पेटेंट एवं कमप्यूटर सॉफ्टवेर

From विकिपीडिया

अनुक्रमणिका

[बदलें] भूमिका

यह विवादास्पद विषय है कि कंप्यूटर सॉफ्टवेर/प्रोग्राम पेटेंट कराया जा सकता है कि नहीं। इस बारे में अलग-अलग देशों के नियम भी भिन्न हैं। इसमें कराये जाने के तरीके पर भी विवाद है इसको समझने के लिये इस विषय को तीन भागों में बांटना उचित होगा,

  • अलग-अलग देशों में क्या नियम हैं?
  • यदि कं‍प्यूटर प्रोग्राम पेटेंट हो सकते हैं तो उसकी क्या कालावधि होनी चाहिये?
  • कं‍प्यूटर प्रोग्राम को पेटेंट कराने का क्या तरीका होना चाहिये ?

पहला भाग भी अपने में बहुत बड़ा है इसे भी कुछ कड़ियों में करना होगा।

  • अमेरिका में पेटेंट का कानून
  • अमेरिका में पेटेंट का कानून यदि कं‍प्यूटर प्रोग्राम औद्योगिक प्रक्रिया के साथ हो
  • अमेरिका में पेटेंट का कानून यदि कं‍प्यूटर प्रोग्राम व्यापार के तरीके के साथ हो
  • अमेरिका में कं‍प्यूटर प्रोग्राम से जुड़े पेटेंट के कुछ उदाहरण
  • यूरोप में पेटेंट का कानून
  • भारतवर्ष में पेटेंट का कानून


[बदलें] अमेरिका में पेटेंट का कानून

पेटें‍ट आविष्कार के लिये दिये जा सकते हैं। भारतीय पेटेंट अधिनियम की धारा 3 बताती है कि क्या आविष्कार नहीं है और जो आविष्कार नहीं है उसका पेटें‍ट नहीं कराया जा सकता है। अमेरिका के पेटेंट कानून में ऐसी कोई सीमा नहीं है। अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने चक्रवर्ती केस (Diamond Vs. Chakravarty 447,45303:65 LED 2d 144) में पेटेंट कानून की व्याख्या की है। न्यायालय ने कहा कि अमेरिकी काग्रेंस, उन सब का पेटें‍ट करने का आशय रखती है जो कि मनुष्य द्वारा निर्मित की जाती हैं पर यह भी स्पष्ट किया कि,

  • इसका यह अर्थ नहीं है कि पेटें‍ट कानून की कोई सीमाएं नहीं हैं और प्रत्येक खोजों को पेटें‍ट कराया जा सकता है;
  • प्रकति के नियम, भौतिक घटनाए, तथा विचारों को पेटेंट नहीं कराया जा सकता है;
  • भूमि में खोजा गया नवीन खनिज या जंगल में पाया गया नवीन पौधा को पेटेंट नहीं कराया जा सकता है;
  • न तो आइं‍स्टाइन अपने प्रसिद्ध नियम ई=एमxसी^२ को पेटें‍ट नहीं कर सकते थे और न ही न्यूटन गुरूत्वकर्षन के नियम को पेटें‍ट करा सकते थे;
  • ऐसी खोजें, प्रकृति की अभिव्यक्तियां हैं, ये सभी व्यक्तियों के लिए स्वतंत्र हैं तथा किसी के भी लिए अनन्य रूप से आरक्षित नहीं हैं।

पार्कर केस (Parker vs Flook) 437, US. 504 : 57 L.Ed 2d 451) में अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने कहा कि गणितीय सूत्र का पेटेंट नहीं कराया जा सकता है।

अमेरिकी पेटेंट अधिनियम न तो कंप्यूटर प्रोग्राम और न ही व्यापार करने के तरीकों के बारे में अलग से जिक्र करता है। गॉटसचाल्क केस (Gottschalk vs Benson 40 US 63= 34 L.Ed 2d 273) में, अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने यह तय किया कि डेसीमल नम्बरो को शुद्ध बाइनरी नम्बरों में बदलने वाले कं‍प्यूटर प्रोग्राम को पेटेंट नहीं किया जा सकता है। यह इसलिये क्योंकि इसे मंजूर करने का परिणाम एक विचार के लिए अनुचित रूप से पेटेंट जारी करना होगा।

