होरा शास्त्र की आवश्यक्ता
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- अर्थार्जने सहाय:पुरुषाणामापदर्णवे पोत:,यात्रा समये मन्त्री जातकमहापाय नास्त्यपर: ॥ सारावली
- मनुष्यों को धन अर्जित करने मे यह (होरा शास्त्र) सहायता करता है, (शुभ दशा में लाभ,और अशुभ दशा मे हानि),विपत्ति रूपी समुद्र में नौका या जहाज का कार्य करता है,एवं यात्रा के समय में मंत्री अर्थात उत्तम सलाहकार होरा शास्त्र को छोड कर अन्य कोई नहीं हो सकता है.
- सारांश:-भदावरी ज्योतिष समय और कुसमय का अन्तर करने के लिये संसार में कई तरह के कयास लगाये जाते हैं,हर कार्य के लिये पहले पिछला इतिहास देखा जाता है,और पिछले इतिहास को देखने के बाद आने वाले समय का प्रतिपादन किया जाता है,लेकिन जो विद्वान होते हैं,वे देश,काल,और परिस्थिति के अनुसार इतिहास को परख कर ही विवेचन करते हैं,काल गणना करना और काल के आगे की भूमिका बनाते समय जो भी तत्व सर्वोच्च संख्या निकालते हैं उन्ही तत्वओं का भेद बखान किया जाता है,इस भेद बखान करते वक्त कभी कभी पासा ही पलट जाता है,इस कहावत के मामले मे एक कथा प्रचलित है:-एक ज्योतिषी के संतान होने वाली थी,वह पूर्ण समय को जानने के लिये प्रसव वाले कमरे के बहर दहलीज पर बैठ गया,और दाई से कहा कि जैसे ही जातक पहली सांस ले,वह दहलीज पर इशारा करदे,वही किया गया,लेकिन इशारा करने और सुनने तक जो समय व्यतीत हुआ,उसमे अंश भेद बदल गया,उस अंश भेद के बदलने के प्रभाव में जो ज्योतिषीय विवेचन मिला उसके अनुसार,ज्योतिषी को फ़लादेश मिला,उसके अनुसार पैदा होने वाला जातक अपने पिता को हाथी के पैर से कुचला कर मरवायेगा,ज्योतिषी ने पैदा होने वाले जातक को त्यागना ही उचित समझा,त्यागे हुए जातक को एक राज्य खान्दान का आश्रय मिला और राजकुमार के रूप में उसका पालन पोषण मिला,जातक भी अपने पूर्व पिता के अनुसार ज्योतिषी गुणों से पूर्ण हुआ,उसने अपने जन्म के बारे मे जब गणित किया तो,उसे पता लगा कि वह जहाँ पर पल रहा है वह उसका वास्तविक कुल नही है,पता लगाने पर वह खोजता हुआ अपने पूर्व पिता के पास हाथी पर बैठ कर पहुंचा,और पिता पुत्र मे जब ज्योतिष के प्रति वार्ता हुई तो पता लगा कि जो सूचना दाई ने जातक के जन्म के समय की दी थी,उस समय में अन्तर के कारण ज्योतिषी भेद बदल गया था,इस बात का कई बार विवरण मिला है कि जो भी समय जातक के द्वारा कहा या लिखा जाता है,वह कहीं सौ में से एक का ही सही मिलता है,और बिना समय का संशोधन किये हुए अगर जीवन के प्रति गणित कर दिया जाये,तो गल्ती गणित करने वाले की होगी,न कि गणित की.