बजरंग दल

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बजरंग दल, संघ परिवार और विश्व हिंदू परिषद की कड़ी का युवा चेहरा है। इसकी शुरुआत 1 अक्तूबर 1984 मे सबसे पहले भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त से हुई जिसका बाद में पूरे भारत में विस्तार हुआ। हिंदुत्व इस परिवार का मुख्य दर्शन है। बजरंग दल का दावा है कि अभी इसके 1,300,000 सदस्य हैं जिनमें 850,000 कार्यकर्ता शामिल हैं। संघ की तरह शाखा की तरह अखाड़े चलाती है जिनकी सँख्या लगभग ढाई हजार के आस पास है। बजरंग दल का सूत्रवाक्य "सेवा, सुरक्षा और संस्कृति" है।

गौ हत्या जो भारत के कुछ हिस्सों में प्रतिबंधित है उसे पूरे भारत में लागू करवाना इनके सबसे प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। दल का संकल्प यह भी है कि वे रामजन्मभूमि (अयोध्या), कृष्णजन्मभूमि (मथुरा) और काशी विश्वनाथ (वाराणसी) को "मुक्त" करेंगे। ध्यात्वय है कि इन सभी जगहों पर सांप्रदायिक विवाद है।

अनुक्रमणिका

[संपादित करें] उद्भव

अक्तूबर 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने प्रभु रामचंद्र के सम्मान में अयोध्या में नियमित रूप से शोभायात्रा निकालनी शुरु की । इन झाँकियों को राम जानकी रथयात्रा के नाम से जाना जाता है जिसका उद्देश्य हिंदू समाज में साँस्कृतिक चेतना पैदा करना है। समाज के कुछ तबकों ने इसे हिंदू समर्थक आंदोलन के रूप में प्रचारित करना शुरु किया जिसके फलस्वरूप सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ। ऐसी परिस्थितियों में साधु-संतो ने युवाओं से इस झाँकी को निर्विघ्न रूप से जारी रखने का आहवान किया और फलस्वरूप बजरंग दल का आविर्भाव हुआ।

[संपादित करें] अध्यक्षों की सूची

  1. विनय कटियार
  2. जयभान सिंह पवैया
  3. डा. सुरेन्द्र जैन
  4. प्रकाश शर्मा (वर्तमान अध्यक्ष)

[संपादित करें] यह भी देखें

[संपादित करें] बाहरी कड़ियाँ

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