ऊष्मा

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ऊष्मा या ऊष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है । ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है । किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं । अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं ।

[संपादित करें] तापमान

गर्म या ठंढे होने की माप तापमान कहलाता है जिसे तापमापी यानि थर्मामीटर के द्वारा मापा जाता है । लेकिन तापमान केवल ऊष्मा की माप है, खुद ऊष्मीय ऊर्जा नहीं । इसको मापने के लिए कई प्रणालियां विकसित की गई हैं जिनमें सेल्सियस(Celsius), फॉरेन्हाइट(Farenhite) तथा केल्विन(Kelvin) प्रमुख हैं । इनके बीच का आपसी सम्बंध इनके व्यक्तिगत पृष्ठों पर देखा जा सकता है ।

[संपादित करें] ऊष्मा के प्रभाव

ऊष्मा के प्रभाव से पदार्थ में कई बदलाव आते हैं जो यदा कदा स्थाई होते है और कभी-कभी अस्थाई ।

  • ऊष्मीय प्रसार - गर्म करने पर ठोस, ग्रव या गैस के आकार में विस्तार होता है । पर वापस ठंढा करने पर ये प्रायः उसी स्वरूप में आ जाते हैं । इस कारण से इनके घनत्व में भी बदलाव आता है ।
  • अवस्था में परिवर्तन - ठोस अपने द्रवानांक पर द्रव बन जाते हैं तथा अपने क्वथनांक पर द्रव गैस बन जाते हैं । यह क्वथनांक तथा द्रवनांक ठोस तथा द्रव के कुल दाब पर निर्भर करता है । कुल दाब के बढ़ने से क्वथनांक तथा द्रवनांक भी बढ़ जाते हैं ।
  • विद्युतीय गुणों में परिवर्तन - तापमान बढाने पर यानि गर्म करने पर किसी वस्तु की प्रतिरोधक क्षमता (Resistivity) जैसे गुणों में परिवर्तन आता है । कई डायोड तथा ट्रांज़िस्टर उच्च तापमान पर काम करना बंद कर देते हैं ।
  • रसायनिक परिवर्तन - कई अभिक्रियाएं तापमान के बढ़ाने से तेज हो जाती हैं । उदाहरण स्वरूप 8400C पर चूनापत्थर का विखंडन -

CaCO3 → CaO + CO2

[संपादित करें] यह भी देखें

  • ऊष्मागतिकी