मैथुन

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 मैथुन की "मिशनरी" पद्धति। एक प्रसिद्ध पद्धति।
मैथुन की "मिशनरी" पद्धति। एक प्रसिद्ध पद्धति।

मैथुन (काम-क्रिया) मनुष्य की मूल आवश्यकताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सभी पशुओं के समान मनुष्यों को भी मानसिक और सामाजिक रुप से स्वस्थ जीवन जीने के लिए इसकी आवश्यकता होती है। यद्यपि काम संबंधी जानकारी सभी प्राणियों के विषय में उचित है, तथापि यह लेख, केवल मनुष्य संबंधी मैथुन को संबोधित करता है।


वैसे तो मैथुन का मुख्य उद्देश्य पुनरुत्पति है, तथापि यह बहुधा यौन सुख प्राप्त करने हेतु भी किया जाता है। साधारण भाषा मे मैथुन एक से अधिक काम-क्रियाओ को संबोधित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। योनि मैथुन(Coitus/Vaginal Sex), हस्त मैथुन (Masturbation), मुखाभिगम (Oral Sex), गुदा मैथुन (Anal Sex) और अन्य काम-क्रियाएं इसके अंतर्गत आती हैं। इस लेख में जब तक विशेषतः जिक्र न किया गया हो, योनि मैथुन को मैथुन शब्द से संबोधित किया गया है।

प्रेम जताने की क्रिया (foreplay) अक्सर मैथुन से पहले निभाई जाती है। इसके पश्चात पुरुष के लिंग में उठाव व कठोरता उत्पन्न होती है और स्त्री की योनि में सहज चिकनाहट। मैथुन करने के लिए पुरुष अपने तने हुए लिंग को स्त्री की योनि में निवेशन (प्रवेश कराना) करता हैं। इसके पश्चात दोनो साझेदार अपने कूल्हों को आगे-पीछे कर लिंग को योनि में घर्षण प्रदान करते हैं। इस क्रिया में लिंग किसी भी समय योनि से पूर्णरूप से बाहर नहीं आता। इस क्रिया में दोनो ही साझेदारों को यौनिक आनंद प्राप्त होता है। यह क्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि, पुरुष और स्त्री दोनो ही एक अत्यधिक आनंद की स्थिति, कामोन्माद (Orgasm) नहीं प्राप्त कर लेतें। कामोन्माद की स्थिति में पुरुष और स्त्री दोनों ही स्खलन (Ejaculation) महसूस करते हैं। पुरुष शुक्राणुओं का स्खलन आपने लिंग से करता है, जबकि स्त्री की योनि से तरल पदार्थों का स्खलन होता हैं। मैथुन मनुष्यों में पुनरुत्पति हेतु आवश्यक क्रिया है।