संक्षेप में अमेरिका में, न तो एलगोरथिम (Algorithm) को पेटेंट कराया जा सकता है, न ही कं‍प्यूटर प्रोग्राम यदि वह अकेले में हो। लेकिन यदि कं‍प्यूटर प्रोग्राम, औद्योगिक प्रक्रिया या व्यापार तरीके का एक हिस्सा हो तो क्या यही स्थिति रहेगी? चलिये इसके बारे में चर्चा करें।


[बदलें] कं‍प्यूटर प्रोग्राम - औद्योगिक प्रक्रिया के साथ

कं‍प्यूटर प्रोग्राम, औद्योगिक प्रक्रिया के साथ हो तो उसे पेटेंट कराया जा सकता है कि नहीं, इस सम्बन्ध में सबसे चर्चित और शायद सबसे विवादित मुकदमा डार्ह केस  (Diamond Vs. Diehr, (1981) 450 U.S.. 175: 67 L.E.D. 2d घ/55) है। इस मुकदमे में जिस आविष्कार को पेटंट कराया जा रहा था उसमें कं‍प्यूटर प्रोग्राम को रबर साफ करने की एक प्रक्रिया के साथ प्रयोग किया गया था। रबर को साफ करने के लिये उसे गर्म किया जाता है उसे कितनी देर गर्म किया जाय यह उसके तापमान पर निर्भर है तापमान ज्यादा तो  कम समय के लिये गर्म किया जायेगा यदि तापमान कम तो ज्यादा समय के लिये गर्म किया जायेगा यह आर्हेनियस नियम के अनुसार निश्चित होता है। जिस ढांचे के अन्दर रबर को गर्म किया जाता था उसके अन्दर  के तापमान को  कंप्यूटर में डाला जाता था जो आर्हेनियस नियम के अनुसार समय की गणना करता था और ठीक समय ढांचे को खोल देता था ताकि रबर बाहर आ जाये। सवाल यह था कि क्या यह आविष्कार था जिसका पेटें‍ट कराया जा सकता है।

अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने चार के मुकाबले पांच से अपना फैसला सुनाया कि,

  • यह पेटेंट कराया जा सकता है; और
  • पेटेंट होने योग्य दावा मात्र केवल इस बात से पेटेंट करने के लिये अयोग्य नहीं हो जाता है कि उसमें गणितीय फार्मूला, या कं‍प्यूटर प्रोग्राम, या कं‍प्यूटर का प्रयोग हुआ है।

संक्षेप में, एक कं‍प्यूटर प्रोग्राम यदि किसी एक औद्योगिक प्रक्रिया का हिस्सा है तो उसके साथ में पेटें‍ट हो सकता है। यहीं से शुरु हुआ कं‍प्यूटर प्रोग्राम का, अमेरिकी पेटेंट कानून के साथ सफर। ऐसा सफर जो कि कईयों के मुताबिक एक खतरनाक मोड़ पर आ पहुंचा है।

[बदलें] कं‍प्यूटर प्रोग्राम - व्यापार के तरीके के साथ

परम्परागत तौर पर, मात्र प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित प्रक्रियाओं को ही पेटेंट किया जा सकता था। अनेक दूसरे कार्यकलाप जिनके अन्तर्गत व्यापार के ढंग या आंकड़ा विश्लेषण जो कि प्रक्रियाएं कही जा सकती है, को पेटेंट नहीं किया जाता था। पर र्डाह केस के बनाय अमेरिका में पेटें‍ट देने की प्रक्रिया में बदलाव आया है। यू.एस. पेटेंट एन्ड ट्रेड आफिस (यू.एस.पी.टी.ओ.) ने पेटेंट करने के मार्गदर्शन की मैन्युवल में परिवर्तन किया है। इसकी कं‍प्यूटर प्रोग्राम के लिए व्यापार के तरीकों से सम्बन्धित पूर्वतर पॉलिसी जो { (पैराग्राफ 706.03 (क) } निम्नलिखित थी।

‘Though seemingly within the category of a process or method, a method of doing business can be rejected as not being within the statutory classes.’

