पुनर्गमनवाद

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पुनर्गमनवाद एक दार्शनिक दृष्टिकोण है जिससे याथार्थ्य की विवेचना भारतीय परम्परा में होती है। पुनर्गमन का अर्थ विधान अथवा व्यवस्था के रूप का विभिन्न स्थानों पर उत्थान। इसका उत्गम वेद के महावाक्य यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे है। पर इसका प्रमाण समकालीन विज्ञान में भी मिलता है।

इसे दर्शन का नव्योत्तर विषय अथवा वैदिक विचार का प्रबन्ध माना जा सकता है।

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