शिलांग

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शिलांग भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय की राजधानी है। शिलांग के प्रमुख पर्यटक स्थल इस प्रकार है

चेरापूंजी ( दुवान सिंग सैयम ब्रिज ) – यह पुल वायर रोप से बना है जो कि शिलोंग और चेरापुंजी के रास्ते का मिडवे है । अकसर यहाँ लोग चाय के लिये रुकते हैं । हरी भरी पहाड़ियॉ बहुत ही दर्शनीय है । नवंबर- दिसंबर के महीने में जब फाग होती है, तब लोग यहां आना पसंद करते हैं क्योंकि तब चेरापुंजी जाना संभव नही होता ।

2.( नोहकालिकाई फाल्स ) – यह बांग्लादेश की सीमा पर स्थित एक सुंदर झरना है । सीढियों की सहायता से झरने के पास तक जाया जा सकता है । इन दिनो में बरसात नही होने के कारण पानी कुछ कम है ।

3.( मोस्वाई केव ) – यह गुफा प्रकृति का अनुपम खजाना है । गुफा मै पत्थरों की सुंदरता व कटाई को देखकर लगता है कि कभी यहां समुद्र होगा । स्थानीय लोगों ने बताया कि ये गुफा गुहाटी के कामाख्या मंदिर तक जाती है । गुफ़ा में लगभग 500-600 मी॰ अंदर तक जाने का अवसर मिला । एक जमाने में लोग गुफा में मशाल लेकर जाया करते थे । लेकिन अब मेघालय सरकार ने विद्दुत का प्रबंध कर दिया ।

4.( सेवन सिस्टर फाल्स ) – यह झरनों का एक समूह है जो कि पहाडों की घाटी के बीच में स्थित हैं । दृष्य बहुत ही सुंदर है । इसके ठीक सामने देहरादुन की सहस्त्र धाराओं के समान छोटे-छोटे कल कल करते झरने हैं । बरसात की कमी की वजह से निश्चित रूप से यह खूबसूरत झरने संकट में है ।

5.( थेंग गार्डन ) – यह मेघालय सरकार द्वारा बनाया गया एक छोटा सा उद्दान है । उसमे अनेक प्रकार के फूल लगाये गये हैं । उद्दान के अंत में एक एसा स्थान बनाया गया है, जहां से खडे होकर बंग्लादेश को साफ- साफ देखा जा सकता है ।



बिशप और बीडन फाल्स - बिशप और बीडन फाल्स शिलांग के मध्य स्थित सुंदर झरना है जो कि एक गहरी खाई में गिरता है ।

बरापानी या उनामाई झील – शिलांग से 17 कि॰मी॰ दूर स्थित, बरापानी में एक बहुत विशाल झील है जिस से जल से बिजली उतपन्न होती है । मोटर बोट व अन्य पानी के खेलों का आनंद लिया जा सकता है । सुंदर रेसोर्ट व रेस्टोरेंट भी है ।

लेडी हाय्डरी पार्क – यह एक उद्दान है जिसमें एक लघु चिडियाघर है ।

गोल्फ कोर्स – यह भारत का तीसरा सबसे बडा गोल्फ कोर्स है । इस में 26 होल हैं ।

बोटानिकल गार्डन – यह एक उद्दान है जिसमें तरह तरह के पेड-पौधे देखे जा सकते हैं ।

एलिफेण्ट फाल्स - एलिफण्ट फाल्स बहुत ही बडा झरना है जिसकी आवाज बहुत दूर से सुनी जा सकती है । पहाडी से बहुत नीचे उतरकर यह मनोरम दृष्य देखा जा सकता है । फोटोग्राफी के लिये यह सर्वश्रेष्ठ झरना कहा जा सकता है क्योंकि इसमे झरने के पास जाया जा सकता है ।

मौसिनराम – यह मनोरम पहाडियों के बीच में एक प्राकृतिक गुफा है । गुफा के मध्य बिल्कुल गौ थन के आकार की शिला से लगातार नीचे बने प्राकृतिक शिवलिंग पर बूंद बूंद गिरता पानी लगता है जैसे भगवान शिव का जलाभिषेक हो रहा हो । कुल मिलाकर हिंदु धर्म के अनुसार यह स्थल एक शक्ति पीठ बनने का सामर्थ्य रखता है ।

जैकरम, हाट सप्रिंग – प्रकृति की अदभुद देन यह स्थान बहुत ही सुंदर है । सलफर युक्त गर्म पानी जो कि झरने से निकलता है चरम रोंगो के लिये एक औषधि का कार्य करता है । झरने के पानी को पाईप लाईन द्वारा स्नान घर में पहुंचाया गया है जहां पर महिला व पुरूष आराम पूर्वक स्नान कर सकते हैं । स्नान करने के बाद पूरी थकान दूर हो जाती है ।

शिलांग पीक – शिलांग पीक शिलांग शहर से लगभग 1500 फुट की उंचाई पर है इसलिए यहां का तपमान कम होता है । यहां पर भारतीय वायु सेना का पूर्वी कमांड का कार्यलय है । बहुत उंची चोटियों पर बडे बडे RADAR लगाए गये हैं । यह देश की सुरक्षा के लिये अत्यंत संवेदनशील है । शिलांग पीक से खडे होकर पूरे शहर को देखा जा सकता है ।

वार्डस झील – वार्डस झील बहुत ही सुंदर मनुष्य द्वारा निर्मित एक झील है को कि शिलांग क्लब के पीछे स्थित है । यहां पर पर्यटक बोटींग का आनन्द ले सकते हैं । झील के मध्य में एक लकडी का पुल है जहां से दर्शक झील में दाना डाल कर भांति- भांति प्रकार की मछलियों को देखा जा सकता है । झील में एक संगतमीय झरना भी है जो को आजकल बंद है ।

महादेवखोला मंदिर – सुरंगमय पहाडियों के बीच में गोरखा रेजीमेंट द्वारा निर्मित एक प्राचीन मंदिर है । इस मंदिर से भगवान शंकर की अनेक दंत कथाए जुडी हुई है । शिलांग के मारवाडी समाज के लिये यह श्रद्धा का केन्द्र है । शिवरात्रि के दिन यहां बडा मेला लगता है ।