अजन्ता की गुफाएँ
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महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में स्थित अजंता की गुफ़ाओं में प्राचीन भारतीय कला स्थापत्य के वे साक्ष्य हैं जिनकी दुनियाभर में कोई तुलना नहीं। इनका निर्माण काल ईसा पूर्व दूसरी से पहली शताब्दी का है. इस मूल गुफ़ा समूह में गुप्त काल ( 5 वीं से 6 ठी शताब्दी ईसवी) के दौरान और भी कई सुंदर अलंकृत गुफ़ाएँ बनीं.
अजंता के चित्र और शिल्प बौद्ध धर्म की धार्मिक कला के आदर्श माने जाते हैं और इनका पर्याप्त कलात्मक प्रभाव है.यहाँ 26 गुफ़ाओं में से कुछ बौद्ध मत के हीनयान मतावलंबियों की हैं तो कुछ महायान बौद्धों की. दोनों ही तरह की गुफ़ाओं को उनकी कलाकृतियों, मुर्तियों और स्तूपों से साथ पहचाना जा सकता है.पर इन गुफ़ाओं में जो बात सबसे ख़ास है, वे हैं यहाँ के भित्ति चित्र. महात्मा बुद्ध के जीवन और विचार से संबंधित कई चित्र यहाँ की गुफ़ाओं में हैं. और साथ में हैं बुद्ध की अलग-अलग अवस्थाओं, मुद्राओं में असंख्य मूर्तियाँ. इनमें 4-5 इंच से लेकर 15 फ़ुट तक की बुद्ध की प्रतिमाएँ शामिल हैं. बौद्ध विहारों और गुफ़ाओं में जो चीज़ सबसे ज़्यादा जिज्ञासा का विषय रही हैं, वे हैं जातक कथाएँ. जातक कथाओं में कहीं बुद्ध के जीवन दर्शन की चर्चा है तो कहीं उनके चमत्कारों की. दुनिया के सबसे पुराने भित्ति चित्रों के लिए जानी जाने वाली ये गुफ़ाएँ कई दशकों तक पानी में डूबी रहीं जिसके चलते कई चित्र काफ़ी ख़राब स्थिति में हैं. फिर भी कला इतिहासकारों और कला संरक्षण से जुड़े लोगों ने दुनिया के इन सबसे दुर्लभ भित्ति चित्रों को बचाने और फिर से जीवंत करने का प्रयास किया है जो सराहनीय है.बुद्ध ही नहीं, जीवन, प्रकृति और कला-संस्कृति के कई बिंब इन चित्रों में देखने को मिलते हैं. यहाँ चित्रों में कहीं अचरज में डालते हाथी नज़र आते हैं तो कभी अत्यधिक अलंकृत पुष्प वल्लरियाँ.. 1983 से अजंता की गुफ़ाएँ यूनेस्को की विश्व विरासत का हिस्सा हैं।
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