नव्योत्तर काल

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हिन्दी साहित्य के नव्योत्तर काल (पोस्ट-माडर्न) की कई धाराएं हैं -

  • पश्चिम की नकल को छोड एक अपनी वाणी पाना;
  • अतिशय अलङ्कार से परे सरलता पाना;
  • जीवन और समाज के प्रश्नों पर असंदिग्ध विमर्श।

नव्योत्तर काल का साहित्य भारत के समकालीन पुनर्जागरण और भारतीयों की पूरे विश्व में सफलता से प्रेरित हुआ है।

इस काल में गद्य-निबंध, नाटक-उपन्यास, कहानी, समालोचना, तुलनात्मक आलोचना, साहित्य आदि का समुचित विकास हो रहा है। इस युग के प्रमुख साहित्यकार निम्नलिखित हैं-

अनुक्रमणिका

[बदलें] समालोचक

[बदलें] कहानी लेखक

[बदलें] उपन्यासकार

[बदलें] नाटककार

[बदलें] निबंध लेखक

[बदलें] यह भी देखें

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