राग

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भारतीय संगीत में एक लय जिसपर कृति आधारित होती है। राग सुरों के आरोहण और अवतरण का ऐसा नियम है जिससे संगीत की रचना की जाती है। पाश्चात्य संगीत में "improvisation" इसी प्रकार की पद्धति है।

राग का प्राचीनतम उल्लेख सामवेद में है। वैदिक काल में ज्यादा राग प्रयुक्त होते थे, किन्तु समय के साथ साथ उपयुक्त राग कम होते गये। सुगम संगीत व अर्धशास्त्रीय गायनशैली में किन्ही गिने चुने रागों व तालों का प्रयोग होता है, जबकि शास्त्रीय संगीत में रागों की भरपूर विभिन्नता पाई जाती है।

हिन्दुस्तानी पद्धति इस्लामी राजाओं की छत्रच्छाया में पली बढी, अतः इसमें पश्चिमी ‌और इस्लामी संगीत का सम्मिश्रण हुआ। इसके अलावा इस्लामी शासन के तहत कर्मकांडों में संगीत की प्रकृति बदलती गई। नतीजतन हिन्दुस्तानी संगीत व राग अपने पुरातन कर्नाटिक स्वरूप से काफी भिन्न हैं।

रागों का विभाजन मूलरूप से थाट से किया जाता है। हिन्दुस्तानी पद्धति में ३२ थाट हैं, किन्तु उनमें से केवल १० का प्रयोग होता है। कर्नाटिक पद्धति में ७२ थाट माने जाते हैं।