कायस्थ

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कायस्थ एक हिन्दू जाति है (महापारिवार)|

[संपादित करें] पौराणिक उत्पत्त्ति

कायस्थों का स्त्रोत श्री चित्रगुप्तजी महाराज को माना जाता है |कहा जाता है कि ब्रह्मा ने चार वर्ण बनाये ( ब्राह्मण , क्षत्रीय , वैश्य , शूद्र ) तब यमराज ने उनसे मानवों का विव्रण रखने मे सहायता मांगी|

फिर ब्रह्मा ११००० वर्षों के लिये ध्यानसाधना मे लीन हो गये और जब उन्होने आँखे खोली तो एक पुरुष को अपने सामने स्याही-दवात तथा कमर मे तल्वार बाँधे पाया | तब ब्रह्मा जी ने कहा कि "हे पुरुष! क्योकि तुम मेरी काया से उत्पन्न हुए हो , इसलिये तुम्हारी संतानो को कायस्थ कहा जाएगा | और जैसा कि तुम मेरे चित्र(शरीर) मे गुप्त(विलीन) थे इसलिये तुम्हे चित्रगुप्त कहा जाएगा "

श्री चित्रगुप्त जी को महाशक्तिमान क्षत्रीय के नाम से सम्बोधित किया गया है


चित्र इद राजा राजका इदन्यके यके सरस्वतीमनु ।
पर्जन्य इव ततनद धि वर्ष्ट्या सहस्रमयुता ददत ॥ ऋग्वेद ८/२१/१८


गरुण पुराण मे चित्रगुप्त को कहा गया हैः


"चित्रगुप्त नमस्तुभ्याम वेदाक्सरदत्रे"
(चित्रगुप्त हैं पात्रों के दाता)

[संपादित करें] उपजातियाँ

चित्रगुप्त जि के १२ बालक १२ मुख्य भाग:

  • माथुर
  • गौड़
  • भटनागर
  • सक्सेना
  • अम्बष्ठ
  • निगम
  • कर्ण
  • कुलश्रेष्ठ
  • श्रीवास्तव
  • सुरध्वजा
  • वाल्मीक
  • अस्थाना


इन १२ विभाजनों के अलावा कई और उपविभाजन होते हैं जिन्हे 'अल' कहते हैं |

[संपादित करें] यह भी देखें

अन्य भाषायें