जैन धर्म
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जैन धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है ।
अनुक्रमणिका |
[बदलें] तीर्थंकर
जैन धर्म 24 तीर्थंकरों को मानता है |
[बदलें] ऋषभनाथ
[बदलें] अजितनाथ
[बदलें] संभवनाथ
[बदलें] अभिनंदन
भारत में २४ तीर्थंकरों ने जनम लिया ।
[बदलें] महावीर
[बदलें] सम्प्रदाय
[बदलें] श्वेताम्बर
श्वेताम्बर सन्यासी सफ़ेद वस्त्र पहनते हैं ।
[बदलें] दिगम्बर
दिगम्बर मुनि(श्रमण) नग्न रहते हैं ।
[बदलें] धर्मग्रंथ
- श्वेताम्बर आगम
- दिगम्बर आगम
[बदलें] दर्शन
[बदलें] 'अनेकान्तवाद
[बदलें] स्यादवाद
[बदलें] जीव और पुद्गल
जैन आत्मा को मानते हैं । वो उसे "जीव" कहते हैं । अजीव को पुद्गल कहा जाता है । शरीर दोनो से बनता है । जीव दुख-सुख, दर्द, आदि का अनुभव करता है और पुनर्जन्म लेता है ।
[बदलें] मोक्ष
[बदलें] त्रिरत्न
- सम्यक दर्शन
- सम्यक ज्ञान
- सम्यक चरित्र
[बदलें] ईश्वर
जैन ईश्वर को नहीं मानते । महावीर को "भगवान" की उपाधि उनके आदरणीय होने की वजह से दी जाती है, न कि इसलिये क्योंकि उनको ईश्वर समझा जाता है ।
[बदलें] पंचमहाव्रत
सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह ।
[बदलें] अहिंसा पर ज़ोर
अहिंसा और जीव दया पर बहुत ज़ोर दिया जाता है । सभी जैन शाकाहरी होते हैं ।
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