प्रेमचंद
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प्रेमचंद (असल नाम धनपत राय श्रीवस्तव) (31 जुलाई, 1880 - 8 अक्तूबर 1936) हिन्दी और उर्दू के सबसे महान लेखकों में से थे। उन्हे मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है।
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[संपादित करें] जीवनी
प्रेमचंद का जन्म एक गरीब परिवार में काशी से चार मील दूर लमही नामक गांव में ३१ जुलाई १८८० को हुआ था। उनका असल नाम ' धनपत राय श्रीवस्तव था ' , प्रेमचन्द उन्होने लेखक के रूप मे उपनाम के तौर पर रख लिया था | उनके पिता डाक मुंशी थे।
सात साल की अवस्था में माता का और चौदह की अवस्था में पिता का देहांत हो गया। रोटी कमाने की चिंता बहुत जल्दी उनके सिर पर आ पड़ी। ट्यूशन कर करके उन्होंने मैट्रिक पास किया और फिर बाकायदा स्कूल-मास्टरी की ओर निकल गए। नौकरी करते हुए उन्होंने एफ० ए० और बी० ए० पास किया। एम० ए० भी करना चाहते थे, पर कर नहीं सके।
स्कूल-मास्टरी के रास्ते पर चलते-चलते सन १९२१ में वे गोरखपुर में विद्दालयो के उप निरीक्षक थे। जब गांधी जी ने सरकारी नौकरी से इस्तीफे का बिगुल बजाया, उसे सुनकर प्रेमचंद ने भी फौरन इस्तीफा दे दिया। उसके बाद कुछ रोज उन्होंने कानपुर के मारवाड़ी स्कूल में काम किया, पर वह चल नहीं सका।
अंतिम दिनों के एक वर्ष को छोड़कर (सन १९३४-३५ जो मुंबई की फिल्मी दुनिया में बीता), उनका पूरा समय बनारस और लखनऊ में गुजरा, जहां उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और अपना साहित्य-सृजन करते रहे। ८ अकतूबर १९३६ को उनका देहावसान हुआ।
[संपादित करें] लेखन
प्रेमचंद जी ने पहले उर्दू में लिखना शुरू किया,उर्दू मे उन्होने नवाबराय नाम से लेखन कार्य किया, पर बाद में उन्हें लगा कि हिंदी में लिखने से वे अधिक संख्या में पाठकों तक पहुंच सकते हैं। उनकी पहली रचना सोजे-वतन थी जिसमें देशभक्तिपूर्ण कहानियां थीं। छपते ही इसे अंग्रेजों ने जब्त कर लिया। तत्पश्चात वे प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे।
प्रेमचंद ने कहानी और उपन्यास दोनों ही लिखे हैं। वे भारत के श्रेष्ठतम कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में जाने जाते हैं। उनके प्रमुख उपन्यासों में शामिल हैं कर्मभूमि, गबन, रंगभूमि, गोदान आदि। गोदन उनकी अंतिम रचना थी और कई दृष्टियों से वह उनकी श्रेष्ठतम रचना भी है।
[संपादित करें] हिंदी में अन्य योगदान
हिंदी साहित्य और साहित्यकारों को बढ़ावा देने के इरादे से उन्होंने हंस नामक पत्रिका शुरू की, जिसमें उन्होंने समकालीन रचनाकारों की अनेक रचनाएं प्रकाशित कीं। यह पत्रिका आज भी प्रकाशित हो रही है और हिंदी की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं में गिनी जाती है।
प्रेमचंद लेखक होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे। उनकी सभी रचनाओं में उन्होंने किसी न किसी ज्वलंत सामाजिक समस्या का चित्रण किया है।
प्रमुख उपन्यास
- गबन
- सेवासदन
- गोदान
- कर्मभूमी
- कायाकल्प
- मनोरमा
- मंगलसूत्र
- निर्मला
- प्रतिज्ञा
- प्रेमाश्रम
- रंगभूमी
- वरदान
प्रमुख कहानियाँ
- पंच परमेश्वर
- ईदगाह
- नशा
- शतरंज के ख़िलाडी
- पूस की रात
- आत्माराम
- बूढी काकी
- बडे भाईसाब
- बडे घर की बेटी
- कफ़न
- दिक्रि के रुपै
- उधार की घडी
- नमक का दरोगा
- आखिरी मंजिल
[संपादित करें] बाहरी कड़ियां
[संपादित करें] यह भी देखें
प्रेमचंद के उपन्यास |
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प्रेमा | वरदान | सेवासदन | प्रेम आश्रम | प्रतिज्ञान | निर्मला | गबन | रंगभूमि | कायाकल्प | कर्मभूमि | गोदान | मंगलसूत्र |
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प्रेमचंद के कहानी संग्रह |
कफन | मानसरोवर | नव जीवन | प्रसून | प्रेम प्रतिज्ञा | |