बर्टरैंड रसल
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बर्टरैंड रसल (मई १८, १९७२ - फरवरी २, १९७०) इंगलैंड के प्रख्यात विचारक व लेखक थे व उन्हें सन् १९५० ई. में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । उनको नोबल दिये जाने से पहले इस पर काफी विमर्श हुआ कि उन्हें नोबेल किस विषय के तहत दिया जाए कयोंकि उनका योगदान दर्शन, गणित, साहित्य व युद्धविरोधी आंदोलनों क्षेत्रों में प्रभावी रहा। अंततः उन्हें नोबेल साहित्य के लिये दिया गया।
दर्शन में रसल का योगदान तर्क को उसका आधुनिक स्थान दिलाने का है । अपनी पु्स्तक प्रिंसिपिया मैथमैटिका में रसल यह सिद्ध करते हैं कि तर्क की सहायता से ही सत्य को परखा जा सकता है और सत्य के अन्वेषण के लिये तर्क के अलावा और किसी साधन की आवश्यकता नहीं है । रसल के अनुसार समस्त ज्ञान तर्क से ही प्राप्य है। पाश्चात्य दर्शन में अपनी इस पु्स्तक तथा विभिन्न लेखों में विवरित इस विचारधारा को उन्होंने "लौजिकल ऐटोमिज्म" नाम दिया, जो विश्लेषण में प्रमुखरूपेण स्थापित है।
अंग्रजी सरकार की युद्धोन्मुख गतिविधियों के विरोध के लिये रसल को कई बार जेल भी जाना पड़ा था।