पारसी धर्म
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पारसी धर्म ईरान क बहुत पुराना धर्म है । ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है । इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुस्त्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुस्त्री धर्म (Zoroastrianism) भी कहते हैं ।
अनुक्रमणिका |
[बदलें] अवेस्ता
ज़न्द अवेस्ता के अब कुछ ही अंश मिलते हैं । इसके सबसे पुराने भाग ऋग्वेद के तुरन्त बाद के काल के हो सकते हैं । इसकी भाषा अवेस्तन भाषा है, जो संस्कृत भाषा से बहुत, बहुत मेल खाती है ।
[बदलें] विश्वास
[बदलें] अहुरा मज़्दा
पारसी एक ईश्वर को मानते हैं, जिसे अहुरा मज़्दा (होरमज़्द) कहते हैं । उनका वर्णन वैदिक देवता वरुण से काफ़ी मेल खाता है ।
[बदलें] अग्नि
अग्नि को ईश्वरपुत्र समान और अत्यन्त पवित्र माना जाता है । उसी के माध्यम से अहुरा मज़्दा की पूजा होती है । पारसी मंदिरों को आतिश बेहराम कहा जाता है ।
[बदलें] स्पेन्ता अमेशा
स्पेन्ता अमेशा इनके सात (अथवा छः) .फ़रिश्ते हैं ।
[बदलें] शैतान
पारसी विश्वास के मुताबिक अहुरा मज़्दा का दुश्मन दुष्ट अंगिरा मैन्यु (आहरीमान) है ।
[बदलें] इतिहास
एक ज़माने में पारसी धर्म ईरान का राजधर्म हुआ करता था । पर सस्सानी शाहों की मुसल्मानों के हाथ हार के बाद इसके अनुयाइयों का मुसल्मान शाहों द्वारा ज़बर्दस्त उत्पीड़न शुरू हो गया, और जो पारसी मुसल्मान नहीं बनना चाहते थे, उन्होंने हिन्दुस्तान में शरण ली । तबसे आज तक पारसियों ने भारत के उदय मे बहुत बड़ा योगदान दिया है ।
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