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दादी माँ की स्मरण शक्ति

\"भारत में इस प्रकार के रोग को गम्भीर चित्त विक्षेप कहते हैं . हमें इसके उपचार की आवश्यकता नहीं होती . फिर भी हमें इस प्रकार के रोगी का विशेष ध्यान रखना\, उनकी देखभाल करना\, उन्हें प्यार देना\, उनके जीवन को मधुर बनाना चाहिये . हमें उनको ताजी हवा से भरपूर सुरम्य\, स्फूर्तिदायक सुन्दर स्थानों पर मस्ती एवं आनन्द देने के लिये ले जाना चाहिये . यह डाॅक्टर के पास रोग के निदान\, उपचार या दवाई के लिये जाने से अधिक महत्वपूर्ण है .\"

ये विचार एक ६८ वर्षीय महिला ने स्मरण शक्ति की समस्याओं तथा उनके इलाज के लिये क्या किया जाय के विषय में अध्ययन करने के बाद लिखे . यह बेइलाज है \- तुम कुछ नहीं कर सकते\, ऐसी धारणा वाली वह अकेली नहीं हैं . लेकिन अब यह सच नहीं रहा . आज कई ऐसे साधन उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग किया जा सकता है .

स्मरण शक्ति क्षीण करने वाले रोग होने के अनेक कारण हैं और इनमें से कुछ का इलाज या उपचार हो सकता है . उदाहरणतः पार्वती की दादी माँ को जिस प्रकार की स्मरणशक्ति एवं व्यवहार संबन्धी समस्याएँ हैं उनका इलाज है . कुछ जो बेइलाज रोग हैं विशेषतः उनका पता यदि उनकी आरम्भिक अवस्था में चल गया हो तो उन्हें बढ़ने से रोका जा सकता है .

पार्वती जब अपनी दादी माँ को ग्रोसरी स्टोर ले कर जाती तो हर सप्ताह उसे शर्म महसूस होती क्योंकि दादी माँ पार्वती का नाम भूल जातीं\, तो कभी घर में दस पैकेट जीरा होते हुए भी दस और पैकेट खरीद लेतीं\, कभी घर जाते समय कार में बैठने से इन्कार कर देतीं . दादी माँ अकेले रहती हैं \, अतः पार्वती हर बार उन्हें घर छोड़ते समय चिन्तित रहती थी .

यदि परिवार अभी भी भारत में होता तो दादी माँ की देखभाल करने की समस्या नहीं खड़ी होती . पार्वती उनकी सबसे नज़दीकी रिश्तेदार है जो सबर्ब में २० मील की दूरी पर रहती है . वह प्रतिदिन काम पर जाती है \, उसके तीन छोटे बच्चे हैं . वह कुछ ऐसी व्यवस्था करने के लिये बेचैन है जिससे वह आश्वस्त रहे कि दादी माँ सुरक्षित हैं .

पार्वती की सहेली जो नर्स है\, उसने उसे ऐसी कई प्रकार की स्थितियों से अवगत कराया जिनके कारण स्मरण शक्ति एवं विचित्र व्यवहार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं . उसने उस क्लीनिक में जहाँ वह काम करती है\, कुछ टेस्ट कराने के लिये पार्वती की दादी माँ के आने की व्यवस्था की . किस कारण से यह समस्या है टैस्ट से ही पता चलेगा . वास्तव में टैस्ट से ज्ञात हुआ कि ब्लड शुगर तथा ब्लड सर्क्युलेशन के कारण दादी माँ को यह सम्स्याएँ होती हैं . यह थायरोइड के कारण भी हैं . इन स्थितियों के सम्मिश्रण के कारण वह अत्यन्त कन्फ्यूज़्ड तथा भुलक्कड़ हैं .

अच्छी खबर यह है कि दादी माँ की सम्स्याओं को ठीक करने के लिये ऐसी दवाइयाँ उपलब्ध हैं जिनसे उनका भुलक्कड़पन तथा कन्फ्यूज़न खतम हो गया . इससे पार्वती आराम की साँस ले सकी तथा दादी माँ से मिलने जाने के अन्तराल में निश्चिन्त रह सकी . यदि टैस्ट से यह पता चलता कि दादी माँ के मस्तिष्क में असाध्य रोग है जिसके कारण यह समस्याएँ हैं तो क्या होता \? कन्फ्यूज़न यदि वास्तव में किसी विशेष प्रकार के चित्त विक्षेप के कारण होता तो ऐसी दवाइयाँ हैं जिनके द्वारा रोग के बढ़ने की गति को धीमा करके उन्हें लाभ पहुँचाया जाता . और यदि यह भी संभव नहीं होता तो दादी माँ की सुरक्षा में मदद के लिये एक असिस्टैन्ट दिया जाता .

