द्रुमाकृतिक प्रतिरुप
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यह अपवाह प्रतिरुप एक समान स्वभाव तथा संरचना वाली शैलों के क्षेत्र में विकसित होता हैं । इस प्रतिरुप में अपवाह तन्त्र एन पेड़ के तने के समान विकसित होता हैं किसमे अनेक शाखाएं एवं प्रशाखाएं निकलती हैं । इस प्रतिरुप में सभी सहायक धाराएं मुख्य नदी से न्यून कोण पर मिलती हैं ।
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