डॉ. कृष्ण कुमार
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डॉ. कृष्ण कुमार बर्मिंघम मे बसे भारतीय मूल के हिंदी लेखक है। में डॉ. कृष्ण कुमार एक लम्बे अर्से से भारतीय भाषाओं की ज्योति `गीतांजलि बहुभाषी समाज' के माध्यम से जगाये हुए हैं। गीतांजलि ब्रिटेन की एकमात्र ऐसी संस्था है जो भारत की तमाम भाषाओं को साथ लेकर चलने का प्रयास करती है। डॉ. कुमार 1999 के विश्व हिन्दी सम्मेलन, लंदन के अध्यक्ष भी थे। डॉ. कुमार की कविताएं गहराई और अर्थ का संगीतमय मिश्रण होती हैं। विचार उनकी कविताओं पर हावी रहता है। उन्हें एक अर्थ में यदि कवियों का कवि कहा जाय तो शायद गलत न होगा क्योंकि गीतांजलि के माध्यम से वे बर्मिंघम के कवियों कवयित्रियों को एक नई राह भी दिखा रहे हैं। उनके अब तक दो कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
गीतांजलि के सदस्यों में विभिन्न भारतीय भाषाओं के कवि शामिल हैं। अजय त्रिपाठी, स्वर्ण तलवार, रमा जोशी, चंचल जैन, विभा केल आदि काफी अर्से से कविता लिख रहे हैं। प्रियंवदा देवी मिश्र की रचनाओं में महादेवी वर्मा का प्रभाव साफ महसूस किया जा सकता है।
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- प्रवासी हिंदी साहित्य
- ब्रिटेन का प्रवासी हिंदी साहित्य
- आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास
- आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास
- आधुनिक हिंदी का अंतर्राष्ट्रीय विकास
- हिंदी साहित्य
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- यू के में हिंदी:उद्भव और विकास
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