झाँसी की रानी

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झाँसी की रानी हिन्दी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता है। इस कविता में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवनचरित की गाथा है। यह कविता वीररस से सराबोर है, इसे पढ़ने-सुनने से देशप्रेम की जोरदार भावना जागृत होती है।

कविता का पहला अनुच्छेद:

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।।


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