सूरसारावली

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इसमें ११०७ छन्द हैं। यह सम्पूर्ण ग्रन्थ एक "वृहद् होली' गीत के रुप में रचित हैं। इसकी टेक है - खेलत यह विधि हरि होरी हो, हरि होरी हो वेद विदित यह बात। इसका रचना-काल संवत् १६०२ वि० निश्चित किया गया है, क्योंकि इसकी रचना सूर के ६७वें वर्ष में हुई थी।