नारंगी

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नारंगी एक फल, उसके पेङ तथा सम्बंधित रंग को कहते हैं ।

[बदलें] शब्दमूल

इसके शब्दमूल का सटीक पता तो नही चला है, पर इतना तय है कि ये शब्द भारतीय मूल का है । संस्कृत में इसे नारंगः कहते थे । बाद में फारसी (नारंग) के जरिये यह अरबी (नारंज), स्पॆनिश (नारंजा), देर-लैटिन (आरंजिया ), इटॆलियन (आरंसिया ) तथा प्राचीन फ्रेंच ( आॅरंजे) आदि भाषाोओं में, दिये गये क्रम में पहुंचा । अंग्रेजी में इसका प्रथम उल्लेख 14 वीं शताब्दी में मिलता है ।

यह बात हलांकि अप्रमाणित, पर बहुमान्य है, कि हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त नारंगी तथा अंग्रेजी के शब्द ऒरेंज का मूल तमिल भाषा या कोई द्रविङ भाषा है । इसकी वजह कुछ तमिल शब्दों से मिलते-जुलते स्वरूप हैं -

  • नारंदम् (तमिल - நரந்தம்] खट्टी नारंगी
  • नागारुकम् (तमिल - நாகருகம்) मीठी नारंगी
  • नारि (तमिल - நாரி) सुगन्ध

[बदलें] उद्धरण

नारंगी (रंग) अथवा नारंगी (फल) पर संत कबीर का दोहा काफी प्रसिद्ध है -

रंगी को नारंगी कहे, सार-तत्व को खोया ।

उठा को बैठा कहे,देख कबीरा रोया ।।

यहां समाज में प्रचलित शब्दों के शब्दार्थ और वास्तविक अर्थ के पारस्परिक विरोधी होने की ओर सूचित किया गया है । नारंगी का शब्दार्थ बिना रंग के होता है जबकि नारंगी के रंग से एक नये वर्ण का नामाकरण हुआ है !