प्राणायाम

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प्राणायाम श्‍वास और नि:श्‍वास की गति को नियंत्रण कर रोकने व निकालने की क्रिया को कहा जाता है। श्वास को धीमी गति से गहरी खींचकर रोकना व बाहर निकालना प्राणायाम के क्रम में आता है । श्वास खींचने के साथ भावना करें कि प्राण शक्ति, श्रेष्ठता श्वास के द्वारा अंदर खींची जा रही है, छोड़ते समय यह भावना करें कि हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियाँ, बुरे विचार प्रश्वास के साथ बाहर निकल रहे हैं । प्राणायाम निम्न मंत्र (गायत्री महामंत्र) के उच्चारण के साथ किया जाए ।

ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः, ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम् । 
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
ॐ आपोज्योतीरसोऽमृतं, ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ॐ ।

प्राणायाम का योग में काफी महत्व है।

अनुक्रमणिका

[संपादित करें] विधि

[संपादित करें] अनुलोम विलोम

आसन मुद्रा में बैठें। नाक का एक नथुना बंद करें व दूसरे से लंबी सांस लें, फिर उसे बंद करके, पहले वाले से सांस छोडें...अब इससे सांस लें व दूसरे वाले से छोडें...यह प्रक्रिया ४-५ मिनट तक दुहराएं..


[संपादित करें] स्वास्थ्य

[संपादित करें] रोगों का इलाज

प्राणायाम साइनस और एलर्जी का रामबाण इलाज है। यदि आप छ:-सात माह नियमित प्राणायाम कर सकें, तो आप अपने इस रोग पर पूरी तरह नियन्त्रण पा सकते हैं। साथ ही आपका पूरा स्वास्थ्य भी सुधरेगा।