आश्चुताश्म

विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से

कन्दरा की छत से रिसता हुवा जल धीरे-धीरे टपकता रहता हैं । इस जल में अनेक पदार्थ घुले रहते हैं । अधिक ताप के कारण वाष्पीकरण होने पर जल सूखने लगता हैं तथा कन्दरा की छत पर पदार्थों का निक्षेप होने लगता हैं । इस निक्षेप की आक्र्ति परले स्तंभ की तरह होती हैं जो छत से नीचे फर्श की ओर विकसित होते हैं ।

भूमिगत जल कृत स्थलाकृति पृथ्वी
अपरदनात्मक स्थलरुप
अवकूट | कन्दरा | कार्स्ट खिडकी |कार्स्ट झील | घोल पटल | चूर्णकूट | टेरा रोसा | धंसती निवेशिका | पोनार्स | प्राकृतिक पुल | राजकुण्ड | विलयन छिद्र | संकुण्ड

निक्षेपात्मक स्थलरुप
आश्चुताश्म | निश्चुताश्म | गुहा स्तंभ | हेलिक्टाइट