समान वात
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[संपादित करें] समानवायु:
यहवायु आमाशय और पक्वाशय में रहनें वाली अग्नि, जिसे जठराग्नि कहते हैं, से मिलकर अन्न का पाचन करती है और मलमूत्र को पृथक पृथक करती है। जब यह वायु कुपित होती है तब मन्दाग्नि , अतिसार, और वायु गोला प्रभृति रोग होते हैं।
[संपादित करें] सन्दर्भ ग्रन्थ:
चरक संहिता
सुश्रुत संहिता
वाग्भट्ट
चिकित्सा चन्द्रोदय