जापान

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जापान एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप जंबूद्वीप के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं । इसके निकटतम पड़ोसी चीन,कोरिया तथा रूस हैं । जापानी अपने देश को निप्पन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्यनिकास है ।

जापान की राजधानी टोक्यो है, और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं।

अनुक्रमणिका

[संपादित करें] इतिहास

मुख्य लेख - जापान का इतिहास


जापानी लोककथाओं के अनुसार विश्व के निर्माता ने सूर्य देवी तथा चन्द्र देवी को भी रचा । फिर उसका पोता क्यूशू द्वीप पर आया और बाद में उनकी संतान होंशू द्वीप पर फैल गए । हँलांकि यह लोककथा है पर इसमें कुछ सच्चाई भी नजर आती है ।

[संपादित करें] प्राचीन काल

जापान का प्रथम लिखित साक्ष्य 57 ईस्वी के एक चीनी लेख से मिलता है । इसमें एक ऐसे राजनीतिज्ञ के चीन दौरे का वर्णन है जो पूरब के किसी द्वीप से आया था । धीरे-धीरे दोनो देशों के बीच राजनैतिक और सांस्कृतिक सम्बंध स्थापित हुए । उस समय जापानी एक बहुदैविक धर्म का पालन करते थे जिसमें कई देवता हुआ करते थे । छठी शताब्दी में चीन से होकर बौद्ध धर्म जापान पहुंचा । इसके बाद पुराने धर्म को शिंतो की संज्ञा दी गई जिसका शाब्दिक अर्थ होता है - देवताओं का पंथ । बौद्ध धर्म ने पुरानी मान्यताओं को खत्म नहीं किया पर मुख्य धर्म बौद्ध ही बना रहा । चीन से बौद्ध धर्म का आगमान उसी प्रकार हुआ जिस प्रकार लोग, लिखने की प्रणाली (लिपि) तथा मंदिरो का सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक कार्यों के लिए उपयोग ।

शिंतो मान्यताओं के अनुसार जब कोई राजा मरता है तो उसके बाद का शासक अपना राजधानी पहले से किसी अलग स्थान पर बनाएगा । बौद्ध धर्म के आगमन के बाद इस मान्यता को त्याग दिया गया । 710 ईस्वी में राजा ने नॉरा नामक एक शहर में अपनी स्थायी राजधानी बनाई । शताब्दी के अन्त तक इसे हाइरा नामक नगर में स्थानान्तरित कर दिया गया जिसे बाद में क्योटो का नाम दिया गया । सन् 910 में जापानी शासक फूजीवारा ने अपने आप को जापान की राजनैतिक शक्ति से अलग कर लिया । इसके बाद तक जापान की सत्ता का प्रमुख राजनैतिक रूप से जापान से अलग रहा । यह अपने समकालीन भारतीय, यूरोपी तथा इस्लामी क्षेत्रों से पूरी तरह भिन्न था जहाँ सत्ता का प्रमुख ही शक्ति का प्रमुख भी होता था । इस वंश का शासन ग्यारहवीं शताब्दी के अन्त तक रहा । कई लोगों की नजर में यह काल जापानी सभ्यता का स्वर्णकाल था । चीन से सम्पर्क क्षीण पड़ता गया और जापान ने अपना खुद की पहचान बनाई । दसवी सदी में बौद्ध धर्म का मार्ग चीन और जापान में लोकप्रिय हुआ । जापान मे कई पैगोडाओं का निर्माण हुआ । लगभग सभी जापानी पैगोडा में विषम संख्या में तल्ले थे ।

[संपादित करें] मध्यकाल

मध्यकाल मे जापान में सामंतवाद का जन्म हुआ । जापानी सामंतों को समुराई कहते थे । जापानी सामंतो ने कोरिया पर दो बार चढ़ाई की पर उन्हें कोरिया तथा चीन के मिंग शासको ने हरा दिया । सोलहवीं सदी में यूरोप के पुर्तगाली व्यापारियों तथा मिशनरियों ने जापान में पश्चिमी दुनिया के साथ सांस्कृतिक तालमेल की शुरूआत की ।

[संपादित करें] आधुनिक काल

1854 में प्रथम बार जापान ने पश्चिमी देशों के साथ व्यापार संबंध स्थापित किया । अपने बढ़ते औद्योगिक क्षमता के संचालन के लिए जापान को प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ी जिसके लिए उसने 1894-95 मे चीन तथा 1904-1905 में रूस पर चढ़ाई किया । जापान ने रूस-जापान युद्ध में रूस को हरा दिया । यह पहली बार हुआ जब किसी एशियाई राष्ट्र ने किसी यूरोपीय शक्ति पर विजय हासिल की थी । जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में धुरी राष्ट्रों का साथ दिया पर 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा तथा नागासाकी पर परमाणु बम गिराने के साथ ही जापान ने आत्म समर्पण कर दिया ।

