पवन-वातायन
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उत्कृष्ट वृत्तखण्ड, संयुक्त राज्य अमेरिका
जालीदार शिला में पवन के अपरदन द्वारा पवनोन्मुखी भाग मे छिद्र हो जाता हैं, पवन धीरे-धीरे इस छिद्र के अपरदित पदार्थो को उडा-उडा कर उस छिद्र को बडा करती रहती हैं । लम्बे समय तक यही क्रिया निरन्तर होने के कारण्यह छिद्र शैल के आर-पार हो जाता हैं । शैल के इस आर-पार छिद्र को पवन खिडकी या पवन-वातायन कहा जाता हैं ।
पवन द्वारा उत्पन्न स्थलाकृति | ![]() |
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अपरदनात्मक स्थलरुप इन्सेलबर्ग | छ्त्रक शिला | ज्यूजेन | पवन-वातायन | भूस्तम्भ | वातगर्त निक्षेपात्मक स्थलरुप |
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