तोताराम स्नाध्या
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तोताराम स्नाध्या (१८७६ - १९४७) को बेईमानी से भरती कर के और बंधुआ मजदूर बनाकर, १८९३ में भारत से फिजी लाया गया था। वह पांच साल बंधुआ मजदूर कि काम करते रहे लेकिन अपने अधिकार के लिये मांग करने में हिचकिचाये नहि। बंधुआ मजदूरी से मुक्त होने के बाद वह खेती और पुरोहित का काम करने लगे लेकिन ज्यदा समय दूसरे बंधुआ मजदूरो कि सहायता करने में लगाते। वह भारतीय स्वतंत्रता-सेनानी और पादरीयो कि सहाएता ली और भारत से अध्यापक और वकील को फिजी आने कि प्रोत्साहन दी जो की फि़जी के भारतियो को सहायता दे सके। फिजी में इक्कीस साल तक रहने के बाद वह १९१४ में भारत लौट गय और अप्ने अनुभव पर एक पुस्तक, मेरे फिजी द्वीप में इक्कीस वर्ष, लिखा। इस पुस्तक को भारतियो बंधुआ मजदूर वयवस्था को बन्द करने में सहायता लाया गया।
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