पीलीभीत
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पीलीभीत भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक जिला है। इसका क्षेत्रफल ३,५०४ वर्ग किलो मीटर है जिसमें से ७८४७८ हेक्टेयर भूमि पर सघन वन हैं। हिमालय के बिलकुल समीप स्थित होने के बावजूद इसकी भूमि समतल है।
पीलीभीत की अर्थ व्यवस्था कृषि पर आधारित है। यहां के उद्योगों में चीनी, काग़ज़, चावल और आटा मिलों की प्रमुखता है। कुटीर उद्योगों में बांस और ज़रदोज़ी का काम प्रसिद्ध है। पीलीभीत मेनका गांधी का चुनाव क्षेत्र भी है।
यह नगर ज्ञान एवं साहित्य की अनेक विभूतियों का कर्मस्थल रहा है। नारायणानंद स्वामी 'अख्तर' संगीतज्ञ, कवि, साहित्यकार तथा इतिहासकार के रुप में प्रसिद्ध रहे हैं। चण्डी प्रसाद 'हृदयेश' कहानीकार, एकांकीकार, उपन्यासकार, गीतकार एवं कवि थे। कविवर राधेश्याम पाठक 'श्याम' ने गद्य एवं पद्य दोनों साहित्य का सृजन किया और प्रसिद्ध फिल्मी गीतकार अंजुम पीलीभीती ने 'रतन', 'अनमोल घड़ी', 'ज़ीनत', 'छोटी बहन' एवं 'अनोखी अदा' आदि फिल्मों के प्रसिद्ध गीत लिखकर पीलीभीत नगर का नाम रोशन किया।
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ऐतिहासिक गुरुद्वारा -
पीलीभीत के पकड़िया मोहल्ले में सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। धार्मिक रुप से यह लगभग चार सौ वर्षों पुराना स्थान है। लेकिन इसका जीर्णोद्धार हाल ही में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि सिक्खों के गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने अमृतसर से नानकमता जाते समय में यहीं रुक कर विश्राम किया था। सन् 1983 ई. में सुविख्यात बाबा फौजसिंह ने कार सेवा द्वारा पाँच मंज़िल वाले विशाल गुरुद्वारे का निर्माण करवाया। इस प्रकार गुरु गोविंद सिंह की स्मृति में इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे का निर्माण हुआ।
जामा मस्जिद - जामा मस्जिद पीलीभीत का एक और गौरवशाली धर्मस्थल है। इसका निर्माण हाफिज रहमत खाँ ने 1181- 82 हिजरी में करवाया। यह मस्जिद दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद की बहुत शानदार प्रतिक्रिति है। मस्जिद के प्रवेश द्वार से पहलेदर्वेश इमाम हाफिज नूरुउद्दीन गजनबी का मजार बना हुआ है। वे इस मस्जिद के पहले इमाम भी थे।
गौरी शंकर मंदिर - गौरी शंकर मंदिर खकरा मुहल्ले में देवहा तथा खकरा नदी के पास स्थित है। यहाँ गौरीशंकर जी के अतिरिक्त हनुमान, भैरों, दुर्गा और गणेश जी की मूर्तियाँ भी हैं। लगभग ढाई सौ साल पुराना यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इसका द्वार अत्यंत भव्य एवं अवलोकनीय है। ऐसा माना जाता है कि यह द्वार नामक एक मुसलमान ने बनवाया था
शाहजी मियां का मजार - शाहजी मियां पीलीभीत में जन्मे एक संत थे। मानव कल्याण के कार्यों के कारण उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैल गई। वो 125 वर्ष तक जीवित रहे। आज भी उनके मजार पर सभी धर्मों के लोग मन्नत माँगने आते हैं और चादर चढ़ाते हैं। इनका उर्स हर वर्ष एक सप्ताह के लिए होता है, जिसमें हजारों लोग सम्मिलित होते हैं।
[बदलें] पीलीभीत के प्राकृतिक पर्यटन स्थल
चूका बीच- पीलीभीत वन प्रभाग द्वारा ७४ वर्ग किलो मीटर क्षेत्र में शारदा नदी एवं मुख्य शारदा कैनाल के बीच, शारदा सागर के किनारे, एक पर्यटन केंद्र का विकास किया गया है। शारदा सागर जलाशय की लंबाई २२ किलो मीटर और चौड़ाई ३ से ५ किलो मीटर है। इतने बड़े जलक्षेत्र के किनारे स्थित होने के कारण यह 'बीच' जैसा दिखाई पड़ता है अतः इसे 'चूका बीच' कहते है।
जलाशय में अनेक प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं। वन क्षेत्र में साल वृक्ष तो हैं ही, अर्जुन, कचनार, कदंब, हर्र, बहेड़ा, कुसुम, जामुन, बरगद, बेल, सेमल आदि अनेक प्रकार के बड़े वृक्ष पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार की जड़ी बूटियां और घासें भी यहां देखी जा सकती हैं। प्राकृतिक संपदा भरपूर होने के कारण यहां वन्यपशुओं, पक्षियों और सरीसृप जाति के प्राणियों की भी बहुतायत है। प्राकृतिक संपदा भरपूर होने के कारण यहां वन्यपशुओं, पक्षियों और सरीसृप जाति के प्राणियों की भी बहुतायत है। यह स्थान पीलीभीत से लगभग ५० किलो मीटर की दूरी पर स्थित है।
लग्गा भग्गा वन क्षेत्र - बराही क्षेत्र के अंतरगत इस वन प्रभाग की सीमा नेपाल से मिलती है। इसके एक ओर शारदा नदी है, दूसरी ओर नेपाल की 'शुक्ला फाटा सेंचुरी' तीसरी ओर किशनपुर का वन्य जीव विहार। यहां पर एक ओर बड़े-बड़े पेड़ हैं तो दूसरी ओर ऊंची घास और दलदल। यह अनेक प्रकार के पशुओं के निवास की आदर्श परिस्थतियां पैदा करता है। यहां सियार, हिरन और लोमड़ी जैसे मध्य आकार के पशु तो है ही शेर, हाथी और गैंडे भी आराम से विहार करते हुए देखे जा सकते हैं। यह वन क्षेत्र पीलीभीत से ७० किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। विविध प्रकार के रंग बिरंगे पक्षी जैसे धनेश, कठफोड़ा, नीलकंठ, जंगली मुर्गा, मोर, सारस भी यहां देखे जा सकते हैं। यहाँ दुर्लभ प्रजाति का एक खरगोश भी पाया जाता है जिसे 'स्पिड हेअर' कहते हैं।
दोनों वन प्रदेशों में जाने व ठहरने की समुचित व्यवस्था है।
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