत प्रतिवर्ष से रही है )


कारक लागत पर घरेलू सकल उत्पाद का संघटन इस प्रकार रहा हैः

  • विनिर्माण, खनन, निर्माण, विद्युत, गैस और आपूर्ति क्षेत्र - 26.6%
  • कृषि वानिकी और लांजंग और मछली पकडने के क्षेत्र - 22.2%
  • सेवा क्षेत्र - 51.2%

क्रय शक्ति समानता के लिहाज से, भारत विश्व में चौथी सबसे बडी अर्थव्यवस्था है तथा अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि वर्ष २०३० तक इसका तीसरा स्थान हो जाएगा (चीन और संयुक्त राज्य अमरीका के बाद)।

भारत बहुत से उत्पादों के सबसे बडे उत्पादको में से है । इनमें प्राथमिक और विनिर्मित दोनों ही आते हैं । भारत दूध का सबसे बडा उत्पादक है ओर गेह, चावल,चाय चीनी,और मसालों के उत्पादन में अग्रणियों मे से एक है यह लौह अयस्क, वाक्साईट, कोयला और टाईटेनियम के समृद्ध भंडार हैं ।

यहाँ प्रतिभाशाली जनशक्ति का सबसे बडा पूल है । लगभग २ करोड भारतीय विदेश में काम कर रहे है। और वे विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं । भारत विश्व में साफ्टवेयर इंजीनियरों के सबसे बडे आपूर्ति कर्त्ताओं में से एक है और सिलिकॉन वैली में सयुंक्त राज्य अमेरिका में लगभग ३० % उद्यमी पूंजीपति भारतीय मूल के है ।


भारत में सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या अमेरिका के पश्चात दूसरे नम्बर पर है । लघु पैमाने का उद्योग क्षेत्र , जोकि प्रसार श्शील भारतीय उद्योग की रीड की हड्डी है, के अन्तर्गत लगभग ९५% औद्योगिक इकाईयां आती है । विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन का ४०% और निर्यात का ३६% ३२ लाख पंजीकृत लघु उद्योग इकाईयों में लगभग एक करोड ८० लाख लोगों को सीधे रोजगार प्रदान करता है।

वर्ष २००३-२००४ में भारत का कुल व्यापार १४०.८६ अरब अमरीकी डालर था जो कि सकल घरेलु उत्पाद का २५.६% है । भारत का निर्यात ६३.्६२% अरब अमरीकी डालर था और आयात ७७.२४ अरब डालर । निर्यात के मुख्य घटक थे विनिर्मित सामान (७५.०३%) कृषि उत्पाद (११.६७%) तथा लौह अयस्क एवं खनिज (३.६९%) ।

वर्ष २००३-२००४ में साफ्टवेयर निर्यात, प्रवासी द्वारा भेजी राशि तथा पर्यटन के फलस्वरूप बाह्य अर्जन २२.१ अरब अमरीकी डालर का हो गया ।

अगस्त २००४ तक भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार १२२ अरब अमरीकी डालर का हो गया।

[बदलें] आर्थिक सुधार

मुख्य लेख देखें - आर्थिक सुधार

[बदलें] उदारवाद की नीति

आर्थिक सुधारों की लंबी कवायद के बाद 1991 में भारत विदेशी पूँजी निवेश का आकर्षण बना और अमरीका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी बना। 1991 के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती का दौर शुरु हुआ। इसके बाद से भारत ने हमेशा प्रतिवर्ष लगभग 5% से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की है। अप्रत्याशित रुप से वर्ष 2003 में भारत ने 8.4 प्रतिशत का विकास दर हासिल किया जो दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का एक संकेत समझा गया।


[बदलें] कर प्रणाली

भारत के केन्द्र सरकार द्वारा अर्जित आय:

आँकड़े करोड़ रुपया में (अप्रैल - सितंबर 2004) नोट: 1 करोड़ = 10 मिलियन.

  • एक्साईज: 36,622
  • कस्टम: 25,205
  • आयकर: 25,175
  • कारपोरेशन कर: 20,337

[बदलें] यह भी देखें

[बदलें] बाहरी कड़ियाँ