श्री अरविन्द

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श्री अरविन्द
श्री अरविन्द

श्री अरविन्द अथवा अरविन्द घोष या श्री अरबिन्द (बांग्ला: শ্রী অরবিন্দ) (१८७२-१९५०) एक महान योगी एवं दार्शनिक थे । श्री अरविन्द का जन्म कलकता में हुआ। इनके पिता एक डाक्टर थे।

इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रा संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, पर फिर यह एक योगी बने और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थों पर टीका लिखी।

योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी।

[संपादित करें] श्री अरबिन्द की प्रमुख कृतियां

द मदर

लेटर्स आन् योगा

सावित्री


इनके प्रमुख शिष्यः

चम्पकलाल, नलिनि कान्त गुप्त, कैखुसरो दादाभाई सेठना, निरोदबरन, पवित्र, एम पी पण्डित, प्रणब, सतप्रेम, इन्द्र सेन

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