श्रंग पुच्छ
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हिमानी के मार्ग में बेसाल्ट या अन्य किसी धातु की कठोर चट्टान आ जाने से उसका अपरदन नही हो पाता, किन्तु चट्टान के अभिमुख ढाल की समीपवर्ती कोमल चट्टान को तीव्रता से काट डालती हैं तथा ढाल के दूसरी ओर उतरने लगता हैं तो प्लग के साथ जुडी दूसरी ओर की चट्टान कम अपरदित हो पाती हैं क्योकी हिमनद द्वारा यहां पस शैल को संरक्षण प्राप्त होता हैं, इस कारण दूसरी ओर की ढाल हल्का एं मंद होता हैं । यह ढाल दूर तक फैला होता हैं तथा देखने में बेसाल्ट ग्रीवा या श्रंग के पीछे जुडी एक लम्बी पूंछ के समान लगता हैं । इस प्रकार बेसाल्ट या प्लग वाले ऊचे भाग को श्रंग तथा उसके पीछे वाले भाग को पुच्छ कहते हैं ।
हिमानी स्थलाकृति | ![]() |
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अपरदनात्मक स्थलरुप 'यू' आकार की घाटी | गिरिश्रंग | टार्न |तीक्ष्ण कटक | फियोर्ड | भेड़ पीठ शैल | लटकती घाटी | श्रंग पुच्छ | हिमगह्वर | हिमसोपान |
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