प्रज्ञा सूत्र
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प्रज्ञा सूत्र सुभाष काक द्वारा २००२ में रचित वेदान्त का एक नया ग्रन्थ है। संस्कृत में लिखे यह सूत्र निम्नलिखित हैं-
बन्धु-परोक्ष-यज्ञाः विज्ञानस्य त्रिपादाः ।१।
देव-भूत-जीवात्मानोऽन्तरेण बन्धुः ।२।
मनसि प्रतिबिम्बितं ब्रह्माण्डम् ।३।
चिदाकाशस्य तदीयौ सूर्य-चन्द्रौ ।४।
सूर्य-चन्द्राव्-अष्टोत्तर-शत-अंशात्मकौ ।५।
सामान्य-आधारितं-ज्ञानम् ।६।
शब्दः बन्धः ।७।
भाषा अपरा ।८।
विरुद्धानि इव अपि दर्शनानि परस्पर-पूरकानि ।९।
आन्तरिक-स्थितयः परिसंख्या-योग्याः ।१०।
भाषा-लोक-विरुद्ध-आभास-अतीतम् विज्ञानम् ।११।
यज्ञात् प्रज्ञा आविर्भवति ।१२।
चित्तम्-आव्रियते वर्णैः ।१३।
पशु-आसुर-राक्षसा आत्मनि निवसन्ति ।१४।
पशुत्वस्य नाशनम् एव मुक्तिः ।१५।
यज्ञो योगः परिणामः परिवर्तनं च ।१६।
शरीर-मनसि असम्भूति-सम्भूती अविद्या-विद्ये पक्षाविव ।१७।
प्रज्ञा ऐश्वर्यं पक्षिणः उड्डयनम् ।१८।
स्पष्ट है कि यह सूत्र वेद का रहस्य बन्धु, परोक्ष, और यज्ञ में देखते हैं। बन्धु पिण्ड और ब्रह्माण्ड के बीच में जोड के बारे में है, परोक्ष द्वन्द्व का द्योतक है, और यज्ञ जीवन को परिवर्तन के रूप में पाता है।
इन सूत्रों में उपनिषद के महावाक्यों की झलक है, और आधुनिक काल के लिये सनातन तथ्यों की पुनरोक्ति भी।