वन्दे मातरम्

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वन्दे मातरम् भारत का राष्ट्रीय गान है। इसे बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने बंगालीसंस्कृत भाषा मे लिखा था।

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[संपादित करें] इतिहास

बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने वन्दे मातरम् गीत के पहले दो पद्य १८७६ में संस्कृत में लिखे। इन दोनो पद्य में केवल मातृ-भूमि की वन्दना है। उन्होंने ने १८८२ में आनन्द मठ नाम का उपन्यास बंगला में लिखा और इस गीत को उसमें सम्मिलित किया। उस समय इस उपन्यास की जरूरत समझते हुये इसके बाद के पद्य बंगला भाषा में जोड़े गये। इन बाद के पद्य में दुर्गा की स्तुति है।

कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन (१८९६) में, रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने इसे लय और संगीत के साथ गाया। श्री अरविन्द ने इस गीत का अंग्रेजी में और आरिफ मौहम्मद खान ने इसका उर्दू में अनुवाद किया है|

१९३७ में इस गीत के बारे में कांग्रेस में बहस हुई और जवाहरलाल नेहरू द्वारा अध्यक्षित समिति ने इसके पहले दो अनुच्छेदों को ही मान्यता दी। इस समिति में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद भी थे। पहले दो अनुच्छेदों को मान्याता देने का कारण था कि इन दो अनुच्छेदों में किसी देवी-देवता की स्तुति नहीं थी और यह देश के सम्मान में मान्य थे। डा. राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में एक वक्तव्य २४ जनवरी १९५० में दिया जिसे कि सवीकार कर लिया गया। इस वक्तव्य में वन्दे मातरम् के केवल पहले दो अनुच्छेदों को ही मान्यता दी गयी है। यह ही दो अनुच्छेद प्रसांगिग हैं और इन्हीं को राष्ट्रगान का दर्जा प्रदान किया गया है। डा. राजेन्द्र प्रसाद का संविधान सभा को दिया गया वक्तव्य है।[क]

शब्दों व संगीत कि वह रचना जिसे जन गण मन से संबोधित करा जाता है भारत का रष्ट्र गान है,बदलाव के ऐसे विषय अवसर आने पर सरकार आधिकृत करे, और वन्दे मातरम गान, जिसने कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे ऐतिहासिक भूमिका निभाई है,को जम गण मन के समकक्ष सम्मान व पद मिले। (ह्ध्वनि) मै आशा करता हूँ कि यह सदस्यों को सन्तुष्ट करेगा। (भारतीय संविधान परिषद, खंड द्वादश:, २४-१-१९५०)

यह गीत सबसे पहले १८८२ में प्रकाशित हुआ था। इस गीत को पहले पहल ७ सितम्बर १९०५ में कांग्रेस अधिवेशन में राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया। २००५ में इसके सौ साल पूरे होने के उपलक्ष में १ साल के समारोह का आयोजन किया गया। यह ७ सितम्बर को समाप्त हुआ। इस समापन का अभिनन्दन करने के लिये मानव संसाधन मंत्रालय ने इस गीत को ७ सितम्बर २००६ में स्कूलों में गाने की बात की। हालांकि बाद में अर्जुन सिंह ने संसद में कह दिया कि गीत गाना किसी के लिए आवश्यक नहीं किया गया है, यह स्वेच्छा पर निर्भर करता है[तथ्य चाहिए]


[संपादित करें] गीत

(संस्कृत मूल गीत)
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरंम् .
शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .
सुखदां वरदां मातरम् ॥

कोटि कोटि कन्ठ कलकल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥

तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् ॥

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् ॥

(बंगला मूल गीत)
সুজলাং সুফলাং মলয়জশীতলাম্
শস্যশ্যামলাং মাতরম্॥
শুভ্রজ্যোত্স্না পুলকিতযামিনীম্
পুল্লকুসুমিত দ্রুমদলশোভিনীম্
সুহাসিনীং সুমধুর ভাষিণীম্
সুখদাং বরদাং মাতরম্॥

কোটি কোটি কণ্ঠ কলকলনিনাদ করালে
কোটি কোটি ভুজৈর্ধৃতখরকরবালে
কে বলে মা তুমি অবলে
বহুবলধারিণীং নমামি তারিণীম্
রিপুদলবারিণীং মাতরম্॥

