अशोक चक्रधर

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अशोक चक्रधर हिंदी के लोकप्रिय मंचीय कवियों में से एक हैं. हास्य की विधा के लिये इनकी लेखनी खास तौर से जानी जाती है. कवि सम्मेलनों की वाचिक परंपरा को टेलीविजन के माध्यम से घर घर में पहुँचाने का श्रेय गोपालदास नीरज, शैल चतुर्वेदी, सुरेंद्र शर्मा, ओमप्रकाश आदित्य आदि के साथ-साथ इन्हें भी जाता है.

  • शिक्षा : एम ए, एम लिट्, पी एच डी (हिन्दी), 'कैरिअर अवार्ड' उत्तर पी एच डी शोध कार्य (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग)
    • प्रकाशित रचनाएं
  • हास्य कविताओं का संग्रह :बूढ़े बच्चे, भोले भाले, तमाशा, चुटपुटकुले, सो तो है, हंसो और मर जाओ, ए जी सुनिए, इसलिए बौड़म जी इसलिए, खिड़कियां, बोल गप्पे, जाने क्या टपके, देश धन्या पंच कन्या, चुनी चुनाई, सोची समझी।
  • नाटक : रंग जमा लो, बिटिया की सिसकी, बंदरिया चली ससुराल, जब रहा न कोई चारा, लल्लेश्वरी।

इसके अतिरिक्त बाल साहित्य, प्रौढ़ एवं नवसाक्षर साहित्य, समीक्षा, अनुवाद, काव्यनुवाद, पटकथा आदि अनेकों विधाआें में लेखन। फिल्म, टेलीफिल्म, वृत्तचित्र, धारावाहिक, फीचर फिल्म व दूरदर्शन में लेखन, निर्देशन व अभिनय के साथ साथ कवि सम्मेलनों में प्रमुखता से दिखते हैं।

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