Zakir ali 'rajneesh'

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हिन्दी साहित्य का चमकता सितारा : ज़ाकिर अली 'रजनीश

हिन्दी साहित्य के इतिहास में ऐसे लेखक कम ही हैं, जिन्होंने बच्चों के लिए भी समानुपातिक रूप से साहित्य की रचना की हो। ऐसा ही एक नाम है ज़ाकिर अली 'रजनीश'। एक जनवरी उन्नीस सौ पिचहत्तर को जन्में श्री रजनीश ने 32 साल की अल्पायु में चार दर्जन पुस्तकों का सृजन करके 'पूत के पांव पालने में' वाली कहावत को चरित्रार्थ कर दिखाया है। तरूण कथा साहित्य में 'इंडिया टुडे', 'उत्तर प्रदेश' तथा 'सहारा समय' की कथा प्रतियोगिताओं के विजेता श्री रजनीश की विज्ञान कथाओं में विशेष दिलचस्पी है। 'गिनीपिग' उनका चर्चित वैज्ञानिक उपन्यास है, जिसमें मानवीय सम्बंधों को वैज्ञानिक आधार पर आंका गया है। भारतीय सामाजिक प्रष्ठभूमि पर केन्द्रित उनका विज्ञान कथा संग्रह 'विज्ञान कथाएं' वैश्विक और भारतीय विज्ञान कथा सम्बंधी मान्यताओं पर खरा उतरता है। उसे उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। ज़ाकिर अली 'रजनीश' बाल साहित्य के मर्मज्ञ हैं। उनकी बाल मनोविज्ञान पर अदभुत पकड है। बाल मनोविज्ञान और विज्ञान के अदभुत मिश्रण के कारण उनकी बाल विज्ञान कथाएं काफी चर्चित रही हैं। विज्ञान कथा पर आधारित उनकी पुस्तकें हैं:– 'चमत्कार', 'समय के पार' और 'विज्ञान की कथाएं'। इनमें से 'चमत्कार' पुस्तक को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान–लखनऊ (उ० प्र०) तथा 'समय के पार' पुस्तक को रत्नलाल शर्मा स्मृति न्यास–दिल्ली, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान–लखनऊ (उ० प्र०) द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। बाल साहित्य विशेषज्ञ के रूप में प्रसिद्ध श्री रजनीश की बाल कहानियों सम्बंधी कुल चौदह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें 'मैं स्कूल जाऊंगी', 'सपनों का गांव', 'कुर्बानी का कर्ज', 'हाजिर–जवाब', 'सोने की घाटी', 'सितारों की भाषा' और 'ऐतिहासिक कथाएं' प्रमुख हैं। उनकी दो पुस्तकों का अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ है जो 'बेस्ट आफ हाईटेक टेल्स' तथा 'बेस्ट आफ हिस्टोरिकल टेल्स' के नाम से टिनी टॉट पब्लिकेशंस, दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुई हैं। श्री रजनीश ने बाल उपन्यासों पर भी अच्छा काम किया है। 'सात सवाल', 'हम होंगे कामयाब' और 'समय के पार' उनके चर्चित हिन्दी बाल उपन्यास हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी बाल साहित्य की विभिन्न विधाओं में सम्पादन कार्य भी किया है। उन्होंने 'इक्कीसवीं सदी की बाल कहानियां' (दो खण्ड, १07 कहानियां), 'एक सौ इक्यावन बाल कविताएं', 'तीस बाल नाटक', 'ग्यारह बाल उपन्यास' तथा 'प्रतिनिधि बाल विज्ञान कथाएं' पुस्तकों का सम्पादन कर श्रेष्ठ साहित्य की अदभुत मिसाल पेश की है। इन संकलनों में उन्होंने देश के चुनिंदा रचनाकारों की उत्कृष्ट रचनाओं को स्थान दिया है। हिन्दी साहित्य में श्री रजनीश अपने मौलिक एवं स्तरीय लेखन के लिए जाने जाते हैं। उनकी साहित्यिक सेवाओं को देखते हुए उन्हें लगभग दो दर्जन संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें विज्ञान कथा भूषण सम्मान, सहस्राब्दि हिन्दी सेवी सम्मान, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, रत्नलाल शर्मा बालसाहित्य पुरस्कार, डा० सी० वी० रमन तकनीकी लेखन पुरस्कार प्रमुख हैं। वर्तमान में मण्डी परिषद, उ० प्र० में कम्प्यूटर आपरेटर के रूप में कार्यरत श्री रजनीश की मीडिया लेखन पर भी अच्छी पकड है। वे उ० प्र० हिन्दी संस्थान की पटकथा लेखन फैलोशिप भी प्राप्त कर चुके हैं। 'डिक्शनरी आफर इंटेलेक्चुअल', कैम्ब्रिज, इंग्लैण्ड तथा 'मनोरमा इयर बुक' सहित अनेक संदर्भ ग्रन्थों में उनको ससम्मान उदधृत किया गया है। इंडियन साइंस राइटर्स एसोशिएसन, दिल्ली के आजीवन सदस्य तथा 'तस्लीम' (टीम फॉर साइंटिफिक अवेयरनेस ऑन लोकल इश्यूज़ इन इंडियन मॉसेस, एन० जी० ओ०) के महासचिव ज़ाकिर अली 'रजनीश' से साहित्यिक विमर्श हेतु उनके ब्लाग http://alizakir.blogspot.com पर कभी भी संपर्क स्थापित किया जा सकता है।