घेवर

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घेवर पनीर से बना,मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखाई देने वाला एक ख़स्ता और मीठा पकवान है।[१] सावन माह का जिक्र हो और उसमें घेवर का नाम ना आए तो कुछ अटपटा लगेगा। घेवर, सावन का विशेष मिष्ठान माना जाता है। हालांकि अब घेवर की मांग अन्य मिठाइयों के सामने कुछ कम हुई है लेकिन फिर भी आज कुछ लोग घेवर को ही महत्व देते हैं। सावन में तीज के अवसर पर बहन-बेटियों को सिंदारा देने की परंपरा काफी पुरानी है, इसमें चाहे कितना ही अन्य मिष्ठान रख दिया जाए लेकिन घेवर होना अवश्यक होता है। इसलिए साल के विशेष समय पर बनने वाली इस पारंपरिक मिठाई घेवर का वर्चस्व टूटना संभव नहीं है भले ही आधुनिक मिठाइयों के सामने इसकी लोकप्रियता में कुछ कमी दिखाई देती हो।[२] सावन में इस मिष्ठान की मांग को पूरा करने के लिए छोटे हलवाई से लेकर प्रतिष्ठित हलवाई महिनों पहले काम शुरु कर देते हैं। घेवर बनाने का काम प्रत्येक गली मौहल्ले में जोर-शोर से शुरू हो जाता है। पुराने लोग बताते हैं कि बगैर घेवर के न रक्षाबंधन का सगन पूरा माना जाता है और न ही तीज का। ग्लोबलाईजेशन के दौर में आज घेवर का रूप भी बदलने लगा है, ४० से लेकर २०० रूपये प्रति किलो का घेवर बाजार में उपलब्ध है, जो जैसा दाम लगाता है उसे उसी प्रकार का माल मिल जाता है, सादा घेवर सस्ता है जबकि पिस्ता, बादाम और मावे वाला घेवर मंहगा। पिस्ता बादम और मावे वाला घेवर ज्यादा प्रचलित है, हालांकि लोगों का कहना है कि जितना आन्नद सादा घेवर के सेवन में आता है उतना मेवा-घेवर में कतई नहीं। फिर भी लोग मेवा-घेवर को ही खरीदना पसंद करते हैं। कुलमिला कर सावन के महीने में घेवर की खुशबू पूरे बाजार को महका देती है और तीज व रक्षाबंधन के अवसर पर घेवर की दूकानों पर भीड़ देखते ही बनती है।

घेवर दो तरह को होता है, फींका और मीठा। ताज़ा घेवर नर्म और ख़स्ता होता है पर यह रखा रखा थोड़ा सख़्त होने लगता है। इस समय फींके घेवर को बेसन लपेटकर तलकर मज़ेदार पकौड़े बनाए जाते हैं। मीठे घेवर की पुडिंग बढ़िया बनती है।

[संपादित करें] संदर्भ

  1. घेवर (अंग्रेज़ी) (एचटीएम)। राजटूरिज़्म.कॉम। अभिगमन तिथि: 17 अगस्त, 2007
  2. बाजार में छाया सावन का विशेष तोहफा –घेवर—। दैनिक महामेधा। अभिगमन तिथि: 17 अगस्त, 2007

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