मूल अधिकार
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भारतीय संविधान में भाग ३ के अनुच्छेद १२ से ३० तक तथा ३२ और ३५ (कुल २३ अनुच्छेदों) में जनता के मूल अधिकारों का वर्णन किया गया हैं ।
मूल अधिकारों क सर्व्प्रथम विकास ब्रिटेन में हुवा, जब १२१५ नें सम्राट जान को ब्रिटिश जनता ने प्राचीन स्वतंत्रताओं को मान्यता प्रदान करेने हेतु "मैग्ना कार्टा" पर हस्ताक्षर करने को बाध्य कर दिया था ।
भारत में मूल अधिकार की सर्वप्रथम मांग संविधान विधेयक, १८९५ के माध्यम से की गयी ।
[संपादित करें] मूल अधिकार
भारत संविधान में ६ मूल अधिकार दिए गए हैं |
- समता का आधिकार
- सवतंत्रता का आधिकार
- शोषण के विरुद्ध आधिकार
- धर्म की स्वतंत्रता का आधिकार
- संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी आधिकार
- संविधानिक उपचारो का आधिकार