स्मरणीय महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि स्मरण शक्ति की क्षीणता तथा विचित्र व्यवहार के लिये कई कारण उत्तरदायी हैं जिनमें से कुछ का इलाज हो सकता है . परन्तु जब तक उसका मेडिकल एसेस्मेन्ट किसी ऐसे डाॅक्टर से न कराया जाये\, जो स्मरणशक्ति एवं विचित्र व्यवहार के रोग के कारणों को जानने में दक्ष है\, विशेषज्ञ है और जो उचित ट्रीतमेन्ट के लिये सलाह न दे\, तब तक तुम्हें यह ज्ञात नहीं होगा .

स्मरण शक्ति की समस्याएँ क्या किया जा सकता है \?

१. नार्मल एजिंग क्या है \? एजिंग का प्रभाव मस्तिष्क की नयी सूचना सीखने या याद रखने की योग्यता पर पड़ सकता है . फिर भी\, नार्मल एजिंग में स्मरण शक्ति की सम्स्याएँ दिन प्रतिदिन की गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं करतीं .

२. एजिंग कब नार्मल नहीं है \? जब स्मरण शक्ति की समस्याएँ निर्णय\, व्यवहार तथा बातचीत जैसे दैनिक कार्यों में हस्तक्षेप करती हैं और उस स्तर से बहुत नीचे कार्य करती हैं जिस पर वह सामन्यतः कार्य करता है तब वह नार्मल नहीं हैं . ऐसा व्यक्ति चित्त विक्षेप से पीड़ित है .

३. चित्त विक्षेप क्या है \? कुछ लक्षणों के समूह का नाम चित्त विक्षेप है . जब किसी को चित्त विक्षेप होता है तब उनके प्रतिदिन के कार्य व्यवहारों से जुड़ी सामाजिक योग्यता एवं सोचने की शक्ति का क्षय होने लगता है . इसके कई कारण हैं . चित्त विक्षेप का प्रथम लक्षण व्यक्ति व्यक्ति में अलग पाया जाता है . चित्त विक्षेप की प्रारम्भिक अवस्था में दिखने वाले कुछ लक्षण यहाँ व्यक्त हैं ः

बार बार वही प्रश्न पूछना एवं एक ही बात दोहराना . हाल में हुई पारिवारिक घटनाएँ भूलना जैसे परिवार में विवाह . जाने बूझे स्थानों को भी भूल जाना . बिल अदा करना भूलना या उसी बिल का बार बार भुगतान करना . जाने बूझे भोजन को पकाना भूल जाना . अकारण ही मूड और व्यवहार में भयंकर परिवर्तन जैसे कि एकदम शान्त रहते रहते एकदम से आँसू बहाने लगना या क्रोध करना निरर्थक निर्णय उचित शब्द का प्रयोग करने में कठिनाई होना वाहन चलाने के तरीके में अन्तर असुरक्षित कार्य करना जैसे स्टोव खुला छोड़ देना\, जलती सिगरेट के बारे में भूल जाना या वहाँ से चले जाना\, अथवा दरवाज़े खुले छोड़ देना .

४. आल्ज़्हाइमर रोग क्या है \? आल्ज़्हाइमर रोग चित्त विक्षेप का सबसे सामान्य प्रारूप है . यह एक या अधिक सोचने की शक्तियों जैसे कि ओरियन्टेशन\, भाषा अथवा ध्यान देने में समस्याओं के द्वारा जाना जाता है . मस्तिष्क की सेल्ज़ में अन्दर और बाहर से फिज़िकल परिवर्तन होने लगते हैं जिनका असर मस्तिष्क की ठीक काम करने वाली योग्यता पर पड़ता है . इस रोग में समय के साथ स्मरणशक्ति की समस्याएँ बिगड़ती जाती हैं .

