खगोल शास्त्र

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खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत आता है पृथ्वी और उसके वायुमंडल के बाहर होनेवाली घटनाओं का अवलोकन तथा विष्लेषण एवं व्याख्या(explanation)। यह वह पदार्थ जिन्हें आसमान में अवलोकित किया जा सकता है तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का विज्ञान है ।

बीसवीं शताब्दी के दौरान, व्यावसायिक खगोल शास्त्र को अवलोकिक खगोल शास्त्र तथा काल्पनिक खगोल तथा भौतिक शास्त्र में बाँटने की कोशिश की गयी है । बहुत कम ऐसे खगोल शास्त्री है जो दोनो करते है क्योंकि दोनो क्षेत्रों में अलग अलग प्रवीणताओं की आवश्यकता होती है, पर ज़्यादातर व्यावसायिक खगोलशास्त्री अपने आप को दोनो में से एक पक्ष में पाते है ।

चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस । १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था । यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है ।
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चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस । १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था । यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है ।

खगोल शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से अलग है । ज्योतिष शास्त्र एक छद्म-विज्ञान () है जो किसी का भविष्य ग्रहों के चाल से जोड़कर बताने कि कोशिश करता है। हालाँकि दोनों शास्त्रों का आरंभ एक है, वे काफ़ी अलग है; खगोल शास्त्री वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करते हैं जबकि ज्योतिषि ऐसा नहीं करते।

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