शशि थरूर
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र संघ के उप महासचिव हैं और महासचिव पद के लिये (2006) चुनावी मैदान में हैं ।
हलांकि चुनाव पूर्व उन्होने अपना उम्मीदवारी वापस ले ली है ।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद की दौड़ से बाहर होने वाले भारत समर्थित उम्मीदवार शशि थरूर ने दक्षिण कोरिया के बान की मून से हार तो मान ली लेकिन उनका कहना है कि उनके जीवन भर की मेहनत का सही सिला नहीं मिला है ।
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[बदलें] उम्मीदवारी वापसी
वो कहते हैं, “मैने अपने जीवन के 28 साल इस संस्था के लिए लगाए. दूसरे सारे उम्मीदवारों ने अपनी सरकारों के लिए काम किया है, मैं ही सिर्फ़ एक ऐसा उम्मीदवार था जिसने किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित के लिए काम किया. तो मैने सोचा कि यह मेरे हक में जाएगा लेकिन आप देखिए कि आख़िर में सबसे अहम यह बात होती है कि सारे देश कैसे वोट देते हैं.”
जिस देश ने मेरे खिलाफ़ वीटो का इस्तेमाल किया वह मेरे या भारत के खिलाफ़ वोट नहीं है बल्कि वो बान की मून को ही जिताना चाहता था इसलिए एक रणनीति के तहत दूसरे उम्मीदवारों को हराना ज़रूरी था
शशि थरूर का कहना है कि जिस वीटो धारक देश ने उनके खिलाफ़ वोट दिया है वह पहले से ही मन बना चुका होगा कि बान की मून को ही जिताना है । वह कहते हैं, “जिस देश ने मेरे खिलाफ़ वीटो का इस्तेमाल किया वह मेरे या भारत के खिलाफ़ वोट नहीं है बल्कि वो बान की मून को ही जिताना चाहता था इसलिए एक रणनीति के तहत दूसरे उम्मीदवारों को हराना ज़रूरी था.”
[बदलें] मायूसी
शशि थरूर स्ट्रॉ पोल में दूसरे स्थान पर रहे. उन्हे समर्थन के 10 वोट मिले और तीन सदस्यों ने उनका विरोध किया जिसमें एक स्थायी सदस्य भी शामिल था.
मैने अपने जीवन के 28 साल इस संस्था के लिए लगाए. दूसरे सारे उम्मीदवारों ने अपनी सरकारों के लिए काम किया है, मैं ही सिर्फ़ एक ऐसा उम्मीदवार था जिसने किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित के लिए काम किया. तो मैने सोचा कि यह मेरे हक् में जाएगा लेकिन आप देखिए कि आख़िर में सबसे अहम यह बात होती है कि सारे देश कैसे वोट देते हैं
[बदलें] वापसी का कारण
चुनाव में उनकी तैयारी में क्या कुछ कमी रह गई थी या भारत की कोशिशों में कुछ कमी थी. इस सवाल पर शशि थरूर कहते हैं, “मै जितना कर सकता था मैने किया और भारत सरकार जितना कर सकती थी उसने भी किया, इसलिए हमारी कोशिशों में कोई कमी नहीं रह गई थी.”
शशि थरूर ने भारत सरकार का बहुत शुक्रिया अदा किया कि उसने उन्हें इस पद के लिए चुनाव लड़ने का मौका दिया । उन्हें इस बात की खुशी है कि 10 देशों ने उन्हे समर्थन दिया और उन्होने उन सभी देशों के साथ विश्व भर में फैले हुए उन भारतवासियों का भी शुक्रिया अदा किया जिन्होनें उनको समर्थन दिया और उन्हें शुभकामनाएँ दी । थरूर हार से मायूस तो दिखे लेकिन वह कहते हैं कि जो होना था वह हो गया और अब वो आगे की राह देखना चाहते हैं.
[बदलें] आगे क्या
यह पूछने पर कि क्या भारत सरकार में तो शामिल होने का इरादा नहीं है, वह हंस के बोले, “अब तक तो ऐसा कोई मौका नहीं आया है तो मैं इसके बारे में क्या कहूँ, मैं तो अभी यहाँ संयुक्त राष्ट्र में अपने दफ़्तर में वापस आऊँगा, उसके बाद मुझे मालूम नहीं है कि क्या होगा. और हाँ मैने हर विकल्प खुले रखें हैं.”
वो कहते हैं, “देखिए भारत सरकार में शामिल होने के लिए या तो आप सिविल सेवा परीक्षा पास हों या फिर आप नेता हों, मै तो दोनो ही नहीं हूँ. औऱ भारत सरकार ने मेरे लिए पहले ही बहुत कुछ किया है. अब मै और कुछ नहीं माँगना चाहता.”
संयुक्त राष्ट्र में चाहे हार हुई हो लेकिन शशि थरूर ने अपने हौसले बुलंद रखे हैं और उन्होने भारत सरकार में शामिल होने से भी कतई इनकार नहीं किया है.
(साभार - बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम)
[बदलें] बाहरी कड़ियां
http://www.bbc.co.uk/hindi/news/story/2006/10/061003_shashi_interv.shtml