इसे बदल कर निम्न कर इस प्रकार कर दिया गया है।

'Office personnel have had difficulty in properly treating claims directed to methods of doing business. Claims should not be categorized as methods of doing business. Instead such claims should be treated like any other process claims’.

उर्पयुक्त परिवर्तन को मद्देनजर रखते हुये स्टेट स्ट्रीट केस (State Stree Bank vs Signature Finencial Group 149 F3d ,1352) में अमेरिका के एक अपीली न्यायालय ने कहा कि कोई प्रक्रिया पेटेंट करने योग्य है या नहीं, यह इस पर नहीं तय होना चाहिए कि प्रक्रिया व्यापार करती है पर यह देखना चाहिये कि, पेटेंट की जाने वाली प्रक्रिया एक उपयोगी तरीके से प्रयोग की जा रही है अथवा नहीं। अमेरिका में व्यापार के तरीकों के के लिए दिये पेटेंट के कुछ उदाहरण निम्न है :

  • सामान खरीदने की स्वीकृत देने के लिये एक क्लिक का प्रयोग करना;
  • लेखा लिखने की एक आन-लाइन पद्धति;
  • आन-लाइन पारिश्रमिक प्रोत्साहन पद्धति;
  • आन-लाइन बारम्बार क्रेता कार्यक्रम; और
  • उपभोक्ता को अपने दिये गये दाम पर सर्विस की सूचना प्राप्त करने की सुविधा।

संक्षेप में, अमेरिका में विचार पेटें‍ट नहीं कराये जा सकते पर जब विचार व्यावहारिक तौर पर एक उपयोगी, कंक्रीट तथा मूर्त परिणाम देते हैं तो उन्हें पेटें‍ट कराया जा सकता है। आजकल अमेरिका में यू.एस.पी.टी.ओ. के मैन्युवल में व्यापार के तरीके के पेटें‍ट के ऊपर एक अध्याय है और उपयोगी व्यापार के तरीके तथा आंकड़ा विश्लेषण के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम के पेटें‍ट मंजूर हो रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया और जापान ने भी अमेरिका का अनुसरण किया है।

अमेरिका में व्यापार करने के तरीको सुधार लाने के लिये Business Patent Improvement Act 2000 लाया गया था पर यह अभी तक पारित नहीं किया गया है और शायद यह कभी भी पारित नहीं हो।


[बदलें] यूरोप में पेटेंट का कानून

यूरोपियन पेटें‍ट कनवेशंन १९७३ (ई.पी.सी.) का अनुच्छेद ५२(२) कहता है कि मानसिक कार्य करने की प्रक्रिया, खेल खेलने के तरीके, व्यापार तरीके, और कं‍प्यूटर प्रोग्राम आविष्कार नहीं माने जायेगें। यानी कि, कं‍प्यूटर प्रोग्राम और व्यापार तरीकों को पेटेंट नहीं किया जा सकता। यही ई.पी.सी. के सदस्य देशों का भी कानून है। किन्तु व्यवहार में, यह नियम बदल गया है। इस तरह के पेटेंटों के लिए यदि आवेदन पत्र - कंप्यूटर प्रोग्राम या व्यापार के तरीकों की जगह - तकनीकी में बढ़ोत्तरी की तरह प्रस्तुत किये जांय तो उन पर विचार किया जा रहा है।

यूरोप के भिन्न भिन्न देशों अलग अलग नियम है और यूरोपियन कमीशन उसमें समानता लाने का वह प्रयास कर रहा है। वह इसमें सफल होगा कि नहीं यह तो भविष्य ही बतायेगा।


[बदलें] भारतवर्ष में पेटेंट का कानून

भारतवर्ष में पेटें‍ट अधिनियम की धारा ३ को २००२ संशोधन के द्वारा संशोधित किया गया है। इसने पेटेंट अधिनियम में धारा ३ (K) को प्रतिस्थापित किया है। इसमें गणित, व्यापार के तरीकों, कं‍प्यूटर प्रोग्राम अकेले में (Computer Programme per se), अल्गोरिथम को अविष्कार नहीं माना गया है। यानि कि यह पेटेंट नहीं हो सकते हैं।

