हेमचन्द्र श्रेणी
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हेमचन्द्र श्रेणी की खोज भारतीय विद्वान आचार्य हेमचन्द्र ने सन् ११५० के आस-पास की थी. इसके बाद अरबों के माध्यम से यह यूरोप पहुंचा जहां इटली के फिबोनाकी ने अपनी एक पुस्तक में इसका जिक्र किया और बाद में यह फिबोनाकी सिरीज़ (Fibonacci Series) के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
श्रेणी के पहले दो अंक होते हैं, १ और १. उसके बाद के अंक अपने ठीक पहले के दो अंकों को जोड़कर प्राप्त किये जाते है. तो इस प्रकार श्रेणी हुयी: १, १, २, ३, ५, ८, १३, २१, ३४, ५५, ८९, १४४, २३३,.....
यह श्रेणी प्रकृति में कई स्थानों पर देखने को मिलती है, जैसे फूलों में पत्तियों का विन्यास या अनन्नास के घेरे.
इस श्रेणी की सन् १२०२ में दोबारा खोज की इतालवी गणितज्ञ फ़िबोनाची ने. गणित में हेमचन्द्र श्रेणी का सम्बन्ध स्वर्ण-अनुपात (Golden ratio) से भी है, जो कि द्विघातीय समीकरण क = (१/क) + १ के दोनों मूलों के मान के बराबर होता है.
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