তুমি বিদ্যা তুমি ধর্ম, তুমি হৃদি তুমি মর্ম
ত্বং হি প্রাণ শরীরে
বাহুতে তুমি মা শক্তি
হৃদয়ে তুমি মা ভক্তি
তোমারৈ প্রতিমা গড়ি মন্দিরে মন্দিরে॥

ত্বং হি দুর্গা দশপ্রহরণধারিণী
কমলা কমলদল বিহারিণী
বাণী বিদ্যাদায়িনী ত্বাম্
নমামি কমলাং অমলাং অতুলাম্
সুজলাং সুফলাং মাতরম্॥

শ্যামলাং সরলাং সুস্মিতাং ভূষিতাম্
ধরণীং ভরণীং মাতরম্॥

[संपादित करें] हिन्दी अनुवाद

[संपादित करें] विवाद

आनन्द मठ उपन्यास पर कुछ विवाद है कुछ लोग इसे मुसलमान विरोधी मानते हैं। उनका कहना है कि इसमें मुसलमानो को विदेशी और देशद्रोही बताया गया है। [1] वन्दे मातरम् गाने पर भी विवाद किया जा रहा है। इस गीत के पहले दो पैराग्राफ, जो कि प्रसांगिग हैं, में कोई भी मुसलमान विरोधी बात नहीं है और न ही किसी देवी या दुर्गा की अराधना है। पर इन लोगों का कहना है कि,

  • मुस्लिम धर्म किसी व्यक्ति या वस्तु की पूजा करने को मना करता है और इस गीत में की वन्दना की गयी है;
  • यह ऐसे उपन्यास से लिया गया है जो कि मुस्लिम विरोधी है;
  • दो अनुच्छेद के बाद का गीत – जिसे कोई महत्व नहीं दिया गया, जो कि प्रसांगिग भी नहीं है - में दुर्गा की अराधना है।

हालांकि ऐसा नहीं है कि भारत के सभी मुसलमानों को इस पर आपत्ति है या सब हिन्दू इसे गाने पर जोर देते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले संगीतकार ए.आर. रहमान ने, जो ख़ुद एक मुसलमान हैं, 'वंदेमातरम्' को लेकर एक एलबम तैयार किया था जो बहुत लोकप्रिय हुआ है। ज्यादतर लोगों का मानना है कि यह विवाद राजनीतिक विवाद है। गौर तलब है कि ईसाई लोग भी मूर्त पूजन नहीं करते हैं पर इस समुदाय से इस बारे में कोई विवाद नहीं है।

[संपादित करें] विधि

क्या किसी को कोई गीत गाने के लिये मजबूर किया जा सकता है अथवा नहीं। यह प्रश्न सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष बिजोए एम्मानुएल विरुद्ध केरल राज्य AIR 1987 SC 748 [2] वाद में उठाया गया। इस वाद में कुछ विद्यार्थियों को स्कूल से इस लिये निकाल दिया गया था क्योंकि इन्होने राष्ट्रगान जन गण मन गाने के लिय मना कर दिया था। यह विद्यार्थी स्कूल में राष्ट्रगान के समय इसके सम्मान में खड़े होते थे तथा इसका सम्मान करते थे पर गाते नहीं थे। इसके लिये उन्होने मना कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय इनकी याचिका स्वीकार कर इन्हे स्कूल को वापस लेने को कहा। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान का सम्मान करता है पर उसे गाता नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह इसका अपमान कर रहा है। न ही इसे न गाने के लिये दण्डित या प्रताड़ित किया जा सकता है। वंदेमातरम् राष्ट्रगान है इसको जबरदस्ती गाने के लिये मजबूर करने में भी यही कानून/नियम लगेगा।

[संपादित करें] टीका टिप्पणी

   क.    ^  शब्दों व संगीत कि वह रचना जिसे जन गण मन से संबोधित करा जाता है भारत का रष्ट्र गान है,बदलाव के ऐसे विषय अवसर आने पर सरकार आधिकृत करे, और वन्दे मातरम गान, जिसने कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे ऐतिहासिक भूमिका निभाई है,को जम गण मन के समकक्ष सम्मान व पद मिले। (ह्ध्वनि) मै आशा करता हूँ कि यह सदस्यों को सन्तुष्ट करेगा। (भारतीय संविधान परिषद, खंड द्वादश:, २४-१-१९५०)[१] </riv>

[संपादित करें] संदर्भ

[संपादित करें] टीका-टिप्पणी

  1. My India My People (अंग्रेज़ी) (एचटीएम)। तेलुगूवनडॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 17 मई, 2007

[संपादित करें] ग्रन्थ और निबंधसूची