५. चित्त विक्षेप से मिलते जुलते लक्षण अन्य किन रोगों में होते हैं जो कि ठीक किये जा सकते हैं \? डायबिटीज़\, हार्ट डिज़ीज़\, हाई ब्लड प्रेशर\, स्ट्रोक\, डिप्रेशन\, असंतुलित थायरोइड\, नशे या दवाइयों से ये समान लक्षण हो सकते हैं .

६. आप कैसे जान सकते हैं कि किसी व्यक्ति को आल्ज़्हाइमर रोग है \? आल्ज़्हाइमर रोग का पक्का निदान मृत्यु के बाद मस्तिष्क की जाँच करके ही किया जाता है . फिर भी\, उन टैस्टों को जिनसे चित्त विक्षेप के कारणों का पता चले किया जा सकता है . यदि अन्य कोई कारण नहीं मिलता तो डाॅक्टर आल्ज़्हाइमर रोग की सम्भावना का निदान करते हैं . मेडिकल हिस्ट्री के साथ कई रोटीन टैस्ट कराये जाते हैं जैसे कि मानसिक स्थिति की परीक्षा\, न्यूरोलाॅजिकल परीक्षा\, लेबोरटरी में ब्लड टेस्ट\, एक्स रे तथा मस्तिष्क की तस्वीरें .

७. आल्ज़्हाइमर और चित्त विक्षेप रोग से कितने लोग पीड़ित हैं \? ६५ वर्षीय ५ से १० प्रतिशत लोग आल्ज़्हाइमर रोग से पीड़ित हैं . ८५ वर्ष या उससे अधिक उम्र पर यह ३० से ४० प्रतिशत तक पाया जाता है .

८. आल्ज़्हाइमर रोग के लिये क्या कोई ट्रीटमेन्ट है \? हाँ\, ऐसी दवाइयाँ हैं जिनसे इस रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है तथा ऐसी दवाइयाँ भी हैं जो अनियंत्रित क्रोध\, भ्रांति\, मिथ्या विश्वास जैसे व्यवहारों को नियन्त्रण में रखती हैं . ये दवाइयाँ कम मात्रा में\, वह भी डाॅक्टर की देखभाल और निर्देशन में देनी चाहिये .

९. स्मरण शक्ति से पीड़ित व्यक्ति को क्या मदद मिल सकती है \? प्रारम्भिक अवस्थाओं में रोग में सुधार की कितनी उम्मीद की जाय यह जान कर वह और उसका परिवार योजना बनाने का लाभ पा सकता है . अंग्रेज़ी और अन्य कई भाषाओं में मुद्रित और दर्शनीय सामग्री प्राप्त है . कुछ लोगों को स्मरणशक्ति की समस्याओं से जूझते हुए अन्य लोगों से बात करके लाभ प्राप्त होता है . आरंभिक स्थिति में स्मरणशक्ति खोने की गति को धीमा करने में दवाइयाँ प्रभावशाली काम करती हैं .

बाद की स्थिति में\, जैसे ही व्यक्ति की अधिकांश स्मरण शक्ति का क्षय हो जाता है\, वह अडल्ट डे प्रोग्राम में रहने का लाभ पा सकता है . वह नर्सिंग होम में रहने का लाभ पा सकता है जहाँ उसे अधिक प्रोफ़ेशनल केयर मिल सकती है .

१०. परिवारों के लिये क्या मदद प्राप्य है \? परिवारों को जानना चाहिये कि रोग सुधार के बारे में कितनी आशा लगाएँ तथा विभिन्न प्रकार के व्यवहार का वे कैसे उत्तर दें . अंग्रेज़ी तथा अन्य कई भाषाओं में सूचनाएँ उपलब्ध हैं . मुद्रित\, दर्शनीय\, इन्टरनेट पर भी सूचनाएँ प्राप्य हैं . विशेषज्ञों से बात करने के अवसर प्राप्य हैं . ऐसे लोगों से बात करने के अवसर प्राप्य हैं जो कि अपने किसी सम्बन्धी के लिये समान परिस्थिति से गुज़र रहे हैं . स्मरणशक्ति की सम्स्याओं की चिन्ताजनक दशा में रोगी की देखभाल करने वाले पारिवारिक सदस्य को मानसिक और शारीरिक तनाव से विश्राम देने के लिये कुछ नियोजित प्रोग्राम भी हैं . जैसे कि अडल्ट डे प्रोग्राम जहाँ स्मरणशक्ति की समस्या वाला व्यक्ति सुरक्षित वातावरण में आधे या पूरे दिन रह सकता है . घर में सपोर्ट जहाँ कोई आपके घर आकर आपके काम में हाथ बँटाये\, आपके संबन्धी की वैयक्तिक देखभाल करे . ऐसे निवासस्थान भी हैं जहाँ स्मरणशक्ति की समस्या का रोगी रात भर या लम्बे समय तक आपको अवकाश देने के लिये रह सकता है .


