नारी
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मानव स्त्री को नारी कहतें हैं जो नर का स्त्रीलिंग है।
ऐतिहासिक तौर पर नारी की भूमिका में काफ़ी फ़र्क आया है । परम्परागत तौर पर मध्य वर्ग में नारी की भूमिका घरेलू कामों से जुडी़ रहती थी जैसे कि बच्चों की देखभाल करना और ज़्यादातर औरतें पैसे कमाने नहीं जाती थीं । गरीब नारी में, खासकर के मेहनती वर्ग में पैसों की कमी की वजह से नारी को काम करना पडता था हालांकि औरतों को दिये जाने वाले काम हमेशा मर्दों को दिये जाने वाले कामों से प्रतिष्ठा और पैसों दोनो में छोटे होते थे । धीरे-धीरे, घर की नारी का काम न करना धन और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाने लगा जबकि नारी के काम करने का मतलब उस घर को निचले वर्ग का गिना जाता था ।
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