महाराजा सूरज मल

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महाराजा सूरज मल (1707-1763) भरतपुर राज्य के महाराजा थे । वे जाट समाज के प्लेटो थे। वे सुन्दर सुडौल और स्वस्थ शरीर के धनी थे। वह राजनीतिज्ञ एवं दूरदर्शी महाराजा थे। सूरजमल ने सन् 1733 में खेमकरण सोगरिया की फतहगढी पर आक्रमण किया और विजय प्राप्तकी। यहाँ पर 1743 में भरतपुर नगर की नींव रखी। सन् 1753 में वे यहाँ आकर रहने लगे।

महाराजा सूरज मल के युद्धों का वर्णन सूदन कवि ने सुजान चरित्र नामक रचना में किया है। यहाँ दो कविताएं दी जा रही हैं

[बदलें] ईश्वरी सिंह का पत्र

जयपुर राज्य के उत्तराधिकार संघर्ष में सवाई जयसिंह की मृत्यु पर उनके पुत्रौं ईश्वरी सिंह एवं माधोसिंह में सत्ता संघर्ष हुआ। महाराजा सूरज मल ने ईश्वरी सिंह का साथ दिया।

देषि देस को चाल ईसरी सिंह भुवाल नैं ।

पत्र लिख्यौ तिहिकाल बदनसिंह ब्रजपाल कौ ।।

करी काज जैसी करी गुरुडध्वज महाराज ।

पत्र पुष्प के लेते ही थे आज्यौ ब्रजराज ।।

आयौ पत्र उताल सौं ताहि बांचि ब्रजयेस ।

सुत सरज सौं तब कहौ थामि ढुढाहर देस ।।

[बदलें] जाट सेना का जयपुर अभियान

ईश्वरी सिंह की सहायता के लिए मुगल, मराठा एवं राजपूत सेना और से युद्ध करने हेतू जाट सेना का जयपुर अभियान का वर्णन

संग चढे सिनसिनवार हैं, बहु जंग के जितवार हैं

खंड खंड ने खुंटैल हैं, कबहु न भय मन में लहैं

चढि चाहि चाहर जोर दै, दल देसवार दरेरेदै

असवार होत अवारिया, जिन कितै वैर वादारिया

डर डारि डागुरि धाइयो, बहु भैनवार सु आइयौ

गुनवंत गूदर चट्ठियौ, सर सेल सांगन मट्ठियौ

सजियौ प्रचन्ड सुभोंगरे, जितवार जंगन के खरे

खिनवार गोधे बंक हैं, जिन किए राजा रंक हैं

सिरदार सोगरवार हैं, रन भुमि मांझ पहांर हैं

सिरदार सोरहते सजे, रन काज ते रन लै गज

सजि नौहवार निसंक हैं, रुतवार रावत बंक हैं

मुहिनाम याद इतेक हैं, बहु जाट जाति कितेक हैं

सबहि चढे भट आगरे, सबहि प्रताप उजागरे


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