स्मरणशक्ति की सम्स्याओं का आकलन

स्मरणशक्ति की सम्स्याओं को आँकने में सर्वप्रथम यह जानना है कि किसी व्यक्ति की भूलने की प्रवृत्ति के साथ मनोभाव तथा व्यवहार में क्या परिवर्तन होते हैं . स्मरण शक्ति खोने के कारण ठीक भी हो सकते हैं . आल्ज़्हाइमर रोग की बढ़त की गति को धीमा किया जा सकता है . वास्तव में जब तक यह सिद्ध न हो कि अन्य रोगों एवं दशाओं के कारण स्मरणशक्ति की सम्स्याएँ उत्पन्न हुई हैं\, कोई डाॅक्टर आल्ज़्हाइमर रोग का निदान नहीं कर सकता .

डाॅक्टर के आॅफिस जाने के पहले

डाॅक्टर के आॅफिस में समय की बचत होगी यदि कोई ऐसा व्यक्ति जो रोगी को जानता है उसके रोग के लक्षणों के विषय में जानकारी दे . अगले पृष्ठ पर चार्ट देखिये .

मेडिकल एसेसमेन्ट के लिये नियुक्त दिन

रोगी की स्मरणशक्ति की सम्स्याओं का चार्ट लायें . चश्मा\, सुनने की मशीन\, चलने में प्रयुक्त साधन\, ली जानेवाली दवाइयों की सूची\, अन्य व्यक्तिगत चीज़ें जिनकी मदद से रोगी की समस्या को समझने में मदद मिले\, आदि भी ले कर आयें . यदि आपके पास रोगी की मेडिकल हिस्ट्री (हाल में हुए फिज़िकल जाँच की रिपोर्ट\, पिछली सर्जरी की सूचनाएँ आदि)हों तो उन्हें अपाॅ_इन्टमेन्ट के दिन साथ लायें .

डाॅक्टर रोगी की याद रखने\, समझने\, बात करने\, संक्षिप्त गणना करने की क्षमता को जाँचेगा . रोगी से किसी शब्द की स्पेलिंग को उल्टा बोलने को\, वाक्य लिखने को\, या डिज़ाइन उतारने को कहा जा सकता है . डाॅक्टर रोगी के खाना खाने की आदतों के बारे में पूछेगा . वह ब्लड प्रेशर और पल्स चेक करेगा . वह अन्य बीमारियोँ\, जैसे कि दिल या साँस के रोग\, जो स्मरणशक्ति की समस्या का कारण हो सकते हैं\, उनके बारे में भी मालूम करेगा .

कभी कभी न्यूरोलोजिस्ट रोगी का परीक्षण करेगा\, यदि नहीं तो रेग्युलर डाॅक्टर ही मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम की समस्याओं का परीक्षण करेगा . डाॅक्टर माँसपेशी\, आँख का हिलना डुलना\, स्पीच तथा सेन्सेशन के कोआर्डिनेशन की जाँच करेगा . डाॅक्टर घुटने को थपथपा के उसके असर को देखेगा\, हाथ और पैर की चेतना को महसूस करने की क्षमता को चैक करेगा और बोलने में परेशानी के लिये सुनेगा .

फौलोअप टैस्ट डाॅक्टर ब्लड टैस्ट कराने की आअज्ञा दे सकता है . टैस्ट से अनीमिया\, इन्फेक्शन\, डायबिटीज़\, थायरोइड\, किडनी\, लिवर आदि में समस्या का पता चलता है फिर वह उसका इलाज करेगा . एक टैस्ट जिससे मस्तिष्क की कार्यरत लहरें अथवा मस्तिष्क की आकृति दिखती है\, ऐसे टैस्ट को कराने की आज्ञा डाॅक्टर दे सकता है . कभी कभी एक सायकियाट्रिस्ट भी उससे मिल सकता है यह मालूम करने के लिये कि कहीं व्यक्ति डिप्रेस्ड तो नहीं है .