यहां ‘कं‍प्यूटर प्रोग्राम’ को per se के द्वारा प्रतिबन्धित किया गया है। Per se का अर्थ अकेले में या अपने आप में है। इसका अर्थ यह हुआ कि कंप्यूटर प्रोग्राम अपने आप में अविष्कार नहीं है पर इसका यह भी अर्थ हुआ कि यदि वह अकेले में न हो तो अविष्कार माने जा सकते हैं और उसका पेटेंट भी हो सकता है। आगे न्यायालय इसका क्या मतलब निकालेगें - क्या हम अमेरिका की राह जायेंगे या यूरोप की - यह तो केवल भविष्य ही बता सकता है।


[बदलें] कं‍प्यूटर प्रोग्राम के पेटेंट की कालावधि

पुरानी तकनीक में प्रशिक्षणा‍र्थियों को प्रशिक्षण देने में लगभग सात वर्ष लगते थे तथा प्रशिक्षणार्थियों की दो पीढ़ियों को प्रशिक्षित करने में चौदह वर्ष लगते थे इसलिए पहले पेटेंट को चौदह वर्षो के लिए दिया जाता था। इंगलैण्ड में बीसवीं शताब्दी के शुरू में इसे बढ़ा कर सोलह साल कर दिया गया। हमने भी इसी का अनुसरण किया और पेटेंट १६ साल के लिए दिया जाने लगा किया गया । पेटेंट अधिनियम में इसे पुन १४ साल कर दी गयी। हांलाकि कुछ श्रेणियों के लिए पांच या सात साल ही रही। ट्रिप्स पेटेंट के लिए बीस वर्षो के लिए पेटेंट को संरक्षण करने को कहता है । हमने भी २००२ संशोधन द्वारा यही किया किया है।

सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति ज्यामितीय ढ़ंग से गतिशील है। अनेक लोग यह कहते हैं कि,

  • यदि कं‍प्यूटर प्रोग्राम या इन्टरनेट पर व्यापार करने के तरीके के लिये पेटें‍ट दिया जाय तो उसके लिये 20 वर्षो की कालावधि अत्यधिक लम्बी है;
  • कंप्यूटर प्रोग्राम हर दो साल में बदल जाता है;
  • दो साल से ज्यादा समय के लिये पेटें‍ट की कालावधि बेकार है।

पर यह तब तक नहीं किया जा सकता जब तक ट्रिप्स में बदलाव न किया जाय।


[बदलें] कं‍प्यूटर प्रोग्राम को पेटेंट कराने तरीका

जब कंप्यूटर प्रोग्राम से सम्बन्धित किसी प्रक्रिया या उत्पाद का पेटें‍ट कराया जाता है तब कंप्यूटर प्रोग्राम का सोर्स कोड नहीं बताया जाता है उसे केवल फ्लो चार्ट के द्वारा दिखाया जाता है। यह भी विचारणीय प्रश्न है कि, क्या यह‍ सही है? क्या यह उस प्रक्रिया या उत्पाद की पूरी जानकारी देता है? आशा है कि इस प्रश्न का भी उत्तर जल्दी मिलेगा।


[बदलें] निष्कर्ष

कंप्यूटर प्रोग्राम पेटें‍ट हो सकता है कि नहीं, के बारे में कानून स्पष्ट नहीं है। फिर भी, यदि सब किसी न किसी तरह से कंप्यूटर प्रोग्राम पेटें‍ट करा रहे हैं तो हमें भी पीछे नहीं रहना चाहिये - यदि कंप्यूटर प्रोग्राम पेटें‍ट हो सकता है तो उसे पेटेंट कराना चाहिये। यदि यह समय या खर्च के कारण पेटें‍ट नहीं कराया जा सकता है तो इसको वेबसाइट पर प्रकाशित करना चाहिये। इस कारण यह पूर्व कला के रूप में रहेगा और कम से कम दूसरे लोग इसको पेटेंट कराने में समर्थ नहीं होंगे।

[बदलें] स्रोत्र