इसके बाद से जापान ने अपने आप को एक आर्थिक शक्ति के रूप में सुदृढ़ किया और अभी तकनीकी क्षेत्रों में उसका नाम अग्रणी राष्ट्रों में गिना जाता है ।

[संपादित करें] भूगोल

जापान के विभाग
जापान के विभाग

जापान कई द्वीपों से बना देश है । जापान कोई ६८०० द्वीपों से मिलकर बना है । इनमें से सिर्फ ३४० द्वीप १ वर्ग किलोमीटर से बड़े हैं । जापान को प्रायः चार बड़े द्वीपों का देश कहा जाता है । ये द्वीप हैं - होक्काइडो, होन्शू, शिकोकू तथा क्यूशू । जापानी भूभाग का 76.2 प्रतिशत हिस्सा पहाड़ों से घिरा होने के कारण यहां कृषि योग्य भूमि मात्र 13.4 प्रतिशत है, 3.5 प्रतिशत क्षेत्र में पानी है और 4.6 प्रतिशत भूमि आवासीय उपयोग में है । जापान खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है । चारों ओर समुद्र से घिरा होने के बावजूद इसे अपनी जरुरत की २८ प्रतिशत मछलियां बाहर से मंगानी पड़ती है ।

[संपादित करें] शासन तथा राजनीति

यद्यपि ऐसा कहीं लिखा नहीं है पर जापान की राजनैतिक सत्ता का प्रमुख राजा होता है । उसकी शक्तियां सीमित हैं । जापान के संविधान के अनुसार "राजा देश तथा जनता की एकता का प्रतिनिधित्व करता है" । संविधान के अनुसार जापान की स्वायत्तता की बागडोर जापान की जनता के हाथों में है ।

[संपादित करें] विदेश नीति

सैनिक रूप से अमेरिका पर निर्भर जापान के सम्बन्ध अमेरिका से सामान्य है ।

[संपादित करें] सेना

जापान का वर्तमान संविधान इसे दूसरे देशों पर सैनिक अभियान या चढ़ाई करने से मना करता है ।

[संपादित करें] अर्थव्यवस्था

एक अनुमान के अनुसार जापान विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । पर जापान की अर्थव्यवस्था स्थिर नहीं है । यहां के लोगो की औसत वार्षिक आय लगभग ५०,०० अमेरिकी डॉलर है जो काफी अधिक है ।

[संपादित करें] विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी

जापान पिछले कुछ दशकों से विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी हो गया है ।

[संपादित करें] संस्कृति

कुछ लोग जापान का संस्कृति को चीन की संस्कृति का ही विस्तार समझते हैं । जापानी लोगो ने कई विधाओं में चीन की संस्कृति का अंधानुकरण किया है । बौद्ध धर्म यहां चीनी तथा कोरियाई भिक्षुओं के माध्यम से पहुंचा । जापान की संस्कृति की सबसे खास बात ये है कि यहां के लोग अपनी संस्कृति से बहुत लगाव रखते हैं । मार्च का महीना उत्सवों का महीना होता है ।

[संपादित करें] धर्म

जापान की 84 प्रतिशत जनता शिन्तो तथा बौद्ध दोनो धर्मों का अनुसरण करती है ।

[संपादित करें] भाषा

लगभग 99% जनता जापानी भाषा बोलती है ।

[संपादित करें] शिक्षा

[संपादित करें] जनजीवन

अपनी जापान यात्रा के बाद निशिकांत ठाकुर लिखते हैं -
"आज जापान में हर व्यक्ति के पास रंगीन टेलीविजन है, करीब 83 प्रतिशत लोगों के पास कार है, 80 प्रतिशत घरों में एयरकंडीशन लगे हैं, 76 प्रतिशत लोगों के पास वीसीआर हैं, 91 प्रतिशत घरों में माइक्रोवेव ओवन हैं और करीब 25 प्रतिशत लोगों के पास पर्सनल कम्प्यूटर हैं। यह है विकास और ऊंचे जीवन स्तर की एक झलक। आम जापानी स्वभाव से शर्मीला, विनम्र, ईमानदार, मेहनती और देशभक्त होता है। यही कारण है कि विकसित देशों की तुलना में जापान में अपराध दर कम है।"



[संपादित करें] बाहरी कडियाँ



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