जाल-पत्रिका

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जालपत्रिका छापेखाने में कागज़ पर छापे जाने की बजाय अंतर्जाल (world wide web)पर प्रौद्योगिक (इलेक्ट्रानिक) माध्यम से स्थापित की जाती है। अंतरजाल पर स्थित होने के कारण इसको दुनिया के किसी भी कोने से अपने कंप्यूटर पर पढ़ा जा सकता है। इसमें आलेख और चित्रों के साथ-साथ ध्वनि और चलचित्रों का भी समावेश किया जा सकता है। इसकी देखभाल के लिए एक संपादक मंडल भी होता है। इसके प्रकाशन का समय निर्धारित होता है जैसे मासिक, पाक्षिक या साप्ताहिक। चिट्ठे (blog) और जालपत्रिका में विशेष अंतर यही है कि चिट्ठों के प्रकाशन का समय निर्धारित नहीं होता।

कुछ जाल पत्रिकाएं कागज़ पर भी मुद्रित होती हैं जैसे हंस और वागर्थ।

एम एस फ्रंटपेज को अंतरजाल पत्रिकाएं प्रकाशित करने का अच्छा साधन समझा जाता है पर आजकल ड्रीम वीवर और जूमला आदि अन्य साधन भी बाज़ार में उपलब्ध हैं।

[बदलें] यह भी देखें

अंतर्जाल (internet) का इतिहास
इलेक्ट्रानिक पत्रिका
हिंदी चिट्ठे (blogs)

[बदलें] जाल पत्रिकाओं की सूची

  • अभिव्यक्ति (हिंदी की वेब जालपत्रिका)
  • अनुभूति (विश्वजाल पर हिंदी की पद्य पत्रिका)
  • सृजनगाथा हिंदी की जाल पत्रिका (मासिक)
  • साहित्यकुंज हिंदी की जाल पत्रिका (पक्षिक)

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